Wednesday, 30 September 2015

अकर्मण्य नेता सवर्णों की निंदा करके जीत रहे हैं चुनाव !

 सवर्णों की निंदा करके चुनाव जीतने की परंपरा अब बंद होनी चाहिए !

कामचोर अकर्मण्य नेता अपनी नीति और नियति की चर्चा क्यों नहीं करते अपने कार्यक्रम क्यों नहीं बताते अपने जन सेवा सम्बन्धी  कार्य क्यों नहीं बतलाते हैं ! केवल एक झूठ बोलकर कब तक जीतते रहेंगे चुनाव !यदि एक झूठ बोलना आ गया तो राजनीति में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता !केवल इतना बोलना होता है कि सवर्णों ने इस देश के दलितों का शोषण शदियों तक किया है  हमें उनके अधिकारों की लड़ाई लड़नी है इस झूठ का कोई प्रमाण भी नहीं पूछता कि आपने देखा था क्या सवर्णों को शोषण करते !किंतु बेशर्मी है इतना बड़ा झूठ बोलकर दशकों से जीते जा रहे हैं चुनाव !दलितों के नाम पर अपने घर भर रहे हैं नेता !इस एक झूठ के बल पर आप भी राजनीति में पा सकते हैं मन मुताबिक स्थान !और आपका धंधा बिना कुछ किए धरे बहुत अच्छा चल निकलेगा !see more... http://sahjchintan.blogspot.in/2015/09/blog-post_29.html

 

बिहार में पप्पू यादव बनाएंगे नई पार्टी... नाम होगा- जन क्रांति अधि‍कार मोर्चा...- आज तक 
   पप्पू जी ! ऐसे समाज सुधार हेतु किए गए कार्यों के लिए आपको अग्रिम बधाई ! किंतु आप भी अपनी पार्टी के घोषणापत्र  में इस बात को जरूर सम्मिलित कर लेना कि "सवर्णों ने इस देश के दलितों का शोषण शदियों तक किया है अब हमें उनके अधिकार दिलाने हैं " ऐसा बार बार बोलने से सवर्णों का कोई नुक्सान नहीं होगा आपकी पार्टी चल निकलेगी !का किया का कामों के लिए अवित्र

 

 सवर्णों की आलोचना करके न कुछ लोग नेता हो गए !

मांझी ने लालू को दिया अपनी पार्टी में आने का ऑफर -एक खबर  

जातिवाद  की राजनीति करके अपने बेटा बेटियों के लिए  नेम फेम जुटाने का सुनहरा अवसर  !     

  न माँझी कुछ कर पाए न लालू किंतु जातिवाद को गालियाँ दे देकर जातिवाद के सहारे लोग कहाँ के कहाँ पहुँच गए !

Tuesday, 29 September 2015

जातियों के नाम पर दंगा भड़काने वालों की नोच ली जाएगी चोंच ! चुनाव जीतने के लिए ऐसी हरकतें ठीक नहीं हैं !

