आदरणीय प्रधानमंत्री जी !
सादर नमस्कार !
विषय: " क्लाइमेटचेंज ,ग्लोबलवार्मिंग,मौसम की अनियमितता से संबंधित वैदिकविज्ञान की दृष्टि से अनुसंधान के विषय में !
महोदय,
"क्लाइमेटचेंज या ग्लोबलवार्मिंग जैसी बातों का मौसम संबंधी घटनाओं पर कोई असर पड़ता है या नहीं ?"इस विषय पर मैं लगभग पिछले तीस वर्षों से भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के आधार पर मौसम संबंधी अनुसन्धान करता चला आ रहा हूँ ! जो 70-80 प्रतिशत तक सही घटित होता आ रहा है ! इसके आधार पर प्राचीन भारत के ऋषिमुनि लोग वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का महीनों एवं वर्षों पहले पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !आज इस पद्धति को मौसम विज्ञान के लोग आधार विहीन बता रहे हैं !
श्रीमान जी !जिस सिद्धांतगणित के द्वारा वर्षों पहले सुदूर आकाश में घटित होने वाले सूर्य चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है उसी गणित के द्वारा उन्हीं सूर्य चंद्र की गति युति से निर्मित होने वाले सभी प्रकार के मौसमों का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें आश्चर्य की बात क्या है और इसे बेसलेस कैसे कहा जा सकता है !वो भी तब जबकि मैं इसी गणित के आधार पर वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान प्रत्येक महीने के पहले ही मौसम विभाग को उपलब्ध करता आ रहा हूँ जो उनके जीमेल पर अभी भी विद्यमान हैं !वो कितने सही हुए कितने गलत इसका मिलान करके हमारी बातों का परीक्षण किया जा सकता है !मेरे पास भी इस विषय में मीडिया से प्राप्त प्रमाण संगृहीत हैं !जिनका परीक्षण करके उचित उत्तर दिया जाना चाहिए था !यदि सच्चाई है तो प्रोत्साहन मिलना चाहिए था !किन्तु ऐसा नहीं किया गया !
श्रीमान जी !इस गणितविधा के आधार पर ग्लोबलवार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे भ्रम का निराकरण भी किया जा सकता है! दिल्ली के वायु प्रदूषण का पंजाब में पराली जलाने से संबंध है या नहीं इसका निराकरण भी किया जा सकता है !सं 2016 की गर्मियों में अधिक आग लगने की घटनाएँ हों या 2018 में अधिक आँधी आने की घटनाएँ इनका भी पूर्वानुमान इसी गणित के द्वारा लगा लिया जाता है !
इसके अलावा कोई किसी क्षेत्र विशेष के लिए प्रकृति के द्वारा भेजे गए किसी आकस्मिक संदेश को देने के लिए आते हैं भूकंप !जिन्हें समझ कर उस क्षेत्र विशेष में निकट भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राष्ट्रीय या आतंकवाद जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ! किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में संयुक्त रूप से आने वाले भूकंप उन देशों के आपसी संबंधों के विषय में या फिर उन देशों में संयुक्त रूप से घटित होने वाली किसी घटना की सूचना दे रहे होते हैं ! भूकंप आने के बाद आधा घंटा के अंदर गणित और वहाँ की प्राकृतिक परिस्थिति का परीक्षण करके उस संदेश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
महोदय ! इस अनुसंधान को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से मैं सरकार के कई लोगों विभागों अधिकारियों से मिल चुका हूँ किंतु वेद विज्ञान का नाम सुनते ही वो रूचि नहीं लेते हैं !उनका तर्क होता है कि आधुनिक विज्ञान को बिना पढ़े कोई ऐसे विषयों पर अनुसन्धान कैसे कर सकता है !
ऐसी परिस्थिति में मैं आपसे मिलकर प्रमाण सहित अपना अनुसन्धान आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिस हेतु मैं आपसे मिलने के लिए समय चाहता हूँ !
इसलिए यह कृषि कार्यों के लिए तो उपयोगी है ही साथ साथ इसके द्वारा प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा करके राहत और बचाव कार्यों की दृष्टि से भी सतर्कता बरतकर जन धन की हानि को कम किया जा सकता है !
