Thursday, 23 August 2018

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     ऐसे लोगों को वैज्ञानिक माना जाना कितना उचित है जो अपने अपने क्षेत्रों में अपनी वैज्ञानिकता आजतक सिद्ध ही नहीं कर पाए !जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार उन्हें वैज्ञानिक मानती है उनकी भारी भरकम सैलरी आदि सुख सुविधाओं पर जो धन खर्च करती है उसके बदले वो देश को क्या दे पा रहे हैं !इसका भी मूल्यांकन करके सार्वजनिक किया जाना चाहिए !
      महोदय !रिसर्च के नाम पर केवल समय बिताना वैज्ञानिकता नहीं है अपितु उस रिसर्च के सकारात्मक परिणाम भी दिखने चाहिए !अनुसंधान के लिए किए जाने वाले एक हजार प्रयासों में से 999 प्रयास यदि निरर्थक भी चले जाएँ तो उनमें से एक तो सही निकलने की आशा होनी चाहिए !
     वर्षा ,आँधी -तूफान या भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के विषय में उपलब्ध करवाए जानेवाले सरकारी पूर्वानुमानों में विज्ञान के दर्शन ही नहीं होते !निश्चितता विज्ञान का स्वभाव है जो सरकारी मौसम पूर्वानुमानों में नहीं दिखती है !इसलिए ये अनुसंधान प्रक्रिया वैज्ञानिक नहीं है !


घटित होने का कारण क्या है !




यदि ऐसा भी न हो तो कैसा रिसर्च !

उसका कुछ न कुछ सफल परिणाम हो सकती कुछ न कुछ करते रहना ही नहीं




  विज्ञान के नाम पर ये सब हो रहा है !
      जनता को यदि पता लगे कि हमारे खून पसीने की गाढ़ी कमाई से सरकार जो टैक्स प्राप्त करती है वो ऐसे लोगों पर जिम्मेदारी से खर्च किया जाता है तो जनता सह नहीं पाएगी ! क्योंकि जनता में बहुत लोग अभी भी बहुत गरीबत का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं!उनकी आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सरकार के द्वारा जो धन खर्च किया जाना चाहिए वो ऐसे लोगों पर एवं उनकी परिणामशून्य निरर्थक प्रक्रियाओं पर खर्च किया जा रहा है !
     


जो अपने क्षेत्रों में आज तक कुछ कर नहीं पाए जो ये भी नहीं बता पाए कि वो अभी क्या कर रहे हैं क्यों कर रहे हैं अर्थात वैसा करने के लिए 

ये किसी को नहीं पता और भविष्य में जो कुछ करेंगे उसका उद्देश्य केवल समय पास करना नहीं है !

जिन मंत्रालयों में जिन सेवाओं के लिए नियुक्त किए विद्यार्थियों को जिस दिन पता लगेगा कि जो लोग जिन विषयों को बिल्कुल नहीं जानते हैं उन्हें भी उन विषयों का वैज्ञानिक मानलिया जाता है और सरकार उन्हें भी भारी भरकम सैलरी देती है और उनकी भी सुख सुविधाओं पर बहुत सारा धन खर्च करती है!ऐसे लोगों से विद्यार्थी क्या प्रेरणा ले रहे होंगे !
    लोकतांत्रिक सरकारों में भी जनता को ये जानने का अधिकार क्यों नहीं होना चाहिए कि हमारी सरकार किस मंत्रालय का गठन किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए करती है  और  वो मंत्रालय उस उद्देश्य की पूर्ति करने में कितना सफल हो पा रहा है
       
 
   भूकंपों का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी के अंदर गहरे गड्ढे खोदे जाना तथा मानसून का अध्ययन करने के लिए सुदूर आकाश में रडार लगाया जाना!इसके बाद भी इन विषयों में किए जाने वाले अनुसंधानों की परिणाम शून्यता चिंताजनक है !
     पीड़ा तब और अधिक बढ़ जाती है जब ये पता लगता है कि अभी तक इन अनुसंधानों से ये ही नहीं पता लगाया जा सका है कि भूकंप ,वर्षा या आँधी तूफ़ान संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए करना क्या है!

