Friday, 20 May 2016

लोकसभा चुनावों में देश के सामने PM प्रत्याशी के रूप में एक मात्र मोदी जी ही थे ! इस सच्चाई को असम ने समझा है !

 भाजपा को छोड़कर किसी भी पार्टी के पास नहीं था कोई  PM प्रत्याशी !होता तो सामने लाया जाता ऐसी बिना पेंदी की पार्टियों को असम  ने नकार दिया है !
  दिल्ली के मामा मारीच भी तो गए थे बनारस चुनाव जीतने उन्हें बनारस से दिल्ली फेंकने में भाजपा को कोई प्रयास ही नहीं करना पड़ा किंतु भाजपा अपनी एक कमजोरी के कारण दिल्ली और बिहार से हाथ धो बैठी उसे अपनी जीत मान बैठे हैं मामा मारीच !स्वर्ण मृग का स्वरूप धारण करके फिर रहे हैं दिल्ली की जनता को भारी  भरकम स्वर्णिम सपने दिखाते और मोदी सरकार को गरियाते !
   असम की जनता ने वर्तमान समय भारतीय राजनैतिक हकीकत को समझा है कि  देश की जिन तमाम पार्टियों के पास विगत लोक सभा चुनावों में अपना  PM प्रत्याशी ही नहीं था होता तो उसे आगे न लातीं !ऐसी पार्टियों को जिताने का मतलब है देश के भविष्य को कुएँ में डालना !केवल कमाई करने के लिए राजनीति करने वाली वो पार्टियाँ PM बनाने के लिए फिर पकड़ लातीं कोई भाड़े का टट्टू और बैठा देतीं PM पद पर !
    चुनावों के समय कार्यकाल पूरा कर चुके PM साहब अपना बोरी बिस्तर बाँधने में बिजी थे दस वर्षों तक देश की जिम्मेदारी निभाने वाले PM को चुनावों के समय जनता से आँखें मिलाने लायक नहीं रखा गया था । माना कि PM श्री MM सिंह जी में जनता के सामने जाने का साहस नहीं था किंतु ऐसा कहीं होता है क्या ? 
  लाख टके का सवाल -
  नितीश कुमार ,केजरीवाल, लालू प्रसाद,मायावती मुलायम सिंह जी के साथ साथ इतने दिनों तक देश पर शासन करने वाली काँग्रेस और काँग्रेसी नेताओं के द्वारा    नरेंद्रमोदी,भाजपा और NDA सरकार को कितना भी कोसा जाए किंतु वे मोदी का विकल्प बन्ने की हैसियत में नहीं हैं ।
     मोदी जी को बदनाम करने के लिए इन्हीं विरोधियों के द्वारा तरह के तमाम हथकंडे अपनाए गए तरह तरह से दुष्प्रचार किया गया,शिक्षकों से त्यागपत्र दिलाए गए !सांप्रदायिकता का उन्माद भड़काकर सरकार को बदनाम करवाने के लिए अखलाक की दुर्भाग्य पूर्ण हत्या कराई गई !दलितों के विरुद्ध जातीय उन्माद भड़काने के लिए जिन पार्टियों नेताओं ने रोहित वेमुला को वैचारिक दृष्टि से इतना अधिक भीरु बना दिया कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा वही नेता उसके दुर्भाग्य पूर्ण निधन के बाद दिल्ली से वहाँ पहुँचे किंतु उसके परिजनों को सांत्वना देने के लिए नहीं अपितु नरेंद्रमोदी,भाजपा और NDA सरकार को बदनाम करने के लिए कि देखो रोहित की आत्म हत्या का कारण ये सरकार और इसकी नीतियाँ हैं किंतु यदि ऐसा होता तो वो अपने सुसाइड नोट में अपनी वेदना के विषय में कुछ तो लिखता किंतु उसने लिखा -
      "मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है." "ख़ुद को मारने के मेरे इस कृत्य के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. किसी  ने मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया नहीं, न तो अपने कृत्य से और न ही अपने शब्दों से. ये मेरा फ़ैसला है और मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूं. मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए." आदि आदि seemore...http://abpnews.abplive.in/india-news/full-text-of-dalit-student-rohits-suicide-letter-317716/
     उसके इतना स्पष्ट लिखने के बाद भी जिन नेताओं ने रोहित जैसे होनहार छात्र की आत्महत्या के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया उचित तो ये है कि उनके बयानों और उसके पीछे के आधार भूत प्रमाणों और सूचना के स्रोतों की जाँच होनी चाहिए थी कि उन्होंने ने इतना बड़ा आरोप लगाया किस आधार पर !और यदि गलत होता तो दण्ड विधान किया जाता !किंतु केंद्र सरकार यदि ऐसा करती तो  उन्हें दुष्प्रचार का मौका और अधिक मिलता !केंद्र सरकार इनसे उलझती तो विकास कार्य रुकते !
