Wednesday, 31 October 2018

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      पूर्वानुमान का सिद्धांत है कि आधे से अधिक सच हो और कम से कम महीने दो महीने पहले घोषित किया गया हो तब तो पूर्वानुमान अन्यथा कैसा पूर्वानुमान !दीर्घावधि मौसमविज्ञान ने पिछले 13 वर्षों में जो पूर्वानुमान किए उनमें से केवल 5 वर्ष के ही सच हुए !सच्चाई का प्रतिशत इतना कम है इसलिए इसे पूर्वानुमान नहीं माना जा सकता है !
     सर्दी, गर्मी, वर्षा, बाढ़, सूखा, आँधी, तूफ़ान, भूकंप आदि जो जो कुछ बताने आगे आगे होता जाता है वही पीछे पीछे बताने लगते हैं अभी 24,48 या 72 घंटे तक और ऐसा ही होता रहेगा !भूकंप आया तो अभी और भूकंप आएँगे ,आँधी-तूफ़ान आया तो अभी और आँधी तूफ़ान आएँगे !इसी प्रकार वर्षा बाढ़ आदि सब कुछ जैसा होने लगता है वैसा दोहराने लग जाते हैं ! यदि वैसा होता रहा तो 24,48 या 72 घंटे के लिए और बढ़ाकर बोलने लग जाते हैं और यदि वैसा नहीं हुआ तो चुप लगाकर बैठ जाते हैं या जैसा होने लगता है वैसा बोलने लग जाते हैं !
     मौसम वैज्ञानिकों की गैरजिम्मेदारी या अज्ञान के कारण पूर्वानुमान के नाम पर मौसमविभाग के द्वारा लगाए जा रहे तीर तुक्के देश के किसी काम नहीं आ पा रहे हैं !किसानों की आत्महत्याओं का मौसम विभाग की गलत भविष्यवाणियाँ भी एक कारण हैं इसीलिए किसानों ने !
 14 अक्टूबर 2014 : साइक्लोन हुडहुड के कारण यूपी के पूर्वांचल इलाके में जाेरदार बारिश हो रही थी। इस वजह से मोदी का दौरा ऐन वक्त पर रद्द कर दिया गया। 
28 जून 2015 : इस बार भी बारिश के कारण दौरा रद्द हुआ। जहां रैली होनी थी, वहां काफी पानी भर चुका था।
16 जुलाई : तीसरी बार भी दौरा रद्द। बनारस में बुधवार शाम से लगातार बारिश भी हो रही थी। इससे बचने के लिए डीएलडब्ल्यू ग्राउंड पर ऐसा वॉटरप्रूफ टेंट लगाया गया था जिसके अंदर 30 हजार लोग बैठ सकें।







             जनता के खून पसीने की कमाई से टैक्स लेकर सरकार उस मौसमविज्ञान पर खर्च करती है जिनकी देश के विकास में कोई भूमिका ही नहीं है !
      दीर्घावधि पूर्वानुमान की 



ठीक   सरकारी मौसम विभाग वाले वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोग !


के भारतीय मौसमविज्ञान की तरह पूर्वानुमान केवल तीर तुक्का न हों उनमें कुछ सच्चाई भी हो तब तो उनसे कुछ लाभ हो भी सकता है अन्यथा मौसमविज्ञान के पूर्वानुमानों का मतलब केवल धोखाधड़ी और झूठ !
प्रकृति का पूर्वानुमान - पूर्वानुमान लगाना ही है तो संपूर्ण प्रकृति का लगाइए और सारे जीवन का लगाइए !
जीवन का पूर्वानुमान - मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं का जीवन प्रकृति के अनुशार चलता है ! 

               
प्रकृति - आँधीतूफान, वर्षा, बाढ़ या सूखा,

Tuesday, 30 October 2018

नवम्बर 2018

                                 नवंबर 2018 का मौसम पूर्वानुमान !
                    नवंबर के महीने में वर्षा कब कहाँ कितनी होगी ,
      नवंबर के संपूर्ण महीने में आँधी तूफानों चक्रवातों की बहुत अधिकता रहेगी !जिनका स्वरूप अत्यंत भयानक एवं काफीअधिक डरावना होगा !संभव है कि प्रकृति का ऐसा भयानक स्वरूप जो नवंबर 2018 में दिखाई पड़े वो पिछले कई दशकों में विश्व ने न देखा हो !विश्व के अनेक देश,प्रदेश,जनपद इस पीड़ा से पीड़ित होंगे जिनसे भारी जनधन हानि की संभावना है !वैसे तो ऐसे उत्पात पूरे महीने ही दिखाई पड़ते रहेंगे फिर भी विशेष भयानक समय 7, 8,9,10,11 एवं 21,22,23,24,25 नवंबर की तारीखें होंगी !इन में आँधी, तूफ़ान,चक्रवात भूकंप आदि की बहुलता रहेगी !अग्निभय की घटनाएँ भी इस महीने में विशेष रूप से घटित होंगी !
    भूकंप और सुनामी जैसी भयानक आपदाएँ भी इस महीने में अधिक घटित होंगी इसका निशाना विश्व का कोई भी देश या प्रदेश आदि बन सकता है कई देश भी हो सकते हैं !इस दृष्टि से सावधान रहने के लिए नवंबर महीने की 6,7,8एवं 22,23,24 ये प्रमुख  तारीखें हैं !
    वायुप्रदूषण की दृष्टि से संपूर्ण महीना ही विशेष डरावना होगा !वायु प्रदूषण के कारण कई दशकों के रिकार्ड टूटेंगे इसका स्वरूप इतना अधिक डरावना होगा आकाश से गिरी हुई धूल से वातावरण इतना अधिक प्रदूषित होगा !इसलिए सूर्य की किरणें बहुत धूमिल दिखाई देंगी! इस दृष्टि से विशेष अधिक सावधान रहने के लिए नवंबर महीने की 9,10,11,12,13,14,23,24,25,26 की तारीखें होंगी!
     अग्निप्रकोप से भी कुछ क्षेत्रों में बड़ा नुक्सान होगा !विश्व की दक्षिण पश्चिम दिशा का मध्य भाग इस दृष्टि से विशेष अधिक पीड़ित रहेगा !भारत में महाराष्ट्र , केरल ,कर्णाटक,तमिलनाडु,गुजरात जैसे प्रदेश इसके बड़े शिकार होंगे !इससे वातावरण में गर्मी एवं इस क्षेत्र में जमीन  के अंदर का जल तेजी से घटेगा जिससे नदी कुएँ तालाब आदि तेजी से सूखते चले जाएँगे !6 तारीख को केरल तमिलनाडु,एवं 11 तारीख को गुजरात राजस्थान में 20 तारीख को अरुणाचल  सिक्किम आदि में 25 को मध्यप्रदेश राजस्थान आदि में अग्नि प्रकोप की विशेष अधिक संभावनाएँ हैं   इस क्षेत्र में अग्नि प्रकोप एवं भूकंप आने की संभावना 2,3,6,7,8,11,18,20,22,23  और 25 तारीखों में रहेगी !
     वर्षा संबंधी पूर्वानुमान की दृष्टि से नवंबर के महीने में संभावनाएँ कमजोर रहेंगी फिर भी कुछ देशों या क्षेत्रों में घटित होने वाले चक्रवातों में वर्षा अधिक होगी !एवं कुछ क्षेत्रों में वैसे भी वर्षा होने की संभावनाएँ हैं ! जिसमेंउत्तरप्रदेश उत्तराखंड हिमाचलप्रदेश जम्मू कश्मीर दिल्ली तथा पूर्व में अरुणाचलप्रदेश,असम,सिक्किम ,मेघालय आदि क्षेत्रों में वर्षा की संभावनाएँ अधिक हैं !
   1 तारीख से 10 दिनों तक जम्मू कश्मीर लेह लद्दाख के क्षेत्र में अधिक बारिस की संभावना है जिसमें पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी भी हो सकती है !1 और 2 तारीखों में त्रिपुरा मणिपुर पश्चिम बंगाल छत्तीस गढ़ आदि क्षेत्रों में विशेष वर्षा की संभावना है !13 तारीख़ को जम्मू कश्मीर हिमाचल आदि क्षेत्रों समेत कई अन्य प्रदेशों में  वर्षा होगी 14,15,16,  17तारीखों में इन्हीं क्षेत्रों में अधिक वर्षा होगी !27,28  को असम ,सिक्किम, मेघालय में वर्षा की विशेष संभावनाएँ हैं !29 और 30 तरीखों में त्रिपुरा मणिपुर पश्चिम बंगाल छत्तीस गढ़ आदि क्षेत्रों में  वर्षा की अधिक संभावना है !इसके अलावा 20 से 30 तारीख तक सामान्य वर्षा की संभावनाएँ बनती रहेंगी !
    17 नवंबर से 30 नवम्बर तक पाला गिरने का समय है इसलिए इस समय उत्तरभारत में सर्दी अधिक बढ़ जाएगी !
      स्वास्थ्य की दृष्टि से नवंबर के संपूर्ण महीने में सूखीखाँसी, स्वाँसरोग,हृदयरोग,ज्वररोग,शरीर में दर्द,    गैस, उल्टी, दस्त, आँखों में जलन जैसे रोग बढ़ेंगे! नवंबर महीने की 5,7,12,14,19,21,26,28 तारीखों में ने नए रोग पैदा होंगे जिन्हें रोग हैं वो इस समय में और अधिक बढ़ेंगे !जिनका स्वास्थ्य बहुत अधिक ख़राब है उनके लिए ये तारीखें बहुत अधिक सावधान रहने की हैं !       
    5 नवंबर से 11 नवम्बर तक मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा ! भय ,तनाव, चिंता, घबड़ाहट रहेगी !स्वजनों से संबंध बिगड़ेंगे !इस समय आपसी बात व्यवहार में अनेकों प्रकार की उलझनें पैदा होंगी !इसके अलावा उन्माद की भावना तो संपूर्ण महीने में ही बनी रहेगी !अकारण अचानक छोटी छोटी बातों पर बड़ा क्रोध आ जाएगा लोग असहनशील हो जाएँगे !
      सामाजिक तनाव इस समय बहुत अधिक बढ़ जाएगा छोटे छोटे विवाद थोड़ी असावधानी में बड़े बड़े रूप धारण कर लेंगे !हड़ताल ,आंदोलन आदि कहना कठिन होगा !
       आतंकी लोग इस समय अधिक अप्रिय वारदातों को अंजाम देंगे !सीमाओं पर विशेष सतर्कता वरती जानी आवश्यक है कोई भीड़ कब हिंसक रूप धारण कर ले कहा नहीं जा सकता है !
  