 
   अधिकवर्षा बाढ़ या सूखा हो अथवा आँधी तूफान या फिर भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अचानक घटित होने से जनधन की बहुत हानि हो जाती है !उचित तो ये है कि प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने पर ही रोक लगाने के वैज्ञानिक उपाय सोचे जाएँ ! 

      भूकंप का अध्ययन करने के लिए धरती के अंदर गहरे गड्ढे खोदे जाना फिर कुछ वर्षों का समय पास करके उस गड्ढे में मिट्टी भर दिया जाना !ऐसी परिणाम विहीन अनुसंधानिक प्रक्रियाओं का बहाना लेकर समय आखर कब तक बिताया जाएगा !


एवं उद्देश्य भ्रष्ट अनुसंधान प्रक्रिया दशकों से भटक रही है !भटकना इसलिए कि भूकंपों के घटित होने का वास्तविक कारण अभी तक अज्ञात है !



चली आ रही है  सन्धान प्रकार के 


ऐसे अनुसंधानों में बहुत सारा धन इसके बाद देना

  
      मैं भारत के प्राचीन 'समयविज्ञान' के द्वारा  प्रकृति और जीवन संबंधी अनेकों  घटनाओं पर अनुसंधान कर रहा हूँ !मेरा मानना है कि प्रकृति और जीवन दोनों ही एक साथ चलते हैं !जीवन को समझ लिया जाए तो प्रकृति को समझना आसान हो जाता है और प्रकृति समझ में आ जाए तो जीवन समझ में आ जाता है !वस्तुतः जीवन और प्रकृति दोनों समय पर ही आश्रित हैं इसीलिए तो जब जैसा समय आता जाता है तब तैसी घटनाएँ घटती चली जाती हैं !जीवन और प्रकृति में अच्छी बुरी समस्त घटनाओं का कारण समय ही है इसलिए समय की गति का अनुसंधान करके भावी प्राकृतिक शारीरिक और मानसिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !
     इसी विधा से प्रकृति एवं जीवन से संबंधित कई विषयों पर पिछले दो दशकों से मैं अनुसंधान कार्य करता चला आ रहा हूँ !इससे मिले पूर्वानुमान प्रकृति और जीवन दोनों ही क्षेत्रों में अत्यंत सटीक बैठते हैं !मौसमसंबंधी पूर्वानुमान के क्षेत्र में भी इससे प्राप्त पूर्वानुमान काफी उत्साहबर्द्धक होते हैं !इन्हें प्रधानमंत्री जी तक पहुँचाने के लिए पिछले कुछ वर्षों से मैं प्रधानमंत्री जी को कई पत्र भेज चुका हूँ किंतु कोई उत्तर नहीं आया !
    इस वर्ष मई के महीने में किसी ने मुझे मौसमविभाग के निदेशक श्रीमान के.जे.रमेश जी से मिलवाया उन्होंने मेरी बातें सुनीं और अपनी मेल ID दी जिन पर मैं प्रत्येक मास की 28 -29 तारीख को अगले महीने के वर्षा एवं आँधी संबंधी पूर्वानुमान भेज देता हूँ !इस विषय में मैं उनके संपर्क में हूँ !
     बीती 29 जुलाई को मैंने जो पूर्वानुमान भेजे थे उसमें दक्षिण भारत में बहुत अधिक वर्षा होने के बिषय में लिखा गया है जिसमें सरकारों को बार बार सावधान किया गया है एवं अधिक वर्षा के कारण कुछ दशकों का रिकार्ड टूटने की बात भी कही गई है !वही मेल मैं आपको फॉरवर्ड कर रहा हूँ कृपया इसे एक बार अवश्य देखें !

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