Thursday, 10 August 2017

नेताओं के बेटे और बलात्कार ! राजनीति करनी है तो प्रेक्टिस तो करनी पड़ेगी ! सब नेता सतोगुणी तो नहीं हो सकते !

   नेताओं के बच्चे फुटपाथ पर भुट्टे बेचें या  कंचे कबड्डी खेलें? आखिर उनके पीछे क्यों पड़ा है मीडिया ?हर धंधे में बाप का व्यापार बेटा पकड़ता है फिर राजनीति में छेड़छाड़ पर आपत्ति क्यों ?
   महिलाएँ जिस देश पर अपना भी हक़ समझती हैं वो केवल नेताओं और अधिकारियों का है ये बात उनकी भी समझ में आ जानी चाहिए !इसलिए ऊटपटाँग पहनावे और देर सबेर आने जाने पर पुनर्विचार करें !अपनी सुरक्षा अपने हाथ ! 
  मीडिया को भी कोई कोई बलात्कार बहुत बुरा लग जाता है किंतु जहाँ कुछ टुकड़े उनके लिए भी फ़ेंक दिए जाते हैं वहाँ चुप बना  रहता है मीडिया !कहीं छेड़ छाड़ को भी इतना तूल दे देता है तो कहीं हत्या बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की  भी एक लाइन की खबर होती है मात्र ! मीडिया ही बतावे कि नेताओं की आय के स्रोत और संचित सम्पत्तियों के अम्बारों का आपसी तालमेल कैसे बैठा पाता है मीडिया ?क्यों नहीं उठाता है ये मुद्दे !लानत है लोकतंत्र के ऐसे चौथे स्तम्भ को !
   नेताओं पर अंगुली उठाने से पहले मीडिया बतावे कि आखिर क्या करें ये देश के मेहमान(नेता) लोग !
 नेताओं की कमाई के प्रमुख साधन क्या हैं ?
 कुछ सरकार है कुछ भ्रष्टाचार ! दालरोटी चल जाती है !
    नेताओं के काम क्या हैं ?
  न कमाने की चिंता !न खाने की चिंता ,न पचाने की चिंता ,न उन्हें अपने बीबी बच्चे रखाने की चिंता !सब सरकार सँभालती है जनता कमा कर खिलाती है !
 नेताओं के बच्चों का प्रमुख रोजगार ?
  'भ्रष्टाचार' !वे फुटपाथ पर भुट्टे तो बेचेंगे क्या ?
 नेताओं के बच्चों का मनोरंजन - नशा,रेप ,मर्डर मुर्डर आदि !आखिर वे कंचे और कबड्डी खेलेंगे क्या ? 
नेतापुत्रों को काम करने की  जरूरत तो होती नहीं है तो क्या वे मनोरंजन भी न करें ?
      जिनके बापू की कमाई कुछ सरकार से हो जाती है और कुछ भ्रष्टाचार से  उन्हें कमाने की चिंता तो होती नहीं है फिर क्या मनोरंजन भी न करें ! नशा,रेप और उनके द्वारा किए जाने वाले मर्डर मुर्डर पर क्यों शोर मचाने लगता है मीडिया !  खाली बैठे बैठे क्या करें 'मनोरंजन' भी न करें ! नेता बनना है तो प्रेक्टिस तो करनी पड़ेगी !
 नशा और बलात्कार जैसे मनोरंजन के साधन छोड़कर क्या वे कीर्तन करें या फुटपाथ पर बैठ कर भुट्टे बेचें !
नेताओं के लड़के बलात्कारी हो जाएँ तो इसमें उनका क्या दोष ?