सहयोग लिया जा सकता है !
जो सही भी होता है
जिसके आधार पर मौसम संबंधी
ब्रह्मांड और शरीर की संरचना एक प्रक्रिया से हुई है! इसीलिए ब्रह्मांड में जो घटित हो रहा होता है शरीरों में भी वही घटित होना होता है !
जो प्रकृति में घटित होता है वही ब्रह्मांड और जीवन दोनों ही समय के द्वारा संचालित हैं !
क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग जैसे वैदिकविज्ञान के माध्यम से मैं पिछले लगभग तीस वर्षों से अनुसंधान कर रहा हूँ !जिसमें मैंने अनुभव किया है कि संसार में कोई भी कार्य प्रयास और परिश्रम से किया जाता है किंतु उसका होना या न होना समय पर आश्रित होता है !किन्हीं सौ रोगियों की चिकित्सा के लिए डाक्टरों के द्वारा एक जैसा प्रयास किए जाने पर भी समय के प्रभाव से कुछ रोगी स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ऐसा संसार के प्रत्येक प्रयास का परिणाम मिलने में होते देखा जाता है !इस दृष्टि से प्राकृतिक घटनाएँ भी समय से ही घटित होती हैं और प्राकृतिक आपदाएं भी समय के कारण ही घटित होती हैं
भारतीय समय की इस विषय पर मैंने वैदिकविज्ञान विधि से लगभग पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ !जिसमें मैंने पाया कि जिन प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय के आधार पर किया जाता है वो लगभग 80 प्रतिशत सही घटित होते देखा जा रहा है ! प्रकृति में जिस दिन जिस प्रकार की घटनाएँ घटित होने का समय चल रहा होता है वो उस दिन घटित होती हैं ऐसी एक तरह की घटनाएँ एक समय में कुछ स्थानों ,प्रदेशों ,देशों आदि में घटित हो रही होती हैं !कुछ घटनाओं में कभी कभी एक या दो दिन का अंतर पड़ते देखा जाता है!
यदि आँधी तूफ़ानों चक्रवातों एवं वर्षा बाढ़ आदि घटनाओं पर क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का थोड़ा भी असर पड़ता होता तो इनसे संबंधित महीनों पहले किए गए पूर्वानुमानों का सही समय पर घटित हो पाना असंभव होता !जबकि ऐसा नहीं है !
किस तारीख को कौन सी प्राकृतिक घटना किस स्थान ,प्रदेश ,देश आदि में घटित होगी इसके लिए अनुसंधान अभी जारी है किंतु किस दिशा में घटित होगी !इससे संबंधित पूर्वानुमान 60 प्रतिशत से अधिक सच होते देखे जाते हैं !
इसी 'समयविज्ञान' के आधार पर मैंने भूकंपों के विषय में अभी तक जो अनुसंधान किया है उसके आधार पर भूकंप के 4 प्रकार होते हैं जिनमें कुछ भूकंप सूर्य से निर्मित होते हैं कुछ चंद्र से कुछ वायु से एवं कुछ इन तीनों के संयुक्त प्रभाव से निर्मित होते हैं भूकंप काल में ये भूकंप उस क्षेत्र में अपने स्वभाव के अनुसार प्रभाव छोड़ रहे होते हैं ! जो भूकंप जिस क्षेत्र में आते हैं वे उसी क्षेत्र से संबंधित कोई सूचना दे रहे होते हैं !जिस क्षेत्र में जिस प्रकार की घटना घटित होनी होती है वहाँ उस समय उसी प्रकार का भूकंप आता है 90 दिन पहले से वहाँ की प्रकृति में उस प्रकार के चिन्ह उभरने लगते हैं !उस क्षेत्र के पेड़ पौधों जीव-जंतुओं,पशु-पक्षियों, मनुष्यों के स्वभावों आकृतियों एवं स्वास्थ्य संबंधी परिवर्तनों में भी भावी भूकंपों का प्रभाव प्रकट होने लगता है !जिनका निरंतर और सूक्ष्म अध्ययन करने से भावी भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाना भी संभव हो सकता है !सीमित संसाधनों और सीमित समय के कारण इस विषय में अभी रिसर्च जारी है !
