Monday, 27 January 2020

फरवरी

                                                वैदिक मौसमपूर्वानुमान :फरवरी - 2020
      फरवरी के संपूर्ण महीने में देश के अधिकाँश भागों में बादल वर्षा आदि की संभावनाएँ बनती रहेंगी | पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फवारी का क्रम भी अभी बना रहेगा | इस महीने में भी देश का पूर्वी उत्तरी तथा मध्यभाग वर्षा के वातावरण से प्रायः  प्रभावित होता रहेगा | उत्तर भारत में वर्षा बर्फवारी आदि की घटनाएँ अक्सर देखने सुनने को मिलेंगी | पूर्वीभारत एवं मध्यभारत में इसकी अपेक्षा वर्षा का प्रभाव कुछ कमजोर रहेगा | दक्षिण भारत में वर्षा संबंधी वातावरण बनने की संभावनाएँ अत्यंत कम हैं, दक्षिण में 10 फरवरी के बाद वर्षा होने संबंधी संभावनाएँ दिनों दिन कमजोर होती चली जाएँगी | 
    अब विस्तार से -
   1,2 और 3 फरवरी को  बादल तथा वर्षा आदि की संभावनाएँ अत्यंत कम हैं!1 से 5 फरवरी तक  वायु का प्रवाह अच्छा बना रहेगा ! सामान्य बादलों के साथ ही कुछ क्षेत्रों में सामान्य वर्षा की संभावना है | देश के दक्षिण पश्चिमी भागों के साथ साथ कुछ अन्य भागों में भी 5, 6,7 फरवरी को अच्छी धूप निकलने की संभावना है | |8,9,10  फरवरी को वैसे तो देश के अधिकाँश भागों में मध्यम से अच्छी वर्षा तक होने की संभावना है किंतु  जम्मूकश्मीर हिमाचल उत्तराखंड आदि उत्तर भारतीय क्षेत्रों में इसका विशेष असर देखा जा सकता है | इन दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फवारी एवं मैदानी भागों में वर्षा होने की संभावना है | 11,12,13,14 तारीखों में मध्यम बादल एवं सामान्य वर्षा हो सकती है| 15 और 16 फरवरी को बादलों की मात्रा तो रहेगी ही इसके साथ ही कुछ क्षेत्रों में मध्यमस्तरीय वर्षा होने की संभावना भी है | 17,18,19 को आकाश में जहाँ तहाँ कम मात्रा में बादल दिखाई देंगे इनमें सफेद रंग के बादलों की अधिकता रहेगी | 20 फरवरी को देश के पश्चिमोत्तर में सामान्य वर्षा हो सकती है | 21 फरवरी से वातावरण बदलना प्रारंभ होगा 22,23,24,25,27तारीखों में देश के भिन्न भिन्न स्थानों पर अच्छी वर्षा होने की विशेष संभावना  है!28 और 29 तारीखों में मौसम का वातावरण सामान्य बना रहेगा |
  आँधी तूफ़ान का पूर्वानुमान : 
विशेषकर समुद्री क्षेत्रों में 1 से 4 फरवरी तक तथा 14 से 18 फरवरी तक चक्रवात एवं आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं के बनने का समय हैजिनका प्रभाव इस समय के दो तीन दिन बाद भी दिखाई पड़ सकता है | 1 से 8 तक तथा 14 से 27 तक वायु का प्रवाह अच्छा रहेगा !इसमें भी 24 एवं 26 फरवरी को अपेक्षा कृत वायु की गति अधिक रहेगी |

वायुप्रदूषण आदि बढ़ने का पूर्वानुमान :फरवरी 2020

     फरवरी महीने में वर्षा की संभावना बहुत अधिक नहीं है वायु का प्रवाह बढ़ेगा इसलिए वायुप्रदूषण बढ़ने की संभावना अधिक नहीं है फिर भी जिन क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा कम तथा वायु प्रवाह कम रहेगा उन क्षेत्रों में 1 से 4 फरवरी तक तथा 14 से 18 फरवरी तक वायु प्रदूषण विशेष अधिक बढ़ जाने की संभावना है |
तापमान बढ़ने घटने का पूर्वानुमान !
   1 से 8 फरवरी तक तापमान सामान्य बना रहेगा | 9 से 14 फरवरी तक देश के अधिकाँश भागों में तापमान क्रमशः कम होता चला जाएगा !15,16,17 को स्थिर रहेगा !कुछ दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्रों में 15 फरवरी से धूप निकलनी प्रारंभ होगी और तापमान बढ़ने लगेगा जो 20 फरवरी तक ऐसा ही बना रहेगा | 23 फरवरी से तापमान कम होना प्रारंभ होगा ये क्रम 26  फरवरी तक बना रहेगा 27 को तेज धूप निकलनी प्रारंभ होगी और तापमान बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा ! विशेष बात यह है कि भारत के अन्य भागों की अपेक्षा देश के दक्षिणी प्रदेशों में तापमान बढ़ने की संभावना अधिक है!इसके अलावा भी देश के जिन भागों में वर्षा कम होगी उनमें भी 10 से 29 फरवरी तक तापमान क्रमशः बढ़ता चला जाएगा |
 आग लगने का पूर्वानुमान ! 
     10 से 29 फरवरी तक  आग लगने की दुर्घटनाएँ अधिक घटित होंगी | इसका प्रभाव वैसे तो देश के विभिन्न भागों में दिखाई पड़ेगा किंतु दक्षिण पश्चिम भारत इससे विशेष अधिक प्रभावित होगा !17 से 29 फरवरी तक ऐसी घटनाएँ पूर्वी तथा मध्य भारत में भी देखने को मिल सकती हैं |विशेषकर 5 ,13,14,18,26,27 तारीखों में आग से संबंधित किसी भी कार्य में अत्यंत सावधानी वरती जानी चाहिए अन्यथा कभी भी कहीं भी आग लगने से संबंधित दुर्घटनाएँ घटित हो सकती हैं |   
उत्पात संबंधी समय का पूर्वानुमान-
     फरवरी महीने की 2,3,4,5 एवं 15,16,17,18,19 तारीखों में  हिंसक वातावरण बनने का समय होगा!इन तारीखों में ऐसे समय का असर सारे संसार पर पड़ता है !पृथ्वी की गहराई से लेकर आकाश की ऊँचाई तक सब कुछ इस समय के प्रभाव से प्रभावित होता है| इसीलिए इस समय में भूकंप,बज्रपात, आंदोलन, उन्माद , संघर्ष, आतंकवादी घटनाएँ, विमानदुर्घटनाएँ, वाहनों का टकरा जाना,बसों का खाई में गिरजाना,देश की सीमाओं पर संघर्ष गोलीबारी आदि से संबंधित घटनाओं के घटित होने की संभावनाएँ अधिक रहेंगी |
 

 तनाव बढ़ने का पूर्वानुमान - 
    9 फरवरी से मनोबल गिरना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 18 फरवरी तक बढ़ता चला जाएगा |इस समय में अक्सर ऐसे विषयों व्यक्तियों बातों से सामना करना पड़ता है जिनसे तनाव बढ़ने की संभावना बानी रहती है | तनाव देने वाले लोगों से मुलाकात होती है ऐसे लोगों के ही अधिक फोन आते हैं ऐसे लोगों से बातें करने एवं उस प्रकार के मुद्दे उखाड़ने का मन करता है |यहाँ तक कि परिवारों  में भी स्वजनों के साथ ऐसे ही मुद्दे पर बहस छिड़ जाती है जो विषय विवादित होकर तनाव दे जाते हैं |
   ऐसे समय में भी जिन लोगों का अपना समय सामान्य चल रहा है उन्हें तनाव के इस समय का विशेष अधिक अनुभव नहीं होता है किंतु जिनका अपना समय भी ख़राब है उस कारण कोई समस्या पहले से ही तनाव देती चली आ रही है उन लोगों का ऐसे समय में तनाव बहुत आधिक बढ़ जाता है | इसलिए ऐसे समय में अत्यंत सावधानी पूर्वक किसी से बात व्यवहार करना चाहिए एवं जितने ऐसे विषय हों जिनसे तनाव बढ़ सकता हो उन्हें इस समय में नहीं छेड़ना चाहिए | 
  


Sunday, 26 January 2020

भूकंप -भूमिका

भूकंप तो कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं और कितना भी बड़ा नुक्सान कर सकते हैं | भूकंपों को रोकने का तो कोई उपाय हो ही नहीं सकता किंतु इनके पूर्वानुमान के विषय में भी अभी तक विश्व वैज्ञानिक जगत सफलता शून्य है | लाचार है विश्व का भूकंप वैज्ञानिक समाज !भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाना तो बहुत बड़ी बात है भूकंप आते क्यों हैं इसका भी कोई विश्वसनीय उत्तर अभी तक उपलब्ध नहीं है जो उत्तर दिए जा रहे हैं उनके समर्थन में दिए जाने वाले आधारभूत तर्क इतने छिछले हैं कि विश्वास करने योग्य नहीं हैं |कुल मिलाकर भूकंप वैज्ञानिकों के पास भूकंपों के विषय में कहने को अभी तक कुछ भी नहीं है वे बिल्कुल खाली हाथ हैं ||
      भूकंप क्यों आते हैं इस पर विचारकों के अलग अलग मत हैं और ये मतभिन्नता है ही तभी तक जब तक भूकंप संबंधी सच्चाई सामने नहीं आ जाती है !
     प्राचीन काल में भूकंपों को दैवी प्रकोप समझा जाता रहा है !
 कुछ लोगों का मानना है कि 'पृथ्वी आठ हाथियों के सिरों पर रखी हुई है। जब कोई हाथी सिर हिलाता है तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।' बिल्कुल इसी तरह धरती कछुए की पीठ पर खड़े चार हाथियों पर टिकी है और वह कछुआ एक सांप के फन पर है। इनके हिलने पर भूकंप आता है।'
 जापान के लोग मानते हैं कि धरती के भीतर मांजू नाम की एक विशाल कैटफिश है और इसी की वजह से भूकंप के झटके आते हैं।
ग्रीक की पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि धरती पर जब कुछ बुरा घटता है तो देवता दंड के तौर पर बिजली पैदा करते हैं और इससे धरती कांपने लगती है।
अरस्तू ने भूकंप के संबंध में कहा था, 'जमीन के अंदर की गुफाओं में हवाओं के बहने एवं निकलने से आता है भूकंप।
ओविड नाम के रोमन कवि ने कहा था कि धरती के सूर्य के करीब आने से भूकंप आता है। क्योंकि सूर्य की विस्मयी विकिरणों से धरती कांपने लगती है।
16वीं और 17वीं शताब्दी में लोगों का अनुमान था कि पृथ्वी के अंदर रासायनिक कारणों से तथा गैसों के विस्फोटन से भूकंप होता है।
1874 ई में वैज्ञानिक एडवर्ड जुस ने अपनी खोजों के आधार पर कहा था कि  भूकंप भ्रंश की सीध में भूपर्पटी के खंडन या फिसलने से होता है ।

भूकंप -8 भूकंपगर्भ - पृथ्वी के अंदर संग्रहीत गैसों के दबाव !

     
भूकंपगर्भ - पृथ्वी के अंदर संग्रहीत गैसों के दबाव !
     भूकंपगर्भ की प्रारंभिक प्रक्रिया बिल्कुल उसी प्रकार की होती है जैसे नदी में तैरती हुई किसी नौका के अंदर 4 कोनों पर एक एक गेंद या गेंद जैसी कोई मध्यम वजन वाली गोल चीज रख दी जाए तो नाव का संतुलन बना रहेगा और नाव चलती चली जाएगी | इसी बीच थोड़ा अधिक कोई बाहरी वजन यदि उस चलती हुई नाव के किसी एक कोने पर और रख  दिया जाए तो नाव में उधर की ओर कुछ झुकाव आ ही जाएगा और वो झुकाव आते ही शेष तीनों कोनों में रखे गेंद जैसे वे तीनों गोले भी उसी जगह घूम कर स्वतः आ जाएँगे! उन्हें पकड़ कर लाना नहीं पड़ेगा |इस प्रकार से नाव में रखा सारा वजन एक ही जगह एकत्रित हो जाएगा और नौका में उथल पुथल होने लगेगी !यदि वह वजन विशेष  हुआ तो नौका पलट भी सकती है क्योंकि नौका को वजन से समस्या नहीं है अपितु वजन के एक जगह एकत्रित होने से समस्या हुई है वजन तो उससे चार गुना और अधिक रखा होता तो भी नौका लेकर जा सकती थी किंतु सारा वजन संतुलन में होना चाहिए संतुलन छोड़ कर चल पाना कठिन होगा |प्रकृति भी संतुलित होने पर ही संसार को धारण कर सकती है असंतुलित होकर नहीं !
    असंतुलन प्रकृति के अंदर तो होता नहीं है वहाँ तो सब कुछ सुदृढ़ नियमों से बँधा हुआ है समय पर ऋतुएँ आती हैं समय पर सूर्य चंद्र का उदय अस्त होता है वहाँ तो सब कुछ  समय से और सीमा से बँधा हुआ है उसी क्रम में करोड़ों अरबों वर्षों से समय चक्र घूमता चला आ रहा है ! सबके लिए प्राकृतिक नियम बने हुए हैं उन्हीं के अनुशार  आप से होता चला आ रहा है!जिस प्रकृति में लाखों लोगों को निगल जाने वाली आँधी तूफान चक्रवात एवं बाढ़ जैसी भयावह प्राकृतिक आपदाएँ  मानी जाने वाली घटनाएँ भी इस सृष्टि के लिए संजीवनी की तरह काम करती हैं अन्यथा इस सृष्टि का सुरक्षित रहा पाना ही संभव नहीं रह पाएगा !बाढ़ ,आँधी ,तूफान एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाएँ पंचतात्विक प्रकृति के संतुलन को बनाए एवं बचाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं !इनके इस योगदान को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए इनके बिना पृथ्वी पर जीवन को बचाकर रखा भी केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव हो जाएगा !
    इसीलिए तो सृष्टि को सुरक्षित संचालित करने के लिए अनंतकाल से प्रकृति के अपने नियम बने हुए हैं | सृष्टि में किसे कैसे रहना है उसके अनुशार जीवन जीने वाले लोग ही यहाँ स्वस्थ रह पाते हैं ऐसा समाज ही स्वस्थ सानंद एवं एक दूसरे के लिए सुखद बना रहता है | तो प्रकृति भी अपने अनुशार न केवल चला करती है अपितु उसका साथ देने वालों के लिए सुखदायिनी भी बनी रहती है |
    कोयना जैसे मानवकृत जलाशयों को जलाशय निर्माण के बाद वहाँ आए भूकंपों  के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है किंतु उन जलाशयों के भारी वजन के कारण नहीं !अपितु ऐसे जलाशयों के कारण बिगड़ने वाले तत्वों के असंतुलन को मुख्य कारण माना जा सकता है |क्योंकि जल का इतना अधिक संग्रह ऐसे स्थान पर जहाँ की जलवायु रूक्षता और उष्णता के लिए जानी जाती रही हो ऐसे स्थान पर जल का इतना बड़ा संग्रह वहाँ के तात्विक संतुलन को बिल्कुल विपरीत दिशा में धकेल देता है इसलिए भूकंप आना स्वाभाविक है जबकि टिहरी जलाशय के साथ इसकी तुलना इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि टिहरी की जलवायु के साथ टिहरी जलाशय में संग्रहीत जल तात्विक दृष्टि से विपरीत नहीं अपितु अनुकूल है !इसलिए टिहरी जलाशय में निर्माण के बाद वहाँ कोई भूकंप नहीं आया |
      कोई स्त्री जब गर्भधारण करती है तब गर्भ को पोषण देने के लिए उस स्त्री के संपूर्ण शरीर के सारे पुष्टि कारक तत्व  गर्भ की ओर चलने लगते हैं जो गर्भाशय में पहुँच कर गर्भ को पोषण प्रदान किया करते हैं ये प्रकृति विधान है इसलिए प्रसव होने तक इस प्रकार से उन्हें अपने कर्तव्य का निर्वाह अवाध गति से करना होता है इसीलिए तो गर्भावस्था में  बढ़ने वाला पेट का वजन केवल पेट का न होकर अपितु संपूर्ण शरीर से गर्भाशय में एकत्रित हुआ भार होता है | इस भार के बढ़ने के कारणों की खोज करने के लिए केवल पेट को ही शोध का विषय बना लेने से भूकंप विज्ञान पर किए जा रहे शोध कार्यों की तरह ही इसमें भी कुछ विशेष हासिल नहीं होगा |इसके लिए तो गर्भकाल प्रारंभ होने के बाद शरीर के प्रत्येक अवयव में होने वाले परिवर्तनों को अनुसंधान का विषय बनाया जाना चाहिए तब संपूर्ण रहस्य उद्घाटित हो सकेगा | |
        भूकम्पों पर शोधकार्य करते समय हमें ध्यान यह रखना होता है कि गर्भ काल में सम्पूर्ण शरीर से गर्भाशय में एकत्रित होने वाले पुष्टिकारक तत्वों से भ्रूण पल्लवित होता है ये सच है किंतु अपुष्ट गर्भ की अवस्था में ही यदि गर्भ स्राव या पात अपने आप हो जाए या करा दिया जाए तो गर्भाशय में एकत्रित हुए वही पुष्टि कारक तत्व उस स्त्री के शरीर के लिए हितकर नहीं रह जाते अपितु बहुत दुखदायी होते हैं उनसे निर्मित गर्भ के लिए हितकारी उसी वायु का दबाव "प्रसूतिमक्कलशूल" नामक अत्यंत पीड़ा दायक स्त्री रोग को जन्म दे देता है जो कि पहले बहुत  हितकारी था |इसलिए भूकंप के प्रति हमें एक  धारणा और बदलनी चाहिए कि भूकंप केवल भूकंप आने तक ही प्रभावी होता है समय बीतने के बाद शांत हो जाता है |ऐसा नहीं है अपितु  गर्भ विज्ञान की तरह ही भूकंप से प्रकट परिणामों   का  सामना भी मानव समाज को वर्षों तक करना होता है |
       पृथ्वी के अंदर संग्रहीत गैसों के दबाव से भूकंप आते हैं भूकंपों के विषय में इस प्रकार का प्रचार प्रसार अक्सर देखा सुना जाता है | इस विषय में मेरा निवेदन है कि गैसें भी होती हैं और उनका दबाव भी होता है ये बात सिद्धांत रूप में स्वीकृत है किंतु गैसों का मतलब केवल इतना ही नहीं होता है कि ये हानिकारक ही होंगी क्योंकि प्रकृति में हानिकारक किसी भी वस्तु को संरक्षण मिल ही नहीं सकता है | पवित्र प्रकृति पंचतात्विक सिद्धांतों से दृढ़ता पूर्वक संगुंफित है इसलिए तात्विक संतुलन जहाँ बाधित होने लगता है प्रकृति वहीँ प्रतिक्रिया देने लगती है |पंचतात्विक सिद्धांतों के विरुद्ध कोयना में बनाए गए जलाशय को पचा नहीं पाई प्रकृति!जो  कारण उस जलाशय का वृहद् बोझ मानते हैं उन्हें  नदियों और समुद्रों की विशाल जलराशि को भी ध्यान रखना चाहिए !इसका कारण यदि वजन होता तो वहाँ भी आता !अधिक नहीं तो टिहरी जैसे मानव निर्मित सभी जलाशयों में तो आना ही चाहिए था | किन्तु ऐसा होते तो नहीं देखा गया और ऐसा होगा भी नहीं |
     अतएव पृथ्वी के अंदर की गैसों को देखकर ये अनुमान लगा लेना कि इन्हीं के दबाव से पृथ्वी का आतंरिक संतुलन बिगड़ता है इसलिए भूकंप आते हैं ये कहना ठीक नहीं होगा !वो गैसें अतिरिक्त नहीं होती हैं जो पृथ्वी में कम्पन पैदा करेंगी वो गैसें तो पृथ्वी का साक्षात् अपना स्वरूप ही होती हैं उन्हें अतिरिक्त कैसे मान लिया जाए ?पृथ्वी को बनाए और बचाए रखने के लिए ऐसी गैसों का निर्माण पंचतात्विक प्रकृति स्वयं करती है और आवश्यकता के अनुशार करती है फिर वो अतिरिक्त मान कैसे ली जाएँ प्रकृति से इतनी बड़ी भूल की कल्पना ही नहीं की जानी चाहिए !गैस निर्माण के लिए आग चाहिए जल चाहिए आग जब जल को गरम करती है तो उसी जल से भाफ बनती है !पेट की भी यही प्रक्रिया है पित्ताशय(आग) भी है और जल भी है वहाँ भी इसी प्रक्रिया से पाचक वायु का निर्माण होता है और अपशिष्ट वायु का विसर्जन भी साथ के साथ होता रहता है उसकी सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया है अशुद्ध वायु के शरीर से निकलते समय शरीर में कोई कम्पन होते तो नहीं देखा जाता है फिर शरीर के निर्माण की प्रक्रिया से ही तो ब्रह्माण्ड का भी निर्माण हुआ है संसार के प्रत्येक द्रव्य का निर्माण उसी प्रक्रिया से हुआ है स्वाभाविक ही है कि पृथ्वी का निर्माण भी उसी प्रक्रिया से हुआ है फिर शारीरिक गैसों के विसर्जन में कंपन नहीं तो पार्थिव गैसों के विसर्जन के समय पृथ्वी में कम्पन क्यों होने लगेगा  !जहाँ जहाँ गैसें भरी होंगी वहाँ वहाँ कम्पन होगा ही ऐसा कोई दृढ़ सिद्धांत तो है नहीं !
          इसलिए गैसों की उपस्थिति पर विचार करते समय हमें एक बात हमेंशा ध्यान रखना चाहिए कि जिन गैसों के विषय में हम सोचते हैं वे कहीं उसकी अंगभूत गैसें तो नहीं हैं |अगर वो अंगभूत गैसें हैं तो वो हानिकारक तो हो ही नहीं सकती हैं और यदि किसी कोण से उनके हानिकारक होने की संभावना लगे भी तो मुख्य व्यवस्था की अंगभूत गैसों को हम उन उन यंत्रों से अलग करके नहीं देख सकते क्योंकि उन गैसों के बिना उन यंत्रों का उद्दिष्ट धर्म ही नष्ट हो जाएगा अर्थात वे अपने कर्तव्य का निर्वाह ही नहीं कर सकेंगे !जैसे रसोई  गैस है ज्वलन शील है विस्फोटक है किंतु रसोई के कार्यों में सहायक होने के कारण वो भी तो रसोई की साक्षात् अंगभूत ही है अतएव उसके विषय में अध्ययन करते समय जहाँ उसकी ज्वलनशीलता  और विस्फोटकत्व की चर्चा की जाए वहीँ उस गैस की रसोई कार्यों में उपयोगिता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए और उसे रसोई का अंग मानकर ही आदर दिया जाना चाहिए न कि उसके द्वारा पकाया हुआ खाना भी कहते रहें और उसके ज्वलनशीलता  , विस्फोटकत्व जैसे विकारों की  चर्चा करते रहें !इसी प्रकार से फ्रीज़ एवं एयरकंडीशन आदि व्यवस्थाओं में भी गैसें उन यंत्रों की न केवल सहायक  होती हैं अपितु उनकी मुख्य पहचान भी होती हैं क्योंकि ऐसे यंत्र जिन कार्यों के लिए जाने जाते हैं उनमें वो गुण इन्हीं गैसों के कारण  ही तो आता है अन्यथा फ्रीज़ और एयरकंडीशनर की उपयोगिता ही क्या रह जाएगी !गैसों के इस महत्त्व को भी समझना होगा |
      ट्रक के पहियों में लगे ट्यूब में किए गए वायु भंडारण की तरह ही हिमालय जैसे विशाल बोझ को धारण कर पाने में कोई विशेष सहयोगी भूमिका निभा रही हों !आखिर ट्रकों का बोझ भी तो पहियों में भरी वायु ही धारण कर रही होती है !और उस वायु में बहुत भारी दबाव भी होता है इस दबाव को देखकर ये कल्पना करना आत्मघातक होगा कि ये हानिकर अपितु ट्रक का बोझ जैसे उन्हीं गैसों के दबाव पर टिका होता है वो गैसें निकलते ही ट्रक पलट जाएगा !ट्रक को ट्रक की तरह चलाने के लिए उसके के पहियों में जरूरी गैसें भीहोती हैं उनमें प्रेशर भी होता है उनके निकलते ही ट्रक लड़खड़ा भी सकता है पलट भी सकता है |ऐसे सभी दुर्गुण यदि उन गैसों में मान भी लिए जाएँ तो भी उन गैसों के बिना तो ट्रक चल ही नहीं सकता है इसलिए उस ट्रक को ट्रक बनाए रखने में उन गैसों की बहुत बड़ी सहायक भूमिका  है इस बात को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए |
     गर्भकाल में होने वाली उदर वृद्धि के लिए पेट में एकत्रित पाचक गैसों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है अपितु शरीर की प्रकृति एवं भ्रूण विज्ञान पर ध्यान देना होगा भ्रूण को विकसित करने वाली प्रकृति व्यवस्था ही बिल्कुल अलग है और वो गर्भवायु भ्रूण के लिए सहायक होने के कारण उसकी अंगभूत होती है उसके बिना भ्रूण की सुरक्षा संभव हो सकती है क्या ?इसी प्रकार से पेट के अंदर संचित पाचक गैसें भी तो शरीर का अंग स्वरूप ही होती हैं जिनके द्वारा पाचनतंत्र काम करता है ऐसी वायु शरीर के लिए अहितकारी  नहीं हो सकती है |       पृथ्वी के गर्भ में स्थित गैसों और उनके दबावों  को भी इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए !इन्हें केवल हानिकारक ही नहीं माना जा सकता है संभव है कि ट्रक के पहियों में भरी गैस की तरह ही अति विशाल हिमालय को धारण करने में उन गैसों की भी कोई बहुत बड़ी भूमिका हो !ऐसा भी हो सकता है कि हिमालय को हिमालय बनाए और बचाए रखने की प्रमुख भूमिका में वहीँ गैसें ही हों इसलिए उन्हें भी केवल भावी भूकंप कारक के रूप में ही नहीं प्रचारित किया जाना चाहिए उनकी विशेषताएँ भी बताई जानी चाहिए !
     पेट से गैसों का प्रेसर बिल्कुल समाप्त कर दिया जाए तो जीना  संभव रह पाएगा क्या ?इसी भावना से हिमालय आदि के नीचे की संचित गैसों को केवल भूकंप कारक ही न मानकर अपितु उनकी उपस्थिति को पृथ्वी के अंदर की बनावट का वृहद् अंग क्यों न माना जाए !
    ऐसी संग्रहीत गैसों के होने से धरती है और न होने से धरती का कोई आस्तित्व बचेगा ही नहीं ऐसी परिस्थिति में पृथ्वी के अंदर की गैसों की डरावनी छवि प्रस्तुत किया जाना ठीक नहीं होगा ! उन्हें इस पृथ्वी को धारण करने वाली सहायक के रूप में ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए और भूकम्पीय अध्ययनों में भी उनके इसी रूप को ही याद रखा जाना चाहिए  |

      किसी भी व्यक्ति वस्तु या परिस्थिति पर अनुसंधान करने से पहले हमें उसका समय और स्वभाव समझना बहुत आवश्यक होता है अन्यथा शोध सिद्धि हमेंशा संदिग्ध बनी रहती है !
   समय और स्वभाव समझने के पीछे कारण यह है कि जैसे दाल को पकाना हो तो चूल्हा  भी हो आग भी जल रही हो बर्तन में पकने के लिए पूरी तरह तैयार रखी दाल हो इसके बाद भी पकने के लिए समय तो चाहिए !
     इसी प्रकार बात स्वभाव की है पकने की सारी पर्याप्त  व्यवस्था हो और समय भी पूरा दिया जा रहा हो किंतु  पकाई  वाली वस्तु दाल न हो अपितु छोटे छोटे कंकड़ हों तो कितना भी पकाया जाए क्या वे भी पाक सकते हैं अर्थात नहीं क्योंकि पकने का उनका स्वभाव  ही नहीं है तो उन्हें केवल साधनों से तो नहीं ही पचाया जा सकता है |
     भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन करते समय भी हमें समय और स्वभाव दोनों को ध्यान रखना ही चाहिए इस दृष्टि से जब हम भूकंपों का अध्ययन करते हैं तब चिंतन यहाँ से प्रारम्भ होता है कि धूल के छोटे छोटे कणों  की  थोड़ी मात्रा जब कहीं एक जगह आपस में जुड़ कर पिंड बन जाते हैं तो ढेला कहा जाता है  यही प्रक्रिया जब कभी बहुत बड़े स्तर पर हुई होगी उसी से तो बनी है यह विशाल धरती | अर्थात अतिविशाल पृथ्वी का ही छोटा सा स्वरूप तो मिट्टी का ढेला है किंतु आतंरिक गैसों से ढेले को तो कभी काँपते नहीं देखा गया फिर उन्हीं आतंरिक गैसों से पृथ्वी कैसे काँप सकती है |
    पृथ्वी की आतंरिक गैसों के दबाव के साथ निकलने से यदि भूकंप आता होता तो ऊर्जा जनित बड़े विस्फोट के साथ भी तो वे गैसें बाहर आ सकती थीं उन गैसों के वेग के साथ पृथ्वी के गर्भ में स्थित अन्य वस्तुएँ भी तो बाहर आ सकती थीं और बहुत कुछ नहीं तो धूल का बहुत बड़ा गुबार तो निकल ही सकता था आखिर पृथ्वी की ऊपरी पर्त में रज के छोटे छोटे कण ही तो हैं जब गैसों का  इतना भयंकर वेग होगा जो धरती को हिला सकता हो तब तो भूकंप स्थलों पर धूल का भारी भरकम बवंडर जरूर खड़ा हो जाता किंतु ऐसा होते तो कभी नहीं देखा गया !भूकंप के केंद्रीय क्षेत्रों में पृथ्वी के अंदर से निकल रही गैसों के दबाव से उस क्षेत्र के कुओं नलों बोरिंगों  या चूहों के गहरे बिलों से पानी अपने आप से उबाल मारने लगता किंतु ऐसा होते तो कभी नहीं देखा गया !फिर इस बात पर भरोसा कैसे कर लिया जाए कि जमीन के अंदर भरी गैस रूपी ऊर्जा के कारण जब प्लेटें हिलती हैं तभी भूकंप आता होगा !और भूकंप आने के समय जमीन में पड़ जाने वाली दरारों के विषय में इस तर्क पर कैसे भरोसा किया जा सकता है कि जमीन के अंदर से निकलने वाली गैसों के दबाव से ही पृथ्वी की ऊपरी सतह पर दरारें पड़ जाती हैं दरारें पड़ते समय न धूल उड़ती है और न ही कोई शब्द होता है फिर भूकंप के विषय में ऐसी काल्पनिक बातों पर भरोसा कैसे कर लिया जाए !रजकणों  के एक दूसरे से चिपक जाने के कारण निर्मित पृथ्वी में कम्पन होने मात्र से अति भारवती  पृथ्वी में दरारें पड़ जाना सहज और स्वाभाविक है उन दरारों को धरती के अंदर की ऊर्जा रूपी गैसों के निकलने के साथ कभी नहीं जोड़ा जा सकता है |अन्यथा भूकंप  समय  धरती के अंदर की गैसों के साथ साथ भारी मात्रा में वायु तो होनी ही चाहिए थी |
       परमाणु परिक्षण के समय   "18 मई 1974, बुद्धपूर्णिमा, सुबह 8 बजकर 5 मिनट। पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में लोहारकी गांव के पास थार रेगिस्तान में कर्णभेदी धमाके की गूंज।वृक्ष और मकान टूट गए थे कुएं से भीमकाय पत्थर बाहर गिर रहे थे, रेत का गुबार आसमान छू रहा था। काफी देर तक जमीन हिलती रही।"किंतु भूकंप आने के समय ऐसा कुछ तो नहीं होता है केवल जमीन ही हिलते देखी जाती है !
     संसार में शरीरों या वस्तुओं के अंदर या बाहर खुले वातावरण में जो भी खाली जगहें दिखाई देती हैं वो सब आकाश है घड़े के अंदर जो खाली जगह है वो घटाकाश है ऐसे ही अन्यत्र भी चिंतन किया जाना चाहिए वायु भी खाली जगहों में  ही होती है इसलिए खाली जगहें तो बहुत व्यक्तियों वस्तुओं या अन्य प्रकार के जीव धारियों के शरीर के अंदर भी मिल जाएँगी उनमें वायु प्रवाह का अनुभव भी किया जा सकता होगा किंतु उस आतंरिक वायु से उन शरीरों में कंपन होते तो कभी कहीं नहीं देखा सुना जाता है | फिर उसी प्रक्रिया से बनी पृथ्वी में आतंरिक गैसों से अचानक कम्पन कैसे होने लगेगा !
       शीत ऋतु में किसी  व्यक्ति के शरीर में सर्दी लगने के कारण कंपन होने का मतलब ये तो नहीं होता है कि उसके पेट में गैस भरी होगी उसी के प्रेशर से वो काँप रहा है ऐसा मान कर यदि उसके पेट में छेद  किया जाए तो क्या उस शीत पीड़ित व्यक्ति का काँपना बंद हो जाएगा ?या फिर ऐसा कर देने से शरीर में होने वाले कम्पन के कारण का पता लग पाएगा क्या ?
    इसी प्रकार से सामने खड़े शेर के भय से यदि कोई व्यक्ति भयवश काँपने लग जाए या भविष्य के भय से किसी को घबड़ाहट होने लगे तो भी उसके कम्पन का कारण जानने के लिए क्या उसके भी पेट में छेद किया जाना चाहिए और उसके पेस की गैसों के प्रेशर को चेक किया जाना चाहिए या उन्हें उस व्यक्ति के कंपन के लिए जिम्मेदार मान लिया जाना चाहिए और उन्हें निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए क्या ?
    भूकम्पों के विषय में सबसे बड़ी शंका एक और होती है कि विश्व वैज्ञानिकों के द्वारा एक ओर तो ये कहा जाता है कि भूकंपों के आने के कारणों के विषय में अभी तक निश्चित तौर पर कुछ भी कह पाना संभव नहीं है तो वहीँ दूसरी ओर भूकंपों के आने के कारणों के विषय में धरती के अंदर की संचित ऊर्जा  के दबाव से जमीन के अंदर की प्लेटों का हिलना उससे भूकम्पों के आने के संबंध में डेंजरजोन के बारे में इतनी निर्भीकता से न केवल बता देना अपितु यही सब कुछ स्कूलों में पढ़ाया जाना है !क्योंकि सामान्य तौर पर  देखा जाता है कि जिस वस्तु के विषय में अपने को ही ठीक ठीक पता न हो फिर उसी विषय का स्कूलों में पाठ्यक्रम पूर्वक पढ़ाया जाना परीक्षाएँ होना डिग्री आदि मिलना आदि कितना न्यायसंगत अर्थात विश्वास करने योग्य है ?

 भूकंपों के विषय में अध्ययन करते समय अब हमें अपने अंदर भी कुछ सुधार कर लेने चाहिए इससे समाज को बहुत सुविधा होगी और भूकंप संबंधी अध्ययनों पर विश्वास बरकरार बना रहेगा !इस आस्था को सुरक्षित बनाए रखना  बहुत आवश्यक है !
       भूकंपों से संबंधित अध्ययनों पर विश्व में बहुत सारे शोधकार्य चल रहे हैं और सबका मत लगभग एक ही है क़ि पृथ्वी के अंदर गैसों का भारी  भंडारण है उन्हीं गैसों के दबाओं से धरती के अंदर की प्लैटें आपस में रगड़ती हैं उस रगड़ से ही कम्पन प्रकट होता है जिसे हम भूकंप कहते हैं किंतु इस बात को तब तक सच कैसे मान लिया जाए जब तक  इस तथ्य पर अध्ययन करते हुए आगे बढ़ने पर कुछ नए तथ्य सामने न आवें !क्योंकि भूकंपों के संबंध में हमारा अध्ययन अनुमान अभिव्यक्ति आदि तब तक प्रमाणित नहीं माने जा सकते जब तक तर्क युक्त कुछ मजबूत बातें समाज के सम्मुख न रखी जा सकें |
   भूकंपों  के लिए जिस विश्वास के साथ पृथ्वी के अंदर की गैसों के दबाव एवं उससे होने वाले धरती की आतंरिक प्लैटों के घर्षण को जिम्मेदार मान लिया जाता है जैसे सच हो जबकि दूसरे ही क्षण ये कह दिया जाता है कि भूकम्पों के आने के कारणों के विषय में अभी तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं है इसका मतलब क्या यह निकाला जाए कि भूकंपों के विषय में आधुनिक वैज्ञानिकों के द्वारा जो गैसों प्लेटों के घर्षण आदि की थ्यौरी दी जा रही है वो आधुनिक वैज्ञानिकों की भूकम्पों के विषय में की गई केवल कल्पना मात्र है इसमें कोई सच्चाई नहीं है!
     यदि ये सब कुछ वास्तव में केवल कल्पना प्रसूत ही है है तो फिर ऐसी बातें क्यों बोली जाती हैं कि हिमालय की पर्वत श्रंखला में जमीन के अंदर गैसों का बहुत बड़ा भंडारण है उसके कारण कभी भी कोई बहुत बड़ा भूकंप आ सकता है जिससे बहुत भारी जन धन की हानि हो सकती है किंतु ये सब बातें सुनकर एक प्रश्न उठता है कि जब भूंकपों के विषय में अध्ययन करने वालों को अभी तक कुछ हाथ ही नहीं लगा है तो फिर भ्रम फैलाने एवं समाज के मन में भय उत्पन्न करने वाली बातें कही क्यों जाती हैं |यदि ये झूठ है तो बोला  क्यों जाता है और यदि ये सच है तो छिपाया क्यों जाता है  इसे सत्य मानकर तर्क पूर्वक स्थापित क्यों नहीं किया जाता है ?कछुए की तरह मुख निकालना और फिर अंदर कर लेने का खेल आखिर चलेगा कब तक !
  भूंकपों के आने का कारण समझने की दिशा में चल रही आधुनिक विज्ञान की रिसर्च यात्रा को कितने प्रतिशत सच माना जाए !साथ ही पृथ्वी के अंदर की गैसों के दबाओं के कारण रगड़ने वाली धरती के अंदर की प्लैटों को कितना जिम्मेदार माना जाए ?साथ ही भूकंप संबंधी सच से समाज को भी अवगत करा देने में बुराई भी क्या है ?
   कुल मिलाकर भूकंपों के रहस्यों को समझने के लिए केवल धरती के अंदर की गैसों प्लेटों में ही अपने को उलझाए  रहना ठीक होगा या इसके अलावा कुछ अन्य विषयों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए !   


     

भूकंप -7

'वात', 'पित्त' और 'कफ' का है   भूकंप विज्ञान से है सीधासंबंध !

 भूकंपों को समझने के लिए प्रकृति का अध्ययन 'वात', 'पित्त' और 'कफ' की पद्धति से करने पर   भूकंप संबंधी शोध कार्य विशेष सफलता प्रदान करने वाले हो सकते हैं इसके साथ साथ सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन इस पद्धति से करने पर भूकंप और समस्त प्राकृतिक आपदाओं को समझने में काफी सहयोग मिल सकता है |
       आयुर्वेद पद्धति में रोगों को समझने से लेकर औषधियों को समझने तक का सम्पूर्ण कार्य 'वात', 'पित्त' और 'कफ'के आधार पर ही किया जाता है !यहाँ तक कि बहुत वैद्य ऐसे होते हैं जो केवल नाड़ी परीक्षण करके वातपित्त और कफ का परीक्षण कर के रोगों के विषय में सब कुछ समझ लेते हैं और उसी के आधार पर चिकित्सा करके रोगियों को स्वस्थ कर दिया करते हैं |
   आयुर्वेद का मानना है कि शरीरों में  वातपित्त और कफ की मात्रा विषम होने पर रोग पैदा होते हैं और सम होने पर शरीर स्वस्थ हो जाता है !इन्हें सम करने के लिए लोग तरह तरह की पद्धतियों को अपनाते हैं यौगिक क्रियाएँ अपनाकर , दवाएँ खाकर , खान पान में सुधार करके, बिना  कुछ खाए पिए रहकर आदि जिस भी पद्धति से  'वात', 'पित्त' और 'कफ' के संतुलन को सँभाल पाते हैं वैसे  लेते हैं |
       मनुष्य शरीरों की तरह ही पशुओं पक्षियों आदि सभी प्रकार के जीवों में के रोगों की चिकित्सा भी वात पित्त और कफ की प्रक्रिया से ही करने का विधान है इससे पशुओं की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है और औषधियाँ  देकर उन्हें स्वस्थ भी किया  जा सकता है |
      वृक्षों में भी होने वाले रोगों को इसी 'वात', 'पित्त' और 'कफ' की पद्धति से न केवल समझा जा सकता है अपितु वृक्षों की चिकित्सा भी इसी पद्धति से की जाती है |स्पष्ट लिखा हुआ है कि वृक्षों में अगर गर्मी अधिक लग जाती  है या ठंडी अधिक लग जाती है या अधिक हवा लग जाती है तो वृक्ष रोगी हो जाते हैं उनके पत्ते पीले पड़ने लगते हैं अंकुर नहीं बढ़ते हैं शाखाएँ सूखने लगती हैं और रस टपकने लगता है !यथा -
                                      शीत वातातपै रोगो जायते पांडुपत्रता !
                                     अवृद्धिश्च प्रवालानां शाखाशोषो रसस्रुतिः ||
अन्यत्र भी लिखा है -      शीतोष्ण वर्ष वाताद्यैर्मूलैर्व्यामिश्रितैरपि |
                                     शाखिनां तु भवेद्रोगो द्विपानां लेखनें च ||
      वृक्षों के आपरेशन और आयुर्वेद पद्धति से ड्रेसिंग की व्यवस्था का वर्णन  भी मिलता है !यथा -
                                      चिकित्सितमथैतेषां शस्त्रेणादौ विशोधनं ||
  
  इसी प्रकार से संसार के मनुष्यादि सभी जीवों तथा वृक्षों के अलावा इस सृष्टि में और भी जो कुछ व्याप्त है वैसे तो वो सब कुछ अचेतन है क्योंकि संसार का निर्माण करने वाली मूल प्रकृति अचेतन है किंतु 
     जिस प्रकार से सूर्य का प्रतिबिम्ब तब तक रहेगा जब तक सूर्य है यही संबंध  संसार का निर्माण करने वाली मूलप्रकृति का ईश्वर के साथ है इसलिए वो मूलप्रकृति स्वयं तो अचेतन अर्थात चेतना रहित है किंतु ईश्वर का प्रतिबिम्ब स्वरूपा होने के कारण वो परमात्मा के चैतन्य के साथ संपूर्ण चराचर जगत का निर्माण करती है इसलिए ईश्वर की वो चैतन्यता ही मनुष्य से लेकर सभी जीवों में वृक्षों में पहाड़ों नदियों समुद्रों सरोवरों आदि समस्त जगत में दिखाई पड़ती है | ये सभी जन्मते मरते एवं बनते बिगड़ते रहते हैं अनित्य होने के कारण ये नाशवान है |
    इसलिए 'वात', 'पित्त' और 'कफ'का जितना और जैसा प्रभाव मनुष्यों पर होता है उतना और वैसा ही प्रभाव पशुओं पक्षियों आदि पर भी होते देखा जाता है!इसके साथ ही वही प्रभाव वृक्षों, पहाड़ों, नदियों, समुद्रों, सरोवरों आदि पर भी समान रूप से पड़ता है |इनमें भी 'वात', 'पित्त' और 'कफ' से संबंधित विकार होते देखे जाते हैं इसलिए उनका परीक्षण भी उसी प्रकार से किया जाना चाहिए !
      आयुर्वेद में वायु के विषय में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि मनुष्यों पशुओं पक्षियों पेड़ों पौधों में बड़ी बड़ी बीमारियाँ कर देने वाली वायु ही बड़े बड़े पहाड़ों को तोड़ देती है समुद्रों में अत्यंत ऊँची ऊँची लहरें उत्पन्न कर देती है पृथ्वी में भूकंप पैदा कर देती है आकाश से बिजली गिरा देती है भयंकर आंधी तूफान चक्रवात आदि पैदा कर देती है नदियों में भीषण बाढ़ ला देती है |इसलिए ऐसे सभी उत्पातों के होने का प्रमुख कारण वायु ही है |


भूकंप -6

भूकंप के विषय में दो शब्द -
       भूकंप जब जहाँ कहीं भी आते हैं वहाँ सब कुछ अव्यवस्थित हो जाता है चारों ओर हाहाकार मच जाता है अक्सर जब भूकंप आते हैं छोटे से लेकर बड़े तक बहुत नुक्सान होते देखे जाते हैं टीवी चैनलों पर गिरते हुए मकान फटी धरती टूटे पेड़ आदि के दृश्य वीडियो आदि दिखाए जा रहे होते हैं !आधुनिक वैज्ञानिकों के द्वारा बार बार बताया जा रहा होता है कि भूकंप का केंद्र कहाँ था , कितना तीव्र था कितनी गहराई पर था कितने बजे आया था इसके अलावा फिर वही घिसी पिटी बातें कि जमीन के अंदर गैसें भरी हैं गैसों के दबाव से जमीन के अंदर की प्लेटें रगड़ती हैं उसी से आता है भूकंप ! वो लोग दूसरी बात बताते हैं डेंजर जोन वाली हर बार जरूर बताते हैं !चौथी बात ये कहना कभी नहीं भूलते कि निकट भविष्य में बहुत बड़ा भूकंप आएगा क्योंकि हिमालय के नीचे गैसों का भारी भंडार है |
       वैज्ञानिकों के द्वारा अत्यंत विश्वास पूर्वक कही जाने वाली ऐसी बातें सुन पढ़ कर बड़ा आश्चर्य तब होता है जब एक बार तो  विश्वसनीय सी लगने वाली ऐसी बातें बड़े आत्मविश्वास पूर्वक कही जाती हैं वहीँ दूसरी ओर जब अचानक ये कहा जाने लगता है कि  भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता | तब सबसे बड़ा संशय इस बात का होता है कि इन दोनों बातों में सच्चाई आखिर है क्या है ?भूकंपों के विषय में कुछ पता है भी या नहीं या फिर धरती के अंदर की गैसों और प्लेटों वाली बातें भी केवल कल्पनामात्र  हैं यदि ऐसा तो भूकंपों के विषय का सच क्या है |
     भूकंपों के आने  कारण धरती के अंदर संचित गैसों और उसके दबाव से रगड़ने वाली प्लेटों को तब तक नहीं माना जाना चाहिए जब तक उनके द्वारा दिए जा रहे तर्कों का पीछा काल्पनिकता नहीं छोड़ती है |अर्थात भूकंपों के विषय में उनके द्वारा  दी जा रही गैसों और प्लेटों की थ्यौरी ही भूकंपों के आने का वास्तविक कारण है या कुछ और ये भी वास्तविक तर्कों से सिद्ध किया जाना चाहिए !  आधुनिक विज्ञान यदि इन्हीं गैसों और प्लेटों को भूकंपों के घटित होने का वास्तविक कारण मानता है तो इस थ्योरी  को भी तर्कों के द्वारा और अधिक विश्वसनीय बनाया जाना चाहिए !
   सरकारों में भूकंपों से संबंधित मंत्रालय होते हैं अधिकारियों कर्मचारियों की बड़ी संख्या होती है कितना धन खर्च होता होगा इस व्यवस्था पर !इन्हीं भूकंपों के विषय में रिसर्च करने के लिए विश्व के बहुत संस्थान बड़ी बड़ी धनराशि खर्च करके बड़े बड़े शोध कार्य चला रहे होते हैं  बहुत धन राशि खर्च होती होगी !इसी  प्रकार  से विश्व के  बड़े बड़े विश्व विद्यालयों में भूकंप अध्ययन अध्यापन के विभाग होते हैं शिक्षक होते हैं छात्र होते हैं शिक्षक गण भूकंपों को पढ़ा भी रहे होते हैं और विद्यार्थीगण पढ़ भी रहे होते हैं किंतु भूकंपों  के विषय में जब विश्वास पूर्वक कुछ कहने की बारी आती है तब वही बात कि भूकंपों के पूर्वानुमान के विषय में कुछ कहना संभव नहीं है !फिर वही प्रश्न कि ऐसी परिस्थिति में गैसों और प्लेटों की थ्यौरी को ही को ही किस आधार पर सच मान लिया जाए !काल्पनिक सच पर शोध कैसा और पठन पाठन कैसा और क्या है इसका औचित्य ?ऐसे चिंतन में मैं निरंतर डूबा रहने लगा !चूँकि आधुनिक विज्ञान की समझ न होने के कारण आधुनिक विज्ञान की बारीकियाँ समझ पाने में  सक्षम नहीं था !चूँकि मैंने आधुनिक विज्ञान  पढ़ा नहीं है इसलिए आधुनिक शिक्षा से शिक्षित लोगों को मेरे मुख से भूकंप जैसी चर्चाएँ अच्छी नहीं लगती थीं |
     इसके बाद मैंने  पढ़ा कि भूकंप  आने से पहले  कुछ जीवों के स्वभावों में परिवर्तन आने लगता है !उधर जगदीश चंद वसु के वृक्ष विज्ञान पर भरोसा करते हुए मैंने वैदिक विज्ञान का स्वाध्याय प्रारंभ किया जिसमें वेद आयुर्वेद वनस्पतिविज्ञान स्वभावविज्ञान ज्योतिषविज्ञान योगविज्ञान आदि का गहन अध्ययन और मंथन करते हुए ऐसे सभी प्रकार से वैदिक ज्ञान और विज्ञान  का अध्ययन करते हुए मैंने ब्रह्मांड को सविधि समझने का प्रयास किया !
     मैंने पढ़ा था कि 'यत्पिंडे तत्ब्रह्मांडे' अर्थात जैसा ब्रह्मांड है वैसा ही शरीर है इसलिए ब्रह्मांड को सही सही समझने के लिए सर्व प्रथम अपने शरीर को समझना होगा इसके बाद शरीर को आधार बनाकर उसी के अनुशार ही  ब्रह्मांड का अध्ययन किया जा सकता  है और ब्रह्मांड के रहस्य में प्रवेश पाते ही भूकंप वर्षा एवं रोग और मनोरोग जैसे गंभीर विषयों की गुत्थियाँ सुलझाने में सफलता सकती है इसीविचार से मैं भूकंप से संबंधित रिसर्च विषयक अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते चला गया !

