Tuesday, 21 July 2020

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 श्रीमान जी
               सादर नमस्कार 

विषय : महामारियों से निपटने के लिए वैज्ञानिकअनुसंधानों की प्रक्रिया पर पुनर्बिचार करने हेतु निवेदन !

    महोदय !

       मौसम और महामारियाँ दोनों ही साथ साथ चलती हैं जब जैसा मौसम होता है तब तैसे रोग फैलते हैं मौसम में  यदि अधिक बदलाव आता है तो महा रोग या महामारी जैसी घटनाएँ घटित होने लगती हैं ऐसे बड़े रोग अपने समय से शुरू होकर समय से ही समाप्त होते हैं इनमें किसी दवा वैक्सीन आदि से कोई लाभ नहीं होता है | ऐसी महामारियाँ जब स्वतः समाप्त होने लगती हैं उस समय प्रयोग की जाने वाली औषधियों को क्रेडिट दे दिया जाता है जबकि महामारियों की दवा बन ही नहीं सकती है इनका केवल पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ये शुरू कब होगी और समाप्त कब होगी | महामारियों का पूर्वानुमान लगाने से पहले मौसम संबंधी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की व्यवस्था कारण होगी | क्योंकि महामारी के समय में बार बार भूकंप आ रहे हैं आँधी तूफान आ रहे हैं मई जून तक अधिक वर्षा होते देखी गई है इन सबका कोविड-19 के संक्रमण से सीधा संबंध है इस प्रकार की आशंकाएँ और भी बहुत लोगों को हैं किंतु महामारी एवं प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई ऐसा विज्ञान नहीं खोजा  जा सका है जिसके आधार पर भूकंप,वर्षा,आँधी तूफान आदि के बिषय में पूर्वानुमान लगाया जा सके एवं इनके और महामारी के आपसी संबंध को समझा जा सके | 
    भूकंप ,तूफ़ान एवं बाढ़ जैसी घटनाओं में हरवर्ष लाखों लोग पीड़ित होते हैं उनमें से हजारों लोग मारे भी जाते हैं जिनका कारण वैज्ञानिकों के द्वारा ऐसी अधिकाँश प्राकृतिक हिंसक घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान न लगा पाना होता है |ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए विश्ववैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक कोई ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं विकसित की जा सकी है जिससे प्रकृति में घटित होने वाली घटनाओं के स्वभाव को समझा जा सके और वर्षा बाढ़ एवं आँधी तूफानों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सके |
      उपग्रहों रडारों की मदद से समुद्री आकाश में बादल और आँधी तूफ़ान दिखाई पड़ जाते हैं वे जितनी गति से जिस दिशा की ओर जा रहे होते हैं उसी हिसाब से अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये किस दिन किस देश या प्रदेश में पहुँचेगे !चूँकि आँधी तूफानों की तरह उपग्रहों रडारों की मदद से भूकंपों को नहीं देखा जा सकता है इसलिए भूकंपों के बिषय में ऐसा कोई अंदाजा लगाना भी संभव नहीं हो पाया है |
    कोविड -19 जैसी महामारी से बहुत लोग पीड़ित हुए एवं काफी लोग मारे भी गए हैं किंतु अभी तक इस महामारी में होने वाले निश्चित लक्षण नहीं खोजे जा सके हैं इसका पूर्वानुमान लगाया जा सका है कि ये महामारी कब तक रहेगी |बिना किसी दवा वैक्सीन आदि के महामारी के संक्रमण से मुक्त होने वाले रोगियों की बढ़ती संख्या देखकर बहुत लोग इसकी दवा या वैक्सीन बनाने का दावा करते देखे जा रहे हैं जो इस महामारी के संक्रमण को और अधिक बढ़ाने में मददगार सिद्ध हो सकता है |
       इस



