Friday, 30 November 2018

मौसम पूर्वानुमान : दिसंबर -2018

                                                  
मौसम पूर्वानुमान : दिसंबर -2018 
                                                            
                                                     Forecasting- All   
                प्रकृति हो या जीवन - सभी प्रकार के पूर्वानुमान 
     दिसंबर 2018 में क्या क्या होगा आप भी जानें - पहले परीक्षण करें फिर विश्वास करें !

      दिसंबर महीने में आँधी तूफानों चक्रवातों की बहुत अधिकता रहेगी ! जिनका स्वरूप अत्यंत  डरावना होगा !वायु प्रदूषण भी काफी अधिक बढ़ा रहेगा !विश्व के अनेक देश,प्रदेश,जनपद ऐसी प्राकृतिक पीड़ा से पीड़ित होंगे जिनसे जनधन हानि की संभावना है !वैसे तो ऐसे वायु संबंधी उत्पात पूरे महीने ही दिखाई पड़ते रहेंगे फिर भी 3 दिसंबर से 31 दिसंबर तक स्थान बदल बदल कर आँधी तूफान आदि की घटनाएँ घटित होंगी ! इसमें भी 7 से 16 तक एवं 20 से 31 तक वायु वेग विशेष अधिक रहेगा !
    इसमें 2 से 17 एवं 24 से 31 तारीख की अवधि में चलने वाली हवाएँ हिंसक होंगी ये जनधन की हानि करने वाली होंगी !इसमें कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ घटित होंगी !प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से विशेष भयानक दिसंबर महीने की 5,6,7,8, एवं 19,20,21,22 तारीखें होंगी !इसमें भी 5,6,7,8,एवं21,22 ,23 तारीखें अधिक चिंतनीय होंगी !इन तारीखों में आँधी, तूफ़ान,चक्रवात,सुनामी , भूकंप आदि का निर्माण होगा जिससे विश्व के अनेकों देश पीड़ित होंगे !
      वायुप्रदूषण की दृष्टि से दिसंबर का संपूर्ण महीना ही विशेष डरावना होगा !उसमें भी 7,8,9,10,11 एवं 22 ,23,24 तारीखों में वायु प्रदूषण काफी अधिक बढ़ जाएगा ! आकाश से गिरी हुई धूल के कारण वातावरण इतना अधिक प्रदूषित होगा ! इसलिए सूर्य की किरणें बहुत धूमिल दिखाई देंगी! इस दृष्टि से विशेष अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है !
        दिसंबर के महीने में बिना मुद्दों के भी मुद्दे बना लिए जाएँगें उन्हें लेकर तरह तरह के जनांदोलन छेड़े जाएँगे !उन्माद हिंसा अपराध के अनेकों भयानक दृश्य दिखाई पड़ेंगे !निर्दयी होकर लोग अकारण एक दूसरे को चोट देने पर उतारू हो जाएँगे !आतंकवादी इस समय मरने मारने पर उतारू हो
जाएँगें ऐसी घटनाओं की अधिकता रहेगी !इसमें भी 5,6,7,8, एवं 17,18,19,20,21 तारीखों में लोग आपस में भी अकारण उलझते दिखाई देंगे !सामाजिक उन्माद एवं उत्तेजना में इस समय में विशेष अधिक बढ़ोत्तरी होगी !बाहन एवं विमान दुर्घटनाओं की दृष्टि से भी ये समय विशेष चिंतनीय होगा !अकारण अचानक छोटी छोटी बातों पर बड़ा क्रोध आ जाएगा लोग असहनशील हो जाएँगे ! सामाजिक तनाव इस समय बहुत अधिक बढ़ जाएगा छोटे छोटे विवाद थोड़ी असावधानी में बड़े बड़े रूप धारण कर लेंगे !हड़ताल ,आंदोलन आदि में कोई भीड़ कब हिंसक रूप धारण कर ले कहा नहीं जा सकता है !
    3,4,5,6,7 एवं 30,31तारीखों में मानसिक तनाव विशेष बढ़ा चढ़ा रहेगा !जो पहले से तनाव ग्रस्त हैं उनका तवाव इस समय बहुत अधिक बढ़ जाएगा !समाज के प्रत्येक व्यक्ति संयम को ऐसा समय अत्यंत संयमपूर्वक पार करना चाहिए !
     आग लगने की घटनाएँ इस महीने में कम  घटित होंगी फिर भी 1 से 29 तारीख़ तक पश्चिमी देशों और दिशाओं में ऐसी दुर्घटनाएँ अधिक देखने को मिलेंगी !इसमें 1से 6 तारीख़ तक ऐसी संभावनाएँ दक्षिण दिशा और दक्षिण भारत में भी अधिक रहेंगी !इस दृष्टि से 3,8,17,22,24,31 तारीखें विशेष अग्नि पीड़ा प्रदान करने वाली हैं !
    स्वास्थ्य की दृष्टि से नवंबर के संपूर्ण महीने में सूखीखाँसी, स्वाँसरोग,हृदयरोग,ज्वररोग,शरीर में दर्द,    गैस, उल्टी, दस्त, आँखों में जलन जैसे रोग बढ़ेंगे! 
      वर्षा संबंधी पूर्वानुमान की दृष्टि से दिसंबर के महीने की 5 तारीख़ से 31 तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में वर्षा की संभावनाएँ बनी रहेंगी !1 से 25 तारीख तक उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हिमाचल में वर्षा का वातावरण बना रहेगा !1 को दक्षिण भारत में 10 ,12,13 को जम्मू कश्मीर हिमाचल आदि में 15 को उत्तर भारत में ,25 को असम  अरुणाचल मेघालय आदि में वर्षा होगी !26 त्रिपुरा पश्चिम बंगाल मिजोरम 27 को छत्तीस गढ़ आंध्रप्रदेश एवं 28 , 29को केरल तमिलनाडु आदि में वर्षा की विशेष संभावनाएँ रहेंगी !

Wednesday, 28 November 2018

"Climate change"

मैं  इस की व्याख्या प्रमाणित और बड़ी कर सकता हूँ !
   
      "Climate change" would mean to turn into the nature of water and air, but if that had happened then it would have been impossible for all the living creatures, including tree plants, to survive! So there is no such thing as climate change, it is only imagination! 

      I have been researching this topic for the past twenty years!
 
 

वैदिकविज्ञान

 
 
it is merely a fiction where there is a truth Not only!

Friday, 23 November 2018

मनोचिकित्सा


   

   

 









धियों ! से र नहीं मिलते हैं जब डोकर उसे कोई





 चिकित्सा शास्त्र में समय का महत्त्व -



     चिकित्सा के लिए औषधीय पद्धति से कम आवश्यक नहीं है समय के महत्त्व की समझ विकसित करना !  समय के संचरण को पहचानने वाले प्राचीन काल के वैद्य लोग किसी रोगी की चिकित्सा प्रारंभ करने से पहले ही उस रोगी के समय का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे यदि रोगी ठीक होने लायक होता था तभी उसकी औषधि करते अन्यथा टाल दिया करते थे !क्योंकि औषधि कितनी भी अच्छी क्यों न हो किंतु लाभ तब तक नहीं करती है जब तक कि रोगी का अपना समय साथ नहीं देता है !जिस रोगी का अपना समय ही बुरा होता है उसके लिए अच्छी से अच्छी औषधि एवं अच्छे से अच्छे चिकित्सक और अत्यंत सघन चिकित्सा प्रक्रिया भी निष्प्रभावी सिद्ध हो जाती है तभी तो बड़े बड़े धनवान एवं सुविधा संपन्न लोगों को भी कई बार अल्प आयु में भी मरते  देखा जाता है !दूसरी बात कई रोगी ऐसे होते हैं कि जिनका अपना समय अच्छा होता है वे गरीब होते हैं गाँवों या जंगलों में रहने वाले होते हैं उनके पास चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं होती है न धन होता है न अच्छे चिकित्सक और न ही अच्छी औषधि फिर भी वे बड़े बड़े रोगों को पराजित करके स्वस्थ होते देखे जाते हैं केवल उनका समय ठीक होता है इसीलिए तो !जंगलों में पशु या मनुष्य एक दूसरे से झगड़ कर एक दूसरे को घायल कर देते हैं किंतु ऐसे घायलों या बीमारों में से अनेकों को बिना किसी औषधि के भी स्वस्थ होते देखा जाता है !यहाँ तक कि उनके घावों को  भी  भरते देखा  जाता  है |

         कई बार बड़े बड़े विद्वान चिकित्सक लोग भी किसी रोगी को स्वस्थ करनेके लिए अपनी पूर्ण ताकत झोंक देते हैं किंतु उनका अपना समय अच्छा नहीं होता है इसलिए उस रोगी के स्वस्थ होने का श्रेय उनको नहीं मिल पाता है उसी रोगी को उनसे बहुत कम योग्यता रखने वाला कोई दूसरा चिकित्सक साधारण सी दवा दे देता है तो वो उसी से स्वस्थ हो जाता है और उस चिकित्सक को रोगी के रोग मुक्त करने का श्रेय मिल जाता है क्योंकि उस चिकित्सक का वो समय उसके अपने लिए अच्छा होता है |

