Wednesday, 25 May 2016

surbhi

      माननीय प्रधानमंत्री जी 
          श्रीमान जी  सादर प्रणाम !  
  विषय - प्राकृतिकआपदाओं संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में प्राचीन 'समयविज्ञान' द्वारा रिसर्चकार्य के लिए सहायता प्राप्ति हेतु निवेदन ! 
  महोदय,       
      अधिकाँश आपदाओं का कारण हैं भूकंप ,बाढ़ ,तूफान ,सूखा एवं आग लगने की अधिकता जैसी घटनाओं के पूर्वानुमानों संबंधी कमजोरियाँ  !वर्षा के विषय में प्राप्त पूर्वानुमान प्रायः दो चार आठ दिन पहले ही पता लग पाते हैं किंतु किस वर्षा से बाढ़ और भयंकर बाढ़ की परिस्थितियाँ पैदा हो जाएँगी इसका पूर्वानुमान लगा पाना अभी भी अत्यंत कठिन होता है । लंबे समय तक चलने वाली वर्षा के विषय में मौसम विभाग के पूर्वानुमानों की अवधि भी वर्षा के आगे बढ़ते जाने के साथ साथ बढ़ती चली जाती है धीरे धीरे उसी वर्षा से  बाढ़ और भयंकर बाढ़ की स्थिति पैदा होती चली जाती है ।ऐसे में इस बात का सटीक पूर्वानुमान यदि पहले से पता हो तो आपदा प्रबंधन संबंधी पर्याप्त तैयारियों का उपयोग और अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है अन्यथा अचानक प्राप्त परिस्थितियों के कारण बचावकार्यों में विशेष कठिनाई का सामना करना पड़ता है ।
      महोदय !इसी उद्देश्य से मैंने लगभग 20 वर्ष पहले मौसम संबंधी पूर्वानुमान को और अधिक सटीक बनाने हेतु प्राचीन 'समयविज्ञान' के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं पर रिसर्च का कार्य प्रारंभ किया था तब से हमारा यह प्रयास निरंतर जारी है इतने लम्बे समय से चले आ रहे इस शोधकार्य के अनुभवों से मुझे ऐसा लगने लगा है कि जैसे सूर्योदय होने के साथ ही सूर्यास्त होने का और सूर्यास्त  होने के साथ ही सूर्योदय होने का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ठीक उसी प्रकार से प्रकृति में बहुत सारी  घटनाएँ एक दूसरे से जुडी हुई हैं यदि उनका एक शिरा पकड़ में आ जाए तो दूसरे का अनुमान लगा पाना न केवल आसान हो जाएगा अपितु अधिक सटीक भी होगा । 
     श्रीमान जी !इसी  समयविज्ञान के द्वारा भूकंप जैसी कई प्राकृतिक घटनाओं  के घटित होने के दिन, समय और स्थान बिंदुओं पर रिसर्चकरके उसी आधार पर भविष्य में घटने वाली कई प्राकृतिक घटनाओं का  पूर्वानुमान मैंने लगाता रहा हूँ जो 90 प्रतिशत तक सही घटित होते रहे हैं । पिछले वर्ष नेपाल में आए भूकंप के बाद से मैं अपने इस प्रकार के पूर्वानुमान भूकंप आने के दिन ही ब्लॉगर पर प्रकाशित भी करने लगा हूँ जो बिना किसी संशोधन के वहाँ वैसे ही आज भी पढ़े जा सकते हैं ।महोदय ! हमारी बात में संशय लगने पर जाँच की जा सकती है । उन्हीं में से कुछ भूकंपों के आधार पर भविष्य संबंधी घटनाओं के ये हैं पूर्वानुमान -
  1.  नेपाल में 22 -4-2015 को आए तूफान के कारण 25-4-2015 को भूकंप आया था और 25-4-2015को भूकंप आने के कारण ही लगभग 10 -6 -2015 तक आफ्टर शॉक्स आने के विषय में पूर्वानुमान सही घटित हुए थे ।
  2. इसी प्रकार से 26 -10-2015 को हिंदूकुश से भारत तक आए भूकंप के कारण समुद्र के किनारे के शहरों नदियों तालाबों के किनारे की बस्तियों गाँवों शहरों में भीषण वर्षा का पूर्वानुमान लगाया गया था जो प्रदत्त समयावधि में ही मद्रास में हुई अतिवृष्टि और भीषण बाढ़ के रूप में सही साबित हुआ है ।इसी भूकंप के प्रभाव से कुछ राजनैतिक पूर्वानुमान भी सच साबित हुए हैं । 
