विश्व का मौसम पूर्वानुमान -अगस्त :2020
भारत समेत विश्व के अधिकाँश देशों में अगस्त का संपूर्ण महीना अत्यंत अधिक वर्षा कारक होगा|कुछ देशों प्रदेशों में तो इस महीने में वर्षा की मात्रा इतनी अधिक होगी कि पिछले सौ वर्षों में संभव है इतनी अधिक बारिश न हुई हो|वर्षा के इस रौद्र रूप से भारत भी अछूता नहीं रहेगा !कुछ देशों प्रदेशों में भीषण बाढ़ का दृश्य अत्यंत अधिक डरावना हो सकता है|इससे बचाव के लिए सरकारों के द्वारा किए जाने वाले अधिकतम प्रयास भी जनधन की हानि को संपूर्ण रूप से रोक पाने में सफल नहीं होंगे !
1 अगस्त - फिलीपींस में तूफ़ान एवं अतिवर्षा तथा तेज आँधी तूफान की संभावना है |
4 अगस्त - फिजी में भीषण वर्षा एवं चक्रवात जैसी घटनाओं के घटित होने की संभावना है |
12अगस्त- अफ्रीकी प्रायद्वीप के पूर्वी भाग को चक्रवाती तूफान के कारणप्राकृतिकसमस्याओं का सामना करना पड़ सकता है |
15 अगस्त - अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में तूफान, भारी बारिश और बाढ़ से बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। इसका सबसे ज्यादा
असर टेक्सास, ओकाहोमा, शिकागो और डलास आदि राज्यों में हो सकता है |
16 अगस्त - संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में भारी बारिश हो सकती है ।
भारत समेत विश्व के अधिकाँश देशों में अगस्त का संपूर्ण महीना अत्यंत अधिक वर्षा कारक होगा|कुछ देशों प्रदेशों में तो इस महीने में वर्षा की मात्रा इतनी अधिक होगी कि पिछले सौ वर्षों में संभव है इतनी अधिक बारिश न हुई हो|वर्षा के इस रौद्र रूप से भारत भी अछूता नहीं रहेगा !कुछ देशों प्रदेशों में भीषण बाढ़ का दृश्य अत्यंत अधिक डरावना हो सकता है|इससे बचाव के लिए सरकारों के द्वारा किए जाने वाले अधिकतम प्रयास भी जनधन की हानि को संपूर्ण रूप से रोक पाने में सफल नहीं होंगे !
1 अगस्त - फिलीपींस में तूफ़ान एवं अतिवर्षा तथा तेज आँधी तूफान की संभावना है |
4 अगस्त - फिजी में भीषण वर्षा एवं चक्रवात जैसी घटनाओं के घटित होने की संभावना है |
12अगस्त- अफ्रीकी प्रायद्वीप के पूर्वी भाग को चक्रवाती तूफान के कारणप्राकृतिकसमस्याओं का सामना करना पड़ सकता है |
15 अगस्त - अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में तूफान, भारी बारिश और बाढ़ से बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। इसका सबसे ज्यादा
असर टेक्सास, ओकाहोमा, शिकागो और डलास आदि राज्यों में हो सकता है |
16 अगस्त - संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में भारी बारिश हो सकती है ।
17अगस्त -फिजी में चक्रवाती तूफान होने की संभावना है |
19 अगस्त -बलूचिस्तान में भारी बारिश हो सकती है|मास्टुंग, किला अब्दुल्ला, केच, ज़ियारत, हरनई और पिशिन जिले विशेष अधिक प्रभावित हो सकते हैं | पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश की संभावना है |
18 से 25 अगस्त- के बीच शिकागो. अमेरिका के दक्षिणी राज्य तूफान और भारी वर्षा से अधिक प्रभावित हो सकते हैं |
24 से 26अगस्त के बीच ऑस्ट्रेलिया में बड़े तूफान एवं अधिक बारिश जैसी घटनाओं की संभावना है | पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन और क्वींसलैंड में भारी तबाही हो सकती है|
28 से 30 अगस्त के बीच स्पेन में भीषण बारिश और तूफान से संकट खड़ा हो सकता है | इससे देशभर में भारी बारिश एवं स्पेन के पूर्वोत्तर इलाके में बाढ़ की स्थिति बन सकती है |
31 अगस्त - दक्षिणपूर्वी ब्राजील में मूसलाधार बारिश और तूफान की संभावना है | मिनास गैरेस राज्य के बेलो होरिजोन्टे जैसे क्षेत्र इससे विशेष अधिक प्रभावित हो सकते हैं |
विनम्र निवेदन :-
मौसम का पूर्वानुमान लगाने के नाम पर उपग्रहों रडारों से आँधी तूफानों एवं बादलों की जासूसी करने वाले लोगों को अभी तक ऐसी संभावित स्थिति के विषय में कोई जानकारी नहीं है | उनके पास ऐसी कोई वैज्ञानिक विधि भी नहीं है जिसके आधार पर वे संभावित स्थिति का अनुमान लगा सकें | इसीलिए प्रकृति के स्वभाव को न समझने वाले मौसमवैज्ञानिक ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले इनके बिषय में अनुमान नहीं लगा पाते हैं उनके अज्ञान के कारण सरकारों को आपदा प्रबंधन के संसाधन जुटाने में समय लग जाता है अन्यथा यदि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान आपदाओं के शुरू होने से पहले पता लग जाए तो सरकारें अधिक तैयारी के साथ समय से उपस्थित होकर अपने अपने देशों के जन धन की रक्षा कर सकती हैं |ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान न लगा पाने या मौसमवैज्ञानिकों के द्वारा लगाए हुए पूर्वानुमान गलत हो जाने के लिए 'जलवायुपरिवर्तन' को इसका कारण कब तक बताया जाता रहेगा !जबकि जलवायु परिवर्तन जैसा कुछ है ही नहीं जिसे सच बताकर उसके नाम का हउआ खड़ा किया जा रहा है |
इसलिए सरकारों को समय रहते ऐसे मौसम वैज्ञानिकों की खोज करनी होगी जो मौसमी घटनाओं की जासूसी से ऊपर उठकर प्रकृति विज्ञान के माध्यम से प्रकृति के स्वभाव को समझने में सक्षम हों और जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान कर सकें अन्यथा यदि प्राकृतिक आपदाओं से लेकर कोरोना जैसी महामारियों से जनता को ही जूझना है तो ऐसे वैज्ञानिक अनुसंधानों को करने कराने की आवश्यकता ही क्या रह जाएगी !
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