Thursday, 17 September 2015

vjp l

प्रधानमंत्री Narendra Modi RSS के खिलाफ नहीं जा सकते: राहुल गांधी -एक खबर 
    किंतु देश को सुशासन देने के लिए आरएसएस के खिलाफ जाना जरूरी है क्या ? फूट डालो राज करो वाली आदत कांग्रेसियों की आखिर जाती क्यों नहीं है ! मोदी जी संघ के खिलाफ न जाकर अपितु यदि संघ के साथ मिलजुल कर देश सेवा करना चाहते  हैं  या करते हैं  उनके   विचारों को भी समाहित करके चलते हैं तो निंदा नहीं अपितु प्रशंसा  होनी चाहिए ! राहुल गांधी  जी !संघ राष्ट्र के लिए समर्पित संगठन है और भाजपा के लिए आरएसएस  मातृ संस्था है इसलिए भाजपाई यदि संघ से प्रेरणा लेते हैं तो किसी और के पेट में दर्द क्यों  होता है !

‘दिल्ली में लोग मर रहे हैं और बीजेपी पीएम का जन्मदिन मनाने में व्यस्त’ - आशुतोष 
      किंतु आशुतोष जी !ये आपकी सरकार की लापरवाही से फैला है डेंगू और समय से उस पर नियंत्रण नहीं किया गया आपकी सरकार की अनुभव विहीनता ने दिल्ली को संकट में डाला है रही बात मोदी जी के जन्म दिन मनाने की तो आपको ये समझना चाहिए कि जन्मदिन आगे पीछे तो खिसकाया नहीं जा सकता वो तो उसी दिन होगा कोई मनावे या न मनावे ये उसकी मर्जी ! तो इसमें मोदी जी का क्या दोष ! दूसरी बात जन्मदिन केवल बीजेपी ही नहीं मना रही है अपितु सारा देश मना रहा है तो उन्हें रोका  कैसे जाए !आशुतोष जी !ये सब बातें आप पहले सोच समझकर बोलते नहीं है और जब अपने बड़बोलेपन में फँस जाते हैं तब टीवी चैनल पर बैठकर दहाड़ मार मार कर रोते देखे जाते हैं आखिर जन्म दिन तो टाला नहीं जा सकता है वो रैली तो टाली जा सकती थी जब उस किसान की दुखद मृत्यु हुई थी तब भी आप लोग उसे उस समय देखने तक नहीं गए थे !आप किस मुख से संवेदना की बातें कर रहे हैं । आपने तो दूसरों को चोर कहकर सत्ता हथिआई हैऔर इसमें आपका लगा क्या है ! 
                                       मोदी जी का भोग नहीं लग सकता!
          " गणपति के बाद अब PM मोदी को लगा 365 किलो ग्राम के लड्डू का भोग - जनसत्ता "
      किंतु  ये खबर नहीं अपितु खबरों के नाम पर जनसत्ता की शरारत है अन्यथा लेखक को पता होना चाहिए कि भोग तो देवी देवताओं का ही लगता है मोदी जी का नहीं लग सकता ! उसी प्रसाद को सारे लोग देव प्रसाद समझकर ही खाते हैं वैसे भी भारतीय परंपराओं के अनुशार जन्म दिन पर श्री गौरी गणेश का पूजन ,नवग्रह का पूजन एवं तिथि स्वामी के पूजन का विधान है किन्तु जो लोग ये सब नहीं कर पाते हैं या करते हैं वे सामूहिक रूप से देवताओं के लिए भोग लगाकर मीठा खाने खिलाने लगते हैं इसलिए " PM मोदी को लगा 365 किलो ग्राम के लड्डू का भोग " जैसी जनसत्ता की ख़बरों का न केवल खंडन अपितु निंदा की जानी चाहिए !