Monday, 29 October 2018

प्रधानमंत्री जी


आदरणीय प्रधानमंत्री  जी 
             आपको सादर नमस्कार !
महोदय ,

    निवेदन है कि आज 29 अक्टूबर को दिल्ली एनसीआर एवं कानपुर आदि के आसमान में जितनी धूल छायी हुई है वो मनुष्यकृत नहीं है आकाशीय धूल है जिसका पूर्वानुमान लगाकर मैंने आपको इसी ईमेल पर 13 अक्टूबर को भेजकर आपसे मिलने का समय माँगा था संभवतः आपकी व्यस्तता के कारण मुझे समय नहीं दिया जा सका है !
     मैं आपसे पुनः निवेदन करता हूँ कि मौसम का पूर्वानुमान लगा पाना आधुनिक विज्ञान के बश का है ही नहीं ये समय का विषय है समय का अध्ययन किए बिना केवल तीर तुक्के लगाए जा सकते हैं जो आधे से अधिक गलत हो जाते हैं मौसम विभाग के द्वारा लगाए गए दीर्घावधि पूर्वानुमान तेरह वर्षों में केवल 5 वर्षों के ही सही निकले हैं परीक्षण में आधे से कम सही निकलने वालों को पूर्वानुमान कैसे माना जा सकता है !
     मौसम विभाग के द्वारा 3 अगस्त 2018 को घोषित किए गए मौसम पूर्वानुमानों में केरल में 7 अगस्त से हुई भीषण बारिस का कहीं जिक्र तक नहीं हैं !2018 मई जून में आए भीषण आँधी तूफानों का पहले से किए गए पूर्वानुमान में कोई जिक्र तक नहीं है !2016 मई में हुई भीषणगर्मी एवं आग लगने की घटी बीसों हजार घटनाओं के विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं घोषित किया गया था !
     ऐसी परिस्थिति में वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों वायु प्रदूषणों का पूर्वानुमान लगाने के लिए या ढुलमुल भविष्यवाणियाँ करने के लिए मौसमविज्ञान पर सरकार के द्वारा खर्च किया जाने वाला 80 प्रतिशत खर्च सिद्धांततः निरर्थक श्रेणी में आता है !इसी प्रकार से वायु प्रदूषण के मामले में पर्यावरण मंत्रालय अपनी भूमिका खोज ही नहीं पा रहा है !वे लोग वायु प्रदूषण बढ़ने के अजीब अजीब अस्वीकरणीय कारण गिनाए जा रहे हैं !          महोदय !मौसम और पर्यावरण के मामले में पारदर्शिता न निभाए जाने पर भी ऐसे मंत्रालयों के संचालन पर सरकार भारी भरकम धनराशि खर्च कर रही है !तो दूसरी तरफ देश की जनता 2-2 पैसे के लिए परेशान है !ऐसी परिस्थिति में ये मंत्रालय जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना तो दूर समझ भी नहीं पाए हैं जनता उनसे वर्षा ,आँधी तूफान,एवं वायुप्रदूषण का आँकड़ा नहीं जानना चाहती है अपितु उसे सटीक पूर्वानुमान चाहिए !
     प्रधानमंत्री  जी !आप हमारे आदरणीय अभिभावक हैं इसलिए सच्चाई आपके सामने रखने का प्रयास किया है फिर भी गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ !इसके साथ साथ ही आपसे मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि मौसम संबंधी पूर्वानुमान 'वेदविज्ञान' के द्वारा ही लगाया जा सकता हैजिसे मैं प्रमाणों के साथ सिद्ध भी सकता हूँ !  !जो  मैं कर रहा हूँ किंतु मेरी सरकार में कहीं सुनी नहीं जा रही है इसलिए आपसे निवेदन है कि आप मेरी बात सुनने के लिए मुझे समय दें !
                                                                 निवेदक -           भवदीय
                                                                                 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
                                                                          फ्लैट नं 2 ,A-7 /41,कृष्णानगर,दिल्ली -51
                                                                               मो.9811226973 /9811226983
                                                                            Gmail -vajpayeesn @gmail.com

Wednesday, 24 October 2018

2800

       सूर्य चंद्र और वायु अर्थात सर्दी गर्मी और हवा इन तीनों की ही इस सृष्टि के संचालन में बहुत बड़ी भूमिका है !इन तीनों की ही सृष्टि को बहुत बड़ी आवश्यकता है इन तीनों के बिना न तो प्रकृति चल सकती है और न ही मनुष्य आदि प्राणिमात्र का जीवन ही रह सकता है !उन तीनों के उचित सीमा में रहने से प्रकृति और जीवन दोनों ठीक रहते हैं इनके कम या अधिक होने से प्रकृति और जीवन दोनों में समस्याएँ पैदा होने लगती हैं!

     सूर्य चंद्र और वायु तीनों के उचित अनुपात से प्रकृति का पालन पोषण होता है और इन्हीं तीनों के उचित अनुपात से मनुष्य आदि सभी जीवों जंतुओं का पालन पोषण होता है !इन्हीं तीनों का आपसी अनुपात बिगड़  जाने से प्राकृतिक आपदाएँ और शारीरिक रोग घटित होते हैं !
     आयुर्वेद में इन्हीं वायु, सूर्य और चंद्र को वात पित्त और कफ के स्वरूप में कहा गया है!इन तीनों का अनुपात बिगड़ने से शरीर रोगी होते हैं मन में तनाव चिंता भय आदि रोग घटित होते हैं!वृक्षायुर्वेद में इन्हीं तीनों का अनुपात बिगड़ने से वृक्षों के रोगी होने की बात कही गयी है!
   चिकित्सा आदि की सहायता से इनके बिगड़े हुए अनुपात को उचित अनुपात में ले आने से जीवन स्वस्थ और मन प्रसन्न हो जाता है!और इनके उचित अनुपात में होने से वृक्षों के उत्तम स्वास्थ्य के विषय  बताया गया है !
    प्रारंभिक अवस्था - सहज परिस्थिति में तो वात  पित्त और कफ आदि प्रकृति और शरीरों में उचित अनुपात में ही होते हैं ! और  सभी को जीवन दान किया करते हैं किंतु सूर्य चंद्र आदि !प्रकृति में तो 