      जिन चिकित्सकों का अपना समय अच्छा चल रहा होता है उनके पास रोगी भी वही पहुँचते हैं जिनका स्वयं का समय भी अच्छा होता है इसलिए उन्हें हर हाल में स्वस्थ होना ही होता है किन्तु उन्हें रोगमुक्त करवाने का श्रेय उन चिकित्सकों को मिल जाता है | जिन रोगियों का समय अच्छा नहीं होता है वो ऐसे चिकित्सकों तक पहुँच ही नहीं पाते हैं कभी उनका समय नहीं मिलता कभी रोगी ऐसे चिकित्सकों के पास खुद समय से नहीं पहुँच पाते हैं और कभी चिकित्सक को अचानक कहीं जाना पड़ा जाता है कई बार चिकित्सक स्वयं किसी समस्या का शिकार हो जाते हैं किंतु ऐसे रोगियों को देखने का संयोग उन्हें नहीं मिल पाता है रोगी का समय तो खराब था ही उसकी आयु भी पूरी हो ही चुकी थी उसे मरना ही था इसलिए जब ऐसे रोगियों की मृत्यु हो जाती है तो उसके अपयश से वो चिकित्सक बच जाता है और रोगी के परिजन फिर भी यह सोचा करते हैं कि वो एक बार देख लेते तो शायद सुधार हो सकता था !इस प्रकार से ऐसे चिकित्सकों को अपनी भूमिका न निभा पाने के बाद भी उसका यश मिल जाया करता है क्योंकि उनका अपना समय अच्छा होता है |

        बहुत अच्छे चिकित्सक भी किसी को बहुत अच्छी दवा दे सकते हैं किंतु किस रोगी पर किस दवा का कैसा परिणाम होगा इसके विषय में कोई गारंटी नहीं दे सकते !क्योंकि दवा आदि चिकित्सा प्रक्रिया तो चिकित्सक के हाथ में होती है इसलिए किसी रोगी को रोगमुक्त करने हेतु उसमें वो अच्छे से अच्छे प्रयास कर सकता है किंतु रोगी का स्वस्थ होना न होना ये रोगी के अपने समय के अनुशार निश्चित होता है इसलिए उस चिकित्सा का किस रोगी पर कैसा परिणाम होगा ये उस रोगी के अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार फलित होता है !

      एक जैसे कुछ रोगियों के शरीरों में एक जैसा रोग होने पर एक जैसे चिकित्सक उन सबकी चिकित्सा एक जैसी चिकित्सापद्धति  से करते हैं और सभी रोगियों पर एक जैसी औषधियों का प्रयोग करते हैं किंतु उस एक जैसी चिकित्सा पद्धति का अलग अलग रोगियों पर अलग अलग असर होते  देखा जाता है जिसके परिणाम स्वरूप कुछ रोगी स्वस्थ हो जाते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ! जब रोगी एक जैसे चिकित्सा एक जैसी तो परिणाम अलग अलग होने का कारण उन सभी रोगियों का अपना अपना समय ही तो होता है !

     रोगियों की अच्छी से अच्छी  चिकित्सा चलते रहने पर भी कुछ  रोगी स्वस्थ हो जाते हैं और कुछ मर जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में स्वस्थ होने वाले रोगियों का श्रेय (क्रेडिट)यदि चिकित्सापद्धति चिकित्सकों औषधियों आदि को दे भी दिया जाए तो जो रोगी चिकित्सा के बाद भी अस्वस्थ बने रहते हैं या मर जाते हैं तो उनकी जिम्मेदारी भी किसी को तो लेनी ही पड़ेगी !मर जाने वाले रोगियों के लिए कुदरत समय या भाग्य को यदि जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है तो जो स्वस्थ हो जाते हैं उसका भी श्रेय तो कुदरत समय और भाग्य को ही मिलना चाहिए ? दोनों प्रकार की परिस्थितियों के लिए या तो कुदरत जिम्मेदार या फिर चिकित्सा पद्धति !अच्छे परिणामों का श्रेय स्वयं लेना और बुरे परिणामों के लिए कुदरत को कोसने की नीति ठीक नहीं है | ऐसी ढुलमुल बातें विज्ञान की श्रेणी में  कैसे रखी जा सकती हैं |

      ऐसी परिस्थितियों में सबसे बड़ा प्रश्न ये पैदा होता है कि यदि एक जैसे चिकित्सक एक जैसी चिकित्सा प्रक्रिया का पालन करते हुए एक जैसे रोगियों पर किसी एक औषधि का प्रयोग  करते हैं तो उनमें से कुछ स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं !ऐसे तीन प्रकार के परिणाम मिलने पर जो स्वस्थ हुए उन्हें ही चिकित्सा का फल क्यों मान लिया जाए !चिकित्सा काल में भी जो अस्वस्थ बने रहे या जो मर गए उन पर चिकित्सा का प्रभाव कुछ हुआ ही नहीं या हुआ तो किस प्रकार का हुआ !इस बात का निश्चय कैसे किया जाए      ऐसे अलग अलग परिणामों को यदि रोगियों और चिकित्सकों के अपने अपने समय के अनुशार न देखा जाए तो किसी अन्य प्रकार के वर्गीकरण के माध्यम से इस अंतर को कैसे समझा जा सकता है |

     इसका सीधा सा मतलब है कि जिनके ग्रह उनके अनुकूल थे उनका समय ठीक था इसलिए उन्हें तो स्वस्थ होना ही था जिनका न समय ठीक था और न ग्रह अनुकूल थे उन्हें अस्वस्थ रहना या मरना ही था यदि जैसा होना था वैसा ही हो गया तो चिकित्सा पद्धति की अपनी भूमिका किस प्रकार की रही और यदि चिकित्सा पद्धति ने भी समय के सामने ही आत्म समर्पण कर ही दिया तो फिर चिकित्सा प्रक्रिया का अपना प्रभाव  कैसे कहाँ और कितना सिद्ध हुआ !

         सामूहिक बीमारियाँ या महामारियाँ फैलने के प्रकरण में समय की बहुत बड़ी भूमिका होती है जब समय खराब होता है तब सामूहिक महामारियाँ फैलती हैं समय ख़राब कब होता है इसका ज्ञान ज्योतिष शास्त्र  से होता है !ग्रहस्थिति खराब होने के कारण जो सामूहिक रोग फैलते हैं उन रोगों को समाप्त कर देने वाली एक से एक प्रभावी औषधियों का निर्माण यदि ऐसे समय किया जाए तो  उस समय ग्रहों के दुष्प्रभाव के कारण  वे ही औषधियाँ उतने समय के लिए  वीर्यविहीन हो जाती हैं !इसलिए ऐसे समयों में उन औषधियों से रोग मुक्ति की आशा नहीं की जानी चाहिए !इसलिए चरकसंहिता में स्पष्ट कहा गया है कि ग्रहों के अनिष्टकारक योग को आता देख कर रोगों का पूर्वानुमान पूर्वक औषधियों का संग्रह पहले ही कर लेना चाहिए जिससे महामारियों पर नियंत्रण पाया जा सके ! इसलिए भावी रोगों का पूर्वानुमान लगाने के लिए अच्छे बुरे समय को समझना होगा जिसके लिए आवश्यक है ज्योतिष विज्ञान !

    किसी रोगी के लिए सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण चिकित्सा होती है या उसका अपना समय ?साधन विहीन गरीब या जंगलों में रहने वाले रोगी या घायल लोग या पशु पक्षियों को देखा जाता है कि वे तो बिना चिकित्सा के भी स्वस्थ होते देखे जाते हैं | बाक़ी सभी साधनों से सम्पन्न बड़े लोगों की सघन चिकित्सा व्यवस्था होने पर भी मृत्यु होते देखी जाती है ऐसी परिस्थितियाँ समय के महत्त्व को सिद्ध करती हैं |

        कई कम उम्र के बच्चों को भी बड़े बड़े रोग होते देखे जाते हैं और कई बूढ़े लोगों को भी स्वस्थ देखा जाता है कई बहुत सात्विकता और संयम पूर्वक जीवन जीने वाले लोगों के भी शरीरों में बहुत बड़े बड़े रोग होते देखा जाता है तो कई अत्यंत असंयमित जीवन जीने वाले लोग भी आजीवन स्वस्थ रहते देखे जाते हैं  ऐसी दोनों ही परिस्थितियाँ पैदा होने  का कारण उन दोनों का अपना अपना  समय ही तो है |

     किसी व्यक्ति को कोई रोग होगा या नहीं होगा और होगा तो किस उम्र में होगा कितना बड़ा रोग होगा और कितने समय के लिए होगा ! रोग के बढ़ने की सीमा कहाँ तक होगी !ऐसी बातों का पूर्वानुमान लगाकर संभावित समय में छोटी छोटी बीमारियों को भी बहुत बड़े बड़े रोगों की तरह गंभीरता से लेकर चिकित्सा संबंधी प्रयासों में अत्यंत सतर्कता बरती जा सकती है !

