आखिर ऐसी महिलाओं की
सुरक्षा की भी कैसे जाए यदि महिलाएँ स्वयं ही नहीं चाहती हैं तो !
यदि महिलाएँ गंदे
पुरुषों की बराबरी करने के लिए वो सब करने लगें जो गंदे लोग करते हैं तो
उनके साथ वो सलूक क्यों न हो जो गंदे लोगों के साथ किया जाता है उन्हें भी
दोषी क्यों न माना जाए !
वैसे भी उन्हीं महिलाओं की सुरक्षा की जा सकती है
जो सुरक्षित रहना भी चाहती हों यदि पुरुष शराब पीकर बलात्कार कर सकते हैं
तो महिलाएँ जब शराब पीने पर कंट्रोल नहीं कर सकतीं तो बलात्कार भावना उनके
अंदर नहीं आती होगी क्या ! यदि वे शराब पीने पर संयम नहीं रख सकीं तो शराब
पीने के परिणामों पर तो किसी का अपना बश नहीं होता फिर तो शराब ही करती
है जो कुछ करती है चाहें नंगा करे करावे ,बलात्कार करे या करावे या
कुछ और करे क्योंकि पीने वाले को तो होश रहता नहीं है ।
जिन्हें नंगा
होने और किए जाने में या गाली देने और दिए जाने में बलात्कार करने और किए
जाने में एतराज नहीं होता वही करते हैं नशा । पीने वाले पुरुषों की तरह ही पीने वाली महिलाएँ भी तो हैं महिलाओं को क्लीनचिट क्यों दे दी जाती है ।
महिला सुरक्षा कहने
का सीधा सा मतलब है पुरुषों से भय !क्या सभी पुरुष महिलाओं के शत्रु हैं
आखिर महिला सुरक्षा के नाम पर हर बार पुरुषों को ही कटघरे में क्यों खड़ा कर
दिया जाता हैsee more....
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