Sunday, 26 January 2020

भूकंप -4

     प्राकृतिक आपदाओं से डरने की अपेक्षा सुधार पर दिया जाए ध्यान !

  आँधी बाढ़ और भूकंप जैसी घटनाएँ हमारी भलाई के लिए ही घटित होती हैं बाढ़ नदी और तालाबों के गंदे पानी को निकाल कर फिर उसकी सफाई करके उन नदी तालाबों में स्वच्छ जल भर पाना बाढ़ के बिना कैसे संभव हो पाता ! पहले का गन्दा पानी हटाकर उस बर्तन को धुले बिना उसमें शुद्ध जल भर दिया जाए तो क्या वो पीने योग्य हो पाएगा क्या ?फिर भी यदि ऐसा ही करते रहा जाए तो दोचार वर्षों में ही ये नदी तालाब दुर्गंध देने लगेंगे सफाई अगर !इसी प्रकार से वायु को शुद्ध करने के लिए आँधी तूफान आते हैं ! पृथ्वी पर बड़े अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माणजन्य  बोझ को कम करने के लिए भूकंप आते हैं समतल सी दिखने वाली पृथ्वी वैसे तो गोल ही होती है और गोल वस्तु को संतुलन के बल पर ही व्यवस्थित रखा जा सकता है पहाड़ पृथ्वी का संतुलन बनाकर रखने के लिए ही तो होते हैं |
    प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित घटनाओं के दो कारण होते हैं पहला तो सृष्टि संचालन जैसा कि ऊपर निवेदन किया गया है यदि इन्हें कम करना है तो प्रदूषण हमें स्वयं घटा लेना होगा जितना प्रदूषण कम होगा सफाई का काम भी उतना कम होगा तो बाढ़ और आँधी तूफान आदि का वेग भी उतना कमजोर होगा जन धन की हानियाँ भी उतनी ही कम होंगी |प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हमें प्रकृति के अनुकूल वर्ताव करना चाहिए यदि हम नदी तालाबों  का जल गन्दा नहीं करेंगे तो बाढ़ नहीं आएगी वायु प्रदूषण नहीं फैलाएँगे तो आँधी तूफान नहीं आएँगे और पृथ्वी पर अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माण जन्य बोझ नहीं बढ़ने देंगे तो भूकंप नहीं आएँगे| अंततः प्राकृतिक दुर्घटनाओं  को घटाने के प्रयास हमें ही करने होंगे |
   प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित होने वाली घटनाओं का दूसरा कारण उस स्थल में रहने वालों को कोई संदेशा देना भी होता है !ऐसे संदेश निकट भविष्य में होने वाली बाढ़ के हो सकते हैं आँधी तूफान के हो सकते हैं प्रकृति प्रदत्त ऐसे संकेतों पर यदि शोध किया जाए तो प्रकृति में घटित होने वाली कई घटनाएँ अपने से पहले घटित हो चुकी कुछ घटनाओं से सम्बंधित होती हैं जो इस समय घट रही घटनाओं को घटित होने की अग्रिम सूचना देने के लिए ही घटित हुई होती हैं इसी प्रकार से इस समय घटित हो रही या हुई घटनाएँ निकट भविष्य के कुछ महीनों में घटित होने वाली कुछ घटनाओं की सूचनाएँ दे रही होती हैं !ये सूचनाएँ चिकित्सा और रोगों से जुड़ी हो सकती हैं निकट भविष्य में होने वाले सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की सूचना दे रही होती हैं निकट भविष्य के अच्छे बुरे सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की ओर इशारा कर रही होती हैं यदि ऐसी घटनाएँ किन्हीं दो देशों में संयुक्त रूप घट रही होती हैं तो उनसे दोनों देशों को प्रभावित करती हैं कई बार तो निकट भविष्य में उन दोनों देशों में उनका फल देखने को मिलता है साथ ही उन दोनों देशों के बीच  निकट भविष्य में बनने बिगड़ने वाले आपसी संबंधों की ओर इशारा कर रही होती हैं कि उन दोनों देशों को आपसी संबंधों में किस प्रकार से कितनी सावधानी बरती जानी चाहिए अन्यथा दोनों देशों को किस किस प्रकार से हानि लाभ उठाना पड़ सकता है !कुल मिलाकर ऐसी घटनाएँ अक्सर हमें कुछ सीख देने के लिए ही घटती हैं जो उस समय हमारे लिए बहुत आवश्यक होती है !विशेषकर भूकंप जैसी बड़ी घटनाओं के घटित होने का उद्देश्य हमें कुछ विशेष सूचनाएँ देना होता है जिन्हें समझने के लिए हमें प्रकृति की भाषा भाव और संकेतों को समझने का प्रयास करना होता है !
    ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के घटने से एक दो महीने पहले उस क्षेत्र की प्रकृति में बदलाव होने लगते हैं अपने आकारों प्रकारों आदि में तरह तरह के परिवर्तनों के द्वारा ये हमें अनेकों प्रकार की दुर्लभ दुर्लभ सूचनाएँ समय समय पर आगे से आगे उपलब्ध कराया करते हैं |यदि हमें आत्मचिंतन का निरंतर उत्तम अभ्यास हो जाए तो विभन्न विषयों पर हम इनके संकेतों को ऐसे समझ सकते हैं जैसे ये हमसे बातें कर रहे हों !
    प्रायः प्राकृतिक घटनाएँ घटने से कुछ पहले से ही ऐसे परिवर्तन केवल प्रकृति में ही नहीं दिखाई पड़ते हैं अपितु ऐसे क्षेत्रों के सभी जीव जंतुओं को भी अनुभव होने लगते हैं इन्हीं कारणों से उनके स्वभावों में बदलाव आने लगते हैं जिनका अनुभव प्राचीन भारत के मनीषी तो करते ही रहे हैं आधुनिक विचारक भी इधर ध्यान देने लगे हैं अब तो बहुत विद्वान लोग स्वीकार करने लगे हैं कि भूकंप आने से कुछ दिन पहले कुछ जीव जंतुओं के स्वभाव बदलने लग जाते हैं विभिन्न लोगों के द्वारा समय समय पर ऐसा होते देखा भी गया है और तो और उस क्षेत्र के स्त्री पुरुषों के स्वभाव बदलने लग जाते हैं स्वास्थ्य बिगड़ने लग जाते हैं किसी एक प्रकार के रोग के शिकार होने लगते हैं उस क्षेत्र के बहुसंख्य लोग !समाज में अकारण उन्माद फैलने लग जाता है पागलपन इस हद तक बढ़ जाता है कि अच्छे भले स्त्री पुरुष एक दूसरे को मार डालने पर उतारू हो जाते हैं कई बार तो दो देशों में परस्पर ऐसी भावनाएँ पनपने लगती हैं सामूहिक रूप से मरने मारने के लिए संघर्ष शुरू हो जाते हैं|कई बार इनके लक्षण शुभ भी होते हैं दो देशों  की शत्रुता समाप्त करने के संकेत देते हैं किसी क्षेत्र में भाई चारे की भावना को पनपाने में सहयोग करते हैं कई बार तो यही भूकंप कई बड़ी दुर्घटनाओं को टालते देखे जाते हैं भूकंपों के द्वारा दी गई सूचनाओं पर यदि तुरंत ध्यान दिया जाए और उनके अनुशार सतर्कता बरती जाए तो उस क्षेत्र में विषय में कुछ ऐसी सूचनाएँ हाथ लग जाती हैं जो देश और समाज के लिए  तुरंत ध्यान देने योग्य और बहुत महत्त्व पूर्ण होती हैं | यदि भूकम्पों की  तीव्रता 5 डिग्री या उससे अधिक होती है या जैसे जैसे बढाती जाती है वैसे वैसे उपर्युक्त प्रभावों को अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है तीव्रता जैसे जैसे कम होती जाती है उसका फल भी वैसे वैसे घटता चला जाता है | तीव्रता यदि 3 डिग्री या उससे कम होती है तो विशेष अनुभव करने से ही उसके फल का अनुभव हो पाता है !
