"ओपी शर्मा ने कहा- बेवजह भौंकते रहते हैं अरविंद केजरीवाल-आजतक "
ओपी शर्मा जी का अभिप्राय निरर्थक बोलने से रहा होगा कुत्ते की तरह बोलने से नहीं !चूँकि कुत्ते निरर्थक बोलते हैं इसीलिए तो कहा जाता है कि कुत्ते भौंकते हैं !धीरे धीरे यह शब्द कुत्ते के भौंकने अर्थ में गौण हो गया है ! कोई कुत्ता बोले या मनुष्य किंतु यदि निरर्थक है तो 'भौंकना' कहा जा सकता है और सार्थक बात यदि कुत्ता भी बोले तो 'भौंकना'नहीं अपितु बोलना कहते हैं !जाँच एजेंसियों का साथ देने वाले कुत्तों के बोलने को 'भौंकना' नहीं अपितु बोलना कहा जाता है इसीलिए लोग उसकी बात समझने का प्रयास करते हैं और उसी बात से कई बार उस जाँच की गम्भीर गुत्थियाँ सुलझते देखी जा सकती हैं इसलिए कुत्ते के उस सार्थक बोलने को भौंकना नहीं कहा जा सकता है ! भौंकने वाले कुत्तों की बात समझने का प्रयास करते नहीं देखा सुना जाता है ।संस्कृत साहित्य में तो कुत्ते की तमाम तरह की बोलियों का वर्णन है उसके कुछ न कुछ अर्थ होते हैं जिन्हें भौंकना नहीं कहा जा सकता है । हमारा तर्क यदि किसी को गलत लगे तो मैं प्रमाण देने को तैयार हूँ जो सौ प्रतिशत हिंदी और संस्कृत व्याकरण से सम्मत होगा !
रही बात ओपी शर्मा जी के बयान की तो आखिर ये उन्हें भी पता है कि केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं अगर ओपी शर्मा जी का अभिप्राय कुत्ते की तरह से बोलने होता तो बात का ढंग दूसरा होता ! किंतु निरर्थक है ।
वैसे भी केजरीवाल जी ने जिस पर भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगाए सब निरर्थक ही तो हैं आखिर उन्होंने किस पर कितनी कार्यवाही की ! सादगी संबंधी बातें हों या बच्चों की कसम सब कुछ निरर्थक !मोदी जी पर लगाए जाने ऊटपटाँग आरोप सारे निरर्थक ही तो हैं !
ओपी शर्मा जी का अभिप्राय निरर्थक बोलने से रहा होगा कुत्ते की तरह बोलने से नहीं !चूँकि कुत्ते निरर्थक बोलते हैं इसीलिए तो कहा जाता है कि कुत्ते भौंकते हैं !धीरे धीरे यह शब्द कुत्ते के भौंकने अर्थ में गौण हो गया है ! कोई कुत्ता बोले या मनुष्य किंतु यदि निरर्थक है तो 'भौंकना' कहा जा सकता है और सार्थक बात यदि कुत्ता भी बोले तो 'भौंकना'नहीं अपितु बोलना कहते हैं !जाँच एजेंसियों का साथ देने वाले कुत्तों के बोलने को 'भौंकना' नहीं अपितु बोलना कहा जाता है इसीलिए लोग उसकी बात समझने का प्रयास करते हैं और उसी बात से कई बार उस जाँच की गम्भीर गुत्थियाँ सुलझते देखी जा सकती हैं इसलिए कुत्ते के उस सार्थक बोलने को भौंकना नहीं कहा जा सकता है ! भौंकने वाले कुत्तों की बात समझने का प्रयास करते नहीं देखा सुना जाता है ।संस्कृत साहित्य में तो कुत्ते की तमाम तरह की बोलियों का वर्णन है उसके कुछ न कुछ अर्थ होते हैं जिन्हें भौंकना नहीं कहा जा सकता है । हमारा तर्क यदि किसी को गलत लगे तो मैं प्रमाण देने को तैयार हूँ जो सौ प्रतिशत हिंदी और संस्कृत व्याकरण से सम्मत होगा !
रही बात ओपी शर्मा जी के बयान की तो आखिर ये उन्हें भी पता है कि केजरीवाल जी दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं अगर ओपी शर्मा जी का अभिप्राय कुत्ते की तरह से बोलने होता तो बात का ढंग दूसरा होता ! किंतु निरर्थक है ।
वैसे भी केजरीवाल जी ने जिस पर भ्रष्टाचार के जितने भी आरोप लगाए सब निरर्थक ही तो हैं आखिर उन्होंने किस पर कितनी कार्यवाही की ! सादगी संबंधी बातें हों या बच्चों की कसम सब कुछ निरर्थक !मोदी जी पर लगाए जाने ऊटपटाँग आरोप सारे निरर्थक ही तो हैं !
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