  3. 10 -4-2016 को आए भूकंप के  प्रभाव से ही इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में आग लगने की भीषण दुर्घटनाओं एवं नदियाँ कुएँ तालाब आदि बहुत तेजी से बहुत जल्दी सूख जाने तथा भीषण गर्मी पड़ने संबंधी पूर्वानुमान सही साबित हुआ है अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष इस भूकंप के कारण ही आग लगने की इतनी अधिक घटनाएँ घटित हुईं ।ऐसी सभी घटनाओं का पूर्वानुमान 10 -4-2016 को ही ब्लॉग पर लिख दिया गया था । देखा जा सकता है । 
  4. 13 -4-2016 को आए भूकंप के  प्रभाव से ही इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों  चीन ,भारत ,बँगलादेश आदि जो जो देश ,प्रदेश या शहर  इस भूकंप से प्रभावित हुए थे  उन उन देशों प्रदेशों शहरों में भूकंप आने के  बाद भीषण वर्षा और भयंकर बाढ़ संबंधी पूर्वानुमान 13 -4-2016 को ही ब्लॉग पर प्रकाशित किया जा चुका था तब से असम अरुणाचल बिहार बाँग्लादेश चीन आदि सभी क्षेत्र भीषण वर्षा और बाढ़ से प्रभावित रहे हैं कुल मिलाकर ये सारा पूर्वानुमान सच साबित हुआ है ।
        ऐसे सभी प्रकार के भूकंपों के कारण हुए उत्पातों का असर अगले 45 दिनों तक अधिक दिखता है फिर धीरे धीरे सामान्य होता चला जाता है थोड़ा बहुत रहता तो 6 महीने तक है किंतु एक भूकंप की समय सीमा के बीच यदि कोई दूसरा उत्पात हो जाता है तो उसका असर भी दिखाई पड़ता है जैसे 13 -4-2016 के भूकंप के कारण चल रही भीषण  वर्षात 7 मई  2016 को असम और मेघालय में आए भूकंप के कारण इस  भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अचानक रुक गई थी ! सभी भूकंपों की श्रेणियाँ भिन्न भिन्न प्रकार की होती हैं और इनका फल भी एक जैसा नहीं होता है इसका पूर्वानुमान भूकंप आने की तारीख ,समय और स्थान आदि के आधार पर लगाया जाता है !     महोदय ! इस वर्ष गर्मी सूखा आग लगने की घटनाएँ अधिक क्यों ?ऐसे पूर्वानुमान लगा पाना आधुनिक विज्ञान के लिए चुनौती हैं ऐसे पूर्वानुमानों  के लिए वहाँ कोई विधा है ही नहीं !इसी प्रकार से भूकंप संबंधी पूर्वानुमान जहाँ विश्व वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बने हुए हैं अभी भी किंतु परंतु में उलझे हुए हैं ।सुना है कि अमेरिका अब उपग्रह छोड़कर आकाश में भूकंपों संबंधी पूर्वानुमान खोजेगा किंतु यदि ऐसा हो भी रहा हो तो भी  भारत का प्राचीन विज्ञान इस दिशा में सफलता की ओर निश्चित दूरी लगभग तीस प्रतिशत तय कर चुका है विश्व वैज्ञानिक धरती के अंदर खोज रहे हैं जबकि केवल 20 से 25 प्रतिशत भूकंपों के कारण ही पृथ्वी के गर्भ में हैं ऐसा प्राचीन विज्ञान का दृढ़ विश्वास है ।  ये रहस्य उद्घाटित करने का सौभाग्य संभव है की भारत भूमि को मिले !
    अतएव आपसे सानुरोध निवेदन है कि मेरे शोधकार्यों को आगे बढ़ाने के लिए मेरी मदद की जाए साथ ही हमें वे संसाधन उपलब्ध कराए जाएँ जिससे अपने शोध कार्य को मैं निरंतर आगे बढ़ा सकूँ !
        
                                           राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
                                           --------------------------आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी -------------------------------
एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
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