तूफ़ान वर्षा जैसी घटनाएँ


भूकंपों समेत ऐसी सभी प्राकृतिक घटनाओं के बिषय में वैज्ञानिकअनुसंधानों के नाम पर दशकों से केवल बादलों एवं आँधीतूफानों की जासूसी मात्र करवाई जा रही है उसी को वैज्ञानिक अनुसंधानों के रूप में प्रचारित किया जा रहा है | उनके द्वारा की जाने वाली गलत भविष्यवाणियों के जलवायुपरिवर्तन को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है जबकि जलवायुपरिवर्तन की सोच ही गलत तथ्यों पर आधारित होने के कारण ही जलवायुपरिवर्तन को अभी तक वैज्ञानिक तर्कों के आधार पर प्रमाणित नहीं किया जा सका है |
   यही स्थिति कोविड 19 संक्रमण के बिषय में भी है इसके बिषय में भी कुछ समझ पाने में वैज्ञानिक अभी तक  असफल रहे हैं इसी लिए इस महामारी के बिषय में उन्होंने आज तक जो जो कुछ बोला है वह सब झूठ होता रहा है | ये उनके द्वारा की गई ऐसी कुछ कल्पनाएँ मात्र थीं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार न होने के कारण वे गलत होती चली जा रही हैं |चीन से निकला कोरोना सारे विश्व में फैलता चला गया उस पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा  सका है जो सबसे बड़ी वैज्ञानिक असफलता है |
     कोविड 19 संक्रमण से विश्व के अधिकाँश देश पीड़ित हैं करोड़ों लोग संक्रमित हो चुके हैं और लाखों लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है जबकि बिना किसी दवा या वैक्सीन के बहुत बड़ी संख्या में लोग स्वस्थ भी होते जा रहे हैं |
    महामारी का पूर्वानुमान लगाने से लेकर संक्रमित व्यक्ति के लक्षण पहचानने तक में वैज्ञानिक असफल रहे हैं |  इसकी चिकित्सा खोज पाने के बिषय में जिन वैक्सीनों के बिषय में बताया जा रहा है उनकी प्रमाणिकता अभी तक संदिग्ध है | कुलमिलाकर कोरोना के लिए अभी तक कोई दवा खोजी नहीं जा सकी है और आगे खोजी जा सकेगी इसकी भी कोई गारंटी नहीं है |
      जिस प्रकार से बिना किसी दवा या वैक्सीन के रोगी इतनी बड़ी संख्या में इस समय स्वस्थ होते देखे जा रहे हैं उसी प्रकार से बिना किसी वैक्सीन और दवा के ही एक समय ऐसा भी आएगा जब संक्रमण बढ़ाना बंद हो जाएगा और सभी संक्रमित रोगी स्वस्थ हो जाएँगे !उस समय जिस दवा या वैक्सीन आदि का प्रयोग किया जा रहा होगा उसे ही कोरोना से मुक्ति दिलाने वाली दवा या वैक्सीन के रूप में प्रमाणित मान लिया जाएगा |महामारियों के समय हर बार ऐसा ही होता है |
     इसलिए इस समय समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता इस बात की है कि ये कोरोना समाप्त आखिर कब होगा इसका पूर्वानुमान समाज को तुरंत बताया जाना बहुत आवश्यक  है जो अभी तक किए गए वैज्ञानिक अनुसंधानों से संभव नहीं है |
     इस बिषय में मैंने एक नै तकनीक विकसित की है जिसके द्वारा महामारियों और मौसम के स्वभाव को समझने में तो मदद मिलेगी ही इसके साथ ही साथ महीनों वर्षों पहले की घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकेगा |

       मौसम की तरह ही महामारी को
    
 

जिसमें विज्ञान की भूमिका दूर दूर तक दिखाई नहीं पड़ती है किए जा रहे हैं | |
   
          ऐसी परिस्थिति में उस जनता का क्या दोष है
 
सरकारें स्वास्थ्यसंबंधी अनुसंधानों पर खर्च करने के लिए जनता से टैक्स लेती हैं वही धन सरकारें जिन स्वास्थ्यसंबंधी अनुसंधानों को संचालित करने पर खर्च करती हैं


जिसके द्वारा किए


के लिए दवा या वैक्सीन बनाने

      ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि

स्वस्थ एक ओर तो कोरोना महामारी के संक्रमण फैलने से विश्व के अधिकाँश देश परेशान  हैं तो दूसरी ओर इसके बाद भी जिसके विषय में अभी तक ये नहीं बताया जा सका है ऐसी परिस्थिति में


मैंने कोरोना महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक गणितीय नई तकनीक खोजी है जिसके द्वारा महामारी के घटने बढ़ने एवं समाप्त होने के बिषय में सही सही पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | आज के पहले महामारी के विषय में जो पूर्वानुमान लगाए गए हैं वे सही घटित हुए हैं | 

 9 अगस्त 2020 से 24 सितंबर 2020 तक कोरोना संक्रमण बहुत अधिक बढ़ जाएगा !उस समय किसी वैक्सीन से कोई लाभ नहीं होगा !
   

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