 अब युवाओं को आत्मदाह के लिए मजबूर नहीं होने दिया जाएगा ! 
 जातियों के नाम पर दंगा कराने की फिराक में हैं कुछ कामचोर मक्कार नेता लोग !
    हे राजद अध्यक्ष लालू जी !दलितों , पिछड़ों ,गरीबों को नोचा तुम जैसों ने है अब समय आ गया है जब इस सच्चाई को स्वीकार कर लीजिए और माफी माँगिए देश के ग़रीबों दलितों और पिछड़ों से  !
     लालू जी ! सवर्णों ने  कभी किसी का शोषण नहीं किया है उन्हें अपनी ईमानदारी पूर्वक होने वाली कमाई पर गर्व है सवर्ण गरीबत सहित सारी दुर्दशा झेल रहे हैं तुम जैसे झूठे नेताओं के आधारहीन आरोप सह रहे हैं !किंतु न कभी आरक्षण माँगते हैं और न ही तुम जैसे झूठों के आरोपों का जवाब देना ही उचित मानते हैं !
 अब हम बताते हैं कि कौन खा रहा है दलितों पिछड़ों और ग़रीबों के हक़ ! 
    हे लालू जी !अब आपसे ही शुरू करते हैं आप ही बताइए कि आप जब राजनीति में आए थे तब कितने पैसे थे तुम्हारे पास ! आज कितनी अकूत संपत्ति है तुम्हारे पास !कहाँ से आई यह ?क्या धंधा व्यापार है तुम्हारा ?कब करते हो काम ?कहाँ से आता है तुम्हारे पास धन ? क्या हैं तुम्हारी आय के स्रोत !रोज जहाजों पर घर भर चढ़े घूम रहे हो ये तुम्हारे खून पसीने की कमाई है क्या ? श्रीमान लालू साहब जी ! ये उन्हीं दलितों पिछड़ों और ग़रीबों के हक़ का धन है जो भ्रष्टाचार के माध्यम से तुम जैसों ने अपने एवं अपने घर वालों की ओर डाइवर्ट कर लिया लिया है !फिर भी दलितों पिछड़ों और ग़रीबों के हक़ लूटकर ऐश करने वाले तुम जैसे लोग कितनी बेशर्मी से सवर्णों को दोषी ठहरा देते हैं !तुम्हें धिक्कार है !!
   आज जिनका पूरा घर ऐसे ही दूसरों के हकों को लूटकर  मौज मार रहा हो ऐसे पापी लोग किस मुख से कटघरे में खड़ा कर सकते हैं सवर्णों को ! आज सभी देश वासियों की तरह ही  सवर्ण भी भुखमरी के शिकार हैं प्राकृतिक आपदाएँ या बाजारों की महँगाई सवर्णों पर दया कर देती है क्या ?रोजी रोटी की तलाश में सारी  दुनियाँ में आज मारे मारे फिर रहे हैं सवर्ण भी !फिर भी पेट पालना मुश्किल हो रहा है ,सवर्णों से पूछो क्या गुजर रही है उनपर !फिर भी तुम जैसे घटिया लोग आदत से मजबूर हैं समाज में जातिवादी आग लगाने के लिए तैयार घूम रहे हैं । 
     आज सवर्णों  पर आरोप लगाने वालों को शर्म नहीं लगती है कि इन नादानों को पता नहीं है कि ये  रहे हैं ! ये कहते हैं कि सवर्णों  ने पहले कभी कुछ जातियों का शोषण किया था ऐसी झूठी कहानियाँ  गढ़ गढ़ कर जातीय दंगा कराना  चाह रहे हैं ये लोग !ऐसी ही घटिया सोच के चलते वीपी सरकार के समय खेला गया था खूनी खेल ! आत्मदाह कर रही थी देश की तरुणाई !इतने पर भी ये खून के प्यासे लोग ऐसे  जहरीले बयान देने से बाज नहीं आ रहे थे !
 बिहार बासियों सावधान ! 
     सत्ता के लुटेरे कुछ भूतपूर्व कैदी नेता लोग जातियों के नाम पर दंगा कराने की फिराक में हैं इनसे बचाकर रखना है सामाजिक भाईचारा! अन्यथा ये कभी भी लगा सकते हैं सामाजिक वैमनस्य की आग !
" रविवार को लालू ने ट्वीट किया - 'मंडल कमीशन बम है, आरजेडी का हर कार्यकर्ता माचिस है, बस तीली जलाने की देर है' !".-आजतक " पिछड़ों, दलितों और गरीबों का हक दिला कर ही दम लेंगे - लालू यादव"
    किंतु  हे बिहार के भूतपूर्व राजनैतिक नरेश लालू यादव जी ! इस लोकतंत्र में किसकी दम लेना चाह रहे हैं आप ! यहाँ किसी का हक़ उधार है ही नहीं जो आप दिलवाएँगे और यदि ऐसा होगा भी तो वो लोग खुद ले लेंगे जिन्हें लेना होगा !देश का संविधान और कानून प्रत्येक नागरिक की मदद करने के लिए कृत संकल्प है !  वहाँ आपका क्या काम है !
हे भूतपूर्व बिहार की मुख्यमंत्री के पति श्रीमान लालू प्रसाद जी !
    देश के दलित और पिछड़े अब तुम जैसे झूठों की कृपा के मोहताज नहीं रहे अब उनके भी बच्चे पढ़ लिख गए हैं अब तुम उन्हें वेवकूफ नहीं बना सकते !अब तो वो भी तुम जैसे वोट लोलुपों का ड्रामा समझने लगे हैं कि मुख्यमंत्री और मंत्री तो बनोगे तुम और तुम्हारे बीबी बच्चे किन्तु वोट चाहिए दलितों पिछड़ों और ग़रीबों से !इसीलिए जातीय दंगा करना चाह रहे हो तुम !अन्यथा अपनी पार्टी का अध्यक्ष बनाइए किसी दलित को और मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कीजिए किसी दलित को ! तुम्हें यदि दलितों और पिछड़ों के सम्मान की थोड़ी भी चिंता रही होती तो रावड़ी जी जैसी राजनैतिक अनुभव विहीन अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री न बना कर किसी समझदार दलित को बना सकते थे किंतु तुमने पत्नी पर तो भरोसा किया किंतु दलितों पर नहीं आखिर क्यों ?अब किस मुख से दलितों के हित  की बातें  करते हो तुम !
    हे भूतपूर्व बिहार नरेश लालू प्रसाद जी ! झुट्ठौ पिछड़ों दलितों की हमदर्दी का नाटक कर रहे हो !
    आज भारत वर्ष आजाद है देश का  संविधान सबको बराबर के अधिकार देता है और  सबको कानून पर भरोसा है तो फिर दलितों और पिछड़ों को तुम्हारी मदद की जरूरत ही क्यों पड़ेगी ?
 हे लालू जी !दलितों पिछड़ों के प्रति कितनी गन्दी सोच है तुम्हारी !
     हे स्वयंभू बिहार सम्राट लालू जी ! तुम अपने को हक दिलाने लायक इतना बड़ा पहलवान समझते हो जबकि पिछड़ों, दलितों और गरीबों को बीमार ,पागल,बेवकूफ समझते हो क्या ? आखिर उन्हें इतनी गिरी निगाह से क्यों देखते हैं आप ! 
    लालू जी ! तुम दलितों पिछड़ों को उनका हक़ दिला सकते हो किंतु वे तुम्हारी निगाह में इतने कमजोर हैं क्या कि वे स्वयं नहीं ले सकते ! आप कहना क्या चाहते हैं कि देश का संविधान भी तुम्हारी मदद के बिना दलितों ,पिछड़ों और ग़रीबों के साथ खड़ा नहीं हो सकता !जबकि  देश के गरीबों को शक्तिशाली बनाने के लिए संविधान कृत संकल्प है कानून प्रत्येक नागरिक की मदद कर रहा है फिर तुम किसी को हक़ दिलाने के नाम पर बरगला क्यों रहे हो !
    राष्ट्रवादी बंधुओ ! दलितों पिछड़ों से अभी भी झूठ बोला जा रहा है कि उनका सवर्णों ने शोषण किया था !आप स्वयं सोचिए सवर्णों की संख्या हमेंशा से इतनी कम थी कि वो बहुसंख्यक असवर्णों का शोषण कैसे कर सकते थे !और यदि करते भी तो वो सहते क्यों ?दूसरी बात सवर्णों ने यदि किसी का हक़ ही हड़पा होता तो सवर्ण भी आज लालू जी जैसे बनावटी दलित हितैषियों की तरह ही रईस होते !वो भी जहाजों पर चढ़े घूमते !
  • जातीय आरक्षण देने के पीछे सोच आखिर क्या है ?


