चुकाकर
जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं उनके पास इतना पैसा कहाँ होता है नहीं दे पाते हैं
घूसखोरी रोकना सरकार के बश की बात नहीं है तो ऐसे विभागों में काम करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी देना ही बंद करे सरकार !यदि घूसखोरी भी चलनी है और सैलरी भी दी जानी है तो सरकारों की जरूरत क्या है लोग सुविधा शुल्क देकर अपने काम करवा ही लेंगे !
सरकार के जिन विभागों में घूस दिए बिना काम हो ही नहीं सकता हैं ऐसा सभी मानते हैं उन विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी बंद क्यों नहीं कर देती है सरकार !
अधिकारी और अपराधी एक सिक्के के दो पहलू होते हैं !
अधिकारी ईमानदार कर्तव्य परायण हो तो उसके सामने अपराधी सरेंडर कर देते हैं और यदि अधिकारी घूसखोर भ्रष्ट डरपोक होता है तो उसे अपराधियों के सामने सरेंडर कर देना पड़ता है |
काम करे तो अधिकारी और भ्रष्टाचार करे तो भ्रष्टाचारी !
भ्रष्टाचारियों को अधिकारी बनाकर सरकारें समाज पर क्यों थोपती रहती हैं !जो न काम के न काज के केवल अपराधियों के साथ अपराधी गतिविधियों से धन कमाने की सांठगांठ में लगे रहते हैं !ऐसे अपराधियों को अधिकारी मानने का मन नहीं करता जो सरकारी विभागों में अधिकारियों की कुर्सियों पर बैठकर अपराध किया करते हैं |
ईमानदार अधिकारियों की संख्या कितनी है ?
भ्रष्टाचार के बल पर सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों की कुर्सियों पर यदि अपराधी न बैठाए जाते तो अपराध मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता था !
अपराध अक्सर अपराधियों और सरकारी तंत्र की मिली भगत से होता है !
ऐसी परिस्थिति में अपराध के लिए दोनों बराबर के जिम्मेदार होते हैं फिर इनकाउंटर एक का क्यों दोनों का क्यों नहीं ?
भूमाफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है ?
सरकारी जमीनों पर अवैध कब्ज़ा करके उसे बेच लेना गुंडों की आमदनी का मुख्य साधन है !इसलिए भूमाफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए बिना गुंडा तंत्र को समाप्त नहीं किया जा सकता !यदि ऐसे गुंडों से सरकारों का फायदा नहीं है तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करने में सरकारें हिचकती क्यों हैं ?
अपराधियों का इनकाउंटर करने वाला सरकारी तंत्र सबसे बड़ा अपराधी है !
वो किसी अपराधी को तभी तक जीवित रखता है जब तक वो सरकारों नेताओं और अफसरों के फायदे के लिए काम किया करता है और जिस दिन वह ऐसा करना बंद कर देता हैवही सरकारी तंत्र उसी अपराधी का इनकाउंटरकर कर देता है |विकास दुबे के अलावा भी तो उत्तर प्रदेश में और भी अपराधी होंगे उन पर उसी तरह की कठोर कार्यवाही क्यों नहीं करती है सरकार !
विकास दुबे का इनकाउंटर अपराधियों के विरुद्ध पुलिस का आक्रोश था क्या ?
ऐसा करने के पीछे अपराधियों के विरुद्ध यदि पुलिस का आक्रोश होता तो कानून के कटघरे में खड़ा करके भी विकास दुबे को उसके कुकृत्यों की सजा दिलाई जा सकती थी किंतु विकास दुबे को कानून के कटघरे में खड़ा करके पुलिस प्रशासन के उन लोगों को सकुशल नहीं बचाया जा सकता था जो पिछले बीस वर्षों से विकास की मदद करने के लिए न्याय व्यवस्था को कलंकित करते रहे थे | इस मजबूरी के कारण विकास दुबे का इनकाउंटर करना सरकारी मजबूरी हो गई थी !इसलिए विकास दुबे का बध करके अपने को भय मुक्त कर लिया गया | नीति भी कहती है "आत्मानं सततं रक्षेद " !
कहीं विकास दुबे ने ही तो नहीं पलटा दी थी पुलिस की कार ?
विकास दुबे ने पहले से ही पुलिस के हथियार छीनकर भागने की योजना बना रखी हो इसीलिए मौका देखकर विकास दुबे ने ही कार पलटा दी हो !बेचारे पुलिस कर्मियों को चोट लग गई हो किंतु उसी कार में बैठे विकास ने कार पलटाते समय अपने चोट न लगने दी हो और पुलिस बेचारी घायल हो गई हो !इसलिए गुस्सा में उसका इनकाउंटर कर देने के अतिरिक्त और उपाय भी क्या था !मरता क्या न करता !!
योगी सरकार इनके भरोसे उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के सपने देख रही है !