निकट भविष्य में कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जो जीवन समाज सरकार आतंकवाद या लोगों के सामूहिक स्वास्थ्य से संबंधित होती है किंतु उस घटना के विषय में किसी को पता नहीं होता है !ऐसे ही किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में एक समय एक साथ आने वाले भूकंप उन दोनों देशों के विषय में कोई ऐसी सूचना दे रहे होते हैं जो उन दोनों देशों के हित अहित से संबंध रखती है या उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के विषय में हो जो निकट भविष्य में घटित होने जा रहे होते हैं !
ऐसे मैंने सैकड़ों भूकंपों पर अनुभव किया है जिनके आधार पर अभी तक पूर्वानुमान भले ही न लगाए जा सके हों किंतु ये सूचनाएँ 80 प्रतिशत तक सही घटित होते देखी जाती हैं!जिसके तर्कयुक्त प्रमाण हमने संग्रह किए हैं !
जिसके परिणाम स्वरूप मैं इस निश्चय पर पहुँच पाया हूँ कि "क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का मौसम पर कोई विशेष असर नहीं होता है क्योंकि मैंने
पिछले तीस वर्षों से रिसर्च करता चला आ रहा हूँ मैं यह जानना चाहता था जिससे ये पता लगा कि मौसम और सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं तथा प्राकृतिक आपदाओं का ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज से कोई संबंध होना संभव ही नहीं है !
सादर नमस्कार !
विषय: " क्लाइमेटचेंज ,ग्लोबलवार्मिंग,मौसम की अनियमितता से संबंधित वैदिकविज्ञान की दृष्टि से अनुसंधान के विषय में !
महोदय,
"क्लाइमेटचेंज या ग्लोबलवार्मिंग जैसी बातों का मौसम संबंधी घटनाओं पर कोई असर पड़ता है या नहीं ?"इस विषय पर मैं लगभग पिछले तीस वर्षों से भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के आधार पर मौसम संबंधी अनुसन्धान करता चला आ रहा हूँ ! जो 70-80 प्रतिशत तक सही घटित होता आ रहा है ! इसके आधार पर प्राचीन भारत के ऋषिमुनि लोग वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का महीनों एवं वर्षों पहले पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !आज इस पद्धति को मौसम विज्ञान के लोग आधार विहीन बता रहे हैं !
श्रीमान जी !जिस सिद्धांतगणित के द्वारा वर्षों पहले सुदूर आकाश में घटित होने वाले सूर्य चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है उसी गणित के द्वारा उन्हीं सूर्य चंद्र की गति युति से निर्मित होने वाले सभी प्रकार के मौसमों का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें आश्चर्य की बात क्या है और इसे बेसलेस कैसे कहा जा सकता है !वो भी तब जबकि मैं इसी गणित के आधार पर वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान प्रत्येक महीने के पहले ही मौसम विभाग को उपलब्ध करता आ रहा हूँ जो उनके जीमेल पर अभी भी विद्यमान हैं !वो कितने सही हुए कितने गलत इसका मिलान करके हमारी बातों का परीक्षण किया जा सकता है !मेरे पास भी इस विषय में मीडिया से प्राप्त प्रमाण संगृहीत हैं !जिनका परीक्षण करके उचित उत्तर दिया जाना चाहिए था !यदि सच्चाई है तो प्रोत्साहन मिलना चाहिए था !किन्तु ऐसा नहीं किया गया !
श्रीमान जी !इस गणितविधा के आधार पर ग्लोबलवार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे भ्रम का निराकरण भी किया जा सकता है! दिल्ली के वायु प्रदूषण का पंजाब में पराली जलाने से संबंध है या नहीं इसका निराकरण भी किया जा सकता है !सं 2016 की गर्मियों में अधिक आग लगने की घटनाएँ हों या 2018 में अधिक आँधी आने की घटनाएँ इनका भी पूर्वानुमान इसी गणित के द्वारा लगा लिया जाता है !
