नेताओं की सोर्स सिपारिस का सहारा लेकर ही अपराधी करते हैं अपराध !अन्यथा अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो रिस्क लेकर किसी वारदात को अंजाम दें !जिन भैंसों में प्रायः कोई पहचान नहीं होती है वो अपना एवं अपने मालिक का नाम तक नहीं बता सकतीं वो भी यदि नेताओं की हैं तो खोज ली जाती हैं किंतु जनता का बच्चा भी अगर खो जाता है तो मिलना कठिन हो जाता है !ये अपराध और राजनीति की आपसी साँठ गाँठ के प्रत्यक्ष उदाहरण हैं ।
बंधुओं ! जेल जाने से तो अपराधी भी डरते हैं बीबी बच्चों से उन्हें भी लगाव होता है अपराधी भी अच्छा खाना पहनना एवं अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं किंतु कम परिश्रम में अच्छी कमाई करने के लालच में वे करते हैं अपराध !किंतु यदि नेता लोग सिक्योरिटी छोड़ दें तो नेताओं को भी अपराधियों का भय होगा तब उन्हें भी सभी प्रकार के अपराधियों के विरुद्ध जनता के साथ ईमानदारी पूर्वक खड़ा होना होगा !उन्हें भी बलात्कारियों का विरोध राजनैतिक नहीं अपितु वास्तविक रूप से करना पड़ेगा आखिर उनकी भी बहू बेटियाँ तो निकलेंगी रोडों पर तब उन्हें कौन बचाएगा !
अत्याधुनिक शार्टकटी नेताओं ने पाल रखे हैं अपराधी और बड़े बड़े हाईटेक
अपराधियों ने पाल रखे हैं नेता ! दोनों अपनी अपनी सुविधानुशार करते करवाते
हैं अपराध ! और दिखाने के लिए अपराधों के विरोध में निकालते हैं धूमधाम से
रैलियाँ !
वैसे भी नेताओं को सिक्योरिटी क्यों ? नेता लोग अपने एवं अपनों के लिए तो ले लेते हैं सिक्योरिटी और जनता को छोड़ देते हैं मरने के लिए !
इन नेताओं ने देश की जनता को अपनापन देने की जगह इन कपटी देश सेवकों ने जनता को शर्मिन्दा किया है !क्या इन नेताओं के भरोसे छोड़ देना चाहिए देश !जो जनता के प्रति इतनी गंदी सोच रखते हों !
जनता
के साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले ये कपटी देश सेवक जनता के साथ मर क्यों नहीं सकते
?मरने का खतरा जब सबको है तो सिक्योरिटी केवल अपने एवं अपने लिए क्यों ?ऐसे नेताओं पर भरोसा करने का मतलब अपने साथ धोखा करना है !एक एक नेता की सिक्योरिटीमें बीसों लोग लगा दिए जाते हैं जबकि एक मोहल्ले की जनता की सुरक्षा के लिए बीस पुलिस वाले नहीं होते !ये नेता मरने को इतना डरते हैं तो राजनीति करते क्यों हैं !घर बैठें !क्या डाक्टर ने बताया है कि राजनीति ही करो ! मेहनत करके बच्चे पालो !
सिक्योरिटी गरीबों ,किसानों और मजदूरों को क्यों नहीं चाहिए ? क्या उन्हें मृत्यु भय नहीं होता है या वो घर से इफरात होते हैं क्या ?आखिर नेताओं का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों होता है उनमें ऐसी खूबी क्या है अथवा देश हित में उन्होंने ऐसा किया क्या है ?की नियत पर संदेह क्यों न किया जाए !
जनता के साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले हमारे देश के प्रिय नेताओ !तुम जनता के साथ जी सकते हो तो जनता के साथ मर क्यों नहीं सकते !और यदि तुम्हारे मन में कोई कपट और धोखा देने का भाव नहीं है तो खुद सिक्योरिटी लिए क्यों फिरते हो जैसे जनता रहती है वैसे रहने में आप क्यों डरते हैं ?
