प्रकृति में होने वाले हर परिवर्तन को 'यदि ऐसा हुआ है तो वैसा होगा'
की दृष्टि से रिसर्च अत्यंत आवश्यक है प्राचीन विज्ञान का मानना है कि
भूकंप सुनामी तूफान महामारी महावृष्टि सूखा या जिस किसी भी प्रकार से होने
वाले जनधन का बड़ा बिनाश आदि बड़े सुख दुःख आने से पहले प्रकृति संकेतों के
द्वारा उनकी सूचना अवश्य देती है धरती से आकाश तक कोई न कोई ऐसी घटना जरूर
घटती है जिसका प्राचीन विज्ञान के द्वारा विश्लेषण किए जाने पर उससे
सम्बंधित घटने वाली घटना का पूर्वानुमान लगाया जाता है !कुल मिलाकर धरती से आकाश तक घटने
वाली हर प्राकृतिक घटना का कुछ मतलब होता है वो हमें कुछ सूचना दे रही
होती है किंतु जानकारी न होने के कारण हम समझ नहीं पाते हैं वे संकेत !प्रकृति में हर क्षण कुछ न कुछ बदल रहा है ये बदलाव कुछ बड़े होते हैं और कुछ छोटे कुछ हमें दिखाई पड़ते हैं तो कुछ नहीं कुछ सामान्य होते हैं और कुछ विशेष जो विशेष होते हैं उनमें से कुछ शुभ
होते हैं कुछ अशुभ!इस शुभ और अशुभ का पूर्वानुमान लगाने के लिए हमारे
संस्थान द्वारा चलाई जा रही है व्यापक रिसर्च आप भी दें हमारा साथ !
- कई बार अचानक और अकारण ही आसमान में छा जाती है बहुत अधिक धूल !
- कई बार बादलों में उड़ते हुए शहर दीखते हैं -see more.... http://m.rajasthanpatrika.patrika.com/story/india/thousands-see-floating-city-filmed-in-skies-above-china-1389734.html
- कई बार आकाश में दिखाई देते हैं एक साथ तीन सूर्य !see more ..... http://www.bbcbharat.com/sun-dog-effect-three-sun-in-sky/
- कई बार उड़न तस्तरी देखने का दावा किया जाता है !
- कई बार आकाश में आतिशबाजी देखी जाती है !
- 15 00 प्रकार के प्रकाश दिखाई पड़ते हैं आकाश में !
- सूर्य चन्द्र के रंग किरणे प्रकाश बिम्ब प्रतिबिम्ब अादि
- आकाश के बदलते रंग वायु संचरण आदि
- लाल रंग की बर्षा या बर्षा में मछलियाँ
- कई बार मंदिरों में रखी मूर्तियाँ हँसते रोते काँपते दिखाई पड़ती हैं !
- कई बार सूर्य चंद्रमा का बिम्ब टूटा हुआ दिखाई पड़ता है !
- कई बार आकाश अचानक रंग बदलने लगता है
- कई बार आकाश में पुरुषों जैसी आकृतियाँ दिखाई पड़ती हैं
- अलग अलग समयों पर हवा का संचरण
- पशुओं पक्षियों वृक्षों बनस्पतियों में आने वाले अचानक परिवर्तनों का अध्ययन !
हिंदू
(सनातन) धर्म केवल एक धर्म ही नहीं अपितु विज्ञान भी है इसका प्रत्येक
आचार ब्यवहार वैज्ञानिक है सुबह उठने से लेकर रात्रि में सोने तक यहाँ तक
कि सोने में भी बताई गई पद्धतियाँ विशुद्ध वैज्ञानिक हैं हमारा सोना जगना
खाना पीना उठना बैठना बात व्यवहार आदि सारा वातावरण ही वैज्ञानिक है हमारे
क्या करने या होने का परिणाम क्या होगा !हमारा संपूर्ण प्राचीन विज्ञान इसी
पर टिका हुआ है ।यदि ऐसे रहस्य समाज के सामने खोल कर रखे जाएँ तो वो जीवन
में जिन आपत्तियों विपत्तियों से बचना चाहेगा वैसे आचार ब्यवहार करना छोड़
देगा !यदि उसके बश में होगा तो !अन्यथा भोगने को तैयार रहेगा !
