' मन की बात ' से घबड़ाए नेता भागे चुनाव आयोग की शरण !
मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को यदि आकाशवाणी और दूर दर्शन पर दिखाए जाने से इसलिए भय है कि ये सरकारी संसाधन हैं जबकि 'मन की बात' कार्य क्रम में उठी बातें सारे देशवासियों के हित की हो सकती हैं उनके लिए चलाए गए हितकारी कार्यक्रमों की हो सकती हैं कुछ प्रेरणा हो सकती हैं कुछ विचारों का आदान प्रदान हो सकता है राजनीति में सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा की बातें हो सकती हैं कुछ भ्रष्टाचार का विरोध हो सकता है कुछ राजनैतिक शुचिता की बातें हो सकती हैं कुछ घपले घोटाले जैसी भ्रष्टाचार विरोधी जीवन मूल्यों की बातें हो सकती हैं ! इन बातों में जिसने राजनैतिक दगा बाजी की होगी या जिसने भ्रष्टाचार किया होगा या जिसके लोग भ्रष्टाचार में जेल जा चुके होंगे उन्हें तो ये कार्यक्रम राजनीति से प्रेरित ही लगेगा किन्तु क्या ये गलत है !प्रधान मंत्री होने के नाते देश वासियों को राजनैतिक शुचिता के लिए प्रेरित करना गलत होगा क्या ?विकास की बातें करना गलत होगा क्या ? वो भी ये कार्यक्रम अभी तुरंत तो चलाया नहीं गया ये तो पहले से चला आ रहा है !
यदि 'मन की बात' कार्यक्रम को आकाशवाणी और दूर दर्शन पर दिखाए जाने से इसलिए भय है कि ये सरकारी संसाधन हैं इसलिए इससे अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का प्रचार होने का भय है यदि इस कारण विरोध हो रहा है तो सार्वजनिक सम्पत्तियों वस्तुओं योजनाओं सड़कों नगरों मोहल्लों का नाम करण केवल एक खानदान के लोगों के नाम पर ही क्यों किया जाता रहा है आखिर वो लोग भी तो केवल एक पार्टी से ही जुड़े रहे अतः उनके नाम और चित्र आदि के प्रचार प्रसार से अप्रत्यक्ष रूप से उस पार्टी का प्रचार प्रसार होता रहा है किंतु ऐसी पार्टियों ने तब ऐसे हथकंडों का विरोध क्यों नहीं किया था ! राजघाट देखकर किसकी याद आती है क्या राजघाट की जगह सरकारी सम्पत्ति नहीं है ?ये टिकटें ही देख लीजिए ---,
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