    प्राणियों के शरीरों में यही अनुपात बिगड़ने से रोग दोष आदि घटित होते हैं !इसी वातावरण का असर जब मन पर पड़ता है तो मानसिक तनाव चिंता भय शोक क्रोध सहनशीलता आदि घटते बढ़ते हैं !
       ठंडी गर्मी वर्षा आदि तीन प्रकार की मुख्य ऋतुएँ होती हैं ये तीनों यदि सीमा में बनी रहें अर्थात उचित मात्रा में अपना असर करें तब तो सब कुछ ठीक  चलता रहता है इनका असर सीमा से कम या अधिक बढ़ते ही सारे जीव जंतु आदि उससे पीड़ित होने लगते हैं!ऐसे ही अचानक मौसम बदल जाए या ऋतुसंधि आ जाए !जैसे  मार्च - अप्रैल ,जून-जुलाई,अक्टूबर-नवंबर की संधि में जब मौसम बदलने लगता है और परस्पर विरोधी दो प्रकार की ऋतुओं का असर एक साथ होने लगता है तो उसका असर भी  मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं पर पड़ते देखा जाता है !इसीलिए ऐसे समयों में अनेकों प्रकार के रोग दोष आदि जन्म लेते हैं ! प्राकृतिक आपदाओं की तरह ही तो शारीरिक और मानसिक आपदाएँ भी होती हैं !
      प्रकृति और जीवन दोनों साथ साथ चलते हैं प्रकृति गर्भ है तो मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं का जीवन उसमें पलने वाला गर्भस्थ शिशु है! गर्भिणी स्त्री को होने वाले रोग दोष दुःख आदि विकारों का असर उस गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है !इसीप्रकार से प्रकृति में होने वाली सीमा से अधिक सर्दी गर्मी वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान भूकंप आदि प्रकृति विकारों का असर भी मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं पर होता है !उससे होने वाले रोगों दोषों आदि से सभी जीव पीड़ित होते हैं !
      गर्भस्थ शिशु के जीवन की तरह ही प्रकृतिस्थ मनुष्य आदि सभी जीव जंतुओं का जीवन भी प्रकृति के गर्भ में ही पलता बढ़ता है!प्रकृति के प्रदूषित होने पर गर्भस्थ शिशु की तरह ही प्रकृति में स्थित सभी पेड़ पौधे बनस्पतियाँ अन्न जल फल फूल समेत सारा प्राकृतिक वातावरण ही रोगी हो जाता है !उसी अनुपात में मनुष्यादि जीव जंतु भी रोगी हो जाते हैं इसके साथ साथ उस समय निर्मित औषधियाँ या बनौषधियाँ आदि भी उसी अनुपात में रोगी  हो जाती हैं!उनमें भी विकार आ जाते हैं ! वातावरण का असर प्रकृति से लेकर जीवन तक सब पर समान रूप से पड़ता है !
      इसलिए ऐसे रोगों में लाभ करने के लिए हमेंशा से प्रसिद्ध रह चुकी औषधियाँ भी उस समय गुणहीन हो जाने के कारण उन्हीं रोगों पर असर करना छोड़ देती हैं! ऐसी परिस्थिति में चिकित्सकों को भ्रम होने लगता है और वे उन्हें कोई नया रोग मानने की गलती कर बैठते हैं इसीलिए उसका कोई नया नाम रख लेते हैं और रोग लक्षणों के अनुसार ऐसे रोगियों पर लाभ करने वाली तरह तरह की औषधियों का प्रयोग एवं परीक्षण करने लगते हैं !किंतु जैसे ही प्राकृतिक प्रदूषण घटता है वैसे ही वातावरण में सुधार होने लगता है स्वच्छ वातावरण पाते ही जल वायु अन्न फल फूल औषधियाँ या बनौषधियाँ आदि अपने अपने वास्तविक गुण धर्म से युक्त हो जाती हैं !इसका असर रोगियों के शरीरों पर भी पड़ने लगता है और शरीर सबल एवं स्वतः ही रोग मुक्त होने लगते हैं !
     स्वास्थ्य लाभ होते ही ऐसे समय उन रोगियों के द्वारा अपने स्वस्थ होने के लिए जो जो उपाय किए जा रहे होते हैं वे उन्हीं उपायों को अपनी बीमारी की औषधी मानने लगते हैं !ऐसे समय चिकित्सक लोग जिस रोगी पर जिस औषधि का प्रयोग कर रहे होते हैं वे उस रोग की औषधि उसे ही मान लेते हैं !ऐसी परिस्थिति में जो धन हीन साधन विहीन लोग अभाव के कारण बड़े बड़े अस्पतालों चिकित्सकों के पास नहीं जा सके महँगी महँगी दवाइयाँ नहीं खा सके वे अपनी अपनी सुविधा और विश्वास के अनुसार जो भी झाड़ फूँक यंत्र तंत्र ताबीज जादू टोने टोटके आदि कर रहे होते हैं वे अपने स्वस्थ होने का श्रेय अपने उन  उन  उपायों को देने लगते हैं !क्योंकि बीमार तो वे भी थे और स्वस्थ वो भी हुए होते हैं इसलिए उनके अनुभवों को भी झुठलाया कैसे जा सकता है!
        इस प्रकार से प्रकृति में घटित हो रही अच्छी बुरी सभी घटनाओं का असर प्रकृतिस्थ जीवन पर अर्थात हम पर आप पर भी पड़ता है आँधी तूफान चक्रवात वर्षा बाढ़ भूकंप आदि सभी प्रकृति में होने वाले रोग हैं!इसी प्रकार से जुकाम बुखार टीवी आदि शरीर में होने वाले रोग हैं तनाव चिंता भय निराशा आदि मन में होने वाले रोग हैं !
      आँधी तूफान वर्षा बाढ़ आदि मनुष्य जीवन को बाहर से चोट पहुँचाते हैं ये ही यदि भयानक रूप धारण कर लेते हैं तो प्राकृतिक आपदाएँ पैदा करते हैं जिसमें बहुत लोग मर भी जाते हैं उसी प्रकार से ये मनुष्य शरीर में भी अंदर से चोट पहुँचाते हैं और अनेकों प्रकार के रोग पैदा करते हैं उससे बहुत लोग मर भी जाते हैं !
      यही प्राकृतिक विकार मन में तनाव चिंता भय निराशा आदि पैदा करते हैं उसमें भी यदि ये और अधिक भयानक स्वरूप धारण कर लेते हैं तो मृत्यु तक होते देखी जाती है !
     सर्दी गर्मी और हवा का आश्रय लेकर ही सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ एवं शारीरिक रोग पैदा होते हैं !इसी से मानसिक समस्याएँ या तनाव आदि पैदा होता है !
     जो सर्दी गर्मी वायु आदि प्राकृतिक आपदाओं को करते हैं शारीरिक रोगों को पैदा करते हैं मानसिक समस्याओं को पैदा करते हैं !वो गर्मी सर्दी भी सूर्य और चंद्र के ही आधीन है इसी गर्मी सर्दी का आपसी अनुपात कम या अधिक होने से तो वायु निर्मित होती है !
    इसलिए इन तीनों में भी प्रमुख तो सूर्य और चंद्र ही हैं  चंद्र भी तो सूर्य के ही आधीन है !इसप्रकार से वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाएँ एवं शारीरिक रोग और मानसिक समस्याएँ सूर्य के ही आधीन हैं !
    सूर्य का प्रभाव - घटते बढ़ते सूर्य के प्रभाव का अध्ययन