भारत की केंद्र या प्रांतीय सरकारों में सम्मिलित लोगों ,स्वदेश से विदेश
तक फैले उद्योगपतियों , ब्यापारियों धनियों ,संगठनों ,धनी साधू संतों सहित
देश के उन सभी भाई बहनों से निेवेदन है जो चाहते हैं कि भारत के प्राचीन
ज्ञान विज्ञान पर भी वास्तव में रिसर्च हो और खोजे जाएँ जीवन मूल्य एवं
सुलझाए जाएँ सृष्टि से संबंधित ज्ञान विज्ञान के गंभीर रहस्य तो भारत के
प्राचीन ज्ञान विज्ञान की गंभीर खोज में लगे "राजेश्वरी प्राच्यविद्या
शोधसंस्थान" की आर्थिक मदद करें !
हिन्दू(सनातन)धर्म सबसे प्राचीन है अपनी हर परंपरा वैज्ञानिक है हमारे
सामने घटित होने वाली अच्छी बुरी हर घटना भविष्य में होने वाली किसी घटना
की सूचना दे रही होती है ज्ञान के अभाव में हम उन संकेतों को समझ नहीं पाते
हैं भूकंप जैसी और भी बड़ी आपदाएँ या अच्छाइयाँ हों अपने आने से लगभग एक
सप्ताह पहले से अपने आने की सूचना देने लगती हैं प्रकृति से लेकर वृक्षों
पशुओं पक्षियों स्त्रियों पुरुषों के आचार ब्यवहार में सूक्ष्म बदलाव आने
लगते हैं जिन्हें समझपाना अत्यंत कठिन एवं महत्त्वपूर्ण होता है जो आने
वाले अच्छे बुरे भविष्य की सूचना दे रहे होते हैं जिसमें आने वाले भूकंपों
की ,सुनामियों की ,तूफानों की ,अतिवृष्टि की ,सामूहिक रूप में होने वाली
बड़ी बीमारियों की महामारी की या सामाजिक वैमनस्य झगड़ा झंझटों की राष्ट्रीय
युद्धों आदि विपत्तियों की सूचनाएँ छिपी होती हैं इसी
प्रकार से अनेकों अच्छाइयों की भी सूचनाएँ दे चुकी होती हैं अतीत की
घटनाएँ !जिन पर लगातार चलने वाली गंभीर रिसर्च की आवश्यकता है ।
इसमें प्राचीन भविष्यवैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका है ऐसे विद्वान
साइंटिस्ट लोग रख सकते हैं उन बदलाओं पर सूक्ष्म और पैनी निगाह और निरंतर
कठोर परिश्रम पूर्वक प्राप्त प्राकृतिक अनुभवों के सूक्ष्म अध्ययनों से
भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में समाज के लिए
बड़े मददगार सिद्ध हो सकते हैं ।
इसके लिए प्राचीन भविष्यवैज्ञानिकों को संसाधन उपलब्ध कराए जाने बहुत
आवश्यक हैं साथ ही उन्हें सम्मान जनक आजीविका भी !जिसके लिए अधिकमात्रा में
धन की आवश्यकता होती है जिसमें उचित है कि सरकार रूचि ले और उपलब्ध कराए
सारे संसाधन एवं बहन करे संपूर्ण खर्च जो अधिक से अधिक आधुनिक मौसमविभाग
या भूकंपविभाग पर होने वाले खर्च का एक प्रतिशत होगा आर्थिक सहयोग सरकार करे
या फिर समाज !किंतु केंद्र सरकार से लेकर प्रांतीय सरकारों तक को कई बार
लिखकर भेजने पर भी अभी तक उनकी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल नहीं पाई है
ऐसी परिस्थिति में मैं अपने "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान" की ऒर से समाज से आर्थिक मदद की याचना
करता हूँ प्राचीन विज्ञान से जुड़े विषयों की खोज में जब तक सरकार की
रूचि नहीं है तब तक समय ब्यर्थ में क्यों बिताया जाए ऐसा बिचार करके अपने
सीमित साधनों से कार्य प्रारंभ किया जा चुका है जिसके सकात्मक परिणाम भी
धीरे धीरे सामने अाने लगे हैं समय तो लगता ही है किंतु आधुनिक वैज्ञानिक
दृष्टिकोण रखने वाल्रे कुछ लोग ऐसी बातों को अंधविश्वास बताते हैं इसलिए
अपने समाज का सहयोग लेकर ही अपने प्राचीनविज्ञान पर चलाए जा रहे
रिसर्चकार्यों को आगे बढ़ाना होगा !इसलिए संस्थान की ओर से आप सभी भाई बहनों से आर्थिक सहयोग का निवेदन !