     रोगों के  पूर्वानुमान की पद्धति यदि चिकित्सा के क्षेत्र में भी होती तो कई रोगों को पैदा होने से पहले ही रोका जा सकता था !पैदा हो चुके कुछ रोगों को अधिक बढ़ने से रोका जा सकता था !समय के अनुशार सतर्क चिकित्सा एवं पथ्य परहेज की गंभीरता से संभावित कई बड़े रोग भी  नियंत्रित रखे जा सकते थे |

        सामूहिक रूप से पैदा होने वाले रोगों के विरुद्ध समय रहते जन जागरूकता अभियान चलाए जा सकते थे और चिकित्सकीय व्यवस्थाओं को विस्तारित किया जा सकता था एवं उपयोगी औषधियों का संग्रह किया जा सकता था ! चरक संहिता में इस विधा के स्पष्ट संकेत मिलते हैं !

       मनोरोग होने या बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लग जाने से समय से पूर्व अपने को उस तरह की परिस्थितियों  के सहने योग्य बनाया जा सकता है विवादों से बचाया अथवा उन्हें टाला जा सकता है दुविधा या रिस्क पूर्ण कार्यों व्यवसायों संपर्कों से अपने को अलग रखा जा सकता है |

  आयुर्वेद के शीर्ष ग्रन्थ चरकसंहिता में महर्षि कहते हैं

      समय और चिकित्सा रोगी के लिए दोनों आवश्यक है किंतु इन दोनों में रोगी के लिए वास्तव में अधिक महत्त्व  समय का या चिकित्सा का यह अंतर खोजने के लिए मैंने अपना शोधकार्य प्रारम्भ किया तो देखा कि जब तक जिसका समय अच्छा होता है तब तक उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होती और यदि किसी कारण से  हो भी जाए तो उसे अच्छे डॉक्टर आसानी से मिल जाते हैं अच्छी दवाएँ मिल जाती हैं चिकित्सा के लिए  धन का इंतजाम भी आसानी से हो जाता है और दवा का असर भी आशा से अधिक होने लगता है इसी विचार से मैंने महत्वपूर्ण है क्या किसी रोगी के लिए समय अधिक महत्वपूर्ण है या चिकित्सा ?

    पिछले 20 वर्षों से चिकित्सा के क्षेत्र में वैदिक विज्ञान ज्योतिष एवं आयुर्वेद के महत्त्वपूर्ण ग्रंथों के अध्ययन एवं अनुभवों से पता लगा कि रोगों के निदान तथा रोगों के पूर्वानुमान  के साथ साथ प्रिवेंटिव चिकित्सा एवं मनोरोगों के विषय में लोगों के स्वभावों को समझने में ज्योतिष की बड़ी भूमिका सिद्ध हो सकती है ।कई बार किसी को कोई छोटी बीमारी चोट या फुंसी प्रारंभ होती है और बाद में वो भयंकर रूप ले लेती है।इसी प्रकार कई अन्य बीमारियाँ होती हैं जो प्रारंभ में छोटी बीमारी दिखने के कारण चिकित्सा में लापरवाही कर दी जाती है और बाद में नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं ऐसी परिस्थिति में किसी भी छोटी बड़ी बीमारी का पूर्वानुमान ज्योतिष के द्वारा प्रारम्भ में ही लगा लिया जा सकता है और उसी समय चिकित्सा में सतर्कता बरत लेने से बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है ।

      आयुर्वेद के बड़े ग्रंथों में  भी समय का महत्त्व समझने के लिए ज्योतिष का उपयोग किया गया है ।     आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर को निरोग बनाना एवं आयु की रक्षा करना है जीवनके लिए हितकर  द्रव्य,गुण और कर्मों के उचित  मात्रा  में सेवन से आरोग्य मिलता है एवं अनुचित सेवन से मिलती हैं बीमारियाँ ! यही हितकर और अहितकर द्रव्य गुण और  कर्मों के सेवन और त्याग का विधान आयुर्वेद में किया गया है । ' चिकित्सा शास्त्र में समय  का विशेष महत्त्व  है ।

    आरोग्य लाभ के लिए हितकर द्रव्य गुण और  कर्मों का सेवन करने का विधान करता है आयुर्वेद ये सत्य है किंतु हितकर द्रव्य गुण और  कर्मों का सेवन करके भी स्वास्थ्य लाभ तभी होता है जब  रोगी का अपना समय भी रोगी के अनुकूल हो !अन्यथा अच्छी से अच्छी औषधि लेने पर भी अपेक्षित लाभ नहीं होता है । कई बार एक चिकित्सक एक जैसी बीमारी के लिए एक जैसे कई रोगियों का उपचार एक साथ करता है किंतु उसमें कुछ को लाभ होता है और कुछ को नहीं भी होता है उसी दवा के कुछ को साइड इफेक्ट होते भी देखे जाते हैं !ये परिणाम में अंतर होने का कारण  उन रोगियों का अपना अपना समय है अर्थात चिकित्सक एक चिकित्सा एक जैसी किंतु रोगियों के अपने अपने समय के अनुसार ही औषधियों का परिणाम अलग अलग होते देखा जाता है कई बार एक जैसी औषधि होते हुए भी किन्हीं एक जैसे दो रोगियों पर परस्पर विरोधी परिणाम देखने को मिलते हैं !

      जिस व्यक्ति का जो समय अच्छा होता है उसमें उसे बड़े रोग नहीं होते हैं आयुर्वेद की भाषा में उसे साध्य रोगी माना जाता है ऐसे रोगियों को तो ठीक होना ही होता है उसकी चिकित्सा  हो या न हो चिकित्सा करने पर जो घाव 10 दिन में भर जाएगा !चिकित्सा न होने से महीने भर में भरेगा बस !यही कारण  है कि जिन लोगों को गरीबी या संसाधनों के अभाव में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है जैसे जंगल में रहने वाले बहुत से आदिवासी लोग या पशु पक्षी आदि भी बीमार होते हैं या लड़ते झगड़ते हैं चोट लग जाती है बड़े बड़े घाव हो जाते हैं फिर भी जिन जिन का समय अच्छा होता है वो सब बिना चिकित्सा के भी समय के साथ साथ धीरे धीरे स्वस्थ हो जाते हैं !

     जिसका जब समय मध्यम होता है ऐसे समय होने वाले रोग कुछ कठिन होते हैं ऐसे समय से पीड़ित रोगियों को कठिन रोग होते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में कष्टसाध्य रोगी माना जाता है । इसी प्रकार से जिनका जो समय ख़राब होता हैं उन्हें ऐसे समय में जो रोग होते हैं वे किसी भी प्रकार की चिकित्सा से ठीक न होने के लिए ही होते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में 'असाध्य रोग' कहा जाता है !ये चिकित्सकों चिकित्सापद्धतियों एवं औषधियों के लिए चुनौती होते हैं । ऐसे रोगियों पर योग आयुर्वेद आदि किसी भी विधा का कोई असर नहीं होता है ऐसे समय में गरीब और साधन विहीन लोगों की तो छोड़िए बड़े बड़े राजा महराजा तथा सेठ साहूकार आदि धनी वर्ग के लोग जिनके पास चिकित्सा के लिए उपलब्ध बड़ी बड़ी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं किंतु उनका भी वैभव काम नहीं आता है और उन्हें भी गम्भीर बीमारियों से बचाया नहीं जा पाता है !ऐसे समय कई बार प्रारम्भ में दिखाई पड़ने वाली छोटी छोटी बीमारियाँ   इलाज चलते रहने पर भी बड़े से बड़े रूप में बदलती चली जाती हैं छोटी छोटी सी फुंसियाँ कैंसर का रूप ले लेती हैं ये समय का ही प्रभाव है ।

        

    'समयशास्त्र' (ज्योतिष) के बिना अधूरा है चिकित्साशास्त्र !