शक्तिशाली बिकास से पुलिस अपने हथियार नहीं बचा सकी !सरकार की अच्छे पाँवों वाली पुलिस विकास को भाग कर पकड़ नहीं सकी !दुर्दांत विकास से आत्मसमर्पण लिए गिड़गिड़ाती रही किंतु विकास दुबे इतना बड़ा क्रूर अपराधी था कि इन बेचारों पर उसे दया नहीं आई तब ये बेचारे क्या करते !उसे घेर कर मार डालना इनकी अपनी प्राण रक्षा के लिए आवश्यक हो गया था !
विकासदुबे को घेर कर मार डालने वालों को मिलना चाहिए बहादुरी पुरस्कार !
कार पलटी तो विकास दुबे को भी चोट लगी ही होगी इसके बाद भी वह लँगड़ा विकास पुलिस से हथियार छीन कर भाग खड़ा हुआ और पुलिस पर फायरिंग करने लगा !
यही न कि उत्तरप्रदेश पुलिस के इतने लोग अकेले विकास के सामने बेकार सिद्ध हुए !इन्हें अपनी जान बचाने के लाले पड़ गए तब बेचारे सरकारी बहादुरों ने विकास को पकड़ने के लिए नहीं अपितु विकास से अपनी प्राण रक्षा के लिए उस अकेले असहाय विकासदुबे को घेर कर मार डाला !इस बहादुरी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार इन्हें लड्डू खिलावे इनका प्रमोशन करे और इन्हें पुरस्कार दे !
विकास दुबे के इनकाउंटर से टूटा है पुलिस पर से समाज का विश्वास !
आज कोई भी आरोपी पुलिस पर विश्वास यहाँ तक नहीं कर पा रहा है कि उसके साथ कहीं आए जाए यहाँ तक कि कोर्ट में पेश करते समय भी !
क्या इसलिए मार डाला गया विकास दुबे ?
विकास दुबे से पीड़ित समाज तो न्यायालय से कठोर सजा मिलने से भी खुश हो सकता था किंतु यदि इनकाउंटर न होता तो सबसे बड़ा नुक्सान पुलिस प्रशासन से जुड़े उस वर्ग का हो जाता जिसने पिछले बीस वर्षों में विकास की मदद कर कर के उसे इतना बड़ा अपराधी बनाया था !आज वो उनके भी नाम कबूलता और साक्ष्य भी उपलब्ध करवाता !केस चलने में पापों की सारी परतें खुलतीं | विकास को जब तक सजा सुनाई जाती तब तक उन अधिकारियों को डर डर कर जिंदगी काटनी पड़ती !आज वो बड़े बड़े ओहदों पर बैठे होंगे !इसलिए यह इनकाउंटर समाज के लिए हितकर नहीं कहा जा सकता !
उत्तर प्रदेश पुलिसकर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की अपेक्षा है !
पुलिस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों को यदि उचित मानदंडों की कसौटी पर कसा गया होता तो विकास दुबे से निपटने के लिए परिष्कृत पुलिस पारदर्शिता पूर्वक आदर्श आचरण भी प्रस्तुत कर सकती थी !
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती में रखे जाने चाहिए मध्यप्रदेश के कुछ होमगार्ड !
सरकार जनता के खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स के पैसों से जिन्हें सैलरी देती है आखिर किस लिए !
उत्तरप्रदेश पुलिस और मध्यप्रदेश का गार्ड !
जिस दुर्दांत विकास दुबे को मध्यप्रदेश का एक होमगार्ड काबू कर लेता है वही विकास दुबे उत्तर प्रदेश पुलिस की इतनी तैयारियों पर भारी पड़ जाता है !
विकास के हथियार छीनते समय पुलिस क्या कर रही थी ?
विकास दुबे ने पहले इनके हथियार छीन लिए ! फिर एक पैर का लँगड़ा विकास दुबे भागने में सफल हो गया ! विकास दुबे पुलिस पर फायर करने लगा ! जब विकास दुबे को ही सबकुछ करना था पुलिस के बस का कुछ था ही नहीं तब पुलिस वहाँ करने ही क्या गई थी !
उत्तरप्रदेश पुलिस के पराक्रम पर प्रश्न !
मध्यप्रदेश का एक होमगार्ड जिस खुंखार अपराधी को घेर कर पकड़ने में कामयाब हो जाता है मध्य प्रदेश पुलिस विकास दुबे को सकुशल अपनी सीमा पार करवा देती है ! उसे इतनी भारी भरकम तैयारियों से गई उत्तर प्रदेश पुलिस कानून के कटघरे में खड़ा कर पाने में असफल रही !
उत्तरप्रदेश पुलिस की सतर्कता पर प्रश्न !
विकास दुबे को अपने प्रदेश में ही घेर कर पकड़ पाती तब तो उसकी क्षमता का पता लग पाता किंतु वह ऐसा नहीं कर पाई इसीलिए तो वह मध्यप्रदेश पहुँचने में सफल हो गया !