     निर्दयी सरकारों में बैठे लोग  इस प्रकार के आधार और तर्क हीन जातीय आरक्षण का खेल आखिर कब तक खेलते रहेंगे?दुर्भाग्य की बात है कि जिस राजनीति ने सन 1989-90 में इसी तरह के जातीय आरक्षण के विरुद्ध सवर्णों को आत्म दाह करने के लिए मजबूर कर दिया हो छात्रों पर seemore....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post.html


  • जब जाति देखकर यदि गरीबत नहीं आती तो जातियों के आधार पर आरक्षण क्यों दिया जाए?
जातिगत आरक्षण  भ्रष्टाचार का दूसरा स्वरूप और सामाजिक बुराई है !जातिगत आरक्षण सामाजिक अन्याय है इसे समाप्त करने का संकल्प करो !  
      आरक्षण सामाजिक न्याय कभी नहीं हो सकता ,आरक्षण की व्यवस्था केवल उनके लिए होनी चाहिए जो काम करने लायकsee more ....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/02/blog-post_6.html
  • जातिगत आरक्षण को प्रतिबंधित कर दिया जानाचाहिए ।  जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती है तो इनके आधार पर आरक्षण या अन्य सुविधाएँ क्यों दी जाती हैं ?      योग्य लोगों को अयोग्य एवं अयोग्य लोगों को योग्य स्थान देना ही आरक्षण है। इससे काम की गुणवत्ता में कमी आना स्वाभाविक है।गधों को घोड़े बताने से तो उन्हें घोड़ा सिद्ध नहीं किया जा सकता हैsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/01/blog-post_19.html

  • आरक्षण ! जिन्हें इलाज की जरूरत है उन्हें आरक्षण क्यों ? उनका इलाज ही क्यों न कराया जाए !  जातिगत आरक्षण कितना अप्रासंगिक है !आप भी देखिए !जो लोग दशकों से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि हम देखने में स्वस्थ जरूर लग रहे हैं किंतु अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी नहीं पा सकते !और यदि पा भी गए तो प्रमोशन नहीं पा सकते !सम्मान नहीं हासिल कर सकते !see more.....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/08/blog-post_27.html

  • दलितों को किस्तों में आरक्षण देने से अच्छा है कि उन्हें सौंपी जाए देश और सभी प्रदेशों की वागडोर !      दलितों का दुःख दूर करने की पवित्र पहल !  सभी पार्टियों के नेता और सभी सरकारों के मंत्री अपने पद पदवी दलितों को सौंपे सभी अधिकारी अपने अपने विभाग के किसी महादलित को दें अपना पद !जातिवाद को मिटाने की इच्छा रखने वाले नेता लोग ईमानदारी see  more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/06/blog-post.html
  • दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए !

   दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश !   वोटबल से कमजोर सवर्णों काsee more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html

  • माँझी मुख्यमंत्री होने के बाद भी अपने को गरीब और महादलित कहते रहे इस दिमागी दरिद्रता को जातिगत आरक्षण से कैसे दूर किया जा सकता है ? 
जीतनराम माँझी अपने कार्यकाल में अपने को महादलित सिद्ध करने में सफल हुए या मुख्यमंत्री ?"माँझी एक ओर मुख्यमंत्री तो दूसरी ओर अपने को गरीब कहते रहे । उन्हें महादलितsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/02/see-more.html
  • जातियों का आधार ही है मनुस्मृति ! फिर मनुवाद का विरोध और जातिगत आरक्षण साथ साथ नहीं चल सकते ?
    महान जातिवैज्ञानिक महर्षि मनु ने हजारों लाखों वर्ष पहले जो बात कही थी उसे आज भी झुठलाया नहीं जा सका !उन्होंने तब जो कहा था वो आज भी सच हो रहा है जातियों के विषय में कितने बड़े भविष्य दृष्टा थे महर्षि मनु ! विश्वास संरक्षण कीsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2014/12/blog-post_27.html
  • आरक्षण समर्थक नेताओं के पास कहाँ से आई इतनी संपत्ति ! पहले नेताओं की संपत्तियों की जाँच हो बाद में दूसरी बात !    क्या सवर्णों में गरीब नहीं होते हैं और दलितों में रईस नहीं  होते यदि हाँ तो गरीब सवर्णों पर क्यों किया जा रहा है जातीय अत्याचार और रईस दलितों का दुलार पियार बारे लोकतंत्रsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2014/03/blog-post_15.html

  • दलितों को आश्वासन, सवर्णों को गाली, अपने घर वालों को लाभ! -दलित मुख्यमंत्री



  दलित हितों के नाम पर सवर्णों को गाली, दलितों को आश्वासन,अपनेघरवालों को लाभ! -दलित मुख्यमंत्री 
आखिर         तिलक  तराजू  औ तलवार। इनके    मारो     जूते चार।।  
     जैसे नारे भी इसी समाज में  सवर्णों के विरुद्ध लगाए जाते रहे सारी मीडिया साक्ष्य है न तब कोईsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_4696.html
  • भारतवर्ष को प्रतिभाविहीन बनाने का प्रयास !



 दलित शब्द का अर्थ क्या होता है ये जानने के लिए मैंने शब्दकोश देखा जिसमें टुकड़ा,भाग,खंड,आदि अर्थ दलित शब्द के  किए गए हैं।मूल शब्द दल से दलित शब्द बना है।मैं कह सकता हूँ कि टुकड़ा,भाग,खंड,आदि शब्दों का प्रयोग कोई किसी मनुष्य के लिएsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_9467.html

  • अथ श्री आरक्षण कथा !   गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?     चूँकि किसी भी प्रकार का आरक्षण कुछ गरीबों, असहायों को दाल रोटी की व्यवस्था करने के लिए दिया जाने वाला सहयोग है इससे जिन लोगों का हक मारा जाता है वे इस आरक्षण को भीख एवं जिन्हेंsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3184.html

  • Aarakshan par Andolan


           जातीय आरक्षण मनुवाद की ही देन है
      मनु तो एक पदवी का नाम है जो चौदह होते हैं जो अपने धर्म कर्म एवं सच्चाई के नाम से जाने जाते हैं।वे तपस्वी थे।   दूसरी ओर  माया see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_2012.html

  • आखिर क्या है माया और मनुवाद का विवाद ?
        महर्षि मनु महान तपस्वी और चरित्र वान थे

       मनु तो एक पदवी का नाम है जो चौदह होते हैं जो अपने धर्म कर्म एवं सच्चाई के नाम से जाने जातेहैं।वे तपस्वी चरित्र वान थे। 

   दूसरी ओर  माया शब्द का अर्थ शब्द कोशों में झूठ,छल,प्रपंच,धोखा,शठता,चालबाज,आदि लिखा गया हैsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/akhir-kaun-maya-ke-manu.html
  • मनुवाद या मायावाद ! मनु सत्य के प्रतीक हैं जबकि माया झूठ की ! झूठ को सत्य पर हावी कैसे हो जाने दें !!!