इसके अलावा कोई किसी क्षेत्र विशेष के लिए प्रकृति के द्वारा भेजे गए किसी आकस्मिक संदेश को देने के लिए आते हैं भूकंप !जिन्हें समझ कर उस क्षेत्र विशेष में निकट भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राष्ट्रीय या आतंकवाद जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ! किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में संयुक्त रूप से आने वाले भूकंप उन देशों के आपसी संबंधों के विषय में या फिर उन देशों में संयुक्त रूप से घटित होने वाली किसी घटना की सूचना दे रहे होते हैं ! भूकंप आने के बाद आधा घंटा के अंदर गणित और वहाँ की प्राकृतिक परिस्थिति का परीक्षण करके उस संदेश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
महोदय ! इस अनुसंधान को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से मैं सरकार के कई लोगों विभागों अधिकारियों से मिल चुका हूँ किंतु वेद विज्ञान का नाम सुनते ही वो रूचि नहीं लेते हैं !उनका तर्क होता है कि आधुनिक विज्ञान को बिना पढ़े कोई ऐसे विषयों पर अनुसन्धान कैसे कर सकता है !
ऐसी परिस्थिति में मैं आपसे मिलकर प्रमाण सहित अपना अनुसन्धान आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिस हेतु मैं आपसे मिलने के लिए समय चाहता हूँ !
इसलिए यह कृषि कार्यों के लिए तो उपयोगी है ही साथ साथ इसके द्वारा प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा करके राहत और बचाव कार्यों की दृष्टि से भी सतर्कता बरतकर जन धन की हानि को कम किया जा सकता है !
सहयोग लिया जा सकता है !
जो सही भी होता है
जिसके आधार पर मौसम संबंधी
ब्रह्मांड और शरीर की संरचना एक प्रक्रिया से हुई है! इसीलिए ब्रह्मांड में जो घटित हो रहा होता है शरीरों में भी वही घटित होना होता है !
जो प्रकृति में घटित होता है वही ब्रह्मांड और जीवन दोनों ही समय के द्वारा संचालित हैं !
क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग जैसे वैदिकविज्ञान के माध्यम से मैं पिछले लगभग तीस वर्षों से अनुसंधान कर रहा हूँ !जिसमें मैंने अनुभव किया है कि संसार में कोई भी कार्य प्रयास और परिश्रम से किया जाता है किंतु उसका होना या न होना समय पर आश्रित होता है !किन्हीं सौ रोगियों की चिकित्सा के लिए डाक्टरों के द्वारा एक जैसा प्रयास किए जाने पर भी समय के प्रभाव से कुछ रोगी स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ऐसा संसार के प्रत्येक प्रयास का परिणाम मिलने में होते देखा जाता है !इस दृष्टि से प्राकृतिक घटनाएँ भी समय से ही घटित होती हैं और प्राकृतिक आपदाएं भी समय के कारण ही घटित होती हैं
भारतीय समय की इस विषय पर मैंने वैदिकविज्ञान विधि से लगभग पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ !जिसमें मैंने पाया कि जिन प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय के आधार पर किया जाता है वो लगभग 80 प्रतिशत सही घटित होते देखा जा रहा है ! प्रकृति में जिस दिन जिस प्रकार की घटनाएँ घटित होने का समय चल रहा होता है वो उस दिन घटित होती हैं ऐसी एक तरह की घटनाएँ एक समय में कुछ स्थानों ,प्रदेशों ,देशों आदि में घटित हो रही होती हैं !कुछ घटनाओं में कभी कभी एक या दो दिन का अंतर पड़ते देखा जाता है!
यदि आँधी तूफ़ानों चक्रवातों एवं वर्षा बाढ़ आदि घटनाओं पर क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का थोड़ा भी असर पड़ता होता तो इनसे संबंधित महीनों पहले किए गए पूर्वानुमानों का सही समय पर घटित हो पाना असंभव होता !जबकि ऐसा नहीं है !
किस तारीख को कौन सी प्राकृतिक घटना किस स्थान ,प्रदेश ,देश आदि में घटित होगी इसके लिए अनुसंधान अभी जारी है किंतु किस दिशा में घटित होगी !इससे संबंधित पूर्वानुमान 60 प्रतिशत से अधिक सच होते देखे जाते हैं !