Saturday, 20 October 2018

आर्यावर्त patra

 माननीय प्रधानमंत्री जी
                आपको सादर नमस्कार 
 
 विषय : 'प्रयागराज' की तरह ही 'हिंदुस्तान' शब्द को बदलकर 'आर्यावर्त' करने हेतु निवेदन !इसीविषय में आपसे मिलने हेतु !
       महोदय,
    मैंने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय  से वर्ण विज्ञान से संबंधित रिसर्च  की है जिस अनुसंधान से  मुझे पता लगा कि किसी के नाम के पहले अक्षर का कितना अधिक महत्त्व होता है उस व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि में उस नाम के पहले अक्षर के अनुसार गुण आ जाते हैं
तथा उसके संबंध दूसरे व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि के साथ कैसे होंगे अर्थात निभेंगे या नहीं निभेंगे !इस पर भी उन दोनों के नाम के पहले अक्षरों का असर होता है !वर्णविज्ञान का पालन करने से बड़े बड़े संयुक्त परिवार होते देखे जाते थे तभी तो 'वसुधैव कुटुम्बकं' की भावना साकार हो पाती थी !'वर्णविज्ञान' की उपेक्षा करते ही पति पत्नी तक का साथ रह पाना कठिन होता जा रहा है !
    हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्दों को ही लें इनका पहला अक्षर 'ह' वर्णविज्ञान की दृष्टि से अत्यंत कमजोर प्रजाति का है !ये शब्द हमें किसने दिए क्यों दिए कब दिए देने वाले का उद्देश्य क्या रहा होगा !इससे उसे कितना लाभ हुआ एवं इसका लाभ या हानि हमें कितनी उठानी पड़ी !इसका मूल्याङ्कन भी किया जाना चाहिए !हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्दों का भारत के प्राचीन किसी ग्रंथ में कोई इतिहास नहीं है इसका कहीं भी वर्णन नहीं मिलता है यदि कहीं प्रक्षिप्त हो तो और बात है ! 'वर्णविज्ञान' की दृष्टि से 'ह' अक्षर को सबसे कमजोर प्रजाति का वर्ण माना गया है !तभी तो -
   हिंदी - हिंदीभाषी लोगों की जो रूचि या आदर अंग्रेजी के प्रति है वो हिंदी के प्रति क्यों नहीं है ?
    हिंदू - हिंदू नाम मिलने के बाद ही तो हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ अयोध्या मथुरा काशी के प्रमुख मंदिर तोड़े गए जो आज तक अपने पुराने स्वरूप में नहीं लाए जा सके हैं !
 हिंदुस्तान- देश का नाम हिंदुस्तान पड़ने के बाद ही यह देश सैकड़ों वर्षों तक परतंत्र रहा और देश के टुकड़े टुकड़े हो गए !पहले तो ऐसा नहीं हुआ था ! 
  विदेशियों ने अपना लक्ष्य साधन करने के लिए हमारे देश धर्म एवं भाषा के नाम बदल डाले और हमें गुलाम बना लिया एवं हमारे भारत देश को टुकड़ों में बाँट दिया !  
 'हस्तिनापुर' को ही देखिए - 'ह' की कमजोरी के कारण ही तो हस्तिनापुर को सात बार गंगा जी बहा ले गईं !एक बार बलराम जी ने हल से इस नगर को खींच कर गंगा जी में लटका दिया था !पहले इस नगर का नाम  'आसंदीवत' था तब तो ऐसा नहीं हुआ था !हाथी अधिक हो जाने के कारण उसका नाम हस्तिनापुर बाद में रख दिया गया था !
    ह अक्षर कमजोर होने के कारण ही तो श्री राम का नाम 'ह' अक्षर से न रख कर 'र' अक्षर से रखा गया था !अन्यथा 'पुनर्वसु' नक्षत्र में (के को हा ही)  अक्षर होते हैं चौथे चरण में श्री राम का जन्म हुआ था तो उनका नाम नियमानुसार तो 'ही' अक्षर से बनता था !किंतु 'ह' के कारण ही तो वशिष्ठ जी ने 'ही' अक्षर पर न रखकर अपितु 'र' अक्षर से 'राम' नाम रखा था ! "धरे नाम गुरु हृदय बिचारी !"
       मान्यवर !इन्हीं कारणों से मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि 'भारतवर्ष' को या तो 'भारतवर्ष' के रूप में ही प्रतिष्ठित किया जाए अथवा 'आर्यावर्त' के रूप में !


NAME -2

विषय : 'प्रयागराज' की तरह ही 'हिंदुस्तान' शब्द को बदलकर 'आर्यावर्त'करने का निवेदन !इसीविषय में आपसे मिलने हेतु !
       महोदय,
    मैंने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय  से वर्ण विज्ञान से संबंधित रिसर्च  की है जिस अनुसंधान से  मुझे पता लगा कि किसी के नाम के पहले अक्षर का कितना अधिक महत्त्व होता है उस व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि में उस नाम के पहले अक्षर के अनुसार गुण आ जाते हैं
तथा उसके संबंध दूसरे व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि के साथ कैसे होंगे अर्थात निभेंगे या नहीं निभेंगे !इस पर भी उन दोनों के नाम के पहले अक्षरों का असर होता है !वर्णविज्ञान का पालन करने से बड़े बड़े संयुक्त परिवार होते देखे जाते थे तभी तो 'वसुधैव कुटुम्बकं' की भावना साकार हो पाती थी !'वर्णविज्ञान' की उपेक्षा करते ही पति पत्नी तक का साथ रह पाना कठिन होता जा रहा है !
    हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्दों को ही लें इनका पहला अक्षर 'ह' वर्णविज्ञान की दृष्टि से अत्यंत कमजोर प्रजाति का है !ये शब्द हमें किसने दिए क्यों दिए कब दिए देने वाले का उद्देश्य क्या रहा होगा !इससे उसे कितना लाभ हुआ एवं इसका लाभ या हानि हमें कितनी उठानी पड़ी !इसका मूल्याङ्कन भी किया जाना चाहिए !हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्दों का भारत के प्राचीन किसी ग्रंथ में कोई इतिहास नहीं है इसका कहीं भी वर्णन नहीं मिलता है यदि कहीं प्रक्षिप्त हो तो और बात है ! 'वर्णविज्ञान' की दृष्टि से 'ह' अक्षर को सबसे कमजोर प्रजाति का वर्ण माना गया है !तभी तो -
   हिंदी - हिंदीभाषी लोगों की जो रूचि या आदर अंग्रेजी के प्रति है वो हिंदी के प्रति क्यों नहीं है ?
    हिंदू - हिंदू नाम मिलने के बाद ही तो हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ अयोध्या मथुरा काशी के प्रमुख मंदिर तोड़े गए जो आज तक अपने पुराने स्वरूप में नहीं लाए जा सके हैं !
 हिंदुस्तान- देश का नाम हिंदुस्तान पड़ने के बाद ही यह देश सैकड़ों वर्षों तक परतंत्र रहा और देश के टुकड़े टुकड़े हो गए !पहले तो ऐसा नहीं हुआ था ! 
  विदेशियों ने अपना लक्ष्य साधन करने के लिए हमारे देश धर्म एवं भाषा के नाम बदल डाले और हमें गुलाम बना लिया एवं हमारे भारत देश को टुकड़ों में बाँट दिया !  

 'हस्तिनापुर' को ही देखिए - 'ह' की कमजोरी के कारण ही तो हस्तिनापुर को सात बार गंगा जी बहा ले गईं !एक बार बलराम जी ने हल से इस नगर को खींच कर गंगा जी में लटका दिया था !पहले इस नगर का नाम  'आसंदीवत' था तब तो ऐसा नहीं हुआ था !हाथी अधिक हो जाने के कारण उसका नाम हस्तिनापुर बाद में रख दिया गया था !
    ह अक्षर कमजोर होने के कारण ही तो श्री राम का नाम 'ह' अक्षर से न रख कर 'र' अक्षर से रखा गया था !अन्यथा 'पुनर्वसु' नक्षत्र के (के को हा ही)  चौथे चरण में श्री राम का जन्म हुआ था तो उनका नाम 'ही' अक्षर से बनता था !किंतु इसीलिए तो वशिष्ठ जी ने 'ही' अक्षर पर न रखकर अपितु 'र' अक्षर से 'राम' नाम रखा था ! "धरे नाम गुरु हृदय बिचारी !"
     स्वदेशी पर स्वाभिमान करने वाले हम लोग अपना कैसे समझें जो विदेशियों ने हमें अपना लक्ष्य साधने के लिए दिए थे !हमें हमारे इतिहास से काटने के लिए दिए थे!हमें गुलाम बनाने के लिए एवं हमारे देश के टुकड़े टुकड़े करने के लिए दिए थे ! ईरानियों ने भारत से 'वर्णविज्ञान' सीखा उससे संबंधित किताबें लिखीं और भारत को 'हिंदुस्तान' बना दिया !इसी प्रकार से अंग्रेजों ने ईरानियों के द्वारा भारतीय ज्योतिष की अरबी में अनूदित किताबों का अनुवाद अंग्रेजी में किया और ईरानियों से भारतीयों को अलग करने के लिए अपने देश का नाम 'इण्डिया' रख दिया !इस 'हिन्द' शब्द का सिंधु नदी से कोई संबंध नहीं है यदि होता तो यह देश हिंदुस्तान नहीं अपितु ' सिन्धुस्तान' होता ! भारत की सीमाएँ पहले अत्यंत विस्तारित थीं इस देश के  पहले कभी टुकड़े टुकड़े नहीं हुए थे और न ही परतंत्र हुआ किंतु हिंदुस्तान नाम पड़ने के बाद ही ये सब कुछ हुआ ! 
     श्रीमान जी ! प्रत्येक वर्ण(अक्षर) में अलग अलग प्रकार की स्थायी क्षमताएँ स्वभाव आदि होते हैं जो बदलते नहीं हैं !नाम के पहले अक्षरों के आधार पर ही लोगों के संबंध एक दूसरे से बनते या बिगड़ते देखे जाते हैं !क्योंकि अपने नाम का पहला अक्षर और उस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर जिसके साथ हमें किसी भी प्रकार का कोई संबंध रखना है !इस दृष्टि से बहुत महत्त्व पूर्ण होता है !
                इसी प्रकार से आर्यावर्त या भारत को जब से 'हिंदुस्तान' कहा गया तब से भारत टुकड़ों टुकड़ों में विभाजित हो गया !भारत परतंत्र हुआ !पहले मुस्लिम आक्रंताओं ने कब्ज़ा किया फिर अंग्रेजों ने कब्ज़ा किया !जब से उनसे स्वतंत्र हुआ तब से आतंकवादियों और उग्रवादियों से आक्रांत अपना भारत स्वस्थ नहीं है !
            महोदय ,इसीविषय में 'वर्णविज्ञान' नाम से मैंने एक पुस्तक लिखी है वो आपको भेंट करके अपनी भावना निवेदित करने के लिए आपसे मिलने हेतु समय चाहता हूँ !