  महान जातिवैज्ञानिक महर्षि मनु ने ही सर्व प्रथम जातिविज्ञान का आविष्कार किया था ! भारत का संविधान महर्षि  मनु के जातिविज्ञान पर ही टिका हुआ है !आजादी से आज तकsee more.....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/manuvaad-se-maaya-vaad.html

  • पहले नेताओं के आय स्रोतों की जाँच हो तब आरक्षण की बात हो ! 
          प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र
     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_1050.html
  • प्रमोशन में आरक्षण या आरक्षण में प्रमोशन ?



          कोई इंसान गरीब हो सकता है दलित नहीं 
       जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तोsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_4299.html
  • आरक्षण के नाम पर आखिर सवर्णों से दुश्मनी क्यों? 

एक  ब्राह्मण की पीड़ा! ईश्वर ने जो कुछ भी किया है।उसे ईश्वर का उपहार समझकरsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3190.html

  • Daliton Par Rajniti Kyon ?राजनैतिक साजिश के शिकार हुए हैं



       राजनैतिक साजिश के शिकार हुए हैं see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/11/daliton-par-rajniti-kyon.html 

  • जातिगत आरक्षण सामाजिक अन्याय है इससे अशिक्षा , कामचोरी और मक्कारी को प्रोत्साहन मिलता है ! 

जातिगत आरक्षण का आधार भी तर्क संगत नहीं है इसे तुरंत रोका  जाएsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/11/blog-post_9161.html


  •  दलितों की दलाली में नेता अरबपति हो गए !कोई पूछे कि इनके आयस्रोत क्या हैं ये धंधा करते कब हैं ?   आरक्षण माँगने वालों का स्वास्थ्य परीक्षण हो कि इनमें ऐसी कमी क्या है कि ये सवर्णों की तरह कमा खा क्यों नहीं सकते ?   सवर्णों के स्वाभिमान को विश्व जनता है कि इन्होंने कभी आरक्षण नहींsee more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/05/blog-post_26.html

Monday, 21 September 2015

मां का दूध पिया है, तो आरक्षण खत्म करके दिखाओ' -लालू प्रसाद यादव

 हे लालू प्रसाद जी !यदि आपने माँ का दूध पिया है तो अपनी पार्टी का अध्यक्ष किसी दलित को बनाकर दिखाओ और यदि थोड़ी भी इंसानियत हो तो लालू जी !आप अपने गठबंधन का मुख्य मंत्री प्रत्याशी किसी दलित को क्यों नहीं बना देते !दलितों को आरक्षण का झूठा लालच देकर और अपनी पार्टी की बागडोर अपनी पत्नी बेटा बेटियों के हाथ में सौंपते हो और झूठे नारे दलितों की हमदर्दी में लगाते हो !
 जातिगत आरक्षण समाप्त करना ही पड़ेगा !जानिए क्यों और कैसे ?
  • जातीय आरक्षण देने के पीछे सोच आखिर क्या है ?



     निर्दयी सरकारों में बैठे लोग  इस प्रकार के आधार और तर्क हीन जातीय आरक्षण का खेल आखिर कब तक खेलते रहेंगे?दुर्भाग्य की बात है कि जिस राजनीति ने सन 1989-90 में इसी तरह के जातीय आरक्षण के विरुद्ध सवर्णों को आत्म दाह करने के लिए मजबूर कर दिया हो छात्रों पर seemore....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post.html


  • जब जाति देखकर यदि गरीबत नहीं आती तो जातियों के आधार पर आरक्षण क्यों दिया जाए?
जातिगत आरक्षण  भ्रष्टाचार का दूसरा स्वरूप और सामाजिक बुराई है !जातिगत आरक्षण सामाजिक अन्याय है इसे समाप्त करने का संकल्प करो !  
      आरक्षण सामाजिक न्याय कभी नहीं हो सकता ,आरक्षण की व्यवस्था केवल उनके लिए होनी चाहिए जो काम करने लायकsee more ....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/02/blog-post_6.html
  • जातिगत आरक्षण को प्रतिबंधित कर दिया जानाचाहिए ।  जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती है तो इनके आधार पर आरक्षण या अन्य सुविधाएँ क्यों दी जाती हैं ?      योग्य लोगों को अयोग्य एवं अयोग्य लोगों को योग्य स्थान देना ही आरक्षण है। इससे काम की गुणवत्ता में कमी आना स्वाभाविक है।गधों को घोड़े बताने से तो उन्हें घोड़ा सिद्ध नहीं किया जा सकता हैsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/01/blog-post_19.html

  • आरक्षण ! जिन्हें इलाज की जरूरत है उन्हें आरक्षण क्यों ? उनका इलाज ही क्यों न कराया जाए !  जातिगत आरक्षण कितना अप्रासंगिक है !आप भी देखिए !जो लोग दशकों से चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि हम देखने में स्वस्थ जरूर लग रहे हैं किंतु अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी नहीं पा सकते !और यदि पा भी गए तो प्रमोशन नहीं पा सकते !सम्मान नहीं हासिल कर सकते !see more.....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/08/blog-post_27.html

  • दलितों को किस्तों में आरक्षण देने से अच्छा है कि उन्हें सौंपी जाए देश और सभी प्रदेशों की वागडोर !      दलितों का दुःख दूर करने की पवित्र पहल !  सभी पार्टियों के नेता और सभी सरकारों के मंत्री अपने पद पदवी दलितों को सौंपे सभी अधिकारी अपने अपने विभाग के किसी महादलित को दें अपना पद !जातिवाद को मिटाने की इच्छा रखने वाले नेता लोग ईमानदारी see  more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/06/blog-post.html
  • दलितों के शोषण का सवर्णों पर झूठा आरोप मढ़ना बंद किया जाए ! साथ ही सवर्णों की जनसंख्या इतनी घटी कैसे इसकी जाँच कराई जाए !