इसी 'समयविज्ञान' के आधार पर मैंने भूकंपों के विषय में अभी तक जो अनुसंधान किया है उसके आधार पर भूकंप के 4 प्रकार होते हैं जिनमें कुछ भूकंप सूर्य से निर्मित होते हैं कुछ चंद्र से कुछ वायु से एवं कुछ इन तीनों के संयुक्त प्रभाव से निर्मित होते हैं भूकंप काल में ये भूकंप उस क्षेत्र में अपने स्वभाव के अनुसार प्रभाव छोड़ रहे होते हैं ! जो भूकंप जिस क्षेत्र में आते हैं वे उसी क्षेत्र से संबंधित कोई सूचना दे रहे होते हैं !जिस क्षेत्र में जिस प्रकार की घटना घटित होनी होती है वहाँ उस समय उसी प्रकार का भूकंप आता है 90 दिन पहले से वहाँ की प्रकृति में उस प्रकार के चिन्ह उभरने लगते हैं !उस क्षेत्र के पेड़ पौधों जीव-जंतुओं,पशु-पक्षियों, मनुष्यों के स्वभावों आकृतियों एवं स्वास्थ्य संबंधी परिवर्तनों में भी भावी भूकंपों का प्रभाव प्रकट होने लगता है !जिनका निरंतर और सूक्ष्म अध्ययन करने से भावी भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाना भी संभव हो सकता है !सीमित संसाधनों और सीमित समय के कारण इस विषय में अभी रिसर्च जारी है !
निकट भविष्य में कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जो जीवन समाज सरकार आतंकवाद या लोगों के सामूहिक स्वास्थ्य से संबंधित होती है किंतु उस घटना के विषय में किसी को पता नहीं होता है !ऐसे ही किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में एक समय एक साथ आने वाले भूकंप उन दोनों देशों के विषय में कोई ऐसी सूचना दे रहे होते हैं जो उन दोनों देशों के हित अहित से संबंध रखती है या उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के विषय में हो जो निकट भविष्य में घटित होने जा रहे होते हैं !
ऐसे मैंने सैकड़ों भूकंपों पर अनुभव किया है जिनके आधार पर अभी तक पूर्वानुमान भले ही न लगाए जा सके हों किंतु ये सूचनाएँ 80 प्रतिशत तक सही घटित होते देखी जाती हैं!जिसके तर्कयुक्त प्रमाण हमने संग्रह किए हैं !
जिसके परिणाम स्वरूप मैं इस निश्चय पर पहुँच पाया हूँ कि "क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का मौसम पर कोई विशेष असर नहीं होता है क्योंकि मैंने
पिछले तीस वर्षों से रिसर्च करता चला आ रहा हूँ मैं यह जानना चाहता था जिससे ये पता लगा कि मौसम और सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं तथा प्राकृतिक आपदाओं का ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज से कोई संबंध होना संभव ही नहीं है !
मौसम का बनना बिगड़ना हो या अन्य अच्छी बुरी सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं या आपदाओं का सीधा संबंध समय के साथ होता है !इसीलिए जिस समय जो घटना घटित होनी होती है वो समय आते ही अपने अपने निश्चित समय पर सभी घटनाएँ घटित होती चली जाती है !
इसीलिए समय जैसे जैसे बीतता जाता है प्राकृतिक घटनाएँ भी वैसे वैसे घटित होते चली जाती हैं !
ऐसी परिस्थिति में ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज का मौसम या अन्य प्राकृतिक घटनाओं या आपदाओं का आपस में कोई संबंध होना संभव ही नहीं है !इसीलिए
ने से कोई संबंध नहीं है !
अपितु ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज एवं मौसम और प्राकृतिक आपदाओं का सीधा संबंध समय के साथ है !दाएँ समय से संबंधित हैं अनुसार जिसमें कई उपलब्धियाँ हाथ लगी हैं ग्लोबलवर्मिंग ,क्लाइमेटचेंज नाम की कोई चीज होती ही नहीं है अपितु जब मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए मौसम पूर्वानुमान
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