        सुश्रुत संहिता में भगवान धन्वंतरि कहते हैं कि आयुर्वेद का उद्देश्य है रोगियों की रोग से मुक्ति और स्वस्थ पुरुषों के स्वास्थ्य की रक्षा !अर्थात रोगों के पूर्वानुमान के आधार पर द्वारा भविष्य में होने वाले रोगों की रोक थाम ! 'स्वस्थस्यरक्षणंच'आदि आदि ! किंतु भविष्य में होने वाले रोगों का पूर्वानुमान लगाकर रोग होने से पूर्व सतर्कता कैसे वरती जाए !अर्थात 'समयशास्त्र' (ज्योतिष) के बिना ऐसे पूर्वानुमानों की कल्पना कैसे की जा सकती है ! इसके लिए भगवान धन्वंतरि कहते हैं कि इस आयुर्वेद में ज्योतिष आदि शास्त्रों से संबंधित विषयों का वर्णन जगह जगह जो आवश्यकतानुसार आया हैउसे ज्योतिष आदि शास्त्रों  से  ही पढ़ना  और समझना चाहिए !क्योंकि एक शास्त्र में ही सभी शास्त्रों का समावेश करना असंभव है ।'अन्य शस्त्रोपपन्नानां चार्थानां' आदि ! दूसरी बात उन्होंने कही है कि किसी भी विषय में किसी एक शास्त्र को पढ़कर शास्त्र के निश्चय को नहीं जाना जा सकता इसके लिए जिस चिकित्सक ने बहुत से शास्त्र पढ़े हों वही  चिकित्सक शास्त्र के निश्चय को समझ सकता है ।

                     " तस्मात् बहुश्रुतः शास्त्रं विजानीयात्चिकित्सकः ||"

                                                                                        -सुश्रुत संहिता

            'आयुर्वेद ' में दो शब्द  होते हैं 'आयु' और 'वेद' ! 'आयु ' का अर्थ है शरीर और प्राण का संबंध !

    'शरीर प्राणयोरेवं संयोगादायुरुच्यते !' 'वेद' का अर्थ है 'जानो ' अर्थात शरीर और प्राणों के संबंध को समझो ! ये है आयुर्वेद शब्द का अर्थ ।  प्राणों की चर्चा पूरे आयुर्वेद में अनेकों स्थलों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर देखी जा सकती है चूँकि आयु की दृष्टि से शरीर सबसे कमजोर कड़ी है ये इतना नाजुक है कि कभी भी कहीं भी कैसे भी बीमार आराम नष्ट  आदि कुछ भी हो सकता है इसलिए प्रत्यक्ष तौर पर शरीर की चिंता ही सबसे ज्यादा दिखती है !यहाँ प्राणों की भूमिका बड़ी होते हुए उसकी चर्चा कुछ कम और शरीर की चर्चा अधिक की गई है !फिर भी जीवन के लिए हितकर  द्रव्य,गुण और कर्मों के उचित  मात्रा  में सेवन से आरोग्य मिलता है एवं अनुचित सेवन से मिलती हैं बीमारियाँ ! यही हितकर और अहितकर द्रव्य गुण और  कर्मों के सेवन और त्याग का विधान आयुर्वेद में किया गया है । '

                                   चिकित्सा शास्त्र में समयशास्त्र का महत्त्व

         आरोग्य लाभ के लिए हितकर द्रव्य गुण और  कर्मों का सेवन करने का विधान करता है आयुर्वेद ये सत्य है किंतु हितकर द्रव्य गुण और  कर्मों का सेवन करके भी स्वास्थ्य लाभ तभी होता है जब  रोगी का समय भी रोगी के अनुकूल हो !अन्यथा अच्छी से अच्छी औषधि लेने पर भी अपेक्षित लाभ नहीं होता है । कई बार एक चिकित्सक एक जैसी बीमारी के लिए एक जैसे कई रोगियों का उपचार एक साथ करता है किंतु उसमें कुछ को लाभ होता कुछ को नहीं भी होता हो उसी दवा के कुछ को साइड इफेक्ट होते भी देखे जाते हैं !ये परिणाम में अंतर होने का कारण  उन रोगियों का अपना अपना समय है अर्थात चिकित्सक एक चिकित्सा एक जैसी किंतु रोगियों के अपने अपने समय के अनुसार ही औषधियों का परिणाम होता है कई बार एक जैसी औषधि होते हुए भी दो एक जैसे रोगियों पर परस्पर विरोधी परिणाम देखने को मिलते हैं !

         जिस व्यक्ति का जो समय अच्छा होता है उसमें उसे बड़े रोग नहीं होते हैं आयुर्वेद की भाषा में उसे साध्य रोगी माना जाता है ऐसे रोगियों को तो ठीक होना ही होता है उसकी चिकित्सा  हो या न हो चिकित्सा करने पर जो घाव 10 दिन में भर जाएगा !चिकित्सा न होने से महीने भर में भरेगा बस !यही कारण  है कि जिन लोगों को गरीबी या संसाधनों के अभाव में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है जैसे जंगल में रहने वाले बहुत से आदिवासी लोग या पशु पक्षी आदि भी बीमार होते हैं या लड़ते झगड़ते हैं चोट लग जाती है बड़े बड़े घाव हो जाते हैं फिर भी जिन जिन का समय अच्छा होता है वो सबबिना चिकित्सा के भी समय के साथ साथ धीरे धीरे स्वस्थ हो जाते हैं !

           जिसका जब समय मध्यम होता है ऐसे समय होने वाले रोग कुछ कठिन होते हैं ऐसे समय से पीड़ित रोगियों को कठिन रोग होते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में कष्टसाध्य रोगी माना जाता है इन्हें सतर्क चिकित्सा से आयु पर्यंत यथा संभव के  सुरक्षित किया जा सकता है अर्थात आयु अवशेष होने के कारण मरते नहीं हैं और सतर्क चिकित्सा के कारण घसिटते नहीं हैं अस्वस्थ होते हुए भी औषधियों के बल पर काफी ठीक जीवन बिता लिया करते हैं किंतु जब तक समय अच्छा नहीं होता तब तक पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पाते हैं !कई बार वह मध्यम समय बीतने के बाद कुछ रोगियों का अच्छा समय भी आ जाता है जिसमें वे पूरी तरह स्वस्थ होते देखे जाते हैं ऐसे समय वो जिन जिन औषधियों उपचारों या चिकित्सकों के संपर्क में होते हैं अपने स्वस्थ होने का श्रेय उन्हें देने लगते हैं कई कोई इलाज नहीं कर रहे होते हैं वो भगवान को श्रेय देने लगते हैं !

               इसी प्रकार से जिनका जो समय ख़राब होता हैं उन्हें ऐसे समय में जो रोग होते हैं वे किसी भी प्रकार की चिकित्सा से ठीक न होने के लिए ही होते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में 'असाध्य रोग' कहा जाता है !ये चिकित्सकों चिकित्सापद्धतियों एवं औषधियों के लिए चुनौती होते हैं । ऐसे रोगियों पर योग आयुर्वेद आदि किसी भी विधा का कोई असर नहीं होता है ऐसे समय में गरीब और साधन विहीन लोगों की तो छोड़िए बड़े बड़े राजा महराजा तथा सेठ साहूकार आदि धनी वर्ग के लोग जिनके पास चिकित्सा के लिए उपलब्ध बड़ी बड़ी व्यवस्थाएँ हो सकती हैं किंतु उनका भी वैभव काम नहीं आता है और उन्हें भी गम्भीर बीमारियों से बचाया नहीं जा पाता है !ऐसे समय कई बार प्रारम्भ में दिखाई पड़ने वाली छोटी छोटी बीमारियाँ   इलाज चलते रहने पर भी बड़े से बड़े रूप में बदलती चली जाती हैं छोटी छोटी सी फुंसियाँ कैंसर का रूप ले लेती हैं ।

             ऐसी परिस्थिति में इस बात पर विश्वास  किया जाना चाहिए कि जिस रोगी का जब जैसा अच्छा बुरा समय होता है तब तैसी बीमारियाँ होती हैं और उस पर औषधियों का असर भी उसके समय के अनुसार ही होता है । जिसका समय ठीक होता है ऐसे रोगी का इलाज करने पर उसे आसानी से रोग से मुक्ति मिल जाती है इसलिए ऐसे डॉक्टरों को आसानी से यश लाभ हो जाता है !

             इसलिए चिकित्सा में सबसे अधिक महत्त्व रोगी के समय का होता है जिसका समय अच्छा होता है ऐसे लोगों पर रोग भी छोटे होते हैं इलाज का असर भी जलदी होता है इसके साथ साथ ऐसे लोग यदि किसी दुर्घना का भी शिकार हों तो अन्य लोगों की अपेक्षा इन्हें चोट कम आती है या फिर बिलकुल नहीं आती है एक कर पर चार लोग बैठे हों तो और एक्सीडेंट हों टी कई बार देखा जाता है कि तीन लोग नहीं बचे किंतु एक को खरोंच भी नहीं आती है क्योंकि उसका समय अच्छा चल  रहा होता है ।

     भूतविद्या -आयुर्वेद के 6 अंगों में से चौथे अंग का नाम है भूत विद्या !इसी भूत विद्या के अंतर्गत महर्षि सुश्रुत कहते हैं कि देव असुर गन्धर्व यक्ष राक्षस पिटर पिशाच नाग ग्रह आदि के आवेश से दूषित मन वालों की  शांति कर्म ही भूत विद्या है । इसमें ग्रहों का वर्णन भी आया है !

