Sunday, 26 January 2020

भूकंप -भूमिका

भूकंप तो कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं और कितना भी बड़ा नुक्सान कर सकते हैं | भूकंपों को रोकने का तो कोई उपाय हो ही नहीं सकता किंतु इनके पूर्वानुमान के विषय में भी अभी तक विश्व वैज्ञानिक जगत सफलता शून्य है | लाचार है विश्व का भूकंप वैज्ञानिक समाज !भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाना तो बहुत बड़ी बात है भूकंप आते क्यों हैं इसका भी कोई विश्वसनीय उत्तर अभी तक उपलब्ध नहीं है जो उत्तर दिए जा रहे हैं उनके समर्थन में दिए जाने वाले आधारभूत तर्क इतने छिछले हैं कि विश्वास करने योग्य नहीं हैं |कुल मिलाकर भूकंप वैज्ञानिकों के पास भूकंपों के विषय में कहने को अभी तक कुछ भी नहीं है वे बिल्कुल खाली हाथ हैं ||
      भूकंप क्यों आते हैं इस पर विचारकों के अलग अलग मत हैं और ये मतभिन्नता है ही तभी तक जब तक भूकंप संबंधी सच्चाई सामने नहीं आ जाती है !
     प्राचीन काल में भूकंपों को दैवी प्रकोप समझा जाता रहा है !
 कुछ लोगों का मानना है कि 'पृथ्वी आठ हाथियों के सिरों पर रखी हुई है। जब कोई हाथी सिर हिलाता है तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।' बिल्कुल इसी तरह धरती कछुए की पीठ पर खड़े चार हाथियों पर टिकी है और वह कछुआ एक सांप के फन पर है। इनके हिलने पर भूकंप आता है।'
 जापान के लोग मानते हैं कि धरती के भीतर मांजू नाम की एक विशाल कैटफिश है और इसी की वजह से भूकंप के झटके आते हैं।
ग्रीक की पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि धरती पर जब कुछ बुरा घटता है तो देवता दंड के तौर पर बिजली पैदा करते हैं और इससे धरती कांपने लगती है।
अरस्तू ने भूकंप के संबंध में कहा था, 'जमीन के अंदर की गुफाओं में हवाओं के बहने एवं निकलने से आता है भूकंप।
ओविड नाम के रोमन कवि ने कहा था कि धरती के सूर्य के करीब आने से भूकंप आता है। क्योंकि सूर्य की विस्मयी विकिरणों से धरती कांपने लगती है।
16वीं और 17वीं शताब्दी में लोगों का अनुमान था कि पृथ्वी के अंदर रासायनिक कारणों से तथा गैसों के विस्फोटन से भूकंप होता है।
1874 ई में वैज्ञानिक एडवर्ड जुस ने अपनी खोजों के आधार पर कहा था कि  भूकंप भ्रंश की सीध में भूपर्पटी के खंडन या फिसलने से होता है ।

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