   दलितों का शोषण कभी किसी ने किया ही नहीं है इसीलिए शोषण के नहीं मिलते हैं प्रमाण !फिर आरक्षण क्यों ?जनसंख्या बल से कमजोर सवर्णो को दलितों के शोषण का झूठा आरोप लगाकर सताया जा रहा है और रची जा रही है सवर्णों के विरुद्ध आरक्षणी साजिश !   वोटबल से कमजोर सवर्णों काsee more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/04/blog-post_14.html

  • माँझी मुख्यमंत्री होने के बाद भी अपने को गरीब और महादलित कहते रहे इस दिमागी दरिद्रता को जातिगत आरक्षण से कैसे दूर किया जा सकता है ? 
जीतनराम माँझी अपने कार्यकाल में अपने को महादलित सिद्ध करने में सफल हुए या मुख्यमंत्री ?"माँझी एक ओर मुख्यमंत्री तो दूसरी ओर अपने को गरीब कहते रहे । उन्हें महादलितsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/02/see-more.html
  • जातियों का आधार ही है मनुस्मृति ! फिर मनुवाद का विरोध और जातिगत आरक्षण साथ साथ नहीं चल सकते ?
    महान जातिवैज्ञानिक महर्षि मनु ने हजारों लाखों वर्ष पहले जो बात कही थी उसे आज भी झुठलाया नहीं जा सका !उन्होंने तब जो कहा था वो आज भी सच हो रहा है जातियों के विषय में कितने बड़े भविष्य दृष्टा थे महर्षि मनु ! विश्वास संरक्षण कीsee more....http://samayvigyan.blogspot.in/2014/12/blog-post_27.html
  • आरक्षण समर्थक नेताओं के पास कहाँ से आई इतनी संपत्ति ! पहले नेताओं की संपत्तियों की जाँच हो बाद में दूसरी बात !    क्या सवर्णों में गरीब नहीं होते हैं और दलितों में रईस नहीं  होते यदि हाँ तो गरीब सवर्णों पर क्यों किया जा रहा है जातीय अत्याचार और रईस दलितों का दुलार पियार बारे लोकतंत्रsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2014/03/blog-post_15.html

  • दलितों को आश्वासन, सवर्णों को गाली, अपने घर वालों को लाभ! -दलित मुख्यमंत्री



  दलित हितों के नाम पर सवर्णों को गाली, दलितों को आश्वासन,अपनेघरवालों को लाभ! -दलित मुख्यमंत्री 
आखिर         तिलक  तराजू  औ तलवार। इनके    मारो     जूते चार।।  
     जैसे नारे भी इसी समाज में  सवर्णों के विरुद्ध लगाए जाते रहे सारी मीडिया साक्ष्य है न तब कोईsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_4696.html
  • भारतवर्ष को प्रतिभाविहीन बनाने का प्रयास !



 दलित शब्द का अर्थ क्या होता है ये जानने के लिए मैंने शब्दकोश देखा जिसमें टुकड़ा,भाग,खंड,आदि अर्थ दलित शब्द के  किए गए हैं।मूल शब्द दल से दलित शब्द बना है।मैं कह सकता हूँ कि टुकड़ा,भाग,खंड,आदि शब्दों का प्रयोग कोई किसी मनुष्य के लिएsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2013/01/blog-post_9467.html

  • अथ श्री आरक्षण कथा !   गरीब सवर्णों को भी आरक्षण की भीख  मिलेगी ?     चूँकि किसी भी प्रकार का आरक्षण कुछ गरीबों, असहायों को दाल रोटी की व्यवस्था करने के लिए दिया जाने वाला सहयोग है इससे जिन लोगों का हक मारा जाता है वे इस आरक्षण को भीख एवं जिन्हेंsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3184.html

  • Aarakshan par Andolan


           जातीय आरक्षण मनुवाद की ही देन है
      मनु तो एक पदवी का नाम है जो चौदह होते हैं जो अपने धर्म कर्म एवं सच्चाई के नाम से जाने जाते हैं।वे तपस्वी थे।   दूसरी ओर  माया see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_2012.html

  • आखिर क्या है माया और मनुवाद का विवाद ?
        महर्षि मनु महान तपस्वी और चरित्र वान थे

       मनु तो एक पदवी का नाम है जो चौदह होते हैं जो अपने धर्म कर्म एवं सच्चाई के नाम से जाने जातेहैं।वे तपस्वी चरित्र वान थे। 

   दूसरी ओर  माया शब्द का अर्थ शब्द कोशों में झूठ,छल,प्रपंच,धोखा,शठता,चालबाज,आदि लिखा गया हैsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/akhir-kaun-maya-ke-manu.html
  • मनुवाद या मायावाद ! मनु सत्य के प्रतीक हैं जबकि माया झूठ की ! झूठ को सत्य पर हावी कैसे हो जाने दें !!!



  महान जातिवैज्ञानिक महर्षि मनु ने ही सर्व प्रथम जातिविज्ञान का आविष्कार किया था ! भारत का संविधान महर्षि  मनु के जातिविज्ञान पर ही टिका हुआ है !आजादी से आज तकsee more.....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/manuvaad-se-maaya-vaad.html

  • पहले नेताओं के आय स्रोतों की जाँच हो तब आरक्षण की बात हो ! 
          प्रतिभाओं के दमन का षड़यंत्र
     जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तो उस समय एक see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_1050.html
  • प्रमोशन में आरक्षण या आरक्षण में प्रमोशन ?



          कोई इंसान गरीब हो सकता है दलित नहीं 
       जब गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात उठी तोsee more...http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_4299.html
  • आरक्षण के नाम पर आखिर सवर्णों से दुश्मनी क्यों? 

एक  ब्राह्मण की पीड़ा! ईश्वर ने जो कुछ भी किया है।उसे ईश्वर का उपहार समझकरsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/12/blog-post_3190.html

  • Daliton Par Rajniti Kyon ?राजनैतिक साजिश के शिकार हुए हैं



       राजनैतिक साजिश के शिकार हुए हैं see more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/11/daliton-par-rajniti-kyon.html 

  • जातिगत आरक्षण सामाजिक अन्याय है इससे अशिक्षा , कामचोरी और मक्कारी को प्रोत्साहन मिलता है ! 