           जिनका समय मध्यम होता है ऐसे लोग इस तरह के विकारों से  तब तक ग्रस्त रहते हैं जब तक  समय मध्यम रहता है ऐसे रोगी इन आवेशों के  कारण ही अचानक कभी बहुत बीमार हो जाते हैं और कभी ठीक हो जाते हैं जाँच होती है तो इनकी छाया हट जाती है और फिर पीड़ित करने लगती है ऐसे में जाँच रिपोर्टों में कुछ आता नहीं है और बीमारी बढ़ती चली जाती है दूसरी बात ऐसे लोग जहाँ जहाँ इलाज के लिए जाते हैं वहाँ वहाँ इन्हें एक बार एक दो बार फायदा मिल जाता है फिर वहीँ पहुँच जाते हैं इसीलिए ऐसे लोगों का चिकित्सा की सभी पद्धतियों पर भरोसा जमता चला जाता है किंतु पूरा लाभ कहीं से नहीं होता है यहाँ तक कि तांत्रिकों आदि पर भी ऐसी परिस्थिति में ही लोग भरोसा करने लगते हैं !जबकि सारा दोष इनके समय की खराबी का होता है ।

           समय स्वयं ही  सबसे बड़ी औषधि है -

           किसी को कोई बीमारी हो जाए और उसे कितनी भी अच्छी दवा क्यों न दे दी जाए किंतु लोग समय से ही स्वस्थ होते देखे जाते हैं चिकित्सा न होने पर स्वस्थ होने मेंसमय कुछ अधिक लगता है और चिकित्सा होने पर  समय कुछ कम लग जाता है ।विशेष बात ये भी है कि औषधि किसी को कितनी भी अच्छी क्यों न दे दी जाए किंतु ठीक वही होते हैं जिन्हें ठीक होना होता है यदि  ऐसा न होता तो बड़े बड़े राजा महाराजा सेठ साहूकार आदि सुविधा सम्पन्न बड़े बड़े धनी लोग हमेंशा हमेंशा के लिए स्वस्थ अर्थात अमर हो जाते !इससे सिद्ध होता है कि जीवनरक्षा की दृष्टि से चिकित्सा बहुत कुछ है किंतु सबकुछ नहीं है ।इसमें समय की भी बहुत बड़ी भूमिका है इसलिए समय का भी अध्ययन किया जाना चाहिए ।

    महामारी आदि सामूहिक बीमारियाँ होने के कारण -

            जब अश्विनी आदि नक्षत्र चन्द्र सूर्य आदि ग्रहों के विकार से समय दूषित हो जाता है उससे  ऋतुओं में विकार आने लगते हैं और समय में विकार आते ही देश और समाज पर उसका दुष्प्रभाव दिखने लगता है इससे वायु प्रदूषित होने लगती है और वायु प्रदूषित  होते ही जल दूषित होने लगता है और जब इन चारों चीजों में प्रदूषण फैलने लगता है तब विभिन्न प्रकृति वाले स्त्री पुरुषों को एक समय में एक जैसा  रोग हो जाता है । यथा -"वायुरुदकं देशः  काल इति "-चरक संहिता

         वायु से जल और जल से देश और देश से काल अर्थात समय सबसे अधिक बलवान होता है !

      " वाताज्जलं जलाद्देशं देषात्कालं स्वभावतः "-चरक संहिता

     महामारियाँ फैलते समय बनौषधियाँ भी गुणहीन हो जाती हैं !

         इसीलिए समय के विपरीत होने पर प्रकृति में दिखने वाले उत्पातों के फल जब प्रकट होते हैं तो सामूहिक रूप से बीमारियाँ फैलने लगती हैं कई बार तो यही बीमारियाँ महामारियों तक का रूप ले जाती हैं !जब नक्षत्र चन्द्र सूर्य आदि ग्रहों के विकारों के फल स्वरूप फल स्वरूप समाज में महामारियाँ फैलती हैं तो इनमें लाभ करने वालीबनौषधियाँ भी ग्रह विकारों के दुष्प्रभावों से इतना प्रभावित होती हैं कि महामारियों में लाभ करने वाले गुणों से हीन  हो जाती हैं अर्थात वो बनौषधियाँ अपने जिन गुणों के कारण जिन रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम होने के कारण प्रसिद्ध होती हैं किंतु महामारी फैलते समय उन औषधियों से भी उन गुणों का लोप हो जाता है ।इसलिए  ऐसी महामारियाँ फैलने का समय आने से पहले यदि बनौषधियों  का संग्रह कर लिया जाए तो वो बनौषधियाँ  महामारी फैलने के समय भी बीमारियों से लड़ने में सक्षम होती हैं क्योंकि प्राकृतिक उत्पातों का समय प्रारम्भ होने से पहले ही उनका संग्रह कर लिया जा चुका होता है ।

             यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न ये है कि महामारी फैलने से पहले ये पता कैसे चले ?

            कब महामारी फैलने वाली है और बिना पता चले ऐसे किन किन बनौषधियों  का कितना संग्रह किया जा सकता है !इसका उत्तर देते समय चरक संहिता में कहा गया है कि भगवान पुनर्वसुआत्रेय आषाढ़ के महीने में गंगा के किनारे बनों में घूमते हुए अपने शिष्य पुनर्वसु से बोले "देखो -स्वाभाविक अवस्था में स्थित अश्विनी आदि नक्षत्र चन्द्र सूर्य आदि ग्रह ऋतुओं में विकार करने वाले देखे जाते हैं इस समय शीघ्र ही पृथ्वी भी औषधियों के रस वीर्य विपाक तथा प्रभाव को यथावत उत्पन्न न करेगी इससे रोगों का होना अवश्यंभावी है अतएव जनपद विनाश से पूर्व भूमि के रस रहित होने से पूर्व औषधियों के रस,वीर्य,विपाक और प्रभाव के नष्ट होने से पूर्व बनौषधियों का संग्रह कर लो समय अाने पर हम इनके रस वीर्य विपाक तथा प्रभाव का उपयोग करेंगे !इससे जनपद नाशक विकारों को रोकने में कुछ कठिनाई नहीं होगी !"यथा -

      " दृश्यंते हि खलु सौम्य नक्षत्र ग्रह चंद्रसूर्यानिलानलानां दिशां च प्रकृति भूतानामृतु  वैकारिकाः भावाः "-चरक संहिता       

     मेरे कहने का आशय  यह है कि भगवान पुनर्वसुआत्रेय जी को  'समय शास्त्र (ज्योतिष)'का ज्ञान होने के कारण ही तो पता लग पाया कि आगे जनपद विद्ध्वंस  होने जैसी परिस्थिति पैदा  होने वाली है तभी संबंधित बीमारियों में लाभ करने वाली बनौषधियों के संग्रह के विषय में वे निर्णय ले सके ! सुश्रुत संहिता में तो ऐसे खराब ग्रह योगों को काटने के लिए प्रायश्चित्त एवं ग्रहों की शांति करने का विधान कहा गया है -

                                                प्रायश्चित्तं प्रशमनं चिकित्सा शांतिकर्म  च  ।

                                                                                                       -  सुश्रुतसंहिता       

    इसलिए चिकित्सा शास्त्र के लिए बहुत आवश्यक है 'समय शास्त्र (ज्योतिष)' का अध्ययन ! इसके बिना चिकित्सा शास्त्र  का सम्यक निर्वाह कर पाना कठिन ही नहीं अपितु असम्भव भी है ।

    मनोरोग -

      सुश्रुत संहिता में शारीरिक रोगों के लिए तो औषधियाँ बताई गई हैं  किंतु मनोरोग के लिए किसी औषधि का वर्णन न करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए शब्द स्पर्श रूप रस गंध आदि का सुखकारी प्रयोग करना चाहिए !

        यथा -  "मानसानां तु शब्दादिरिष्टो वर्गः सुखावहः |'

         कुल मिलाकर विश्व की किसी  भी चिकित्सा पद्धति में मनोरोगियों को स्वस्थ करने की कोई दवा नहीं होती नींद लाने के लिए दी जाने वाली औषधियाँ  मनोरोग की दवा नहीं अपितु नशा  हैं उन्हें मनोरोग की दवा नहीं कहा जा सकता है ! अब बात आती है  काउंसलिंग अर्थात परामर्श चिकित्सा की !

