Friday, 10 July 2020

विकास दुबे की हत्या पर उठती शंकाएँ !

  विकास दुबे केस !न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी !
    अपराधियों से साँठ गाँठ रखने वाले अफसरों एवं नेताओं के विकास के साथ संबंधों के सबूत विकास के घर में खोजे जा सकते थे या फिर विकास से पूछकर पता लगाए जा सकते थे !अब ये दोनों ही मिटा दिए गए !

 विकास दुबे की हत्या होते ही अचानक कटघरे में खड़ी हो गई कानून व्यवस्था !

     विकास दुबे अपने अपराधों के लिए कल तक कटघरे में खड़ा था समाज की संबेदनाएँ पुलिस के साथ थीं किंतु आज अचानक बाजी पलट गई !समाज का प्रशासन के प्रति रवैया बदल गया !हर कोई विकास दुबे को अपराधी मानकर उसे कानून सम्मत सजा दिए जाने के पक्ष में था भले वो फाँसी ही क्यों न होती !
   
 विकास दुबे की हत्या ही करनी थी तो ... !
     विकास दुबे की हत्या के लिए गढ़ी गई कहानी पर कोई विश्वास नहीं कर पा रहा है! हर कोई एक दूसरे से पूछ रहा है कि विकास दुबे की हत्या ही करनी थी तो उज्जैन से लाया ही क्यों गया ?

      
विकास दुबे का घर गिराने के पीछे का कारण संदिग्ध सबूतमिटाना ही तो नहीं था ?
     कुछ प्रभावी राजनेताओं और  प्रशासन के कुछ भ्रष्ट प्रभावी अफसरों को विकास के साथ अपनी साँठ गाँठ के सबूत मिलने का भय तो नहीं था जिन्हें मिटाने के लिए गिराया गया था विकास दुबे का घर और ऐसे कोई राज न उगल दे इसलिए की गई विकास दुबे की हत्या | 

 प्रशासन से आदर्श आचरण की उम्मींद थी !
   विकास दुबे तो अपराधी था ही किंतु सरकार से अच्छे आचरण की उमींद थी अन्यथा कानून को कोई क्यों मानेगा !पुलिस यदि अपना बदला इस तरह ले सकती है तो समाज भी अपना बदला अपने तरह से लेने लगेगा कोई क्यों मानेगा कानून को ?
 कानून की किताबों का क्या होगा ?
      कानून की सीमाएँ लाँघकर पुलिस ने अपना बदला ले लिया तो क्या जनता को भी ऐसा ही करना चाहिए क्या !अपनी शत्रुता का बदला अपने तरीके से स्वयं लेना चाहिए ?
   विकास दुबे ने पुलिस पर हथियार उठाया तब पुलिस को बुरा लगा !
     पुलिस क्या केवल अपने विरोधियों पर कार्यवाही करती है जनता के उत्पीड़न पर नहीं ?जनता तो अपनी भी सुरक्षा की अपेक्षा पुलिस से ही करती है !आखिर जनता के उत्पीड़न पर विकास की हत्या नहीं की गई संतोष शुक्ल की हत्या को पुलिस सह गई भी और भी ऐसे बहुत अत्याचारों से जन उत्पीड़न हुआ उन्हें पुलिस सह गई किंतु अपने ऊपर हथियार उठाना पुलिस सह नहीं सकी |   
  पुलिसकर्मियोंकी दुर्भाग्यपूर्णमृत्यु के लिए जिम्मेदारकौन ?
     
विकास दुबे या पुलिस विभाग के अपने अंदर के लोगों के द्वारा की गई गद्दारी ! 
      पुलिस के अपने लोगों ने विश्वासघात न किया होता रात में दबिश देने गई पुलिस की सूचना उसे नहीं मिलती !अचानक वह पुलिस पर हमले की तैयारी कैसे कर सकता था अचानक रोड पर कैसे कड़ी कर दी जाती जीवीसी मशीन !विकास दुबे की दबंगई के कारण पुलिस वालों की दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु नहीं हुई ?विकास दुबे तो अपराधी था ही इसलिये उससे  तो अच्छे आचरण की उमींद उस दिन भी नहीं की जानी चाहिए थी किंतु पुलिसविभाग की अपने अंदर की तैयारियॉँ धोखा दे गईं !


 विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस की तैयारियों पर प्रश्न पराक्रम पर प्रश्न !
       विकास दुबे को ले कानून के दरवाजे तक ले जाने जैसी इतनी बड़ी जिम्मेदारी जिनके कंधों पर डाली गई उनका चयन किस आधार पर किया गया !यदि वे अपने हथियार पकड़कर रखने  में सक्षम नहीं थे यदि वे लँगड़े अपराधी के बराबर भागने में सक्षम नहीं थे !यदि गाड़ी को चलाने वाला ड्राइवर  सुरक्षित  ले जाने में सक्षम नहीं था या गाड़ी ही  इस योग्य नहीं थी | 
    वैसे भी इतनी कमजोर असहाय व्यवस्था के प्रतिनिधियों को उस रात दबिश देने के लिए भेजा नहीं जाना चाहिए था क्योंकि अच्छे आचरण की उम्मींद अपराधियों से तो की ही नहीं जा सकती है !

