विकासदुबे जैसे लोगों को अपराध नहीं करने दिया जाएगा तो वो कुछ और काम करके पेट तो भर ही लेंगे किंतु अपराधियों के बिना घूसखोर अफसर एवं भ्रष्ट नेता तो भूखे मर जाएँगे वो कोई दूसरा विकास दुबे तैयार कर लेंगे |
मुख्यमंत्री योगी जी !
विकास दुबे जैसे अपराधियों के अपराधी बनने में भ्रष्ट अफसरों और नेताओं
की बड़ी भूमिका होती है !एक एक अच्छे भले इंसान को अपराधी बनाने में कई कई
अफसरों और नेताओं की बड़ी कुर्बानियाँ लगी होती हैं !इसलिएविकासदुबे जैसे लोग तो सुधरकर मेहनत मजदूरी से अपना पेट भर भी सकते हैं
किंतु उन भ्रष्ट अफसरों एवं भ्रष्ट राजनेताओं का क्या होगा जो अपराधियों के
द्वारा दी जाने वाली घूस को ही असली कमाई मानते हैं ? सरकारी जमीनों पर
कब्जा करके बेची जाने वाली जमीनों में भ्रष्टअफसरों,भ्रष्ट राजनेताओं की पूरी भूमिका होती है इनके द्वारा किसी अपराधी को तो मोहरे की तरह मात्र इस्तेमाल किया जा रहा होता है !उससे होने वाली आमदनी में हिस्से तो तीनों के बराबर ही लगते हैं !बदनाम अपराधी होता है यदि अपराधी अपराध करना छोड़ दे तो अपनी आमदनी के लिए ये दोनों नया अपराधी तैयार कर लिए जाते हैं !
सरकारी जमीनों पर कब्जे करके बेच लिए जाते हैं अपराधियों की आमदनी का यह
प्रमुख स्रोत है इससे होने वाली कमाई में अपराधियों एवं घूसखोर नेताओं और
भ्रष्ट अफसरों के बराबर के हिस्से लगते हैं और ये तीनों एक दूसरे का साथ
देते हैं आपने अवैध जमीनों पर किए गए कब्जों को खाली कराने के लिए आखिर क्या किया आपने ?
किसी अपराधी
का घर गिराकर उसका सब कुछ तहस नहस कर दिया जाएगा वो कुछ और काम करके पेट
तो भर ही लेंगे किंतु अपराधियों के बिना घूसखोर अफसर एवं भ्रष्ट नेता तो
भूखे मर जाएँगे वो कोई दूसरा विकास दुबे तैयार कर लेंगे |
कोई भ्रष्ट विधायक सांसद एक बार चुनाव जीतकर करोड़ों अरबोंपति बन जाता है
!एक भ्रष्ट अफसर नौकरी मिलते ही अरबों रूपए इकट्ठे कर लेता है ये विकास
दुबे जैसे लोगों के द्वारा ही उन्हें घूस में दिया हुआ धन होता है !क्या
ऐसे वर्तमान एवं भूतपूर्व अफसरों और जनप्रतिनिधि नेताओं की संपत्तियों की
जाँच कराई जा सकती है यदि हाँ तो ठीक अन्यथा जो हो रहा होने दो !दूसरे लोग
मुख्य मंत्री होते थे तब भी तो वही होता था फिर किस की भाजपा और किस काम की योगी मोदी की सरकार ?
सिस्टम की पोल खोलता विकास दुबे का वीडियो see more... https://www.facebook.com/ZeeNews/videos/928912700944001/?t=251
कोई भ्रष्ट विधायक सांसद एक बार चुनाव जीतकर करोड़ों अरबोंपति बन जाता है !एक भ्रष्ट अफसर नौकरी मिलते ही अरबों रूपए इकट्ठे कर लेता है ये विकास दुबे जैसे लोगों के द्वारा ही उन्हें घूस में दिया हुआ धन होता है !क्या ऐसे वर्तमान एवं भूतपूर्व अफसरों और जनप्रतिनिधि नेताओं की संपत्तियों की जाँच कराई जा सकती है यदि हाँ अन्यथा अपराधियों के विरुद्ध छेड़ा गया कोई भी अभियान दिखावा मात्र होगा !