        काउंसलिंग अर्थात परामर्श चिकित्सा -

            काउंसलिंग के नाम पर चिकित्सावैज्ञानिक मनोरोगी को जो बातें समझाते हैं उनमें उस मनोरोगी के लिए कुछ नया और कुछ अलग से नहीं होता है क्योंकि स्वभावों के अध्ययन के लिए उनके पास कोई ठोस आधार नहीं हैं और बिना उनके किसी को कैसे समझा सकते हैं आप !कुछ मनोरोगियों पर किए गए कुछ अनुभव कुछ अन्य लोगों पर अप्लाई किए जा रहे होते हैं किंतु ये विधा कारगर है ही नहीं  हर किसी की परिस्थिति मनस्थिति सहनशीलता स्वभाव साधन और समस्याएँ आदि अलग अलग होती हैं उसी हिसाब से स्वभावों के अध्ययन की भी कोई तो प्रक्रिया होनी चाहिए !इस विषय में मैं ऐसे कुछ समझदार लोगों से मिला भी उनसे चर्चा की किंतु वे कहने को तो मनोचिकित्सक  थे किंतु मनोचिकित्सा के   विषय में  बिलकुल कोरे और खोखले थे !मैंने उनसे पूछा कि मन के आप चिकित्सक है तो मन होता क्या है तो उन्होंने कई बार हमें जो समझाया उसमें मन बुद्धि आत्मा विवेक आदि सबका घालमेल था किंतु मनोचिकित्सा की ये प्रक्रिया ठीक है ही नहीं क्योंकि इसके लिए हमें मन बुद्धि आत्मा आदि को अलग अलग समझना पड़ेगा और चोट कहाँ है ये खोजना होगा तब वहाँ लगाया जा सकता है प्रेरक विचारों का मलहम ! इसलिए ऐसी आधुनिक काउंसलिंग से केवल सहारा दे दे कर मनोरोगी का  कुछ समय तो  पास किया जा सकता है बस इससे ज्यादा कुछ नहीं !

     'समयशास्त्र' (ज्योतिष) -के द्वारा मनोचिकित्सा के क्षेत्र में किसी मनोरोगी का विश्लेषण करने के लिए उसके जन्म समय तारीख़ महीना वर्ष आदि पर रिसर्च कर के सबसे पहले उस मनोरोगी का स्थाई स्वभाव खोजना होता है इसके बाद उसी से उसका वर्तमान स्वाभाव निकालना होता है फिर देखना होता है कि रोगी का दिग्गज फँसा कहाँ है ये सारी चीजें समय शास्त्रीय स्वभाव विज्ञान के आधार पर तैयार करके इसके बाद मनोरोगी से करनी होती है बात और उससे पूछना कम और बिना  बताना ज्यादा होता है उसमें उसे बताना पड़ता है कि आप अमुक वर्ष के अमुक महीने से इस इस प्रकार की समस्या से जूझ रहे हैं उसमें कितनी गलती आपकी है और कितनी किसी और की ये सब अपनी आपसे बताना होता है उसके द्वारा दिया गया डिटेल यदि सही है तो ये प्रायः साठ से सत्तर प्रतिशत तक सही निकल आता है जो रोगी और उसके घरवालों ने बताया नहीं होता है इस कारण मनोरोगी को इन बातों पर भरोसा होने लगता है इसलिए उसका मन मानने को तैयार हो जाता है फिर वो जानना चाहता है कि ये तनाव घटेगा कब और घटेगा या नहीं !ऐसे समय इसी विद्या से इसका उत्तर खोजना होता है यदि घटने लायक संभावना निकट भविष्य में है तब तो वो बता दी जाती है और विश्वास दिलाने के लिए रोगी से कह  दिया जाता है कि मैं आपके बीते हुए जीवन से अनजान था मेरा बताया हुआ आपका पास्ट जितना सही है उतने प्रतिशत फ्यूचर भी सही निकलेगा !इस बात से रोगी को बड़ा भरोसा मिल जाता है और वह इसी सहारे बताया हुआ समय बिता लेता है !

     दूसरी बात इससे विपरीत अर्थात निकट भविष्य में या भविष्य में जैसा वो चाहता है वैसा होने की सम्भावना नहीं लगती है तो भी उसके  बीते  हुए समय के बारे में बताकर पहले तो विश्वास में ले लिया जाता है फिर फ्यूचर के विषय  में न बताकर  अपितु  घुमा फिरा कर कुछ ऐसा समझा दिया जाता है जिससे तनाव घटे और वो धीरे धीरे भूले इसके लिए कईबार उसके साथ बैठना होता है । आदि

     इस प्रकार से   मनोचिकित्सा के   विषय में भी  'समयशास्त्र' (ज्योतिष)की बड़ी भूमिका है

नवंबर घटनाएँ

 भीषण आग लगी -   


आतंकी हमला -

नई दिल्ली। एजेंसी
पाकिस्तान में मदरसे के पास ब्लास्ट, 25 की मौत 30 घायल see more... https://www.livehindustan.com/international/story-pakistan-blast-25-killed-and-35-injured-in-powerful-blast-in-pakistan-2279343.html




  • कुलगाम में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला, एक नागरिक जख्मी
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सेना के आरआर कैंप पर गुरुवार सुबह अचानक आतंकी हमला हो गया।see more...https://navbharattimes.indiatimes.com/video/news/varanasi-devotees-take-holy-dip-in-river-ganga-on-kartik-purnima/videoshow/66764954.cms


  • अमृतसर ग्रेनेड हमले में 3 की मौत, पंजाब पुलिस के DGP बोले- ये आतंकी हमला, जांच जारीUpdated Nov 18, 2018 | 19:07 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

पंजाब के अमृतसर स्थित एक धार्मिक समागम में हुए धमाके में रविवार को 3 लोगों की मौत हो गई। इसे लेकर पंजाब पुलिस ने कहा है कि वह इसे एक आतंकी हमला मान रही है।see more....https://hindi.timesnownews.com/india/article/blast-at-nirankari-bhawan-in-amritsar-punjab-police-says-we-are-counting-it-as-a-terror-act/316241






अनंतनाग, 23 नवंबर 2018, अपडेटेड 13:45 IST

भारतीय सुरक्षा बलों ने अनंतनाग जिले के सेतकीपोरा के बिजबिहाड़ा में जारी मुठभेड़ में 6 आतंकियों को मार गिराया है. क्षेत्र में कुछ आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके के कब्जे में लेकर एनकाउंटर शुरू कर दिया. दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में सुरक्षा बलों को कई आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली जिसके बाद सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया.see more...https://aajtak.intoday.in/story/bijbehara-encounter-6-terrorist-jammu-kashmir-security-forces-indian-army-anantnag-1-1042358.html

  • कश्मीर: शोपियां में आतंकियों से मुठभेड़ में एक जवान शहीद, चार आतंकी ढेर !सेना को इलाके में आतंकी मौजूद होने की जानकारी मिली थी, जिसके बाद यह ऑपरेशन शुरू किया गया था.see more....https://khabar.ndtv.com/news/india/jammu-kashmir-four-militants-killed-one-army-soldier-killed-in-shopian-encounter-1950145
  • अफगानिस्तान : आत्मघाती हमलावर ने इस्लामी विद्वानों को बनाया निशाना, 50 की मौत, 83 लोग घायल!अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मंगलवार को एक आत्मघाती हमलावर ने बड़ी संख्या में एकत्र इस्लामी विद्वानों को निशाना बनाया, जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई.see more...https://khabar.ndtv.com/news/world/afghanistan-suicide-bomber-targets-islamic-scholars-killing-50-people-1950763

    • न्यूज डेस्क, अमर उजाला, धर्मशाला Updated Sat, 24 Nov 2018 03:47 AM IST
      पंजाब से सटे हिमाचल के कांगड़ा में दिखे सात संदिग्ध, बस में सवार थे सभी, अलर्ट जारीsee more...https://www.amarujala.com/shimla/seven-suspected-terrorist-seen-in-kangra-alert-in-himachal

      • News18Hindi
        Updated: November 23, 2018, 11:23 PM IST
        पंजाब: पठानकोट में सेना की वर्दी में नजर आए 6 संदिग्‍ध आतंकी
        पंजाब पुलिस और सेना के जवानों ने सर्च ऑपरेशन भी शुरू कर दिया है. पठानकोट और इसके आसपास के इलाके में अलर्ट जारी किया गया है.पंजाब के पठानकोट में छह संदिग्‍ध आतंकी देखे जाने की खबर है. यह संदिग्ध सेना की वर्दी में बताए जाते हैं.see more....https://hindi.news18.com/news/nation/six-suspected-militants-seen-near-pathankot-alert-in-punjab-1593734.html
       
    • श्रीनगर, 27 नवंबर 2018, अपडेटेड 16:05 IST जम्मू-कश्मीर: 15 दिन में हुए 5 मुठभेड़, 15 आतंकी ढेर!अशरफ वानी [Edited by: रविकांत सिंह ]
      कश्मीर में पिछले 15 दिनों में हुए 5 मुठभेड़ों में कुल 15 आतंकी मारे गए हैं. मंगलवार सुबह भी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और कुलगाम में दो मुठभेड़ हुई जिसमें 3 आतंकी मारे गए. सेना का एक जवान भी शहीद हो गया, जबकि सीआरपीएफ के 1 अधिकारी और जवान घायल हैं. यहां पंचायत चुनाव का चौथा चरण चल रहा है और दक्षिण कश्मीर में हालात तनावपूर्ण हैं.see more....https://aajtak.intoday.in/video/jammu-and-kashmir-encounter-security-forces-and-terrorists-kulgam-pahalgam-rdsv-1-1043135.html
       
      एक आतंकी जो बन गया देशभक्त और जॉइन कर ली ARMY, दुश्मनों को ढेर कर हुआ शहीद
      ऑपरेशन में सेना का एक जवान लांसनायक नजीर अहमद वानी (Lance Naik Nazir Ahmed Wani) शहीद हो गए थे. शहीद हुए नजीर अहमद की कहानी सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.see more...https://khabar.ndtv.com/news/zara-hatke/terrorist-who-became-armyman-dies-fighting-for-nation-1954043
        
      • 26-11-2018  दिल्ली को दहलाने वाले थे आतंकी !
       