जातिगत आरक्षण का आधार भी तर्क संगत नहीं है इसे तुरंत रोका  जाएsee more....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/11/blog-post_9161.html


  •  दलितों की दलाली में नेता अरबपति हो गए !कोई पूछे कि इनके आयस्रोत क्या हैं ये धंधा करते कब हैं ?   आरक्षण माँगने वालों का स्वास्थ्य परीक्षण हो कि इनमें ऐसी कमी क्या है कि ये सवर्णों की तरह कमा खा क्यों नहीं सकते ?   सवर्णों के स्वाभिमान को विश्व जनता है कि इन्होंने कभी आरक्षण नहींsee more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/05/blog-post_26.html
 भाजपा के अच्छे दिन लाने का नारा झूठा !
"लालू ने भाजपा को कहा सबसे झूठा पार्टी  -एक खबर "
  किंतु लालू जी !ऐसा क्यों लगता है आपको  इसीलिए न कि आप जिस पार्टी की हाँ हुजूरी किया करते थे वो आज चालीस सीटों में सिमिट कर रह गई है तो आपको लगता होगा कि मोदी जी तो कह रहे थे कि अच्छे दिन आएँगे किंतु आप जिस पार्टी का पूजन भजन किया करते थे उसके राजकुमार और राजमाता आज बन बन भटकते घूम रहे हैं जिन्हें कभी गर्म हवा न लगी हो वो आज धूल फांकते घूम रहे हैं आप को बुरा लगना स्वाभाविक भी है कि जिस सरकार में सारे भ्रष्टाचारी भयभीत हैं तो काहे के अच्छे दिन !मोदी जी का अच्छे दिन आएँगे का नारा झूठा !





महागठबंधन को बेटा  हुआ है चलो बधाई हो !
  भाजपा के विरुद्ध लामबंध  हुए दलों ने जो  गठबंधन किया उसे महागठबंधन कहा किंतु उसी महा गठबंधन को " समाजवादी सेकुलर फ्रंट " नामक एक  बेटा हुआ है भगवान करे खूब फूले फले और महागठबंधन से भी अधिक धर्मनिरपेक्षों के वोट पावे !

Friday, 18 September 2015

डेंगू RTI

22 जून से 11 सितंबर तक पेट की खराबी से होने वाला त्रिदोषज बुखार ही तो डेंगू नहीं है - ज्योतिष एवं आयुर्वेद

        एक अनुमान के आधार पर अभी भी ये बीमारी गावों गरीबों की अपेक्षा मध्यम या संपन्न वर्गीय परिवारों को अपनी चपेट में अधिक लेती है जबकि मच्छरों से बचने के लिए मध्यम या संपन्न वर्गीय परिवारों के पास अधिक बंदोबस्त होते हैं जबकि  दूरदराज के गांवों में जहाँ आस पास हर प्रकार की गन्दगी रहती है  वहाँ मच्छरों समेत हर प्रकार के बिषैले जीव जंतु होते हैं विजली न होने से पंखे आदि की व्यवस्था भी नहीं हो  पाती है ऐसी जगहों पर डेंगू जैसे बुखारों की संभावना बहुत अधिक होनी चाहिए किंतु वहाँ कम होती है यहाँ तक कि तिहाड़ जेल में इतने कैदी हैं किंतु डेंगू का कोई केस सुनने में नहीं आता है जबकि वहाँ मच्छर अधिक हैं सुख सुविधाओं से संपन्न शहरी एवं कस्बाई जगहों पर डेंगू का प्रभाव अधिक होते देखा जाता है जबकि शहरी गरीबों एवं खुले फुटपाथ पर  सोने वाले लोगों में डेंगू कम देखा जाता है !इसलिए यदि डेंगू का सम्बन्ध मच्छरों से है तब तो ऐसी जगहों पर डेंगू बुखार अधिक फैलना चाहिए !यदि डेंगू को मच्छरों से ही जोड़कर देखा जाए तब तो पहले से ही मच्छरों के भागने के उपाय कर लेने चाहिए ताकि ये स्थिति ही पैदा न हो !ऐसा भी करके देख लिया जाए !
    आयुर्वेद के अनुशार वर्षा ऋतु से प्रारम्भ होकर यह रोग धीरे धीरे रोग बढ़ता जाता है और बढ़ते बढ़ते अगस्त से लेकर  11 सितम्बर तक इसका पूर्ण प्रकोप होता है !इसके बाद ये बीमारी धीरे धीरे स्वतः शांत होने लगती है । ऐसा होते देख सरकारें बीमारी पर कंट्रोल कर लेने का दावा ठोकने लगती हैं मच्छर मारने वाले निगम आदि अपनी पीठ थपपाने लगते हैं किंतु यदि ये बीमारी मच्छरों से होती तो गाँवों ग़रीबों में अधिक होती शहरों में भी रिक्से वाले रेड़ी वाले या अन्य मजदूर वर्ग के लोग जिनके पास कैसे भी मच्छरों से बचने का कोई साधन नहीं होता है किंतु ये इस डेंगू  बीमारी से वे उतना प्रभावित नहीं हो पाते  हैं !
  • डेंगू बुखार का वास्तविक कारण क्या है यदि  'एडीज' मच्छर के काटने से ही होता है डेंगू तो जहाँ मच्छरों का प्रकोप अधिक रहता है वहां डेंगू का प्रकोप अधिक होना चाहिए किंतु ऐसा क्यों नहीं होता है ?
  •   यदि यही निश्चित है कि डेंगू मच्छरों से ही होता है डेंगू , और मच्छरों की दवा के छिड़काव से नियंत्रित हो जाता है तो करोड़ों रूपए विज्ञापन पर खर्च करने वाली सरकारें ये छिड़काव पहले से क्यों नहीं करवाने लगती हैं ?

डेंगू खतरा 22 जून से 11 सितंबर तक ही रहता है इसके बाद धीरे धीरे शांत हो जाता है !