                     कानून जिम्मेदारी ऐसे निभाई जाती है  क्या ?
     विकास दुबे जैसे इतने  बड़े अपराधी  को अपने आधीन कर लेने के बाद उसे सुरक्षित कानून के कटघरे में खड़ा करना जिनकी जिम्मेदारी थी वे चूक गए या फिर ये पटकथा ही विश्वसनीय नहीं है !       
                     विकास दुबे ने हथियार छीन लिए ! 
      इतने बड़े अपराधी को लाने के लिए इतने सतर्क मजबूत और जिम्मेदार लोगों को लगाया जाना चाहिए जिनके हाथ कम से कम इतने मजबूत तो होते कि अपराधी के छीनने पर अपने हथियार तो सुरक्षित पकड़ कर रख पाते ! 

                   हथियार छीन कर भागने लगा विकास दुबे !

     विकास दुबे पैरों में दिक्कत होने के कारण लँगड़ाकर चलता है इसलिए दौड़कर भागना उसके लिए संभव न था फिर भी यदि किसी तरह भगा भी हो तो भी उसकी गति इतनी तीव्र नहीं हो सकती कि स्वस्थ पैरों वाले व्यक्ति को  दौड़कर पछाड़ सके !

    विकास दुबे : इतने कमजोर थे जिम्मेदारी सँभाल रहे लोह !
       "गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे पुलिसवालों का हथियार छीनकर भाग निकला. उसे सरेंडर करने का मौका दिया गया था, लेकिन विकास दुबे ने फायरिंग शुरू कर दी. जवाबी फायरिंग में उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई है!"

                          विकासबध से क्या संदेश दिया गया ?              
     कोई अपराधी समाज को कितना भी पीड़ित करे फिर भी उसका तब तक बाल बांका नहीं होगा जब तक वो पुलिस से पंगा नहीं लेगा ? 

                       विकास दुबे की हत्या की इतनी जल्दी भी क्या थी ?
     विकास के संपर्क  में  रहे पुलिस अफसरों और  प्रभावी नेताओं को यदि अपने काले कारनामे  खुलने का भय नहीं था तो विकास दुबे की तुरंत हत्या न करके भ्रष्टाचारी अफसरों और अपराधी नेताओं के भी काले कारनामें सामने लाए जाने चाहिए थे !

विकास दुबे : न्याय प्रक्रिया पर भरोसा किया जाना चाहिए था !
     बड़े बड़े आतंकवादियों को कानूनी कटघरे में खड़ा करके उनसे पूछताछ  की जाती है उन्हें उनकी बात कहने का अवसर दिया जाता है दोषी पाए जाने पर उन्हें फाँसी की सजा सुना दी जाती है ये विकल्प विकास दुबे के प्रकरण में भी खुला था !ऐसा न किए जाने के पीछे का सच सामने लाया जाना चाहिए !

 विकास का मुख खुलने से किसको भय था उनका नाम सार्वजनिक क्यों न किया जाए ?
     आतंकियों की तरह ही कानूनी कटघरे में खड़ा करके विकास का भी मुख खुलने दिया जाता तो संभव था अपराधियों को प्रोत्साहित करने वाले कुछ बड़े बड़े सफेदपोश नेताओंअफसरों एवं अन्य अपराध सहयोगियों के नाम सामने लाए जा सकते थे और उनके विरुद्ध कार्यवाही करके अपराधी समूह पर अंकुश लगाया जा सकता था !ऐसा न करने के पीछे कोई ईमानदार कारण नहीं दिखता है !

         विकास की मौत का खेल खेलने की इतनी जल्दबाजी क्यों ?  
      विकास बध का उद्देश्य जो भी रहा हो किंतु इस कायरता से ऐसा संदेश गया है कि किसी प्रभावी व्यक्ति के विकास के साथ रहे संबंधों को उजागर न होने देने के लिए इतनी जल्दबाजी में खेला गया विकास की मौत का खेल !

    
कानून पर विश्वास बरकरार रखने के लिए दिए जाने चाहिए इन प्रश्नों के उत्तर !
  • उज्जैन में विकास ने खुद सरेंडर किया तो भौंती के पास दुर्घटना के बाद भागने की कोशिश क्यों की?
  •  उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तारी क्यों नहीं दिखाई, उसे ट्रांजिट रिमांड के लिए कोर्ट क्यों नहीं ले गई?
  •  कानपुर की सीमा में आने के बाद ही एसटीएफ के काफिले की गाड़ी क्यों और कैसे पलटी?
  •  पलटने से पहले 50-100 मीटर तक गाड़ी घिसटी पर उसके निशान सड़क पर नहीं दिखे ?
  •  तेज गति में गाड़ी पलटती है तो काफी नुकसान होता है, लेकिन इसमें सिर्फ शीशा टूटा क्यों ?
  •  भारी ट्रैफिक के बीच हाईवे पर पुलिस के अलावा किसी औऱ को यह हादसा क्यों नहीं दिखा ?
  •  विकास का एक पैर खराब था, क्या हादसे के बाद हथियार छीनकर भागने में समर्थ था ?
  •  एसटीएफ ने इतनी सावधानी भी क्यों नहीं बरती, उसके हाथ क्यों नहीं बांधे गए थे ?
  •  विकास के साथी एवं शॉर्प शूटर प्रभात वाले घटनाक्रम से पुलिस ने सबक क्यों नहीं लिया?
  •  24 घंटे में एक गाड़ी पंचर हुई और दूसरी पलट गई, आखिर किस तरह की हैं पुलिस की गाड़ियां ?
  •  एनकाउंटर के ठीक 10 मिनट पहले मीडिया को बारा टोल प्लाजा पर जबरन क्यों रोका गया ?

1 comment:

Rajiv Pathak said...

सही कहा आपने
सादर नमन