आंदोलन-
 
  • Publish Date:Sun, 18 Nov 2018 11:26 AM (IST) 
पंजाब में किसान आंदोलन से 14 ट्रेनों का बदला रूट, सात रद, घर से निकलने से पहले जरूर जान लें see more... https://www.jagran.com/delhi/new-delhi-city-ncr-train-cancelled-and-many-diverted-due-to-farmers-protest-in-punjab-18649604.html

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    एक बार फिर सड़कों पर उतरे अन्नदाता, ठाणे से मुंबई तक मार्च कर रहे 20 हजार किसान
    महाराष्ट्र में एक बार फिर से बड़ी संख्या में किसान सड़क पर उतर चुके हैं. महाराष्ट्र के हज़ारों किसान मुंबई कूच के लिए तैयार हैं.see more... https://khabar.ndtv.com/news/maharashtra/maharashtra-farmers-march-from-thane-to-mumbai-demanding-drought-compensation-1950904

    • कर्नाटक के CM कुमारस्वामी ने महिला से कहा, “पिछले 4 सालों से कहां सो रही थीं?”
      कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा एक महिला किसान पर की गई टिप्पणी से काफी विवाद उत्पन्न हो गया है. उनके इस टिप्पणी ने विरोधी दलों को उनपर निशाना साधने का मौका दे दिया है.see more... https://khabar.ndtv.com/news/south-india/where-were-you-sleeping-says-hd-kumaraswamy-to-woman-karnataka-1950093


      विधान सभा भंग -
      न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, जम्मू Updated Wed, 21 Nov 2018 09:17 PM IST

      जम्मू-कश्मीर: सत्ता संग्राम के बीच पीडीपी, कांग्रेस, एनसी को बड़ा झटका, राज्यपाल ने भंग की विधानसभाsee more... https://www.amarujala.com/jammu/governor-jammu-kashmir-satyapal-malik-dissolves-the-vidhansabha


    श्री राम मंदिर आंदोलन -
    • Dainik BhaskarNov 23, 2018, 08:21 PM IST 

    अयोध्या. यहां रविवार को होने वाली हिंदू संगठनों की ‘धर्म सभा’ से पहले राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को अयोध्या में कहा कि हमने 17 मिनट में बाबरी मस्जिद तोड़ी थी, तो कानून बनाने में कितना वक्त लगेगा?see more...https://www.bhaskar.com/national/news/ayodhya-dispute-sanjay-raut-said-shivsena-can-do-anything-for-ram-mandir-01324487.html

    • पीयूष तिवारी,अमर उजाला,वाराणसी Updated Fri, 23 Nov 2018 04:29 PM IST
      काशी में संसद की तरह चलेगी इस बार धर्म संसद की कार्यवाही, जारी होगा असली 'धर्मादेश'
      देश में सनातनी परंपरा की दिशा तय करने के लिए 25 नवंबर से 27 नवंबर तक वाराणसी के सीर गोवर्धन में आयोजित होने वाली धर्म संसद 1008 की कार्यवाही संसद और विधानमंडल की तरह चलेगी। धर्म संसद में चारों मठों के शंकराचार्यों के प्रतिनिधि, 13 अखाड़ों के संत, 170 विद्वान, 99 देशों से धर्म प्रतिनिधि, 8 अन्य धर्मों के लोग, 108 धर्माचार्य व संस्था प्रतिनिधि, 36 धर्मसेवा प्रमुख, प्रभारी व संयोजक तथा 36 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के अलावा 543 संसदीय क्षेत्रों का भी एक-एक प्रतिनिधि शामिल होगा।see more...https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/varanasi/dharma-sansad-wiil-be-organise-like-parliament-session-at-varanasi




     



Wednesday, 21 November 2018

जलवायुपरिवर्तन

   
      जलवायुपरिवर्तन:  जल और वायु के स्वभाव और स्वरूप में परिवर्तन होना संभव ही नहीं है क्योंकि जीवन का आधार जल और वायु ही तो है ऐसी परिस्थिति में जलवायु परिवर्तन का जीवन पर कोई असर नहीं है !
    दूसरी बात प्रकृति के स्वभाव से ही सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुओं का क्रम निश्चित है ,मात्रा एवं अवधि अनिश्चित है इसलिए सर्दी गर्मी वर्षा आदि की मात्रा में कमी या अधिकता होना ऋतुओं का अपना अपना स्वभाव है !किंतु इससे ये कैसे सिद्ध हो जाता है कि जलवायु में कोई परिवर्तन हुआ है इसमें जलवायु परिवर्तन के सैद्धांतिक और वैज्ञानिक आधार क्या हैं ? 
       मित्रता जैसी संबंधों की महान अवस्था को कभी भी पसंद या नापसंद के आधार पर नहीं बनाना या छोड़ देना चाहिए क्योंकि पसंद मन का विषय है और मन तो बदला करता है!इसलिए ऐसी मित्रता भी किसी के प्रति बनती बिगड़ती रहती है !उसके ये कुछ प्रमुख कारण  से
  1. पहला कारण स्वार्थ होता है स्वार्थ के कारण संबंध बनते बिगड़ते रहते हैं !
  2. दूसरा कारण संबंधित लोगों के नाम के पहले अक्षरों का उनके स्वभाव पर पड़ने वाला असर !
  3. तीसरा कारण उन दोनों का अपना अपना समय होता है जिस व्यक्ति का अपना समय बहुत अच्छा चल रहा होता है वह व्यक्ति बुरे समय से ग्रस्त अपने भूतपूर्व मित्र  की मित्रता का परित्याग  कर देता है !यद्यपि अच्छे और बुरे  समय से ग्रस्त दो बहुत पूर्वमित्रों के आचार व्यवहार संस्कार सदाचार सोच आदि में भारी अंतर आ चुका होता है जबकि पूर्व में उन दोनों के स्वभाव सामान थे तब मित्रता हुई थी किंतु  समय  बदल जाने से स्वभाव  बदल जाता है !पसंद नापसंद बदल जाती है जिसे पहले आप पसंद कर रहे होते हैं वही ना पसंद होने लगता है !
      किसी लड़की - लड़के या स्त्री - पुरुष को देखकर यदि आपको गुस्सा लगने लगे,उसकी चर्चा या प्रशंसा सुनने में आपको बुरा लगने लगे !किसी के द्वारा किए गए अच्छे कामों में भी यदि आपका मन कमी निकालने का होने लगे अकारण ही किसी की निंदा करने का मन हो तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वो व्यक्ति गलत ही हो या स्वयं आप ही गलत हों ऐसा भी नहीं है अपितु संभव ऐसा भी है कि आपके और उसके नाम के पहले अक्षर एक दूसरे के लिए अच्छे न हों इसीलिए उन अक्षरों ने अकारण ही ऐसा स्वभाव बना दिया है !
      इसी प्रकार से किसी को देखकर आपको सुख मिलता है उसकी बातें हृदय को आनंदित करती हैं उसके विषय की चर्चा या उसकी प्रशंसा सुनने में आपको अच्छा लगने लगता है उसके गलत आचरणों में भी आप अच्छाइयाँ खोजने लगते हैं !इसका मतलब आपके और उसके नाम का पहलाक्षर आपके नाम के पहले अक्षर को प्रभावित कर रहा होता है !
      ऐसी परिस्थिति में स्वार्थ के कारण ,समय के कारण ,नाम के पहले अक्षर के कारणों से प्रभावित होकर हम अपने मित्र और शत्रु बना लेते हैं जबकि अपनी पसंद के आधीन होकर उनमें से जिन लोगों को हम मित्र बना लेते हैं वे ज्ञान प्रतिभा चरित्र कर्मठता अपनेपन ईमानदारी आदि की दृष्टि से वे हमारे मित्र बनने के योग्य नहीं होते हैं और जो लोग वास्तव में हमारे मित्र बनने लायक होते हैं उनकी पहचान हम नहीं कर पाते हैं !इसीप्रकार से कुछ कारणों से या अपनी मूडीपन के कारण हम कुछ ऐसे लोगों को शत्रु बना बैठते हैं जो वास्तव में हमारे लिए बहुत अच्छे हितैषी एवं अपनेपन की सोच रखने वाले होते हैं !+

 ण हर किसी की पसंद और नापसंद प्रभाव में आकर

Wednesday, 14 November 2018

माननीय कुलपति महोदय जी


माननीय कुलपति महोदय                                            आपको सादर प्रणाम !
विषय :वेदविज्ञान से संबंधित अनुसंधान के विषय में -

