Friday, 22 July 2016

"दयाशंकर सिंह का DNA गलत बताने वालों पर कार्यवाही कब होगी ! DNA पर प्रश्न खड़ा करके आखिर किसके चरित्र पर उठाई गई है अँगुली ? !"

    मायावती जी को ये बुरा क्यों नहीं लगा !उन्होंने अपने असभ्य नेताओं को पार्टी से निकाला  क्यों नहीं ! सरकार ऐसे अपराधियों पर क्यों नहीं कर रही है कठोर कार्यवाही जिन्होंने दया शंकर सिंह के DNA पर प्रश्न उठाया था !जिन्होंने दया शंकर सिंह की जीभ काटकर लाने की बात कही थी !जिन्होंने दया शंकर सिंह की बेटी बहन माँ और पत्नी के लिए खुले आम असभ्य शब्दों का प्रयोग किया था !क्या ये अपराध नहीं है !यदि ये अपराध नहीं है तो दयाशंकर सिंह ने जो कहा वो अपराध क्यों है !इन्होंने तो केवल तुलना की थी बसपाइयों ने तो तो खुले आम डंके की चोट पर जानबूझ कर बोला है इतना सब होने के बाद भी जिनके समर्थन में बसपा प्रमुख स्वयं खड़ी थीं !उन्हें कब कटघरे में खड़ा किया जाएगा ?
 बसपा का शीर्ष नेतृत्व यदि अपने बदजुबान कार्यकर्ताओं का पार्टी से निष्कासन नहीं करता तो भाजपा को भी दब्बूपन छोड़कर  बसपाइयों की गुंडागर्दी का जवाब देना चाहिए !अन्यथा दयाशंकर सिंह पर भी बंद की जाए कार्यवाही और पार्टी उन्हें भी बहाल करे !ऐसे तो कार्यकर्ता लोगों का मनोबल टूटता है राजनीति में  बदजुबानी बंद करने की जिम्मेदारी सबकी है कार्यवाही की पहल सभी तरफ से हो !
       दयाशंकर सिंह  की बेटी माँ और पत्नी को गालियाँ देने वालों पर भी की जाए कठोर कार्यवाही ! दयाशंकर सिंह दोषी तभी तक थे जब तक उन्हें और उनकी बेटी माँ और पत्नी को गालियाँ नहीं दी गई थीं अब दयाशंकर सिंह से कई गुनी  अधिक गंदी गालियाँ दयाशंकर सिंह के परिवार को दिलवा चुकी हैं मायावती जी !कार्यकर्ता लोगों को सिखा  सिखा कर भेज रही पार्टी गालियाँ  देने के लिए !यदि ऐसा नहीं है तो बसपा अपने भी दोषी पदाधिकारियों को दयाशंकर सिंह की तरह ही पार्टी से निष्कासित करे !
      दयाशंकर सिंह का DNA गलत बताकर जिसके चरित्र पर अँगुली उठाई गई है वो महिला नहीं हैं क्या ?आखिर उनके सम्मान  की  जरूरत क्यों नहीं समझी जा रही है !   दयाशंकर सिंह के बयान से  आहत मायावती जी ने सदन में दयाशंकर सिंह के पार्टी से निष्कासन की नैतिक माँग की थी भाजपा ने उसका अक्षरशः पालन किया है और दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया गया है । अब बारी है मायावती जी की वो भी  राजनीति से बदजुबानी बंद करने के लिए एक बार अपना भी हृदय  मजबूत करके अपनी पार्टी के भी उन बयान बहादुरों पर कठोर कार्यवाही करें जो दयाशंकर सिंह उनकी बेटी माँ और पत्नी के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग करते देखे जा रहे हैं ।रही बात  कानून की तो कानून भी अपनी भूमिका का निर्वाह पक्षपात विहीन मानसिकता से समान रूप से करे ! मायावती जी के प्रति दयाशंकर सिंह की टिपण्णी यदि गलत है तो उन पर कानूनी कार्यवाही हो किंतु उन बसपाइयों की भी बक्सा न जाए जिन्होंने दयाशंकर सिंह और उनकी बेटी माँ और पत्नी के विरुद्ध अपशब्दों का प्रयोग किया है । 
       भाजपा की तरह ही बसपा भी गंदे बयान देने वाले नेताओं विधायकों  पर कठोर कार्यवाही करे !कानून बसपा के भी उन नेताओं पर कार्यवाही करे जिन्होंने दया शंकर सिंह की बेटी बीबी और माँ पर अभद्र टिप्पणियाँ की हैं ! यदि बसपा नेतृत्व ऐसा नहीं करता है तो समाज में ये संदेशा जाएगा कि दयाशंकर सिंह के घरवालों को देने के लिए कितनी कितनी गंदी गंदी गालियाँ सिखाकर भेज रहा है बसपा का शीर्ष नेतृत्व !अर्थात उनकी हरकतों में सम्मिलित माना जाएगा बसपा का शीर्ष नेतृत्व !इसलिए  जिस ईमानदारी से भाजपा ने अपने प्रदेश उपाध्यक्ष को एक झटके में  निकालकर बाहर किया है बसपा का शीर्ष नेतृत्व भी इससे कुछ सीखे और गाली गलौच करने वाले ऊटपटाँग बोलने वाले पदाधिकारियों विधायकों को पार्टी से निष्कासित करे !
    मायावती जी पर टिकट बेचने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं यदि ये आरोप सच नहीं हैं और उन पर मायावती जी को कोई इतराज है तो ऐसे लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही क्यों नहीं करती हैं !!उनके अपने बड़े नेता भी तो ऐसे ही आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़कर गए हैं ! दयाशंकर सिंह जी के बयान में 'तुलनागलत' है बाक़ी आरोप जाँच का विषय !
अब बात दयाशंकर सिंह के उस बयान की ये है वो बयान और ध्यान से पढ़ें आपलोग -
        "आज मायावती जी आज टिकटों की इस तरह विक्री कर रही हैं कि "एक वेश्या भी यदि किसी पुरुष के साथ कांटेक्ट करती है तो जब तक पूरा नहीं करती है तो उसको नहीं तोड़ती है "प्रदेश की हमारी इतनी बड़ी नेता तीन तीन बार की मुख्यमंत्री मायावती जी किसी को 1 करोड़ में टिकट देती हैं दोइए घंटे बाद 2 करोड़ देने वाला मिलता है तो उसे दे देती हैं और शाम को कोई 3 करोड़ देने वाला मिलता है तो  उसे दे देती हैं । " 
 इस बयान को आप सुन भी सकते हैं -ये ही वो लिंक -see more... https://www.youtube.com/watch?v=lIT54SBJn4U
         इस बयान के विवादित विषय को ध्यान से पूरा पढ़ने पर इससे कहीं नहीं लगता है कि दयाशंकर सिंह इस बयान के माध्यम से मायावती जी को अपमानित करना चाहते हैं उन्होंने इसमें मायावती जी का नाम जितने बार लिया है उतने बार 'जी' जरूर लगाया है इसी प्रकार से "प्रदेश की हमारी इतनी बड़ी नेता तीन तीन बार की मुख्यमंत्री मायावती जी" इसमें प्रयोग किए गए शब्द भी गलत नहीं कहे जा सकते अन्यथा वो "हमारी इतनी बड़ी नेता " नहीं कहते !इसलिए वो मायावती जी को अपमानित कर रहे थे यह नहीं कहा जा सकता !उन्होंने जो टिकटों की विक्री का मायावती जी पर आरोप लगाया है वो राजनैतिक है जो मायावती जी के पूर्व सहयोगी भी मायावती जी पर लगाते रहे रहे हैं !मायावती जी ने उन पर कभी कानूनी कार्यवाही नहीं की !यदि ये आरोप गलत हैं तो की जानी चाहिए थी !इसके बाद यह कहने के लिए कि मायावती जी टिकटें बेचती ही नहीं अपितु बेचकर भी यदि कोई उससे भी अधिक पैसे देने  लगता  है पहले का करार भूल जाती हैं और उसे देती हैं टिकटें ! 
     इसमें विवाद का विषय मात्र इतना है कि "वेश्या भी अपने दिए हुए बचन पर कायम रहती है जबकि मायावती जी टिकट बेचते समय अपने दिए हुए बचन का भी पालन नहीं करती हैं " 
       इस वाक्य में मायावती जी के बचन न पालन करने की तुलना किसी वेश्या के बचन पालन से करने को सही नहीं ठहराया जा सकता निन्दनीय है गलत है किंतु दयाशंकर सिंह के द्वारा किए गए 'वेश्या' शब्द का सीधा संबंध मायावती जी के नाम के साथ कैसे भी  सिद्ध नहीं होता है इसलिए इस शब्द को  गलत जगह जोड़ना भी ठीक नहीं है ।
     दयाशंकरसिंह जी का बयान राजनैतिक है मायावती जी निजीजीवन  से  जोड़ रही हैं वे अभद्र टिप्पणियाँ  इससे केवल दयानन्द सिंह जी की ही भद्द नहीं पिट रही है अपितु इस प्रकरण को जितना तूल दिया जा रहा है उससे मायावती जी की भी छवि बन नहीं अपितु बिगड़ रही है लोगों की जबान पर ये गैर जरूरी गंदे शब्द चर्चा का विषय बने हुए हैं जो दयाशंकरसिंह जी ने  तो एक बार कहे हैं किंतु उसके बाद जन चर्चाओं में कररोडों बार बोले जा रहे हैं !जो रोके जाने चाहिए बसपा के लोगों को यदि वास्तव में मायावती जी के सम्मान की चिंता है तो इन अभद्र टिप्पणियों की चर्चा जल्दी से जल्दी बंद कर दी जानी चाहिए ! मायावती जी ने सदन में दयासिंह जी को पार्टी से निकलने की बात की थी वो कर दिया गया अब विवाद किस बात का !
      दयानंद जी के बयान में जिक्र टिकटों की बिक्री का है मायावती जी के निजी जीवन से जुड़ा ये बयान नहीं है इसमें दलितों के प्रति कोई अपमान जनक बात नहीं कही गई है और न ही महिलाओं के प्रति यहाँ तक की मायावती जी का नाम भी वो बार बार 'जी' लगाकर ही संबोधित  कर रहे हैं इसका सीधा अर्थ है कि मायावती जी का अपमान करना उनका उद्देश्य ही नहीं हैं इसे कैसे भी पढ़ा लिखा या समझा जाए और किसी भी भाषा वैज्ञानिक से उनके बयान  की व्याख्या या समीक्षा करवा ली जाए !

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