Friday, 19 October 2018

punjab

  माननीय प्रधानमंत्री जी !
                        सादर नमस्कार 
  विषय -प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान आपतक पहुँचाने के विषय में विनम्र निवेदन !
        महोदय,
      मैंने बनारस से ज्योतिषाचार्य एवं B. H. U. से Ph.D. की है !मैं 'समय' पर पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान कर रहा हूँ!मेरा प्रश्न है कि "प्रकृति और जीवन में समय की क्या एवं कितनी भूमिका है ?" कहा जाता है कि समय बहुत बलवान होता है!प्रत्येक काम का समय होता है इसीलिए तो  कोई कितने भी प्रयास क्यों न कर ले किंतु उन्हें सफलता  या असफलता  देने वाला तो समय ही है !प्रकृति में या जीवन में कब किस प्रकार की अच्छी या बुरी घटना घटित हो सकती है वो भी समय के गर्भ में ही छिपी होती है जब उसका समय आता है तब घटित हो जाती है !उसके घटित होने के लिए आवश्यक संसाधन स्वयं ही उपलब्ध हो जाते हैं !
     सूर्य और चंद्र के ग्रहण भी प्राकृतिक घटना हैं जो अपने निश्चित समय पर ही घटित होते हैं !इसीलिए तो  'समय' से संबंधित गणित करके सूर्य और चंद्र के ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !उसी प्रकार से प्रकृति में और जीवन में घटित होने वाली घटनाएँ भी समय से ही प्रेरित होती हैं उनसे संबंधित पूर्वानुमान भी सिद्धांतगणित के द्वारा लगा लिया जा सकता है !        
           इसी संदर्भ में अपने अनुसंधान पर आधारित  एक पूर्वानुमान -
 महोदय आपसे क्षमा याचना के साथ -
        10 अक्टूबर 2018 से लेकर 30 नवंबर 2018 तक लगभग 50 दिन का समय सारे विश्व के लिए ही अच्छा नहीं है !ये समय जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा वैसे ही वैसे इस समय का दुष्प्रभाव उत्तरोत्तर क्रमशः और अधिक बढ़ता जाएगा !इसमें प्राकृतिक आपदाएँ हों या मनुष्यकृत लापरवाही उत्तेजना उन्माद आदि का अशुभ असर  इस समय विशेष अधिक होगा ! 
     वायुजनित प्रकृतिक  आपदाओं का जोर विशेष अधिक रहेगा !आँधी तूफान चक्रवात भूकंप आदि से जनधन हानि होगी !आतंकवादी घटनाएँ बढ़ेंगी,आंदोलनों के नाम पर फैलाया जाने वाला जन उन्माद इस समय अतिशीघ्र हिंसक रूप ले जाएगा इसलिए सावधानी और संयम का ध्यान विशेष अधिक रखा जाना चाहिए !वायु प्रदूषण सीमा से काफी अधिक बढ़ जाएगा !इन 50 दिनों में जन धन की हानि की  संभावनाएँ हैं !स्वाँस,सूखी खाँसी की समस्याएँ काफी अधिक बढ़ जाएँगी !घबड़ाहट बेचैनी कमजोरी चक्कर आने की बीमारी एवं अतिसार जैसे रोगों से भय फैलेगा !हृदय रोगियों एवं मनोरोगियों के लिए यह समय काफी कठिन है !इस समय थोड़ा सा विवाद भी बहुत बड़े संघर्ष का स्वरूप धारण कर सकता है !यद्यपि ऐसी घटनाएँ इस समय में सारे विश्व में घटित होंगी !
      सन 2018 के अक्टूबर महीने की 24, 25, 26, 27, 28 तारीखों में चक्रवात उठेंगे सुनामी और भूकंप जैसी घटनाएँ घटित हो सकती हैं !इसमें भी 25,26,27 तारीखों में आँधी तूफ़ानों जैसी प्राकृतिक आपदाएँ अधिक जोर पकड़ेंगी !29,30 और 31 आदि तारीखों में वायु प्रदूषण की मात्रा भी काफी अधिक बढ़ जाएगी !आकाश से गिरने वाली धूल से वातावरण धूलि धूसरित दिखेगा!
       नवंबर महीने में आँधी तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाएँ एवं चक्रवात सुनामी भूकंप जैसी घटनाएँ कुछ देशों को बिचलित कर सकती हैं इनका वेग और आवृत्तियाँ अधिक होंगी !सतर्क सरकारों के द्वारा बचाव कार्यों के लिए किए जाने वाले अधिकतम प्रयास भी जन धन की हानि रोक पाने में अक्षम होंगे !कुछ देशों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण कुछ दशकों के रिकार्ड टूट सकते हैं ! इसमें वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाएगी !जिसका कारण फैक्ट्रियों या वाहनों से निकला हुआ धुआँ नहीं होगा और न ही फसलों के अवशेष जलाने के कारण ही ऐसा हो रहा होगा !
        अक्टूबर की अपेक्षा नवंबर में तीव्रता काफी अधिक होगी और कई बार ऐसी आपदाएँ दिखेंगी !इसमें भी 6 नवंबर 2018 के बाद प्राकृतिक आपदाओं की विकरालता दिनोंदिन और अधिक बढ़ती चली जाएगी !विशेषकर 6 ,7,8,9,10 नवंबर में भीषण आँधी तूफ़ान ,चक्रवात ,बज्रपात एवं भूकंप जैसी घटनाओं की काफी अधिकता रहेगी !बृहस्पति ग्रह से गिरी हुई आकाशीय धूल के कारण  वायुप्रदूषण भी इस समय बहुत बढ़ा रहेगा !भूकंप भी 6 ,7,8,9 तारीख़ में घटित होंगे !इन तारीखों के अलावा नवंबर महीने की ही 20,21,22,23,24 तारीखें आँधी तूफानों ,चक्रवातों,बज्रपातों एवं भूकंप जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से विश्व के अनेकों देशों को अत्यंत पीड़ित करेंगे !इससे जनधन की बड़ी हानि हो सकती है !