विकासदुबे के घर की दुर्दशा एवं भविष्य में होने वाली संभावित दुर्दशा को देखकर संभव है कि डर कर भविष्य में कोई विकास दुबे न भी बनना चाहे किंतु घूसखोर अधिकारियों को घूस तो अपराधियों से ही मिलती है और नेताओं की अतिरिक्त आमदनी अपराधी और गुंडे ही करवाते हैं नेताओं का दबदबा भी बनता है |
मुख्यमंत्री जी !चोट करनी है तो अपराधी प्रवृत्ति पर कीजिए केवल व्यक्ति पर नहीं ताकि केवल दिखावा न हो अपितु वास्तव में अपराध रुकें !आपके द्वारा अपराधियों के विरुद्ध की जा रही कार्यवाहियाँ प्रशंसनीय हैं किंतु आपराधिक प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लग पा रहा है एक ख़त्म होता है दूसरे तैयार हो जाते हैं |
किसी एक अपराधी के बनने में 33 प्रतिशत उस व्यक्ति का अपना दुस्साहस होता है और 33 प्रतिशत क्षेत्रीय अधिकारियों कर्मचारियों से मदद मिलती है और 33 प्रतिशत राजनेताओं का सहयोग मिलता है तब एक अपराधी तैयार होता है |
यदि अपराधी कमाई करके लाता है तो तीनों मिल बाँट कर खाते हैं और जब अपराधी पकड़ा जाता है तो सजा केवल अपराधी भोगता है अपराधी को सजा होती है उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है किंतु राजनेता और प्रशासन के लोग बच जाते हैं वो फिर एक नया दुस्साहसी खोजकर उसे अपराध में लगा देते हैं उसकी मदद करने लगते हैं इसलिए जब तक लगाम अपराधियों से सांठ गाँठ रखने वाले नेताओं और ऐसे ही प्रशासनिक अधिकारियों पर नहीं लगाई जाती है तब तक वे फिर कोई नया विकास दुबे तैयार कर देंगे !इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों एवं राजनेताओं की अपराधियों के साथ सांठ रखने वाले लोगों पर भी शक्ति से कार्यवाही होनी चाहिए |
मुख्यमंत्री जी !आज समाज में एक ही बात सुनने को मिल रही है कि पुलिस पर हमला हो तो किसी दोषी का घर गिरा दिया जाए और जनता पर हमला हो तो कंप्लेन न लिखी जाए | इसके पहले भी तो विकास के अत्याचारों के शिकार लोग होते रहे होंगे तभी शक्त कार्यवाही हुई होती तो आज ये नौबत क्यों आती !ऐसा न होने का कारण जनता नहीं है अपितु वे सरकारी अधिकारी कर्मचारी होकर इसके लिए जिम्मेदार पुलिस आदि संबंधित सरकारी विभागों के अधिकारी कर्मचारी हैं जो ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए ही वहाँ तैनात किए गए थे इसी काम के लिए वे सरकार से सैलरी ले रहे थे !सैलरी का पैसा जिस जनता के द्वारा टैक्स रूप में दिया जाता है उसी पर अत्याचार करवा रहे थे |पिछले बीस वर्षों में जो अधिकारी कर्मचारी जिस भी विभाग में तैनात रहे हैं उनके कार्यकाल में जिन जमीनों पर अवैध कब्जे करवाकर ऐसे अपराधियों की संपत्तियाँ बढ़ाने में मदद की गई है विकास दुबे जैसे लोगों को तैयार करने में उनकी अहं भूमिका रही है |विकास दुबे के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही के लिए बनाई गई लिस्ट में पूछताछ के लिए उन अधिकारियों कर्मचारियों के नाम सम्मिलित क्यों न किए जाएँ ?
महोदय !अपराधियों को भी भूख लगती है खर्चे उनके भी होते हैं बीबी बच्चे उनके भी होते हैं पैसा उन्हें भी चाहिए होता है इसके लिए उनके पास सबसे आसान रास्ता होता है सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करके जाली कागज़ बनवाना और उन्हें बेच देना !ये जाली कागज़ उन्हीं सरकारी विभागों से वही अधिकारी कर्मचारी बनाते हैं जिन्हें सरकार जनता से प्राप्त टैक्स से सैलरी देती है !वे अधिकारी खाएँ जनता का और मदद करें अपराधियों की और सरकार सब कुछ सह जाए तो इसमें केवल विकास दुबे जैसे लोग ही दोषी क्यों कहे जाएँ !