 

भूकंप -5

भारत और पकिस्तान के आपसी सम्बन्ध बनाने बिगाड़ने वाले भूकंप
  हिंदू कुश में आए ये तीन भूकंप तीनों एक ही प्रजाति के थे -
26 -10-2015 को हिंदूकुश में भूकंप आया था
    वैदिक वांग्मय के अनुशार इस भूकंप के आने का फल मैंने अपने ब्लॉग पर इस नाम से ही उसी दिन प्रकाशित कर दिया था उसके बाद वो पेज कभी खोला नहीं न कोई संशोधन किया !ये है वो लेख -
   इस भूकंप के संकेतों को समझकर मैंने इस भूकंप के प्रभाव को ब्लॉग पर लिखा था - "भूकंप के कारण जन धन की हानि तो होती ही है किंतु भूकंप प्रभाव से होने वाले शकुन अपशकुनों की दृष्टि से यदि देखा जाए  तो ये भूकंप इस क्षेत्र के लोगों में आपसी शांति का कारक होगा  देशों एवं लोगों के बीच आपसी सौमनस्य का निर्माण करेगा और इस सात्विक सोच का असर वर्तमान भारत पाक संबंधों में भी सकारात्मक दिखेगा आपसी संबंध सामान्य बनाने के प्रयास फलीभूत होंगे !इसमें भारत पाक संबंधों को सामान्य बनाने के सफल प्रयास होंगे ।प्राचीन विज्ञान के हिसाब से ऐसे भूकंप का केंद्र जल से संबंधित होता है ! जबकि हिंदू कुश के आस पास समुद्र न होने के कारण संभव है कि समुद्र में हुई जलीय हलचलों से निर्मित गैसों का प्रकटीकरण हुआ हो हिंदूकुश जैसे स्थलों पर ! वैसे शास्त्रीय मान्यताओं के हिसाब से तो ये भूकंप जल जनित ही माना गया है ।दूसरी बात ऐसे जलीय भूकंपों  में  आफ्टर शॉक्स नहीं आया करते हैं एक बार ही भूकम्प आता है बस !तीसरी बात ऐसे भूकंपों से समुद्रों और नदियों के किनारे बसने वाले लोगों की बड़ी क्षति होती है जल जनित बीमारियाँ ,अति वृष्टि या सुनामी जैसी बाधाएँ निकट भविष्य में संभव हैं ।" इस भूकंप का फल आगामी 6 महीनों तक रहेगा !
     25(26) -12 -2015 को हिंदूकुश में आया भूकंप !
     26 -10-2015 को आया  भूकंप हो या 25(26) -12 -2015 को आया  भूकंप भविष्य विज्ञान की दृष्टि से यदि इसका अध्ययन किया जाए तो ये दोनों भूकम्प जल देवता की कृपा से आए थे इसलिए ये वातावरण ठंडा बनाते हैं आपसी सहनशीलता बढ़ाते हैं जिससे आपस के बैर विरोध समाप्त होते हैं चूँकि इन दोनों भूकंपों का असर भारत पाक दोनों देशों में रहा है इसलिए इसका अर्थ निकाला जाना चाहिए कि  भारत पाक के आपसी संबंध सुधरेंगे ,ऐसे भूकम्पों का असर यद्यपि छै महीनों तक रहता है किंतु जैसे जैसे समय बीतता जाता है वैसे वैसे कम होता जाता है। पहले भूकंप का असर अब दिनोंदिन घटने लगा था किंतु 25(26) -12 -2015 को आए भूकंप के प्रभाव से वो प्रभाव फिर से रिचार्ज हो गया है । अब भारत पाकिस्तान की सरकारें आपसी विवाद निपटाने का प्रयास जितना करेंगी उससे कई गुना अधिक सफलता मिलेगी किंतु इसका विशेष असर लगभग साठ दिन तक रहेगा उसके बाद घटता जाएगा !
       तीसरी बार 2 जनवरी 2016 को भी 'जलज' भूकंप  आया और उसका केंद्र भी हिंदूकुश ही था पाकिस्तान से आतंकवादी  आए तो भूकंप आया !
     इसमें विशेष बात ये है कि इस समय भारत और पाकिस्तान को आपस में मिलाने में ये तीनों भूकंप भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे !ये तीनों ही भूकंप एक ही प्रजाति के थे इनका केंद्र भी एक ही हिंदूकुश था और ये तीनों ही भूकंप एक जैसा फल देने वाले थे अर्थात भारत और पकिस्तान के मध्य आपसी शांति सद्भावना स्थापित करने वाले थे ! 26-10 -2015 का समर्थन करने के लिए ही आए थे ये दोनों भूकंप ! भारत और पाकिस्तान को आपस में मिलाने में उस समय ये भूकंप भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे  !तीनों भूकंप भारत और पकिस्तान से जुड़ी तीन घटनाओं के गवाह बने !पहली बार 26 अक्टूबर 2015 को 'गीता' भारत आई तो उसी दिन भूकंप आया |  दूसरी बार 25 दिसंबर 2015 को मोदी जी पाकिस्तान गए तो उसी रात में भूकम्प आया !तीसरी बार 2 जनवरी 2016 पाकिस्तान से आतंकवादी  आए तो भूकंप आया !
     आतंकवादियों के आने पर भूकंप आने का मतलब था कि भारत में आतंकी हमला हुआ है इसलिए भारत क्रोध में आकर कहीं शांति और सद्भावना के प्रयासों से पीछे न हट जाए इसलिए इस भूकंप का प्रयोजन था कि अभी आपसी भरोसा किया जाना चाहिए !
      चूँकि इस प्रजाति के भूकंप प्रबल वर्षाकारक होते हैं इसलिए इन तीनों भूकम्पों में सबसे प्रबल और मुख्यभूकंप था 26-10-2015 वाला !इसलिए 29-10-2015 को ही आकाश में घटाएँ घिर आई थीं और लगातार 60 दिनों तक तमिलनाडु में वर्षा होती रही थी !भूकंप का अधिक असर दो महीने तक रहता है और सामान्य असर 6 महीने तक रहता है इसलिए ऐसा हुआ | इसमें एक बात ध्यान देने की ये है कि तमिलनाडु में तो भूकंप आया नहीं तो वर्षा वहाँ क्यों हुई ?वस्तुतः जब कोई प्रबल भूकंप आता है जो काफी बड़ा क्षेत्र घेरे होता है उसमें इसी घटनाएँ स्थान का कुछ अतिक्रमण कर जाती हैं क्योंकि अतिवर्षा समुद्र और नदियों के किनारे होनी थी ये कारण भी हो सकता है |
      देखने में भले ही ये सब महज एक संयोग लगे किंतु  इन भूकंपों के विषय में प्राचीन विज्ञान की दृष्टि से अध्ययन करने पर ये पता लगता है कि इन भूकंपों के आने के 6 मास बाद  तक इनके अच्छे बुरे फल होते रहते हैं यद्यपि जैसे जैसे समय बीतता जाता है वैसे वैसे भूकंपों का प्रभाव भी घटता जाता है इसीलिए एक जैसे भूकंप एक ही स्थान पर अगर बार बार रिपीट होते जा रहे हैं तो इनका कोई महत्वपूर्ण संकेत होता है विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा होते देखा जाता है।    
      दो जनवरी को आने वाला  भूकंप मात्र इस बात का संकेत था कि पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने भारत को जो भयंकर चोट दी है सैनिकों के बहुमूल्य जीवन खोने पड़े हैं इस असह्य आपदा से घबड़ाकर भारत शांति के प्रयासों से अपने कदम कहीं पीछे न खींच ले !इसलिए उस दिन आए भूकंप के प्रभाव से पाकिस्तान को इतनी सद्बुद्धि आएगी कि वो भारत की भावनाओं के अनुरूप ब्यवहार करेगा !वैश्विक दृष्टि से भी पाकिस्तान पर ऐसा ही दबाव बनाया जाएगा जिससे पाकिस्तान सरकार भारत का भरोसा जीतने का प्रयास करे

 10-4-2016 को आया 'सूर्यज' भूकंप-
      इससे अफगानिस्तान पाकिस्तान और पूर्वोत्तर भारत प्रभावित हुआ था तो इसका फल भी विशेष पूर्वोत्तर भारत में ही देखा जा रहा था !
   वैदिक वांग्मय के अनुशार इस भूकंप के आने का फल मैंने अपने ब्लॉग पर इस नाम से ही उसी दिन प्रकाशित कर दिया था उसके बाद वो पेज कभी खोला नहीं न कोई संशोधन किया !ये है वो लेख -
"भूकंप (10-4-2016) के कारण पड़ेगा भीषण सूखा, बढ़ेंगे अग्निकांड और बिगड़ेंगे पाकिस्तान के साथ संबंध !
3-4-2016 से 10-4-2016 तक हवा में मिली हुई थी आग जो भूकंप की अग्रिम सूचना दे रही थी ।
अब जानिए क्या है भूकम्प का फल -
अग्नि सम्बन्धी समस्याएँ और अधिक भी बढ़ सकती हैं इस समय वायुमण्डल में व्याप्त है अग्नि !इसलिए अग्नि से सामान्य वायु भी इस समय ज्वलन शील गैस जैसे गुणों से युक्त होकर विचरण कर रही है । इसके अलावा इस समय दिशाओं में जलन, तारे टूटना ,उल्कापात होने जैसी घटनाएँ भी देखने सुनने को मिल सकती हैं ।
इस भूकंप के कारण ही नदियाँ कुएँ तालाब आदि अबकी बार बहुत जल्दी ही सूखते चले जाएँगे !यहीं से शुरू होकर भारत और पकिस्तान के मध्य आपसी सम्बन्ध दिनोंदिन अत्यंत तनाव पूर्ण होते चले जाएँगे निकट भविष्य में भारत पाक के बीच आपसी सम्बन्धों में कटुता इतनी अधिक बढ़ती चली जाएगी कि अभी से सतर्कता बरती जानी बहुत आवश्यक है ।इसलिए उचित होगा कि भारत पड़ोसी देश पर कम से कम अक्टूबर 2016 तक विश्वास करना बिलकुल बंद कर दे पड़ोसी के द्वारा कभी भी कैसा भी कोई भी विश्वासघात संभव है !
इतना ही नहीं अपितु इस भूकंप के दुष्प्रभाव से शरीर में जलन की बीमारियाँ बढ़ेंगी, तरह तरह के ज्वर फैलेंगे बिचर्चिका और बिसर्पिका जैसी त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ एवं पीलिया रोग निकट भविष्य में बहुत अधिक बढ़ जाने की सम्भावना है !सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग ओर से इस दिशा में विशेष सतर्कता बरती जानी चाहिए !इसका विशेष दुष्प्रभाव अभी से लेकर अक्टूबर 2016 तक रहेगा किंतु जैसा जैसा समय बीतता जाएगा वैसा वैसा घटता जाएगा दुष्प्रभाव !"
    इसमें विशेष बात ये है कि वैदिक विज्ञान के द्वारा की गई ये भविष्यवाणियाँ और पूर्वानुमान मुझे तो बिल्कुल सही हुए दिख रहे हैं क्योंकि आग लगने की घटनाएँ इस भूकंप के तुरंत  बाद अचानक बहुत अधिक घटने लगी थीं इसी कारण तो बिहार जैसे राज्यों में दिन में हवन करने  एवं खाना बनाने को रोकने की सलाह सरकारी स्तर पर दी जाने लगी थी हजारों जगह आग लगनी अचानक शुरू हो गई थी ! 9\10 अप्रैल 2016 की रात 3 बजे केरल के मंदिर में लगी आग, 110 से अधिक की मौत हुई और 350 से भी अधिक लोग घायल हो गए थे !ऐसी अग्नि संबंधी दुर्घटनाएँ हजारों जगह घटी थीं !गर्मी भी बहुत अधिक बढ़ गई थी और दो सप्ताह के अंदर अचानक कुएँ नदी तालाब आदि या तो सूख गए थे या उनका पानी बहुत अधिक घट गया था एक गाँव के लोगों ने गाँव छोड़कर खेत केवल इसलिए रहना शुरू कर दिया कि उस कुएँ में बहुत अधिक पानी था किंतु एक सप्ताह के अंदर ही वो कुआँ सूख गया ! पानी के लिए ट्रेन चलानी पड़ी थी उसी समय एक दो सप्ताह के अंदर अंदर ही सूखने  लगे थे बड़े बड़े जलाशय ! गर्मी से फैलने वाली बीमारियाँ अचानक तेजी से बढ़ने लगीं थीं !इतना ही नहीं 26 -10 -2015 के भूकंप के प्रभाव से चले आ रहे पडोसी देश पकिस्तान के साथ सहजता की ओर बढ़ते संबंध 10-4-2016 के बाद कटुता पूर्ण होने लग गए थे और आगामी 6 महीने तक निरंतर बिगड़ते ही चले गए थे !ये 'सूर्यज' भूकंप का ही  उग्र प्रभाव था अथवा ये कह लिया जाए कि इस प्रकार का प्राकृतिक सामाजिक आदि वातावरण बनना था इसलिए भूकंप ने इसकी अग्रिम सूचना दी !
     13 -4-2016  को आया 'चन्द्रज' भूकंप !
     इसका केंद्र म्यांमार था किंतु पूर्वोत्तर भारत समेत बहुत बड़े भूभाग को इस भूकंप ने प्रभावित किया था
वैदिक वांग्मय के अनुशार इस भूकंप के आने का फल मैंने अपने ब्लॉग पर इस नाम से ही उसी दिन प्रकाशित कर दिया था उसके बाद वो पेज कभी खोला नहीं गया और न ही कोई संशोधन किया गया !ये है वो लेख -
    "भूकंप (13 -04-2016) के प्रभाव से भारत और चीन के आपसी संबंध होंगे मधुर !
  13 -04-2016 को 19. 28 बजे देश के पूर्वोत्तर में आया था भूकंप  ! इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अति शीघ्र अधिक वर्षा बाढ़ से हो सकती भारी क्षति !जबकि समाज में व्याप्त असंतोष एवं आपसी  बैर विरोध की भावना घटेगी और भाईचारे का वातावरण बनेगा !विशेष बात यह है कि इस भूकंप में आफ्टर शॉक्स नहीं आतेहैं !  
    10-4-2016 को आए भूकंप से जो जो हानियाँ होती दिख रहीं थीं13-04-2016को आए भूकंप से वो सबकुछ सामान्य होते दिख रहा है इस भूकंप के द्वारा प्रकृति ने अपने को संतुलित किया है इस भूकंप का ये सबसे बड़ा लाभ है!भारत वर्ष के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्रों में जहाँ (10-4-2016) के भूकंप प्रभाव से भीषण सूखा पड़ेगा , अग्निकांड बढ़ेंगेऔर पाकिस्तान के साथ संबंध बिगड़ेंगे!गरमी संबंधी बीमारियाँ बढेंगी, वहीँ दूसरी ओर देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में13-04-2016 को आए भूकंप के प्रभाव से अधिक वर्षा की संभावना है और भारत के पूर्वोत्तर के पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर होंगे और उन्हीं क्षेत्रों में अधिक वर्षा की भी सम्भावना बनती है ।
13-04-2016 को आए भूकंप की शास्त्र वर्णित विशेषताएँ -       बंधुओ ! किसी भी भूकंप के कारण जन धन की हानि तो होती ही है किंतु भूकंप प्रभाव से होने वाले शकुन अपशकुनों की दृष्टि से यदि देखा जाए  तो ये भूकंप इस क्षेत्र के लोगों में आपसी शांति का कारक होगा  देशों एवं लोगों के बीच आपसी सद्भावना का निर्माण करेगा और इस सात्विक सोच का असर वर्तमान भारत चीन संबंधों में भी सकारात्मक दिखेगा आपसी संबंध सामान्य बनाने के प्रयास फलीभूत होंगे ! इस भूकंप का फल आगामी 6 महीनों तक रहेगा !इसमें भारत चीन संबंधों को सामान्य बनाने के सफल प्रयास होंगे ।
       प्राचीन विज्ञान के हिसाब से ऐसे भूकंप का केंद्र जल से संबंधित होता है ! समुद्र में हुई जलीय हलचलों से निर्मित गैसों का भूकंप के रूप में प्रकटीकरण माना जाना चाहिए ! वैसे शास्त्रीय मान्यताओं के हिसाब से तो ये भूकंप जल जनित ही माना गया है ।
    दूसरी बात ऐसे जलीय भूकंपों  में  आफ्टर शॉक्स नहीं आया करते हैं एक बार ही भूकम्प आता है बस !
तीसरी बात ऐसे भूकंपों से समुद्रों और नदियों के किनारे बसने वाले लोगों की बड़ी क्षति होती है जल जनित बीमारियाँअतिवृष्टि या सुनामी जैसी बाधाएँ निकट भविष्य में संभव हैं ।
  10-4-2016 को आए भूकंप से बिलकुल बिपरीत अर्थात उलटे लक्षणों वाला है 13 -04-2016को आया भूकंप !इन दोनों भूकंपों के फलों में भी आकाश पाताल का अंतर होगा ! दोनों ही भूकंप अपने अपने क्षेत्रों में दिखाएँगे अपना अपना दम ख़म !"
      इस भूकंप के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों में भी मधुरता आई थी साथ ही पूर्वी भारत के पूर्वी जिलों में कुछ महीनों तक लगातार भारी वर्षा और बाढ़ की स्थिति बनी रही थी !यद्यपि वर्षा और बाढ़ की संभावनाएँ इस क्षेत्र में विशेष रहती ही हैं फिर भी भूकंपजनित फलों को नकारा कैसे जा सकता है !
   इन दोनों भूकम्पों के विषय में  विशेष ध्यान देने योग्य बात -     
      10-4-2016 को आए भूकंप और  13 -04-2016को आए भूकंप में केवल तीन दिन का अंतर था जबकि एक दूसरे का फल एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत अर्थात उल्टा था !दोनों एक साथ घटित होना कैसे संभव था !इसलिए दोनों भूकम्पों ने क्षेत्र अलग अलग चुना 10-4-2016 वाले भूकंप से अफगानिस्तान पाकिस्तान और भारत विशेष प्रभावित हुआ था जिसमें  जम्मू-कश्मीर ,पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में भी महसूस किए गए।जबकि 13 -04-2016को आए भूकंप का केंद्र म्यांमार था जिससे कोलकाता, गुवाहाटी, बिहार, रांची और देहरादून में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र  भारत और म्यांमार था भूकंप के सबसे ज्यादा झटके उत्तर- पूर्वी भारत में महसूस किए गए हैं। त्रिपुरा के अगरतला में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।
    ऐसी परिस्थिति में जिस भूकंप का जिस क्षेत्र में जैसा असर था उस भूकंप का प्रभाव भी उसी क्षेत्र में विशेष अधिक दिखाई पड़ा था जिन क्षेत्रों में  भूकम्पों का मिलाजुला असर रहा उन क्षेत्रों में दोनों भूकम्पों का फल भी मिलाजुला ही दिखाई दिया |
     
         इसके बाद इसी म्यांमार में आया दूसरा भूकंप जिसने पहले वाले भूकंप के फल को बिल्कुल बदल दिया और इसी म्यांमार में 13-4-2016 को आए भूकंप के प्रभाव से चल रही लगातार और बाढ़ को रोकने की भूकंप घोषणा हुई और भारत एवं चीन के आपसी संबंध विश्वसनीय न रहने की उद्घोषणा -
    वैदिक वांग्मय के अनुशार इस भूकंप के आने का फल मैंने अपने ब्लॉग पर इस नाम से ही उसी दिन प्रकाशित कर दिया था उसके बाद वो पेज कभी खोला नहीं गया और न ही कोई संशोधन किया गया !ये है वो लेख -
 पूर्वी भारत में भूकंप के झटके 24-8-2016 \ 16.5 बजे !
    भूकंप का केंद्र म्यांमार में जमीन से 58 किमी. नीचे था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.8 मापी गई।    " म्यांमार से लेकर पूर्वोत्तर भारत में पश्चिम बंगाल ,उत्तरप्रदेश ,बिहार ,झारखंड,उड़ीसा ,असम, अरुणाचलप्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर और मिजोरम आदि में  भूकंप का तगड़ा झटका महसूस किया गया। कोलकाता, पटना, दरभंगा, गुवाहाटी और लखनऊ में भूकंप के झटके महसूस किए गए।"
    भूकंप से प्रभावित प्रदेशों में पिछले 4 महीने से भीषण वर्षा और बाढ़ से मची त्राहि त्राहि प्रभाव पूर्वक अब तुरंत समाप्त हो जाएगी इस भूकंप से प्रभावित प्रदेशों में पिछले 4 महीने से चली आ रही वर्षात अब तुरंत बंद हो जाएगी ! बाढ़ पे अतिशीघ्र अंकुश लग जाएगा नदियाँ कुएँ तालाब आदि बाढ़ की अतिविशाल जल राशि को अतिशीघ्र स्वयं पी जाएँगे !पूर्वी क्षेत्रों में समुद्र  के समान फैला बाढ़ का यह विशाल पानी  कुछ ही दिनों में अतिशीघ्र सूख कर गया कहाँ इसका अनुमान भी लगाना कठिन होगा ! भूकंप से प्रभावित बाढ़ पीड़ित प्रदेशों की असहाय सरकारें एवं आपदा प्रबंधन विभाग राहत की सांस लेगा !सरकारें एवं आपदा प्रबंधन विभाग पूर्वोत्तर भारत की जिस बाढ़ को देखकर लाचार है वह अतिशीघ्र स्वयं समाप्त हो जाएगी !यहाँ तक कि जमीन की नमी बहुत जल्दी सूख जाएगी तथा अग्नि एवं गर्मी से संबंधित प्रकोप बढ़ेंगे पित्त प्रकुपित होने से संभावित बीमारियाँ फैलेंगी !
    पूर्वोत्तर भारत में असंतोष पनपेगा !यहाँ के लोग आपस में एक दूसरे के साथ हिंसक वर्ताव करने लगेंगे !चीन,बांग्लादेश आदि पर विश्वास करना भारत सरकार  अविलम्ब बंद कर दे अन्यथा चीन की ओर से भारत को कभी भी कोई भी बड़ी से बड़ी चोट दी जा सकती है भारत सरकार को चाहिए कि अगले 6 महीने के लिए चीनसे किसी भीप्रकार की न कोई मेल मिलाप संबंधी बात करे और न ही चीन की किसी बात पर भरोसा करे" ।     हमारे द्वारा अपने ब्लॉग पर लिखी गई यह वैदिक भूकंपीय सूचना भी सच साबित हुई है क्योंकि इस भूकंप के बाद वर्षा और बाढ़ अचानक घट गई थी और चीन के साथ संबंधों में भी उत्तेजना बढ़ने लग गई थी !

   



भूकंप -4

     प्राकृतिक आपदाओं से डरने की अपेक्षा सुधार पर दिया जाए ध्यान !

  आँधी बाढ़ और भूकंप जैसी घटनाएँ हमारी भलाई के लिए ही घटित होती हैं बाढ़ नदी और तालाबों के गंदे पानी को निकाल कर फिर उसकी सफाई करके उन नदी तालाबों में स्वच्छ जल भर पाना बाढ़ के बिना कैसे संभव हो पाता ! पहले का गन्दा पानी हटाकर उस बर्तन को धुले बिना उसमें शुद्ध जल भर दिया जाए तो क्या वो पीने योग्य हो पाएगा क्या ?फिर भी यदि ऐसा ही करते रहा जाए तो दोचार वर्षों में ही ये नदी तालाब दुर्गंध देने लगेंगे सफाई अगर !इसी प्रकार से वायु को शुद्ध करने के लिए आँधी तूफान आते हैं ! पृथ्वी पर बड़े अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माणजन्य  बोझ को कम करने के लिए भूकंप आते हैं समतल सी दिखने वाली पृथ्वी वैसे तो गोल ही होती है और गोल वस्तु को संतुलन के बल पर ही व्यवस्थित रखा जा सकता है पहाड़ पृथ्वी का संतुलन बनाकर रखने के लिए ही तो होते हैं |
    प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित घटनाओं के दो कारण होते हैं पहला तो सृष्टि संचालन जैसा कि ऊपर निवेदन किया गया है यदि इन्हें कम करना है तो प्रदूषण हमें स्वयं घटा लेना होगा जितना प्रदूषण कम होगा सफाई का काम भी उतना कम होगा तो बाढ़ और आँधी तूफान आदि का वेग भी उतना कमजोर होगा जन धन की हानियाँ भी उतनी ही कम होंगी |प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए हमें प्रकृति के अनुकूल वर्ताव करना चाहिए यदि हम नदी तालाबों  का जल गन्दा नहीं करेंगे तो बाढ़ नहीं आएगी वायु प्रदूषण नहीं फैलाएँगे तो आँधी तूफान नहीं आएँगे और पृथ्वी पर अनुचित एवं अतिरिक्त निर्माण जन्य बोझ नहीं बढ़ने देंगे तो भूकंप नहीं आएँगे| अंततः प्राकृतिक दुर्घटनाओं  को घटाने के प्रयास हमें ही करने होंगे |
   प्राकृतिक आपदाओं के नाम से घटित होने वाली घटनाओं का दूसरा कारण उस स्थल में रहने वालों को कोई संदेशा देना भी होता है !ऐसे संदेश निकट भविष्य में होने वाली बाढ़ के हो सकते हैं आँधी तूफान के हो सकते हैं प्रकृति प्रदत्त ऐसे संकेतों पर यदि शोध किया जाए तो प्रकृति में घटित होने वाली कई घटनाएँ अपने से पहले घटित हो चुकी कुछ घटनाओं से सम्बंधित होती हैं जो इस समय घट रही घटनाओं को घटित होने की अग्रिम सूचना देने के लिए ही घटित हुई होती हैं इसी प्रकार से इस समय घटित हो रही या हुई घटनाएँ निकट भविष्य के कुछ महीनों में घटित होने वाली कुछ घटनाओं की सूचनाएँ दे रही होती हैं !ये सूचनाएँ चिकित्सा और रोगों से जुड़ी हो सकती हैं निकट भविष्य में होने वाले सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की सूचना दे रही होती हैं निकट भविष्य के अच्छे बुरे सामाजिक और राजनैतिक परिवर्तनों की ओर इशारा कर रही होती हैं यदि ऐसी घटनाएँ किन्हीं दो देशों में संयुक्त रूप घट रही होती हैं तो उनसे दोनों देशों को प्रभावित करती हैं कई बार तो निकट भविष्य में उन दोनों देशों में उनका फल देखने को मिलता है साथ ही उन दोनों देशों के बीच  निकट भविष्य में बनने बिगड़ने वाले आपसी संबंधों की ओर इशारा कर रही होती हैं कि उन दोनों देशों को आपसी संबंधों में किस प्रकार से कितनी सावधानी बरती जानी चाहिए अन्यथा दोनों देशों को किस किस प्रकार से हानि लाभ उठाना पड़ सकता है !कुल मिलाकर ऐसी घटनाएँ अक्सर हमें कुछ सीख देने के लिए ही घटती हैं जो उस समय हमारे लिए बहुत आवश्यक होती है !विशेषकर भूकंप जैसी बड़ी घटनाओं के घटित होने का उद्देश्य हमें कुछ विशेष सूचनाएँ देना होता है जिन्हें समझने के लिए हमें प्रकृति की भाषा भाव और संकेतों को समझने का प्रयास करना होता है !
    ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के घटने से एक दो महीने पहले उस क्षेत्र की प्रकृति में बदलाव होने लगते हैं अपने आकारों प्रकारों आदि में तरह तरह के परिवर्तनों के द्वारा ये हमें अनेकों प्रकार की दुर्लभ दुर्लभ सूचनाएँ समय समय पर आगे से आगे उपलब्ध कराया करते हैं |यदि हमें आत्मचिंतन का निरंतर उत्तम अभ्यास हो जाए तो विभन्न विषयों पर हम इनके संकेतों को ऐसे समझ सकते हैं जैसे ये हमसे बातें कर रहे हों !
    प्रायः प्राकृतिक घटनाएँ घटने से कुछ पहले से ही ऐसे परिवर्तन केवल प्रकृति में ही नहीं दिखाई पड़ते हैं अपितु ऐसे क्षेत्रों के सभी जीव जंतुओं को भी अनुभव होने लगते हैं इन्हीं कारणों से उनके स्वभावों में बदलाव आने लगते हैं जिनका अनुभव प्राचीन भारत के मनीषी तो करते ही रहे हैं आधुनिक विचारक भी इधर ध्यान देने लगे हैं अब तो बहुत विद्वान लोग स्वीकार करने लगे हैं कि भूकंप आने से कुछ दिन पहले कुछ जीव जंतुओं के स्वभाव बदलने लग जाते हैं विभिन्न लोगों के द्वारा समय समय पर ऐसा होते देखा भी गया है और तो और उस क्षेत्र के स्त्री पुरुषों के स्वभाव बदलने लग जाते हैं स्वास्थ्य बिगड़ने लग जाते हैं किसी एक प्रकार के रोग के शिकार होने लगते हैं उस क्षेत्र के बहुसंख्य लोग !समाज में अकारण उन्माद फैलने लग जाता है पागलपन इस हद तक बढ़ जाता है कि अच्छे भले स्त्री पुरुष एक दूसरे को मार डालने पर उतारू हो जाते हैं कई बार तो दो देशों में परस्पर ऐसी भावनाएँ पनपने लगती हैं सामूहिक रूप से मरने मारने के लिए संघर्ष शुरू हो जाते हैं|कई बार इनके लक्षण शुभ भी होते हैं दो देशों  की शत्रुता समाप्त करने के संकेत देते हैं किसी क्षेत्र में भाई चारे की भावना को पनपाने में सहयोग करते हैं कई बार तो यही भूकंप कई बड़ी दुर्घटनाओं को टालते देखे जाते हैं भूकंपों के द्वारा दी गई सूचनाओं पर यदि तुरंत ध्यान दिया जाए और उनके अनुशार सतर्कता बरती जाए तो उस क्षेत्र में विषय में कुछ ऐसी सूचनाएँ हाथ लग जाती हैं जो देश और समाज के लिए  तुरंत ध्यान देने योग्य और बहुत महत्त्व पूर्ण होती हैं | यदि भूकम्पों की  तीव्रता 5 डिग्री या उससे अधिक होती है या जैसे जैसे बढाती जाती है वैसे वैसे उपर्युक्त प्रभावों को अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है तीव्रता जैसे जैसे कम होती जाती है उसका फल भी वैसे वैसे घटता चला जाता है | तीव्रता यदि 3 डिग्री या उससे कम होती है तो विशेष अनुभव करने से ही उसके फल का अनुभव हो पाता है !
     भूकंपों की प्रेरक शक्ति अपनी भूकम्पीय सूचनाओं में इतनी अधिक सतर्कता बरतते देखी जाती है कि यदि कोई विशेष सूचना देने के लिए अभी कोई भूकंप आया होता है और भूकंप की घोषणाओं के अनुशार घटनाएं घटने लग जाती हैं वैसी घटनाओं को रोकने के लिए भूकंपीय शक्तियों की यदि कोई नई योजना अचानक सामने आती है तो पहले भूकंप के विरोधी स्वभाव वाला कोई दूसरा भूकंप उसी क्षेत्र में पहले वाले भूकंप के प्रभाव की अवधि के अंदर ही आ जाता है पहले वाले भूकंप के प्रभाव को निष्फलता घोषणा कर देता है इस प्रकार से पहले वाले भूकंप  के प्रभाव से प्रकृति या समाज में घटित हो रही घटनाएँ प्रभाव से तत्काल रोक दी जाती हैं | कई बार किसी भूकंप का प्रभाव यदि 60 दिन चलने की घोषणा की गई है बीच में यदि कोई दूसरा भूकंप नहीं आता है तो प्रकृति वो समाज में अगले साठ दिनों तक वैसी ही घटनाएँ घटती चली जाती हैं !उसके बाद वो घटनाएँ उसी प्रकार से लगातार आगे बढ़ानी हैं या वहीँ रोक देनी हैं या उसके विपरीत दिशा में चलानी है आदि अग्रिम आदेश प्रदान करने के लिए 55 से 65 दिनों के बीच ही उसी क्षेत्र में दूसरा भूकंप आकर पुनः उस क्षेत्र के अगले भविष्य की घोषणा करता है | भूकंप प्रेरक शक्तियों के द्वारा कई बार तो ये सतर्कता इतनी अधिक बरती जाती है कि यदि पहले भूकंप का प्रभाव 60 दिन लिखा गया है तो 61 वें  दिन ही आ जाता है दूसरा भूकंप और भूकंप प्रेरक शक्तियों के अगले आदेश की घोषणा कर देता है |
   पिछले कुछ दशकों से इस क्षेत्र में निरंतर शोधकार्य  करते करते मुझे लगने लगा है कि जब प्रकृति या समाज में अचानक और अकारण बहुत अधिक दुर्घटनाएँ  घटने लगें या अधिक आग लगने की घटनाएँ घटित हों या वर्षा बाढ़ रोग या सामाजिक वैमनस्य ,आतंकवादी दुर्घटनाएँ या दो राष्ट्रों के बीच बढ़ता प्रेमालाप या बढ़ता वैर विरोध आदि तब भूकंप प्रेरक शक्तियों के आदेशों की प्रतीक्षा होने लगती है !किंतु सकारण होने वाली घटनाओं का सम्बन्ध  भूकम्पों से नहीं माना जाना चाहिए !अचानक और अकारण घटने वाली घटनाएँ ही भूकंप प्रेरित मानी जानी चाहिए ! वैसे भी ऐसे विषयों पर अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है
   भूकंप जैसी बड़ी घटनाएँ वस्तुतः ये प्राकृतिक उत्पात होते हैं इसका मतलब ये केवल संकेत मात्र होते हैं भविष्य संबंधी घटनाएँ घटने के समय में और इनकी सूचनाओं में इतना अंतर तो होता है कि कई बार हम उन घटनाओं को घटने से टालने के प्रयास  भी कर सकते हैं किंतु उसके परिणाम कितने सटीक होंगे इसका अनुभव करने के लिए हमारे पास संसाधन नहीं हैं !

भूकंप -3

प्रथम अध्याय -  भूकंप संबंधी पूर्वानुमानों की खोज कहाँ कहाँ की जाए  -

     भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमानों के लिए अधिकाँश देश अपने अपने स्तर से जी जान लगाए हुए हैं इसके लिए सरकारों ने अलग मंत्रालय बना रखे हैं भूकंपों के विषय में पता लगाने के लिए अधिकारी कर्मचारी हैं भूकंप वैज्ञानिक हैं शिक्षण संस्थान हैं रिसर्च इंस्टीट्यूट हैं विश्व विद्यालयों में डिपार्टमेंट हैं और भूकंपों के विषय की पढ़ाई भी होती है प्रोफेसर पढ़ाते हैं छात्र पढ़ते हैं ! ऐसे सभी प्रकार के प्रयासोंमें सरकारें भारी भरकम धनराशि का व्यय करती हैं इस दिशा में सभी के द्वारा किए जाने वाले सभी प्रकार के प्रयास प्रशंसनीय हैं किंतु इन प्रयासों के परिणाम अर्थात भूकंप संबंधी सही पूर्वानुमान आने से पहले  केवल प्रयासों को ही सच कैसे मान लिया जाए !यदि ये लोग भूकंपों को वास्तव में समझ पाए होते और भूकंप संबंधी पूर्वानुमान लगाने के लिए सही पद्धति पर आगे बढ़ रहे होते तो परिणाम कुछ तो सामने आने चाहिए थे भूकंप अनुसंधान यात्रा कुछ तो आगे बढ़ी होती !आखिर कितने वर्षों से भूकंप शोधयात्रा में हम एक ही जगह पर खड़े हुए हैं | भूकंपों  के विषय में आखिर कब तक हम वही पाँच लाइनें दोहराते रहेंगे -भूकंप की तीव्रता कितनी थी केंद्र क्या था डेंजर जोन कौन कौन हैं अभी आफ्टर साक्स आते रहेंगे ! पृथ्वी के अंदर गैसों के दबाव से धरती के अंदर की प्लेटें हिलती हैं उससे आता है भूकंप !केवल इतने के लिए क्या ये मंत्रालय मंत्री शिक्षण संस्थान शिक्षक छात्र आदि की संपूर्ण पारिकल्पनाएँ  हैं !यदि ऐसा हो तो भी पूर्वानुमानों के सही घटित होने से पहले इस सिद्धांत को सही कैसे मान लिया जाए तब तक तो ऐसी सभी बातें कोरी कल्पना मात्र ही हैं जो कोई भी कर सकता है इसमें विज्ञान है कहाँ और भूकंपों के विषय में किसी सही सिद्धांत का प्रतिपादन किए बिना केवल भरोसा करके किसी को भूकंप वैज्ञानिक कैसे स्वीकार कर लिया जाए !आखिर भूकंपों के विषय में कोई सटीक प्रमाणित और तर्कसंगत प्रस्तुति तो दिखे !

       चूँकि पृथ्वी काँपती है इसलिए काँपने का कारण पृथ्वी के अंदर ही होगा ऐसा पूर्वाग्रह लेकर क्यों चलना !"यत्पिण्डे तत्ब्रह्माण्डे" के सिद्धान्त से तो शरीर और ब्रह्मांड की बनावट एक जैसी है यदि ऐसा है तो इनके अध्ययन की प्रक्रिया भी यथा संभव एक जैसी होनी चाहिए यदि इसे आधार मानकर चला जाएगा तब तो सामने खड़े किसी शेर के डर से या सर्दी से काँपते हुए व्यक्ति के अंदर भी ऊर्जा और गैसों का भारी भंडारण मान लिया जाना चाहिए और उसके शारीरिक कम्पन को उसी शरीरस्थ ऊर्जा का विस्फोट या प्रकटीकरण मान लिया जाना चाहिए !किंतु कितना उचित होगा यह ?

    यदि मनुष्य में शेर का भय है तो इस असीम ब्रह्मांड में यह कैसे मन लिया जाए कि पृथ्वी स्वतंत्र  हो न हो वो भी किसी के भय से काँपने लगती हो जिसे हम भूकंप कहते हैं भूकंप चिंतकों में बहुत विद्वानों का ऐसा मत भी है कि दैवी प्रकोप से भूकंप आता है उस बात को बिना तर्कों प्रमाणों साक्ष्यों के हवा में कैसे और क्यों उड़ा दिया जाए ?

    सर्दी से ठिठुरता हुआ कोई जीव यदि काँपने लग सकता है तो इस संगति से पृथ्वी का अनुसंधान क्यों न किया जाए हो न हो पंचतत्वों का इस प्रकार का कोई असर पृथ्वी पर भी पड़ता हो !और उसी प्रभाव से काँपने लगती हो पृथ्वी !

     यदि मान लिया जाए कि पृथ्वी निर्जीव है उस पर ये संगति नहीं बैठाई जा सकती तो समुद्र भी तो निर्जीव है उस पर भी तो चंद्र का प्रभाव पड़ता है और ज्वार भाटा उसी प्रभाव से आते हैं इस बात को भूकंप संबंधी अध्ययनों में सम्मिलित क्यों न किया जाए !सुना है कि सर्दी में रेल की पटरियाँ सिकुड़ जाती हैं आखिर वे भी तो निर्जीव हैं किंतु उन पर भी पंचतत्वों का प्रभाव तो पड़ता है फिर भूकंपों के विषय में अध्ययन करते समय इस बात को नकार कैसे और क्यों दिया जाए !

    चंद्र ग्रहण का कारण चंद्र में नहीं होता सूर्य ग्रहण का कारण सूर्य में नहीं होता ज्वार भाँटा का कारण समुद्र में नहीं होता तो ऐसी परिस्थिति में पंचतत्वों के अन्योन्याश्रित प्राकृतिक सिद्धांतों में पृथ्वी के काँपने के कारण केवल पृथ्वी के अंदर ही क्यों खोजा जाए !

      जहाँ तक बात पृथ्वी के अंदर की गैसों की है या पृथ्वी के अंदर की अग्नि की है तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये गैसें और अग्नि पृथ्वी के लिए कोई अतिरिक्त पदार्थ नहीं हैं ये तो वायु पृथ्वी की बनावट में सम्मिलित पृथ्वी के अभिन्न अंग ही हैं जिनके कारण पृथ्वी का पृथ्वीत्व बना और बचा हुआ है जिन्हें पृथ्वी हमेंशा धारण किए रहती है इसलिए उन गैसों और पृथ्वी की गर्भगत वायु को भूकंपों के आने का कारण कैसे माना जा सकता है |

      मनुष्य शरीर की बनावट भी तो पृथ्वी की तरह ही है इसमें पाचक पित्त ही आग है जो कैसे भी भोजन को पचा देता है ज्वर में शरीर को गर्म करने वाला पित्त ही तो है -

                  " 'ऊष्मा पित्तादृते नास्ति ज्वरो नास्त्यूषमणा बिना"

     चूँकि  शरीर के अंदर आग(पित्त) है और जल भी है उसी प्रकार से जैसे पृथ्वी के अंदर गर्म और ठंडी दोनों वस्तुएँ विद्यमान  रहती हैं गर्म और ठंडी दोनों वस्तुएँ जहाँ एक साथ एकत्रित होती हैं तो ठंडी का प्रभाव अधिक होता है तो गर्म को ठंडा कर लेती है और गर्म का प्रभाव अधिक होता है तो ठंडा को गर्म कर लेती है इसी प्रक्रिया में भाफ बनती है जो पृथ्वी के पेट में भरी गैस है उसी प्रकार मनुष्यादि के पेट में भी गैस का निर्माण होता है !जैसे पेट के अंदर गैस का संचय होता रहता है वैसे ही पृथ्वी के अंदर भी होता रहता है किंतु शरीर जब गैस का विसर्जन करता है तो शरीर नहीं काँपता है तो उसी गैस का विसर्जन करते समय पृथ्वी कैसे काँप सकती है !

       इस प्रकार से जिस मत के समर्थन में तर्क प्रमाण एवं साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने अभी तक बाक़ी हैं उस मत को इतना महत्त्व कैसे दे दिया जाए कि उसे स्थापित सत्य की तरह प्रस्तुत किया जाने लगे !ये कहाँ तक न्यायोचित है !इस कल्पना प्रसूतमत को महत्त्व देते हुए इतनी बड़ी बड़ी बातें कर देना कहाँ तक तर्क संगत हैं !आधे अधूरे इस काल्पनिक सच के आधार पर इतनी बड़ी बड़ी बातें करना कहाँ तक न्यायसंगत है !    