     यहाँ फेल होने के बाद विरोधी पार्टियों के नेताओं ने JNU के छात्रों से संपर्क साधा और देश विरोधी नारे लगवाए "भारत तेरे टुकड़े होंगे" आदि आदि !केंद्र सरकार कार्यवाही न करती तो यही राहुलगाँधी और केजरीवाल जैसे लोग मोदी जी का सीना नापने लगते और राष्ट्र का अपमान करवाने के लिए केंद्र सरकार को ललकारने लगते किंतु राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के कारण विपक्षी पार्टियों के राष्ट्र विरोधी पिट्ठुओं पर सरकार को कारवाही करनी पड़ी तो इन पिट्ठुओं के आका राहुल ,केजरीवाल, नितीशकुमार ,येचुरी जैसे वे बहुत सारे लोग सामने आ गए जिन्होंने केंद्र सरकार के विरुद्ध ये रचना रची थी !
      कुलमिलाकर इन सभी विरोधियों के द्वारा मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए सारे हथकंडे अपनाए गए इसके बाद भी केंद्र सरकार उन सबका जवाब अपने विकास कार्यों के द्वारा देती हुई आगे बढ़ती रही उसी का परिणाम है कि असम की जनता का भरोसा जीतने का सौभाग्य मिला !ये प्रशंसा की बात  है !
     अब जरूरी बात -
      इन सबके बाब्जूद केंद्र सरकार के पास एक सबसे बड़ी कमजोरी है जिसके कारण उसे दिल्ली और बिहार में पराजित होना पड़ा उत्तर प्रदेश अभी भी उसी ढर्रे पर आगे बढ़ता जा रहा है और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा अभी तक उस कमी को पूरा करने के लिए कोई प्रत्यक्ष प्रयास नहीं किए गए हैं !भाजपा के पास आज ऐसे नेताओं का नितांत अभाव है जो भाजपा में रहकर भाजपा के विकास के लिए परिश्रम पूर्ण काम करते हों जो ऐसा करते दिख भी रहे हैं वो वस्तुतः अपने लिए काम कर रहे हैं उसका आंशिक लाभ भाजपा को भी मिल रहा है यदि सम्पूर्ण लाभ मिलता होता तो दिल्ली और बिहार हाथ से न निकलते पंजाब और उत्तर प्रदेश के विषय में  विश्वास पूर्वक कुछ कहने की हैसियत में होते किंतु जब अपना कोई खास प्रयास ही नहीं है तो जनता के मत का कोई आकलन भी नहीं हो पाता है फिर तो जनता की दया पर ही टिकी है पार्टीकी जीत !जनता दया कितनी करेगी ये पार्टी को क्या पता !क्योंकि पार्टी के नेता जनता के बीच जाकर भी जनता के हृदयों तक उतरते नहीं हैं एवं जनता का अपनापन जीतने का प्रयास ही नहीं करते केवल अभिनय मात्र करते हैं !पार्टी प्रवक्ताओं के संदेशों में साधारणी करण का बिलकुल अभाव होता है उनकी चर्चाओं वक्तव्यों को सुनकर ऐसा लगता है कि जैसे किसी अज्ञातशक्ति ने इन्हें ऐसा बोलने के लिए रटाकर भेजा है या लिखकर दिया है कि जाओ पढ़कर चले आना !इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं । जबकि उनके द्वारा अपनी बात न केवल जनता को समझाना अपितु जनता को प्रभावित करने के लिए प्रर्याप्त प्रमाण और तर्क देकर विरोधियों को निरुत्तर किया जाना चाहिए किंतु वो ऐसा करने के लिए जाने वाली सीढ़ियों के काफी निचले पायदान पर ही टिके हुए हैं सरकार दो वर्ष पूरे करने जा रही है ।