शुरू शुरू में लगभग सभी शहरों के आसपास सरकारी जमीनें पड़ी थीं तालाब थेआवादी की जमीनें थीं चरागाह थे कानपुर का कल्यानपुर छोटा सा गाँव था उसके आस पास भी चारों ओर ऐसा ही सबकुछ था आज तो नहीं है आज वहाँ वस्तियाँ बनी खड़ी हैं वे बस्तियाँ सरकारों ने बसाई हैं क्या ?आखिर उन अवैध कब्जों को मुक्त क्यों नहीं करवाया गया ?उत्तर प्रदेश के पिछले विधान सभा चुनावों में एक सभा को संबोधित करते हुए इसी कानपुर में ऐसा करने का बचन दिया था जनता ने उस पर विश्वास किया था क्या हुआ उस बचन का आगामी चुनाव फिर आने वाले हैं | उन अवैध सम्पत्तियों के स्वामित्व के अधिकार का परीक्षण क्यों नहीं करवा गया कि उन्हें पूर्वजों से क्रमशः प्राप्त हैं या फिर उन्होंने रजिस्ट्री करवा कर खरीदी हैं | परीक्षणों में जो फेल होते उन अवैध कब्जों पर सरकारें अपना दावा ठोंक देतीं ऐसा करके विकास दुबे जैसे लोगों की कमाई पर अंकुश लगाया जा सकता था किंतु अमितशाह जी के ऐसा बचन देने के बाद भी आपने ऐसा क्यों नहीं किया ?
अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही भी उसकी जाति देखकर न की जाए !
विकासदुबे के पिता जी ब्राह्मण हैं इसलिए विकास दुबे भी ब्राह्मण है
ब्राह्मण होने के कारण विकास ने अपराध नहीं किया है अपितु अपराधी होने के
कारण अपराध किया है !अपराध का उसके ब्राह्मण होने से कोई संबंध नहीं है
किंतु अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करते समय भी यह याद रखा जाना चाहिए
कि अपराधी सभी जातियों में हैं कार्यवाही सभी जातियों के अपराधियों पर हो
!
अपराधी कौन नहीं निर्णय कैसे हो !
अपराधी जनता का उत्पीड़न करती रहे तब तक तो ठीक किंतु जिस
दिन अपराधियों की खटपट पुलिस से हो जाए उसदिन उसे अपराधी मानकर उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाए
ये ठीक
नहीं है जनता का उत्पीड़न भी तो अपराध है उन पर उसी समय अंकुश क्यों न
लगाया जाए !विकास इतने समय तक लोगों का उत्पीड़न करता रहा तब कहाँ था पुलिस
प्रशासन और इतने वर्षों विरुद्ध कोई प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं हुई
?चौबेपुर थाने की तरह ही न जाने कितने थानों की पुलिस अभी भी अपराधियों की
मदद करने में लगी हो किसी को क्या पता लोग उनके अत्याचार अभी भी सह रहे होंगे जिस दिन उनकी खटपट पुलिस से होगी उस दिन उनके विरुद्ध कार्यवाही होगी |
राजनीति में भी तो आपराधी हैं उनका चरित्रचिन्तन भी तो होना चाहिए !
सपा बसपा
आदि सरकारों में जाति के आधार पर कार्यवाही की जाती रही है और जातियों के आधार पर ही
प्रोत्साहन मिलता रहा है इसलिए कार्यवाही सब पर हो वे खनन माफिया हों या
भू माफिया या राजनैतिक माफिया !छूटे कोई न योगी सरकार से ऐसी अपेक्षा है !पुलिस अपने लिए काम करती है या जनता के लिए ?
अपराधी जनता पर अत्याचार करे तो ठीक और पुलिस से पंगा ले तो एक सप्ताह भी भारी पड़ जाता है !इसीलिए चालाक अपराधी जनता पर अत्याचार करते समय पुलिस को अपने साथ मिलाकर चलते हैं !
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