हाल ही में हिंदी के एक अखवार में मैंने एक लेख पढ़ा -

       "धीरे-धीरे ख‌िसक रहा ह‌िमालय, दे रहा है बड़े भूकंप का संकेत !"

     वैज्ञान‌िकों का कहना है "हिमालय अब धीरे-धीरे ख‌िसक रहा है। जो भव‌िष्य में आने वाले एक बड़े भूकंप का संकेत है। "यह बात वैज्ञान‌िकों ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में हिमालय के फॉल्ट जोन की स्थिति पर आयोजित व्याख्यान के दौरान कही।! उनका कहना है क‌ि रामनगर व लालढांग के बीच वर्ष 1344 में हाई पावर का भूकंप आने का पता लगाया जा चुका है।भूकंपीय फॉल्ट अधिक ढालदार होने से भूगर्भ में भूकंपीय ऊर्जा निरंतर संचित हो रही है।उनका मानना है कि भूगर्भ में तनाव बढ़ रहा है। इससे सबसे बड़ा खतरा यह है क‌ि इससे उच्च तीव्रता वाला भूकंप कभी भी आ सकता है।ऐसी बातों में कितनी सच्चाई है और क्या प्रमाण हैं इसके समर्थन में दिए जाने वाले साक्ष्य कितने तर्क संगत हैं !

      इसलिए  भूकंप क्यों आते हैं कब आते हैं इनके आने का वास्तविक कारण क्या है ये प्राकृतिक हैं या पर्यावरण संबंधी प्रदूषण के कारण आते हैं या जलाशयों के कारण आते हैं या ज्वालामुखियों के कारण आते हैं धरती पर पाप अधिक बढ़ने के कारण आते हैं या दैवी शक्तियों के क्रोध के कारण आते हैं प्राचीन शास्त्र वैज्ञानिक कश्यप ऋषि का मत है कि जल में रहने वाले बड़े प्राणियों के धक्के से भूकंप होता है !गर्ग ऋषि का मत है कि पृथ्वी के भर से थके हुए दिग्गजों के विश्राम करने से भूकंप आता है | वशिष्ठ ऋषि कहते हैं कि वायु एक दूसरे से टकराकर पृथ्वी पर गिरते हुए शब्द के साथ भूकंप करता है | वृद्ध गर्ग का मत है कि  समाज में अधिक अधर्म फैलने से भूकंप आता है ! ज्योतिष विज्ञान मानता है कि वायु अग्नि इंद्र और वरुण शुभ और अशुभ फलों का संकेत करने के लिए कँपाते हैं पृथ्वी !आयुर्वेद का शीर्ष ग्रन्थ चरक संहिता का मत है कि प्रकुपित वायु के कारण आता है भूकंप !

     इसी प्रकार से भूकंप के विषय में विभिन्न विचारकों के अलग अलग मत हैं -

    प्राचीन काल में भूकंपों को दैवी प्रकोप समझा जाता रहा है !

    शेषनाग ने अपने फन पर धारण कर रखी है पृथ्वी !

    कुछ लोगों का मानना है कि 'पृथ्वी आठ हाथियों के सिरों पर रखी हुई है। जब कोई हाथी सिर हिलाता है तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं।' बिल्कुल इसी तरह धरती कछुए की पीठ पर खड़े चार हाथियों पर टिकी है और वह कछुआ एक सांप के फन पर है। इनके हिलने पर भूकंप आता है।'

    आयुर्वेद के शीर्ष आचार्य महर्षि चरक कहते हैं कि "ज्वार भाँटा और भूकंप दोनों के होने का कारण वायु है !"यदि ऐसा है तो समुद्र में आने वाले ज्वार भाँटा का कारण तो चंद्र को मानते हैं उसे समुद्र में नहीं खोजते हैं जबकि उसी प्रकार के वायुकृत भूकंप का कारण जमीन के अंदर  संगृहीत गैसों को बताया जाता है क्यों ?

    जलाशयों के कारण भी होते हैं भूकंप !

    जापान के लोग मानते हैं कि धरती के भीतर मांजू नाम की एक विशाल कैटफिश है और इसी की वजह से भूकंप के झटके आते हैं।

    ग्रीक की पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि धरती पर जब कुछ बुरा घटता है तो देवता दंड के तौर पर बिजली पैदा करते हैं और इससे धरती कांपने लगती है।

    अरस्तू ने भूकंप के संबंध में कहा था, 'जमीन के अंदर की गुफाओं में हवाओं के बहने एवं निकलने से आता है भूकंप।

    ज्वालामुखियों के फटने के कारण भी भूकम्प आते हैं।इनके दो कारण होते हैं टेक्टोनिक दोष तथा ज्वालामुखी में लावा की गतियां.ऐसे भूकंप ज्वालामुखी विस्फोट की पूर्व चेतावनी हो सकते हैं।

    जलाशय जनित दबाव के कारण भी भूकम्प आते हैं।

    ओविड नाम के रोमन कवि ने कहा था कि धरती के सूर्य के करीब आने से भूकंप आता है। क्योंकि सूर्य की विस्मयी विकिरणों से धरती कांपने लगती है।

    16वीं और 17वीं शताब्दी में लोगों का अनुमान था कि पृथ्वी के अंदर रासायनिक कारणों से तथा गैसों के विस्फोटन से भूकंप होता है।

    1874 ई में वैज्ञानिक एडवर्ड जुस ने अपनी खोजों के आधार पर कहा था कि  भूकंप भ्रंश की सीध में भूपर्पटी के खंडन या फिसलने से होता है ।

    गाँधी जी भूकंपों के आने का कारण नैतिकता का पतन और पाप की बृद्धि मानते थे !

    टैगोर जी भूकंपों को प्राकृतिक घटना मात्र मानते थे !

    18वीं शती में यह विचार पनप रहा था कि पृथ्वी के अंदरवाली गुफाओं के अचानक गिर पड़ने से भूकंप आता है।

    18वीं शती में भूकंपों का कारण ज्वालामुखी समझा जाने लगा था, परंतु हिमालय पर्वत में कोई ज्वालामुखी नहीं है, परंतु हिमालय क्षेत्र में गत सौ वर्षो में अनेक भूकंप हुए हैं।

    हैरी फील्डिंग रीड के अनुशार -"भूपर्पटी पर नीचे से कोई बल लंबी अवधि तक कार्य करे, तो वह एक निश्चत समय तथा बिंदु तक (अपनी क्षमता तक) उस बल को सहेगी और उसके पश्चात्‌ चट्टानों में विकृति उत्पन्न हो जाएगी।ऐसे में भी यदि बल कार्य करता रहेगा तो चट्टानें टूट जाएँगी। इससे भूकंप गति बनानेवाली ऊर्जा चट्टानों में प्रत्यास्थ विकृति ऊर्जा के रूप में संचित होती रहती है। टूटने के समय चट्टानें भ्रंश के दोनों ओर अविकृति की अवस्था के प्रतिक्षिप्त  प्रत्यास्थ ऊर्जा भूकंपतरंगों के रूप में मुक्त होती है।

    पृथ्वी के शीतल होने का सिद्धांत - भूकंप के कारणों में प्राचीन विचार पृथ्वी का ठंढा होना भी है। पृथ्वी के अंदर अधिक गहराई में भूपपर्टी के ठोस होने के बाद भी कोई अंतर नहीं आया है। पृथ्वी अंदर से गरम तथा प्लास्टिक अवस्था में है और बाहरी सतह ठंडी तथा ठोस है। यह बाहरी सतह भीतरी सतहों के साथ ठीक ठीक से नहीं बैठती तथा निपतित होती है और इस तरह से भूकंप होते हैं।

    समस्थितिसिद्धांत -इसके अनुसार भूतल के पर्वत एवं सागर धरातल एक दूसरे को तुला की भाँति संतुलन में रखे हुए हैं। जब क्षरण आदि द्वारा ऊँचे स्थान की मिट्टी नीचे स्थान पर जमा हो जाती है, तब संतुलन बिगड़ जाता है तथा पुन: संतुलन रखने के लिये जमाववाला भाग नीचे धँसता है और यह भूकंप का कारण बनता है

    महाद्वीपीय विस्थापन प्रवाह सिद्धांत --(Continental drift) -अभी तक अनेकों भूविज्ञानियों ने महाद्वीपीय विस्थापन पर अपने अपने मत प्रतिपादित किए हैं। इनके अनुसार सभी महाद्वीप पहले एक पिंड थे, जो पीछे टूट गए और धीरे धीरे विस्थापन से अलग अलग होकर आज की स्थिति में आ गए। इसके अनुसार जब महाद्वीपों का विस्थापन होता है तब पहाड़ ऊपर उठते हैं और उसके साथ ही भ्रंश तथा भूकंप होते हैं।

    रेडियोऐक्टिवता सिद्धांत -- रेडियोऐक्टिव ऊष्मा जो महाद्वीपों के आवरण के अंदर एकत्रित होती हैइसकी ऊष्मा जब मुक्त होती है तब महाद्वीपों के अंदर की चीजों को पिघला देती है तब घटित होते हैं भूकंप।

    संवहन धारा सिद्धांत -अनेक सिद्धांतों में यह प्रतिपादित किया गया है कि पृथ्वी पर संवहन धाराएँ चलती हैं। इन धाराओं के परिणामस्वरूप सतही चट्टानों पर कर्षण होता है। ये धाराएँ रेडियोऐक्टिव ऊष्मा द्वारा संचालित होती हैं। परिणामस्वरूप विकृति धीरे धीरे बढ़ती जाती है। कुछ समय में यह विकृति इतनी अधिक हो जाती है कि इसका परिणाम भूकंप होता है।

    उद्गम केंद्र और अधिकेंद्र सिद्धांत - भूकंप का उद्गम केंद्र पृथ्वी के अंदर वह विंदु है जहाँ से विक्षेप शुरू हाता है। अधिकेंद्र  पृथ्वी की सतह पर उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर का बिंदु है।

    आधुनिक विज्ञान का मानना है कि  भूकंप अक्सर भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। भूकंप प्राकृतिक घटना या मानवजनित कारणों से भी हो सकता है। धरती या समुद्र के अंदर होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के कारण भी हो सकते हैं भूकंप आने के !

     इन सबके साथ साथ भूकंपों  के आने के कारणों के विषय में सर्वाधिक प्रचारित मत तो यही है जिसे जन जन जानता  है कि पृथ्वी के अंदर गैसों के दबाव से धरती के अंदर की प्लेटें हिलती हैं उससे आता है भूकंप !

    ऐसी परिस्थितियों में हमारे कहने का उद्देश्य मात्र यह है कि भूकंप जैसे अत्यंत उलझे हुए विषय में जहाँ प्राचीन से लेकर आधुनिक तक विद्वानों के विचारों में इतनी अधिक मत भिन्नता चली आ रही  हो ऐसी परिस्थिति में उन समस्त मतों में किसी एक मत को ही पूर्णतः सच कैस मान लिया जाए जब तक कि तर्क और प्रमाणों के आधार पर ऐसे मतों की विश्वसनीयता अभी तक संदिग्ध बनी हुई हो फिर भी ऐसे किसी सिद्धांत को भूकंपीय सत्य पीठ पर प्रतिष्ठित कैसे कर दिया जाए और ऐसा आग्रह करने वालों को भूकंप वैज्ञानिक कैसे  जाए जिनके पास भूकंपों के विषय में कुछ कोरी कल्पनाओं के अतिरिक्त और कुछ हो ही न !

      यदि आधुनिक भूकंप वैज्ञानिकों का भूकम्पों के विषय में यही मानना है कि जितना वो जान पाए हैं बस उतना ही सही है उनके अलावा आधुनिक और प्राचीन सभी भूकंप विचारकों के मत गलत हैं तो उनका खंडन प्रमाणित सुदृढ़ और स्वीकार्य तर्कों के साथ तुरंत कर दिया जाना चाहिए और अपने मत के समर्थन में मजबूत तर्कों के साथ उतरना चाहिए साथ ही उन भूकंप विचारकों के मतों के विषय में प्रबुद्ध वर्ग की जिज्ञासाओं को भी प्रतिष्ठा पूर्ण ढंग से शांत किया जाना चाहिए !साथ ही अपने सिद्धांत को सही सिद्ध करने के लिए भावी भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमानों की आगे से आगे सार्वजानिक रूप से घोषणा की जानी चाहिए ! वे पूर्वानुमान जितने प्रतिशत सच हों उतने प्रतिशत ही आधुनिक वैज्ञानिकों के भूकंपों से संबंधित सिद्धांत को विश्वसनीय माना जाना चाहिए !साथ ही यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए जब अँधेले में ही तीर चलाना अर्थात तीर तुक्के ही लगाना है तो आधुनिक हों या प्राचीन सभी भूकंपविचारकों के मतों का न केवल सम्मान किया जाना चाहिए अपितु सभी मतों पर अनुसंधान चलाए जाने चाहिए और सभी का परीक्षण किया जाना चाहिए क्या पता किस मत में कितनी सत्यता छिपी हो जबकि आधुनिक वैज्ञानिकों ने उस विषय पर विचार करना ही छोड़ दिया हो ! भूकम्पों से संबंधित सच्चाई खोज पाने में विलंब होने का यह भी कारण हो सकता है !क्योंकि सच्चाई तक पहुँचे बिना उससे साक्षात्कार कैसे संभव है !

      जिस भारतवर्ष का प्राचीन वैदिक विज्ञान ज्ञान विज्ञान इतना समृद्ध रहा हो कि आकाश से लेकर पाताल तक ग्रहों ग्रहणों नक्षत्रों तक स्वास्थ्य एवं मौसम संबंधी संपूर्ण आयामों तक न केवल अपनी स्पष्ट राय रखता हो अपितु जिसके वर्षा विज्ञान के द्वारा हजारों वर्षों से कृषि आदि संपूर्ण कार्य व्यापार जिसके आधार पर संचालित होते रहे हों ग्रहण जैसी गणनाएँ केवल गणित के द्वारा साध ली जाती रही हों ! ज्ञान विज्ञान के ऐसे सक्षम सिद्धांतों की उपेक्षा करके केवल आधुनिक विज्ञान के अपरीक्षित एवं कल्पनाप्रसूत तर्कों के हवाले  संपूर्ण भूकंप विज्ञान को कर देना कहाँ तक उचित होगा !प्राचीन विद्याओं के विद्वान् जब वैज्ञानिक विषयों से संबंधित कार्यों में सहयोग देने के लिए संपर्क करते हैं तो उनसे कह दिया जाता है कि चूँकि आपने आधुनिक विज्ञान और अंग्रेजी नहीं पढ़ी है आपके पास बड़ी बड़ी मशीनें नहीं हैं आपके पास रिसर्च करने वालों की टीम नहीं हैं आपके पास कोई बड़ी प्रयोगशाला नहीं है इसलिए केवल प्राचीन विद्याओं के आधार पर भूकंप जैसे इतने बड़े विज्ञान से संबंधित विषयों में योगदान देने की पात्रता नहीं सिद्ध हो जाती है !सूर्य चंद्र के ग्रहण हों या वो अमावस्या पूर्णिमा अष्टमी आदि तिथियाँ जिनकी गणना सिद्धांत ज्योतिष के आधार पर गणित से ही की जाती है और वो प्रत्यक्ष घटित होते भी देखी जाती हैं पूर्णिमा के दिन ही चंद्र का पूर्ण रूप दिखाई देता है ज्वार भाटा जैसी प्राकृतिक जलीय घटनाएँ न्यूनाधिक रूप से घटित होने का समय भी इसी सिद्धांत ज्योतिष शास्त्र से ही संबंधित है ऐसे प्रत्यक्ष सिद्धांतों की आवश्यकता भूकंप संबंधी अनुसंधानों में क्यों नहीं समझी जाती रही है आखिर इन विषयों का उपयोग न किए जाने के पीछे का कारण क्या है | संभव ऐसा भी है कि ऐसे सिद्धांत गणित संबंधी विज्ञान का कोई एक सूत्र ही सटीक घटित हो जाए तो वही भूकंपों के संपूर्ण रहस्यों को गणित की पद्धति से सम्बद्ध कर सकता है | आखिर ग्रहणों के भी प्रारंभ काल में भी तो ऐसा कुछ ही हुआ होगा !

      ऐसे ही समस्त विचारों से भावित होकर तो भूकंपों से संबंधित भविष्यवाणी के विषय में रूस की ताजिक विज्ञान अकादमी के भूकंप विज्ञान तथा भूकंप प्रतिरोधी निर्माण संस्थान के प्रयोगों के परिणामस्वरूप हाल में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि यदि भूकंपों के दुबारा होने का समय अभिलेखित कर लिया जाय और विशेष क्षेत्र में पिछले इसी प्रकार के भूकंपों का काल विदित रहे, तो आगामी अधिक शक्तिशाली भूकंप का वर्ष निश्चित किया जा सकता है। भूकंप विज्ञानियों में एक संकेत प्रचलित है भूकंपों की आवृति की कालनीति का कोण और शक्तिशाली भूकंप की दशा का इस कालनीति में परिवर्तन आता है। इसकी जानकारी के पश्चात्‌ भूकंपीय स्थल पर यदि तेज विद्युतीय संगणक उपलब्ध हो सके, तो दो तीन दिन के समय में ही शक्तिशाली भूकंप के संबंध में तथा संबद्ध स्थान के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है और भावी अधिकेंद्र तक का अनुमान लगाया जा सकता है !

       रूस की ताजिक विज्ञान अकादमी के द्वारा भूकंपके विषय में ये जो विचार रखे गए हैं भूकंप संबंधी शोध कार्यों में उन्हें भी सम्मिलित करके इस शोध कार्य को आगे बढ़ाए जाने में सफलता की संभावनाएँ और अधिक बढ़ भी सकती हैं !ऐसी समस्त विधाओं विचारों मतों मतान्तरों आदि को भूकंप संबंधी शोध कार्यों में महत्त्व मिलना चाहिए न जाने किस विधा से भूकंप संबंधी शोध कार्यों में सफलता हाथ लग जाए ! 

           पशु पक्षियों के बदलते व्यवहारों का अध्ययन -

    माना जाता है कि कुछ जीव जंतु भूकंप के पहले के भौगोलिक परिवर्तनों को महसूस करने लगते हैं जैसे - भूकंप आने के कुछ दिन पहले ही मेढक वहाँ से पलायन करने लग जाते हैं ! ज्योतिष की ही एक शाखा है लक्षण शास्त्र और शकुन शास्त्र, जिसमें प्रकृति और विभिन्न प्राणियों के व्यवहार को देखकर प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है,यह बात कई शताब्दियों से चली आ रही है कि कुछ जानवर पशु-पक्षी आदि भी भूकंप आने से पहले अपनी हरकतें बदल डालते हैं। इसकी भले साइंटिफिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई हो, और खारिज भी नहीं किया गया हो, लेकिन ऐसे विषयों पर भी रिसर्च कई बार हुए हैं। जानवरों के भूकंप के संकेत देने को लेकर इटली, जापान, चीन सहित कई देशों में बौद्धिक शोधचर्चा होती रही है। इन पर रिसर्च कार्य हुए भी हैं |

        जीव-जंतुओं में वर्षा, गर्मी, सर्दी, भूकंप, ज्वालामुखी से लेकर भावी घटनाओं के ज्ञान की विलक्षण क्षमता होती है। मनुष्य की अपेक्षा पक्षी एवं जीव-जंतुओं की इंद्रियां प्रकृतिजनित कारकों के प्रति कई गुना अधिक संवेदनशील व सक्रिय होती हैं। इसके कारण वे वातावरण के परिवर्तन और घटना विशेष के घटने के पूर्व अपना बचाव व व्यवहार परिवर्तन करने लगते हैं।लाखों-करोड़ों वर्षों से इन जीव-जंतुओं के मध्य रहकर मनुष्य ने अनेक शुभ-अशुभ संकेत का ज्ञान प्राप्त कर लिया है !चक्रवात, भूकंप, बाढ़, वर्षा आदि आपदाओं का जीव-जंतुओं को पूर्वाभास हो जाता है। चक्रवात, भूकंप आने से पूर्व जीव-जंतु भयवश इधर-उधर घबराते हुए मंडराते हैं। विचित्र आवाजें निकालते हैं, मालिक को उस स्थान को छोड़ने को विवश करते हैं।

        बताया जाता है कि 26 जनवरी 2001 को भुज (गुजरात) में  भूकंप आने से पहले घर में बंधे कुत्ते ने घबराते हुए तेजी से भौंकना, उछलना प्रारंभ कर दिया। लगातार कुत्ते के भौंकने और उछलने की क्रिया जारी रहने पर जब मालिक उसे लेकर घर के बाहर निकला ही था कि कुछ ही पल में उसका मकान भूकंप के झटके में गिर गया।बिल्ली को हम आवाज और व्यवहार में विविधता प्रकट करने के कारण अशुभ मानते हैं। विचित्र तरीकों से रोना और यात्रा अथवा विशेष अवसर पर जाते समय रास्ता काटने को संकट का प्रतीक मानते हैं।

     सुना जाता है कि समुद्री नाविक यात्रा के समय बिल्लियों को अपने साथ ले जाते हैं। सन् 1912 में जब टाइटेनिक नामक जहाज अपनी यात्रा पर चल रहा था, तभी जहाज में मौजूद बिल्लियों ने कूदना आरंभ कर दिया। कुछ ही समय में सारी की सारी बिल्लियां नीचे कूद गईं। जहाज में बैठे लोगों का इस ओर ध्यान नहीं गया। कुछ ही समय उपरांत जहाज एक बड़े हिमखंड से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

इसी प्रकार सन् 1955 में 'जोतिया' नामक जहाज अपनी यात्रा पर निकला। जहाज निकलने के साथ ही जहाज में मौजूद सभी बिल्लियां रोने व चिल्लाने लगीं। यह जहाज भी यात्रा के मध्य में नष्ट हो गया।

अनेक बार रा‍त्रि को कुत्ते ऊपर मुंह करके रोते हैं। उनके रोने की आवाज का क्रम निरंतर जारी रहता है।कुछ समय में पास के किसी घर से अशुभ समाचार मिलता है।कौवों के आचरणों में भी अनेक शुभ-अशुभ संकेत होते हैं।

      कुल मिलाकर पक्षियों के क्रियाकलाप और उनके साथ घटी घटनाएं वर्षा, अल्पवर्षा और अतिवर्षा और सूखे आदि का संकेत माने जाते हैं।यदि कौआ कुएं में गिरकर मर जाता है तो माना जाता है कि इस वर्ष वर्षा बहुत कम, बाढ़ अथवा तीव्र गर्मी रहेगी !

     वर्षा ऋतु में कौओं के झुंड का बिना आवाज निकाले अपने घोसले में लौटना तेज वर्षा होने का संकेत देता है, तो इसके विपरीत दिन की घनघोर घटाओं और चमकती बिजली के बीच यदि कबूतरों के झुंड आकाश में ऊंची उड़ान भरने के स्थान पर चुपचाप वृक्षों पर बैठे रहें तो उन घटाओं और बिजली चमकने का कोई अर्थ नहीं होता अर्थात वे घटनाएं बिना पानी बरसाते ही गुजर जाती हैं। गिरगिट के  शरीर के वर्ण (रंग) का परिवर्तन वर्षा, अल्पवर्षा तथा पूर्ण वर्षा का संकेत देता है।

        चींटी को भूकंप आने की जानकारी होजाती होगी क्योंकि चींटी भूकंप के झटके को महसूस कर लेती है,  भूकंप की हलचल का भान होते ही चींटियां अपना घर छोड़ देती हैं। आमतौर पर चींटियां दिन में घर बदलती हैं, पर भूकंप का पता चलते ही वो किसी भी समय अपने घर से निकल पड़ती हैं!

           भूकंप के झटके शुरू होने से पहले सांप अपने बिलों से बाहर भागने लगते हैं। समुद्र की गहराइयों में रहने वाली मछलियां भी भूकंप की तरंगों को बड़ी तीव्रता से पकड़ती हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि धरती से पहले भूकंप की तरंगें पानी को कंपित करती हैं

     मेंढक या भेक मेंढक या भेक मेंढकों के समान या उनकी ही एक प्रजाति भेक को भूकंप से पहले आश्चर्यजनक रूप से पूरे समूह के साथ गायब होते पाया गया है। जहां भी भूकंप आया, वहां लगभग 3 दिन पहले से सारे भेक जादुई तरीके से गायब हो गए।

        भूकंप आने से कुछ मिनट पहले राजहंस पक्षी एक समूह में जमा होते देखे गए हैं, तो बतखें डर के मारे पानी में उतरती पाई गई हैं। इतना ही नहीं, मोरों को झुंड बनाकर बेतहाशा चीखते हुए पाया गया है। विश्व में जहां भी जानवरों में इस तरह के बदलाव देखे गए हैं, वहां इसके कुछ मिनट बाद ही बड़ी भयंकर  तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया है।

      कुल मिलाकर जीव, जंतु, पशु, पक्षी आदि भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं को महसूस कर लेते हैं। माना जाता है कि ऐसा उनमें मौजूद संवेदी तंत्र के कारण होता है।

         वर्षा के विषय में -पेड़ों पर दीमक तेजी से घर बनाने लगें तो इसे अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है। मोरों का नाचना, मेंढक का टर्राना और उल्लू का चीखना तो पूरे भारत में वर्षा का संकेत माना ही जाता है। बकरियां अगर अपने कानों को जोर-जोर से फड़फड़ाने लगें, तो यह भी शीघ्र वर्षा होने का सूचक माना जाता है। भेड़ें अगर अचानक अपने समूह में इकट्ठी होकर चुपचाप खड़ी हो जाएं, तो समझा जाता है कि भारी बारिश शुरू होने ही वाली है।शाम ढलते समय अगर लोमड़ी की आवाज कहीं दूर से दर्द से चीखने जैसी आए, तो यह बारिश आने का आसार मानी जाती है। अगर चींटियां भारी मात्रा में अपने समूह के साथ अंडे लेकर घर बदलती दिखाई दें, तो माना जाता है कि बारिश का मौसम अब शुरू होने ही वाला है। चिड़िया के घोंसले की उंचाई से भी बारिश का अंदाजा लगाया जाता है। अगर चिडि़या ने घोंसला पर्याप्त उंचाई पर बनाया हो, तो इसे अच्छी वर्षा का प्रतीक माना जाता है। यदि घोंसला नीचा है, तो वर्षा की अनुमान भी सामान्य से कम होने का लगाया जाता है आदि ।

      हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वैज्ञानिक उपकरणों की तुलना में जीव जंतु बेहद अधिक संवेदनशील होते हैं इसलिए भूकम्पों से संबंधित अनुसंधानों में इनके भी व्यवहारों में समय समय पर आने वाले स्वाभाविक परिवर्तनों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए | भूकंप के संकेत पशु पक्षी, मछलियां, कुत्ते व अन्य जीव जंतु पहले ही देने लगते हैं। उनके व्यवहार में परिवर्तन का मतलब है कि कोई दैविक आपदा आने वाली है। पुराने लोग कुत्ते बिल्लियों के रोने को अशुभ मानते हैं तथा अंदाजा लगा लेते हैं कि कुछ न कुछ अशुभ होने वाला है। संहिता ग्रंथों में पशुओं पक्षियों के व्यवहार परिवर्तनों का विशद वर्णन मिलता है !

        जब भूकंप आने को होता है तो पशु-पक्षी कुछ अजीब हरकतें करने लगते हैं। चूहे अपनी बिलों से बाहर आ जाते हैं। अगर यह सही है तो वैज्ञानिक पशु-पक्षियों की इस अद्भुत क्षमता को भूकंप की पूर्व सूचना प्रणाली में क्यों नहीं बदल सकते। अगर ऐसा संभव हो जाए तो प्रकृति की इस तबाही पर विजय पा सकेगा मानव। यद्यपि प्रयोगशालाओं में इस पर शोध किए जा रहे हैं  चूहे भूकंप आने का संकेत दे सकते हैं। जापान के शोधकर्ताओं ने पाया है कि भूकंप आने से पहले जिस तरह के विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र बनते है अगर चूहों को उन क्षेत्रों में रखा जाए तो वे अजीबोगरीब हरकतें करते हैं।चूहों का ऐसा व्यवहार  कोबे में आए भूकंप से एक दिन पहले  देखा गया था । इस तरह के व्यवहार से भूकंप के आने का कुछ अंदेशा लगाया जा सकता है। हालाँकि जीव वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की हरकतें एक समान नहीं रहती इसलिए पक्की भविष्यवाणी करना कठिन हो जाता है।

      इसी प्रकार से ज्वालामुखियों और जल संबंधी बड़े बाँधों और सरोवरों को भी ऐसे अध्ययनों में सम्मिलित किया जाना चाहिए आयुर्वेदोक्त वात विकृति को भी सम्मिलित किया जाए तथा ज्योतिषोक्त सूर्य चंद्र के प्रभावों का भी अध्ययन किया जाना चाहिए  !

       संहिताशास्त्र  में  ग्रह नक्षत्रों से संबंधित ,आकाशीय एवं वायु जनित बहुत सारे ऐसे लक्षण हैं जो समय समय पर प्रकट और विलुप्त होते रहते हैं जिनका प्राकृतिक उत्पातों पर बड़ा असर होता है ऐसे लक्षणों का अध्ययन करना भी भूकंपीय शोध के संबंध में बहुत सहयोगी सिद्ध हो सकता है !

     इसी प्रकार से सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य मंडल में चिन्ह वर्ण इसी प्रकार आकाश के वर्ण का अध्ययन चंद्र श्रृंगोन्नति का अध्ययन ,बज्रपातादि का अध्ययन ,ग्रहों नक्षत्रों के युति दृष्टि युक्ता आदि का फल अगस्त तारा उदित होते समय का अध्ययन यदि काँप रहा हो तो भूकंप का संकेत देता है इसी प्रकार और भी बहुत सारे लक्षण हैं भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए इन सब का अध्ययन किया जाना चाहिए !

     इसी प्रकार प्राकृतिक वातावरण का अध्ययन आवश्यक है !जिस जगह अकारण आकाश अचानक धूलि धूसरित हो जाए !या कुछ समय से लगातार वर्षा होने लगे सर्दी संबंधी बीमारियाँ जोर पकड़ने लगें !आग लगने की अचानक बहुत अधिक घटनाएँ घटित होने लगें गर्मी बहुत अधिक पड़ने लगे कुएँ तालाब अचानक सूखने लगें गरमी से सम्बंधित रोग जोर पकड़ने लगें ,अचानक भयानक आँधी तूफान  आने लगें जो बहुत अधिक नष्ट भ्रष्ट कर गए हों ,आकाश में भयंकर काले काले बहुत बड़े बड़े आकार प्रकार के बादल घिरने लगें और बहुत थोड़ा सा बरस कर लौट जाएँ !ऐसे सभी लक्षणों का अध्ययन बहुत बारीकी से किया जाना चाहिए ऐसी सभी घटनाएँ भूकंप संबंधी पूर्व सूचना देने के लिए घटित हो रही होती हैं !

   कुल मिलाकर भूकंप संबंधी पूर्वानुमानों को जानने के लिए ऐसे सभी लक्षणों का अध्ययन किया जाना चाहिए !
          भूकंप तो कभी भी और कहीं भी आ सकते हैं और कितना भी बड़ा नुक्सान कर सकते हैं | भूकंपों को रोकने का तो कोई उपाय हो ही नहीं सकता किंतु इनके पूर्वानुमान के विषय में भी अभी तक विश्व वैज्ञानिक जगत सफलता शून्य है | लाचार है विश्व का भूकंप वैज्ञानिक समाज !भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाना तो बहुत बड़ी बात है भूकंप आते क्यों हैं इसका भी अभी तक कोई विश्वसनीय उत्तर उपलब्ध नहीं है जो उत्तर दिए जा रहे हैं उनके समर्थन में दिए जाने वाले आधारभूत तर्क इतने छिछले और परिवर्तनशील हैं कि उन पर विश्वास कैसे किया जाए !इन तर्कों में सत्यता के साक्ष्य न होने पर भी हर कोई अपनी अपनी बातें कहे जा रहा है !पर्यावरण वैज्ञानिक कहते हैं कि पर्यावरण बिगड़ने से आते हैं भूकंप !धार्मिक लोग कहते हैं कि जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब आते हैं भूकंप !ज्योतिष वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगलशनि की युति या कुग्रहों के संयोग से आते हैं भूकंप !शकुनशास्त्र जानने वाले अपने अपने तर्क देते हैं जबकि भूकंपों के विषय में अभी तक कुछ भी न जान्ने वाले भूकंप  वैज्ञानिक कहते हैं धरती के अंदर की प्लेटें खिसकती हैं इसलिए आते हैं भूकंप !किंतु सही किसे माना जाए और क्यों माना जाए !विश्वास करने योग्य कोई तर्क प्रमाण आदि दे नहीं पा रहा है हर कोई अपनी अपनी बातें कहे जा रहा है भूकंपों के पूर्वानुमान की घोषणा कोई कर नहीं पा रहा है जिससे ये पता लग सके कि सही कौन है और गलत कौन !इन्हीं सभी कसौटियों पर कसे जाने पर भूकंप वैज्ञानिक अभी तक ये प्रूफ करने में असफल हैं कि वे भूकम्पों के विषय में कुछ अलग से जानते हैं और कोई भरोसा करने योग्य बात बता सकते हैं मेरी जानकारी के अनुशार विश्व के देशों में भूकंपविज्ञान के लिए मंत्रालय संस्थान विभाग आदि जो भी बनाए गए हैं वो  अभी तक अपनी सार्थकता सिद्ध करने में असफल रहे हैं ! हर कोई अपने अपने राग अलापे जा रहा है किंतु सामूहिक रूप से सभी के अनुभवों का समवेत अध्ययन करके कोई रिसर्च किया गया हो काम से काम मेरी जानकारी में तो ऐसा कुछ भी नहीं है !भूकंपों के विषय में बिना किसी कारण और प्रमाण के भी मतभिन्नता है अज्ञानता है किंतु ये तभी तक है जब तक भूकंपों के संबंध में  सच्चाई सामने नहीं आ जाती है !


भूकंप संपूर्ण 2



10 जनवरी 1869 को जब कछार में भूकंप आया उस समय अटकलें ऐसी भी लगाई जाने लगीं थीं कि कदाचित भूकंप ग्रहों नक्षत्रों के प्रभाव से आते हैं !

     सन 260 से लेकर 1727 तक 10 बड़े भूकंप आए थे !12 जून 1897 में असम  में एक बड़ा भूकंप आया था |

 पेड़ों की वृद्धि वाले में भी भूकंपों की छाप रहती है उनसे ऐतिहासिक भूकंपों का निर्धारण कर लिया जाता है |

  

 10 जनवरी 1869 को जब कछार में भूकंप आया उस समय अटकलें ऐसी भी लगाई जाने लगीं थीं कि कदाचित भूकंप ग्रहों नक्षत्रों के प्रभाव से आते हैं !

     सन 260 से लेकर 1727 तक 10 बड़े भूकंप आए थे !12 जून 1897 में असम  में एक बड़ा भूकंप आया था |

 पेड़ों की वृद्धि वाले में भी भूकंपों की छाप रहती है उनसे ऐतिहासिक भूकंपों का निर्धारण कर लिया जाता है |

                                                                      