    छोटी से छोटी बातों के भी प्रभावी जवाब देने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को सामने आना पड़ता है बिहार उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक स्थानी नेतृत्व वहाँ की सरकारों को उनके कामों में उलझाने में अक्षम है वहाँ की सरकारें कुछ करें या न करें किंतु भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और मोदी जी को कोसती रहती हैं जिनके जवाब न दिए जाएँ तो "मौनं स्वीकार लक्षणम् " और यदि केंद्र के द्वारा दिए जाएँ तो वो केंद्रीय नेताओं की बराबरी करने लग जाते हैं !और उलझा लेते हैं अपने साथ !यही दिल्ली में हुआ था यही बिहार में हुआ यही उत्तर प्रदेश में होने जा रहा है जबकि पार्टी के प्रांतीय नेताओं का दायित्व है कि वहाँ की सरकारों को वहाँ के काम काज में इतना उलझाकर रखें कि वे केंद्र सरकार की ओर मुख ही न उठा सकें !
    पार्टी के प्रांतीय नेताओं को चाहिए कि वे हर प्रदेश में केजरीवाल जैसे विरोधी प्रांतीय नेताओं को प्रांत में ही रोककर रखें जो अपनी सरकारों में केवल मोदी जी की आलोचना करने के बलपर ही जिंदा है इसके अलावा उनके पास कोई दूसरी जिम्मेदारी ही नहीं है अभी दिल्ली के पार्टी नेतृत्व ने जलबोर्ड के भ्रष्टाचार की जांच की चुनौती देकर केजरीवाल का मुख बंद करने का अत्यन्त उत्तम प्रयास किया है ऐसे ही बड़ी तैयारियों के साथ उतरने की जरूरत है कुछ दिन ऐसा करते रहने पर केजरीवाल जैसे लोग मोदी सरकार पर आरोप लगाना तो दूर उनका नाम लेना भी भूल जाएँगे !पार्टी चाहे तो ऐसे कार्यों के लिए वो हमें भी अवसर दे मैं भरोसे से कह सकता हूँ कि पार्टी नेतृत्व के साथ मिलकर केजरीवाल जी जैसे अकर्मण्य और बाचाल लोगों को उनके बिलों में घुसने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा !अन्यथा ये डसने लायक हों न हों समय समय पर फुँकार मारने से इन्हें कौन और कैसे रोकेगा क्योंकि आपियों ने इन्हें इतनी ही जिम्मेदारी दी है और कर भी ये इतना ही सकते हैं जो नौकरी पाकर नौकरी में न रमा हो , गृहस्थी बसाकर भी रामलीला मैदान और झुग्गियों में  समय पास करता रहा हो !ऐसा व्यक्ति सरकार बनाकर  सरकार की जिम्मेदारी निभाएगा इसकी उम्मींद करने वाले अपने साथ अन्याय कर रहे हैं !
    अपने अपने प्रांतों को अपनी जागीर समझने वाले लालू नीतीश,ममता,माया, मुलायम,केजरीवाल जैसे लोग जिनका अन्य प्रांतों में कोई नाम लेने वाला नहीं है ये चुनाव देखते ही पागल हो उठते हैं अपने अपने प्रदेशों में अपना अपना आस्तित्व बचाने के लिए सारी मर्यादाएँ भूलकर कितने भी निचले स्तर के बयान  देने लगते हैं !सपा ने तो इस काम के लिए बकायदा आजम साहब को रखा है इसके अलावा वो सपा के लिए और किस काम आते हैं अब जब उनकी ज्यादा शिकायतें मिलने लगी हैं तब उन्हें लगाम देने के लिए पार्टी ने 'अमर' उपाय खोजा है । 

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