     जिस देश में नेता बन जाने के बाद किसी व्यक्ति को कमाने की चिंता न रह जाती हो खाने की चिंता न रह जाती हो पचाने की चिंता न रह जाती हो उन्हें रखाने की चिंता न रह जाती हो !पुलिस उन्हीं को रखाने के लिए होती है डॉक्टर उन्हीं का खाना पचाने के लिए होते हैं  इंद्रियों से भोगने लायक देश की सभी सम्पत्तियों पर उनका अघोषित एवं सहज स्वामित्व होता है !सरकार का हर विभाग उनके इशारे के इंतजार में बैठा रहता है जैसा वो कहें वैसा किया जाए !सारा देश नेताओं के लिए ही कमा रहा है जो नेता लोग नेता बनते समय कंगाल थे आज अरबोंपति है काम उन्होंने कुछ किया नहीं व्यापार करते उन्हें देखा नहीं गया ये संपत्तियाँ नेताओं के आचारों ब्यवहारों के विषय में बहुत कुछ कहती हैं जिनके बाप ऐसे होंगे तो बेटे भी उनसे कुछ तो सीखेंगे !  ऐसी परिस्थिति में नेताओं के लड़के यदि बलात्कारों या नशे के अपराधों में फँसे तो इसमें आश्चर्य ही क्यों होना चाहिए ?
   सरकार चलाने का सही सिद्धांत !"कुछ तुम खाओ कुछ हम !"भ्रष्टाचार की निंदा और विकास की बातें करते रहो !जनता को इतना ही चाहिए !
  मीडिया जिसे लोग अपना हितैषी मानते हैं वो केवल पैसे को पीर है जिसका पक्ष लेने से या जिसका विरोध करने से पैसे मिलेंगे वो करेगा मीडिया ! राजनीति हो या मीडिया सिद्धांतवादियों को पूछता कौन है !
नौकरी में प्रमोशन भी अक्सर वही लोग पाते हैं जिनमें उस तरह के गुण होते हैं ! पढ़ाई लिखाई न नौकरी पाने के लिए जरूरी होती है न प्रमोशन के लिए ! सोर्स और घूस सब काम आसान कर देते हैं !
पढ़ाई लिखाई के नियमों का यदि कड़ाई से पालन हो तो आधे से अधिक लोगों को नौकरियों से निकालना पड़ेगा सरकार को ?जो खुद नहीं पढ़े हैं उन्हें पढ़ाने की नौकरी देकर लाखों रूपए सैलरी दे रही है सरकार !
अधिकारियों की योग्यता और काम की यदि जाँच हो जाए तो कितने अधिकारी रह जाएँगे सरकारी विभागों में !गलत कामों के लिए जितने जिम्मेदार अपराधी नहीं निकलेंगे उससे ज्यादा अधिकारी निकलेंगे !हिम्मत हो तो जाँच कराए सरकार !अवैध सम्पत्तियों पर कब्जे या अवैध काम काज के लिए अधिकारी नहीं तो कौन है जिम्मेदार सरकार उसका नाम सार्वजनिक करे !जबजिन्होंने अपनी ड्यूटी ही नहीं निभाई तो किस मजबूरी में सरकार सैलरी देती रही उन्हें और आज रिफंड लेने में क्या आपत्ति है ?पाई पाई और पल पल का हिसाब देने वाली सरकार को कुछ करके दिखाना भी पड़ेगा !अभी तक भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियोंके विरुद्ध कार्यवाही हुई ही कहाँ है !सरकार करने की हिम्मत तो करे जंगल दिखेंगे जाएँगे सरकारी विभाग !देश की बेरोजगारी और भ्रष्टाचार की समस्या हमेंशा हमेंशा के लिए समाप्त हो जाएगी !
नेताओं की कृपा प्राप्त होने के बाद तो कोई फार्मीलिटी नहीं करनी पड़ती फिर तो देश ही अपना हो जाता है जो जितना चाहे जिस कोने से चाहे उतना उस कोने से देश को नोचे खाए उससे पूछने तक की हिम्मत करेगा कौन ?
लोकतंत्र कब तक ?नेताओं को लूटने की आजादी और जनता को बरबादी सहने की हिम्मत जब तक बनी रहती है तभी तक चल पाता है लोकतंत्र see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2017/08/blog-post_10.html

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