Sunday, 6 August 2017

अधिकारियों को सरकार सुधार ले तो अपराधी स्वयं सुधर जाएँगे !सोचना सरकार को ही है कि वो अपराध घटाना चाहती भी है या.....!

   अधिकारियों  की मदद के बिना अपराध असंभव ! अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ कि वे अपने बल पर कर लें अपराध !
  इसलिए अपराधियों की निगरानी करने बजाए सरकार भ्रष्ट अधिकारियों की निगरानी करे तब तो अपराधों पर लगाई जा सकती है लगाम अन्यथा अपराध के लिए बदनाम लोग वास्तविक अपराधी नहीं होते अपितु मजबूरियों में फँसे होते हैं बेचारे !उन्हें एक जगह फँसा कर सारे जीवन गुलाम बनाए रखते हैं आर्थिक अपराधी लोग !
    अब ये निर्णय तो सरकार को ही लेना होगा कि वो अपराधों पर अंकुश लगाना चाहती है या नहीं यदि हाँ तो सक्रिय   करे निगरानी तंत्र !अभी पता लग जाएगा कि अपराध और बलात्कार बनाए और बचाए रखने के लिए अभी तक की सरकारें अघोषित रूप से कितना योगदान देती रही हैं !
   अपराध से होने वाली कमाई यदि अपराधियों को मिलती होती तो उनके भी चेहरे भी चमकते होते उनके भी घरों में रौनक होती !वस्तुतः अपराधी तो भाड़े के टट्टू होते हैं उन्हें तो दिहाड़ी मिलती है बाकी कमाई का हिस्सा कहते हैं ये लोग !जिनसे सरकार अपराधों पर अंकुश लगाने का झूठा आश्वासन दिया करती है स्वयं देखिए -

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