                                                             -भूमिका -     

      सरकार या कोई संस्था जब कोई आवश्यक सूचना समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाना चाहती  है तो वो जिस किसी भी विज्ञापन माध्यम को अपनाकर अपनी बात प्रसारित करती है | उस विज्ञापन में जो मुख्यविषय होता है उसे अलग अलग रंगों आकृतियों कथनशैली आदि के द्वारा अधिक उभारा जाता है  ताकि वो देखने में बाकी विषय से कुछ अलग हटकर लगे जिससे सभी का ध्यान आसानी से उधर चला जाए और  लोगों तक वह सूचना पहुँच जाए |
       इसीप्रकार से प्रकृति भी जब जिस क्षेत्र  के लोगों को कोई सूचना देना चाहती है वहाँ भी मुख्यविषय को उभारने के लिए प्रकृति कुछ घटनाएँ ऐसी घटित होती हैं |जो लीक से अलग हटकर होती हैं अर्थात जैसा हमेंशा नहीं होता है कभी कभी जब वैसा होते दिखाई पड़ने लगता है तो लोगों का ध्यान उधर आसानी से चला जाता है |जिस प्रकार से बसंतऋतु  में आम का वृक्ष फूलता और फलता है किंतु किसी वर्ष यदि उसी आम के पेड़ में बसंतऋतु के अतिरिक्त किसी अन्य ऋतु में फूल फल लगने लगे तो ये विशेष घटना है इसलिए इधर लोगों का ध्यान आसानी से चला जाता है और इस विशेष घटना के माध्यम से प्रकृति कोई सूचना दे रही होती है समय विज्ञान के आधार पर अनुसंधान पूर्वक उस प्राकृतिक घटना के अभिप्राय का अनुमान  लगाया जा सकता है |         इसी प्रकार से अन्य वृक्षों लताओं नदियों पहाड़ों जीव जंतुओं आदि में आने वाले विशिष्ट परिवर्तनों  के आधार पर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
     प्रकृति में ऐसा जब कभी भी होने लगे तब उसका कुछ न कुछ प्रयोजन अवश्य होता है जो शुभ या अशुभ कुछ भी हो सकता है | उससमय अच्छा या बुरा जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसी सूचनाएँ देने वाली घटनाएँ घटित होने लगती हैं | ऐसी घटनाएँ जिस समय घटित होती हैं उस 'समय'के  इस बात का अनुसंधान करना होता है कि इस घटना के माध्यम से प्रकृति बताना क्या चाहती है उसके अनुशार अपने को व्यवस्थित करना होता है |
     इतिहास में जब जब कोई बड़ी घटना घटित हुई है तब तब उसकी पूर्व सूचना किसी न किसी घटना के द्वारा प्रकृति अवश्य देती है |वो घटना ऐसी होती है ताकि लोगों का ध्यान आसानी से उधर चला जाए और लोग उसके  समझने का प्रयास करें क्योंकि संसार या समाज में कोई विशिष्ट घटना घटित होने जा रही होती  है जिसकी पूर्व सूचना देने के लिए प्रकृति ऐसी घटनाओं का सहारा लेती है |
     वेदवैज्ञानिक ऐसी घटनाओं के घटित होने के 'समय' को आधार बनाकर विश्लेषण करते रहते हैं यदि इनसे भविष्य संबंधी कोई शुभ सूचना मिल रही होती है तो वेद विज्ञान की भाषा में उसे शकुन कह दिया जाता है और यदि कोई अशुभ सूचना मिलने की संभावना होती है तो उसे अपशकुन बता दिया जाता है |वेदविज्ञान की दृष्टि से भविष्य संबंधी प्राकृतिक सामाजिक या स्वास्थ्यजनित घटनाओं का ऐसे ही पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है |
       आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में आँधी तूफानों बादलों की जासूसी करने के अतिरिक्त कुछ ऐसा है ही नहीं जिसके आधार पर प्रकृति से जुड़ी हुई भविष्य संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान  लगाया  जा सके |इसीलिए आधुनिक विज्ञान से जुड़ा एक बड़ा वर्ग ऐसी प्राकृतिक घटनाओं को देखकर पहले कुछ दिनों तक तो आश्चर्य करता रहता है कुछ समय इसमें बीत जाता है | इसके बाद ऐसे विषयों में रिसर्च करने की आवश्यकता बताता है कुछ समय ऐसे निकाल देता है | इसके बाद लीक से हटकर घटित होने वाली प्राकृतिक घटनाओं को ग्लोबलवार्मिंग या जलवायुपरिवर्तन के हवाले करके इन्हें भूल जाते हैं | इस प्रकार से पूर्वानुमान जानने की भावना में ताला लगा दिया जाता है|प्रकृति संबंधी पूर्वानुमान विज्ञान के साथ ऐसा अन्याय लंबे समय से होता चला आ रहा है |
    ऐसे विषयों पर अनुसंधान करने लायक आधुनिकविज्ञान में कुछ है नहीं और वैदिकविज्ञान को इस योग्य माना नहीं जाता है |इसलिए भूकंप जैसी घटनाओं की तो छोड़िए वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान या वायु प्रदूषण बढ़ने जैसी घटनाओं संबंधी पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक भी असंभव से बने हुए हैं |
    वैदिक विज्ञान के द्वारा ग्रहण जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने की विधा पूर्वजों ने पहले ही खोज ली  थी वो आज तक सही एवं सटीक घटित हो रही है सैकड़ों वर्ष पहले के ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान भी लगा लिए जाते हैं जो आज भी सही एवं सटीक घटित होते देखे जा रहे हैं |
            श्री राम एवं श्री कृष्ण का जब अवतार के समय |
       श्री राम एवं श्री कृष्ण जी का जब अवतार हुआ उस समय सभी पेड़ पौधे ऋतु की मर्यादा भूलकर फूलने फैलने लगे थे श्री कृष्ण के जन्म समय में रात्रि में कमल  खिल गए थे जबकि सामान्यतौर पर ऐसा होते नहीं देखा जाता है नदियों तालाबों का जल स्वतः स्वच्छ हो गया था और भी बहुत सारी घटनाएँ ऐसी घटित हुई थीं जिन्हें देखकर वैदिक पूर्वानुमान वैज्ञानिकों ने इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया था कि संसार की कोई बहुत विशिष्ट घटना घटित होने जा रही है जिससे मानवता का हित होगा |
      इसीप्रकार से रावण कंस जैसी शक्तियों के जन्म पर प्रकृति ने उस प्रकार  चिन्ह प्रकट किए थे जिसके उस प्रकार के अभिप्रायार्थ निकाले गए |यहाँ तक कि रावण के पिता विश्रवाऋषि ने तो रावण के गर्भ में प्रवेश से पूर्व ही उस समय घटित हो रही प्राकृतिक घटनाओं को देखकर इस बात की भविष्यवाणी कर दी थी कि इस समय के गर्भ से कोई बहुत बड़ा विद्वान पराक्रमी एवं समाज को पीड़ा पहुँचाने वाला राक्षस प्रकट होगा | ऐसा ही हिरण्य कशिपु और हिरण्याक्ष के गर्भप्रवेश से पूर्व ही कश्यप ऋषि ने भी ऐसी भविष्यवाणी कर दी थी  बाद में वैसा ही हुआ इसे पूर्वानुमान कहा जाता है|पूर्वानुमान इतना इतना स्पष्ट होना कि उसके अभिप्राय को आसानी से समझा जा सके | वर्तमान समय की तरह ऐसा नहीं होना चाहिए कि पूर्वानुमान के नाम पर जो मन आवे सो  बकते रहो सही हो जाए तो पूर्वानुमान और गलत हो जाए तो 'जलवायुपरिवर्तन' |प्रकृति ऐसे संदेश हमेंशा से देती रही है जिनका विश्लेषण करके उस स्थान  समय से संबंधित पूर्वानुमान निकाले जाते रहे हैं |हिंदी के प्रसिद्ध कवि घाघ ने तो प्राकृतिक लक्षणों के आधार पर ही वर्षा का अत्यंत सही एवं सटीक विवेचन किया है जिससे किसानों को इतना अधिक लाभ होता रहा है कि किसानों ने उस युग में आत्म हत्या नहीं की क्योंकि उन्हें वर्षा संबंधी पूर्वानुमान सही मिल जाया करते थे जिससे  उन्हें कृषि में लाभ होता था | कुल मिलाकर प्रकृति के द्वारा प्राप्त संदेश हमेंशा सत्य होते थे क्योंकि उस प्राकृतिक घटना  में प्रकृति को विश्वास में लेकर चला जाता था इसलिए प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने की जो सूचना प्रकृति के लक्षणों से  प्राप्त होती थी वो सही होती ही थी ऐसा स्वाभाविक भी है |
     वर्तमान समय में इस तारीख को मानसून आएगा इस तारीख को मानसून जाएगा आदि बातों में लोगों की केवल अपनी निराधार कल्पनाएँ मात्र हैं ऐसा प्रकृति को सम्मिलित ही नहीं किया गया प्रकृति को कोसते रहने से क्या होगा | वर्तमान मौसम विज्ञान में बादलों या आँधी तूफानों की जासूसी करने को विज्ञान बता दिया गया है किंतु इस ताकाझाँकी में विज्ञान आखिर है कहाँ | प्रकृतिविज्ञान को भूलकर करके रडारों उपग्रहों पर भरोसा करके मौसम संबंधी भविष्यवाणियाँ  जो कर दी जाती हैं वो प्रक्रिया ही अवैज्ञानिक है इसलिए उसके द्वारा  लगाए जाने वाले पूर्वानुमानों का सही होना संभव ही नहीं है |
      वस्तुतः प्रकृति में प्रत्येक क्षण बदलाव होते हैं जो इस समय दिखाई पड़ रहा है वो अगले क्षण भी बदल सकता है इसीलिए प्रकृति के विषय में ये नहीं चल सकता है कि पिछली बार या पिछले क्षण ऐसा हुआ था तो अबकी बार भी ऐसा ही होना चाहिए या होगा |प्रशांत महासागर से उठे आँधी तूफानों या बादलों की गति और दिशा देखकर अगले दिन या घंटे में उनका रुख क्या होगा इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि हवा का रुख तो कभी भी बदल सकता है और ये घटनाएँ हवाओं के आधीन होती हैं हवा समय के आधीन होती है समय के संचार को केवल उस गणित से समझा जा सकता है जिस गणित  के द्वारा सुदूर आकाश में स्थित सूर्य और चंद्र ग्रहणों के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता है| इसलिए गणितीय पद्धति को आधार बनाए बिना मौसम संबंधी पूर्वानुमान हजारों वर्षों में भी नहीं लगाया जा सकता है |अनुसंधान तो हवाओं के बदलावों को समझने के लिए होना चाहिए न कि इसके लिए आँधी तूफानों या बादलों की जासूसी की जानी चाहिए |
      अतएव प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित अनुसंधान करते समय उस क्षेत्र में कम से कम 6 महीने पहले से घट रही प्राकृतिक घटनाओं के स्वभाव एवं उनके  घटित  होने के समय का भी अनुसंधान किया जाना चाहिए |
प्राकृतिक लक्षणों से प्रकृति और जीवन दोनों से संबंधित लगाए जा सकते हैं पूर्वानुमान !
     अयोध्या में श्री राम के बनबास से पहले प्रकृति में ऐसी घटनाएँ घटित हो रही थीं जिनके द्वारा अयोध्या में जो कुछ हुआ उसकी सूचना प्रकृति के द्वारा पहले ही दी जा रही थी |जिसे प्रकृति वैज्ञानिक लोग समझ भी रहे थे यही समझकर तो महाराज दशरथ जी ने मंत्रियों आदि के साथ मंत्रणा करते हुए अचानक श्री राम के राज्याभिषेक करने का प्रस्ताव रखा था तो उनसे मंत्रियों ने कहा गया कि श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए आप इतनी जल्दबाजी क्यों कर रहे हैं ?घर में भरत शत्रुघ्न आदि कोई भी नहीं हैं ऐसी परिस्थिति में इतना बड़ा उत्सव उनके बिना कैसे किया जा सकता है इस पर महाराज दशरथ ने कहा था -
     "ज्योतिषियों का कहना है कि दिन में बज्रपात के साथ ही साथ भयंकर उल्काएँ गिर रही हैं और हमारे जन्म नक्षत्र को सूर्य मंगल और राहु ने आक्रांत कर लिया है |ऐसे अशुभ लक्षणों के प्रकट होने पर राजा घोर आपत्ति में पड़ जाता है अंततः शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो जाती है |"
      इस प्रकार से ग्रहों समेत समस्त प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से जो पूर्वानुमान महाराज दशरथ को बताया गया था वही घटित हुआ पहले राजा दशरथ वरदानों के चक्रव्यूह में फँस गए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी |
      श्री रामरावण युद्ध की घटना घटित होनी थी तब भी अक्सर ऐसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित हो रही थीं | भूकंप बार बार घटित हो रहे थे आँधी तूफ़ान आ रहे थे बार बार आकाश में धूल छा जा रही थी ,अक्सर बिजली गिरते देखी  जाती थी |तारे  टूटते देखे जा रहे थे ऐसी सभी घटनाएँ नरसंहार की सूचना दे रही होती हैं |जिनके आधार पर रावण भी ये समझ गया था कि उसकी मृत्यु का समय समीप आ गया है रामादल में भी सभी को विश्वास हो गया था अब रावण मारा जाएगा |ऋषि मुनियों को भी ऐसा विश्वास हो गया था इसीलिए रावण के मारे जाने की भविष्यवाणियाँ पहले से ही की जाने लगी थीं |
      इसप्रकार से किसी भी क्षेत्र में जब कोई अप्रिय घटना घटित होनी होती है तो कुछ समय पहले से वहाँ कुछ अपशकुन होने लगते हैं जिनके अभिप्राय को समझने वाले लोग आसानी से इस बात का अंदाजा लगा लिया करते हैं कि यहाँ कुछ ऐसा घटित होने वाला है जो मानवता के लिए अच्छा नहीं होगा |ऐसे समय पर अचानक कुछ घटनाएँ ऐसी घटित होने लगती हैं जो आमतौर पर अक्सर घटित होते नहीं देखी जाती हैं वे कभी कभी ही घटित होती हैं |
     ऐसे समय पर पेड़ पौधे अपना अपना ऋतु स्वभाव छोड़ कर फूलने फलने लगते हैं |जीव जंतु अपने अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार करने लगते हैं |आकाश में बादल न होने के बाद भी मेघगर्जन का शब्द सुनाई पड़ने लगता है बिना बादलों के भी बूंदें पड़ने लगती हैं | बादल रक्त वर्षा या कंकड़ वर्षा करने लगते हैं | कहीं बहुत अधिक वर्षा तो कहीं बिल्कुल सूखा पड़ने लगता है ऋतुएँ अपने स्वभाव के विरुद्ध व्यवहार करने लगती हैं गर्मी में गर्मी का बहुत कम या बहुत अधिक होना ऐसा ही सर्दी वर्षात आदि ऋतुओं के समय उनके प्रभाव में बिषमता दिखने लगती है |आकाश में अप्रत्याशित धूल उड़ने लगती है सूर्य का प्रकाश धूमिल होने लगता है | बार बार उल्कापात या बज्रपात होते दिखने लगता है |पूर्णिमा और अमावस्या की मर्यादा भूलकर त्रयोदशी को ही सूर्यचंद्र ग्रहण घटित होने लगते हैं |
     इसी प्रकार से सूर्यचंद्र तारे आदि जलते हुए दिखने लगते हैं अर्थात उनमें ज्वाला या लपटें दिखाई पड़ने लगती हैं | चंद्रमा में बना हुआ मृगचिन्ह मिटने लगता है | गौओं से गधे ,घोड़ी से बछड़े,कुतिया से गीदड़ पैदा होने लगते हैं अत्यंत तीव्र आँधी तूफ़ान आदि बार बार घटित होने लगते हैं |धूल आकाश मंडल को ढक लेती है |
     बर्फीले पहाड़ पिघलकर समुद्र के जल को और अधिक बढ़ा देते हैं जिसके कारण चारों महासागर उफनाकर हलचल पैदा करने लगते हैं | पर्वतों को दूर से देखने पर उनका रंग बदलता हुआ दिखने लगता है |पर्वत शिखर टूट टूट कर गिरने लगते हैं | हिमालय जैसे पर्वतों से शब्द सुनाई पड़ने लगते हैं | पृथ्वी भयानक शब्द करती हुई काँपने और फटने लगती है धरती में जगह जगह बड़ी बड़ी दरारें पड़ने लगती हैं कई बार बिना भूकंप के भी धरती शब्द करती हुई थर्राने लगती है |ऐसे और भी काफी लक्षण हैं प्राकृतिक  अनुसंधानों में जिन्हें सम्मिलित किया जाना होता है |
      इनमें से जितने अधिक लक्षण एक साथ जब घटित होते दिखाई देने लगते हैं तब किसी बड़े युद्ध ,प्राकृतिक आपदा या किसी बम विस्फोट आदि की सूचना प्रकृति के द्वारा दी जा रही होती है | जो किसी बड़े नरसंहार की आहट  होती है | यही लक्षण यदि कम मात्रा में दिखाई पड़ते हैं तो ऐसी आपदाओं का आकार प्रकार छोटा होता है | यदि ऐसे अपशकुन बहुत कम मात्रा में दिखाई पड़ रहे होते हैं तो वे किसी सामान्य संकट की सूचना दे रहे होते हैं |
       जब जब कोई बड़ी घटनाएँ प्रकृति में समाज में या दो पड़ोसी देशों के आपसी संबंधों में घटित होने वाली होती हैं तब तब प्रकृति किसी न किसी घटना के माध्यम से उसकी पूर्व सूचना देकर सावधान अवश्य किया करती है |प्रकृति हमेंशा से हमारी शुभ चिंतक रही है प्रकृति प्राकृतिक दुर्घटनाओं की हितैषी नहीं है और न ही उसमें मददगार ही है प्रकृति केवल मानवता की सहायक है और वह केवल मानवता के हितरक्षण के लिए ही कार्य करती है |
  वैदिकविज्ञान के आधार पर लगाए जा सकते हैं पूर्वानुमान |
       प्राकृतिक घटनाएँ केवल बुरी सूचनाएँ ही नहीं देती हैं अपितु अच्छी सूचनाएँ भी देती हैं इनमें अनेकों बातें सम्मिलित होती हैं जिन्हें संक्षेप में इस प्रकार से समझा जा सकता है |
      अच्छी घटनाओं के घटित होने से पूर्व अत्यंत सुंदर समय का संचार होने लगता है | सुंदर समय के प्रभाव से नदियों तालाबों आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर स्वतः स्वच्छ होने लगता है |वायुमंडल प्रदूषण रहित हो जाता है शीतल मंद एवं सुगंधित हवाएँ बहने लगती हैं आकाश धूल रहित होकर अत्यंत उत्तम  दिखाई पड़ने लगता है |बादल समय से समान रूप से जल वर्षा करते देखे जाते हैं उनका गर्जन बहुत मंद एवं मधुर  होता है |
    भगवान् श्री कृष्ण के प्राकट्य की पूर्व सूचना प्रकृति ने ऐसे ही प्राकृतिक लक्षणों के माध्यम से दी थी |
  समय - 
        भगवान् श्रीकृष्ण के प्राकट्य से पूर्व  अत्यंत सुंदर समय था |
             " अथ सर्व गुणोपेतः कालः परम शोभनः |"
  आकाश दिशाएँ - आकाश एवं दिशाएँ प्रदूषण रहित होकर अत्यंत स्वच्छ दिखाई पड़ती थीं |
                                        " दिशः प्रसेदुर्गगनं निर्मलोडुगणोदयं |"
   मेघगर्जन -
    भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म समय में बादल अत्यंत धीरे धीरे मधुर मधुर गर्जन कर रहे थे ! यथा -
                              मंदंमंदं जलधराः जगर्जुरनुसागरं !
 नदियाँ आदि -
      नदियों में स्वच्छ जल बहने  लगा था - "नद्यः प्रसन्नसलिला |"
तालाब -         
        तालाबों का जल तो स्वच्छ था ही रात्रि में कमल भी खिलने लगे थे- " ह्रदा जलरुहश्रियः |"   
वायु -
          शीतल मंद एवं सुगंधित हवाएँ बहने लगी  थीं  - "ववौ वायुः सुखस्पर्शः पुण्यगंधवहः  शुचि |"
     इसी प्रकार से कुछ शुभ पशु पक्षियों का शुभ शुभ बोलना व्यवहार करना आदि से भी समय की शुभता का अनुमान लगा लिया जाता है |
      ऐसी सभी बातों के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया गया था कि कोई अत्यंत उत्तम मंगलकारी सुंदर एवं सुखद घटना घटित होने वाली है |
     इसी प्रकार से अशुभ समय में शुभ समय की अपेक्षा प्रकृति में विपरीत घटनाएँ घटित होने लगती हैं | ऋतुएँ अपने स्वभाव के विरुद्ध आचरण करने लगती हैं|जल और वायु प्रदूषित होने लगते हैं आकाश धूल से भर जाता है सूर्य और चंद्र का प्रकाश धूमिल लगने लगता है आँधी  तूफ़ान  भूकंप आदि की घटनाएँ बार बार  घटित होने लगती हैं | ऐसी और भी बहुत सारी प्राकृतिक घटनाएँ या पशु पक्षियों की बोली व्यवहार आदि से संबंधित घटनाएँ घटित होती हैं जो अशुभ सूचनाएँ देने के लिए जानी जाती हैं |
   भगवान् श्री कृष्ण के परमधाम जाने के समय की सूचना प्रकृति ने कुछ इसप्रकार से दी थी |
      समय -
          सबसे पहले समय का संचार बिगड़ा था !जिसे देखकर लोग कहने लगे थे कि यह समय न जाने क्या करेगा !यथा - कालोयं किं विधाष्यति !
उसके कारण ऋतुएँ बिगड़ गई थीं ऋतुओं का असर कहीं कम तो कहीं अधिक दिखाई पड़ने लगा था -
ऋतुध्वंस  -
      जिस समय जो ऋतु  होनी चाहिए उस समय वह नहीं होने लगी थी |सर्दी में गर्मी और गर्मी में सर्दी के लक्षण दिखाई पड़ने लगे थे वर्षा ऋतु सूखी निकल जाती थी वर्षा के अतिरिक्त अन्य ऋतुओं में अच्छी जलवर्षा होते देखी जाती थी | यथा -
     कालस्य च गतिं रौद्रां विपर्यस्तर्तु धर्मिणः |
भूकंप आदि उत्पात -
        पृथ्वी में भूकंप आदि घटित हो रहे थे और शरीरों में लोगों के भारी संख्या में रोग फैलने लगे थे |
यथा -                      पश्योत्पातान्नर व्याघ्र दिव्यान्  भौमान् सदैहिकान् |
 दिशाएँ-
        दिशाओं में धुँधलापन छाने लगा था ! यथा -       धूम्रःदिशः
भूकंप -
     बार बार भूकंप आ रहे थे यथा  -     कंपतेभूः सहाद्रिभिः
 मेघ गर्जन -
  बादलों का गर्जन अत्यंत तीव्र होने लगा था यथा -   निर्घातश्च महांस्तात
बिजली गिरना -
 बिजली गिरने की घटनाएँ बार बार  घटित हो रही थीं यथा - साकं च स्तनयित्नुभिः
आँधी तूफ़ान -
      शरीर को छेदने वाली वायु धूलि वर्षा कर रही थी बार बार आँधी तूफ़ान घटित हो रहे थे|
 यथा -      वायुर्वाति खरस्पर्शो रजसा विंसृजंस्तमः  |
    वर्षा -        बादल रक्त वर्षा करने लगते थे -'असृग वर्षन्ति जलदा '
   इस प्रकार से भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म के समय प्रकृति में जो जो अच्छी घटनाएँ घटित हो रही थीं उनके परम धाम जाने के समय उन्हीं घटनाओं का स्वरूप डरावना हो गया !दोनों समय में घटित हुई प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान उस युग के प्रकृति वैज्ञानिकों ने लगा लिया था कि कितनी शुभ घटना घटित होने वाली है और कब कितनी अशुभ घटना घटित होने वाली है |
   इन्हीं घटनाओं के आधार पर वर्तमान समय में भी शुभ और अशुभ का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है प्रकृति स्वयं ही विभिन्न घटनाओं के माध्यम से भविष्य में घटित होने वाली सामाजिक प्राकृतिक आदि घटनाओं की सूचना दिया करती है |
    विशेष बात - किसी बड़ी प्राकृतिक या सामाजिक घटना के घटित होने की सूचना देने के लिए प्रकृति बड़े तूफानों या का ही सहारा लेती है !आसुरी शक्तियाँ भी आँधी तूफानों का ही स्वरूप धारण करती हैं ! भागवत माहात्म्य में वर्णन  मिलता है कि बहुत समय भ्रमण करने के बाद गोकर्ण जी जब अपने घर गए तो रात्रि में धुंधुकारी तूफान के स्वरूप में एवं भगवान् कृष्ण के जन्मोत्सव  में बाधा पहुँचाने के लिए तृणावर्त भी तूफ़ान के स्वरूप में ही आया था |
       गोकर्ण जी ने तूफ़ान के स्वरूप में ही धुंधुकारी से बात की थी इसी प्रकार से श्रीकृष्ण जी  ने तूफ़ान देखते ही अंदाजा लगा लिया था कि कोई अप्रिय घटना घटित होने वाली है इसीलिए सावधान हो गए थे |तूफ़ान और भूकंप प्रायः आसुरी शक्तियों से प्रेरित होकर भविष्य में घटित होने वाले किसी संकट की सूचना दे रहे होते हैं | जिसका पूर्वानुमान उस घटना के घटित होने वाले समय के आधार पर लगाया जाता है |
      महाभारत में वर्णन मिलता है कि महाभारत के युद्ध से तेरह वर्ष पहले से भयंकर भूकंप एवं आँधी तूफ़ान बहुत अधिक संख्या में आने लगे थे एक दिन युधिष्ठिर ने व्यास जी से पूछा कि महाराज !अब तो शिशुपाल मारा जा चुका है अब ये भूकंप किस आपदा की सूचना देने के लिए अक्सर आते रहते हैं ?यह सुनकर व्यास जीने कहा कि आज के तेरह वर्ष बाद भयंकर युद्ध होगा जिसमें भारी संख्या में क्षत्रियों का संहार होगा उसी की सूचना देने आ रहे हैं ये भूकंप |
      महाभारत की इस घटना से जहाँ एक ओर यह बात प्रमाणित होती है कि भूकंप भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की सूचना देने आते हैं वहीँ इस बात का भी निश्चय हो जाता है कि भूकंपों  के द्वारा भविष्य में काफी आगे घटित होने वाली घटनाओं का भी पूर्वानुमान  लगाया  जा सकता है |
भूकंप से प्राप्त होने वाली सूचनाएँ -
         कुछ भूकंप बहुत छोटे होते हैं जिनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 के आसपास या उससे कुछ कम होती है ऐसे भूकंप जिस क्षेत्र में आते हैं वहाँ कोई प्राकृतिक सामाजिक या स्वास्थ्य संबंधी घटना घटित होने वाली होती है | आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ सूखा आदि की परिस्थिति बनने पर इस दृष्टि से अनुसंधान किया जाना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ निकट भविष्य में घटित होने वाले या तो किसी भूकंप आदि के विषय में सूचना दे रही होती हैं या फिर इनके विषय में सूचना देने के लिए कोई भूकंप अवश्य आएगा !इसी में कुछ भूकंपों की तीव्रता बहुत कम होती है इसलिए उनसे प्राप्त होने वाली सूचनाएँ भी अत्यंत  छोटी अर्थात कम प्रभाववाली घटनाओं की ओर संकेत कर रही होती हैं |
      कुछ स्थान ऐसे भी होते हैं जहाँ पृथ्वी की आतंरिक या बाह्य अर्थात वायुमंडल की परिस्थितियों के कारण बार बार भूकंप आते रहते हैं ऐसे भूकंपों को सूचना जैसी प्रक्रिया में सम्मिलित नहीं किया जा सकता है क्योंकि उनके द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ अक्सर परस्पर विरोधी होती हैं |
      कई बार किसी क्षेत्र में कोई भूकंप बहुत कम तीव्रता का आता है तो उसके द्वारा सूचित की जाने वाली घटनाओं का वेग भी अत्यंत कमजोर होता है | कई बार किसी क्षेत्र में पहले से जिस प्रकार की कोई गतिविधि प्रकृति में या समाज में चल रही होती है उसी गतिविधि को और अधिक आगे बढ़ाने वाला यदि कोई भूकंप आ जाता है तो उसकी तीव्रता कम होने पर भी उसका असर अधिक दिखाई पड़ता है |जैसे किसी क्षेत्र में वर्षा हो रही हो और उसी क्षेत्र में चंद्र निर्मित भूकंप कुछ कम तीव्रता का आने पर भी उस क्षेत्र में वर्षा के प्रभाव को बढ़ा देता है !इसी प्रकार से सर्दी की ऋतु में यदि चंद्रज भूकंप आता है तो वर्षा  सर्दी या बर्फवारी का असर काफी अधिक बढ़ जाता है | यही स्थिति यदि गर्मी की ऋतु में बने तो सर्दी या वर्षा का प्रभाव उतना अधिक नहीं प्रतीत होता है फिर भी ऐसे भूकंप भी गर्मी की मात्रा को तो कम कर ही देते हैं |
      ऐसे ही सूर्य निर्मित भूकंप यदि गर्मी की ऋतु  में आ जाता है तो गर्मी का ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है किंतु ये सूर्यज भूकंप यदि सर्दी में आ जाता है तो गर्मी का ताप तो बहुत अधिक नहीं बढ़ता है किंतु सर्दी के असर को बहुत अधिक कमजोर कर देता है |
     26 जनवरी 2001 को प्रातः 08:46 मिनट पर भुज में जो भूकंप आया था यह 'सन्निपातज' भूकंप था | गुजरात में सत्ता परिवर्तन की सूचना दे रहा था वहाँ दंगाइयों या आतंकवादियों के इकट्ठे होने की सूचना दे रहा था वहाँ नरसंहार के लिए जो भी विस्फोटक आदि और भी हथियार जैसी सामग्रियाँ संग्रहीत की गई थीं उनकी पूर्व सूचना देने आया था भूकंप !
     इसीलिए 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात में सत्ता परिवर्तन हो गया था एवं 27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में एक रेलगाड़ी में आग लगने दंगा प्रारंभ हो गया था | यदि यहाँ दंगा न भी होता तो कोई बड़ा विस्फोट होता या जिस किसी भी तरह होने वाले नरसंहार की सूचना देने आया था यह भूकंप !चूँकि इस भूकंप की तीव्रता 6.9 अर्थात अधिक थी इसलिए वहाँ दंगे भी अधिक समय तक चले और नरसंहार भी अधिक हुआ था |
    यह भूकंप 26 जनवरी को आया था सामान्यतौर पर इस समय अच्छी सर्दी हो रही होती है किंतु सन्निपातज भूकंप सूर्य और चंद्र दोनों से  प्रभावित होता है इसीलिए इस वर्ष फरवरी में  की मात्रा बढ़ने लगी थी जिसके कारण इतनी घुटन बढ़ गई थी कि बहुत लोग पंखे चलाने लगे थे |
      भूकंप  जब जहाँ घटित होते हैं तब वहाँ के प्राकृतिक वातावरण को बदल देते हैं तापमान में परिवर्तन करते हैं और उस समय घटित हो रही प्राकृतिक घटनाओं के वेग को या तो बढ़ा देते हैं या फिर कम कर देते हैं |
     हिमाचल (सिरमौर) में 24-9-2018 को दिन में 2.22 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.7 का 'सूर्यज'भूकंप आया था !हिमाचल में इस समय अत्यंत भीषण  बारिश के कारण  हर तरफ तबाही मची हुई है भूकंप के समय में भी आकाश मंडल को घनघोर बादल घेरे हुए थे भीषण अँधेरा छाया हुआ था ।मौसम संबंधी पूर्वानुमान भी दो दिन और बरसेगा एक दिन और बरसेगा ऐसा करते करते आगे खिसकाए जा रहे थे किंतु कल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था !इसी समय 24-9-2018 को दिन में 2.22 बजे अचानक सूर्यज भूकंप आ गया !जो वर्षा तत्काल बंद होने की सूचना दे रहा था !
     मैंने यह सूचना उसी समय मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसी 'स्काईमेट' एवं भारतीय मौसम विभाग को तुरंत सूचित किया !वे हमारे परिचित हैं उन्हें यह सुनकर आश्चर्य हो रहा था तो मैंने उनसे कहा कि अब पानी तो बरसेगा ही नहीं अपितु कल हर हालत में हिमाचल में धूप निकलेगी !इसके साथ ही वर्षा तो तुरंत बंद हो ही गई इसके साथ ही अगले दिन  हिमाचल में धूप भी निकली थी | इस बात को जीमेल के माध्यम से भी 'स्काईमेट' एवं भारतीय मौसम विभाग को तुरंत सूचित किया था वह प्रमाण रूप में हमारे पास अभी भी संगृहीत है !यहाँ तक कि अगले दिन धूप निकलने के समाचारों का भी मैंने संग्रह किया है |
    प्रस्तुत है यह उस मेल में भेजी गई विषय वस्तु -   24 सित॰ 2018, 5:49 pm
" डॉ.साहब सादर नमस्कार !
       इस समय हिमाचल में घनघोर वर्षा हो रही है उसी बीच आज दोपहर 24-9-2018 दोपहर 2.22 बजे शिमला में भूकंप आया है जिस  भूकंप का निर्माण सूर्य से हुआ था अतएव अब शिमला में सूर्य का प्रभाव बढ़ेगा जिससे बर्फ पिघलेगी वातावरण बदलेगा तापमान बढ़ेगा और शिमला में चल रही घोर बरिस तत्काल बंद होने की सूचना देता है यह भूकंप ! इसलिए वर्षा आज से अचानक बंद हो जाएगी ! केवल इसी बात की घोषणा करने आया था यह भूकंप !"
     इसके बाद अगले दिन धूप निकलने के जो समाचार प्रकाशित हुए थे उन्हें भी मैंने इन दोनों के जीमेल पर भेजा था !वे भी प्रमाण रूप में हमारे पास संगृहीत हैं |
      ये सब लिखने के पीछे हमारा उद्देश्य मात्र इतना है कि भारत के प्राचीन विज्ञान पर भी अनुसंधान किया जाना चाहिए | ये बातें मैंने अपने ब्लॉग पर भी प्रकाशित की थीं जिनमें को संशोधन नहीं किया गया है |
ब्लॉग पर प्रकाशित कुछ भूकंपों का फल -
      मैं भारतवर्ष में आए लगभग सभी भूकंपों को और उनके द्वारा मिलने वाले पूर्वानुमानों को विस्तार पूर्वक अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करता हूँ जिसमें दोबारा किसी प्रकार का संशोधन नहीं किया जाता है !इसके बाद उस क्षेत्र में घटित होने वाली घटनाओं को उसी प्रकाशित भूकंप के कमेंट में लिंक सहित संग्रह करता रहता हूँजिससे भविष्य में भूकंपों के द्वारा मिलने वाली सूचनाओं का परीक्षण किया जा सके | इसी क्रम में कई अत्यंत विचित्र एवं महत्वपूर्ण सूचनाएँ देखने को मिलती हैं ऐसा लगता है कि इन सूचनाओं के विषय में पहले से यदि सरकार और समाज को सूचना होती तो कुछ परिस्थितियाँ एक सीमातक बिगड़ने से बचाई जा सकती थीं | इसी प्रकार से कुछ सूचनाएँ इतनी अच्छी होती हैं कि उनका देश और समाज के हिट में अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सकता है !
हाँ कुछ विशेष प्रकार के रोग आदि समस्याएँ पैदा करते हैं
       ऐसे ही कई बार प्रकृति में या समाज में जिस प्रकार की गतिविधि पहले से चली आ रही होती है ऐसे समय में यदि  अचानक कोई भूकंप आ जाता है और वह उस पहले से चली आ रही गतिविधि के विरोध की कोई सूचना देता है तो उसका प्रभाव कुछ कमजोर हो जाता है यदि भूकंप की तीव्रता अधिक होती है तब तो ऐसे विरोधी स्वभाव वाले भूकंपों का असर भी अच्छा दिखाई पड़ता है |
        कई बार एक भूकंप आकर कोई सूचना देकर चला जाता तो उस क्षेत्र में ऐसी सूचना का असर 30 से 50 दिनों तक रहता है किंतु यदि पहले भूकंप के 10,5 या पंद्रह दिनों के अंदर कोई दूसरा भूकंप आ जाता है तो यहीं से पहले वाले भूकंप का असर समाप्त होकर बाद वाले भूकंप का प्रभाव पड़ने लग जाता है |
       भूकंपों के वैसे तो 9 प्रकार होते हैं सबके अलग अलग स्वभाव प्रभाव आदि होते हैं |जिनमें से 4 प्रकार के भूकंप बहुत कम दिखाई पड़ते हैं क्योंकि ये सौ दो सौ वर्षों में कभी कभी ही आते हैं किंतु जब कभी जहाँ कहीं भी आते होंगे उनकी प्रवृत्ति काफी अधिक हिंसक होती है जो पृथ्वी में बहुत बड़े बदलाव के लिए आते हैं जिनमें नदियों झीलों तालाबों समुद्रों टापुओं आदि के आस्तित्व को ही परिवर्तित करके पृथ्वी के संतुलन को सँवारते देखे जाते हैं | मनुष्य के द्वारा अवाञ्च्छित निर्माण आदि के द्वारा कभी किसी एक स्थान में बहुत सारा भार बढ़ा देते हैं ऐसी परिस्थितियों के गर्भ से उस प्रकार के भूकंप जन्म लेते हैं |ऐसे भूकंपों की आवृत्तियाँ इतनी कम होती हैं कि उनके विषय में अनुभव जुटाकर रिसर्च करना संभव नहीं हो पाता है |
      इन सबके अतिरिक्त 4 प्रकार  के  भूकंप ही प्रमुख होते हैं जो अक्सर दिखाई पड़ा करते हैं ये जिस क्षेत्र में आते हैं उस क्षेत्र से संबंधित कोई न कोई सूचना समेटे होते हैं|ये प्रायः प्रत्येक क्षेत्र में शुभाशुभ सूचनाएँ देने के लिए अक्सर आया करते हैं इन्हीं के विषय में अथर्ववेद में लिखा हुआ है "शं नो भूमिर्वेप्यमाना" अर्थात  'काँपती हुई भूमि हमारी रक्षा करे!'इन चार भूकंपों के अलावा एक  दैवी भूकंप  होता है | इससे जनधन की भारी हानि होती है |ये मनुष्यकृत अपराधों से प्रेरित ईश्वरीय शक्तियों के प्रकोप से प्रकट होता है |
       प्रकृति में कोई क्रिया ऐसी नहीं होती है जो निरर्थक या मानवता में सहायक न होती हो |कई क्रियाएँ ऐसी भी होती हैं जो देखने में कुछ समय के लिए अवश्य विपरीत लगती हैं किंतु उनकी दूरगामी परिणामों पर यदि ध्यान दिया तो वे सृष्टि में सहायक होती हैं | इसी प्रकार से भूमि के कंपन से पृथ्वी का आतंरिक जगत व्यवस्थित होता है और बाह्य प्रकृति में भी संतुलन बनता है !                                                         
भूकंप और प्राचीन विज्ञान -
       इसप्रकार से विश्व का भूकंपविज्ञान अपने बुने हुए अंधविश्वास के जाल में बुरी तरह उलझा हुआ है जिसके विषय में वो न तो कुछ कहने की स्थिति में है और न कुछ नकारने की ही स्थिति में है |केवल आधुनिकभूकंप विज्ञान के सहारे बैठे रहने से अच्छा है कि भूकंप संबंधी घटनाओं के घटित होने में कारण के रूप में बताए गए अनेकों धर्मों प्रचलित परंपराओं शकुनों अपशकुनों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए इसके साथ ही वैदिकविज्ञान की प्रक्रिया में भूकंप के विषय में सुझाई गई पद्धतियों पर भी अनुसंधान किया जाना चाहिए क्योंकि भारत का प्राचीनविज्ञान  अत्यंत  विकसित था ऐसा बताया जाता है |संभव है उन वैज्ञानिक पूर्वजों के द्वारा भी उस युग में भूकंप जैसी घटनाओं के विषय में कुछ अनुसंधान अवश्य किए गए  होंगे | उन को भी अनुसंधान का विषय बनाया जाना चाहिए|उन महापुरुषों ने सुदूर आकाश में स्थिति सूर्यचंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं को न केवल सुलझा लिया था अपितु उनसे संबंधित पूर्वानुमान लगाने में भी वे सफल हुए थे | जिस पद्धति से हजारों वर्ष पहले ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं जो कभी गलत नहीं हुए किंतु क्या कारण है मौसम संबंधी घटनाएँ हों या भूकंप संबंधी घटनाएँ ग्रहणविज्ञान की तरह सही एवं सटीक पूर्वानुमान देने में अभी तक दोनों ही असफल रहे हैं|    
   ऐसा विचार करके ही मैंने सदाशयता पूर्वक वैदिकविज्ञान से संबंधित सांख्य ,योग, खगोल,ज्योतिष, आयुर्वेद आदि पद्धतियों के आधार पर भूकंप समेत समस्त प्राकृतिक घटनाओं पर आज के लगभग 25 वर्ष पूर्व अनुसंधान प्रारंभ किया था |जिससे अभी तक भूकंप संबंधी पूर्वानुमान निकाल पाना संभव भले ही न हुआ हो किंतु उसके अतिरिक्त और जो भी जानकारी हो सकी है वह भी देश एवं समाज के लिए सहयोग करने वाली होने के साथ ही साथ देश की प्रतिष्ठा को बढ़ने वाली है |
जानवरों के द्वारा भूकंपों का पूर्वानुमान -
       सदियों से मनुष्य का ऐसा मानना रहा है कि यदि आस-पास के कुत्ते और बिल्लियाँ अजीब व्यवहार करने लगे तो ऐसा समझ लिया जाता था कि अब भूकंप आने की आशंका है!
    शोधकर्ताओं ने भूकंप की 160 घटनाओं के संदर्भ में असामान्य हरकत करने वाले जानवरों की 729 रिपोर्ट का अध्ययन किया है. जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओसाइंसेस के हीको वाइथ ने कहा,  भूकंप का पूर्वानुमान लगाने वाले जानवरों की क्षमता व इसकी संभावना पर कई समीक्षा पत्र मौजूद हैं, परंतु हमारे ज्ञान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि डेटा का मूल्यांकन करने के लिए एक सांख्यिकीय दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है. शोधकर्ताओं ने हाथियों से लेकर रेशम के कीड़े तक विभिन्न प्रकार के जानवरों में संभावित भूकंप के पूर्वानुमान लगाने की क्षमता पर आधारित रिपोर्ट एकत्र कर इनका अध्ययन किया है
   बताया जाता है कि बुलेटिन ऑफ द सिस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका  नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि ऐसे सबूत ज्यादातर किस्से – कहानियाँ  व किवदंतियाँ पर आधारित होते हैं , जिनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता !
   ऐसी परिस्थिति में जिन मानकों के आधार पर पशुपक्षियों के व्यवहार से भूकंपों का पूर्वानुमान लगाने की पद्धति को यह कहकर ख़ारिज किया जा सकता है कि ये केवल किस्से – कहानियाँ  व किवदंतियाँ हैं इनका परीक्षण तथ्यात्मक ढंग से नहीं किया जा सकता है उन्हीं मानकों के आधार पर यदि ईमानदारी पूर्वक परीक्षण किया जाए तो आधुनिक विज्ञान के आधार पर बताए जाने वाले भूमिगतप्लेटों या संचित गैसों के दबाव वाले किस्से कहानियों किवदंतियों को विज्ञान सम्मत कैसे मान लिया जाए ?इसमें भी तो कोई वैज्ञानिक आधार नहीं दिखता है |
असामान्य पशु व्यवहार:
यह एक अच्छी तरह से स्थापित तथ्य है कि जानवरों को मानव द्वारा मनाई जाने वाली कुछ संवेदी धारणाओं से संपन्न है। कुछ जानवरों में इंसानों की तुलना में सूँघने, सुनने, देखने और संवेदन करने की बेहतर शक्ति होती है। 4 फरवरी, 1975 को चीन के लियाओनिंग प्रांत में हाइचांग भूकंप के बाद भूकंप आने से पहले जानवरों के असामान्य व्यवहार को व्यापक प्रचार मिला था।
यद्यपि जल स्तर में उतार-चढ़ाव और पानी में रेडॉन सामग्री को उचित विचार दिया गया था, लेकिन भूकंप की भविष्यवाणी की प्रक्रिया में जानवरों के व्यवहार की अनदेखी नहीं की गई थी। 4 फरवरी, 1975 की सुबह, हायांग शहर में एक मध्यम वनों की मार पड़ी और दोपहर 2 बजे तक एक सामान्य अलर्ट घोषित किया गया।
छह घंटे के भीतर, 7.3 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप से क्षेत्र हिल गया था, लेकिन लगभग सभी एक लाख निवासियों को बचा लिया गया था। चीनी को जानवरों के असामान्य व्यवहार को पहचानने में अग्रणी माना जाता है, जो भूकंप के पूर्ववर्ती भूकंप के पूर्वानुमान के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में है, विशेष रूप से 1975 के हाइचांग भूकंप की सटीक भविष्यवाणी के बाद से।
वास्तव में, भूकंपों के खिलाफ राष्ट्रीय युद्ध 1966 में एक प्रभावी नारे के साथ शुरू किया गया था, "एहतियात के साथ एक दिन की तुलना में एक दिन में कोई भूकंप नहीं।" चीनी रिपोर्ट फरवरी 1976 में यूनेस्को, पेरिस में आयोजित अंतर सरकारी बैठक में प्रस्तुत की गई थी। वैज्ञानिकों के बीच काफी रुचि को उत्तेजित किया।
हालांकि, यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि विनाशकारी भूकंप से पहले जानवरों के असामान्य व्यवहार को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहले भी देखा गया था। जापान में नागोया शहर के एक रेस्तरां में हर दिन बड़ी संख्या में चूहों को देखा गया था, जो 1891 के नोबी भूकंप से पहले शाम को अचानक गायब हो गया था।
चूहों के बारे में इसी तरह की टिप्पणियों के बारे में पहले दो बार सूचित किया गया था, 1923 का कांटो भूकंप और 1933 का संक्रिकु भूकंप। चीन में, होप्टी प्रांत (बीजिंग से 300 किमी) में 1966 के हिंगसताई भूकंप से पहले चूहों के असामान्य व्यवहार की सूचना मिली थी।
भूकंप आने से पहले 1835 में चिली के तालकाहुआनो शहर से कुत्ते शहर में आए थे। 1822 और 1835 के चिली में आए भूकंप से पहले पक्षियों के झुंड अंतर्देशीय हो गए। निकारागुआ में 1972 के मानागुआ भूकंप से कुछ घंटे पहले बंदर बेचैन हो गए थे।
1969 की गर्मियों में, बहाई भूकंप (जुलाई, 1969) से ठीक पहले, तित्सिन चिड़ियाघर के संरक्षकों ने देखा था कि हंस अचानक पानी से बाहर निकल गए थे और दूर रह गए, एक मंचूरियन बाघ ने पेसिंग बंद कर दी, एक तिब्बती याक का पतन हो गया, पंडों ने अपना सिर अंदर कर लिया। पंजे और moaned; और कछुए बेचैन थे।
जापान में 1896 के रय्यक भूकंप में एक घंटे पहले ही हेंस और लंड को बेचैन कर दिया गया था। यूगोस्लाविया में, चिड़ियाघर में पक्षी 1963 के भूकंप से पहले रोने लगे। 1976 के भूकंप से दो या तीन घंटे पहले उत्तरी इटली के गांवों से हिरण इकट्ठा हुए और बिल्लियाँ गायब हो गईं।
1906 में सैन एंड्रियास फॉल्ट के साथ आए भूकंप से ठीक पहले, घोड़ों ने सीटी बजाई और गायों ने मोहर लगा दी। अन्य मामलों में गायों को दूध पिलाया जाता है जो सदमे से पहले बेचैन हो जाती है। झटके के समय मवेशियों को बांधने की सूचना आम तौर पर थी। रात में भूकंप आने से पहले कुत्तों द्वारा हॉवेलिंग की सूचना दी गई थी।
भूकंप से ठीक पहले असामान्य व्यवहार उन जानवरों के बीच भी देखा गया है, जो भूमिगत रहते हैं, जैसे सांप, कीड़े और कीड़े, और पानी में रहने वाले (मछलियाँ)। जापान के उत्तरी पश्चिमी तट पर 1896 में भूकंप और 1927 के टैंगो भूकंप से ठीक पहले प्रचुर मात्रा में मछलियों को पकड़ा गया था। हालांकि, कांटो भूकंप (1923) में मछलियाँ गायब होने की सूचना मिली थी।
ईदो भूकंप (11 नवंबर, 1855) से ठीक पहले, कई घास के सांपों के जमीन से बाहर निकल जाने की सूचना मिली थी, जबकि यह भीषण सर्दी थी। तुर्की के भूकंप (24 नवंबर, 1976) से ठीक पहले कुत्तों के बहुत ही असामान्य व्यवहार की सूचना मिली थी। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के बैरी रैले ने देखा कि होलिस्टर (कैलिफ़ोर्निया) में 28 नवंबर 1974 के भूकंप से ठीक पहले घोड़ों की मौत हो गई थी।
भारत में, भूकंप के संबंध में जानवरों के असामान्य व्यवहार को 1892 के प्रारंभ में देखा गया था। जानवरों को जमीन को सूँघने और घबराहट दिखाने के लिए देखा गया था, जैसे कि गोविंदपुर (मानभूमि) में फरवरी में एक कुत्ते को एक अस्पष्ट वस्तु की उपस्थिति में दिखाया गया था। 19, 1892. उत्तरकाशी (1991), लातूर (1993), जबलपुर (1997), चमोली (1999) और भुज (2001) के हालिया भूकंपों के दौरान पालतू कुत्तों के असामान्य व्यवहार के पृथक मामले थे।
भूकंप की भविष्यवाणी के संबंध में जानवरों के असामान्य व्यवहार के बारे में दुनिया भर में व्यापक शोध किया जा रहा है। चीन और जापान इस संबंध में अग्रगामी हैं। यूएसए ने भूकंप की भविष्यवाणी के एक उपयोगी संकेतक के रूप में जानवरों के असामान्य व्यवहार में भी गहरी रुचि दिखाई है।
स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट, कैलिफोर्निया, 'प्रोजेक्ट भूकंप वॉच' के तहत सैन एंड्रियास फॉल्ट के साथ एक नेटवर्क है। यह समूह लगभग 70 पशु प्रजातियों के व्यवहार पर नजर रखता है। डॉ। बीजी देशपांडे ने 87 जानवरों की एक सूची तैयार की है, जिन्हें दुनिया भर में देखा गया है और जिनका व्यवहार आसन्न भूकंप के अग्रिम संकेतक के रूप में हो सकता है। इनमें से कुछ जो शहर के निवासियों द्वारा आसानी से देखे जा सकते हैं; तिलचट्टे, कौवे, कुत्ते, गधे, बतख, मेढक, मेंढक, गीज, बकरियां, घोड़े, चूहे, बंदर, सुअर, कबूतर, चूहे, भेड़, गिलहरी, हंस और सांप।
भूकंप अनुसंधान संस्थान, बायोफिज़िक्स, चीन (1979) का समूह एक मजबूत भूकंप से पहले जानवरों के व्यवहार के व्यापक सर्वेक्षण के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुंचा है।
(i) ज्यादातर जानवर भूकंप से पहले बेचैनी बढ़ाते हैं।
(ii) पूर्ववर्ती समय कुछ मिनटों से लेकर कई दिनों तक भिन्न होता है, जिसमें ११ घंटे से अधिक की बेचैनी होती है जो भूकंप के २ से ३ घंटे पहले और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है। विभिन्न जानवरों के सामान्य अग्रदूत समय में ज्यादातर भूकंप से पहले 24 घंटे के भीतर होते हैं।
(iii) इन अवलोकनों को मुख्य रूप से उच्च तीव्रता या सक्रिय दोषों के करीब वाले एपिकेंटरल क्षेत्र में देखा गया है।
(iv) 5 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप के दौरान जानवरों का असामान्य व्यवहार देखा जाता है।
(v) भूकंप की तीव्रता में वृद्धि के साथ अधिक गहन प्रतिक्रिया देखी जा सकती है।
2. हाइड्रोकेमिकल Precursors:
भूमिगत जल की रासायनिक संरचना ताडज़िक और उज़्बेकिस्तान के भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में नियमित आधार पर देखी गई। इन अवलोकनों के बाद निम्नलिखित परिणाम मिले।
(i) विघटित खनिजों और गैसीय घटकों का एकाग्रता स्तर भूकंपीय रूप से निष्क्रिय अवधि के दौरान लगभग स्थिर रहा।
(ii) विघटित खनिजों की सघनता में सराहनीय वृद्धि भूकंप के 2 से 8 दिन पहले देखी गई थी। भूमिगत जल के स्तर में भिन्नता, आर्टेशियन पानी का दबाव, जल स्रोतों का निर्वहन और भूमिगत जल का तापमान भी इस अवधि के दौरान देखा गया। तेज भूकंप की स्थिति में ये विविधताएं बड़ी हैं।
(iii) भूकंप के बाद, गैसीय और खनिज घटकों की सांद्रता में विसंगतियां गायब हो जाती हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में जबलपुर में भूकंप (1997) के दौरान भू-जल की अशांति को देखते हुए महत्वपूर्ण पूर्व-आपदा और पोस्ट डिजास्टर हाइड्रो भूगर्भीय परिवर्तन देखे गए थे।
3. तापमान परिवर्तन:
तापमान और भूकंप के बीच कुछ संबंध प्रतीत होता है। चीन के लुंगलिन (1976) और रूस के प्रेजेवलस्क (1970) में भूकंप से पहले 10 ° C और 15 ° C तापमान में काफी वृद्धि दर्ज की गई थी। इन भूकंपों की महाकाव्य दूरी जहां गर्म पानी के झरने में देखी गई थी / अच्छी तरह से 10 और 30 किमी और अग्रवर्ती अवधि क्रमशः 42 और 72 दिन थी।
4. जल स्तर:
एक बड़े भूकंप से ठीक पहले कई कुओं में पानी के स्तर में भारी बदलाव होते हैं। जापान में ननकाई भूकंप (1946) से कुछ दिन पहले जल स्तर में गिरावट आई थी। लुंग्लिन (चीन) और प्राजेवलस्क (रूस) भूकंप से पहले 3 और 15 सेमी जल स्तर में वृद्धि की सूचना मिली थी।
इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया (1968) में मेकरिंग में भूकंप से कुछ घंटे पहले जल स्तर 3 सेमी बढ़ गया। चीन में कुओं में पानी के स्तर में वृद्धि हाइचेंग (1975), तांगशान (1976), लियू- क्वियाओ और शनिन (1979) के भूकंपों से पहले देखी गई थी।
रिक्टर पैमाने पर 4 और उससे अधिक के भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए कुरील द्वीपों में जल स्तर भिन्नता में प्रयोग किए गए हैं। इस प्रयोजन के लिए ४००-६ meters० मीटर तक की गहराई में ral०० किमी तक की महाकाव्य दूरी पर गहराई का उपयोग किया जाता है। यह पृथ्वी की पपड़ी के विरूपण को देखने के लिए एक प्रभावी तकनीक है। जिस मॉडल पर भूकंप का पूर्वानुमान आधारित है, वह बताता है कि भूकंप से 3 से 10 दिन पहले, जल स्तर गिरना शुरू हो जाता है। थोड़े समय के बाद, भूकंप आने पर यह ऊपर उठने लगता है।
        आवश्यक सूचनाएँ देने आते हैं भूकंप -
    भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति प्रकृति, समाज एवं सरकार के काम काज आचार व्यवहार पर बहुत पैनी नजर रखती है जो अपनी बात आँधीतूफानों ,बिजली कड़कने या भूकंप जैसी अनेकों प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से समाज से कहती है!जिसमें अधिकाँश घटनाओं के बिषय में प्रकृति के बिचारों को प्रकट करने का भूकंप सबसे बड़ा माध्यम है !प्रकृति के उन्हीं बिचारों की सूचना देने के लिए भूकंप आते हैं भूकंपों के आने के समय के आधार पर समयवैज्ञानिक लोग उन सूचनाओं को अनुसंधानात्मक प्रयास पूर्वक समझ पाते हैं  कि इस भूकंप का मंतव्य क्या था |
     प्रकृति समाज या सरकार में अचानक जब कोई उथल पुथल होने लगती है जिससे समाज परेशान होता है या सामूहिक परेशानी बढ़ने की संभावना होती है ऐसे समय में भूकंपों का नियमन करने वाली शक्ति उस विषय से संबंधित कोई अच्छी या बुरी सूचना देने के लिए भूकंपों को माध्यम बनाती है !
    प्रकृति, समाज एवं सरकारों के कामकाज में यदि ऐसा कोई अचानक बड़ा बदलाव हो रहा होता है जिससे समाज अपरिचित होता है जबकि वह बदलाव समाज को अपने अच्छे या बुरे स्वभाव से  बहुत अधिक प्रभावित करने वाला होता है !उसकी सूचना देने के लिए भूकंप आता है |
     किसी क्षेत्र में कोई दंगा भड़कना होता है या उन्माद फैलना होता है या आतंकवादी हमला होना होता है या कोई बम विस्फोट होना होता है जिसकी आशंका समाज में बिल्कुल नहीं होती है ऐसी परिस्थिति में उस घटना की सूचना देकर समाज को सतर्क करने के लिए आता है भूकंप !
    कई बार प्रधानमंत्री आदि बड़े पदों पर प्रतिष्ठित प्रभावी लोगों के सभा सम्मलेन में यदि कोई आतंकवादी हमला या विस्फोट आदि होना होता है तो उसकी सूचना देने के लिए आता है भूकंप या भीषण आँधीतूफ़ान !
    प्रकृति में अचानक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिसकी किसी को कल्पना भी नहीं होती है जबकि उससे बड़ा जन समुदाय प्रभावित होने की संभावना होती है तो इस बात की सूचना देने वहाँ भूकंप आता है!कई बार किसी क्षेत्र में आँधी तूफ़ान आना होता है तो भूकंप आता है या कहीं बहुत अधिक वर्षा होनी होती है तो भूकंप आता है !कहीं बहुत अधिक गर्मी पड़नी होती है तो भूकंप आता है !आग लगने की बहुत अधिक घटनाएँ घटित होनी होती हैं तो भूकंप आता है |
     कई बार किसी क्षेत्र में कई दिनों से बहुत अधिक वर्षा हो रही होती है बाढ़ से जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है ऐसे समय में समाज के पास कोई साधन इस बात का पूर्वानुमान जानने के लिए नहीं होता है कि अभी ऐसी भीषण वर्षात कितने दिन और चलेगी !मौसम भविष्यवक्ता  लोग अभी दो दिन और बरसेगा अभी तीन दिन और बरसेगा ऐसा करते करते समय पास किए जा रहे होते हैं ऐसी बिषम परिस्थिति में यदि उसी स्थान पर अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो उस समय का अनुसंधान करके यह जान लिया जाता है कि वर्षा कितने दिन  और चलेगी या तुरंत बंद होगी !यदि तुरंत बंद करने का आदेश होता है तो उसके तुरंत बाद से बर्षा बंद होकर बादलों का जमावड़ा पलायन करने लग जाता है !
     किसी क्षेत्र में कई बार गर्मी की ऋतु में भूकंप आ जाता है तो वो कोई अन्य सूचना तो दे ही रहा होता है इसके साथ ही इस बिषय में भी अपने विचार व्यक्त कर रहा होता है कि गर्मी की मात्रा अभी और अधिक बढ़ेगी या यहाँ से घटनी प्रारंभ हो जाएगी !ऐसे ही सर्दी के विषय में शीतऋतु में सूचनाएँ मिला करती हैं !
     समाज में जिस स्थान पर सरकार के विरुद्ध कोई आंदोलन हो रहा हो वहीँ भूकंप आ जाए तो वह भूकंप उस आंदोलन के विषय में कोई सीधी सूचना दे रहा होता है !कई बार आंदोलन भी तो हिंसक हो जाता है !
     जब किन्हीं दो पड़ोसी देशों में संयुक्त भूकंप आता है तो उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के बनने या बिगड़ने के विषय में अथवा हानि या लाभ के विषय में कोई सूचना दे रहे होते हैं |
     किसी क्षेत्र विशेष में कोई प्राकृतिक या सामाजिक कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जिससे मानवता के प्रभावित होने कीसंभावना होती है किंतु उस घटना के विषय में बहुत कम लोगों को पता होता है ऐसी परिस्थिति में भूकंप आकर उस विषय की सूचना आमसमाज को दे देता है ताकि लोग सतर्कता बरत सकें !
भूकंप की सूचना देने आते हैं आँधी तूफ़ान !
      कई बार कुछ दिनों या समय के अंतराल में किसी एक ही स्थान पर कोई दो प्राकृतिक घटनाएँ घटित हो रही होती हैं तो संभव है कि वे दोनों एक दूसरे से संबंधित हों !ऐसी परिस्थिति में पहली घटना बाद में घटित होने वाली दूसरी प्राकृतिक घटना की पूर्व सूचना दे रही होती है | ऐसे प्रकरणों में पहली घटना के घटित होने वाले समय का यदि ठीक प्रकार से अनुसंधान किया जाए तो बाद में घटित होने वाली घटना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
  उदाहरण -25-4-2015 को आए भूकंप आने से पहले उसके विषय में सूचना देने आया था 22-04-15 को  भीषण आँधी तूफान !
     इस भीषण आँधी तूफान और भूकंप दोनों में ही नेपाल और भारत दोनों में जन धन की भारी हानि हुई थी !इस आँधी तूफ़ान और भूकंप दोनों का ही केंद्र नेपाल की एक ही जगह थी जबकि इन दोनों से ही प्रभावित नेपाल और भारत दोनों हुए थे |
  सामाजिक तनाव बढ़ने की सूचना देने वाला भूकंप !
1. गुजरात के बनासकांठा जिले में 13 -3-2017 को 15.52 बजे 4.4 की तीव्रता वाला 'वातज' भूकंप आया था |इस भूकंप का प्रभाव 30 दिन रहना था !इसी के बीच 25 मार्च को गुजरात के पाटनजिले के  बड़वानी गाँव में दंगा हो गया था जिसमें 5000 लोगों की भीड़ ने  हमलाबोल दिया था , 20 घर फूंक  दिए गए थे !दो की मौत हो गई थी !यह पाटन  क्षेत्र गुजरात के ही बनासकांठा जिले के पास पड़ता है जहाँ भूकंप आया था |'वातज' भूकंप में तनाव होता ही है |
2. जम्मू कश्मीर में 23 -9-2017 को प्रातः 5. 44 पर ,तीव्रता 4.5 ,'वातज' भूकंप के प्रभाव से इस समय यहाँ तनाव उन्माद पत्थरबाजी आदि की घटनाएँ घटित होने लगी थीं !
3. जम्मू कश्मीर में -19 -10-2017 को प्रातः 6. 40 बजे , तीव्रता 4.7 , का 'वातज' भूकंप आया था ! जिसके प्रभाव से यहाँ सामाजिक तनाव उपद्रव उन्माद पत्थरबाजी आदि की घटनाएँ अधिक घटित होने लगी थीं |
4.दिल्ली में 6-12-2017 को सायं 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! जिसकी तीव्रता 5.5 थी !दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के झटके लगे इसका केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में था!
5.  जम्मू कश्मीर में11 -12-2017 को प्रातः 8.49 पर 'वातज' भूकंप आया जिसकी तीव्रता 4.5 थी !
      इन 6 और 11 नवंबर के भूकंपों के द्वारा इस क्षेत्र में आतंकवादियों के  आदि हिंसक असामाजिक तत्वों के विषय में सूचना दी जा रही थी !बाद में इन्हीं लोगों ने जम्मू-कश्मीर में CRPF के ट्रेनिंग सेंटर पर बड़ा आतंकी हमला कर दिया था जिसमें 4 जवान शहीद एवं 3 आतंकवादी मारे  गए थे !
 6. ठाणे (महाराष्ट्र):में 2-1-2018 को प्रातः 2.21 पर 'वातज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 3.2 थी !
        इसके प्रभाव से पुणे में जातीय हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र बंद: ट्रेनें रोकीं, बस सेवा पर बुरा असर, सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा !
7. भूकंप:पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2 !   इसलिए पश्चिम बंगाल में 'खूनी' पंचायत चुनाव, हिंसक झड़पों में 12 की मौत !
 8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप ! इसलिए सड़क पर अन्‍नदाता:1 जून से दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्‍यापी बंद का आज दूसरा दिन !
9.भूकंप :जम्मू कश्मीर में 14 -6 -2018 समय 6.12 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0! इसके बाद  14 जून को ही हेडिंग छपी थी "पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर उल्लंघन, बीएसएफ के 4 जवान शहीद, 3 घायल"
10. भूकंप :मेरठ में 10 -9-2018 \6. 28 AM ,तीव्रता 3.6 भूकंप आया, जिसमें मेरठ से दिल्ली तक  भूकंप के झटके लगे !यह भूकंप लोगों के मन में उन्माद पैदा करने वाला था !
11.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप तीव्रता4.6 थी !
        15 सितंबर को हेडिंग छपी -"जम्मू-कश्मीरः काजीगुंड में मुठभेड़ जारी, पांच आतंकी मारे गए"! 19 को छपा -"पाकिस्तानी सैनिकों ने बीएसएफ जवान का गला रेता, सीमा पर हाईअलर्ट !" 21 को छपी -"जम्मू-कश्मीर के शोपियां में अगवा 3 पुलिसकर्मियों की हत्या "!23 को छपी -"जम्मू-कश्मीर: मुठभेड़ में एक आतंकी ढेर, 'आतंक का अंत' मिशन पर सेना " !"जम्मू-कश्मीर: आतंकियों ने स्थानीय मजदूर को किया अगवा"!"कश्मीर के कुपवाड़ा में घुसपैठ की साजिश नाकाम, LoC पर दो आतंकी ढेर"!"सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी को किया ढेर !"
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
11 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल  में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप  जिसकी तीव्रता4.6 थी !
  वायु प्रदूषण बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप !
1. गुजरात के बनासकांठा जिले में 13 -3-2017 को 15.52 बजे 4.4 की तीव्रता वाला 'वातज' भूकंप आया था |
2. जम्मू कश्मीर में 23 -9-2017 को प्रातः 5. 44 पर ,तीव्रता 4.5 ,'वातज' भूकंप !
3. जम्मू कश्मीर में -19 -10-2017 को प्रातः 6. 40 बजे , तीव्रता 4.7 , का 'वातज' भूकंप आया था !
4.दिल्ली में 6-12-2017 को सायं 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! जिसकी तीव्रता 5.5 थी !
5.  जम्मू कश्मीर में11 -12-2017 को प्रातः 8.49 पर 'वातज' भूकंप आया जिसकी तीव्रता 4.5 थी !
 6. ठाणे (महाराष्ट्र):में 2-1-2018 को प्रातः 2.21 पर 'वातज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 3.2 थी !
7. भूकंप:पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2 !
 8 .रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप !
       इस भूकंप प्रभाव से राजस्थान से उड़कर आई धूल दिल्ली, हरियाणा के आसमान में छा गई !13  जून को अखवारों की हेडिंग बनी थी "दिल्ली, हरियाणा के आसमान में छाई राजस्थान से आई धूल!"  राजधानी दिल्ली में गर्म हवा और धूल का छाया गुबार. प्रदूषण का स्तर 5 से 10 गुणा तक बढ़ा ! 14 जून को बीबीसी ने लिखा -"दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है?"
   9.भूकंप :जम्मू कश्मीर में 14 -6 -2018 समय 6.12 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0! इसके बाद वायु प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया था ! 14 जून को हेडिंग छपी थी कि -"धूल के गुबार में घिरा हुआ है दिल्ली-एनसीआर" दूसरी हेडिंग इसीदिन की -"खतरनाक' स्‍तर पर पहुंचा प्रदूषण, सारे निर्माण कार्यों पर लगी रोक !"
10.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
11.हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
11 हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
12. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल  में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
13.जम्मू कश्मीर में-12 -9-2018 को 5.15 AM पर 'वातज' भूकंप  जिसकी तीव्रता4.6 थी !
  सर्दी बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप -
        ये भूकंप यदि सर्दी में आता है तो सर्दी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है जबकि यदि ये भूकंप गर्मी में आता है तो सर्दी की मात्रा बढ़ती तो है लेकिन बहुत अधिक नहीं बढ़ पाती है फिर भी बढ़ती है!
  1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे  3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
 3.जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल  'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
4. कश्मीर में  24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था !जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चन्द्रज' भूकंप !
     इसके प्रभाव से    25 फ़रवरी, 2018 को शिमला में बर्फबारी, न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज  "लाहौल-स्पीति के ऊंचे पहाड़ी इलाकों, किन्नौर, शिमला, सिरमौर, मंडी और चंबा जिलों में शुक्रवार से हल्की से लेकर मध्यम स्तर की बर्फबारी हो रही है." राज्य में लाहौल-स्पीति जिले का केलांग सबसे ठंडा रहा, जहां पारा हिमांक बिन्दु से तीन डिग्री नीचे पहुँच गया !
6.भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
          इस समय भी तापमान काफी कम हो गया था इसीलिए गर्मी का प्रभाव इस समय उतना अधिक बढ़ने नहीं पाया था !
 7. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
       इस समय भी वर्षा बूंदी का वातावरण बने रहने के कारण  इस समय तापमान बढ़ने नहीं पाया था !
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
          गर्मी होने के कारण सर्दी तो नहीं हुई किंतु इस भूकंप के प्रभाव से तापमान बढ़ने नहीं पाया था !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11.  जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1
वर्षा होने की सूचना देने वाले भूकंप -
 1. जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे  3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
3. जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल  'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
       इस भूकंप के प्रभाव से इसी समय पूर्वोत्तर भारत में भीषण बारिश हुई थी जिससे झेलम आदि नदियों का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ गया था !
4. कश्मीर में  24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था !जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
 5. भूकंप - जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज' भूकंप !
6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
  8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
    इसी समय हिमाचल प्रदेश के मध्य और निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश हुई. वहीं राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप !
 9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11.  जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1! इस पर अखवारों में हेडिंग छपी -" पाकिस्तान से आ रही 'मुसीबत', दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में बढ़ेगी ठंड"
