'समयविज्ञान'
'साधन' और 'समय' ये दो पहिए हैं जिन पर जीवन चलता है | जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता के दो प्रमुख माध्यम हैं एक साधन और दूसरा समय !जैसे साधन अनुकूल न हों तो काम नहीं किया जा सकता है वैसे ही समय अनुकूल न हो तो सफलता नहीं पायी जा सकती है | ऐसी परिस्थिति में साधनों की अपेक्षा समय को अधिक प्रभावी मानना चाहिए क्योंकि कुछ कम साधन होने पर भी समय साथ दे दे तो एक से एक गरीब लोग भी उद्योगपति बनते देखे जाते हैं और समय साथ न दे तो बड़े बड़े समझदारों को भी धूल में मिला देता है समय !
इसी प्रकार से चिकित्सा के विषय में है गाँवों में आदिवासियों में जंगलों में जहाँ आधुनिक चिकित्सा के साधन बिल्कुल नहीं हैं वहाँ भी जिस किसी का साथ उसका अपना समय दे देता है बड़ी से बड़ी बीमारियाँ होने के बाद भी वे बिना चिकित्सा या कमजोर चिकित्सा व्यवस्था होने पर भी स्वस्थ होते देखे जाते हैं उनके बड़े बड़े घाव बिना दवा के भी भरते देखे जाते हैं ठीक हो जाते हैं दूसरी ओर समय जिनका साथ नहीं देता है वे चिकित्सा संबंधी अत्याधुनिक सुविधा युक्त चिकित्सा व्यवस्था पाकर भी मरते देखे जाते हैं !समय महत्वपूर्ण है !
एक चिकित्सक एक जैसे 100 लोगों की चिकित्सा एक जैसी पद्धति एक जैसी औषधियों से एक साथ करता है किंतु परिणाम समय के ही अनुशार मिलता है जिनका समय साथ देता है वे स्वस्थ हो जाते हैं समय कम साथ देता है तो अस्वस्थ रहते हैं और समय जिसके बिल्कुल विपरीत हो जाता है वे अच्छी से अच्छी चिकित्सा पाकर भी मरते ही हैं समय सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है !
कोई कार या बस खाई में गिर जाती है भूकंप आने पर बिल्डिंगों के मलबे में कुछ लोग दब जाते हैं बाढ़ में बह जाते हैं ट्रेनों में दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं जहाँ और जिन परिस्थितियों में जीवित बचने की कोई संभावनाएँ ही नहीं बचती हैं किंतु जिनका समय अच्छा होता है वे वहाँ से भी जीवित बचते देखे जाते हैं!
जिसका जब समय अच्छा होता है तो बहुत सारे लोग मित्र बन जाते हैं नए नए संबंध जुड़ जाते हैं बड़े बड़े पद प्रतिष्ठा आदि मिल जाते हैं ,विवाह हो जाता है तमाम संपत्तियाँ इकट्ठी हो जाती हैं उसी का जब समय विपरीत होता है तो सब कुछ उल्टा होने लगता है तलाक हो जाता है !समय सबसे अधिक बलवान होता है!
समय जैसा जैसा बदलता है हमारा स्वभाव वैसा वैसा बनता जाता है !हमारे जीवन में जब समय अच्छाआता है तो हमारा स्वभाव हर जगह से अच्छाइयों का संग्रह करके प्रसन्न हो लिया करता है यहाँ तक कि किसी के बुरे वर्ताव से भी अच्छी बातें खोज कर हमें प्रसन्नता प्रदान करने लगता है अच्छा समय हमारा मनोबल इतना बढ़ा देता है कि हम असंभव काम को भी संभव बना लेने की ठान लेते हैं और जब हमारा बिपरीत अर्थात बुरा समय आता है तो हमारा स्वभाव हर जगह से बुरे बिचारों का संग्रह करने लगता है किसी अच्छे से अच्छे व्यक्ति की बहुत अच्छी बातों से भी हम अपनी तनाव सामग्री एकत्रित कर लिया करते हैं हमें जहाँ जहाँ जैसे जैसे जिस किसी के द्वारा दुखप्रद या मनोबल तोड़ने वाले विचार मिलते हैं हमें उस समय वही सबसे अच्छे लगने लगते हैं और हम अपने आप अपने में ही अकारण दुखी हो लिया करते हैं और वो बुरा समय हमारा मनोबल इतनी बुरी तरह से तोड़ देता है कि हमें लगने लगता है कि जीवन में हम अब कुछ नहीं कर पाएँगे और हम छोटे छोटे कामों के लिए अपने को दूसरों के आधीन समझने लगते हैं |
