पूर्वानुमान का सिद्धांत है कि आधे से अधिक सच हो और कम से कम महीने दो महीने पहले घोषित किया गया हो तब तो पूर्वानुमान अन्यथा कैसा पूर्वानुमान !दीर्घावधि मौसमविज्ञान ने पिछले 13 वर्षों में जो पूर्वानुमान किए उनमें से केवल 5 वर्ष के ही सच हुए !सच्चाई का प्रतिशत इतना कम है इसलिए इसे पूर्वानुमान नहीं माना जा सकता है !
सर्दी, गर्मी, वर्षा, बाढ़, सूखा, आँधी, तूफ़ान, भूकंप आदि जो जो कुछ बताने आगे आगे होता जाता है वही पीछे पीछे बताने लगते हैं अभी 24,48 या 72 घंटे तक और ऐसा ही होता रहेगा !भूकंप आया तो अभी और भूकंप आएँगे ,आँधी-तूफ़ान आया तो अभी और आँधी तूफ़ान आएँगे !इसी प्रकार वर्षा बाढ़ आदि सब कुछ जैसा होने लगता है वैसा दोहराने लग जाते हैं ! यदि वैसा होता रहा तो 24,48 या 72 घंटे के लिए और बढ़ाकर बोलने लग जाते हैं और यदि वैसा नहीं हुआ तो चुप लगाकर बैठ जाते हैं या जैसा होने लगता है वैसा बोलने लग जाते हैं !
मौसम वैज्ञानिकों की गैरजिम्मेदारी या अज्ञान के कारण पूर्वानुमान के नाम पर मौसमविभाग के द्वारा लगाए जा रहे तीर तुक्के देश के किसी काम नहीं आ पा रहे हैं !किसानों की आत्महत्याओं का मौसम विभाग की गलत भविष्यवाणियाँ भी एक कारण हैं इसीलिए किसानों ने !
14 अक्टूबर 2014 : साइक्लोन हुडहुड के कारण यूपी के पूर्वांचल
इलाके में जाेरदार बारिश हो रही थी। इस वजह से मोदी का दौरा ऐन वक्त पर
रद्द कर दिया गया।
28 जून 2015 : इस बार भी बारिश के कारण दौरा रद्द हुआ। जहां रैली होनी थी, वहां काफी पानी भर चुका था।
16 जुलाई : तीसरी बार भी दौरा रद्द। बनारस में बुधवार शाम से
लगातार बारिश भी हो रही थी। इससे बचने के लिए डीएलडब्ल्यू ग्राउंड पर ऐसा
वॉटरप्रूफ टेंट लगाया गया था जिसके अंदर 30 हजार लोग बैठ सकें।
जनता के खून पसीने की कमाई से टैक्स लेकर सरकार उस मौसमविज्ञान पर खर्च करती है जिनकी देश के विकास में कोई भूमिका ही नहीं है !
दीर्घावधि पूर्वानुमान की
ठीक सरकारी मौसम विभाग वाले वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोग !
के भारतीय मौसमविज्ञान की तरह पूर्वानुमान केवल तीर तुक्का न हों उनमें कुछ
सच्चाई भी हो तब तो उनसे कुछ लाभ हो भी सकता है अन्यथा मौसमविज्ञान के
पूर्वानुमानों का मतलब केवल धोखाधड़ी और झूठ !
प्रकृति का पूर्वानुमान - पूर्वानुमान लगाना ही है तो संपूर्ण प्रकृति का लगाइए और सारे जीवन का लगाइए !
जीवन का पूर्वानुमान - मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं का जीवन प्रकृति के अनुशार चलता है !
प्रकृति - आँधीतूफान, वर्षा, बाढ़ या सूखा,