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
14 . किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3 'चंद्रज'भूकंप
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
 (7 अगस्त को हिमाचल: बादल फटने के बाद नाले में आई बाढ़, ऐसे बची ग्रामीणों की जान,)
 35. गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
सामाजिक तनाव घटने की सूचना देने वाला भूकंप !
   किसी क्षेत्र में जब जनता में उन्माद आंदोलन उग्रवाद हिंसा संघर्ष आदि चल रहा हो उसी समय यदि वहाँ 'चंद्रज' भूकंप आ जाता है तो चंद्र के प्रभाव से लगभग 40 दिनों के लिए वहाँ शांति हो जाती है !
1.  जम्मू-कश्मीर के पूंछ जिले में 28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप आया था !
2. यह भूकंप जम्मू कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में1.39 बजे  3.8 तीव्रताका 'चंद्रज'भूकंप आया था !
       इन दोनों चंद्रज भूकंपों के प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं एवं पत्थरबाजी आदि सामाजिक उन्माद में बहुत कमी आ गई थी |भूकंप के प्रभाव को न समझने के कारण तब इस शांति होने का कारण कुछ लोगों ने नोटबंदी को मान लिया था जो 8 नवंबर 2016 में हुई थी | जबकि भूकंपों के प्रभाव का समय समाप्त होते ही पत्थरबाजी आदि घटनाएँ पुनः प्रारंभ हो गई थीं |
 3.जम्मू-कश्मीर के किस्तवाड़ में 18-4-2017 को प्रातःकाल  'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.0 थी! जिसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद लाहौर सहित भारत के कई अन्य शहरों में भी लगे थे !
4.कश्मीर में  24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\ का 'चंद्रज' भूकंप आया था !जिसके प्रभाव से इस समय कश्मीर में तनाव बढ़ने नहीं पाया था !
5.भूकंप - जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज' भूकंप !
6. भूकंप -जम्मूकश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज' भूकंप !
7.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज' भूकंप !
     ये तीनों भूकंप  इस क्षेत्र में शांति सद्भाव का वातावरण बनने की सूचना दे रहे थे !
8.हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज' भूकंप ! यहाँ उपद्रवों की मात्रा में कमी आयी थी !
9.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
10. जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
11.  जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
12 .भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
14 . किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3 'चंद्रज'भूकंप
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
 35. गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
गर्मी बढ़ाने वाले और आग लगने की सूचना देने वाले भूकंप -
    सूर्यज भूकंपों पर सूर्य का प्रभाव अधिक रहता है इसलिए ये भूकंप जब आ जाता है तब आग लगने की घटनाओं में विशेष वृद्धि हो जाती है एवं तापमान बढ़ ही जाता है  !यदि ये भूकंप गर्मी में आता है तो गर्मी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है जबकि यदि ये भूकंप सर्दी में आता है तो गर्मी की मात्रा बढ़ती तो है लेकिन बहुत अधिक नहीं बढ़ पाती है फिर भी बढ़ती है |
1. हरियाणा के रोहतक में  2-6-2017,4.24 AM,तीव्रता 5,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसके झटके दिल्ली- एनसीआर तक लगे थे !भूकंपकेंद्र 'रोहतक' था !
2. राजस्थान में 18-11-2018 \ 15 .00 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 4.2थी !
3. दिल्ली में 31-1-2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6 . 1 थी !
       यह भूकंप यद्यपि सर्दी में आया था फिर भी इस समय गर्मी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई थी !3 फरवरी को हेडिंग छपी थी "मौसम में बड़ी तेजी से हुआ बदलाव, 25 डिग्री तक पहुंचा तापमान" दूसरी हेडिंग थी -"पिछले सात सालों में 24 फरवरी सबसे गर्म दिन!"तीसरी हेडिंग -"12 सालों में पहली बार इतनी गर्म रही दिल्ली की सर्दी "| चौथी हेडिंग -गर्मी ने तोड़ा रेकॉर्ड, फरवरी में आया 'अप्रैल' | पाँचवीं हेडिंग -"समय से पहले आई गर्मी गेहूँ का उत्पादन घटा देगी !"
4.पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
      इस समय से गर्मी बढ़नी प्रारंभ हो गई थी जिसकी सूचना दे रहा था यह भूकंप !पाकिस्तान के कराची में 18 मई से लू चलने के कारण करीब 180 लोगों की हुई मौत  !
5.जम्‍मू-कश्‍मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4!.  इसके बाद तापमान  बढ़ता चला गया !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक  भूकंप के झटके लगे !इससे वातावरण गर्म हो गया था !
7.  जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
9. काँगड़ा (हिमाचल में 'सूर्यज'भूकंप :13-2-2019 को दिन में 7.35 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.5
10.जम्मूकश्मीर में 18-2-2019 को 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
13.हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
14.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
15. अफगानिस्‍तान से दिल्‍ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 !
16. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
17.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
आंदोलन की सूचना देने वाले भूकंप -
1. हरियाणा के रोहतक में  2- 6 -2017,4.24 AM,तीव्रता 5,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसके झटके दिल्ली- एनसीआर तक लगे थे !भूकंपकेंद्र 'रोहतक' था !
    इसी समय से जाट आंदोलन किसान आंदोलन आदि के माध्यम से हरियाणा में आंदोलन काफी जोर पकड़ गया था 1 ,2 जून को ही हरियाणा में रोडों पर दूध बहाया गया था यहीं से संपूर्ण हरियाणा प्रदेश में किसानों ने भारी आंदोलन काफी लंबे समय तक किया था !
2. राजस्थान में 18-11-2018 \ 15 .00 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 4.2थी !
       इस भूकंप के प्रभाव से लोगों में गुस्सा होना स्वाभाविक था !राजस्थान में आंदोलनरत करणी सेना के क्रुद्ध युवाओं ने सिनेमाहाल तोड़  दिया था उसके बाद भी आंदोलन चलता रहा था |
3. दिल्ली में 31-1-2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,'सूर्यज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 6 . 1 थी !इसका केंद्र अफगानिस्तान में था। इस भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। हिमाचल के सभी जिला में भूकंप के झटके महसूस क‌िए गए। भूकंप के झटके पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काफी तेज महसूस किए गए।
     इस भूकंप के प्रभाव से 4 फरवरी को तालिबान के ठिकानों पर हमला, 12 आतंकी मारे गए !इसी दिन काबुल में  तालिबान का एंबुलेंस बम हमला, 95 लोगों की मौत! 23 फरवरी की रात्रि को अफगान मिलिट्री बेस पर तालिबानी हमले में 22 मरे !10 फरवरी को जम्मू में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला !
4. पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
     इस भूकंप प्रभाव से   पाकिस्तान की ओर से आरएसपुरा सेक्टर में फायरिंग, BSF का एक जवान शहीद 3 जख्मी ! 21 मई को  आरएसपुरा, रामगढ़ और अरनिया सेक्टर में सीमा पार से गोलाबारी, !22 मई को पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात, सीमा पार से लगातार गोलाबारी में 12 लोगों की मौत; दर्जनों घायल !
  5.जम्‍मू-कश्‍मीर में 7 जून 2018 को 12 बजकर 21 मिनट पर दोपहर में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4! इसके बाद यहाँ तनाव बढ़ना फिर से   प्रारंभ हुआ !
6. 10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक  भूकंप के झटके लगे !
7. जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
8.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
9. काँगड़ा (हिमाचल में 'सूर्यज'भूकंप :13-2-2019 को दिन में 7.35 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.5
10.जम्मूकश्मीर में 18-2-2019 को 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
13.हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
14.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
15. अफगानिस्‍तान से दिल्‍ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 !
16. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
17.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
वर्षा बंद होने की सूचना देने वाला भूकंप -
1. हिमाचल (सिरमौर) में 'सूर्यज'भूकंप :24-9-2018 को दिन में 2.22 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.7!
      हिमाचल में पिछले एक सप्ताह से भयंकर बारिश हो  रही थी मौसम भविष्यवक्ता लोग 29 सितंबर  वर्षा होने की भविष्यवाणी  कर चुके थे !किंतु ये भूकंप आते ही मैंने सरकारी मौसम विभाग समेत कुछ अन्य संस्थाओं को भी उनके जीमेल पर वर्षा तुरंत बंद होने की सूचना दे दी थी !जो अभी भी जीमेल पर विद्यमान हैं और उसी दिन वर्षा बंद भी हो गई थी उसके भी प्रमाण जीमेल पर हैं !
2. भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
रोग कारक भूकंप -
    10 सितंबर सोमवार को प्रातः 6. 28 पर मेरठ में 'सूर्यज'भूकंप आया, जिसकी तीव्रता तीव्रता 3.6 थी इसी वजह से दिल्ली तक  भूकंप के झटके लगे !
    इस कारण भूकंपीय क्षेत्र में ही गला घोंटू रोग फैला था !उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर और मुरादाबाद आदि जिलों में भूकंप के बाद 30 दिनों के अंदर गलाघोंटू  रोग फैला था बच्चे वहाँ से दिल्ली लाए गए थे जिसमें काफी बच्चे बीमार हुए थे बहुत बच्चों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु भी हुई थी
 दो पड़ोसी देशों में आपसी मित्रता बढ़ने  की सूचना देने आते हैं भूकंप !
भारत पाक सीमा पर 8 -7- 2017 \15.43 बजे 'चंद्रज' भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.2 थी !
         इस भूकंप के बाद भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में सुधार होने लगा था | 13-7-2017 को जाधव की मां को वीजा देने के लिए पाक संकेत देने लगा था ये उसमें अचानक परिवर्तन आया था !भूकंपीय क्षेत्र की जनता आक्रामकता छोड़कर शांति का रास्ता अपनाने लगी थी !जिसके परिणाम स्वरूप 11 अगस्त को अखवार में हेडिंग छपी थी "आतंकियों को नहीं मिले इस बार पत्थरबाज !"  ये 'चंद्रज'भूकंप का ही प्रभाव था |
आतंकवादी समस्याएँ बढ़ने की सूचना देने वाले भूकंप !
1.  हिंदूकुश अफगानिस्तान से कश्मीर तक !28-10-2017 प्रातः 23.15 बजे ,'सन्निपातज'भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 5.7 थी !
              इस भूकंप के प्रभाव से यह क्षेत्र इस समय पूरी तरह से अशांत हो चुका था !इस भूकंप के तुरंत बाद अफगानिस्तान के प्रांतीय उप गवर्नर का पाकिस्तान में अपहरण हो गया था !भूकंप के बाद 30 दिन के अंदर ही पाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बाद हिंसा भड़क उठी थी जिसमें  6 की मौत और  200 से अधिक लोग घायल हो गए थे !आत्मघाती हमले से काबुल में 18 लोगों की मौत हो गई थी !अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के पास फिदायीन हमले में 13 की मौत हो गई थी !बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों पर हमले में चार की मौत हो गई थी !पेशावर में आत्मघाती विस्फोट में AIG की मौत हुई थी !अफगानिस्तान की दो मस्जिदों में आत्मघाती हमले, 72 लोगों की मौत हो गई थी !पाकिस्तान के पेशावर में आतंकी हमला, 12 लोगों की मौत, 32 घायल हो गए थे !पूर्व गवर्नर के अंतिम संस्कार के दौरान विस्फोट, 15 की मौत, कई जख्मी हो गए थे !
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक तनाव बढ़ने लगा था !
3.भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे,तीव्रता 4.6 'सन्निपातज'भूकंप !
     इसलिए इसी समय सवर्णों के 'भारत बंद' के दौरान बिहार में हिंसा "जहाँ जहाँ भूकंप वहाँ वहाँ हिंसा"हुई थी !
4. भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
    इसलिए 14 फरवरी को हेडिंग छपी -"पुलवामा / सीआरपीएफ के काफिले पर 100 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी से फिदायीन हमला, 40 जवान शहीद !""  18 फरवरी को -"पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, 4 जवान शहीद (ANI)CRPF हमले के बाद पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, मेजर समेत 4 जवान शहीद जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलान इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों से मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए। इसके अलावा एनकाउंटर में एक जवान घायल हो गया।" "
      विशेषबात -  15 फरवरी को महबूबा ने अपने मंत्री मंडल का विस्तार किया था इसी दिन से उनकी सरकार का क्रमिक गिरना प्रारंभ हो गया था ! सरकार के कई मंत्रियों ने भूकंप के तुरंत बाद अर्थात फरवरी से ही त्यागपत्र देना शुरू कर दिया था !उन्होंने अपना त्यागपत्र जून में दिया था किंतु सरकार गिरने की भूमिका फरवरी से ही बननी प्रारंभ हो गई थी !
5. देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
 6. पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
7. लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2
8. अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1
 प्राकृतिक उपद्रव की सूचना देने वाले भूकंप -
1. भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे, 'सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.6 !
        इसीलिए राजस्थान में बारिश और तूफान ने मचाई तबाही, 7 लोगों की मौत !,  12 अप्रैल को देश में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, यूपी और राजस्थान में 36 की मौत;
2. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, 'सन्निपातज' !इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा बर्फवारी का वातावरण बन गया था !
3.भूकंप -UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे,तीव्रता 4.6 'सन्निपातज'भूकंप ! इसके बाद यहाँ अचानक अधिक वर्षा का वातावरण बन गया था !
4.  भूकंप:दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'!यही भूकंप चंबा में 3.51 PM तीव्रता 3.2 और मंडी में 7. 31 PM तीव्रता 3.8 में आया था !केंद्र श्री नगर !
       इसलिए 7 फरवरी को दिल्ली-NCR में तेज बारिश के साथ कुछ जगहों पर गिरे ओले, ठंड बढ़ी !दूसरी हेडिंग -"दिल्ली ,जम्मूकश्मीर ,हिमाचल उत्तराखंड में छाए बादलों से दिन में हुई रात !खूब गिरे ओले !हुई बर्फबारी !"तीसरी हेडिंग -"दिल्ली-एनसीआर में बहुत अधिक  ओले पड़े !"'जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी बनी आफत, जवाहर सुरंग के पास हिमस्खलन, 10 जवान लापता जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हुए हिमस्खलन में एक पुलिस पोस्ट चपेट में आ गई है. इस हादसे में 10 पुलिसवाले लापता हो गए हैं" "ओलों की सफेद चादर से पट गया दिल्ली-एनसीआर, दिन में ही छा गया अंधेरा !""
5. देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
 6. पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
7. लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2
8. अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1
पुलवामा हमले के विषय में अतिविशेष बात-
 जम्मू-कश्मीर समेत पूरे उत्तर भारत में पिछले दो सालों में कई भूकंप आ चुके हैं. हालांकि इनकी तीव्रता इतनी ज्यादा नहीं थी.
2 फरवरी को सायंकाल5.34 बजे6.1तीव्रता वाला भूकंप अफगानिस्तान से लेकर दिल्ली तक आया था |
4 फरवरी दोपहर 3.10 बजे तीव्रता 3.00 केंद्र सोनीपत !
5  फरवरी चंबा में दोपहर 3.51  बजे 3.1 का भूकंप आया !
 5  फरवरी चंबा में दोपहर  3.52 बजे 3.2 का भूकंप आया !
 5 फरवरी को ही भारत पकिस्तान के सीमा क्षेत्र में सायं  7.8 बजे4.4 तीव्रता का भूकंप !
 5 फरवरी को ही मंडी में सायं  7.31 बजे  3.8 तीव्रता का भूकंप !
 5 फरवरी रात्रि 10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 दिल्ली के आसपास भूकंप !
 5 (6) फरवरी को 2.41 बजे 4.4 तीव्रता का भूकंप कश्मीर में आया !
 8  फरवरी को 1.53 PM बजे  भूकंप नारनौल (हरियाणा) में आया !
13 फरवरी को काँगड़ामें 7.35 AM बजे ,तीव्रता 3.5 का भूकंप !
17 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद हिमाचल से गिरफ्तार कश्मीरी युवक की पहली तस्वीर सामने आई!इससे ये सिद्ध होता है कि हिमाचल में इनका अच्छा नेटवर्क था !
18-2-2019 को जम्मूकश्मीर में 4.23PM बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 4.2
11.जम्मूकश्मीर में:20-2-2019 को दिन में 7.59बजे 'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.9
12.हिमाचल (किन्नौर) में :20-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
13.दिल्ली के आसपास केंद्र शामली में :20-2-2019 को 7.49 बजे    भूकंप !तीव्रता 4.6  हिमाचल आदि पूरे उत्तर भारत में
14.हिमाचल (किन्नौर) में भूकंप :22-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
         चंद्रज भूकंप
13.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
 14. किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
15. हिंदकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
16 . उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
17.हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
18.भूकंप :कश्मीर घाटी में(केंद्र पकिस्तान )12 -6 -2019 को 8.40 AM को 5.3 तीव्रता 'वातज'
 19. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ म:14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM ें'सूर्यज'भूकंप ,तीव्रता 3.8
20. हिमाचल के मंडी में 26-6-2019 को 9.45PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 5.1
21 . हिंदू कुशमें ':4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 !सूर्यज'भूकंप
22.उत्तरकाशी में :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1!'सूर्यज'भूकंप
23. शिमला में 10-7-2019 को 7.55 PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.1
24. देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
25. जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
26.हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में:23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3 'चंद्रज'भूकंप
27. हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
28. जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल  में 29-7-2019 को 12.54 AM'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.2
29.हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में 29-7-2019 \ 9:03 AM 4.3तीव्रता का'वातज"भूकंप !
          30 जुलाई को पाकिस्तान ने किया तोपखाने का इस्तेमाल, मिला करारा जवाब !पाकिस्तान ने सुबह जम्मू जिले की अखनूर तहसील के केरी बट्टल में गोलाबारी की और शाम को उत्तरी कश्मीर के गुरेज (बांडीपोर) में घुसपैठ करवाने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर करारा जवाब दिया। अखनूर और गुरेज में पाकिस्तानी सेना के छह सैनिकों के मारे जाने की सूचना है। तीन घुसपैठिए भी मारे गए हैं। सीमा पार पाकिस्तान की दो चौकियां तबाह व भारी नुकसान भी हुआ है। कई पाकिस्तानी सैनिक घायल बताए जा रहे हैं। भारतीय सेना के नायक कृष्ण लाल पुत्र चुन्नी लाल भी शहीद हो गए। देर रात तक उत्तरी कश्मीर के गुरेज, टंगडार, करनाह और उड़ी में दोनों तरफ से भारी गोलाबारी जारी रही। इसमें दो नागरिक घायल हो गए। पाकिस्तान ने उत्तरी कश्मीर में भारतीय ठिकानों पर तोपखाने का भी इस्तेमाल किया है।2 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है. इस मुठभेड़ में एक जवान के शहीद हो गया है!पुलवामा में सुरक्षाबलों के काफिले पर फिर हमला, आतंकियों ने किया IED ब्‍लास्‍ट !जम्‍मू और कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक बार फिर पुलवामा हमले को दोहराने की साजिश रची. आतंकियों ने पुलवामा के जाहिदबाग इलाके में 55 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स की गाड़ी पर हमला किया है.भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, 36 घंटे में पाकिस्तान के सात BAT कमांडो मार गिराए
30. पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 भूकंप !तीव्रता2.8'चंद्रज' भूकंप
31. अफगानिस्‍तान से दिल्‍ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9 !
 32. पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5
33. लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2
34. अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1
 35. गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
36.भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
विशेष :भूकंप:गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
22 अगस्त को गुजरात के सर क्रीक क्षेत्र में पकिस्तान ने अपने इलाके में स्‍पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) कमांडो को तैनात किया है !.
चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 !
  गुजरात में भूकंप -
1. बनासकांठा(गुजरात) में 5-6-2019 को 10.31PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.3
      इसलिए 12 जून को 'वायु' तूफ़ान आया  हेडिंग छापी गई -"चक्रवात 'वायु' का असर, पोरबंदर का भूतेश्वर महादेव मंदिर ढहा" "चक्रवाती तूफान 'वायु' फिर गुजरात की तरफ मुड़ा, कच्छ तट पर दे सकता है दस्तक !" "पाकिस्तान से आ रहे तूफान की चपेट में उत्तर भारत, अगले 48 घंटे होंगे अहम; अलर्ट जारी "
वायु प्रदूषण - "पाकिस्तान से आ रही धूल भरी आंधी, उत्तर भारत में अलर्ट, दिल्ली में सांस लेना हो सकता है मुश्किल !"
 पश्चिम बंगाल -
भूकंप -पश्चिमबंगाल में 26-5-2019 / 10:40 AM बजे ,तीव्रता4.8'सन्निपातज'भूकंप !
      इसलिए 10 जून को "खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?"
Updated: Mon, Jun 10, 2019 08:06 pm11 जून को हेडिंग बनी -"पश्चिम बंगाल में चरम पर हिंसा, अब उत्तर 24 परगना में बम से हमला, 2 लोगों की मौत!"10 जून को प्रकाशित -"खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?
  "पश्चिम बंगाल से बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद भाटपारा में फिर से झड़पें हुई हैं. साथ ही बम भी फेंके गए.!"
                                    3.
हिमाचल प्रदेश के भूकंप
भूकंप :उत्तराखंडमें 16-10-2018 को 4.06 AM तीव्रता 3 .2 भूकंप !'चन्द्रज'
भूकंप:जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3  !'चन्द्रज'
भूकंप:उत्तराखंड: पिथौरागढ़ और नेपाल बार्डर पर 11-11-2018 को 12.37 दिन में !तीव्रता 5 .0'चन्द्रज'
भूकंप: जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः !तीव्रता 3.7'चन्द्रज'
भूकंप:जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे!तीव्रता 3.5 'चन्द्रज'
 भूकंप 10 -1-2019 को 8.22AM  जम्मू कश्मीर में  4.6 तीव्रता 'चन्द्रज'
भूकंप:उत्तरकाशी में 31-1-2019 /11.58 AM तीव्रता 3.5 'सन्निपातज'
भूकंप:भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त 2-2-2019 को 5.34pm!तीव्रता6.1'चन्द्रज'
भूकंप:सोनीपत में 4 -2-2019 /8.40  PM तीव्रता 3.8 'सन्निपातज'
भूकंप: चंबा  में 5 -2-2019 /3.51 PM,तीव्रता 3.2'सन्निपातज'  
भूकंप:जम्मू कश्मीर बार्डर पर 5 -2-2019 /7.8  PM तीव्रता 4.4 'सन्निपातज'
भूकंप:मंडी में 5 -2-2019 /7.33 PM तीव्रता 3.8 'सन्निपातज'
भूकंप:दिल्ली एनसीआर में भारतपाकिस्तान का संयुक्तभूकंप 5 -2-2019 /10.17 PM,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज'(पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और रावलपिंडी में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र जमीन के 40 किमी नीचे उत्तर पश्चिम कश्मीर में श्रीनगर से 118 किलोमीटर दूर बताया गया है।  )
 भूकंप :हरियाणा के महेंद्रगढ़ में 08-2-2019 को दिन में 1.53 बजे ,तीव्रता 3.9'सूर्यज'
भूकंप :काँगड़ा हिमाचल में13-2-2019 को दिन में 7.35 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.5'सूर्यज'
भूकंप :जम्मूकश्मीर में 18-2-2019 को दिन में 4.23 AM तीव्रता 4.2'सूर्यज'( भूकंप का केंद्र पीओके की सीमा के पास बताया गया था)
भूकंप :जम्मूकश्मीर में 20-2-2019 को दिन में 7.05 AM भूकंप ,तीव्रता 3.9'सूर्यज'
 भूकंप :शामली में 20-2-2019 को दिन में 7.49बजे भूकंप ,तीव्रता 4.6'सूर्यज'(दिल्ली गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद, सोनीपत, गाजियाबाद समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में बुधवार सुबह करीब आठ बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए।)
भूकंप :हिमाचल (किन्नौर) में 22-2-2019 को 7.17 बजे भूकंप !तीव्रता 3.5'वातज'
भूकंप:हिंदूकुश (जम्मू-कश्मीर) में 28 -2 -2019 को 12.59 PM!तीव्रता3.8,'चन्द्रज'
भूकंप:हिमाचल प्रदेश के चंबा में 1-3-2019 को 11.40AM!तीव्रता3.3'चन्द्रज'
भूकंप:किन्नौर में 8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM!तीव्रता2.8'चन्द्रज'
भूकंप: उत्तरकाशी में 14-4-2019 को 9.26PM!तीव्रता2.9'चन्द्रज'
भूकंप :हिमाचल (बिलासपुर) में3-5-2019 को 4.32 AM को हिमाचल के मंडी में 4.2 तीव्रता 'चन्द्रज'
भूकंप :कश्मीर घाटी में(केंद्र पकिस्तान )12 -6 -2019 को 8.40 AM को 5.3 तीव्रता 'वातज'
भूकंप:उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM  ,तीव्रता 3.8 'सूर्यज'
भूकंप : हिमाचल के मंडी में 26 -6 -2019 को 9.47 PM को 5.1 तीव्रता 'वातज'
भूकंप :हिंदूकुश में 4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5 'सूर्यज'
भूकंप:उत्तरकाशी में 6-7-2019 को 9.00 PM ,तीव्रता 3.1'सूर्यज'
भूकंप : शिमला में 10-7-2019 को 7.55 PM !तीव्रता 3.1 'वातज'
भूकंप 14-7-2019 को 9.56 PM जम्मूकश्मीर (घाटी) में भूकंप तीव्रता 3.6  थी !'चंद्रज'
भूकंप 14-7-2019 को 3.42 PM देहरादून (यमुनाघाटी) में भूकंप तीव्रता 3.0 थी !'सन्निपातज'
भूकंप 20 -7-2019 को 7.43 AM को सोनीपत में 3.2 तीव्रता 'चंद्रज'
भूकंप :किन्नौर में - 20 -7- 2019 को सायं 5.41 तीव्रता 3.3'चंद्रज'
भूकंप 23-7-2019 को 12.54 AM को किन्नौर में और भूकंप के केंद्र शिमला में 3.3 तीव्रता  'चंद्रज'
 भूकंप 25 Jul 2019\ 00.47AM  चंबा में भूकंप तीव्रता 4.00       'वातज'
भूकंप: 29-7-2019 को12.54 AM जम्मूकश्मीर में भूकंप तीव्रता 3.2  थी !'वातज'                                    
भूकंप :29-7-2019 को 9:03 AM लाहुलघाटी में  4.3तीव्रता का भूकंप  'वातज'
भूकंप :1-8-2019 को 10:22 PM पिथौरागढ़ में तीव्रता 2. 8 'चंद्रज'
भूकंप :8-8-2019को 6.15AM अफगानिस्‍तान से नोएडा तक !तीव्रता 5.9 'सूर्यज'  !
भूकंप:10-8-2019 / 11:43 AM पकिस्तान में तीव्रता 5.5'सन्निपातज' (अफगानिस्तान और तजाकिस्तान की सीमा पर )
भूकंप - 13-8-2019 / 4:20 PM ,लेह में तीव्रता 4.2 सन्निपातज'भूकंप !
भूकंप - 16-8-2019 / 7:39 AM ,अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में  , तीव्रता 5.1 सन्निपातज'भूकंप !
पश्चिम बंगाल के  भूकंप
भूकंप 29-7-2019 को 2.55 AM  पुरुलिया में 4.0 तीव्रता का भूकंप
अफगानिस्तान में भूकंप -
भूकंप:  8-8-2019को 6.15AM अफगानिस्‍तान(हिंदूकुश)में तीव्रता 5.9 'सूर्यजभूकंप'  !
घटना -  अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में 8-8-2019 \11.20AM पर हुआ बम विस्फोट !जिसमें14 लोगों की मौत हो गई और करीब 150 लोग घायल !
भूकंप :8-8-2019को 7:39 AMअफगानिस्‍तान(हिंदूकुश)में तीव्रता 5.1  'सन्निपातजभूकंप'  !
घटना - अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में 17-8-2019 \10.40 PM पर हुआ बम विस्फोट !जिसमें40लोगों की मौत 100 से ज्‍यादा लोग घायल !
     भारत वर्ष में 2014 में जब से सरकार बदली तब से उत्तर भारत में भूकंपों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है !उसमें भी पिछले दो वर्षों से उत्तर भारत में अधिक भूकंप आ रहे हैं अक्सर दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में भूकंप की खबरें सुनी होंगी !
     हिमाचल प्रदेश में लगातार भूकंप के झटके लग रहे हैं. बीते सात दिन में तीन बार हिमाचल में भूकंप के हल्के झटके लगे हैं.राज्य में जनवरी, 2019 के बाद 30 जुलाई तक 14 झटके महसूस किए गए है, जिसमें से चम्बा में 6 बार, किन्नौर में 3, मंडी में 2, शिमला और कांगड़ा में एक-एक बार भूकम्प दर्ज किए गए है.चंबा में पिछले कुछ महीनों से लगातार भूंकप के झटके महसूस किए जा रहे हैं
लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र में इतने भूकंप क्यों आते हैं. जानते हैं क्या है इसके पीछे वैज्ञानिक कारण...
दरअसल मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग में भारत को 4 जोन में बांटा गया है और इसमें जोन-5 से जोन-2 शामिल है. इसमें जोन 5 सबसे ज्यादा संवेदनशील है और जोन-2 सबसे कम संवेदनशील यानी जोन-5 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे ज्यादा है और जोन-2 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे कम होती है.
जोन-4 में आता है दिल्ली
बता दें कि भारत में जोन-5 में हिमालय का केंद्र, कश्मीर और कच्छ का रन शामिल है. वहीं जोन-4 में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं. वहीं जोन-4 भी वह क्षेत्र होता है, ज्यादा भूकंप और नुकसान की संभावना ज्यादा होती है. जोन-3 को मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं इस जोन में अंडमान निकोबार, बेस्टर्न हिमालय के भाग शामिल हैं. जबकि जोन-2 को लो डैमेज रिस्क जोन कहते हैं.
वहीं दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है. दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
इसके अलावा गुवाहाटी (असम), श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर), मुंबई (महाराष्ट्र), चेन्नई (तमिलनाडु), पुणे (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), तिरूवंतपुरम (केरल), पटना (बिहार) भारत के ऐसे शहर हैं, जहां भूकंप आने का खतरा ज्यादा रहता है
पुरानेभूकंप -
        21-4-2015 मंगलवार की शाम 7.30 बजे नेपाल में तूफ़ान आया जो सीतामढ़ी के रास्ते बिहार में पहुँचा ।इस तूफान में 40 लोग बेमौत मारे गए। बड़ी संख्या में कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियाँ गिरे थे !इस तूफान ने तीन घंटे के अंदर ही बिहार में बड़ी तबाही मचाई थी ।
        इस तूफ़ान का केंद्र भी नेपाल में वही जगह बनी थी नेपाल की जो जगह 25-4-2015 को दिन में 11.56 पर आए भूकंप का केंद्र बनी थी !इसे वैदिकविज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो  25-4-2015 को आए भूकंप की पूर्व सूचना देने आया था 21-4-2015 को आया इतना भीषण तूफ़ान  | भयानक तूफान की तरह ही भूकंप भी भयंकर था और दोनों का केंद्र भी एक ही था |
       भूकंपों का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है !
      यह भूकंप वायु ग्रंथि के बनने से तैयार हुआ था इसलिए  वायु प्रकोप से आया उसके बाद भूकंप भी वायु प्रकोप से आया उसके बाद रोग भी वायु प्रकोप से संबंधित ही बढ़े -!उस समय एक अखवार में छपा था -
     "25 अप्रैल 2015 नेपाल-भारत में आये भूकंप के  कारण नेपाल सहित बिहार में बड़ी संख्या में लोगों में चक्कर, उल्टी, डायरिया, भूलने की बीमारी, भय जैसी समस्या महसूस होने लगी है. इस तरह के मरीजों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह  आखिर कहां पर जाकर इलाज कराये. एम्स द्वारा भूकंप के बाद किये गये अध्ययन में यह पाया गया है कि बिहार के कई जिलों में रहनेवाले 40 फीसदी लोगों में चक्कर, भूख न लगने, डायरिया, भूलने व भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है. ! भूकंप के बाद उत्पन्न समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना में सोमवार से अलग ओपीडी की सेवा शुरू की जायेगी. एम्स के निदेशक डॉ जीके सिंह ने बताया कि कल से एक सप्ताह तक एम्स में इस तरह की  सेवा बहाल हो जायेगी. हर दिन दोपहर 12 से एक बजे तक जिनको भूकंप के बाद मानसिक व शारीरिक समस्या है, वह अपना इलाज करा सकते हैं. इसके लिए मरीजों को संस्थान में पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है. ऐसे मरीज 117 नंबर कमरे में डॉ सुदीप के यहां आकर इलाज करा सकते हैं !"
    इसी प्रकार से नेपाल में इसके पहले 15 जनवरी 1934 को दोपहर दोबजकर तेरह मिनट(2.13PM) पर भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 8.4 थी। इस भूकंप का केंद्र बिंदु कौन-सी जगह था, इसे लेकर भी लंबे समय तक असमंजस की स्थिति रही. आम तौर पर भूकंप का केंद्रबिंदु भारत-नेपाल सीमा को माना जाता रहा है !भारत में विशेषकर मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मुंगेर आदि बहुत अधिक प्रभावित हुए थे !बिहार में कुल मिला कर इस भूकंप की वजह से 7253 लोगों की मौत हुई. करीब 3400 वर्ग किलोमीटर का इलाका ऐसा रहा, जिस पर भूकंप का सबसे गंभीर असर पड़ा था ! इसके कारण 11,000 व्यक्ति मारे गए थे। इसके कारण मधुबनी, मुंगेर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, मुज़फ़्फ़रपुर तथा पूर्णिया जिलों में भयंकर तबाही हुई थी। दरभंगा तथा पटना भी इसके चपेट में आए थे। नेपाल के काठमाण्डू में भी इमारतों को भारी नुकसान हुआ था। धरती जोरों से डोल रही थी साथ ही भयानक गड़गड़ाहट थी, सैकड़ों रेलगाड़ियों के एक साथ चलने के बराबर आवाज हो रही थी !गांधी 20 मई तक बिहार में रहे !
   विशेषबात -
     इस भूकंप के बाद गाँधी जी 20 मई तक बिहार में रहे. खास बात ये रही कि गांधी ने इस भूकंप को छुआछूत के खिलाफ भगवान के कहर के तौर पर गिनाया जबकि वैज्ञानिकों का एक वर्ग इसे प्राणऊर्जा से निर्मित भूकंप मानता रहा है !
     इन दोनों भूकंपों में एक समानता है कि ये दोनों भूकंपों का केंद्र लगभग गढ़ीमाई मंदिर मेला  के स्थान के आसपास ही था |दूसरी बात गढ़ीमाई महोत्सव होने वाले वर्षों में ही ये दोनों बड़े भूकंप आए और गढ़ीमाई मंदिर मेला महोत्सव होने के छै महीने के अंदर ही दोनों भूकंप घटित हुए !
    गढ़ीमाई मंदिर मेला अगहन शुक्लपक्ष में लगा करता है जो अगहन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा में समाप्त होता है ! भगवती के मंदिर को केंद्र में रखकर चारों ओर 9 किलोमीटर जगह निर्धारित की जाती है जहाँ अनेकों  प्रकार के जीवों की बलि दी जाती है जिनकी संख्या लाखों में होती है !पशुओं पर होने वाले इस प्रकार के अत्याचार से तैयार हुई प्राणऊर्जा उस क्षेत्र के वातावरण को विगाड़  देती है !
 भारत पाकिस्तान के संबंध -
    भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों के ठंडे पड़ने के बीच न्यूयॉर्क में 28 सितंबर 2015 सोमवार को यूएन पीसकीपिंग समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दोनों नेता एक दूसरे के सामने बैठे सामना होने पर हाथ हिलाकर एक-दूसरे का अभिवादन किया किंतु  दोनों के बीच बातचीत नहीं हुई !
1. 26-10-2015 को दिन 2.30अफगानिस्तान पकिस्तान और भारत में आया जिसका केंद्र हिंदूकुश था ! इसी दिन अर्थात 26 अक्तूबर 2015 को ही पाकिस्तान से गीता स्वदेश लौटी !                
2. 22 नवंबर  2015 को 6:23 pm अफगानिस्तान पकिस्तान और भारत में भूकंप आया जिसका केंद्र हिंदूकुश था !
      इसके बाद 30 नवंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री जी से नवाजशरीफ पेरिस में मिले दोनों की चर्चा भी हुई ! दोनों लोगों की यह मुलाकात पेरिस में जलवायुपरिवर्तन पर हो रही बैठक से अलग हुई थी !
 3. 25(26) -12 -2015 को  0.44 बजे भूकंप की तीव्रता 6.5 थी !इसी दिन मोदी जी पाकिस्तान गए थे उसी रात्रि में भूकंप आया था !
 4. 2जनवरी 2016 को 2.15 PM  5.8 तीव्रता का भूकंप आया !इसी दिन पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने पठान कोट हमला कर दिया !
 5.सोमवार 7 -12-2015 को 7.2 तीव्रता का भूकंप आया !पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी इसका असर पड़ा ।
6. भूकंप (5-2-2016 को 22 .00बजे) नेपाल भारत नेपाल के रिश्तों को मधुर बनाएगा !
7. भूकंप (10-4-2016) के कारण पड़ेगा भीषण सूखा, बढ़ेंगे अग्निकांड और बिगड़ेंगे पाकिस्तान के साथ संबंध !   3-4-2016 से 10-4-2016 तक   हवा में मिली हुई थी आग जो भूकंप की अग्रिम सूचना दे रही थी ।
     अब जानिए क्या है भूकम्प का फल -
  अग्नि सम्बन्धी समस्याएँ और अधिक भी बढ़ सकती हैं इस समय वायुमण्डल में व्याप्त है अग्नि !इसलिए अग्नि से सामान्य वायु भी इस समय ज्वलन शील गैस जैसे गुणों से युक्त होकर विचरण कर रही है । इसके अलावा इस समय दिशाओं में जलन, तारे टूटना ,उल्कापात होने जैसी घटनाएँ भी देखने सुनने को मिल सकती हैं ।
 इस भूकंप के कारण ही नदियाँ कुएँ तालाब आदि अबकी बार बहुत जल्दी ही सूखते चले जाएँगे !यहीं से शुरू होकर भारत और पकिस्तान के मध्य आपसी सम्बन्ध दिनोंदिन अत्यंत तनाव पूर्ण होते चले जाएँगे निकट भविष्य में भारत पाक के बीच आपसी सम्बन्धों में कटुता इतनी अधिक बढ़ती चली जाएगी कि अभी से सतर्कता बरती जानी बहुत आवश्यक है ।इसलिए उचित होगा कि भारत पड़ोसी देश पर कम से कम अक्टूबर 2016 तक विश्वास करना बिलकुल बंद कर दे पड़ोसी के द्वारा कभी भी कैसा भी कोई भी विश्वास घात संभव है !
8.  भूकंप (13 -04-2016) के प्रभाव से भारत और चीन के आपसी संबंध होंगे मधुर !
  10-4-2016 को आए भूकंप से बिलकुल बिपरीत अर्थात उलटे लक्षणों वाला है 13 -04-2016को आया भूकंप !इन दोनों भूकंपों के फलों में भी आकाश पाताल का अंतर होगा ! दोनों ही भूकंप अपने अपने क्षेत्रों में दिखाएँगे अपना अपना दम ख़म !जानिए कैसे -
  13 -04-2016 को 19. 28 बजे देश के पूर्वोत्तर में आया था भूकंप  ! इस भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अति शीघ्र अधिक वर्षा बाढ़ से हो सकती भारी क्षति !जबकि समाज में व्याप्त असंतोष एवं आपसी  बैर विरोध की भावना घटेगी और भाईचारे का वातावरण बनेगा !विशेष बात यह है कि इस भूकंप में आफ्टर शॉक्स नहीं आतेहैं ! 
10-4-2016 को आए भूकंप से जो जो हानियाँ होती दिख रहीं थीं13-04-2016को आए भूकंप से वो सबकुछ सामान्य होते दिख रहा है इस भूकंप के द्वारा प्रकृति ने अपने को संतुलित किया है इस भूकंप का ये सबसे बड़ा लाभ है!
      भारत वर्ष के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्रों में जहाँ (10-4-2016) के भूकंप प्रभाव से भीषण सूखा पड़ेगा , अग्निकांड बढ़ेंगेऔर पाकिस्तान के साथ संबंध बिगड़ेंगे!गरमी संबंधी बीमारियाँ बढेंगी, वहीँ दूसरी ओर देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में13-04-2016 को आए भूकंप के प्रभाव से अधिक वर्षा की संभावना है और भारत के पूर्वोत्तर के पड़ोसी देशों के साथ संबंध मधुर होंगे और उन्हीं क्षेत्रों में अधिक वर्षा की भी सम्भावना बनती है ।
 9.  हिमाचल में भूकंप के दो झटके वो भी एक ही केंद्र पर !जानिए क्या होगा इसका फल ! 27-8-2016
    27-8-2016 को प्रातः हिमाचल में आए दो भूकंप ! (6 बजकर 44 मिनट 32 दूसरा  \7.5   पहला सुबह 6 बजकर 44 मिनट 32 सेकेंड पर और दूसरे भूकंप का झटका पहले भूकंप के तकरीबन 21 मिनट बाद  आया  भारतीय भूकंप केंद्र के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.6 आंकी गई.जबकि दूसरे भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 आंकी गई.!खास बात ये है कि भूकंप का केंद्र भी पहले वाली जगह ही रहा. भूकंप वैज्ञानिकों के मुताबिक दोनों ही झटके हल्के भूकंप की श्रेणी में आते हैं ! https://jyotishvigyananusandhan.blogspot.com/2016/04/blog-post_23.html
10.   2016-08-31 सुबह तड़के PAK-चीनभूकंप के ज़बरदस्त झटकों से 'थर्राया'
   31 अगस्त 2016 से भारत के विरुद्ध चीन और पकिस्तान के संयुक्त प्रयास प्रारम्भ होंगे जिनसे भारत को बड़ा नुक्सान पहुँचा सकते हैं !इसलिए सरकार  को बहुत सतर्क रहना चाहिए फरवरी 2017 तक पाकिस्तान और चीन मिलकर कोई बड़ा षड्यंत्र कर सकते हैं भारत के खिलाफ !इसलिए इस समय के बीच भारत सरकार  को  भी बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए !
     इस  भूकंप के प्रभाव से चीन और पाकिस्तान के लोगों में आपसी शांति का कारक होगा दोनों देशों आपसी मित्रता बढ़ेगी ।इस भूकंप के प्रभाव से यहाँ के लोगों के बीच आपसी भाईचारे की भावना का निर्माण हो!लोगों के बीच आपसी संबंध सामान्य बनाने के प्रयास फलीभूत होंगे ! सहन शीलता बढ़ेगी इस भूकंप का फल आगामी 6 महीनों तक रहेगा !
11. 22-8-2016 एवं 10-9-2016 को दिल्ली और हरियाणा में आए भूकंप का फल !
       इस वर्ष दिल्ली और हरियाणा के यमुना किनारे वाले क्षेत्रों में वर्षाजनित ज्वर आदि बीमारियों से टूटेगा कई वर्षों का रिकार्ड !महामारी का स्वरूप भी ले सकती हैं ये बीमारियाँ सरकार जनता की सुरक्षा के लिए सतर्क रहे !25 अक्टूबर तक रहेगी अधिक दिक्कत !
12. दिल्ली में भूकंपः 10-9-2016 ,20.57   दिल्ली में भूकंपः 4.1 की तीव्रता से हिले हरियाणा के कई शहर, झज्जर केंद्र!
       इन दोनों भूकंपों के केंद्र जल से संबंधित हैं अतः दिल्ली और हरियाणा में यमुना के किनारे और यमुना जल के संपर्क में रहने वाले लोग जल जनित बड़ी बीमारियों के शिकार होंगे !जमुना नदी के अलावा भी इन क्षेत्रों में तालाब आदि के संपर्क में रहने वाले लोग या गंदे जल का सेवन करने वाले लोग हों या गंदे जल में नहाने वाले लोग इस समय कई बड़ी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं !
       दिल्ली के कड़कड़डूमा में चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों को लेकर अफ़रातफ़री का मौहाल बना हुआ है. दिल्ली के उत्तर-पूर्व का यह इलाका चिकनगुनिया से सबसे बुरी तरह प्रभावित है.see more....http://www.bbc.com/hindi/india-37375585
13.भूकंप भारत और पाकिस्तान में - 1-10-2016 \ दोपहर 1:34 मिनट पर तीव्रता 5.5 थी।
    भूकंप के झटके पेशावर, गिलगिट, इस्लामाबाद और खैबर -पख्तूनख्वा प्रांत के कुछ हिस्सो में महसूस किए गए।
14. 15-11-2016 को प्रातः 7.40 बजे 5.0 तीव्रता का असम में भूकंप!
   मंगलवार को नॉर्थ ईस्ट के 7 राज्यों में 5.0 तीव्रता का पैत्तिक प्रवृत्ति  का भूकंप आया , भूकंप का केंद्र बांग्लादेश से सटे असम के करीमगंज जिले में था !
   "असम के तिनसुकिया में उल्फा उग्रवादियों के धमाके में 3 जवान शहीद, 4 घायल, गृहमंत्री ने जताया दुख
मनजीत सिंह नेगी [Edited By: अंजलि कर्मकार]
तिनसुकिया, असम, 19 नवम्बर 2016 | अपडेटेड: 12:15 see more.... http://aajtak.intoday.in/story/encounter-between-ulfa-terrorists-and-army-in-tinsukia-assam-jawans-died-1-897745.html
 15.    दिल्ली में 17 -11-2016 को प्रातः 4:30 बजे आया भूकंप !तीव्रता 4.2 !राजस्थान और उत्तर भारत के कई राज्यों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.
16. 11-12-2016 ,7.27AM,तीव्रता 4.2, केंद्र मेघालय (खासी) पूर्वोत्तर के सभी सात राज्य !"पित्तज" भूकंप
 A .      पूर्वोत्तर : महंगी पड़ेगी अनदेखी
    December 31, 2016  see more....http://m.samaylive.com/editorial/370081/northeast-will-ignore-expensive.html
   B.      मणिपुर के इंफाल पूर्व जिले में कर्फ्यू, हिंसक झड़पों के बाद बसें जलाई गई
    कल्पना द्वारा अनूदित, अंतिम अपडेट: रविवार दिसम्बर 18, 2016 05:48 PM see more....http://khabar.ndtv.com/news/india/mobile-internet-services-shut-down-in-manipurs-imphal-west-district-1639139
  C.      मणिपुर में क्यों गुस्से में हैं प्रदर्शनकारी?  19 दिसंबर 2016 see more....http://www.bbc.com/hindi/india-38363605
 D.   मणिपुर: मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद, पूर्वी इलाके में कर्फ्यू  Updated Date: Dec 18 2016 2:14PMsee more.. .http://www.prabhatkhabar.com/news/other-state/manipur-curfew-imposed/910959.html
  E.  मणिपुर में बंद तो पहले से ही चल रहा था छिट  पुट हिंसा भी थी किंतु इस आंदोलन ने उग्र रूप इस भूकंप के बाद ही लिया !            
17.  3-1- 2017 को 14.39 बजे त्रिपुरा में  'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 5.5 |
अगरतला से 59 किमी दूर अंबासा और कुमारघाट के बीच लोंगतोराई पहाड़ी भूकंप का केंद्र रहा। भूकंप के झटके भारत के असम, त्रिपुरा के अलावा पड़ोसी देश बांग्लादेश, भूटान और उत्तरी म्यांमार में भी महसूस किए गए।अगरतला समेत मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और दक्षिणी असम तक महसूस किए गए।
"इस भूकंप के बाद मणिपुर में चल रही हिंसा की घटनाएँ लगभग बंद हो गईं"
18. भूकंप :24 -2-2017 शाम पांच बजकर 32 मिनट पर मणिपुर में आया "सन्निपातज"भूकंप!तीव्रता -5.2  PM मोदी की मणिपुर यात्रा के पहले बम और हथगोला बरामद
see more....http://www.punjabkesari.in/national/news/pm-modi-first-visit-to-manipur-bomb-and-grenade-recovered-584287
25 फरवरी को मोदी जी की रैली इंफाल के अचोउआ में होने वाली थी इसी बीच 24 फरवरी को एक हथगोला बीजेपी के उम्मीदवार निंगोमबाम लेकाई में सोईबम सुभाषचंद्रा के निवास के गेट के पास पाया गया.तो दूसरा बम थाउबल जिले में बीजेपी कार्यकर्ता ओ सुनील के घर के सामने पाया गया. यह जगह रैली के स्थान से 40 किमी. दूर है.! इसी क्षेत्र में इसी 24 फरवरी को शाम पांच बजकर 32 मिनट पर भूकंप आया।भूकंप का केंद्र चुराचंद्रपुर जिले में था।ये भूकंप 25 फरवरी को मोदी जी की रैली में अनहोनी की चेतावनी देने आया था प्रशासन की विशेष सतर्कता से टाला जा सका !
19.जम्मू-कश्मीर में भूकंप :28-2- 2017 को रात 8 बजे तीव्रता 5.5 का 'चंद्रज'भूकंप !
20.हिमाचल प्रदेश में 1\2-3-2017 की रात्रि में रात 1.39 बजे तीव्रता 3.8 'चंद्रज' भूकंप !
21.मणिपुर 4-3- 2017 सुबह 05:08 पर तीव्रता 3.5 ,'सूर्यज'भूकंप !
पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा में बड़ी आतंकी घुसपैठ पर बांग्लादेश ने चेताया! Updated: Mar 21, 2017, 06.27AM IST
see more....http://navbharattimes.indiatimes.com/india/bangladesh-warns-india-as-thousands-terrorists-entering-india/articleshow/57743651.cms?utm_source=facebook.com&utm_medium=referral&utm_campaign=terrorists210317
22.भूकंप 9 Mar 2017 \14.9 बजे तीव्रता 3.5 , ह‍िमाचल प्रदेश के चंबा में 'सूर्यज' भूकंप !
23. भूकंप 13 -3-2017 को 15.52 बजे बनासकांठा जिले में 4.4 की तीव्रता वाला 'वातज'भूकंप !
गुजरात के पाटन में दंगा, दो की मौत: 5000 लोगों की भीड़ ने बोला हमला, 20 घर फूंके, कई मुस्लिम परिवारों ने छोड़ा गांवsee more.....http://www.jansatta.com/rajya/communal-clash-in-gujarat-patan-after-fight-of-two-students/284317/
 24. 25-3-2017 म्यामार में 7.5बजे तीव्रता 5.0 केंद्र म्यांमार-भारत सीमा क्षेत्र ! 'सन्निपातज ' !
       भाषा की रिपोर्ट, अंतिम अपडेट: शुक्रवार अप्रैल 7, 2017 10:23 AM IST
कश्‍मीर में बाढ़ का संकट: बारिश रुकी-झेलम का जलस्तर घटा,PM मोदी ने CM से की बातsee more....https://khabar.ndtv.com/news/india/flood-situation-in-jammu-and-kashmir-1678424     देश में सब जगह गर्मी का कहर, उत्तर-पूर्व में थम नहीं रही बारिश
राजीव रंजन की रिपोर्ट, सूर्यकांत पाठक द्वारा संपादित, अंतिम अपडेट: मंगलवार अप्रैल 4, 2017 12:03 AM
https://khabar.ndtv.com/news/india/heat-everywhere-in-the-country-heavy-rain-in-the-north-east-1676905
पूर्वोत्तर भारत में हो रही है आफत की बारिश, किसानों को भारी नुकसान
श्रीराम शर्मा द्वारा संपादित, अंतिम अपडेट: रविवार अप्रैल 2, 2017 09:35 PM IST
see .... https://khabar.ndtv.com/news/india/heavy-pre-monsoon-rains-batter-northeast-india-1676413
25. 18-4-2017 को जम्मू-कश्मीर में 'चंद्रज'भूकंप | तीव्रता 5.0
जम्मू-कश्मीर में हिली धरती, किश्तवाड़ में 5 की तीव्रता का भूकंप ! इस्लामाबाद लाहौर सहित विभिन्न शहरों में महसूस किए गए।
26. भूकंप :दिल्ली-एनसीआर में 2- 6 -2017,4.24 AM,तीव्रता 5.0 ,'सूर्यज' भूकंप !भूकंप केंद्र 'रोहतक'
27.  2-7-2017 \10.57 am म्यांमार में 'वातज'भूकंप !तीव्रता 4.7 म्यांमार में आए भूकंप से देश के पूर्वोत्तर के  सभी राज्य दहल उठे...
A. जम्मू-कश्मीर में अब चीन भी दे रहा दखल, दंगे भड़काना था अमरनाथ हमले का मकसद: महबूबा मुफ्तीsee more....http://navbharattimes.indiatimes.com/india/amarnath-yatra-attack-was-aimed-at-disturbing-communal-harmony-china-is-also-interfering-in-kashmir-says-mehbooba-mufti/articleshow/59609059.cms
B.    म्यांमार में वीभत्स हुई सेना की हिंसा, 'काटे जा रहे बच्चों के सिर'
see more...http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/children-being-beheaded-in-myanmar/articleshow/60348474.cms
C. हाल ही में म्यांमार की सेना ने रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं की सामूहिक हत्या करने का दावा किया है।see more...https://www.bhaskar.com/news/INT-45-hindu-bodies-are-found-in-myanmar-5706966-PHO.html  
27.भूकंप भारत पाक सीमा पर 8 -7- 2017 \15.43 बजे तीव्रता 5.2 'चंद्रज' भूकंप
  A. 13-7-2017 पाकिस्तान जाधव की मां को वीजा देने पर अचानक करने लगा बिचार क्यों इतना बड़ा बदलाव !http://www.deshbandhu.co.in/news/pakistan-thinking-on-jadhav-mother-giving-visa-43994-1
B.जम्मू-कश्मीर में अब चीन भी दे रहा दखल, दंगे भड़काना था अमरनाथ हमले का मकसद: महबूबा मुफ्ती
see more....http://navbharattimes.indiatimes.com/india/amarnath-yatra-attack-was-aimed-at-disturbing-communal-harmony-china-is-also-interfering-in-kashmir-says-mehbooba-mufti/articleshow/59609059.cms
C.आतंकियों को नहीं मिले इस बार पत्थरबाज !
see ..... http://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/terrorist-not-getting-that-support-from-kashmir-valley-which-they-had-earlier/articleshow/60018839.cms
28. 2 \ 3 -8 -2017 रात्रि 11.48 तीव्रता 5.4 मणिपुर में 'सन्निपातज' भूकंप !
29.  7-8-2017\ 4.55 PM 'सन्निपातज' भूकंप !असम में भूकंप ! 3.4 तीव्रता !
30. 8-8-2017 को 9.19 PM   चीन में 'सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 7.0
 A.मोदी के दुख जताने पर चीनी क्यों भड़के?see more...http://www.bbc.com/hindi/social-40899913?ocid=socialflow_gplus
B.म्यांमार में वीभत्स हुई सेना की हिंसा, 'काटे जा रहे बच्चों के सिर' see more... http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/children-being-beheaded-in-myanmar/articleshow/60348474.cms
31.चंबा (हिमाचल) में !16-8-2017\ 9.0 Am,तीव्रता 3. 5 ,'सन्निपतज'
32.चमोली में ! 22-8-2017 \ 20.52 बजे,तीव्रता 4.2,'सूर्यज' भूकंप !
33.कश्मीर में , 24-8-2017\ 2.22AM,तीव्रता 5.00\'चंद्रज ' भूकंप
34.जम्मू कश्मीर में -23 -9-2017 को प्रातः 5. 44 पर ,तीव्रता 4.5 ,'वातज' भूकंप !
35. चंबा (हिमाचल) में ,2-10-2017\ 4.32PM - तीव्रता 3.1 ,'सन्निपतज' भूकंप
36. जम्मू कश्मीर में -19 -10-2017 को प्रातः 6. 40 बजे , तीव्रता 4.7 ,'वातज' भूकंप !
37.मंडी (हिमचाल)27-10-2017प्रातः 8.7बजे तीव्रता 4.4 ,'सन्निपातज' भूकंप
38.हिंदूकुश अफगानिस्तान से कश्मीर तक !28-10-2017 \23.15 बजे, तीव्रता 5.7 ,'सन्निपातज' भूकंप
 अफगानिस्तान के प्रांतीय उप गवर्नर का पाकिस्तान में अपहरणsee more.... https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/afghanistanamp39s-deputy-governor-of-afghanistan-kidnapped-in-pakistan/articleshow/61326859.cms
पाकिस्तान: प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के बाद भड़की हिंसा में 6 की मौत, 200 से अधिक घायल see more....https://khabar.ndtv.com/news/world/6-dead-and-more-than-200-injured-in-rage-violence-after-protesters-in-pakistan-1780069
IS के आत्मघाती हमले से काबुल में 18 की मौतsee....http://naidunia.jagran.com/world-suicide-bomber-in-kabul-kills-at-least-18-afghan-officers-1405277
अफगानिस्तान में ऑस्ट्रेलियाई दूतावास के पास फिदायीन हमले में 13 की मौतsee more...http://naidunia.jagran.com/world-13-killed-in-suicide-attack-near-australian-embassy-in-afghanistan-1377952
पाकिस्तानः बलूचिस्तान में सुरक्षाबलों पर हमले में चार की मौतsee more...http://www.punjabkesari.in/international/news/pakistan--four-killed-in-balochistan-attack-on-security-forces-712441
पाकिस्तान में टी.वी.चैनलों के प्रसारण पर रोकsee more...http://www.punjabkesari.in/international/news/electronics-media-ban-in-pakistan-712237
पेशावर में आत्मघाती विस्फोट में AIG की मौतsee http://www.punjabkesari.in/international/news/aig-killed-in-suicide-bombing-in-peshawar-711692
अफगानिस्तान की दो मस्जिदों में आत्मघाती हमले, 72 लोगों की मौत see more...https://khabar.ndtv.com/news/world/72-people-killed-in-two-suicide-attacks-in-mosques-in-afghanistan-1765226
पाकिस्तान के पेशावर में आतंकी हमला, 12 लोगों की मौत, 32 घायलsee more....https://aajtak.intoday.in/story/pakistan-peshwar-terror-attack-tehrik-i-taliban-1-968379.html
पूर्व गवर्नर के अंतिम संस्कार के दौरान विस्फोट, 15 की मौत, कई जख्मीsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/blast-at-a-funeral-ceremony-in-jalalabad/articleshow/62316274.cms
39.राजस्थान 18-11-2018 \ 15 .00 बजे तीव्रता 4.2 ,'सूर्यज' भूकंप !
पद्मावती: करणी सेना ने तोड़ा सिनेमा हॉल,see more....http://www.jansatta.com/rajya/rajasthan-karni-sena-members-vandalise-cinema-over-padmavati-protest-what-is-karni-sena/485747/
40.अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर 18-11-2018 \ सुबह 4.04 बजे,तीव्रता 6.4 ,'सूर्यज' भूकंप !       राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अरुणाचल दौरे पर चीन ने जताई आपत्ति see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/china-upset-as-president-kovind-visits-arunachal/articleshow/61726419.cms
 41.अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर तिब्बत में 18-11-2018 \ सुबह 6.34 बजे,तीव्रता 6.9 ,'सूर्यज' भूकंप !
  केंद्र सरकार की रिपोर्ट- भूकंप के कारण काला पड़ा ब्रह्मपुत्र का पानीsee more.... http://www.amarujala.com/india-news/brahmaputra-water-is-black-due-to-earthquake
42.भूकंप दिल्ली में 6-12-2017 को सायं 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 5.5
दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भूकंप के झटके,इसका केंद्र उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में था!इस भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई है. ये भूकंप 8.49 मिनट पर आया.
"पद्मावती फ़िल्म का विरोध !"
43. भूकंप जम्मू कश्मीर में11 -12-2017 को प्रातः 8.49 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.5
      जम्मू-कश्मीर में CRPF के ट्रेनिंग सेंटर पर बड़ा आतंकी हमला, 4 जवान शहीद-3 आतंकवादी ढेरsee more... https://navbharattimes.indiatimes.com/india/terrorists-attack-crpf-training-centre-in-jks-pulwama-2-injured/articleshow/62312102.cms
 44.भूकंप - ईरान में -12 -12 -2017 को प्रातः 12.13 बजे , 'वातज' भूकंप !तीव्रता 6.2
ईरान में 2009 के बाद सबसे बड़े विरोध-प्रदर्शन, सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों लोगseemore... https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/biggest-protests-since-2009-rock-iran/articleshow/62313061.cms
45.मंडी (हिमाचल)22-12-2017\ 4.53 PMबजे, 'सन्निपातज'भूकंप
46. देहरादून में 28-12-2017 को प्रातः 4 .47 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.7
47. ठाणे (महाराष्ट्र):में 2-1-2018 को प्रातः 2.21 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 3.2
पुणे जातीय हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र बंद: ट्रेनें रोकीं, बस सेवा पर बुरा असर, सड़कों पर सन्नाटाsee more....
https://navbharattimes.indiatimes.com/state/maharashtra/pune/maharashtra-bandh-called-by-dalit-organisations-on-wednesday/articleshow/62346204.cms
48.भूकंप:हिमाचल प्रदेश कांगड़ा में 9-1-2018 को सायं 6.25 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 3.0
49.भूकंप :दिल्ली में -31 -1 -2018 समय दोपहर 12.35 बजे ,तीव्रता 6 . 1 ,'सूर्यज' भूकंप !
      मौसम में बड़ी तेजी से हुआ बदलाव, 25 डिग्री तक पहुंचा तापमान
    नवभारत टाइम्स | Updated: Feb 3, 2018, 08:00AM IST
    see more....  https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/noida/the-rapid-change-in-weather-the-temperature-reached-25-degrees/articleshow/62760970.cms
    अफगानिस्तानः तालिबान के ठिकानों पर हमला, 12 आतंकी मारे गएsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/12-terrorist-killed-in-afganistan-in-a-air-strike/articleshow/62792597.cms
        काबुल: तालिबान का एंबुलेंस बम हमला, 95 लोगों की मौतsee more....http://www.bbc.com/hindi/international-42844491
       जम्मू में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला :see more....https://khabar.ndtv.com/news/jammu-kashmir/jammu-army-camp-attack-mehbooba-mufti-tweets-1811005
        अफगान मिलिट्री बेस पर तालिबानी हमले में 22 मरे
    see more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/22-killed-in-taliban-attack-on-afghan-military-base/articleshow/63059106.cms
   पिछले सात सालों में 24 फरवरी सबसे गर्म दिन .....http://mepaper.livehindustan.com/pagezoomsinwindows.php?id=2570689&boxid=90532274&cid=4&mod=&pagenum=3&edcode=1&pgdates=2018-02-25
    12 सालों में पहली बार इतनी गर्म रही दिल्ली की सर्दी see more....https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/this-was-delhis-warmest-winter-in-12-yrs/articleshow/63134388.cms
    गर्मी ने तोड़ा रेकॉर्ड, फरवरी में आया 'अप्रैल'see more.....https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/hottest-february-in-10-years/articleshow/63037934.cms
     अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में 21 विद्रोही मारे गएsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/pakistan/us-drone-targeting-pakistani-taliban-kills-21-in-afghanistan/articleshow/63216645.cms
  समय से पहले आई गर्मी गेहूँ का उत्पादन घटा देगी !see more....http://mepaper.livehindustan.com/pagezoomsinwindows.php?id=2606107&boxid=87192680&cid=4&mod=&pagenum=6&edcode=1&pgdates=2018-03-17