Wednesday, 17 October 2018

प्रदूषण

प्रदूषण का पराली जलाए जाने से कोई संबंध नहीं !-एक रिसर्च

      
                       वायुप्रदूषण का पूर्वानुमान : अक्टूबर और नवंबर - 2018                   
     प्रदूषण का संबंध पराली जलाने या बाहनों में से धुआँ निकलने से नहीं होता है और न ही कलकारखानों के धुएँ से ही बढ़ता है !प्रदूषण का सीधा संबंध समय के साथ होता है समय जब अच्छा चल रहा होता है तब आसमान साफ होता है और बुरे समय का प्रभाव  के प्रभाव से वायु मंडल प्रदूषित हो जाता है तथा जब तक समय खराब बना रहता है तब तक बढ़ता रहता है वायुप्रदूषण !
     समय कब से कब तक अच्छा रहेगा और कब से कब तक बुरा इसका पूर्वानुमान 'सूर्यसिद्धांत' के द्वारा गणित प्रक्रिया से लगाया जा सकता है !जिस गणित प्रक्रिया के द्वारा आकाश में घटित होने वाले सूर्य और चंद्र के ग्रहणों का सटीक पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !वैसे भी क्योंकि पराली जलाने से या बाहनों के धुएँ से यदि वायु प्रदूषण बढ़ता होता तो उसका पूर्वानुमान लगा पाना संभव न हो पाता और ऐसे पूर्वानुमान सही घटित भी नहीं होते !अब आप स्वयं परीक्षण कीजिए -
       इस वर्ष 13 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 30 नवंबर तक का समय वायु प्रदूषण के कारण विशेष चिंतनीय रहेगा !इस संपूर्ण समय में ही वायुप्रदूषण की घटनाएँ सारे विश्व में बहुत अधिक घटित होंगी !इस वायु प्रदूषण का निर्माण का कारण सूर्यग्रह पर विद्यमान है जहाँ इनका निर्माण 26 अप्रैल 2018 से 9 जून 2018 तक हुआ था यह प्रदूषण सूर्य किरणों के साथ उतर कर प्रदूषण पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषित कर रहा है !
      13अक्टूबर 2018 से 30-11-2018 तक इस वायु प्रदूषण का प्रभाव सम्पूर्ण विश्व पर पड़ेगा !यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, जर्मनी, फ्राँस, इटली, मिश्र, तुर्की, मिस्र, ईराक, ईरान, उत्तरी सऊदी अरब ,दक्षिणी अफगानिस्तान,पाकिस्तान,भारत,दक्षिणीनेपाल,बाँगलादेश,दक्षिणीचीन,म्यांमार,लाओस,थाईलैंड,वियत नाम, कम्बोडिया का उत्तरी क्षेत्रऔर फिलीपींस आदि के आकाश में वायु प्रदूषण का प्रभाव अक्टूबर नवम्बर में विशेष अधिक रहेगा !विशेष कर भारत में उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली,उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखण्ड,पश्चिमी बंगाल त्रिपुरा,मिजोरम आदि का आकाशीय वातावरण वायु प्रदूषण से बहुत अधिक प्रदूषित रहेगा !इनमें भी जिन देशों प्रदेशों शहरों आदि में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग धंधे,वाहन आदि होंगे वहाँ इस प्रदूषण का असर विशेष अधिक दिखाई देगा ! इस समय में वायु प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाएगी !जिसका कारण केवल फैक्ट्रियों या वाहनों से निकला हुआ धुआँ नहीं होगा और न ही फसलों के अवशेष जलाया जाना होगा !आधुनिक वैज्ञानिकों के द्वारा गढ़ी गई ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज जैसी झूठी किस्से कहानियों का भी इससे कोई संबंध नहीं होगा !क्योंकि ये सूर्यकृत वायु प्रदूषण है !
        अक्टूबर में : आँधीतूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का यह समय  13 अक्टूबर - 2018 से प्रारंभ होकर  30 नवम्बर तक चलेगा ही !जो सारे अक्टूबर के महीने में तो रहेगा नवंबर और आगे भी कुछ महीनों तक पीड़ित  करता रहेगा !अक्टूबर  महीने में हवाओं का वेग विशेष अधिक होगा !इसमें भी 13,14,15,16,17 आदि तारीखों में एवं 21,22, 23,24,25,26, 27, 28,29 इन तारीखों में वायु प्रदूषण की मात्रा भी काफी अधिक बढ़ जाएगी !आकाश धूलि धूसरित दिखेगा !यह समय वायु प्रदूषण की दृष्टि से अत्यंत विकराल होगा !इसमें भी 26,27,28  तारीखों में बड़ी प्राकृतिक आपदाओं का प्रबल भय है!इसमें वायु प्रदूषण की मात्रा विशेष अधिक बढ़ जाएगी जो  31 अक्टूबर तक चलेगी !15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक अनेकों देशों में वायु और प्रदूषण का वेग विशेष अधिक होगा !
इसी प्रकार से -
       नवम्बर 2018 : नवम्बर के संपूर्ण महीने में आँधीतूफान ,वायु प्रदूषण एवं चक्रवात जैसी प्राकृतिक घटनाएँ बार बार घटित होने के कारण वायुप्रदूषण का स्वरूप अत्यंत डरावना होगा !अक्टूबर की अपेक्षा नवंबर में वायु की तीव्रता काफी अधिक होने के बाद भी वायु प्रदूषण भी काफी अधिक होगा !इसमें भी 6 नवंबर 2018 के बाद प्राकृतिक आपदाओं की विकरालता दिनोंदिन और अधिक बढ़ती चली जाएगी !विशेषकर 9,10,11,12,13,14   नवंबर में भीषण आँधी तूफ़ान ,चक्रवात और बज्रपात जैसी घटनाओं की काफी अधिकता रहेगी !वायुप्रदूषण भी इस समय बहुत बढ़ा रहेगा !इन तारीखों के अलावा नवंबर महीने की ही 20,21,22,23,24 इस समय वायु प्रदूषण की मात्रा विशेष अधिक बढ़ जाएगी !                                                      

Sunday, 14 October 2018

NAME

विषय : 'प्रयागराज' की तरह ही 'हिंदुस्तान' शब्द को बदलकर 'आर्यावर्त'करने का निवेदन !इसीविषय में आपसे मिलने हेतु !
       महोदय,
    मैंने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय  से वर्ण विज्ञान से संबंधित रिसर्च  की है जिसके आधार पर मुझे पता लगा है कि किसी व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि का नाम किस अक्षर से प्रारंभ होगा तो उसका स्वभाव रूचि कार्यक्षमता  स्वाभिमान परिश्रमशीलता गुण दुर्गुण स्वभाव आदि किस प्रकार का होगा ! तथा उसके संबंध दूसरे व्यक्ति जनपद प्रांत देश आदि के साथ कैसे होंगे अर्थात निभेंगे या नहीं निभेंगे !किससे किसकी मित्रता संभव है और किससे नहीं ! कौन व्यक्ति किसके साथ या किसके अंडर में रह कर काम कर सकता है कौन नहीं !इन सभी बातों को सोच विचार कर प्राचीन युग में नाम रखे जाते थे तो परिवार समाज देश सभी आपस में संगठित रह पाते थे  !बड़े बड़े संयुक्त परिवार हो जाया करते थे !इसीलिए तो उस समय का नारा बन पाया था "वसुधैव कुटुम्बकं" जब सारी पृथ्वी ही एक परिवार के रूप में थी !ये 'वर्णविज्ञान' का ही चमत्कार था !इसीलिए तो वर्ण विज्ञान नाम से मैंने एक पुस्तक लिखी है उसे आपको भेंट करने हेतु आपसे मिलाने के लिए समय चाहता हूँ !

    स्वदेशी पर स्वाभिमान करने वाले हम लोग हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्दों को अपना कैसे समझें जो विदेशियों ने हमें अपना लक्ष्य साधने के लिए दिए थे !हमें हमारे इतिहास से काटने के लिए दिए थे!हमें गुलाम बनाने के लिए एवं हमारे देश के टुकड़े टुकड़े करने के लिए दिए थे ! ईरानियों ने भारत से 'वर्णविज्ञान' सीखा उससे संबंधित किताबें लिखीं और भारत को 'हिंदुस्तान' बना दिया !इसी प्रकार से अंग्रेजों ने ईरानियों के द्वारा भारतीय ज्योतिष की अरबी में अनूदित किताबों का अनुवाद अंग्रेजी में किया और ईरानियों से भारतियों को अलग करने के लिए अपने देश का नाम 'इण्डिया' कर दिया !इस 'हिन्द' शब्द का सिंधु नदी से कोई संबंध नहीं है यदि होता तो सिन्धुस्तान होता !
    पर ही कर दिय !इसी प्रकार से अंग्रेजों ने भारत का वर्ण विज्ञान सीखा भारत की सीमाएँ पहले अत्यंत विस्तारित थीं ये देश पहले कभी टुकड़े टुकड़े नहीं हुआ और न ही परतंत्र हुआ हिंदुस्तान नाम पड़ने के बाद ही ये सब कुछ हुआ ! 
     श्रीमान जी ! प्रत्येक वर्ण(अक्षर) में अलग अलग प्रकार की स्थायी क्षमताएँ स्वभाव आदि होते हैं जो बदलते नहीं हैं !नाम के पहले अक्षरों के आधार पर ही लोगों के संबंध एक दूसरे से बनते या बिगड़ते देखे जाते हैं !क्योंकि अपने नाम का पहला अक्षर और उस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर जिसके साथ हमें किसी भी प्रकार का कोई संबंध रखना है !इस दृष्टि से बहुत महत्त्व पूर्ण होता है !
     इसीलिए तो भगवान श्री राम  का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्थ चरण में हुआ था जिस पर यदि नाम रखा जाता तो 'ही' अक्षर पर  रखना पड़ता !चूँकि 'ही' अक्षर कमजोर प्रकृति का है इसलिए 'ही' अक्षर से श्री राम का नाम रख दिया जाता तो श्री राम का व्यक्तित्व और कृतित्व बहुत कमजोर रह जाता !इसीलिए  वशिष्ठ जी ने 'ही' अक्षर पर न रखकर अपितु 'र' अक्षर से 'राम' नाम रखा था !
     इसी प्रकार से 'आसंदीवत' में हाथी अधिक हो जाने के कारण उसका नाम हस्तिनापुर रख तो दिया गया किंतु 'ह' अक्षर कमजोर प्रकृति का होता है !इसीलिए 'हस्तिनापुर' नाम रखने के बाद उसका कभी उत्थान नहीं हुआ !सात बार बाढ़ में बह गया था एक बार बलराम जी ने हल से खींच कर आधा गंगा जी में लटका दिया गया था !इसके अलावा भी वो हस्तिनापुर तमाम प्रकार के कलह का शिकार हुआ !
       इसी प्रकार से आर्यावर्त या भारत को जब से 'हिंदुस्तान' कहा गया तब से भारत टुकड़ों टुकड़ों में विभाजित हो गया !भारत परतंत्र हुआ !पहले मुस्लिम आक्रंताओं ने कब्ज़ा किया फिर अंग्रेजों ने कब्ज़ा किया !जब से उनसे स्वतंत्र हुआ तब से आतंकवादियों और उग्रवादियों से आक्रांत अपना भारत स्वस्थ नहीं है !
      इसी ह अक्षर का असर 'हिंदू' शब्द पर भी हुआ  है इसीलिए तो हिंदू इतना कमजोर सिद्ध हुआ कि भारत वर्ष में अपने आराध्य भगवन श्री राम का मंदिर बना पाने में आज तक असफल रहा है !काशी और मथुरा की भी यही स्थिति है !हिन्दू की जगह सनातनधर्मी होता तो ऐसी दुर्दशा कभी नहीं होती !सनातन धर्मियों के आराध्य प्रभु श्री राम तंबू में पड़े हुए हैं !हिंदू और हिंदुस्तान नाम रखे जाने के बाद ही ऐसा हो पाया है !इसी 'ह' अक्षर के कारण ही 'हिंदी' पराजित है !हिंदी भाषी लोग भी आज अंग्रेजी बोलने में गर्व करते हैं !
    महोदय ,मेरा निवेदन आपसे मात्र इतना है कि यदि संभव हो तो व्यवहार में मेरे देश का नाम 'हिंदुस्तान'  की जगह 'भारत' ही प्रयोग किया जाता तो अच्छा होता !यदि आपकी अनुमति हो तो मैं अपनी  पुस्तक 'वर्णविज्ञान' भी आपको सादर भेंट करना चाहता हूँ !जिसके द्वारा देश में असहनशीलता ,कलह आदि को घटाया जा सकता है बिगड़ते संबंध टूटते परिवार और बिखरते समाज को बचाया जा सकता है !