       मान्यवर ! 
       मैंने शोधकार्य काशीहिन्दूविश्वविद्यालय से ही किया है! पिछले तीस वर्षों से मैं वेदविज्ञान के विभिन्न पक्षों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसमें मौसम के विषय में महत्त्व पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है !यहाँ तक कि आधुनिक मौसमविज्ञान मौसम की जिन गुत्थियों को सुलझाने में असफल रहा है वेद विज्ञान के आधार पर उन्हें भी सुलझाने में सफलता प्राप्त हुई है !जिसके हमारे पास पर्याप्त प्रमाण हैं !
   वर्षा-बाढ़, आँधी- तूफान ,वायुप्रदूषण जैसे विषयों के भी वेदवैज्ञानिक पूर्वानुमान 90 प्रतिशत सही सिद्ध हो रहे हैं !जिसकी आधुनिक मौसमविज्ञान से कल्पना ही नहीं की जा सकती है !इसके अलावा भूकंपों के पूर्वानुमानसे संबंधित अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं जो आधुनिक विज्ञान के शोध से काफी अधिक हैं !इसीप्रकार से चिकित्सा एवं मनोचिकित्सा के क्षेत्र में वेद विज्ञान की महत्वपूर्व भूमिका सिद्ध हुई है ! इसके अतिरिक्त भी कुछ विषय हैं जिनमें वेदविज्ञान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है !इन बातों को सप्रमाण कहीं भी प्रस्तुत करके सिद्ध किया जा सकता है !
     मुझे विश्वास है कि 'काशीहिन्दूविश्वविद्यालय' में आपके तत्वावधान में जिस 'वेदविज्ञानविभाग' की संरचना की गयी है !यद्यपि 'काशीहिन्दूविश्वविद्यालय' पर भारत सरकार ने यह बड़ी जिम्मेदारी डाली है फिर भी मेरा विश्वास है कि इस जिम्मेदारी का यदि ठीक से निर्वाह हो सका तो यहाँ ऐसे महान वेदवैज्ञानिकअनुसंधान प्रकट किए जा सकते हैं जिनके माध्यम से विश्व के आधुनिक वैज्ञानिक समुदाय के सामने भारत वर्ष का प्राचीन विश्व गुरुत्व पुनः प्रतिष्ठित हो सकता है !
      मान्यवर !इसके लिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि वेद वैज्ञानिक अनुसंधान संबंधी यह दायित्व उन्हीं कर्मठ परिश्रमी वेदविद्वानों को सौंपा जाए जिन्होंने पहले भी वेदविज्ञान के किसी पक्ष पर कोई ऐसा सक्षम अनुसन्धान करके अपने  वैज्ञानिक होने की योग्यता प्रमाणित की हो !ऐसे लोग ही इस महान कार्य को कर सकते हैं !इस विषय में मेरे योग्य कोई जिम्मेदारी यदि मुझे भी सौंपी जाएगी तो मैं भी उसे निर्वाह करने में अपना सौभाग्य समझूंगा !
     मुझे भय है कि सरकारीवेदविद्वान् लोग वेदविज्ञान के इस महान अनुसन्धान कार्य के नाम पर केवल कुछ  कुछ शोधप्रबंध  मात्र तैयार करके ही न अपने कर्तव्य की इति श्री कर दें !
        महोदय ! वहाँ मुझे भी बहुत विद्वान् जानते हैं और मैं भी उनसे सर्वांग सुपरिचित हूँ इसलिए मेरा उद्देश्य किसी विद्वान् को ठेस पहुँचाना नहीं है अपितु मेरा उद्देश्य इस वेदवैज्ञानिकशोध के लिए अधिकतम प्रयास करके वेद विद्या को विश्व के समक्ष पुनः प्रतिष्ठित करना है !मेरी बातों में कहीं कोई गलती लगी हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ !सरकार के सहारे अब तक 


Monday, 12 November 2018

वायुप्रदूषण

                 वायुप्रदूषण बढ़ने का वास्तविक कारण क्या है ?

     भारत में वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए वैज्ञानिकों के द्वारा इतने अधिक कारण बताए जा रहें हैं उनमें से सच किन्हें माना जाए भरोसा उनकी किस प्रकार की बातों पर किया जाए और जनता सुधार क्या करे ?जनता में भयंकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है सरकार प्रदूषण के लिए कब किसे कितना जिम्मेदार ठहरा देगी और प्रदूषण कम करने के लिए कब कौन सा उपाय सुझा देगी भरोसा ही नहीं हो रहा है !इस विषय में किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं दिखती है !

     1.  उद्योगधंधों से धुआँ निकलने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
     2.  बाहनों के द्वारा धुआँ फेंकने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
      3. मकान बनाने से उड़ने वाली धूल के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
      4. गर्मी में वायु प्रदूषण बढ़ता है तो वायु अधिक चलने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
      5.  सर्दी में वायु प्रदूषण बढ़ता है तो वायु कम चलने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
       6. दिवाली के बाद बढ़ता है तो पटाखे जलाने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !   
       7. दिवाली के पहले बढ़ता है तो पराली जलाने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
       8. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है महिलाओं के स्प्रे अधिक करने के कारण  वायु प्रदूषण बढ़ता है !
       9.भौगोलिक कारणों से वायु प्रदूषण  बढ़ता है !
  ऐसी परिस्थिति में इन दकियानूसी बातों से ऊपर उठकर मैं सरकार से जानना चाहता हूँ कि  प्रदूषण बढ़ने के विषय में सरकार ने कोई वैज्ञानिक पारदर्शी अनुसंधान करवाया है क्या ? जिसके आधार पर सरकार के पास कोई तर्क युक्त पारदर्शी उत्तर है क्या और यदि है तो बताए -
  1. "वायु प्रदूषण बढ़ने का वास्तविक कारण क्या है और उसका वास्तविक निवारण क्या है "?
  2.  सरकार के द्वारा सुझाए गए उपायों को यदि मान लिया जाए तो सरकार कितने प्रतिशत आश्वस्त है कि वायु प्रदूषण समाप्त हो ही जाएगा ?

Friday, 9 November 2018

आँधीतूफान : अक्टूबर - 2018

इनबॉक्स
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Dr.Shesh Narayan Vajpayee <vajpayeesn@gmail.com>


अटैचमेंट4 अक्तू॰ 2018, 11:03 pm







rajnish.ranjan, Ramesh, kj.ramesh, arunpandeyiisf,मैं 
डॉ .शेषनारायण वाजपेयी ज्योतिषाचार्य,
व्याकरणाचार्य,
Ph.D.   हिंदी(ज्योतिष) B.H.U
                                                     आँधीतूफान : अक्टूबर - 2018

   बहुत वर्षों के बाद ऐसा दिखेगा जब अक्टूबर के महीने में आँधी तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाओं  के प्रकोप देखने को मिलेंगे !चक्रवात सुनामी भूकंप जैसी घटनाएँ कुछ देशों को बिचलित कर सकती हैं सरकारों के द्वारा जन धन के हित  के लिए किए जाने वाले अधिकतम प्रयास भी कमजोर सिद्ध होंगे !इस वर्ष कुछ देशों में ऐसा प्राकृतिक वातावरण बनेगा जो शायद पिछले कुछ दशकों में न दिखाई पड़ा हो !
     आँधी तूफ़ान लाने वाला ऐसा समय 10 अक्टूबर 2018 से  प्रारंभ हो जाएगा जो सारे अक्टूबर के महीने में तो रहेगा ही आगे भी पीड़ित  करता रहेगा ! इसलिए इस महीने हवाओं का वेग विशेष अधिक होगा !इसमें भी 11,12,13,14 तारीखों में आँधी तूफ़ान चक्रवात जैसे प्राकृतिक प्रकोप देखने को मिलेंगे !18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक आँधी तूफान की घटनाएँ अधिक घटित होंगी !इस दृष्टि से 24, 25, 26, 27, 28 तारीखों में उठे बवंडरों का स्वरूप अत्यंत विकराल होगा !इसकी चपेट में जो देश आ जाएँगे उनका बड़ा नुक्सान होगा !इसमें भी 25,26,27 तारीखों में आँधी तूफ़ानों  के साथ साथ सुनामी और भूकंप जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का प्रबल भय है !29,30 और 31 तारीखों में भी आँधी तूफान जैसी घटनाएँ तो घटित होंगी किंतु उतनी अधिक हिंसक नहीं होंगी !
    जिन देशों स्थानों में बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ नहीं भी घटित होंगी वहाँ भी वायु का वेग क्रमशः बढ़ता चला जाएगा !12 अक्टूबर से 17अक्टूबर तक प्रायः प्रत्येक देश में वायु का वेग अधिक होगा !
                                                                                          निवेदक -
                                                                                 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
                                                                         फ्लैट नं 2 ,A-7 /41,कृष्णानगर,दिल्ली -51
                                                                                       मो.9811226973 /83
                                                                           Gmail -vajpayeesn @gmail.com
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