जिस किसी का एक बार बुरा समय आ जाता है उस समय के बुरे पन का प्रवाह इतना अधिक होता है कि उसको सभी के द्वारा मिलने वाली सभी प्रकार की मदद ब्यर्थ होती चली जाती है |जीवन से संबंधित सभी प्रकार की सभी समस्याओं से बाहर निकालने वाले सभी प्रयास निरर्थक लगने लगते हैं !बुरे समय से प्रभावित रोगियों के विषय में बड़े से बड़े चिकित्सकों के अच्छे से अच्छे प्रयासों के परिणाम बिल्कुल विपरीत अर्थात उल्टे आते दिख रहे होते हैं सभी प्रकार की चिकित्सा औषधियाँ आपरेशन आदि बुरे से बुरा परिणाम देने पर आमादा दिख रहे होते हैं बड़े बड़े विद्वान चिकित्सक भीषण बाढ़ में बचाव कर्मियों की तरह परिणामों की परवाह किए बिना निरंतर प्रयासों में जी जान लगाए होते हैं फिर भी जैसे भीषण बाढ़ में बचाव कर्मियों के सारे प्रयास निष्फल हो जाते हैं उसी प्रकार से अत्यंत बुरे समय से संबंधित होने वाली बीमारियों में सभी प्रकार के चिकित्सकीय प्रयास असर हीन होते देखे जाते हैं | जैसे यदि बाढ़ सीमित हुई तो बचाव कर्मी बहुत कुछ बचा पाने में सफल भी हो जाते हैं उसी प्रकार से किसी रोगी का समय यदि अधिक बुरा न हुआ तो कई गंभीर रोगियों के जीवन को भी चिकित्सक प्रयास पूर्वक बचा पाने में सफल हो जाया करते हैं किंतु समय की अनुकूलता उन्हें भी चाहिए क्योंकि अच्छे चिकित्सकों के अच्छे प्रयासों का परिणाम भी उनके प्रयास नहीं अपितु रोगी के अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार ही मिलते हैं |
बुरे समय से पूरी तरह प्रभावित हो चुकने के बाद रोगियों पर चिकित्सा का और मनोरोगियों पर काउंसलिंग आदि उपचारों का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है फिर भी भूकंप आने के बाद किए जाने वाले बचाव कार्यों की तरह जितना जो कुछ बचा पाने में सफल हो पाते हैं उतना ही बहुत होता है |
किसीके ऊपर बुरे समय का प्रभाव प्रारम्भ हो चुकने के बाद उसके मित्रों ,शुभ चिंतकों ,परिवार के सभी सगे संबंधियों , नाते रिस्तेदारों आदि के द्वारा पहुँचाई गई बड़ी से बड़ी मदद उसी प्रकार से बेकार जाती दिखती है जैसे किसी नदी में भीषण बाढ़ आ जाने के बाद बनाए जाने वाले बड़े बड़े बाँध पुल आदि सब बहते चले जाते हैं !
बिपरीत समय से जूझ रहे लोगों के जीवन से जुड़े बड़े पुराने पुराने विश्वसनीय लोग भी उनके विषय में मदद संबंधी कोई प्रयास करते समय अपने आपने सिद्धांतों से ऐसे हिलने लग जाते हैं जैसे भूकंप आने के समय बड़े बड़े पिलर्स विश्वसनीय नहीं रह जाते हैं !
प्राकृतिक समय जब अच्छा होता है तो सभी ऋतुएँ उचित मात्रा में सर्दी गर्मी वर्षात के द्वारा चराचर जगत का पोषण करती हैं प्रकृति अच्छी मात्रा में पेड़ पौधे फल फूल फसलें शाक आदि उत्पन्न करने लगती है आरोग्यता प्रदान करने वाली उत्तम वायु बहने लगती है सभी स्त्री पुरुष स्वाभाविक रूप से प्रसन्न रहने लगते हैं सब कुछ अच्छा अच्छा होता चला जाता है! वही समय विपरीत होने पर आँधी तूफान सूखा बाढ़ और भूकंप आदि प्राकृतिक उपद्रव होते देखे जाते हैं सामूहिक महामारी रोग आदि पैदा होने लगते हैं सब कुछ विपरीत होने लगता है समाज में उन्माद फैलने लगता है फसलें धोखा देने लगती हैं सामाजिक संघर्ष कलह आदि होते दिखाई पड़ने लगते हैं !
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