    कार बम विस्फोट से दहला काबुल, कई हताहत: अधिकारीsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/car-bomb-rocks-afghan-capital-kabul-multiple-casualties-says-officials/articleshow/63342559.cms
 पुंछ में पाकिस्तान ने किया सीजफायर उल्लंघन, एक ही परिवार के 5 सदस्यों की मौतsee more.....https://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/shelling-from-across-in-balakote-sector-of-poonch5-civilians-died/articleshow/63351595.cms
  काबुल यूनिवर्सिटी के पास आत्मघाती हमला, अब तक 25 की मौत, 18 घायलsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/at-least-25-killed-in-kabul-explosion/articleshow/63395750.cms
    samay bitne ke baad
 राजनिक उत्पीड़न विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने पर सहमत हुए भारत-पाकिस्तानsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/india/india-and-pakistan-have-mutually-agreed-to-resolve-matters-related-to-the-treatment-of-diplomats-and-diplomatic-premises/articleshow/63548985.cms
50. भूकंप -जम्मू कश्मीर में 20-2-2018 दिन में 12.41बजे तीव्रता 3.3 का 'चंद्रज ' भूकंप !
    ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 25 फ़रवरी, 2018 12:35 PM
 शिमला में बर्फबारी, न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज !मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "लाहौल-स्पीति के ऊंचे पहाड़ी इलाकों, किन्नौर, शिमला, सिरमौर, मंडी और चंबा जिलों में शुक्रवार से हल्की से लेकर मध्यम स्तर की बर्फबारी हो रही है." राज्य में लाहौल-स्पीति जिले का केलांग सबसे ठंडा रहा, जहां पारा हिमांक बिन्दु से तीन डिग्री नीचे पहुंच गया.see more....https://khabar.ndtv.com/news/haryana-himachal/snowfall-at-shimlan-in-himachal-pradesh-1816908
        रविवार (11 -3 -2018 ) को पारा पहुँचा 33 डिग्री ..... http://mepaper.livehindustan.com/pagezoomsinwindows.php?id=2598679&boxid=64021024&cid=4&mod=&pagenum=7&edcode=1&pgdates=2018-03-12
51.भूकंप: मणिपुर 3-3-2018 को 7.01पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 3.7
मूर्तियां तोड़े जाने की घटनाओं से PM नरेंद्र मोदी नाराज, गृहमंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी see more....https://www.amarujala.com/india-news/pm-narendra-modi-has-disapproved-incidents-of-vandalism-of-statues
52.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 10-3-2018 दिन में 8.51बजे तीव्रता 4.1 का 'चंद्रज ' भूकंप !
53.भूकंप -जम्मू कश्मीर में 15-3-2018 दिन में 8.30बजे तीव्रता 4.6 का 'चंद्रज ' भूकंप !
54.गुजरात में -29 -3 -2018 समय 4.3 AM बजे ,तीव्रता 4.6 ,'सूर्यज' भूकंप !
       गुजरात में जल संकट, 203 जलाशयों में केवल 38.57 प्रतिशत पानी बचा  see more...  https://naidunia.jagran.com/gujarat-water-crisis-in-gujarat-1618001
55.पिथौरागढ़ में 1-4-2018 को सायं 8.42 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 2 -3.0
56.जम्मू कश्मीर में 9 -4 -2018 /6 .6 AMबजे, ''सन्निपातज'भूकंप'
57. UP /MP में 10 -4 -2018 /7 .44 PMबजे, 'सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.6 !
   सवर्णों के 'भारत बंद' के दौरान बिहार में हिंसा "जहाँ जहाँ भूकंप वहाँ वहाँ हिंसा"
see more....https://www.bbc.com/hindi/india-43711999
राजस्थान में बारिश और तूफान ने मचाई तबाही, 7 लोगों की मौतsee....https://www.punjabkesari.in/national/news/7-killed-due-to-rains-in-rajasthan-784288
देश में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, यूपी और राजस्थान में 36 की मौत; 17 अप्रैल तक सताएगा मौसम
see more....https://www.jagran.com/news/national-due-to-rain-and-thunderstorm-in-up-eighteen-and-in-rajasthan-twelve-people-dead-17812181.html
58.भूकंप - म्यांमार में 24 -4-2018 दिन में 9. 38 am बजे तीव्रता 5.2 का 'चंद्रज ' भूकंप !
इन मुलाकातों से दुनिया में लौटा भाईचारे का दौरsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/these-handshakes-shook-the-entire-world-now-all-eyes-on-narendra-modi-and-xi-jinping/articleshow/63957619.cms
59.पश्चिम बंगाल में 27-4-2018 को रात्रि 2.24 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 4.2
पश्चिम बंगाल में 'खूनी' पंचायत चुनाव, हिंसक झड़पों में 12 की मौत, केंद्र ने ममता से मांगी रिपोर्ट
see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/other-states/kolkata/west-bengal-panchayat-elections-2018-many-injured-in-clash/articleshow/64154358.cms
60. हिंदूकुश से भारत तक 9-5-2018 को 16.15 बजे तीव्रता 6.2 'चंद्रज ' भूकंप !
अफगानिस्तान सीमा पर भूकंप से कांपी दिल्ली-एनसीआर, जम्मू कश्मीर की धरती
      हिमाचल के मध्य और निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी
हिमाचल प्रदेश के मध्य और निचले पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश हुई. वहीं राज्य के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी हुई.
ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 8 मई, 2018 1:45 see more....https://khabar.ndtv.com/news/india/snowfall-in-the-central-and-lower-hills-areas-of-himachal-snowfall-in-the-highlands-1848648
 61.पाकिस्तान और भारत में -10-5-2018 समय 20.1 बजे ,तीव्रता 6.6 ,'सूर्यज' भूकंप
    जम्मू-कश्मीर : आरएसपुरा, रामगढ़ और अरनिया सेक्टर में सीमा पार से गोलाबारी, राजनाथ ने कहा- BSF को पूरी छूट see more....https://khabar.ndtv.com/news/jammu-kashmir/cease-fire-violation-by-pakistan-in-jammu-kashmir-border-area-1855505
    पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्ध जैसे हालात, सीमा पार से लगातार गोलाबारी में 12 लोगों की मौत; दर्जनों घायल
    see more....https://www.jagran.com/news/national-six-injured-including-a-woman-in-a-terror-attack-in-jammu-and-kashmir-17989088.html
    पाकिस्तान: कराची में लू के कारण करीब 180 लोगों की मौतsee more....https://www.punjabkesari.in/international/news/pakistan-nearly-180-people-died-due-to-loo-in-karachi-807053
    LOC पर शांति करेंगे भारत - पाक 30-5-2018 see ...... http://epaper.navbharattimes.com/details/5-66952-1.html
       पाकिस्तान की ओर से आरएसपुरा सेक्टर में फायरिंग, BSF का एक जवान शहीद 3 जख्मी
    Written By Amit Bajpayee | Mumbai | Published: May 18, 2018 09:51 IST
    see more...https://www.republicworld.com/r-bharat/r-bharat/pakisatana-ki-ora-sa-araesapara-sakatara-ma-phayariga-bsf-ka-eka-javana-sahida-3-jakhami
    J-K- अरनिया सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी
    Duração: 02:27 21/05/2018 see more....https://www.msn.com/pt-pt/video/lifestyle/j-k-%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%93%E0%A4%B0-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%80%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80/vp-AAxzsN3
62.भूकंप - हिमाचल (चंबा) 12-5-2018 को 9.30 बजे तीव्रता 3.0'चंद्रज ' भूकंप !
उत्तराखंड में मौसम विभाग ने 5 दिनों के लिए जारी की चेतावनीsee more....https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttarakhand/dehradun/india-meteorological-dept-dehradun-issues-weather-warning-for-next-5-days-in-the-state/articleshow/64146644.cms
63.भूकंप - हिमाचल (किन्नौर) में 21-5-2018 को 4.21PM तीव्रता 4.1'चंद्रज ' भूकंप !
      शिमला में बादल फटा, भारी नुकसान का अनुमान; फिर शुरू हुई बारिश Publish Date:Tue, 05 Jun 2018 01:06 PM (IST)see more....https://www.jagran.com/himachal-pradesh/shimla-cloud-burst-in-himachal-pradesh-18043581.html
64. भूकंप:पिथौरागढ़ में 24-5-2018 को सायं 7.55 पर 'वातज' भूकंप ! तीव्रता 3.6
65.भूकंप :रानीखेड़ा (राजस्थान )में 27-5-2018 समय 10.00 PMबजे ,,'वातज' भूकंप
 A.सड़क पर अन्‍नदाता: दूध से सफेद हुई सड़कें तो कहीं शिव का हुआ अभिषेक, देशव्‍यापी बंद का आज दूसरा दिन
see more....https://www.jagran.com/news/national-farmers-protest-against-the-government-18030843.html
 B.दिल्ली, हरियाणा के आसमान में छाई राजस्थान से आई धूलsee more...https://aajtak.intoday.in/gallery/delhi-and-haryana-weather-changed-by-dusty-winds-came-from-rajasthan-tst-1-22804.html
C.राजधानी दिल्ली में गर्म हवा और धूल का छाया गुबार. प्रदूषण का स्तर 5 से 10 गुणा तक बढ़ा.see more...https://aajtak.intoday.in/video/100-shehar-100-khabar-dust-storms-delhi-air-quality-dangerous-levels-1-1009625.html
D.दिल्ली की गर्मी में सर्दियों वाला प्रदूषण, माजरा क्या है?see more....https://www.bbc.com/hindi/india-44481422
66.टिहरी में 6 -6 -2018 समय रात्रि 11 .11 बजे ,तीव्रता 4.4,'सूर्यज' भूकंप
67.जम्‍मू-कश्‍मीर में 7-6-2018\12.21Pm तीव्रता 4.4'सूर्यजभूकंप'
68.असम में 11 -6 -2018 को 10.23 AM तीव्रता 5.1 'सूर्यजभूकंप'
69. उत्तरकाशी से कश्मीर तक 14 -6 -2018 समय 6.00 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0
     जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर उल्लंघन, बीएसएफ के 4 जवान शहीद, 3 घायल
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी गोलीबारी में बीएसएफ के चार जवान शहीद हो गए हैं.
ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 14 जून, 2018 11:26 AMsee more....https://khabar.ndtv.com/news/jammu-kashmir/jammu-and-kashmir-four-bsf-personnel-lost-their-lives-in-ceasefire-violation-by-pakistan-in-samba-1866576
70.हिमाचल (चंबा-काँगड़ा) में 14-6-2018 को 15.45 बजे तीव्रता 4 .5 'चंद्रज ' भूकंप !
71.शिमला में -17-6-2018 को 3.36 AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 3.2
72. भारत -चीन सीमा पर !19 -6 -2018 को 5.15 AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.5
73.चंबा में 23 -6 -2018 समय 2.37 AMबजे ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 3.0
74.मणिपुर 21-6 -2018 प्रातः ,,'वातज' भूकंप,तीव्रता 4.0
75.मणिपुर-म्यांमार बॉर्डर पर -24-6-2018 को 4.37 PM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.4
76. चंबा में 26-6-2018 /1.27 AM बजे ,तीव्रता3.3 'सन्निपातज'भूकंप !
77.हरियाणा दिल्ली में 1 -7 -2018 /3.37 PM बजे ,तीव्रता4.0'सन्निपातज'भूकंप !
78.दिल्ली में 3-7-2018 को 3.47AM तीव्रता 2.8 'चंद्रज ' भूकंप !
79.जयपुर में 8-7-2018 को 9.43AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.3
80.कांगड़ा में- 27 -7 -2018 /1.42 PM बजे ,तीव्रता3.8'सन्निपातज'भूकंप !
81.सितंबर 2018 - मेरठ और दिल्ली में 'सूर्यज' भूकंप !9-9-2018\4.37PM दिल्ली\ हरियाणा केंद्र 'झज्जर' था तीव्रता 3.8 |इसी का दूसरा भूकंप मेरठ में 10-9-2018 \ 6:28 AM 'सूर्यज' भूकंप !तीव्रता 3.6  केंद्र मेरठ के खरखौदा में था।
82.जम्मूकश्मीरऔर झज्झर में-12 -9-2018 कोजम्मू-कश्मीर में 5.15AM तीव्रता4.6 थी !झज्जर में 5.43AMतीव्रता 3.1!'वातज'भूकंप !
   A. न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 23 Sep 2018 09:05 PM IST
    दिल्ली में गलघोंटू बीमारी से अब तक 18 बच्चों की मौत, 200 सीरम सीआरआई अस्पताल पहुंचीsee more....https://www.amarujala.com/delhi-ncr/18-children-dead-due-to-diphtheria-in-delhi
   B. Monday, Sep 24, 2018    नई दिल्ली/अनुराग जैन। राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके में गलघोंटू यानी डिप्थीरिया का कहर मासूमों की जान ले रहा है। जीटीबी नगर स्थित महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में 20 दिन में 15 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है।यूपी के बुलंदशहर, गाजियाबाद और दिल्ली के बच्चे इस रोग का शिकार बन रहे हैं। इस बीमारी के चलते कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है।आंकड़ों के मुताबिक वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया से पीड़ित 85 बच्चे भर्ती हैं। इनमें से 6 मरीज दिल्ली के हैं जबकि अन्य उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर और मुरादाबाद आदि जिलों से यहां लाए गए हैं। बीमार बच्चों के परिजन बेहद चिंतित और परेशान हैं।see more....https://www.navodayatimes.in/news/khabre/asia-cup-2018-india-will-be-playing-against-bangladesh-in-super-four/95535/
C.    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sat, 29 Sep 2018 05:50 AM IST
    दिल्ली में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी, डिप्थीरिया से 3 और की मौत, आंकड़ा 24 पहुंचा see more....https://www.amarujala.com/delhi-ncr/three-more-children-die-from-diphtheria-in-delhi
D.न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 23 Sep 2018 09:05 PM IST
    दिल्ली में गलघोंटू बीमारी से अब तक 18 बच्चों की मौत, 200 सीरम सीआरआई अस्पताल पहुंचीsee more....https://www.amarujala.com/delhi-ncr/18-children-dead-due-to-diphtheria-in-delhi
E.    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 23 Sep 2018 09:05 PM IST
    राजधानी दिल्ली में 15 दिन के भीतर डिप्थीरिया (गलघोंटू) बीमारी से 18 बच्चों की मौत हो गई।पीड़ित 147 बच्चे किंग्सवे कैंप स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इनमें यूपी से 122, दिल्ली से 14 और हरियाणा से 11 बच्चे भर्ती हुए see more....https://www.amarujala.com/delhi-ncr/18-children-dead-due-to-diphtheria-in-delhi
F. नवभारत टाइम्स | Updated:Sep 24, 2018, 08:00AM IST
    दादरी में डिप्थीरिया के लक्षण वाले 7 बच्चे मिलेsee more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/uttar-pradesh/noida/7-children-with-symptoms-of-diphtheria-in-dadri/articleshow/65924110.cms
G.    Monday, Sep 24, 2018
    नई दिल्ली/अनुराग जैन। राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाके में गलघोंटू यानी डिप्थीरिया का कहर मासूमों की जान ले रहा है। जीटीबी नगर स्थित महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में 20 दिन में 15 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है।यूपी के बुलंदशहर, गाजियाबाद और दिल्ली के बच्चे इस रोग का शिकार बन रहे हैं। इस बीमारी के चलते कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है।आंकड़ों के मुताबिक वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में डिप्थीरिया से पीड़ित 85 बच्चे भर्ती हैं। इनमें से 6 मरीज दिल्ली के हैं जबकि अन्य उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर और मुरादाबाद आदि जिलों से यहां लाए गए हैं। बीमार बच्चों के परिजन बेहद चिंतित और परेशान हैं।see more....https://www.navodayatimes.in/news/khabre/asia-cup-2018-india-will-be-playing-against-bangladesh-in-super-four/95535/
H.    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 23 Sep 2018 09:05 PM IST
    दिल्ली में गलघोंटू बीमारी से अब तक 18 बच्चों की मौत,राजधानी में 15 दिन के भीतर डिप्थीरिया (गलघोंटू) बीमारी से 18 बच्चों की मौत हो गई।अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार इस माह में डिप्थीरिया से पीड़ित 147 बच्चे किंग्सवे कैंप स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इनमें यूपी से 122, दिल्ली से 14 और हरियाणा से 11 बच्चे भर्ती हुए हैं।see more...https://www.amarujala.com/delhi-ncr/18-children-dead-due-to-diphtheria-in-delhi
  83.भूकंप :भारत और बंगाल में -12 -9-2018 को वातज भूकंप ! बिहार और बंगाल में भूकंप के झटके,प्रातः 10.20 पर इसकी तीव्रता 5.4 एवं इसका केंद्र रंगपुर बांगलादेश हिला पूरा नॉर्थ-ईस्ट! प्रभावित क्षेत्र -  पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड और सिक्किम !बिहार के किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इसके अलावा कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी में भी भूकंप को महसूस किया गया है.
  84.गुजरात कच्छ में -14-9-2018 ,तीव्रता 2.5, समय 3.27PM 'सूर्यज'भूकंप
85.हिमाचल (सिरमौर) में 'सूर्यज'भूकंप :24-9-2018 को दिन में 2.22 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.7
86.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :7-10-2018 को दिन में. बजे भूकंप ,तीव्रता 4 .6
87.उत्तराखंडमें 16-10-2018 को 4.06 AM तीव्रता 3 .2'चंद्रज ' भूकंप !
88.जम्मू कश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :21-10-2018 को सायं 6.6 बजे भूकंप ,तीव्रता 3.3
89.जम्मू-कश्मीर में 29-10-2018 को 20.13बजे तीव्रता 5 .3 'चंद्रज' भूकंप !
90.मणिपुर में 7-11-2018 को 4.20 AM पर 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.1
91.मिजोरम के चंपाई में 10 -11 -2018 /22.45 बजे ,तीव्रता 5.3'सन्निपातज'भूकंप  
 92.  उत्तराखंड: पिथौरागढ़ और नेपाल बार्डर पर 11-11-2018 को 12.37 दिन में 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 5 .0
93.गुजरात के कच्छ जिले में 13 -11 -2018 /15.37 बजे ,तीव्रता 3.4'सन्निपातज'भूकंप !
94.जम्मू कश्मीर -भद्रवाह : में 23-12-2018 को 3.48 प्रातः 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.7
95.जम्मू कश्मीर में 26-12-2018 को सुबह 9.52 बजे 'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता 3.5
96.भारतपाकिस्तान हिंदूकुश में संयुक्त भूकंप 2-2-2019 को 5.34pm'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता6.1
     पाकिस्तान से आ रही 'मुसीबत', दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में बढ़ेगी ठंडsee more...Publish Date:Tue, 05 Feb 2019 09:25 AM (IST)
https://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-ncr-cold-weather-conditions-continue-in-the-national-capital-delhi-common-man-issues-18921494.html
 97. दिल्ली एनसीआर में 5 -2-2019 /10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 'सन्निपातज' "
नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:Feb 7, 2019, 06:37PM IST
    दिल्ली-NCR में तेज बारिश के साथ कुछ जगहों पर गिरे ओले, ठंड बढ़ी
    दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार को तेज बारिश के साथ कुछ जगहों पर ओले भी गिरे हैं। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद के कई हिस्सों में ओले गिरे हैं। ज्यादातर जगहों पर मटर के आकार के ओले गिरे हैंsee more...https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/heavy-rain-and-hailstorm-in-delhi-ncr/articleshow/67884945.cms
    Feb 7, 2019    दिल्ली ,जम्मूकश्मीर ,हिमाचल उत्तराखंड में छाए बादलों से दिन में हुई रात !खूब गिरे ओले !हुई बर्फबारी !see more.. https://www.punjabkesari.in/national/news/heavy-rain-in-delhi-and-the-possibility-of-snowfall-in-j-k-for-next-48-hours-947468
    टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated:Feb 8, 2019, 09:49AM IST
    दिल्ली-एनसीआर में क्यों पड़े इतने ओले, मौसम विभाग ने बताया
    IMD के अनुसार, जबर्दस्त ओले पड़ने के पीछे कई वजहें रहीं। IMD रीजनल सेंटर के डायरेक्टर बी पी यादव ने कहा, 'इस समय ओले पड़ना कोई अनोखी बात नहीं है।' उन्होंने कहा, 'पर कई कारणों की वजह से इस मौसम में दिल्ली-एनसीआर में जमकर ओले पड़े।'see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/what-caused-severe-hailstorm-in-delhi-ncr/articleshow/67894751.cms
    श्रीनगर., 08 फरवरी 2019, अपडेटेड 09:59 IST
    जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी बनी आफत, जवाहर सुरंग के पास हिमस्खलन, 10 जवान लापता जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में हुए हिमस्खलन में एक पुलिस पोस्ट चपेट में आ गई है. इस हादसे में 10 पुलिसवाले लापता हो गए हैं.seemore...https://aajtak.intoday.in/story/jammu-kashmir-avalanche-himachal-pradesh-snowfall-police-post-1-1060076.html
    Publish Date:Fri, 08 Feb 2019 10:12 AM (IST)
    ओलों की सफेद चादर से पट गया दिल्ली-एनसीआर, दिन में ही छा गया अंधेरा !see more...https://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-ncr-hailstorm-hits-delhi-and-ncr-including-noida-common-man-issues-18931723.html
    ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 14 फ़रवरी, 2019 10:16 PM
    Pulwama Terror Attack: राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले- पहली बार लोकल फिदायीन का हमले में किया गया इस्तेमाल
    पहले पाकिस्तान से फिदायीन आते थे, लोकल फिदायीन नहीं होते थे. लेकिन पहली बार पाकिस्तान ने एक लोकल फियादीन पैदा किया और उसके जरिये हमले को अंजाम दिया. अब हमें लोकल एलिमेंट पर ज्यादा निगाह रखनी होगी और इससे सख्ती से निपटना होगा.see more...https://khabar.ndtv.com/news/india/jammu-kashmir-governor-satyapal-malik-on-pulwama-terror-attack-1993780
    Dainik BhaskarFeb 15, 2019, 08:45 AM IST
    पुलवामा / सीआरपीएफ के काफिले पर 100 किलो विस्फोटक से भरी गाड़ी से फिदायीन हमला, 40 जवान शहीद !see more...https://www.bhaskar.com/national/news/pulwama-crpf-jawans-killed-and-injured-in-millitiant-attack-01488876.html
    Dr.Shesh Narayan Vajpayee15 February 2019 at 19:55
    Dainik Bhaskar Feb 15, 2019, 04:26 AM IST Shajapur News - 100 से ज्यादा किसानों की संतरा फसल में नुकसान बड़ौद| बड़ौद क्षेत्र के 8 से अधिक गांव में नुकसान हुआ तो बड़ौद तहसील...100 से ज्यादा किसानों की संतरा फसल में नुकसान
    बड़ौद|बड़ौद क्षेत्र के 8 से अधिक गांव में नुकसान हुआ तो बड़ौद तहसील के ग्राम आम्बादेव व आसपास क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ। सबसे ज्यादा नुकसान संतरे की फसल को हुआ है। आम्बादेव के रुघनाथ सिंह आर्य ने बताया आधे घंटे तक आंधी तूफान व बारिश के कारण राधेश्याम विश्वकर्मा, उदय सिंह पटेल, नारायण सिंह, लालजीराम विश्वकर्मा, गणपत मेघवाल, कालू राम शर्मा, रामचंद्र घावरी व चतर सिंह जैसे 100 किसानों के संतरे के बगीचे में नुकसान हुआ। आंधी तूफान व बारिश के कारण फल गिर गए। ये सभी किसान गुरुवार सुबह खेत में गिरे संतरे उठाने में जुटे रहे। रुघनाथ सिंह व उदय सिंह पटेल ने कहा करीब 50% नुकसान संतरे के बगीचों में हुआ है। see more...https://www.bhaskar.com/mp/shajapur/news/mp-news-more-than-100-farmers-lose-orange-crop-042602-3909065.html
    लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली Last updated: Mon, 18 Feb 2019 09:09 AM IST
    पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, 4 जवान शहीद (ANI)CRPF हमले के बाद पुलवामा में आतंकियों से एनकाउंटर, मेजर समेत 4 जवान शहीद जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के पिंगलान इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों से मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए। इसके अलावा एनकाउंटर में एक जवान घायल हो गया।see more...https://www.livehindustan.com/national/story-jammu-and-kashmir-4-army-personnel-martyr-in-encounter-between-terrorists-and-security-forces-in-pinglan-area-of-pulwama-district-2411631.html
    पुलवामा हमले के बाद हिमाचल से गिरफ्तार कश्मीरी युवक की पहली तस्वीर आई सामने    गिरफ्तार युवक ताशीन गुल काफी समय से आतंकवादियों के समर्थन सोशल मीडिया पर कमेंट करता रहा. 14 फरवरी को आरोपी युवक ने आदिल की फोटो लगाकर फेसबुक पर पोस्ट डाली थी, जिसमें लिखा था कि “अल्लाह आपकी शहादत को कबूल करे”.see more....https://hindi.news18.com/news/himachal-pradesh/shimla-kashmiri-student-tahsin-gul-photo-released-after-pulwama-terror-attack-hydrs-1695434.html
98. 2 फरवरी को सायंकाल5.34 बजे6.1तीव्रता वाला भूकंप अफगानिस्तान से लेकर दिल्ली तक आया था |
4 फरवरी दोपहर 3.10 बजे तीव्रता 3.00 केंद्र सोनीपत !
5  फरवरी चंबा में दोपहर 3.51  बजे 3.1 का भूकंप आया !
 5  फरवरी चंबा में दोपहर  3.52 बजे 3.2 का भूकंप आया !
 5 फरवरी को ही भारत पकिस्तान के सीमा क्षेत्र में सायं  7.8 बजे4.4 तीव्रता का भूकंप !
 5 फरवरी को ही मंडी में सायं  7.31 बजे  3.8 तीव्रता का भूकंप !
 5 फरवरी रात्रि 10.17 बजे ,तीव्रता 5.6 दिल्ली के आसपास भूकंप !
 5 (6) फरवरी को 2.41 बजे 4.4 तीव्रता का भूकंप कश्मीर में आया !
 8  फरवरी को 1.53 PM बजे  भूकंप नारनौल (हरियाणा) में आया !
99.  बंगाल की खाड़ी में 'सूर्यज'भूकंप :12-2-2019 को दिन में 7.02 बजे भूकंप ,तीव्रता 5.1
101.फरवरी को काँगड़ामें 7.35 AM बजे ,तीव्रता 3.5 का भूकंप !
102.जम्मूकश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :18-2-2019 को दिन में 4.23 बजे भूकंप ,तीव्रता 4.2
103.जम्मूकश्मीर में 'सूर्यज'भूकंप :20-2-2019 को दिन में 7.59बजे भूकंप ,तीव्रता 3.9
    पुलवामा से भी बड़ा हमला प्लान कर रहा है 'जैश', पाकिस्तान के लिए होगा आत्मघाती कदम
    Publish Date:Thu, 21 Feb 2019 12:27 PM (IST)
    see more...https://www.jagran.com/news/national-jaish-planning-even-bigger-strike-warn-intel-input-jagran-special-18973471.html
    जम्मू हमले में एक और मौत, अबतक 2 की गई जान, बड़ी साजिश के संकेत
    Jammu Grenade Blast जम्मू बस स्टैंड पर गुरुवार को हुए ग्रेनेड धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़ गई है. शुक्रवार को एक और व्यक्ति ने दम तोड़ा, अभी तक इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई है.
    aajtak.in [Edited By: मोहित ग्रोवर]नई दिल्ली, 08 मार्च 2019, अपडेटेड 09:16 ISTजम्मू के बस स्टैंड में गुरुवार को हुए ग्रेनेड धमाके में मरने वालों की संख्या दो हो गई है.see more...https://aajtak.intoday.in/story/jammu-grenade-blast-death-toll-updates-1-1066706.html
104.हिमाचल (किन्नौर) में भूकंप :22-2-2019 को 7.17 बजे 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
105.हिंदूकुश (जम्मू-कश्मीर) में भूकंप:28 -2 -2019 को 12.59 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.8
106.हिमाचल प्रदेश के चंबा में भूकंप :1-3-2019 को 11.40AM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता3.3
107.किन्नौर में भूकंप:8 -3 -2019 को दिन में 12.02 PM'चंद्रज' भूकंप !तीव्रता2.8
108.राजस्थान में 'सूर्यज'भूकंप :17-3-2019 को दिन में 5.30बजे भूकंप ,तीव्रता 5
उत्तरकाशी में भूकंप:14-4-2019 को 9.26PM'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता2.9
हिमाचल (बिलासपुर) में भूकंप:3-5-2019 को दिन में 4.32 AM 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता4.2
म्यांमार भारत(नागालैंड)सीमा पर 'सूर्यज'भूकंप :4 -5 -2019 को दिन में 4.33 PM भूकंप ,तीव्रता 5.4
भूकंप -पश्चिमबंगाल में 26-5-2019 / 10:40 AM बजे ,तीव्रता4.8'सन्निपातज'भूकंप !
    झारखंड: नक्सलियों ने किया IED ब्लास्ट, CRPF, राज्य पुलिस के 11 जवान घायल
    लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली     Last updated: Tue, 28 May 2019 09:35 AM IST
    see more...https://www.livehindustan.com/national/story-11-security-personnel-injured-in-blast-in-jharkhand-2549977.html
    पश्चिम बंगाल में चरम पर हिंसा, अब उत्तर 24 परगना में बम से हमला, 2 लोगों की मौत!
    नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:Jun 11, 2019, 12:06PM IST
    पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कांकीनारा में बम धमाके में 2 लोगों की मौत हुई है और 4 लोग घायल हो गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में हिंसक झड़प के बीच यह ताजा घटना है, जिसने सूबे के माहौल को और बिगाड़ दिया है।see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/other-states/kolkata/two-people-killed-in-an-explosion-in-north-24-parganas/articleshow/69735252.cms
   झारखंड: नक्सलियों के हमले में 5 पुलिसकर्मी शहीद, हथियार भी लूट ले गए
चांडिल सरायकेला : संवाददाता,रांचीLast updated: Fri, 14 Jun 2019 08:34 PM
see more...https://www.livehindustan.com/jharkhand/story-jharkhand-five-policemen-shot-dead-in-saraikela-district-2575212.html
     पश्चिम बंगाल में मतदान के दौरान हिंसा पर EC का बड़ा ऐक्शन, बांकुरा जिले के डीएम को हटाया
पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में हुई हिंसा के बाद एक सख्त कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने यहां के डीएम उमाशंकर को पद से हटा दिया है। आयोग ने 2008 बैच की आईएएस मुक्ता आर्या को तत्काल यहां ड्यूटी जॉइन करने के निर्देश दिए हैं।
    नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:May 13, 2019, 09:28PM IST
    मsee more...https://navbharattimes.indiatimes.com/elections/lok-sabha-elections/news/ec-takes-action-on-bankura-district-magistrate-after-violence-in-west-bengal-while-loksabha-polls/articleshow/69312380.cms
    खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?
    Updated: Mon, Jun 10, 2019 08:06 pm
    आए दिन हिंसक झड़प और हत्या की खबरें बंगाल को वो जगह बना रही है जहां पर राजनीति और सत्ता की गद्दी के लिए कुछ भी जायज है.नई सरकार बन गई, देश एक नई दिशा में आगे बढ़ने लगा. लेकिन, एक चीज अब भी वहीं की वहीं है और वो है पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा.24 मई को ही बंगाल के नादिया जिले के चकदाह में एक BJP कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई. ये सिलसिला उसी दिन से चलते आ रहा है. नादिया जिले के बाद बीरभूमि, बांकुरा, कूचबिहार, हुगली, पूर्वी बर्धवान और अब बशीरहाट. कुल मिलाकर पूरे बंगाल में हिंसा ने अपना डेरा जमा लिया है.see more...https://www.zeebiz.com/hindi/india/west-bengal-violence-didi-mamata-banerjee-trinamool-congress-10008
पश्चिम बंगाल : BJP के प्रतिनिधिमंडल के जाते ही भाटपाड़ा में फिर हिंसा, बम फेंके गए
पश्चिम बंगाल से बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद भाटपारा में फिर से झड़पें हुई हैं. साथ ही बम भी फेंके गए.
ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 22 जून, 2019 4:23 PM
see more...https://khabar.ndtv.com/news/india/violence-broke-out-again-in-west-bengals-bhatpara-on-saturday-2057558 
बनासकांठा(गुजरात) में 5-6-2019 को 10.31PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.3,
    चक्रवाती तूफान 'वायु' फिर गुजरात की तरफ मुड़ा, कच्छ तट पर दे सकता है दस्तक
    चक्रवात ‘वायु’ के फिर अपना मार्ग बदलने और गुजरत के कच्छ तट पर दस्तक देने की संभावना है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
ख़बर न्यूज़ डेस्क, Updated: 14 जून, 2019 9:23 PM
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चक्रवात 'वायु' का असर, पोरबंदर का भूतेश्वर महादेव मंदिर ढहा
    Publish Date:Thu, 13 Jun 2019 07:06 PM (IST)
    see more...https://www.jagran.com/news/national-cyclone-vayu-portion-of-porbandar-bhuteshwar-mahadev-temple-collapses-19309253.html
    पाकिस्तान से आ रही धूल भरी आंधी, उत्तर भारत में अलर्ट, दिल्ली में सांस लेना हो सकता है मुश्किल
    न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Wed, 12 Jun 2019 07:30 PM IST
    see more...https://www.amarujala.com/india-news/know-all-about-big-storm-coming-from-pakistan-and-afghanistan-like-vayu-alert-in-north-india
    पाकिस्तान से आ रहे तूफान की चपेट में उत्तर भारत, अगले 48 घंटे होंगे अहम; अलर्ट जारी
    Publish Date:Thu, 13 Jun 2019 07:12 AM (IST)
    see more...https://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-ncr-know-about-this-big-storm-which-is-coming-from-pakistan-and-afghanistan-jagran-special-19305265.html
Publish Date:Thu, 12 Jun 2019 07:12 AM (IST)
    पाकिस्तान से आ रहे तूफान की चपेट में उत्तर भारत, अगले 48 घंटे होंगे अहम; अलर्ट जारीsee more...https://www.patrika.com/miscellenous-india/big-duststorm-coming-in-north-india-including-delhi-ncr-today-from-pakistan-and-afghanistan-4699817/
भूकंप :कश्मीर घाटी में(केंद्र पकिस्तान )12 -6 -2019 को 8.40 AM को 5.3 तीव्रता 'वातज'
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में'सूर्यज'भूकंप :14 -6 -2019 को दिन में 12.07 PM भूकंप ,तीव्रता 3.8
भूकंप :हिमाचल के मंडी में 26-6-2019 को 9.45PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 5.1
भूकंप :जयपुर में 3-7-2019 को 8.59PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.5
हिंदू कुशमें 'सूर्यज'भूकंप :4 -7 -2019 को दिन में 9.50AM ,तीव्रता 5.5
उत्तरकाशी में'सूर्यज'भूकंप :6-7-2019 को सायं 9.00 PM भूकंप ,तीव्रता 3.1
शिमला में 10-7-2019 को 7.55 PM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 3.1
भूकंप -देहरादून (यमुनाघाटी) में 14 -7-2019 / 3:42PM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
भूकंप:जम्मूकश्मीर (घाटी) में 14 -7-2019 / 9.56 PM 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता 3.6
भूकंप-हिमाचल (किन्नौर)पिथौरागढ़ में'चन्द्रज'भूकंप :23 -7 -2019 को दिन में 5.41 PM ,तीव्रता 3.3
भूकंप :हिमाचल (चंबा)में 25-7-2019 को 00.47AM 'वातज' भूकंप !तीव्रता 4.0
भूकंप :जम्मूकश्मीर में ,हिमाचल और बंगाल के (पुरुलिया ) में 29-7-2019 को 'वातज' भूकंप !
    पाक ने सुलगाई सीमा: पाकिस्तान ने किया तोपखाने का इस्तेमाल, मिला करारा जवाब
    Publish Date:Wed, 31 Jul 2019 08:14 AM (IST)
    पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को सरहद को पूरी तरह सुलगा दिया। पाकिस्तान ने सुबह जम्मू जिले की अखनूर तहसील के केरी बट्टल में गोलाबारी की और शाम को उत्तरी कश्मीर के गुरेज (बांडीपोर) में घुसपैठ करवाने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हर मोर्चे पर करारा जवाब दिया।see more...https://www.jagran.com/jammu-and-kashmir/srinagar-loc-pakistan-used-artillery-use-19448447.html
    जम्मू-कश्मीर: शोपियां में सेना ने आतंकियों को घेरा, मुठभेड़ में एक जवान शहीद
    जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से लगातार सुरक्षाबलों ने आतंकियों को निशाने पर लिया हुआ है. शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच लगातार दूसरे दिन मुठभेड़ हुई है.
    शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ (फाइल फोटो) शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ (फाइल फोटो)
    श्रीनगर, 02 अगस्त 2019, अपडेटेड 09:49 IST
    जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है. इस मुठभेड़ में एक जवान के शहीद हो गया है. बताया जा रहा है कि सेना की see more...https://aajtak.intoday.in/story/jammu-kashmir-shopian-encounter-security-forces-militants-1-1107129.html
    पुलवामा में सुरक्षाबलों के काफिले पर फिर हमला, आतंकियों ने किया IED ब्‍लास्‍ट
    आतंकियों ने पुलवामा के जाहिदबाग इलाके में 55 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स की गाड़ी पर हमला किया है.Updated:Aug 2, 2019, 08:12 AM ISTज़ी न्यूज़ डेस्क
    नई दिल्‍ली : जम्‍मू और कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक बार फिर पुलवामा हमले को दोहराने की साजिश रची. आतंकियों ने पुलवामा के जाहिदबाग इलाके में 55 राष्‍ट्रीय राइफल्‍स की गाड़ी पर हमला किया है. आतंकियों ने वाहन पर आईईडी ब्‍लास्‍ट के जरिये हमला किया है.see more....https://zeenews.india.com/hindi/india/states/terrorist-ied-blast-on-security-forces-in-pulwama-jammu-kashmir/557940
    अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने की फिराक में थे आतंकी, यात्रा मार्ग से आइईडी- स्नाइपर राइफल बरामद!
    Publish Date:Fri, 02 Aug 2019 04:41 PM (IST
    see more...https://www.jagran.com/news/national-indian-army-said-pakistan-army-is-involved-in-terrorism-in-kashmir-this-will-not-be-tolerated-19455180.html
  पाकिस्तान सेना की शह पर घाटी में पनप रहा आतंक, 83 फीसदी आतंकी पहले थे पत्थरबाज: आर्मी
 जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा को लेकर जारी हलचलों के बीच सेना और अन्य सुरक्षाबलों के अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान की शह पर कश्मीर घाटी में आतंकवाद पल रहा है, लेकिन इन्हें कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 02 Aug 2019, 03:58:47 PM IST
see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/83-percent-of-terrorist-were-stone-pelters-in-valley-said-indian-army/articleshow/70497419.cms  
ऑपरेशन ऑलआउट से आतंकी हताश, कश्मीर में पाक की बड़े खून खराबे की साजिश!
    Publish Date:Sun, 04 Aug 2019 01:33 PM (IST)
    see more...https://www.jagran.com/news/national-pakistan-playing-a-big-conspiracy-about-kashmir-19460057.html
जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों से मुठभेड़ में एक जवान शहीद
    Updated 03 Aug 2019 08:09 AM
    भारी मात्रा में हथियार बरामद. पंजाब के बॉर्डर इलाकों में हाई अलर्टsee more...https://abpnews.abplive.in/videos/top-new-of-amarnath-yatra-1178009
  भारतीय सेना की बड़ी कार्रवाई, 36 घंटे में पाकिस्तान के सात BAT कमांडो मार गिराए
    Publish Date:Sun, 04 Aug 2019 06:36 AM (IST)
    see more....https://www.jagran.com/news/national-indian-army-killed-7-pakistani-border-action-team-commando-in-keran-sector-19458840.html
    पाकिस्‍तान ने सुलगाई सीमा, आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश, सेना ने किया नाकाम, जवान घायल
    Publish Date:Tue, 06 Aug 2019 03:13 PM (IST)
    see more....https://www.jagran.com/news/national-indian-army-major-infiltration-bid-foiled-by-pakistan-in-macchal-sector-of-jammu-kashmir-19465306.html
  अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में कई जगहों पर पत्थरबाजी
    नई दिल्ली, 06 अगस्त 2019, अपडेटेड 14:39 IST
    जम्मू-कश्मीर से छिटपुट विरोध और हिंसा की खबरें हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मंगलावर को श्रीनगर के कुछ इलाकों में कुल लोगों ने पत्थरबाजी की है. श्रीनगर के करीब 9 जगहों पर पत्थरबाजी की खबरें सामने आई हैं. मिली जानकारी के मुताबिक हाजी बाग कैंप, सोम्यार मंदिर, इस्लामियां कॉलेज, छोटा बाजार समेत 9 इलाकों में अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी की हैsee more...https://aajtak.intoday.in/story/jammu-and-kashmir-article-370-nda-government-stone-pelting-srinagar-amit-shah-narednra-modi-1-1108331.html
    जम्मू कश्मीर में संभावित आतंकी हमले के पीछे मसूद अजहर का भाई का हाथ, जानिए 10 बातें
    शिशिर गुप्ता (हिटी),नई दिल्ली। Last updated: Sat, 03 Aug 2019 12:59 PM IST
    भारतीय खुफिया एजेंसियों को घाटी में संभावित आत्मघाती हमले और सोपोर में सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों, खासकर जैश ए मोहम्मद की तरफ से आईईडी ब्लास्ट के जरिए निशाना बनाने की रिपोर्ट्स मिली है।see more...https://www.livehindustan.com/national/story-directs-links-of-amarnath-yatra-curtail-in-kashmir-to-masood-azhar-elder-brother-know-10-things-2668340.html
     जम्मू कश्मीर में संभावित आतंकी हमले के पीछे मसूद अजहर का भाई का हाथ, जानिए 10 बातें
    शिशिर गुप्ता (हिटी),नई दिल्ली। Last updated: Sat, 03 Aug 2019 12:59 PM IST
    भारतीय खुफिया एजेंसियों को घाटी में संभावित आत्मघाती हमले और सोपोर में सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों, खासकर जैश ए मोहम्मद की तरफ से आईईडी ब्लास्ट के जरिए निशाना बनाने की रिपोर्ट्स मिली है।see more...https://www.livehindustan.com/national/story-directs-links-of-amarnath-yatra-curtail-in-kashmir-to-masood-azhar-elder-brother-know-10-things-2668340.html
    इमरान ने फिर बुलाई हाई लेवल मीटिंग, भारत-पाकिस्तान के बीच चरम पर तनाव!
    Publish Date:Wed, 07 Aug 2019 09:39 AM (IST) अनुच्छेद-370(Article 370) को निरस्त करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान तिलमिला उठा है।see more...https://www.jagran.com/world/pakistan-pakistan-is-stunned-by-the-removal-of-article-370-imran-will-again-call-a-meeting-of-the-security-committee-19467938.html
     कश्मीर पर पाक सेना प्रमुख की धमकी- हम किसी भी हद तक जा सकते हैं
 aajtak.in    06 अगस्त 2019कश्मीर पर पाक सेना प्रमुख की धमकी- हम किसी भी हद तक जा सकते हैं
see more....https://aajtak.intoday.in/gallery/pak-army-on-kashmir-article-370-prepared-to-go-to-any-extent-tstp-1-37451.html
   पिथौरागढ़ में भूकंप:1-8-2019 को रात्रि में 10.22 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता2.8 \
हिमाचल: बादल फटने के बाद नाले में आई बाढ़, ऐसे बची ग्रामीणों की जान, तस्वीरों में देखें तबाही
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिमला, Updated Wed, 07 Aug 2019 12:47 PM IST
see more...https://www.amarujala.com/photo-gallery/shimla/pics-of-cloudburst-and-flash-flood-in-manali-himachal
भूकंप-कोलकाता में'सूर्यज'भूकंप :3-8 -2019 को दिन में 4:29 PM ,तीव्रता 3.6
भूकंप :अफगानिस्‍तान से दिल्‍ली तक8-8-2019को 6.15AM में आया 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 5.9
अनुच्छेद 370: पाकिस्तानी आतंकी भारत पर कर सकते हैं हमला, हाई अलर्ट पर नौसेना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Fri, 09 Aug 2019 04:47 PM IST
see more...https://www.amarujala.com/india-news/article-370-navy-puts-all-its-bases-and-warships-on-high-alert-as-terrorists-can-carry-out-attack
    गुजरात: भारी बारिश के बाद नाडियाड में गिरी इमारत, 4 लोगों की मौत
नाडियाड, 10 अगस्त 2019, अपडेटेड 07:02 ISTsee more...https://aajtak.intoday.in/story/gujarat-heavy-rain-nadiad-apartment-collapse-several-people-trapped-rescue-operation-underway-1-1109505.html
    JK: पाकिस्तानी पत्रकार का दावा, LoC की ओर बढ़ रही है पाक सेना
हामिद मीर पाकिस्तान के पत्रकार हैं. हामिद मीर का दावा है कि पाकिस्तान सेना की मूवमेंट पिछली रात से हो रही है. उन्होंने कहा है कि पीओेके में लोग पाकिस्तान की सेना का स्वागत कर रहे हैं. बता दें कि हामिद see more...https://aajtak.intoday.in/story/pakistan-journalist-hamid-mir-claims-pak-army-moving-towards-loc-in-jammu-kashmir-1-1109817.html
   अनुच्छेद 370: बौखालाया पाक रच रहा साजिश, तीन नौसैनिक बंदरगाहों को कराया खाली न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Sun, 11 Aug 2019 11:09 AM IST
see more....https://www.amarujala.com/india-news/article-370-satellites-images-show-pakistan-is-planning-something-sinister-against-india 
पाकिस्तान रच रहा है खतरनाक साजिश! सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरें
    Updated: August 10, 2019, 9:11 AM IST
    see more...https://hindi.news18.com/news/world/pakistan-dangerous-conspiracy-planning-after-article-370-was-removed-from-jammu-kashmir-2310070.html
    कश्मीर में आतंकी हमले कराने की फिराक में पाकिस्तान, हाई अलर्ट पर सुरक्षाबल!
नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 16 Aug 2019, 07:19:18 PM IST
   see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/jammu-kashmir-security-forces-on-high-alert-pakistan-backed-terrorist-may-attack/articleshow/70701273.cms
      LoC पर पाकिस्‍तान ने की गोलाबारी तो उसे मुंह की खानी पड़ी, भारत ने 4 सैनिक किए ढेर, कई PAK बंकर भी तबाह!Aug 16, 2019, 08:15 AM IST see more...https://zeenews.india.com/hindi/pakistan-china/kashmir-pakistan-cease-fire-violation-at-loc-4-pakistani-rangers-killed/563223 
     LoC पर पाकिस्‍तान ने की गोलाबारी तो उसे मुंह की खानी पड़ी, भारत ने 4 सैनिक किए ढेर, कई PAK बंकर भी तबाह!Aug 16, 2019, 08:15 AM IST see more...https://zeenews.india.com/hindi/pakistan-china/kashmir-pakistan-cease-fire-violation-at-loc-4-pakistani-rangers-killed/563223
        कश्मीर में आतंकी हमले कराने की फिराक में पाकिस्तान, हाई अलर्ट पर सुरक्षाबल!
    नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 16 Aug 2019, 07:19:18 PM IST
    see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/state/jammu-and-kashmir/srinagar/jammu-kashmir-security-forces-on-high-alert-pakistan-backed-terrorist-may-attack/articleshow/70701273.cms
एजेंसियां | Updated: 18 Aug 2019, 09:07:43 AM IST
    काबुल के वेडिंग हॉल में जोरदार विस्‍फोट, 40 लोगों की मौत, 100 से ज्‍यादा घायल!
    अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के मुताबिक, घटना 17Aug 2019 शनिवार रात स्थानीय समय के अनुसार 10.40 (भारतीय समयानुसार रात 11.40) बजे की है।
    काबुल में इस महीने यह दूसरा बड़ा हमला है। 8 अगस्त को हुए धमाके में 14 लोग मारे गए थे, जबकि 145 घायल हुए थे। पश्चिमी इलाके में अफगान सुरक्षाकर्मियों को तालिबान ने अपना निशाना बनाया था।see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/bomb-blast-in-wedding-ceremony-in-kabul-dozen-people-feared-death/articleshow/70720271.cms 
अफ़ग़ानिस्तान: तालिबान का हमला, 14 की मौत !
    8 अगस्त 2019
    अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में 8-8-2019 \11.20AM पर एक पुलिस स्टेशन के बाहर हुए ज़ोरदार बम धमाके में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और करीब 150 लोग घायल हैंsee more....https://www.bbc.com/hindi/international-49273160
    भारत में PaK खुफिया एजेंसी ISI एजेंट के साथ दाखिल हुए 4 आतंकी, देशभर में हाई अलर्ट जारी
    Publish Date:Tue, 20 Aug 2019 11:36 AM (IST)
    see more....https://www.jagran.com/news/national-four-terrorists-along-pakistan-isi-agent-enter-countrywide-high-alert-sounded-rajasthan-and-gujarat-border-19502566.html
 भारत ने दिया कड़ा जवाब: पाकिस्‍तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
    Publish Date:Wed, 21 Aug 2019 07:23 AM (IST)
    see more...https://www.jagran.com/news/national-india-gave-tough-response-pakistan-posts-destroyed-many-pakistani-soldiers-killed-19504859.html
    J-K: खत्म हुआ बारामूला एनकाउंटर, SPO शहीद, एक आतंकी भी ढेर
    अनुच्छेद 370 हटने के 16 दिन बाद यानी मंगलवार को सुरक्षाबलों ने बारामूला में आतंकियों को घेर लिया था. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया !नई दिल्ली, 21 अगस्त 2019, अपडेटेड 10:10 IST
see more...https://aajtak.intoday.in/story/jammu-kashmir-baramulla-encounter-spo-martyr-terrorist-killed-1-1112273.html 
भूकंप - पकिस्तान में 10-8-2019 / 11:43 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.5\
    लद्दाख सीमा के पास पाकिस्तान तैनात कर रहा लड़ाकू जेट, ना'पाक' साजिश पर सेना की कड़ी नजर !
    Publish Date:Mon, 12 Aug 2019 12:38 PM (IST)
    पाकिस्तान वायुसेना के तीन सी-130 परिवहन विमानों को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सीमा के पास पाकिस्तान के स्कार्दू हवाई अड्डे पर तैनात किया गया है। इस ख़बर के सामने आने के बाद संबंधित भारतीय एजेंसियां ​​सीमावर्ती क्षेत्रोंsee more...https://www.jagran.com/news/national-pakistan-deploying-fighter-jets-to-skardu-near-ladakh-border-india-watching-closely-19482542.html
Pok का इमरान खान के मुंह पर करारा तमाचा, लगे 'वापस जाओ' के नारे
    पाकिस्‍तान के स्‍वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाक अधिकृत कश्‍मीर की विधानसभा को संबोधित किया. बलूचिस्‍तान के लोग इसके बाद सड़क पर उतर आए और पाकिस्‍तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
    Pok का इमरान खान के मुंह पर करारा तमाचा, लगे 'वापस जाओ' के नारे
    पाक अधिकृत कश्‍मीर के लोगों ने सड़क पर उतरकर पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का विरोध प्रदर्शन किया.
    News18Hindi    Updated: August 15, 2019, 6:51 PM IST
    see more..https://hindi.news18.com/news/nation/pok-protest-against-pakistani-pm-imarn-khan-on-14-august-2019-demanded-their-independence-2327995.html
  पाकिस्तान ने जम्मू की कृष्णा घाटी और कश्मीर के नौगाम सेक्टर में की गोलाबारी
    भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया, सुबह सात बजे से साम साढ़े पांच बजे के बीच चलती रही फायरिंग
    Reported by: राजीव रंजन, Edited by: सूर्यकांत पाठक, Updated: 15 अगस्त, 2019 7:49 PM
    see more...https://khabar.ndtv.com/news/india/pakistan-shells-in-jammus-krishna-valley-and-kashmirs-naugam-sector-2085629
    कश्मीर में आतंकी हमले कराने की फिराक में पाकिस्तान, हाई अलर्ट पर सुरक्षाबल!
    नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 16 Aug 2019, 07:19:18 PM IST
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     LoC पर पाकिस्‍तान ने की गोलाबारी तो उसे मुंह की खानी पड़ी, भारत ने 4 सैनिक किए ढेर, कई PAK बंकर भी तबाह!Aug 16, 2019, 08:15 AM IST see more...https://zeenews.india.com/hindi/pakistan-china/kashmir-pakistan-cease-fire-violation-at-loc-4-pakistani-rangers-killed/563223
    भारत ने पाकिस्‍तानी गोलीबारी का दिया मुंहतोड़ जवाब, दुश्‍मन के सात सैनिक मार गिराए
    Publish Date:Sun, 18 Aug 2019 09:36 AM (IST)
    शनिवार सुबह पाक सेना ने जम्मू संभाग के राजौरी जिले की नौशहरा तहसील के कलाल सेक्टर और पुंछ के मनकोट सेक्टर में भारी गोलाबारी की।इससे नौशहरा सेक्टर में भारतीय सेना के एक लांस नायक शहीद हो गए। लेकिन इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाक सेना की तीन चौकियां तबाह कर दीं। इस कार्रवाई में पाक सेना के दो अधिकारियों और पांच सैनिकों के मारे जाने की भी सूचनाहै।seemore... https://www.jagran.com/news/national-pakistan-violates-ceasefire-along-loc-in-jammu-kashmir-rajouri-sector-one-soldier-martyred-19494157.html
भारत में PaK खुफिया एजेंसी ISI एजेंट के साथ दाखिल हुए 4 आतंकी, देशभर में हाई अलर्ट जारी
    Publish Date:Tue, 20 Aug 2019 11:36 AM (IST)
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भारत ने दिया कड़ा जवाब: पाकिस्‍तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
    Publish Date:Wed, 21 Aug 2019 07:23 AM (IST)
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    J-K: खत्म हुआ बारामूला एनकाउंटर, SPO शहीद, एक आतंकी भी ढेर
    अनुच्छेद 370 हटने के 16 दिन बाद यानी मंगलवार को सुरक्षाबलों ने बारामूला में आतंकियों को घेर लिया था. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया !नई दिल्ली, 21 अगस्त 2019, अपडेटेड 10:10 IST
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भूकंप - लेह में 13-8-2019 / 4:20 PM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 4.2\
    कश्मीर में आतंकी हमले कराने की फिराक में पाकिस्तान, हाई अलर्ट पर सुरक्षाबल!
    नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 16 Aug 2019, 07:19:18 PM IS
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    LoC पर पाकिस्‍तान ने की गोलाबारी तो उसे मुंह की खानी पड़ी, भारत ने 4 सैनिक किए ढेर, कई PAK बंकर भी तबाह!Aug 16, 2019, 08:15 AM IST see more...https://zeenews.india.com/hindi/pakistan-china/kashmir-pakistan-cease-fire-violation-at-loc-4-pakistani-rangers-killed/563223
भारत में PaK खुफिया एजेंसी ISI एजेंट के साथ दाखिल हुए 4 आतंकी, देशभर में हाई अलर्ट जारी
    Publish Date:Tue, 20 Aug 2019 11:36 AM (IST)
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        जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान ने पुंछ में तोड़ा सीजफायर, एक जवान शहीद और चार जख्मी
    पाकिस्तान ने आज एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सीजफायर का उल्लंघन किया. अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से की जा रही गोलीबारी में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया.
    By: एबीपी न्यूज़ | Updated: 20 Aug 2019 02:24 PM
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       भारत ने दिया कड़ा जवाब: पाकिस्‍तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
    Publish Date:Wed, 21 Aug 2019 07:23 AM (IST)
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        J-K: खत्म हुआ बारामूला एनकाउंटर, SPO शहीद, एक आतंकी भी ढेर
    अनुच्छेद 370 हटने के 16 दिन बाद यानी मंगलवार को सुरक्षाबलों ने बारामूला में आतंकियों को घेर लिया था. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया !नई दिल्ली, 21 अगस्त 2019, अपडेटेड 10:10 IST
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भूकंप - अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में 16-8-2019 / 7:39 AM ,सन्निपातज'भूकंप ! तीव्रता 5.1\
    भारत में PaK खुफिया एजेंसी ISI एजेंट के साथ दाखिल हुए 4 आतंकी, देशभर में हाई अलर्ट जारी
    Publish Date:Tue, 20 Aug 2019 11:36 AM (IST)
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    भारत ने दिया कड़ा जवाब: पाकिस्‍तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
    Publish Date:Wed, 21 Aug 2019 07:23 AM (IST)
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    J-K: खत्म हुआ बारामूला एनकाउंटर, SPO शहीद, एक आतंकी भी ढेर
    अनुच्छेद 370 हटने के 16 दिन बाद यानी मंगलवार को सुरक्षाबलों ने बारामूला में आतंकियों को घेर लिया था. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया !नई दिल्ली, 21 अगस्त 2019, अपडेटेड 10:10 IST
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    जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों का ट्रक समझकर पत्थरबाजों ने कर दिया हमला, ड्राइवर की मौत
    पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी आम लोगों पर भी पथराव करते रहे हैं और इस महीने की शुरुआत में श्रीनगर शहर में पथराव में 11 वर्षीय लड़की की आंख में चोट आई थी.
    Reported by: एजेंसियां, Updated: 26 अगस्त, 2019 8:56 AM
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    भारत में PaK खुफिया एजेंसी ISI एजेंट के साथ दाखिल हुए 4 आतंकी, देशभर में हाई अलर्ट जारी
    Publish Date:Tue, 20 Aug 2019 11:36 AM (IST)
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    भारत ने दिया कड़ा जवाब: पाकिस्‍तान की चौकियां तबाह, कई सैनिक मारे गए
    Publish Date:Wed, 21 Aug 2019 07:23 AM (IST)
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    J-K: खत्म हुआ बारामूला एनकाउंटर, SPO शहीद, एक आतंकी भी ढेर
    अनुच्छेद 370 हटने के 16 दिन बाद यानी मंगलवार को सुरक्षाबलों ने बारामूला में आतंकियों को घेर लिया था. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने एक आतंकी को मार गिराया !नई दिल्ली, 21 अगस्त 2019, अपडेटेड 10:10 IST
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भूकंप :भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्र 18-8-2019को 11.58AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.7 !
भूकंप:गुजरात (कच्छ ) में 19-8-2019 / 2.43 PM 'चन्द्रज' भूकंप !तीव्रता 4.2
भूकंप :चंबा में 22-8-2019को 4.50AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 2.7 ! \
    जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों का ट्रक समझकर पत्थरबाजों ने कर दिया हमला, ड्राइवर की मौत
    पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी आम लोगों पर भी पथराव करते रहे हैं और इस महीने की शुरुआत में श्रीनगर शहर में पथराव में 11 वर्षीय लड़की की आंख में चोट आई थी.
    Reported by: एजेंसियां, Updated: 26 अगस्त, 2019 8:56 AM
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भूकंप :कश्मीर में 23-8-2019को 11.39AM 'सूर्यजभूकंप' तीव्रता 4.1 !
जम्मू-कश्मीर: राजौरी जिले में LOC के पास पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में भारतीय सेना का एक जवान शहीद
जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया है.
By: एजेंसी| Updated: 23 Aug 2019 01:32 PM
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जम्मू-कश्मीर: सुरक्षाबलों का ट्रक समझकर पत्थरबाजों ने कर दिया हमला, ड्राइवर की मौत
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी आम लोगों पर भी पथराव करते रहे हैं और इस महीने की शुरुआत में श्रीनगर शहर में पथराव में 11 वर्षीय लड़की की आंख में चोट आई थी.
Reported by: एजेंसियां, Updated: 26 अगस्त, 2019 8:56 AM
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109. झज्झर में 9-7-2018 /11.37AM बजे ,तीव्रता3.0'सन्निपातज'भूकंप !
  नेपाल -भूकंप
1. 28-11-2016 प्रातः 5.5 पर आया 'सूर्यज' भूकंप ! इसकी थी तीव्रता 5.6 ,केंद्र नेपाल चीन सीमा पर "सोलुखुम्बु जिला "
      चीन ने नेपाल के साथ मिलकर भारत को दिया ये बड़ा झटका !भारत को चोट देने वाली ये डील पक्की तो 28 -11 -2016 के भूकंप के तुरन्त बाद हुई किंतु घोषणा 8 दिसंबर को हुईsee more...http://www.amarujala.com/world/china/nepal-china-telecom-companies-sign-deal