         
 आयुर्वेद में वर्णन मिलता है कि वर्षा ऋतु में वायु पित्त एवं कफ से युक्त होकर ज्वर उत्पन्न करता है यथा -    वर्षासु मरुतो दुष्टः पित्त श्लेष्मान्वितो ज्वरम् ।
यह त्रिदोषज या सन्निपात का बुखार होने के कारण इसमें कभी शर्दी और फिर तुरंत गरमी लगने लगती है हड्डियों जोड़ों एवं शिर में दर्द एवं आँखों में आंसू आने लगते हैं आँखें मैली ,लाल एवं बाहर निकली सी दिखने लगती हैं गले में दर्द ,बड़बड़ाना ,कष्टपूर्वक साँस आना,चक्कर, बेहोशी ,थूक में रक्तपित्त आना ,पाचन शक्ति बिलकुल नष्ट हो जाना आदि लक्षण  होते हैं । ये बुखार प्रारम्भ होने के सातवें ,दसवें एवं बारहवें दिन खूब तेज होकर शांत हो जाता है किसी किसी का चौदहवें  ,अठारहवें  और बाइसवें  दिन शांत होता है अन्यथा प्राण घातक होता है !
     स्कंध पुराण में भी भगवान श्री कृष्ण ने इस (22 जून से 11 सितंबर तक के) समय को संभवतः इसी कारण से   'यमदंष्ट्र काल' अर्थात यमराज का दाँत कहा है व्रत और  उपवास करने के लिए कहा गया है  जिससे पाचन शक्ति ठीक बनी रहे और रोग अधिक न बढ़ने पावे ! 
    चूँकि इस बुखार में सबसे पहले भोजन की रूचि घटनी शुरू हो जाती है और धीरे धीरे रोग बढ़ता जाता है और बढ़ते बढ़ते अगस्त और 11 सितम्बर तक इसका पूर्ण प्रकोप होता है !इसके बाद ये बीमारी धीरे धीरे स्वतः शांत होने लगती है । ऐसा होते देख सरकारें बीमारी पर कंट्रोल कर लेने का दावा ठोकने लगती हैं मच्छर मरने वाले निगम अपनी पीठ थपपाने लगते हैं किंतु यदि ये बीमारी मच्छरों से होती तो गाँवों ग़रीबों में अधिक होती शहरों में भी रिक्से वाले रेड़ी वाले या अन्य मजदूर वर्ग के लोग जिनके पास कैसे भी मच्छरों से बचने का कोई साधन नहीं होता है किंतु ये इस बीमारी से उतना प्रभावित नहीं हो पाते  हैं जितना अन्य लोग 

                         डेंगू  खतरा 22 जून से 11 सितंबर तक रहता है -ज्योतिष एवं आयुर्वेद 

      मेरे अनुमान के आधार पर अभी भी ये बीमारी गावों गरीबों की अपेक्षा माध्यम या संपन्न वर्गीय परिवारों को अपनी चपेट में अधिक लेती है जबकि मच्छरों से बचने के लिए उनके पास अधिक बंदोबस्त होते हैं जबकि  दूरदराज के गांवों में जहाँ आस पास हर प्रकार की गन्दगी रहती है  वहाँ मच्छरों समेत हर प्रकार के बिषैले जीव जंतु होते हैं विजली न होने से पंखे आदि की व्यवस्था भी नहीं होती है ऐसी जगहों पर डेंगू जैसे बुखारों की संभावना बहुत अधिक होनी चाहिए किंतु वहाँ कम होती है जबकि सुख सुविधाओं से संपन्न शहरी एवं कस्बाई जगहों पर डेंगू का प्रभाव होते अधिक देखा जाता है यदि डेंगू का सम्बन्ध मच्छरों से है तब तो ऐसी जगहों पर यह बुखार अधिक फैलना चाहिए !
      डेंगू बुखार का वास्तविक कारण क्या है यदि  'एडीज' मच्छर के काटने से ही होता है डेंगू तो जहाँ मच्छरों का प्रकोप अधिक रहता है वहां डेंगू का प्रकोप अधिक होना चाहिए किंतु उनका बचाव होने का कारण क्या है ?
    वर्षा ऋतु में प्रारम्भ होकर यह रोग धीरे धीरे रोग बढ़ता जाता है और बढ़ते बढ़ते अगस्त और 11 सितम्बर तक इसका पूर्ण प्रकोप होता है !इसके बाद ये बीमारी धीरे धीरे स्वतः शांत होने लगती है । ऐसा होते देख सरकारें बीमारी पर कंट्रोल कर लेने का दावा ठोकने लगती हैं मच्छर मरने वाले निगम अपनी पीठ थपपाने लगते हैं किंतु यदि ये बीमारी मच्छरों से होती तो गाँवों ग़रीबों में अधिक होती शहरों में भी रिक्से वाले रेड़ी वाले या अन्य मजदूर वर्ग के लोग जिनके पास कैसे भी मच्छरों से बचने का कोई साधन नहीं होता है किंतु ये इस बीमारी से उतना प्रभावित नहीं हो पाते  हैं 



वहां तो लोग बिना कपडे पाने घूम करते हैं यह मेडिकल साइंस का अनुमान है या उसका परीक्षण किया हुआ अपना बैज्ञानिक सच है यह ?

Thursday, 17 September 2015

vjp l

प्रधानमंत्री Narendra Modi RSS के खिलाफ नहीं जा सकते: राहुल गांधी -एक खबर 
    किंतु देश को सुशासन देने के लिए आरएसएस के खिलाफ जाना जरूरी है क्या ? फूट डालो राज करो वाली आदत कांग्रेसियों की आखिर जाती क्यों नहीं है ! मोदी जी संघ के खिलाफ न जाकर अपितु यदि संघ के साथ मिलजुल कर देश सेवा करना चाहते  हैं  या करते हैं  उनके   विचारों को भी समाहित करके चलते हैं तो निंदा नहीं अपितु प्रशंसा  होनी चाहिए ! राहुल गांधी  जी !संघ राष्ट्र के लिए समर्पित संगठन है और भाजपा के लिए आरएसएस  मातृ संस्था है इसलिए भाजपाई यदि संघ से प्रेरणा लेते हैं तो किसी और के पेट में दर्द क्यों  होता है !