Saturday, 13 October 2018

Thursday, 11 October 2018

Narendra Modi’s Email ID & PMO Email Address :-

Narendra Modi Email Address : narendramodi1234@gmail.com
PMO Email ID : connect@mygov.nic.in
Prime Minister Complaint Cell Email Address : indiaportal@gov.in

Wednesday, 10 October 2018

sudhaar

आदरणीय प्रधानमंत्री जी !
                           सादर नमस्कार !

    विषय: " क्लाइमेटचेंज ,ग्लोबलवार्मिंग,मौसम की अनियमितता से संबंधित वैदिकविज्ञान की दृष्टि से अनुसंधान के विषय में !

     महोदय,

     "क्लाइमेटचेंज या ग्लोबलवार्मिंग जैसी बातों का मौसम संबंधी घटनाओं पर कोई असर पड़ता है या नहीं ?"इस विषय पर मैं लगभग पिछले तीस वर्षों से भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के आधार पर मौसम संबंधी अनुसन्धान करता चला आ रहा हूँ ! जो 70-80  प्रतिशत तक सही घटित होता आ रहा है ! इसके आधार पर प्राचीन भारत के ऋषिमुनि लोग वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का महीनों एवं वर्षों पहले पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !आज इस पद्धति को मौसम विज्ञान के लोग आधार विहीन बता रहे हैं !
     श्रीमान जी !जिस सिद्धांतगणित के द्वारा वर्षों पहले सुदूर आकाश में घटित होने वाले सूर्य चंद्र ग्रहणों  का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है उसी गणित के द्वारा उन्हीं सूर्य चंद्र की गति युति से निर्मित होने वाले सभी प्रकार के मौसमों का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें आश्चर्य की बात क्या है और इसे बेसलेस कैसे कहा जा सकता है !वो भी तब जबकि  मैं इसी गणित के आधार पर वर्षा बाढ़ ,आँधी -तूफान ,चक्रवात आदि प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान प्रत्येक महीने के पहले ही मौसम विभाग को उपलब्ध करता आ रहा हूँ जो उनके जीमेल पर अभी भी विद्यमान हैं !वो कितने सही हुए कितने गलत इसका मिलान करके हमारी बातों का परीक्षण किया जा सकता है !मेरे पास भी इस विषय में मीडिया से प्राप्त प्रमाण संगृहीत हैं !जिनका परीक्षण करके उचित  उत्तर दिया जाना चाहिए था !यदि सच्चाई है तो प्रोत्साहन मिलना चाहिए था !किन्तु ऐसा नहीं किया गया !
      श्रीमान जी !इस गणितविधा के आधार पर ग्लोबलवार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन जैसे भ्रम का निराकरण भी किया जा सकता है! दिल्ली के वायु प्रदूषण का पंजाब में पराली जलाने से संबंध है या नहीं इसका निराकरण भी किया जा सकता है !सं 2016 की गर्मियों में अधिक आग लगने की घटनाएँ हों या 2018 में अधिक आँधी आने की घटनाएँ इनका भी पूर्वानुमान इसी गणित के द्वारा लगा लिया जाता है !
      इसके अलावा कोई किसी क्षेत्र विशेष के लिए प्रकृति के द्वारा भेजे गए किसी आकस्मिक संदेश को देने के लिए आते हैं भूकंप !जिन्हें समझ कर उस क्षेत्र विशेष में निकट भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक,   शारीरिक,  मानसिक, सामाजिक,  राष्ट्रीय या आतंकवाद जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ! किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में संयुक्त रूप से आने वाले भूकंप उन देशों के आपसी संबंधों के विषय में या फिर उन देशों में संयुक्त रूप से घटित होने वाली किसी घटना की सूचना दे रहे होते हैं ! भूकंप आने के बाद आधा घंटा के अंदर गणित और वहाँ की प्राकृतिक परिस्थिति का परीक्षण करके उस संदेश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
    महोदय ! इस अनुसंधान को और अधिक विस्तार देने के उद्देश्य से मैं सरकार के कई  लोगों विभागों अधिकारियों से मिल चुका हूँ किंतु वेद विज्ञान का नाम सुनते ही वो रूचि नहीं लेते हैं !उनका तर्क होता है कि आधुनिक विज्ञान को बिना पढ़े कोई ऐसे विषयों पर अनुसन्धान कैसे कर सकता है !
      ऐसी परिस्थिति में मैं आपसे  मिलकर प्रमाण सहित अपना अनुसन्धान आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहता हूँ जिस हेतु मैं आपसे मिलने के लिए समय चाहता हूँ !                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      





इसलिए यह कृषि कार्यों के लिए तो उपयोगी है ही  साथ साथ इसके द्वारा प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान लगा करके राहत और बचाव कार्यों की दृष्टि से भी सतर्कता बरतकर जन धन की हानि को कम किया जा सकता है !
        
      

                                   

सहयोग लिया जा सकता है !





 जो सही भी होता है


जिसके आधार पर मौसम संबंधी
     
  
    

      ब्रह्मांड और शरीर की संरचना एक प्रक्रिया से हुई है! इसीलिए ब्रह्मांड  में जो घटित हो रहा होता है शरीरों में भी वही घटित होना होता है !
जो प्रकृति में घटित होता है वही  ब्रह्मांड और जीवन दोनों ही समय के द्वारा संचालित हैं !
 क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग जैसे  वैदिकविज्ञान के माध्यम से मैं पिछले लगभग तीस वर्षों से अनुसंधान कर रहा हूँ !जिसमें मैंने अनुभव किया है कि       संसार में कोई भी कार्य प्रयास और परिश्रम से किया जाता है किंतु उसका होना या न होना समय पर आश्रित होता है !किन्हीं सौ रोगियों की चिकित्सा के लिए डाक्टरों के द्वारा एक जैसा प्रयास किए जाने पर भी समय के प्रभाव से कुछ  रोगी स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ऐसा संसार के प्रत्येक प्रयास का परिणाम मिलने में होते देखा जाता है !इस दृष्टि से प्राकृतिक घटनाएँ भी समय से ही घटित होती हैं और प्राकृतिक आपदाएं भी समय के कारण ही घटित होती हैं

भारतीय समय की इस विषय पर मैंने वैदिकविज्ञान विधि से लगभग पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ !जिसमें मैंने पाया कि जिन प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय के आधार पर किया जाता है वो लगभग 80 प्रतिशत सही घटित होते देखा जा रहा है ! प्रकृति में जिस दिन जिस प्रकार की घटनाएँ घटित होने का समय चल रहा होता है वो उस दिन घटित होती हैं ऐसी एक तरह की घटनाएँ एक समय में कुछ स्थानों ,प्रदेशों ,देशों आदि में घटित हो रही होती हैं !कुछ घटनाओं में कभी कभी एक या दो दिन का अंतर पड़ते देखा जाता है!
     यदि आँधी तूफ़ानों  चक्रवातों एवं वर्षा बाढ़ आदि घटनाओं पर क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का थोड़ा भी असर पड़ता होता तो इनसे संबंधित महीनों पहले किए गए पूर्वानुमानों का  सही समय पर घटित हो पाना असंभव होता !जबकि ऐसा नहीं है !
    किस तारीख को कौन सी प्राकृतिक घटना किस स्थान ,प्रदेश ,देश आदि में घटित होगी इसके लिए अनुसंधान अभी जारी है किंतु किस दिशा में घटित होगी !इससे संबंधित पूर्वानुमान 60 प्रतिशत से अधिक सच होते देखे जाते हैं !