अरे नेताओ ! सिक्योरिटी के बल पर नहीं अपितु अपने अच्छे कर्मों के बल पर जियो वही सत्कर्म मुसीबत में तुम्हारी भी रक्षा करेंगे! ब्यर्थ में सिक्योरिटी वाले लोगों को क्यों परेशान करना ! और यदि परेशान ही करना है तो उन्हें देश और देशवासियों की सुरक्षा में लगाओ !जब सब सुरक्षित होंगे तो आपकी भी सुरक्षा होगी ही और यदि सब मार ही दिए गए तो अकेले आप ज़िंदा रहकर भी क्या करोगे !
जब चारों ओर हाहाकार मचा होगा घायल लोग तड़प रहे होंगे चारों ओर लाशों के अम्बार लगे होंगे जन सुविधाओं का कोई बन्दोंबस्त नहीं होगा, हे नेता जी !उस समय घायलों का करुण क्रंदन क्या सहा जा पाएगा तुमसे ?इन सबके बीच क्या तुम सो पाओगे चैन की नींद ?क्या तुम्हारे गले से निगले जा पाएँगे भोजन के निवाले ?और यदि नहीं तो सिक्योरिटी का आडम्बर केवल अपने लिए क्यों ?तुम अपने को आम आदमी कहते हो और जनता के साथ जीवन जीते हो क्या जनता के साथ मर नहीं सकते !
अरे नेता बंधुओ !जिनके पास पाप का पैसा नहीं होता वे गरीब ,किसान,मजदूर अपने चरित्र और पुण्यों के बल पर जिंदा रहते हैं एकांत में अथवा कोई दुर्घटना घटने पर जब आपका साथ देने वाला वहाँ कोई आस पास नहीं होता है तब भी आपके किए हुए आपके अच्छे कर्म कवच बनकर आपको न केवल घेर लेते हैं अपितु आपकी रक्षा भी कर लेते हैं किंतु जिस दिन पुण्य आपका साथ छोड़ देंगे उस दिन सिक्योरिटी की सारी श्रेणियाँ निष्फल सिद्ध होंगी !
एक बार जो नेता सरकार में पहुँच जाता है उसके भाग्य
में पीढ़ियों तक धन्नासेठ बन कर ऐश की जिंदगी जीना लिख ही जाता है वो भी
बिना कोई व्यापार कामकाज आदि किए भी !एक बार सरकार में चले जाने वाले लोग
आम आदमी कहाँ रह जाते हैं ।
सरकारों में रहकर लोग अपना एवं अपनी संतानों की
ऐशो आराम के लिए संपत्ति जुटाने के लिए उन्होंने कम से कम इतने पाप तो कर
ही लिए होते हैं कि उनकी आत्मा उन्हें मरने से हमेंशा डराया करती है कि
बिना सिक्योरिटी मत रहना अन्यथा तुम्हारे पाप तुम्हें अकेला पाकर अपनी चपेट
में ले लेंगे !इसीलिए कई नेता सरकारों में पहुँचने से पहले अपनी
सिक्योरिटी की परवाह नहीं करते थे और घूमते थे अकेले बिलकुल आम लोगों की
तरह किंतु सरकार में पहुँचने के बाद ये बात उन्हें भी समझ में आ गई कि
सिक्योरिटी की जरूरत पड़ती क्यों है !बंधुओ !पाप का पैसा हमेंशा भय पैदा
करता है !
देखो किसानों मजदूरों को खेतों में काम करने जाते
हैं बरसते पानी की अँधेरी रातों में बड़ी बड़ी घासों पर साँप बिच्छुओं का भय
किए बिना अपने पुण्यों के भरोसे चले जाते हैं अन्यथा कभी कोई बिषैला जीव
जंतु काट भी सकता है कोई हिंसक जानवर हमला कर सकता है कोई शत्रु हमला कर
सकता है किंतु वो अपने पुण्य बल के भरोसे घर छोड़कर निकल पड़ता है अँधेरी
रातों में और करने लगता है खेतों में काम किंतु पापी लोग बड़ी बड़ी साफ सुथरी
जगहों पर बड़ी बड़ी कोठियों में रहने के बाद भी दिन रात सिक्योरिटी
सिक्योरिटी चिल्लाते रहते हैं !अंधेर तो देखो - जो बाबा जी लोग हिंसक और बिषैले जीव जंतुओं से भरे बियाबान जंगलों में रहने के लिए
ही जाने जाते थे किंतु पाप से आज वे भी अछूते नहीं रहे वो भी आश्रम नाम की
बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में रहते हुए भी माँगते हैं सिक्योरिटी !आश्चर्य !!
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