उत्तरप्रदेशपुलिस की विश्वसनीयता पर प्रश्न !
2 और 3 जुलाई की रात को पुलिस के पहुँचने की सूचना विकास दुबे को स्वयं पुलिस ने दी !पुलिस के अपने लोगों ने गद्दारी की थी जिसे जनता हमेंशा भोगती है अबकी बार पुलिस को भी अपने महकमें की गद्दारी की कीमत चुकानी पड़ गई !
Edit
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी updated his status.
उत्तरप्रदेश पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्न !
विकास दुबे को इतना बड़ा खुंखार अपराधी बनने से पहले उस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए था उसे इतना बढ़ने का अवसर पुलिस ने दिया ही क्यों कि वो पुलिस पर भारी पड़ गया !
विकास दुबे केस !न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी !
अपराधियों से साँठ गाँठ रखने वाले अफसरों एवं नेताओं के विकास के साथ संबंधों के सबूत विकास के घर में खोजे जा सकते थे या फिर विकास से पूछकर पता लगाए जा सकते थे !अब ये दोनों ही मिटा दिए गए !
विकास दुबे की हत्या पर उठती शंकाएँ !
विकास दुबे केस !न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी !
अपराधियों से साँठ गाँठ रखने वाले अफसरों एवं नेताओं के विकास के साथ संबंधों के सबूत विकास के घर में खोजे जा सकते थे या फिर विकास से पूछकर पता लगाए जा सकते थे !अब ये दोनों ही मिटा दिए गए !
विकास दुबे की हत्या पर उठती शंकाएँ !
विकास दुबे की हत्या होते ही अचानक कटघरे में खड़ी हो गई कानून व्यवस्था !
विकास दुबे अपने अपराधों के लिए कल तक कटघरे में खड़ा था समाज की संबेदनाएँ पुलिस के साथ थीं किंतु आज अचानक बाजी पलट गई !समाज का प्रशासन के प्रति रवैया बदल गया !हर कोई विकास दुबे को अपराधी मानकर उसे कानून सम्मत सजा दिए जाने के पक्ष में था भले वो फाँसी ही क्यों न होती !
योगी जी ! विकासदुबे एक व्यक्ति नहीं एक प्रवृत्ति हैं उस प्रवृत्ति को रोकने के लिए भी कुछ कीजिए !
राजनीति में भी तो आपराधी हैं उनका चरित्रचिन्तन भी तो होना चाहिए !
सपा बसपा आदि सरकारों में जाति के आधार पर कार्यवाही की जाती रही है और जातियों के आधार पर ही प्रोत्साहन मिलता रहा है इसलिए कार्यवाही सब पर हो वे खनन माफिया हों या भू माफिया या राजनैतिक माफिया !छूटे कोई न योगी सरकार से ऐसी अपेक्षा है !
योगी जी ! विकासदुबे एक व्यक्ति नहीं एक प्रवृत्ति हैं उस प्रवृत्ति को रोकने के लिए भी कुछ कीजिए !
जनता पर अत्याचार करे तब अपराधी या पुलिस से खटपट हो तब ?
अपराधी जनता का उत्पीड़न करती रहे तब तक तो ठीक किंतु जिस दिन अपराधियों की खटपट पुलिस से हो जाए उसदिन उसे अपराधी मानकर उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाए ये ठीक नहीं है जनता का उत्पीड़न भी तो अपराध है उन पर उसी समय अंकुश क्यों न लगाया जाए !विकास इतने समय तक लोगों का उत्पीड़न करता रहा तब कहाँ था पुलिस प्रशासन और इतने वर्षों विरुद्ध कोई प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं हुई ?चौबेपुर थाने की तरह ही न जाने कितने थानों की पुलिस अभी भी अपराधियों की मदद करने में लगी हो किसी को क्या पता लोग उनके अत्याचार अभी भी सह रहे होंगे जिस दिन उनकी खटपट पुलिस से होगी उस दिन उनके विरुद्ध कार्यवाही होगी !
योगी जी ! विकासदुबे एक व्यक्ति नहीं एक प्रवृत्ति हैं उस प्रवृत्ति को रोकने के लिए भी कुछ कीजिए !
अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही भी उसकी जाति देखकर न की जाए !
विकासदुबे के पिता जी ब्राह्मण हैं इसलिए विकास दुबे भी ब्राह्मण है ब्राह्मण होने के कारण विकास ने अपराध नहीं किया है अपितु अपराधी होने के कारण अपराध किया है !अपराध का उसके ब्राह्मण होने से कोई संबंध नहीं है किंतु अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करते समय भी यह याद रखा जाना चाहिए कि अपराधी सभी जातियों में हैं कार्यवाही सभी जातियों के अपराधियों पर हो !
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