मच्छर नहीं इंसान मर रहे हैं....सरकार और निगम कर क्या रहे हैं ?-India Tv
   किंतु इसमें पूछने वाली क्या बात है दिल्ली सरकार और निगम वैसे भी क्या करते हैं और इनके लिए काम है भी क्या ?हर काम तो केंद्र सरकार पर डाल देते हैं । वैसे भी जो होता दिख रहा है वही तो कर रहे होंगे ये अन्यथा होता कैसे !यदि सफाई हो तो सफाई कर रहे हैं और गन्दगी हो तो …! मच्छर नहीं मर रहे हैं इसका मतलब मच्छर नहीं मारे जा रहे हैं इंसान मर रहे हैं चूँकि उन्हें बचाने के लिए समय से प्रभावी और पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं !
EDMC की डिस्पेंसरी में पैसे दो तो दवाई मिले अन्यथा चले जाओ चाचा नेहरू में ये कहना है यहाँ के डॉक्टरों का !
 जनता को जलील करने वाले ऐसे लोगों का जनता आखिर क्या कर ले !कहाँ से लावे इतने कैमरे और कैसे टेप करे इनकी हरकतें !फिर सुनावे किसे !फिर ऐसे लोगों के कहर से बचे कैसे !आमआदमी को तो सब कुछ सोचना पड़ता है । सरकार का निगरानी तंत्र बिलकुल फेल है और जनता की कहीं सुनी नहीं जाती ,दावे कोई कितने भी क्यों न करे !
     जनता की सेवा के लिए बने जिन सरकारी विभागों से जनता ही संतुष्ट नहीं हैं उन्हें बंद क्यों नहीं कर दिया जाता ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों की हमेंशा हमेंशा के लिए छुट्टी see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/09/edmc.html

                     डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी को भी कैस करने पर उतारू हैं केजरीवाल !
" सियासत छोड़ डेंगू के खि‍लाफ लड़ने में मदद करें विरोधी पार्टियां-CM केजरीवाल की अपील "
     किन्तु केजरीवाल जी आप तो ये वक्तव्य भी सियासत के लिए ही दे रहे हो ताकि जनता का ध्यान आपकी नाकामियों की ओर न जाकर अपितु विरोधी नेताओं और पार्टियों की ओर बना रहे बारी चालाकी भरी आपकी सोच !दूसरी बात जिन विरोधी नेताओं को भ्रष्ट  बेईमान लुटेरे आदि सब तरह की गालियाँ देते रहे हैं आप !उनसे  मदद की अपील करने का नाटक क्यों और वैसे भी हो सकता है कि वो आपसे अधिक मदद स्वेच्छा से ही कर रहे हों !क्योंकि आपको तो होश अब आया है वो तो पहले  से ही लगे हुए होंगे ! 




ऐसे मंत्री को लात मार कर निकालें मोदी  - ओबैसी 
  किंतु क्यों ? डॉ कलाम  का आचरण था ही इतना पवित्र कि उनके आचार व्यवहार में संकीर्णता छू भी नहीं गई थी  दूसरी बात महेश शर्मा जी की बात से ये स्पष्ट होता है कि जाति  और संप्रदाय से कोई अच्छा बुरा नहीं होता अपितु उसके गुण और दुर्गुण ही उसे अच्छा और बुरा बनाते हैं इसलिए कोई हिन्दू है या मुशलमान ये समझकर किसी से ईर्ष्या द्वेष नहीं किया जाना चाहिए और भाजपा ने ऐसा कभी किया भी नहीं यदि मुस्लिमों की राष्ट्रनिष्ठा पर संदेह ही होता तो कलाम साहब गैर राजनैतिक  व्यक्ति थे इसके बाद भी जिस युग में विधायकी जैसी सीटों के लिए मारामारी होती देखी जाती है उस युग में बिना माँगे इसी भाजपा ने कलाम साहब को सर्वोच्च पद से समलङ्कृत किया था अथवा यूँ कह लिया जाए कि श्रद्धेय अटल जी ने उन्हें अपने से ऊपर का आसन  दिया था !ऐसे संस्कारों विचारों से संपन्न किसी मंत्री के लिए लात मारने जैसी बात कहने वाला कोई भी व्यक्ति सभ्य कैसे कहा जा सकता है अगर ओबैसी को शर्मा जी की बात समझ में नहीं आई थी तो इतनी भद्दी टिप्पणी करने से पूर्व ओबैसी को दुबारा पूछ लेना चाहिए था कि आपके कहने का अभिप्राय क्या है ?

No comments: