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जन्मलेने वाले बच्चे का रोग आदि संबंधी ज्योतिषीय पूर्वानुमान उसी समय लगाया जा सकता है कि इसे किस उम्र में बीमारी या मनोरोग आदि होगा ! या निजी जीवन से संबंधित भविष्य में होने वाली बड़ी बीमारियों का पूर्वानुमान इसी ज्योतिष से लगाकर उनसे निपटने की व्यवस्थाएँ समय रहते कर ली जाया करती थीं !जीवन में आने वाले सुख दुःख का पूर्वानुमान लगाकर लोग उससे निपटने के लिए उपाय करते और कुछ उन्हें सहने का अभ्यास कर लिया करते थे । इस अभ्यास के द्वारा ही ऐसा संभव हो पाता था । भविष्यसंबंधी पूर्वानुमान की जानकारी के अभाव में किसी दुःख तकलीफ ,व्यापारिक घाटा या किसी से धोखा मिलने की बात जब अचानक पता लगती है तो अक्सर लोग सह नहीं पाते हैं और मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं ।ऐसी ही परिस्थिति में हत्या-आत्महत्या बलात्कार आदि सभी प्रकार के अपराध उस असहनशीलता की अवस्था में अक्सर लोग कर बैठते हैं ।
कुछ लोग ऐसी स्थिति में ही मनोरोगी होकर सुगर B. P. जैसी तमाम अन्य बड़ी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं ।मन को न मानने वाली चिकित्सा पद्धति में मन को जाँचने वाली न कोई मशीन है और न ही मनोरोग की कोई दवा ही होती है !चिकित्सा पद्धति में लोगों का स्वभाव समझने के लिए कोई विज्ञान नहीं है अच्छे बुरे समय के अनुसार लोगों का स्वभाव बदलता रहता है इसलिए किसी भी व्यक्ति के समय को समझे बिना उसके स्वभाव को समझ पाना अत्यंत कठिन है और स्वभाव को समझे बिना मनोरोगियों को दी जाने वाली काउंसलिंग खानापूर्ति मात्र होती है जबकि ऐसे स्थलों पर ज्योतिष विज्ञान संपूर्ण रूप से सटीक बैठता है ।इसके द्वारा काफी हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं मनोरोग !
रोग और मनोरोग जैसी परिस्थिति पैदा ही न हो इसके लिए समय का पूर्वानुमान लगाकर उसके अनुरूप ही कार्य योजना बनाकर चलने से ऐसी परेशानियों के पैदा होने से बचा जा सकता है । पुराने समय में जब राजा प्रजा लोग ज्योतिषीय पद्धति से समय का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे उसी के अनुसार जीवन और शासन सत्ता को ढाल लिया करते थे !इसीलिए तब रोगी मनोरोगी हत्यारे आत्महत्यारे बलात्कारी और लुटेरे आदि इतने नहीं होते थे । ज्योतिषीय पूर्वानुमान के कारण ही लोग अच्छी बुरी परिस्थितियों को सहने की क्षमता रखते थे यही कारण है कि तब जो समाज विश्व बन्धुत्व की भावना से जुड़ा होता था कितने बड़े बड़े संयुक्त परिवार हुआ करते थे किंतु ज्योतिष की उपेक्षा होते ही समाज बिखर रहा है परिवार टूट रहे हैं 'वसुधैवकुटुम्बकं' तो दूर अब तो पति -पत्नी ,बाप-बेटा ,भाई - भाई के संबंध भी बोझ बनते जा रहे हैं एक साथ कब तक रह पाएँगे कहना कठिन है ।
उसके अनुरूप ढल जाया करते थे अनुरूप अपने को ढलने
इसलिए
सरकारी उपेक्षा के कारण ज्योतिष विषय के पढ़े लिखे छात्रों को भी कुछ लोग
अंध विश्वास फैलाने वाला या अनपढ़ मानते हैं जिसका प्रमुख कारण ज्योतिष के
क्षेत्र में मेडिकल की तरह फर्जी ज्योतिषियों को रोकने के लिए किसी नियम का
न होना है ।
चिकित्सा की तरह ज्योतिष के जबकि
वर्तमान में मौसम विभाग के द्वारा किए जाने वाले पूर्वानुमान कृषिक्षेत्र
के लिए उतने उपयोगी नहीं होते क्योंकि उसमें किसानों को सँभलने का समय
नहीं मिल पाता !इसी प्रकार से बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए भी उतना
नहीं मिल पाता है इतने पास आकर पता चलता है भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए
की जाने वाली रिसर्च पर भारत सरकार के करोड़ों अरबों रूपए खर्च हो रहे
होंगे किंतु अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है !जबकि ज्योतिष आदि प्राचीन
विद्याओं के सहयोग से हमारे द्वारा चलाए जा रहे रिसर्च कार्य में सहयोग के
लिए मैंने भू विज्ञान मंत्रालय के लिए कई रजिस्टर्ड पत्र भेजे उनका
जवाब न आने पर मैंने मंत्रालय के नंबर पर फोन
करके अपनी बात कही तो उन अधिकारी महोदय ने कहा कि दो तीन भूकंपों के विषय
में अग्रिम तारीखें लिखकर दे दो यदि वे पूर्वानुमान सही निकलेंगे तो
तुम्हारी बातों पर विचार किया जाएगा ! क्या ये प्राचीन विद्याओं के साथ
अन्याय नहीं है !
अन्य विषयों में तो
में ज्योतिष विषय
योगपर्व
(2016) के फरीदाबाद में आयोजित सरकारी मंच से अति विशाल समुदाय के बीच
बाबारामदेव जी ने ज्योतिषशास्त्र को पाखंड और ज्योतिष विद्वानों के
लिए 'पाखंडी' 'लुटेरा' जैसे शब्दों का प्रयोग एक नहीं अपितु कई बार किया
है जो कई सारे टीवी चैनलों अखवारों में प्रकाशित भी हुआ है कुछ ने तो इस
पर पैनल बैठाकर बहस
भी करवाई है किंतु
किसी भी पत्रकार रामदेव जी से यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि ज्योतिष
पाखण्ड है या विज्ञान ये तो उसे पता होगा जिसने ज्योतिष पढ़ी होगी रामदेव ने
यदि ज्योतिष पढ़ी ही नहीं तो उन्होंने ज्योतिष के विरुद्ध टिप्पणी की क्यों
?रामदेव ने यदि आयुर्वेद ही पढ़ा होता तो उन्हें जरूर पता होता आयुर्वेद
में प्रयुक्त ज्योतिष ,वास्तु, रत्नों ,सामुद्रिकलक्षणों , शकुनों ,सपनों
के फल का महत्त्व !यदि हमारी शास्त्रार्थ संबंधी चुनौती बाबा रामदेव
स्वीकार करें और ज्योतिष को पाखंड सिद्ध करने का थोड़ा भी साहस करते हैं तो
उन्हें ज्योतिष की सारी विधाएँ आयुर्वेद में दिखाऊँगा !वो शास्त्रार्थ के
लिए तैयार तो हों !
कुल मिलाकर ज्योतिषशास्त्र को पाखंड और ज्योतिष विद्वानों के
लिए 'पाखंडी' 'लुटेरा'जैसे रामदेव के कहे हुए निंदनीय शब्दों का प्रचार
पसार में तो मीडिया ने रामदेव का साथ खूब दिया किंतु ज्योतिषशास्त्र और
ज्योतिषविद्वानों का पक्ष रखने के लिए मीडिया मौन हो गया !
मैंने बहुत सारे टीवी चैनलों एवं अखवारआफिसों में फोन किए पत्र भेजे
किंतु किसी टीवी चैनल या अखवार ने हमारा पक्ष सुनने की जरूरत नहीं समझी
जबकि मैंने सबको ये लिखा कि मैंने ज्योतिष सब्जेक्ट से आचार्य अर्थात
(MA)और PhD 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी' से की है चूँकि मैंने अपने जीवन के
बहुमूल्य दस वर्ष लगाकर विश्व प्रसिद्ध संस्थान (BHU) से ही हिंदी (ज्योतिष) के क्षेत्र में
Ph. D. की डिग्री हासिल की है इसलिए रामदेव का सीधा प्रहार हम जैसे लोगों
पर ही था इसलिए जवाब हमारा भी तो जनता तक पहुँचाया जाना चाहिए था किंतु
रामदेव के हाथों बिके हुए मीडिया ने किसी भी क्वालीफाइड ज्योतिषी का पक्ष
ही नहीं सुना जबकि ज्योतिष के पक्ष या विपक्ष की कोई खबर चलाते समय हम
लोगों का पक्ष जानना जरूरी था किंतु मीडिया ने ज्योतिष सब्जेक्ट में क्वालीफाइड ज्योतिष विद्वानों की उपेक्षा करते हुए ज्योतिष की निंदा करने में बाबारामदेव का साथ दिया ।
रामदेव ने ज्योतिष की निंदा करने के लिए जिस मंच का उपयोग किया वो मंच सरकारी था इस मंच को उपयोग ज्योतिष की निंदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी'जैसे
उन बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिष के पठन - पाठन की व्यवस्था है जिन पर
करोड़ों रूपए महीने ज्योतिष शिक्षा के लिए भारत सरकार खर्च करती है फिर
भारत सरकर के किसी मंच का दुरुपयोग ज्योतिष निंदा करने के लिए रामदेव ने
क्यों किया क्या इस काम के लिए उन्हें सरकार से अनुमति मिली थी क्या ?और
यदि नहीं तो उन्होंने ऐसा किया क्यों ? ये तो रामदेव जी से पूछा जाना
चाहिए कि इतने महत्त्वपूर्ण सरकारी मंच पर सरकारी अनुमति लिए बिना
ज्योतिषशास्त्र की निंदा करने संबंधी खुराफात उन्हें सूझा क्यों ? उधर
सरकार का कर्तव्य था कि वो रामदेव की ऐसी ज्योतिष निंदा संबंधी ऊटपटाँग
बातों पर लगाम लगाती अन्यथा बाबा रामदेव से उसी प्रकार के मंच से माफी
मँगवाती या फिर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करती !
सरकार के पास अभी भी ज्योतिष शास्त्र के लिए एक सम्मानजनक रास्ता है कि सरकार अभी भी बाबा रामदेव से सिद्ध करवावे कि उन्होंने ज्योतिष को पाखंड और ज्योतिषविद्वानों को 'पाखंडी' 'लुटेरे' आदि किस आधार पर कहा है । दिल्ली
में खुले मंच पर मीडिया और जनता के सामने रामदेव से सिद्ध करवाया जाए
ज्योतिषशास्त्र को पाखंड !जबकि ज्योतिषशास्त्र विज्ञान है मैं ये बात सौ
प्रतिशत सही सिद्ध करूँगा !न केवल इतना अपितु मैं ये भी सिद्ध करूँगा कि
केवल आयुर्वेद ही नहीं अपितु विश्व की समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ 'ज्योतिषशास्त्र ' के बिना अधूरी हैं अपूर्ण हैं ।
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