माननीय कुलपति महोदय आपको सादर प्रणाम !
विषय :वेदविज्ञान से संबंधित अनुसंधान के विषय में -
मान्यवर !
मैंने शोधकार्य काशीहिन्दूविश्वविद्यालय से ही किया है! पिछले तीस वर्षों से मैं वेदविज्ञान के विभिन्न पक्षों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसमें मौसम के विषय में महत्त्व पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है !यहाँ तक कि आधुनिक मौसमविज्ञान मौसम की जिन गुत्थियों को सुलझाने में असफल रहा है वेद विज्ञान के आधार पर उन्हें भी सुलझाने में सफलता प्राप्त हुई है !जिसके हमारे पास पर्याप्त प्रमाण हैं !
वर्षा-बाढ़, आँधी- तूफान ,वायुप्रदूषण जैसे विषयों के भी वेदवैज्ञानिक पूर्वानुमान 90 प्रतिशत सही सिद्ध हो रहे हैं !जिसकी आधुनिक मौसमविज्ञान से कल्पना ही नहीं की जा सकती है !इसके अलावा भूकंपों के पूर्वानुमानसे संबंधित अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं जो आधुनिक विज्ञान के शोध से काफी अधिक हैं !इसीप्रकार से चिकित्सा एवं मनोचिकित्सा के क्षेत्र में वेद विज्ञान की महत्वपूर्व भूमिका सिद्ध हुई है ! इसके अतिरिक्त भी कुछ विषय हैं जिनमें वेदविज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है !इन बातों को सप्रमाण कहीं भी प्रस्तुत करके सिद्ध किया जा सकता है !
मुझे विश्वास है कि 'काशीहिन्दूविश्वविद्यालय' में आपके तत्वावधान में जिस 'वेदविज्ञानविभाग' की संरचना की गयी है !यद्यपि 'काशीहिन्दूविश्वविद्यालय' पर भारत सरकार ने यह बड़ी जिम्मेदारी डाली है फिर भी मेरा विश्वास है कि इस जिम्मेदारी का यदि ठीक से निर्वाह हो सका तो यहाँ ऐसे महान वेदवैज्ञानिकअनुसंधान प्रकट किए जा सकते हैं जिनके माध्यम से विश्व के आधुनिक वैज्ञानिक समुदाय के सामने भारत वर्ष का प्राचीन विश्व गुरुत्व पुनः प्रतिष्ठित हो सकता है !
मान्यवर !इसके लिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि वेद वैज्ञानिक अनुसंधान संबंधी यह दायित्व उन्हीं कर्मठ परिश्रमी वेदविद्वानों को सौंपा जाए जिन्होंने पहले भी वेदविज्ञान के किसी पक्ष पर कोई ऐसा सक्षम अनुसन्धान करके अपने वैज्ञानिक होने की योग्यता प्रमाणित की हो !ऐसे लोग ही इस महान कार्य को कर सकते हैं !इस विषय में मेरे योग्य कोई जिम्मेदारी यदि मुझे भी सौंपी जाएगी तो मैं भी उसे निर्वाह करने में अपना सौभाग्य समझूंगा !
मुझे भय है कि सरकारीवेदविद्वान् लोग वेदविज्ञान के इस महान अनुसन्धान कार्य के नाम पर केवल कुछ कुछ शोधप्रबंध मात्र तैयार करके ही न अपने कर्तव्य की इति श्री कर दें !
महोदय ! वहाँ मुझे भी बहुत विद्वान् जानते हैं और मैं भी उनसे सर्वांग सुपरिचित हूँ इसलिए मेरा उद्देश्य किसी विद्वान् को ठेस पहुँचाना नहीं है अपितु मेरा उद्देश्य इस वेदवैज्ञानिकशोध के लिए अधिकतम प्रयास करके वेद विद्या को विश्व के समक्ष पुनः प्रतिष्ठित करना है !मेरी बातों में कहीं कोई गलती लगी हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ !सरकार के सहारे अब तक
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