2.  भारत-नेपाल सीमा,(उत्तराखंड धारचूला) में चंद्रज भूकंप 1-12-2016 को,10.35 PM ,तीव्रता 5.2
3.भूकंप नेपाल में 27 फ़रवरी 2017 को -"सूर्यजभूकंप"!
     नेपाल में मध्यम तीव्रता वाले भूकंप के दो झटके महसूस किए गए स्थानीय समयानुसार सोमवार 27, फ़रवरी 2017 सुबह 9 बजकर 22 मिनट पर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. इसके बाद सुबह 10 बजकर छह मिनट पर 4.7 तीव्रता का भूकंप आया.
 सीमा पर बढ़ा तनाव, किसानों को डर-गेहूं की तैयार फसल में आग लगा सकते हैं नेपाली !   see more.... http://navbharattimes.indiatimes.com/india/nepalese-burn-down-ssb-hut-border-tense/articleshow/57804205.cms?utm_source=facebook.com&utm_medium=referral&utm_campaign=nepal240317
  चीन में भूकंप !
        25\26 नवंबर 2016 रात 10.30 बजे आया चीन में आया 'वातज' भूकंप !तीव्रता 6.9
     प्राकृतिक घटनाएँ आपस में प्रायः एक दूसरे के साथ जुड़ी होती हैं !
 तबले पर थाप देते समय अलग अलग अँगुलियाँ हथेली आदि अलग अलग प्रकार से एक एक करके अपनी अपनी भूमिका अदा कर रहे होते हैं जिसमें प्रत्येक थाप पर सभी अँगुलियों की भूमिका एक एक करके बदलती रहती है |इसके बाद भी उन दोनों हाथों में एवं दोनों हाथों की अँगुलियों में परस्पर इतना अच्छा तालमेल होता है कि सब अपनी अपनी बारी पर ही आवश्यकतानुसार ही अपनी अपनी भूमिका अदा करते हैं | इसमें कभी ऐसा भी नहीं होता है कि एक अँगुली जब अपनी थाप दे रही होती है उस समय दूसरी अँगुलियाँ शांत एवं तटस्थ नहीं होती हैं अपितु वे भी अपनी अपनी भूमिका किसी न किसी रूप में अवश्य अदा कर रही होती हैं |
      इसीप्रकार से प्राकृतिक घटनाओं का भी आपस में अद्भुत तालमेल होता है जिस प्रकार से वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान वायु प्रदूषण भूकंप आदि जितने भी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ हो सकती हैं या होती हैं उनमें से अधिकाँश घटनाएँ एक दूसरे से संबंधित होती हैं या यूँ कह लें कि एक दूसरे के बारे में कुछ न कुछ संकेत अवश्य  दे रही होती हैं जो भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं से संबंध रखते हैं | प्रकृति में आज घटित हो रही कोई घटना भविष्य में घटित होने वाली किसी दूसरी घटना की सूचना दे रही होती है| जबकि आज घटित होते दिख रही घटना के विषय में भी  इसकी पूर्वसूचना किसी न किसी घटना के द्वारा आज से कुछ सप्ताह पहले प्रकृति के द्वारा अवश्य दी जा चुकी होगी  |
     प्रकृति में कोई घटना अकेली कभी नहीं घटित होती है अपितु प्रत्येक घटना के पीछे घटनाओं का एक समूह होता है जिसमें मुख्य घटना तो एक ही होती है किंतु उसके लक्षणों को व्यक्त करने वाली छोटी छोटी घटनाएँ अनेकों होती हैं |जिस प्रकार से किसी एक चार पहिए वाली गाड़ी का कोई एक पहिया किसी गड्ढे में गिर जाता है तो उसका असर उन बाकी पहियों पर भी पड़ता है और गाड़ी पर भी पड़ता है उसकी गति रूक जाती है !इसीप्रकार से प्रकृति में स्थान स्थान पर अलग अलग समयों में घटित होने वाली घटनाओं के अन्य प्राकृतिक घटनाओं के साथ अंतर्संबंध अवश्य होते हैं |सभी प्राकृतिक घटनाएँ किसी माला के मोतियों की तरह एक दूसरे के साथ गुथी होती हैं |
       प्रकृति में अचानक कभी कोई घटना नहीं घटित होती है प्रत्येक घटना की सूचना प्रकृति कुछ महीने सप्ताह आदि पहले अवश्य देने लगती है बाद वो घटना घटित होती है | प्रकृति के उन संकेतों को समझ न पाने के कारण हमें आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ यहाँ तक कि भूकंप जैसी घटनाएँ अचानक घटित हुई लगती हैं जबकि वे घटनाएँ बहुत पहले से निश्चित होती हैं और धीरे धीरे घटित होती जा रही होती हैं |
      प्रकृति में जो भी घटना जब कभी भी घटित होते दिख रही होती है तो उस घटना को बहुत ध्यान से देखे जाने की आवश्यकता होती है !उसके छै महीने पहले से उस क्षेत्र में घटित हो रही छोटी बड़ी सभी घटनाओं पर दृष्टिपात करना होता है उन घटनाओं के स्वभाव का ध्यान रखना होता है उनसे प्राप्त संकेतों को समझकर वर्तमान घटना के स्वभाव के साथ उन्हें जोड़कर उसका संयुक्त अध्ययन करना होता है !जिससे यह पता लगाना आसान होता है कि भूकंप आदि जो घटना घटित होते आज दिख रही होती है इसका निर्माण कितने पहले से होना प्रारंभ हो चुका था और इससे पहले कौन कौन सी प्राकृतिक घटनाएँ किस किस समय घटित हुई थीं जिनके द्वारा भूकंप जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना संभव हो सकता था |
      जिस क्षेत्र में जिस प्रकार की घटना घटित होनी होती है वह पंचतत्वों में से जिस तत्व की अधिकता के कारण घटित होनी होती है उस तत्व का अतिरिक्त संग्रह उस क्षेत्र में लगभग 200 दिन पहले से प्रारंभ होने लगता है यही उस घटना का गर्भप्रवेश काल होता है जो अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण प्रारंभ में तो नहीं दिखाई पड़ता है किंतु धीरे धीरे घटनाओं का स्वरूप बढ़ने लगता है और उन घटनाओं के गर्भ लक्षण प्रकट होने लगते हैं |
     प्रकृति की तरह ही मनुष्यादि जातियों में भी गर्भकाल अलग अलग हो सकता है किंतु प्रक्रिया यही रहती है वहाँ भी गर्भकाल के प्रारंभिक समय में गर्भ लक्षण दिखाई भले न पड़ें किंतु धीरे धीरे जैसे जैसे समय बीतते जाता है गर्भ लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं जिन्हें देखकर विशेषज्ञ लोग इस बात का अंदाजा लगा लिया करते हैं कि इस गर्भ को अभी कितने महीने बीते होंगे उसके साथ ही इस बात का पूर्वानुमान भी लगा लेते हैं कि इस गर्भ का प्रसव लगभग कितने सप्ताह बाद होगा !किंतु यह पूर्वानुमान लगाना हर किसी के बश की बात नहीं होती है यह तो केवल कोई विशेषज्ञ ही लगा सकता है |
          प्रकृति में घटित होने वाली अन्य घटनाओं की तरह ही भूकंप जैसी बड़ी घटनाओं के घटित होने के 200 दिन पूर्व से उस क्षेत्र की प्रकृति में भी उस प्रकार के बदलाव होने प्रारंभ हो जाते हैं |वहाँ के वायुमंडल में उसी  प्रकार के परिवर्तन होने लगते हैं यहाँ तक कि पहाड़ों के स्वरूप रंग आदि में सूक्ष्म परिवर्तन होने  लगते हैं | उस क्षेत्र के पेड़ पौधों की बनावट एवं उनकी पत्तियों के आकार प्रकार रंगरूप एवं उनके फूलने फलने के ढंग में उसप्रकार का बदलाव आने लगता है | फूलों फलों के सुगंध स्वाद आदि में उस प्रकार का अंतर आने लगता है |कुलमिलाकर उस क्षेत्र की प्रकृति का क्रम हिलने सा लगता है |
     इसीप्रकार से उसका असर सभी प्राणियों पर पड़ने लगता है इसलिए उनके स्वास्थ्य स्वभाव आदि में उस प्रकार के परिवर्तन आने लगते हैं !जिसके कारण उनके स्वभाव व्यवहार आदि में बदलाव होने लगते हैं | जिसे पहचान कर कई बार लोगों ने भूकंप आदि घटनाओं से जोड़कर देखने का प्रयास भी किया है किंतु वे सभी प्रकार के भूकंपों में एक जैसी मानसिकता रखते हैं और प्रकृति तथा जीवों के स्वभाव में उसी एक प्रकार के बदलाव खोजने लगते हैं जबकि भूकंप अलग अलग प्रकार के होते हैं उनका स्वभाव अलग अलग होता है उसका असर अलग अलग होता है | जो जैसा भूकंप होता है वैसे जीवों पर ही उस प्रकार का उसका असर जीवन पर पड़ता है !सूर्य के प्रभाव से निर्मित भूकंप के आने के कुछ महीने पहले से उस क्षेत्र के वाता वरण में गर्मी बढ़ने लग जाती है गर्मी से होने वाले रोग होने लगते हैं इसीलिए अधिक गर्मी न सहपाने वाले जीव जंतुओं में ऐसे समय बेचैनी  बढ़ने लगती है |
     इसी प्रकार से कुछ भूकंप चंद्र के प्रभाव से निर्मित होते हैं उसमें प्राकृतिक वातावरण तो बहुत हरा भरा बना रहता है किंतु अधिक सर्दी न सह पाने वाले जीव जंतुओं के स्वभावों में उस प्रकार के बदलाव आने लगते हैं |
     ये असर मनुष्यजीवन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगता है मनुष्यों के भी स्वास्थ्य एवं स्वभाव में उसी प्रकार के विकार होने लगते हैं |लोगों का चिंतन भी उसी प्रभाव से भावित होने लगता है |
गढी माई मेला पाँच-पाँच वर्षमें अगहन शुक्लपक्ष में लगा करता है ।Read more https://www.himalini.com/18848/08/19/12/
    कई बार कोई दो प्राकृतिक घटनाएँ कुछ समय दिनों के अंतराल में घटित होती है |उसके द्वारा दो प्रकार की सूचनाएँ मिलनी होती हैं पहली या तो उस क्षेत्र में और अधिक एवं लम्बे समय तक वर्षा होनी होती है या फिर प्रभाव से तत्काल वर्षा बंद होने की सूचना दे रहा होता है भूकंप !
     जिसका का समाज पर यदि कुछ ऐसा प्रभाव प्रकृति अपने अंदर जब कोई नया बदलाव कर रही होती है उसी समय यदि अचानक कोई भूकंप आ जाता है तो वो उस बदलाव से संबंधित कोई बड़ी सूचना दे रहा होता है वो बदलाव अच्छा हो रहा है या बुरा इसकी सूचना दे रहा होता है  है तो क्या और किस प्रकार से उसका अधिक से अधिक उपयोग समाज हित  में किया जा सकता है और यदि बुरा है तो किस किस प्रकार से क्या हानि होने की संभावना है इससे संबंधित कोई सूचना भूकंप दे रहा होता है |
  !तथा जब कोई नया बहुत कुछ भूकंप समाज के लिए बहुत सहायक होते हैं कई बार तो इतनी अधिक आवश्यक सूचनाएँ दे रहे होते हैं कि उसके विषय में सरकार समाज या लोगों को पहले से पता लग जाए तो कई बड़ी दुर्घटनाएँ टाली जा सकती हैं या फिर प्रयास पूर्वक उन दुर्घटनाओं के दुष्प्रभाव को घटा कर जन धन की हानि को कम किया जा सकता है | 
    कई बड़े दंगे टाले जा सकते हैं !कई आतंकवादी घटनाओं एवं बम विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को घटाया जा सकता है !
    किसी क्षेत्र में कोई हिंसक आंदोलन छिड़ना होता है तो भूकंप आता है कहीं यदि आतंकवादी हमला या  बमविस्फोट आदि होना होता है तो वहाँ भूकंप आते हैं !किसी बड़े नेता की रैली या कोई बड़ा आंदोलन यदि हिंसक होने की संभावना होती है तो भूकंप आता है !किसी राज्य या देश का कोई चुनाव हो रहा होता है उसमें यदि हिंसा भड़कने की संभावना होती है तो भूकंप आता है !चुनाव हो रहा होता है कोई सरकार बन या बिगड़ रही होती है तो भूकंप आता है !   
पशु संहार के कारण आते हैं भूकंप -
      इंदौर के एचबी प्रकाशन से प्रकाशित एक "इटिमॉलॉजी ऑफ अर्थक्वेक्स, ए न्यू अप्रोच!" नामक ग्रन्थ कुछ विद्वान वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से प्रकाशित किया गया है !
    अभी तक मान्यता यही है कि भूकंप की भविष्यवाणी कर पाना लगभग असंभव  है. कारण ये है कि मनुष्य को भूकंप का ठीक-ठीक कारण नहीं पता है |उन वैज्ञानिकों का मानना है कि पशु-पक्षी तथा मछलियों की हत्या के क्रम में उन्हें जो दुख-दर्द और भय का अनुभव होता है, उसका घनीभूत रूप ही भूकंप का कारण बनता है उनका दावा है कि पीड़ा का अनुभव सचमुच भौतिक तरंगों को उत्पन्न करने में सक्षम है !
   जानकारी के अभाव में " भूगर्भवैज्ञानिकों को ये सिद्धांत भले समझ में न आवे किंतु इसकी सच्चाई और प्रमाणिकता को किसी भूगर्भवैज्ञानिक के समर्थन की आवश्यकता भी नहीं है | वैसे भी जिसने जिस विषय को पढ़ा ही नहीं है वह उस विषय में कुछ जानता ही नहीं होगा और जो जिस विषय को जानता ही नहीं है उसके समर्थन या विरोध का औचित्य ही क्या है ? जो जिस विषय के स्वभाव से सुपरिचित नहीं है ऐसे किसी अन्य विषय के विद्वान की सहमति लेनी आवश्यक भी नहीं होनी चाहिए !भूगर्भवैज्ञानिक भी तो अपने भूगर्भविज्ञान के आधार पर भी भूकंपों से संबंधित अनुसंधान को सुई की नोक के बराबर भी आगे नहीं बढ़ा सके हैं ऐसी परिस्थिति में भूकंपों से संबंधित अनुसंधान कार्यों में अभीतक असफल रहे लोगों की सहमति लेने का औचित्य ही क्या बचता है |
   वैसे भी बिन ड्राइवर की कार, बिन तार का टेलीफोन, बिजली पैदा करने वाली समुद्री तरंग और रोजमर्रा के बरताव का हिस्सा बन चुकी ऐसी हजारों चीजों का एक ना एक दिन मजाक उड़ाया गया था, उनकी संभावना के बारे में जब कोई सिद्धांत रूप में अपनी बात रखता था तो उसका मजाक उड़ाया जाता था!बाद में उन्हीं विषयों या सिद्धांतों को मान्यता मिल गई |
    कुल मिलाकर मन की शक्ति को समझने और विकसित करने की आवश्यकता है !भारत में ऐसे कई स्वामी हैं जो रोगों से छुटकारा दिलाते हैं और ध्यान केंद्रित कर लोगों के भविष्य बदल सकते हैं. तो मन और विचार की इस शक्ति की व्याख्या आप कैसे करेंगे ? कई बार ऐसा होता है कि आप किसी को याद कर रहे होते  हैं और कुछ ही मिनटों में उसका फोन आ जाता है तो हम इसे ‘संयोग’ कहते हैं. इसका एक नाम सिंक्रॉनिसिटी (समकालिकता) भी है इस शब्द का पहली दफे प्रयोग प्रसिद्ध एनालिटिकल सायकोलॉजिस्ट(मनोविज्ञानी) कार्ल युंग ने किया था |
     युंग का मानना था कि अगर किन्हीं दो घटनाओं में कार्य-कारण संबंध ना भी हो लेकिन वे इस तरह घटित हों कि उनके बीच सार्थक रिश्ता जान पड़े तो ऐसी घटनाओं को ‘सार्थक संयोग’ (मीनिंगफुल को-इन्सिडेंस) का नाम दिया जाता है |मन ऊर्जा की तरंगें उत्पन्न करता है |
    बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद जब शिकागो पहुँचे तो उन्होंने बड़ी दूर से ही एक खास इलाके की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस इलाके पर उदासी की गहरी छाया है. यह एक कसाईखाना था, अमेरिका का सबसे बड़ा ‘स्लॉटरहाऊस’! यहाँ जानवरों को काटने के लिए लाया जाता था. क्या उदासी की वो छाया निरीह पशुओं के दुख-दर्द और कराह से निकली तरंगों की देन थी?
    आज जिसे पैरा-नॉर्मल या अतीन्द्रिय (शायद नए साल में इसे ही नामर्ल यानी इंद्रियजन्य मान लिया जाय!) माना जाता है उसपर विश्वास करने वाले वैज्ञानिकों में सिर्फ युंग का ही नाम शुमार नहीं. आधुनिक विज्ञान के जनक कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी ईपीडब्ल्यू यानी आइंस्टीनियन पे’न वेव्ज् सिद्धांत की चर्चा की थी. यह सिद्धांत भूगर्भ विज्ञान से संबंधित है!
     कुल मिलाकर पशुओं के सामूहिक संहार से भूकंप का रिश्ता कायम करना संभव नहीं है !भूकंप कब और क्यों होते हैं- इसे अभीतक कोई नहीं जानता. सो, ऊपर जिस सिद्धांत का जिक्र आया है उसे भी उतना ही प्रामाणिक या अप्रामाणिक माना जा सकता है जितना भूंकप के बारे में किसी अन्य सिद्धांत को. बहुत संभव है, आगे के वक्त में भूकंप-विज्ञानी भी उसी निष्कर्ष पर पहुंचे जिसे हमारे ऋषि-मुनि सदियों से बताते आ रहे हैं कि ‘विश्वात्मा’ का मन दुनिया के तमाम उपकरणों से कहीं ज्यादा ताकतवर है |
   अभी तक दुनियाँ की उन तमाम जगहों की रिपोर्ट का संकलन किया गया है जहाँ भूकंप आए और जहाँ पशुओं को मारने के लिए कसाईखाने थे. ऐसी भी जगहों से रिपोर्ट संकलित की गई है जहाँ कसाईखाने भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों के नजदीक बनाये गए हैं.
     पे’न वेव्ज अर्थात पीड़ा के कारण उत्पन्न होने वाली तरंगें एक लंबी अवधि तक दबाव का क्षेत्र बनाते रहती हैं और जब यह दबाव अपने चरम-बिंदु पर पहुँच जाता है तो धरती की परत टूट जाती है और यह हादसा भूकंप का रूप ले लेता है! जानवरों को काटने के क्रम में उन्हें जिस पीड़ा का अहसास होता है उसमें चीख निकलती है, तनाव पैदा होता है और इन तमाम चीजों से भी पे’न वेव्ज का उसी तरीके से निर्माण होता है !ये पे’न वेव्ज धरती की परत में एक ना एक दिशा में चोट करती और दरार डॉलती हैं जो ‘सिस्मिक एनीसोट्रोफी’ अर्थात भूकंपीय चोट का कारण बनता है !
     ध्वनि से धरती की परत पर लगने वाला धक्का ही भूकंप का कारण बनता है. यह धक्का अगर हल्का हो तो भी धरती की परत में कंपन होती है लेकिन ऐसे कंपन को शायद ही कोई महसूस कर पाता हो.सालों साल लाखों की तादाद में जानवरों को मारने से आने वाले भूकंपों की तीव्रता रिक्टेल स्केल पर ज्यादा होती है.
     ध्वनि-तरंगें चट्टानों पर बहुत ज्यादा दबाव डॉलती हैं. रोजाना बड़ी तादाद में जानवरों को हत्या की जाय और ऐसा बरसों तक हो तो आइंस्टीनियन पेन वेव्ज के जरिए एकॉस्टिक एनिस्ट्रॉफी पैदा होती है. ऐसा मरते हुए जानवरों को पहुँचती पीड़ा के कारण होता है! ये ध्वनियाँ कालक्रम में लंबी दूरी तय करती हैं इसलिए किसी एक देश में बने कसाईखानों की वजह से दूसरे देश में भी भूकंप आ सकता है |
     कसाईखानों में बड़े पैमाने पर पशु-हत्या होने से भूकंप आते हैं. लातूर(खिलारी) के भूकंप, उत्तरकाशी में आये भूकंप तथा असम के भूकंप को मिसाल के रुप में गिनाया है. अमेरिका में आये नार्थरिज (1994), लांग बिच (कैलिफोर्निया – 1933), लैंडर्स (कैलिफोर्निया -1992), सैन फ्रांसिस्को (1906), न्यू मैड्रिड (मिसौरी – 1811-12) के भूकंप का भी किताब में उदाहरण दिया गया है. रूस के नेफगोर्स्क (1995) के भूकंप पर किताब में विस्तार से चर्चा है. जापान के कांटो (1923), नोबी (1891), किटा टांगो (1927), सांगकिरो सुनामी (1933), शिजुका (1935), टोंनाकल (1944), नानकई (1948), फुकुई (1948), ऑफ टोकाची (1952), किज्ता-मिनो (1961), निगाटा (1964), ऑफ टोकाची (1968), कोबे (1995) के भी भूकंप को उदाहरण के रुप में दर्ज किया गया है. नेपाल में गढ़ीमई में 1934 एवं 2015 में हुए पशु-संहार और वहाँ दोनों बार आए भीषण भूकंप इस बात के सशक्त उदाहरण हैं !
      क्या ऐसा संभव है ? हां, क्यों नहीं? गुरुत्वाकर्षण से संबंधित तरंगों(ग्रेविटेशनल वेव्ज) के बारे में एक सिद्धांत आइंस्टीन ने 1916 में बताया था. बरसों तक वैज्ञानिक इस सिद्धांत की खिल्ली उड़ाते रहे. सौ साल बाद, जब सही उपकरण तैयार हो गये तो फरवरी 2016 में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने ऐलान किया कि उन्होंने ग्रेविटेशनल वेव्ज को खोज निकाला है, उसे सुना और मापा है. इसे एक ऐतिहासिक खोज की संज्ञा दी गई और माना गया कि ग्रेविटेशनल वेव्ज के सहारे ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है| गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों से ऐसी सूचनाएँ  प्राप्त की जा सकती हैं जिससे ब्रह्मांड में किसी वस्तु की गति का पता चल सके |
     इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जब वैज्ञानिकों ने कुछ धारणाएँ  और सिद्धांत प्रस्तुत किये लेकिन उन्हें उस वक्त उपकरण ना होने के कारण मापा नहीं जा सका और ठीक इसी कारण धारणाओं को सच नहीं माना गया.! अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो अब भी सोचते हैं कि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) कोई सच्चाई नहीं बल्कि एक काल्पनिक कहानी है व्यक्तिगत रूप से मैं इस विषय में उनकी सोच से शतप्रतिशत सहमत हूँ |पे’न वेव्ज टैक्टोनिक प्लेटस में कंपन उत्पन्न करते हैं और यह कंपन भूकंप का कारण बनता है.अमेरिका का टेकोमा ब्रिज 1940 में गिर पड़ा था. दर्ज इतिहास में यह पहला ब्रिज था जिसके गिरने की वजह वहाँ का उस प्रकार का वायु-प्रवाह था ! इस वजह से ऊपर बहती हवा के साथ कंपायमान होकर पूरा ब्रिज ही गिर पड़ा|
  यदि वायुजनित कंपन पूरे ब्रिज के गिरने का कारण बन सकता है तो फिर मारे जाते जानवरों की पीड़ा से उत्पन्न पे’न वेव्ज से भूकंप क्यों नहीं आ सकते ? मारे जाते पशु को जो कष्ट पहुँचता है वो है क्या ? यह विशाल मात्रा में प्राण-ऊर्जा का निकलना ही तो है- एक ऐसी ऊर्जा जिसे हम अभी तक माप नहीं सके हैं |
    पशुओं के सामूहिक संहार के क्रम में उनके दुख-दर्द से पैदा होते पे’न वेव्ज तथा इनके महाविनाशकारी कंपन को माप सकने वाली प्रौद्योगिकी या कोई यंत्र तैयार न होने के कारण इसे कब तक नाकारा जाएगा |
     कई बार किसी स्थान विशेष पर यह प्राणऊर्जा बहुत लंबे समय तक स्थाई बनी रहती है जिसके कारण वहाँ लंबे समय तक भूकंप घटित होते रहते हैं !
    निरपराध लोगों को मारा जाए तो वहाँ भूकंप आते हैं !
      पारियात्र पर्वत जिसे बाद में हिंदूकुश कहा जाने लगा था उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप पर अरबों-तुर्कों के क़ब्ज़े के बाद हिंदुओं को ग़ुलाम बनाकर इन पर्वतों से ले जाया जाता था और उनमें से बहुत यहाँ बर्फ़ में मर जाया करते थे बहुतों को मार दिया जाता था ! हिंदूकुश एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ हिंदुओं को मारने का स्थान ।बताया जाता है कि एक समय में यहाँ पर हिंदुओं का बड़ा संहार हुआ था तभी से पारियात्र पर्वत को हिंदूकुश कहा जाने लगा था !उस समय हिंदुओं की प्राणपीड़ा से वहाँ की प्रकृति विक्षुब्ध हो गई थी तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं जिसका केंद्र हिंदूकुश होता है |
     आधुनिक भूकंपविज्ञान और भूकंपपूर्वानुमान
    भूकंप एक ऐसी आपदा जो बहुत ही मारक होती है लेकिन उसके आने की कोई जानकारी नहीं होती और इसलिए बचने के उपाय का सवाल ही कहाँ उठता है!भूंकप आने को लेकर यही अनिश्चततिता इसे और और अधिक खतरनाक बना देती है |भूकंप उन प्राकृतिक आपदाओं में से है जिसके आने का पूर्वानुमान बता पाने में विज्ञान असहाय है और इसके घटित होने का कारण क्या है इसमें भूकंप वैज्ञानिकों  कुछ काल्पनिक कथा कहानियों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है | सच्चाई के धरातल पर देखा जाए तो भूकंप के विषय में कुछ कहने बताने की दृष्टि से विश्व का वैज्ञानिक समुदाय बिलकुल खाली हाथ है | दुनियाँ  में अभी तक ऐसी कोई तकनीक नहीं खोजी जा सकी है जिसके द्वारा ये बताया जा सके कि किस समय दुनियाँ  में किस  जगह भूकंप आ सकता है| न ही ये बताया जा सकता है कि भूकंपों के आने का कारण क्या है  बताया भी  जा रहा है उसकी सच्चाई प्रमाणित होना अभी अवशेष है |
      कुछ लोग जमीन के अंदर की प्लेटों के आपस में टकराने या अंदर संचित गैसों के दबाव के कारण भूकंप आने की बातें कह कह कर  समाज का ध्यान भटकाने में सफल हो जाया करते हैं किंतु इसे आधार मानकर  भूकंपों के विषय में जो भी भविष्यवाणियाँ करते हैं या तीर तुक्के भिड़ाते हैं वे सभी गलत हो जाया करते हैं ऐसा वे स्वयं भी स्वीकार करते हैं |जिससे यह  स्वतः सिद्ध हो जाता है कि जिस प्रक्रिया को भूकंपविज्ञान मानकर भूकंप संबंधी अध्ययन अनुसंधान आदि चलाए जा रहे हैं या भविष्यवाणियाँ की जा रही हैं वो प्रक्रिया ही गलत है | क्योंकि उस प्रक्रिया या अनुसंधान का भूकंपों के घटित होने से कोई संबंध अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया है |
     यही कारण है कि भूकंपों के विषय में तरह तरह  की अनेकों भविष्यवाणियाँ अक्सर की जाती रहती हैं कभी किसी विश्व विद्यालय में रिसर्च के नाम पर तो कभी किसी दूसरे विश्वविद्यालय में किए गए रिसर्च के नाम पर थोड़े बहुत समय बाद कोई न कोई सुर्रा छोड़ दिया जाता है कि अब यहाँ भूकंप आने वाला है या वहाँ भूकंप आने  वाला है | थोड़े समय बाद वो भविष्यवाणी स्वतः झूठी निकल जाती है जो की ही गलत होने के लिए जाती है बाद  किसी सँकोच या पश्चाताप के कोई दूसरी भविष्यवाणी कर दी जाती है | ये क्रम इसी प्रकार से अनवरत चला करता है आज तक भूकंपों से संबंधित हो रहे अनुसंधानों का सारतत्व इसे ही माना जा सकता है | इसके अतिरिक्त और कुछ भी तो नहीं सुलभ हो सका है |
      पिछले कुछ समय से विभन्न संस्थानों का ऐसा ही एक असफल पूर्वानुमान सामने आया है जैसा कि हमेंशा होता रहता है |
     अभी कुछ वर्ष पहले कुछ संस्थानों के द्वारा एक भविष्यवाणी की गई कि 2018 सन में हिमालय में बहुत बड़ा भूकंप आएगा जिसकी  तीव्रता काफी  अधिक होगी किंतु  ऐसा कोई भूकंप आया नहीं ! इस भविष्यवाणी करने के आधार स्वरूप जो कारण गिनाए गए  बताया गया कि हिमालय के नीचे गैसों का बहुत बड़ा संग्रह हो गया है गैसों  के उसी दबाब के कारण किसी बहुत बड़े भूकंप के आने की कल्पना कर ली गई थी किंतु 2018 में ऐसा कुछ हुआ नहीं जिससे यह स्वतः सिद्ध हो जाता है कि भूकंप आने का कारण गैसों का दबाव होता है क्योंकि यदि ऐसा होता तो गैसों का दबाव है ऐसा तो वैज्ञानिक भी मान रहे हैं फिर उनकी वैज्ञानिक मान्यता के अनुशार भूकंप भी आना चाहिए था |
      वैसे भी जब कभी किसी छोटे या बड़े भूकंप को आना होगा तब वो आएगा ही और अभी भी आते जा रहे हैं आगे भी आते रहेंगे किंतु विशेष बात यह है कि वर्तमान भूकंपविज्ञान भूकंपों के घटित होने की प्रक्रिया से परिचित भी है उसके विषय में कुछ जानती भी है यह अभी तक सिद्ध नहीं हो पाया  है |
       भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए अनुसंधान संबंधी संसाधन जुटाने एवं अनुसंधान कर्ताओं को उनकी सैलरी आदि समस्त सुख सुविधाओं का प्रबंध  प्रत्येक देश की सरकारें करती रहती हैं | इसपर खर्च होने वाला संपूर्ण धन सरकार देती है और सरकार को जनता से टैक्स रूप में प्राप्त होता है वही धन ऐसे अनुसंधानों पर भी खर्च किया जाता है |
      इस प्रकार से भूकंप संबंधी अनुसंधानों के लिए सरकार और जनता अपनी अपनी भूमिका का निर्वाह समर्पितभावना से करती जा रही है किंतु विज्ञान एवं वैज्ञानिकों का पक्ष इस अनुसंधान की  दृष्टि कितना आगे बढ़ पाया है या जहाँ से चला था अभी वहीँ पर खड़ा है यह पक्ष अभी तक प्रस्तुत नहीं किया जा सका है |प्रयासों के परिणाम आने अभी तक बाकी हैं | कुलमिलाकर ये पक्ष अभी तक शून्य पड़ा हुआ है | इसे इसी अवस्था में अधिक समय तक छोड़ा जाना वैश्विक समाज के हित में नहीं है |
     इतना समय बीत जाने के बाद भी जो प्रक्रिया भूकंपों के घटित होने से संबंधित कोई भी जानकारी जुटा पाने में अपनी भूमिका अभी तक सिद्ध ही न कर पायी हो उस प्रक्रिया को विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाना या उसे विज्ञान और उससे संबंधित लोगों को वैज्ञानिक कहना कितना तर्क संगत है |
     भूकंप विज्ञान के नाम से प्रसिद्धि पा चुके उस  तथाकथित भूकंपविज्ञान का भूकंपों से कोई संबंध है भी या ये निराधार कोरी कल्पना मात्र है | भूकंप विज्ञान के रूप में पूर्वानुमान के द्वारा प्रमाणित किया जाना अभी तक बाकी है !भूकंप वैज्ञानिकों का प्रमाणित होना अभीतक अवशेष है क्योंकि वे भूकंपों के विषय में जो कुछ बताते हैं उसके आधार पर वे न तो भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाते हैं और न ही किसी अन्य प्रकार से भूकंपों के विषय में अपनी किसी भी प्रकार की विशेषज्ञता को ही प्रमाणित कर पाते हैं |जो प्रमाणित होने के साथ साथ आम जनता की कल्पनाओं से कुछ अलग हटकर हो साथ ही साथ तर्क संगत एवं पारदर्शी हो |जिसे देखकर लगे कि भूकंपों से संबंधित अनुसंधान अब वास्तव में कुछ आगे बढ़ पाया है !किंतु सच्चाई तो यह है कि वर्तमान काल्पनिक भूकंपविज्ञान के आधारपर भूकंपों से संबंधित अनुसंधानकार्य किसी न किसी रूप में विश्व के अनेकों देशों में किए जा रहे हैं किंतु दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक ये अनुसंधान भूकंपों के विषय में अनुसंधान के क्षेत्र में अभी तक सुनी की नोक के बराबर भी सफल नहीं हो पाए हैं |ऐसी परिस्थिति में भूकंप विज्ञान और भूकपवैज्ञानिक दोनों का ही प्रमाणित होना अभी तक बाकी है |
     व्यवहार में भी अक्सर देखा जाता है कि जिस काम को जो कर लेता है उसी काम का विशेषज्ञ उसे माना जाता है चिकित्सा कर लेने  वाले को चिकित्सक, रसोई का काम कर लेने वाले को रसोइया, गाना गा लेने वाले को गायक ,पढ़ा लेने वाले को शिक्षक किंतु भूकंपों के विषय में कल्पना प्रसूत कहानियों को छोड़कर बाकी कुछ न जानने वालों को भूकंप वैज्ञानिक मानने का उचित आधार क्या है ?ये प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में उठना स्वाभाविक है |

