साधू संत कौन ?
जिन्हें भगवान पर भी भरोसा न हो हम उन्हें भी साधू संत मानते हैं धिक्कार है हमें !
अँधेरी रातों में बरसते पानी कड़कती बिजली गरजते बादलों के बीच भगवान के भरोसे अकेले खेतों खलिहानों जंगलों में सर्पों बिच्छुओं एवं सिंह आदि हिंसक जीव जंतुओं के बीच काम करने वाले गरीब ग्रामीण और किसान लोग या फिर आश्रम नाम की सभी सुख सुविधाओं से युक्त बड़ी बड़ी 'भोगपीठों' में सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे जिंदा रहने वाले बाबा लोग !जिन्हें भगवान पर भरोसा ही नहीं वे साधू किस बात के ?
चित्र नहीं चरित्र देखो !
चरित्रवान लोग
चरित्रवान गरीब ग्रामीण और किसान लोग अँधेरी रातों में बरसते पानी कड़कती बिजली गरजते बादलों के बीच भगवान के भरोसे अकेले खेतों खलिहानों जंगलों में सर्पों बिच्छुओं एवं सिंह आदि हिंसक जीव जंतुओं के बीच काम
धर्म को जब अपनी आँखों से देखोगे तब बड़े बड़े धार्मिक पाखंडियों से घृणा करने लगोगे !
अरे नेताओ !देश यदि तुम पर भरोसा न करे तो किस पर करे !
कालेधन वाले बाबालोग भी काले धन का विरोध करते देखे जाते रहे हैं केवल इसलिए कि उनके कालेधन की ओर किसी का ध्यान न जाए किंतु क्या देशवासी इतना भी नहीं समझते हैं कि दस पंद्रह सालों में हजारों करोड़ की संपत्ति काले धन के बिना कैसे इकट्ठी की जा सकती है !कुल मिलाकर जो बाबालोग धंधा शुरू करते समय माँग माँग कर धन इकठ्ठा करते रहे हों उन्हें किसी ने कालाधन नहीं तो क्या सफेद दे दिया होगा !किंतु तब जो बाबा लोग काला पीला हरा गुलाबी आदि सभी कलरों का धन पचा जाते रहे हों और जब अपना पेट भर गया तब दूसरों का धन उन्हें कालाधन लगता है ये बाबा लोग यदि वास्तव में इतने ही ईमानदार हैं तो देश की आम जनता के सामने ऑनलाइन
ता रहा हो ही इकठ्ठा करते रहे हैं
अरे बाबा लोगो !
कालाधन तुम इसी समाज से माँग माँग कर करोड़ो अरबों पति बन जाते हो तब तुम्हें कालेधन का होश आता है पड़ता
जिन्हें भगवान पर भी भरोसा न हो हम उन्हें भी साधू संत मानते हैं धिक्कार है हमें !
अँधेरी रातों में बरसते पानी कड़कती बिजली गरजते बादलों के बीच भगवान के भरोसे अकेले खेतों खलिहानों जंगलों में सर्पों बिच्छुओं एवं सिंह आदि हिंसक जीव जंतुओं के बीच काम करने वाले गरीब ग्रामीण और किसान लोग या फिर आश्रम नाम की सभी सुख सुविधाओं से युक्त बड़ी बड़ी 'भोगपीठों' में सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे जिंदा रहने वाले बाबा लोग !जिन्हें भगवान पर भरोसा ही नहीं वे साधू किस बात के ?
चित्र नहीं चरित्र देखो !
चरित्रवान लोग
चरित्रवान गरीब ग्रामीण और किसान लोग अँधेरी रातों में बरसते पानी कड़कती बिजली गरजते बादलों के बीच भगवान के भरोसे अकेले खेतों खलिहानों जंगलों में सर्पों बिच्छुओं एवं सिंह आदि हिंसक जीव जंतुओं के बीच काम
धर्म को जब अपनी आँखों से देखोगे तब बड़े बड़े धार्मिक पाखंडियों से घृणा करने लगोगे !
अरे नेताओ !देश यदि तुम पर भरोसा न करे तो किस पर करे !
कालेधन वाले बाबालोग भी काले धन का विरोध करते देखे जाते रहे हैं केवल इसलिए कि उनके कालेधन की ओर किसी का ध्यान न जाए किंतु क्या देशवासी इतना भी नहीं समझते हैं कि दस पंद्रह सालों में हजारों करोड़ की संपत्ति काले धन के बिना कैसे इकट्ठी की जा सकती है !कुल मिलाकर जो बाबालोग धंधा शुरू करते समय माँग माँग कर धन इकठ्ठा करते रहे हों उन्हें किसी ने कालाधन नहीं तो क्या सफेद दे दिया होगा !किंतु तब जो बाबा लोग काला पीला हरा गुलाबी आदि सभी कलरों का धन पचा जाते रहे हों और जब अपना पेट भर गया तब दूसरों का धन उन्हें कालाधन लगता है ये बाबा लोग यदि वास्तव में इतने ही ईमानदार हैं तो देश की आम जनता के सामने ऑनलाइन
ता रहा हो ही इकठ्ठा करते रहे हैं
अरे बाबा लोगो !
कालाधन तुम इसी समाज से माँग माँग कर करोड़ो अरबों पति बन जाते हो तब तुम्हें कालेधन का होश आता है पड़ता
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