    इसी 'समयविज्ञान' के आधार पर मैंने भूकंपों के विषय में अभी तक जो अनुसंधान किया है उसके आधार पर भूकंप के 4 प्रकार होते हैं जिनमें कुछ भूकंप सूर्य से निर्मित होते हैं कुछ चंद्र से कुछ वायु से एवं कुछ इन तीनों के संयुक्त प्रभाव से निर्मित होते हैं भूकंप काल में ये भूकंप उस क्षेत्र में अपने स्वभाव के अनुसार प्रभाव छोड़ रहे होते हैं ! जो भूकंप जिस क्षेत्र में आते हैं वे उसी क्षेत्र से संबंधित कोई सूचना दे रहे होते हैं !जिस क्षेत्र में जिस प्रकार की घटना घटित होनी होती है वहाँ उस समय उसी प्रकार का भूकंप आता है 90 दिन पहले से वहाँ की प्रकृति में उस प्रकार के चिन्ह उभरने लगते हैं !उस क्षेत्र के पेड़ पौधों जीव-जंतुओं,पशु-पक्षियों, मनुष्यों के स्वभावों  आकृतियों एवं स्वास्थ्य संबंधी परिवर्तनों में भी भावी भूकंपों का प्रभाव प्रकट होने लगता है !जिनका निरंतर और सूक्ष्म अध्ययन करने से भावी भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाना भी संभव हो सकता है !सीमित संसाधनों और सीमित समय के कारण इस विषय में अभी रिसर्च जारी है !
      निकट भविष्य में कोई ऐसी घटना घटित होने जा रही होती है जो जीवन समाज सरकार आतंकवाद या लोगों के सामूहिक स्वास्थ्य से संबंधित होती है किंतु उस घटना के विषय में किसी को पता नहीं होता है !ऐसे ही किन्हीं दो या दो से अधिक देशों में एक समय एक साथ आने वाले भूकंप उन दोनों देशों के विषय में कोई ऐसी सूचना दे रहे होते हैं जो उन दोनों देशों के हित अहित से संबंध रखती है या उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के विषय में हो जो निकट भविष्य में घटित होने जा रहे होते हैं !
ऐसे मैंने सैकड़ों भूकंपों पर अनुभव किया है जिनके आधार पर अभी तक पूर्वानुमान भले ही न लगाए जा सके हों किंतु ये सूचनाएँ 80 प्रतिशत तक सही घटित होते देखी जाती हैं!जिसके तर्कयुक्त प्रमाण हमने संग्रह किए हैं ! 

जिसके परिणाम स्वरूप मैं इस निश्चय पर पहुँच पाया हूँ कि "क्लाइमेटचेंज और ग्लोबलवार्मिंग का मौसम पर कोई विशेष असर नहीं होता है क्योंकि मैंने

पिछले तीस वर्षों से रिसर्च करता चला आ रहा हूँ मैं यह जानना चाहता था जिससे ये पता लगा कि मौसम और सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं  तथा प्राकृतिक आपदाओं का ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज से कोई संबंध होना संभव ही नहीं  है !
     मौसम का बनना  बिगड़ना हो या अन्य अच्छी बुरी सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं या आपदाओं का सीधा संबंध समय के साथ होता है !इसीलिए जिस समय जो  घटना घटित होनी होती है वो समय आते ही अपने अपने निश्चित समय पर सभी घटनाएँ घटित होती चली जाती है !


इसीलिए समय जैसे जैसे बीतता जाता है प्राकृतिक घटनाएँ भी वैसे वैसे घटित होते चली जाती हैं !



ऐसी परिस्थिति में ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज का मौसम या अन्य प्राकृतिक घटनाओं या आपदाओं का आपस में कोई संबंध होना संभव ही नहीं है !इसीलिए 


ने से कोई संबंध नहीं है !


अपितु ग्लोबलवार्मिंग और क्लाइमेटचेंज एवं मौसम और प्राकृतिक आपदाओं का सीधा संबंध समय के साथ है !दाएँ समय से संबंधित हैं अनुसार जिसमें कई उपलब्धियाँ हाथ लगी हैं ग्लोबलवर्मिंग ,क्लाइमेटचेंज नाम की कोई चीज होती ही नहीं है अपितु जब मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए मौसम पूर्वानुमान

Wednesday, 3 October 2018

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      सन 2018 मार्च के महीने में मंगल और बृहस्पति ग्रह पर जो प्राकृतिक आक्रोश घटित हुआ था उसमें उन ग्रहों पर बहुत बड़ा उथल पुथल होते अनुभव किया गया था !उसमें ये दोनों ग्रह आँधी तूफ़ानों भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से आक्रांत हुए थे !
      उन्हीं तूफानों ने अपना रुख पृथ्वी की ओर कर लिया है जो 12 -10-2018 तक शीघ्र पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर जाएँगे ! जैसे जैसे ये पृथ्वी के नजदीक पहुँचते जाएँगे वैसे वैसे ये पृथ्वी के वातावरण को अपने प्रभाव में लेते चले जाएँगे!इससे पृथ्वी का वातावरण बिगड़ेगा आँधी तूफानों की घटनाएँ बार बार घटित होंगी भूकंपों कई देशों में तांडव मचाएँगे !बृहस्पतिग्रह की धूल से पृथ्वी का वायुमंडल प्रदूषित होगा !दूसरे ग्रहों की धूल तीव्र वायु के साथ पृथ्वी और सूर्य के मध्य अवरोध उत्पन्न करेगी सूर्य की किरणें धूमिल हो जाएँगी !प्राकृतिक व्यवस्था बिगड़ने से स्वाँस खाँसी आँखों में जलन एवं उल्टीदस्त जैसे रोग अधिक मात्रा में बढ़ेंगे !
     प्राकृतिक वातावरण में घटित हो रही इस बड़ी उथलपुथल को न समझ सकने वाले अज्ञानी लोग इस वायुप्रदूषण को पराली आदि जलाने  से हुए धुएँ जैसी निराधार दलीलें देते दिखेंगे !ग्लोबलवार्मिंग  क्लाइमेटचेंज पोल्यूशन जैसी न जाने कितनी निराधार कहानियाँ गढ़ लेंगे !जो शतप्रतिशत गलत हैं !
    दूसरे ग्रहों से आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने में  ग्लोबलवार्मिंग  क्लाइमेटचेंज पोल्यूशन जैसी मनगढंत कहानियों की कोई भूमिका नहीं है !इन घटनाओं के वास्तविक कारणों को न जानने वाले अज्ञानी लोग ही ऐसी निराधार बातें करते दिखते हैं !
      इस प्रकार से बृहस्पति गृह से पृथ्वी पर पधारने वाले तूफ़ान 9-10-2018  से पृथ्वी के वातावरण में अपना असर छोड़ने लगेंगे इस तूफान का पहला झोंका 11 -10-2018 से 15 -10-2018 के बीच आएगा !इस तूफ़ान से कुछ देश तूफानों की त्रासदी झेलने पर विवश होंगे !अतिवर्षा बाढ़ सुनामी तूफ़ान आदि से कुछ देश विशेष परेशान हो जाएँगे !

पृथ्वी के वातावरण में तूफानी तनाव दिखना प्रारंभ हो जाएगा और ऊपर कहे गए अन्य प्रकार के प्राकृतिक प्रकोप भी दिखने लगेंगे !

  तांडव
        9 अक्टूबर से