‘दिल्ली में लोग मर रहे हैं और बीजेपी पीएम का जन्मदिन मनाने में व्यस्त’ - आशुतोष 
      किंतु आशुतोष जी !ये आपकी सरकार की लापरवाही से फैला है डेंगू और समय से उस पर नियंत्रण नहीं किया गया आपकी सरकार की अनुभव विहीनता ने दिल्ली को संकट में डाला है रही बात मोदी जी के जन्म दिन मनाने की तो आपको ये समझना चाहिए कि जन्मदिन आगे पीछे तो खिसकाया नहीं जा सकता वो तो उसी दिन होगा कोई मनावे या न मनावे ये उसकी मर्जी ! तो इसमें मोदी जी का क्या दोष ! दूसरी बात जन्मदिन केवल बीजेपी ही नहीं मना रही है अपितु सारा देश मना रहा है तो उन्हें रोका  कैसे जाए !आशुतोष जी !ये सब बातें आप पहले सोच समझकर बोलते नहीं है और जब अपने बड़बोलेपन में फँस जाते हैं तब टीवी चैनल पर बैठकर दहाड़ मार मार कर रोते देखे जाते हैं आखिर जन्म दिन तो टाला नहीं जा सकता है वो रैली तो टाली जा सकती थी जब उस किसान की दुखद मृत्यु हुई थी तब भी आप लोग उसे उस समय देखने तक नहीं गए थे !आप किस मुख से संवेदना की बातें कर रहे हैं । आपने तो दूसरों को चोर कहकर सत्ता हथिआई हैऔर इसमें आपका लगा क्या है ! 
                                       मोदी जी का भोग नहीं लग सकता!
          " गणपति के बाद अब PM मोदी को लगा 365 किलो ग्राम के लड्डू का भोग - जनसत्ता "
      किंतु  ये खबर नहीं अपितु खबरों के नाम पर जनसत्ता की शरारत है अन्यथा लेखक को पता होना चाहिए कि भोग तो देवी देवताओं का ही लगता है मोदी जी का नहीं लग सकता ! उसी प्रसाद को सारे लोग देव प्रसाद समझकर ही खाते हैं वैसे भी भारतीय परंपराओं के अनुशार जन्म दिन पर श्री गौरी गणेश का पूजन ,नवग्रह का पूजन एवं तिथि स्वामी के पूजन का विधान है किन्तु जो लोग ये सब नहीं कर पाते हैं या करते हैं वे सामूहिक रूप से देवताओं के लिए भोग लगाकर मीठा खाने खिलाने लगते हैं इसलिए " PM मोदी को लगा 365 किलो ग्राम के लड्डू का भोग " जैसी जनसत्ता की ख़बरों का न केवल खंडन अपितु निंदा की जानी चाहिए !


मच्छर नहीं इंसान मर रहे हैं....सरकार और निगम कर क्या रहे हैं ?-India Tv
   किंतु इसमें पूछने वाली क्या बात है दिल्ली सरकार और निगम वैसे भी क्या करते हैं और इनके लिए काम है भी क्या ?हर काम तो केंद्र सरकार पर डाल देते हैं । वैसे भी जो होता दिख रहा है वही तो कर रहे होंगे ये अन्यथा होता कैसे !यदि सफाई हो तो सफाई कर रहे हैं और गन्दगी हो तो …! मच्छर नहीं मर रहे हैं इसका मतलब मच्छर नहीं मारे जा रहे हैं इंसान मर रहे हैं चूँकि उन्हें बचाने के लिए समय से प्रभावी और पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं !
EDMC की डिस्पेंसरी में पैसे दो तो दवाई मिले अन्यथा चले जाओ चाचा नेहरू में ये कहना है यहाँ के डॉक्टरों का !
 जनता को जलील करने वाले ऐसे लोगों का जनता आखिर क्या कर ले !कहाँ से लावे इतने कैमरे और कैसे टेप करे इनकी हरकतें !फिर सुनावे किसे !फिर ऐसे लोगों के कहर से बचे कैसे !आमआदमी को तो सब कुछ सोचना पड़ता है । सरकार का निगरानी तंत्र बिलकुल फेल है और जनता की कहीं सुनी नहीं जाती ,दावे कोई कितने भी क्यों न करे !
     जनता की सेवा के लिए बने जिन सरकारी विभागों से जनता ही संतुष्ट नहीं हैं उन्हें बंद क्यों नहीं कर दिया जाता ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों की हमेंशा हमेंशा के लिए छुट्टी see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2015/09/edmc.html

                     डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी को भी कैस करने पर उतारू हैं केजरीवाल !
" सियासत छोड़ डेंगू के खि‍लाफ लड़ने में मदद करें विरोधी पार्टियां-CM केजरीवाल की अपील "
     किन्तु केजरीवाल जी आप तो ये वक्तव्य भी सियासत के लिए ही दे रहे हो ताकि जनता का ध्यान आपकी नाकामियों की ओर न जाकर अपितु विरोधी नेताओं और पार्टियों की ओर बना रहे बारी चालाकी भरी आपकी सोच !दूसरी बात जिन विरोधी नेताओं को भ्रष्ट  बेईमान लुटेरे आदि सब तरह की गालियाँ देते रहे हैं आप !उनसे  मदद की अपील करने का नाटक क्यों और वैसे भी हो सकता है कि वो आपसे अधिक मदद स्वेच्छा से ही कर रहे हों !क्योंकि आपको तो होश अब आया है वो तो पहले  से ही लगे हुए होंगे ! 




ऐसे मंत्री को लात मार कर निकालें मोदी  - ओबैसी 
  किंतु क्यों ? डॉ कलाम  का आचरण था ही इतना पवित्र कि उनके आचार व्यवहार में संकीर्णता छू भी नहीं गई थी  दूसरी बात महेश शर्मा जी की बात से ये स्पष्ट होता है कि जाति  और संप्रदाय से कोई अच्छा बुरा नहीं होता अपितु उसके गुण और दुर्गुण ही उसे अच्छा और बुरा बनाते हैं इसलिए कोई हिन्दू है या मुशलमान ये समझकर किसी से ईर्ष्या द्वेष नहीं किया जाना चाहिए और भाजपा ने ऐसा कभी किया भी नहीं यदि मुस्लिमों की राष्ट्रनिष्ठा पर संदेह ही होता तो कलाम साहब गैर राजनैतिक  व्यक्ति थे इसके बाद भी जिस युग में विधायकी जैसी सीटों के लिए मारामारी होती देखी जाती है उस युग में बिना माँगे इसी भाजपा ने कलाम साहब को सर्वोच्च पद से समलङ्कृत किया था अथवा यूँ कह लिया जाए कि श्रद्धेय अटल जी ने उन्हें अपने से ऊपर का आसन  दिया था !ऐसे संस्कारों विचारों से संपन्न किसी मंत्री के लिए लात मारने जैसी बात कहने वाला कोई भी व्यक्ति सभ्य कैसे कहा जा सकता है अगर ओबैसी को शर्मा जी की बात समझ में नहीं आई थी तो इतनी भद्दी टिप्पणी करने से पूर्व ओबैसी को दुबारा पूछ लेना चाहिए था कि आपके कहने का अभिप्राय क्या है ?