     भूकंपों की प्रेरक शक्ति अपनी भूकम्पीय सूचनाओं में इतनी अधिक सतर्कता बरतते देखी जाती है कि यदि कोई विशेष सूचना देने के लिए अभी कोई भूकंप आया होता है और भूकंप की घोषणाओं के अनुशार घटनाएं घटने लग जाती हैं वैसी घटनाओं को रोकने के लिए भूकंपीय शक्तियों की यदि कोई नई योजना अचानक सामने आती है तो पहले भूकंप के विरोधी स्वभाव वाला कोई दूसरा भूकंप उसी क्षेत्र में पहले वाले भूकंप के प्रभाव की अवधि के अंदर ही आ जाता है पहले वाले भूकंप के प्रभाव को निष्फलता घोषणा कर देता है इस प्रकार से पहले वाले भूकंप  के प्रभाव से प्रकृति या समाज में घटित हो रही घटनाएँ प्रभाव से तत्काल रोक दी जाती हैं | कई बार किसी भूकंप का प्रभाव यदि 60 दिन चलने की घोषणा की गई है बीच में यदि कोई दूसरा भूकंप नहीं आता है तो प्रकृति वो समाज में अगले साठ दिनों तक वैसी ही घटनाएँ घटती चली जाती हैं !उसके बाद वो घटनाएँ उसी प्रकार से लगातार आगे बढ़ानी हैं या वहीँ रोक देनी हैं या उसके विपरीत दिशा में चलानी है आदि अग्रिम आदेश प्रदान करने के लिए 55 से 65 दिनों के बीच ही उसी क्षेत्र में दूसरा भूकंप आकर पुनः उस क्षेत्र के अगले भविष्य की घोषणा करता है | भूकंप प्रेरक शक्तियों के द्वारा कई बार तो ये सतर्कता इतनी अधिक बरती जाती है कि यदि पहले भूकंप का प्रभाव 60 दिन लिखा गया है तो 61 वें  दिन ही आ जाता है दूसरा भूकंप और भूकंप प्रेरक शक्तियों के अगले आदेश की घोषणा कर देता है |
   पिछले कुछ दशकों से इस क्षेत्र में निरंतर शोधकार्य  करते करते मुझे लगने लगा है कि जब प्रकृति या समाज में अचानक और अकारण बहुत अधिक दुर्घटनाएँ  घटने लगें या अधिक आग लगने की घटनाएँ घटित हों या वर्षा बाढ़ रोग या सामाजिक वैमनस्य ,आतंकवादी दुर्घटनाएँ या दो राष्ट्रों के बीच बढ़ता प्रेमालाप या बढ़ता वैर विरोध आदि तब भूकंप प्रेरक शक्तियों के आदेशों की प्रतीक्षा होने लगती है !किंतु सकारण होने वाली घटनाओं का सम्बन्ध  भूकम्पों से नहीं माना जाना चाहिए !अचानक और अकारण घटने वाली घटनाएँ ही भूकंप प्रेरित मानी जानी चाहिए ! वैसे भी ऐसे विषयों पर अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है
   भूकंप जैसी बड़ी घटनाएँ वस्तुतः ये प्राकृतिक उत्पात होते हैं इसका मतलब ये केवल संकेत मात्र होते हैं भविष्य संबंधी घटनाएँ घटने के समय में और इनकी सूचनाओं में इतना अंतर तो होता है कि कई बार हम उन घटनाओं को घटने से टालने के प्रयास  भी कर सकते हैं किंतु उसके परिणाम कितने सटीक होंगे इसका अनुभव करने के लिए हमारे पास संसाधन नहीं हैं !

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