बंधुओ !प्राचीन विज्ञान वर्षा संबंधी चालीस प्रतिशत अनुमान तो
वर्षों पहले लगाया सकता है जबकि तीस प्रतिशत अनुमान नौ महीने पहले से
लेकर छै महीने पहले तक लगाया जा सकता है !किसान लोग हजारों वर्षों से उसी
के आधार पर खेती करते चले आ रहे हैं फरवरी मार्च में तैयार होने वाली फसलें
कैसी होंगी इसका पूर्वानुमान लगा लिया करते थे उसी के आधार पर फसलों की
तैयारियाँ किया करते थे । इसी प्रकार से मार्च
अप्रैल में तैयार होने वाली रवि की फसल के समय यदि किसानों को इस बात का
पता लग पावे कि अक्टूबर नवंबर में होने वाली खरीफ की फसल कैसी होगी तो वो
उसी हिसाब से आनाज एवं पशुओं के चारे का संग्रह मार्चअप्रैल में ही करके चलें इसके लिए आवश्यक है कि वर्षाऋतु में होने वाली कम या अधिक वर्षा का अनुमान उन्हें मार्चअप्रैल
में ही लग सके !किंतु आधुनिक मौसम विज्ञान के पास ऐसी कोई विधा नहीं है कि
वो इतने पहले से किसानों को कोई सटीक जानकारी दे सके । इसलिए आवश्यक है कि
इन विषयों में प्राचीन विज्ञान का सहयोग लिया जाए !इसी संकल्प के साथ "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान" की पहल का न केवल स्वागत किया जाना चाहिए अपितु आर्थिक मदद भी करें !
बंधुओ !सामूहिक रूप से फैलने वाली बीमारियों के विषय में एक रहस्य और
समझा जाना चाहिए कि जिस समय जिन चीजों कमी या अधिकता से जो बीमारियाँ होनी
होती हैं उस समय उन तत्वों की कमी या अधिकता ऐसी बीमारियों के प्रत्यक्ष
रूप से प्रकट होने से लगभग तीस तीन पहले से सारे संसार में ही होने लगती है
जिस तत्व की कमी से जो बीमारी होती है उस तत्व की कमी प्रायः सबमें होने
लगती है चाहें वो वातावरण हो वायुमंडल हो शरीर हों या उस तत्व को बढ़ाने
वाली बनस्पतियाँ हो उनमें भी उनमें में भी उस तत्व की कमी हो जाती है जिससे
वो बीमारी ठीक हो सकती है जैसे तुलसी की पत्ती का रस यदि मलेरिया बुखार को
ठीक करता है तो जब किसी एक दो को मलेरिया बुखार होगा तब तो उससे लाभ हो
जाएगा क्योंकि वो बीमारी होती है किंतु जब बहुत लोगों को मलेरिया हो जाएगा
तो इसका मतलब वातावरण में ही उस तत्व की कमी आ गई है ऐसे में तुलसी में भी
वो तत्व घट जाएगा इसलिए तुलसी के रस से लाभ नहीं होगा !वो तत्व घटता सबमें
समान रूप से है किंतु लोगों के शरीर भी तो एक जैसे नहीं होते हैं कुछ कमजोर
होते हैं तो कुछ बलिष्ट होते हैं जिन शरीरों में वो तत्व पहले से ही अधिक
मात्रा में विद्यमान रहता है घटता तो उनका भी है किंतु तब भी इतना तो बना
रहता है जिससे कि वे बीमार नहीं होने पाते और जिन शरीरों में उस तत्व की
कमी पहले से ही होती है वे उतनी कमी में बीमार हो जाते हैं !ऐसे लोगों को
स्वस्थ करने की औषधि देते समय ये याद रखा जाना चाहिए कि उस समय सीमा से
पहले की राखी हुई तुलसी यदि ऐसे लोगों को दी जाए तो स्वस्थ हो सकते हैं
अन्यथा जब तक उस तरह का समय रहता है तब तक वो बीमारी खिंचती चली जाती है
ऐसी परिस्थिति में प्राचीन विज्ञान के आधार पर भविष्य संबंधी अनुसंधान
किया जाए इतना सहयोग अवश्य मिल जाएगा कि बीमारियाँ आने से पहले ही
बीमारियाँ होने के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और औषधियों का
संग्रह भी उस समय के प्रारम्भ होने से तीस दिन पहले किया जा सकता है जो
रोगों पर नियंत्रण कर सकने में सक्षम होंगी ।
इसी प्रकार से -
- कई बार बादलों में उड़ते हुए शहर दीखते हैं -see more.... http://m.rajasthanpatrika.patrika.com/story/india/thousands-see-floating-city-filmed-in-skies-above-china-1389734.html
कई बार आकाश में दिखाई देते हैं एक साथ तीन सूर्य !see more ..... http://www.bbcbharat.com/sun-dog-effect-three-sun-in-sky/
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