भूकंपवैज्ञानिकों की आज तक की उपलब्धियाँ -

    आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर मुक्तलाल शर्मा ने एक न्यूज एजेंसी को बताया - "मौजूदा समय में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने के लिए जो तकनीक है, वह वास्तव में काम नहीं करता है. लोग सांख्यिकीय गणना के आधार पर इसका अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं लेकिन अब तक ज्ञात जितने भी तरीके हैं, वे सटीक नहीं हैं | "
   ऐसी  परिस्थिति में उस प्रक्रिया के सहारे कितना समय और ऐसे ही निरर्थक बिताया जाए जिसकी कोई समय सीमा तो है ही नहीं साथ ही भूकंप संबंधी यह अनुसंधान आज तक एक सेंटीमीटर भी तो आगे बढ़ा नहीं है | आखिर  रिसर्च का क्या औचित्य जिससे दूर दूर तक कहीं कोई  आशा की किरण दिखाई ही न पड़ रही हो | सारी की सारी  निराधार परिकल्पनाओं को या तरह तरह की  फैलाने को विज्ञान सम्मत कैसे माना जा सकता है |
     31 जनवरी 2018  को प्रकाशित एक लेख में कहा गया -"अमेरिका की दो बड़ी यूनिवर्सिटीज के 2 प्रोफेसर्स ने एक रिसर्च किया है। उन वैज्ञानिकों के मुताबिक 2018 में कई बड़े भूकंप के झटके आ सकते हैं। वो जलजला इतना तेज़ होगा कि बड़ी तबाही मच सकती है। रिसर्च के मुताबिक आने वाले महाभूकंप का अलर्ट धरती ने भेजना शुरू भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि पिछले 4 साल से हर दिन पृथ्वी की रफ्तार कम हो रही है और यही आने वाले साल में दुनिया के कई देशों में बड़े भूकंप की वजह बन सकती है जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल है। 2018 में अब तक के सबसे बड़े भूकंप आ सकते हैं!"
      "मोंटाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी के घूमने की स्पीड हर रोज़ कुछ मिलीसेकेंड्स में घट रही है और यही सेकेंड्स धरती के अंदर पैदा हो रही एनर्जी को बाहर आने में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं और नतीजा एक विनाशकारी भूकंप के तौर पर सामने आ सकता है। "

     "यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की रेबेका बेंडिक ने भूकंप के बारे में रिसर्च किया हालांकि इस रिसर्च में ये नहीं बताया गया कि वो कौन से इलाके हैं जहाँ भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जब पृथ्वी की रफ्तार में फर्क आता है तो दिन छोटे या बड़े होने लगते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर भूमध्य रेखा यानी इक्वेटर के आसपास वाले इलाकों में देखा जाता है। भूमध्य जैसा कि नाम से पता चलता है ये रेखा पृथ्वी को दो बराबर हिस्सों में बांटती है। भूमध्य रेखा दुनियाँ के 13 देशों से गुजरती है जिसमें इक्वाडोर, कोलंबिया, ब्राजील, रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, केन्या, मालद्वीव्स और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। यानी अगर वैज्ञानिकों की बात सच निकलती है तो भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा इन्हीं देशों पर मंडरा रहा है। हालांकि भारतीय भू-वैज्ञानिक ये भी दावा कर रहे हैं कि खतरा हिंदुस्तान के इलाकों को भी है।"
       महाभूकंप को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपने इस दावे का एक और आधार बताया है।" वैज्ञानिकों का दावा है कि हिमालय के नीचे हलचल तेज़ है जो किसी भी दिन बड़े भूकंप की वजह बन सकती है। दरअसल हिमालय का इलाका दुनियाँ का सबसे ज्यादा भूकंप आशंकित इलाकों में एक माना जाता है।भूकंप आने की वजह है धरती के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स। ये प्लेट्स धरती के अंदर ही अंदर खिसकती रहती हैं | 
   17 नवंबर  2018 को प्रकाशित एक लेख के अनुशार -

    "मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की ओर से वर्ष 2016 में देश के चार बड़े संस्थानों को एक प्रोजेक्ट दिया गया।इसके तहत यह पता लगाना था कि भविष्य में किन क्षेत्रों में भूकंप आने की आशंका ज्यादा है। उसके बाद आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक और पंजाब विश्वविद्यालय के प्रो. महेश ठाकुर ने प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।इनका साथ आईएसआर गांधीनगर (गुजरात) व एलडी इंजीनियरिंग कालेज अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने दिया। इस टीम ने प्रथम चरण में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में रिसर्च किया। इस टीम ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार के जरिए इन प्रदेशों में जगह-जगह जाकर जमीन के दस मीटर भीतर तक के हिस्से का एक्स-रे किया।"

       इस रिसर्च से पता चला है कि हिमाचल प्रदेश के कालाआम के पास नहान में एक फॉल्ट लाइन मिली है। इसी प्रदेश के सिरमौर, उत्तराखंड में ऋषिकेश और हरियाणा के यमुनानगर में भी फॉल्ट लाइनें मिली हैं। फॉल्ट लाइन का कारण वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां धरती के दस मीटर नीचे जमीन के हिस्से ऊपर-नीचे मिले हैं। इससे धरती का संतुलन बिगड़ गया है।

     1 नवंबर 2018 को एक समाचार बेवसाइट पर प्रकाशित हुआ -"देश भर के चार वैज्ञानिकों की रिसर्च में खुलासा हुआ है कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भविष्य में कभी भी भूकंप आ सकता है और बड़ी तबाही मच सकती है। वैज्ञानिकों को इन प्रदेशों में नई फॉल्ट लाइनें मिली हैं जो अब तक धरती के गर्भ में ही थीं।"

    1 दिसम्बर, 2018 को एक एक समाचार बेवसाइट पर प्रकाशित हुआ -"जवाहरलाल नेहरू सेंटर के भूकंप विशेषज्ञ सीपी राजेंद्रन का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में भारी मात्रा में तनाव है जो भविष्य में केंद्रीय हिमालय में 8.5 या उससे अधिक की तीव्रता का एक भूकंप ला सकता है." कई अन्य वैज्ञानिकों का भी मत कुछ ऐसा ही है कि  हिमालय क्षेत्र के आसपास जिस तरह के भौगोलिक घटनाएँ  हो रही हैं, उसे देखते हुए यह साफ है कि इस इलाके में 8.5 तीव्रता का भूकंप (Earthquake) कभी भी आ सकता है |

     इससे पहले नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) की अगुवाई में एक रिसर्च टीम ने भी पाया था कि मध्य हिमालय क्षेत्रों में रिएक्टर पैमाने पर आठ से साढ़े आठ तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा है. शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा -"सतह टूटने संबंधी खोज का हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों से जुड़े इलाकों पर गहरा असर हो रहा है. अमेरिका के भू-वैज्ञानिक रोजर बिल्हम जिनका पूरा जीवन भूंकप और इससे जुड़ी चीजों की खोज पर ही बीता है ने भी भारतीय वैज्ञानिकों की इस चेतावनी का समर्थन किया है.उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों ने जो संभावना जताई है उसपर किसी भी तरह का शक नहीं किया जा सकता."

      शोधकर्ताओं का कहना है कि सन 1315 से 1440 के बीच 600 किमी के इलाके में भयंकर भूकंप आया था. 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आया था. इसके बाद हिमालय का यह हिस्सा 600-700 साल तक शांत रहा. जिसके कारण इसके भीतर काफी तनाव जमा हो गया है जो अब कभी भी बाहर आ सकता है. इस इलाके में काम करने वाले अमरीकी भूगर्मशास्त्री रोजर बिल्हम ने भी इस नए शोध का समर्थन किया है |

     नए शोध से पता चलता है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के कुछ इलाके भूकंप के तीव्र झटके के लिए तैयार हैं. 1950 से पहले इन इलाकों में कोई ऊंची ईमारत नहीं थी. अब दिल्ली एनसीआर और हिमालयी इलाकों में भी ऊंची इमारतों की भरमार हो गई है. जिसके कारण तबाही बड़ी होने वाली है |

     इस इलाके में 2018 और उसके बाद के कुछ सालों में कभी भी उच्च तीव्रता वाला भूकंप आएगा ही. ऐसा इसलिए कि जब धरती की रफ्तार कुछ धीमी होती है तब दिन की लंबाई में मामूली बदलाव आता है. उसी के बाद धरती एक तीव्र भूकंप के दौर में प्रवेश कर जाती है. जिससे धरती के नीचे जमा ऊर्जा बाहर आने के लिए बेताब हो जाती है |

     इस बार दिन की लंबाई में बदलाव का दौर 2011 में शुरू हुआ है, इस लिहाज़ से माना जा सकता है कि पृथ्‍वी 2018 में तीव्र भूकंप के चरण में प्रवेश कर गई है. अब कभी भी 8.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है. जब इस तीव्रता का भूकंप आएगा तब शायद ही कुछ बचे. इस शोध में यह नहीं कहा गया है कि ठीक-ठीक कब भूकंप आएगा |

    अमेरिकी वैज्ञानिकों की ओर से सन 2016 में कहा गया -" जम्मू-कश्मीर में आ सकता है भीषण भूकंप, लाखों जिंदगियाँ  खतरे में पड़ सकती हैं " 

     "भारतीय प्लेट आज भी पांच सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से यूरेशियन प्लेट पर दबाव बना रही है, या कहें कि उसके नीचे खिसक रही है। दोनों प्लेटों के बीच बढ़ रहे इस दबाव में छुपी ऊर्जा रह रहकर जब रिलीज़ होती है तो यहां भूकंप आते हैं।"

   5 दिसंबर 2017 को एक लेख प्रकाशित हुआ -"स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने हिमालयी क्षेत्रों में आने वाले तेज भूकंप के कारण का पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत (लिथोस्फेयर) में मौजूद टेक्टॉनिक प्लेट की टक्कर से पहाड़ी क्षेत्रों में तेज भूकंप आता है।"

      विभिन्न वैज्ञानिकों के द्वारा इस प्रकार से अनेकों अनुसंधान किए गए हैं जिसके आधार पर उनके द्वारा ये समय समय पर ये वक्तव्य दिए गए हैं जिन्हें मैंने विभिन्न समाचार माध्यमों पुस्तकों पत्रिकाओं ऑनलाइन माध्यमों में प्रकाशित लेखों के आधार पर संग्रहीत किया है |

    यदि प्रकाशित ऐसी बातों या विंदुओं को सही मान लिया जाए तो एक बात पर अधिकाँश विचार मिलते दिखते हैं कि निकट भविष्य में हिमालय में बहुत बड़ा भूकंप आएगा किंतु कब आएगा | इस विषय में कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है |ऐसे बिचारों से भूकंप संबंधी अनुसंधान किसी निष्कर्ष पर पहुँच भी नहीं पा रहा है |    

      भूकंप संबंधी बढ़ती समस्याएँ -

     2014 से उत्तर भारत में भूकंपों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है !उसमें भी 2017 से उत्तर भारत में अधिक भूकंप आ रहे हैं अक्सर दिल्ली और एनसीआर हिमाचल जम्मूकश्मीर आदि क्षेत्र में भूकंप घटित होने की सूचनाएँ मिला करती हैं |

     हिमाचल प्रदेश में लगातार भूकंप के झटके लग रहे हैं. अगस्त 2019 के प्रारंभिक सात दिन में तीन बार हिमाचल में भूकंप के हल्के झटके लगे हैं.राज्य में जनवरी, 2019 के बाद 30 जुलाई तक 14 झटके महसूस किए गए है, जिसमें से चंबा में 6 बार, किन्नौर में 3, मंडी में 2, शिमला और कांगड़ा में एक-एक बार भूकम्प दर्ज किए गए है.चंबा में पिछले कुछ महीनों से लगातार भूंकप के झटके महसूस किए जा रहे हैं|  लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र में इतने भूकंप क्यों आते हैं. जानते हैं क्या है इसके पीछे वैज्ञानिक कारण...

     "दरअसल मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग में भारत को 4 जोन में बांटा गया है और इसमें जोन-5 से जोन-2 शामिल है. इसमें जोन 5 सबसे ज्यादा संवेदनशील है और जोन-2 सबसे कम संवेदनशील यानी जोन-5 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे ज्यादा है और जोन-2 ऐसा क्षेत्र है जहां भूकंप आने की आशंका सबसे कम होती है |"

जोन-4 में आता है दिल्ली

    बता दें कि भारत में जोन-5 में हिमालय का केंद्र, कश्मीर और कच्छ का रन शामिल है. वहीं जोन-4 में दिल्ली, जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके शामिल हैं. वहीं जोन-4 भी वह क्षेत्र होता है, ज्यादा भूकंप और नुकसान की संभावना ज्यादा होती है. जोन-3 को मोडरेट डैमेज रिस्क जोन कहते हैं इस जोन में अंडमान निकोबार, बेस्टर्न हिमालय के भाग शामिल हैं. जबकि जोन-2 को लो डैमेज रिस्क जोन कहते हैं.

    वहीं दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है. दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

  इसके अलावा गुवाहाटी (असम), श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर), मुंबई (महाराष्ट्र), चेन्नई (तमिलनाडु), पुणे (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), तिरूवंतपुरम (केरल), पटना (बिहार) भारत के ऐसे शहर हैं, जहां भूकंप आने का खतरा ज्यादा रहता है |

      ये सभी वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित कल्पनाएँ हैं