Saturday, 11 June 2016

लालू जी !कमाई का अपना वाला फार्मूला दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों को भी समझाइए उन्हें भी करोड़ों अरबों पति बनाइए !

     लालू जी का बचपन बहुत गरीबी में बीता आज अरबों पति कामधंधा व्यापार आदि कभी कुछ किया नहीं इतना समय ही नहीं था !राजनीति में जो पद मिले उसकी सैलरी से इतनी संपत्ति बनाई नहीं जा  सकती थी फिर इतनी संपत्ति इकट्ठी कैसे हुई ?
     श्रीमान लालू जी !मैंने सुना है कि आप मुख्यमंत्री बनने तक तो पटना के वेटनरी कॉलेज के चपरासी क्वार्टर के एक छोटे से घर में रहे !आपके बाबू जी के पास एक धुर भी जमीन नहीं थी। घर में कुछ मवेशी थे और बाबू जी तब खेतिहर मजदूर थे। इसी से घर चलता था। उन दिनों खाने के भी लाले थे। कभी मकई का दर्रा तो कभी साग-रोटी खाकर दिन गुजारना पड़ता था!किंतु अचानक ऐसा क्या चमत्कार हुआ कि आप करोड़ों अरबोंपति बन गए !जबकि धंधा व्यापार आपने कोई किया नहीं सैलरी इतनी मिली नहीं घर में किसी और की कमाई नहीं !फिर भी इतनी अकूत संपत्ति !आखिर इकट्ठी कैसे की !कमाई का अपना वाला फार्मूला दलितों पिछड़ों अल्पसंख्यकों को क्यों नहीं समझाते हैं आप ?
     लालू जी !15 वर्षों तक बिहार की सत्ता आपके हाथ में रही तब  भी दलित दलित ही बने रहे और पिछड़े पिछड़े ही बने रहे आपने उनके लिए कुछ किया क्यों नहीं ! सरकार आपकी थी आप चाहते तो कर सकते थे !दूसरी बात महोदय !दलितों पिछड़ों गरीबों से यदि आपका इतना ही लगाव रखते हैं तो उन्हें अपनी पार्टी का अध्यक्ष क्यों नहीं बनाते हैं ?उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी क्यों नहीं बनाते हैं ?अपनी पत्नी की जगह उन्हें भी तो मुख्यमंत्री बना सकते थे!आखिर इनके पास ही क्या समझ शिक्षा और अनुभव था जैसे जनता ने इन्हें सहा ऐसे ही उन्हें भी सह लेती !इस सरकार में भी तो आपका साझा है आप दलितों गरीबों को भी तो उपमुख्यमंत्री बना सकते थे !अपनी  जगह राज्यसभा में उन्हें भी तो भेज सकते थे !क्यों नहीं किया एस इसके लिए भी सवर्ण लोग ही दोषी हैं क्या ?
   सरकार में रहते समय आप दलितों गरीबों के नाम पर नारे लगाते रहे सरकारों में रहने के अधिकार से दलितों पिछड़ों के नाम पर योजनाएँ पास करते रहे किंतु वो धन जाता कहाँ रहा !
     उसका हिसाब दीजिए की उस लूट के माल से अपना घर भरते रहे क्या !और दलितों पिछड़ों को बताते रहे कि तुम्हारा हिस्सा ब्राह्मणों ठाकुरों बनियों ने हड़पा है हम तुम्हारा हक़ तुम्हें दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और सारा माल खुद पार करते रहे !
   दलितों और पिछड़ों को हक़ दिलाने का ड्रामा करने वाले आप जैसे नेताओं के पास होगा वो दलितों पिछड़ों गरीबों के नाम पर हड़पा हुआ धनसवर्णों के पास नहीं है सवर्णों ने कभी किसी का शोषण ही नहीं किया !
       श्रीमान जी !यदि ऐसा नहीं होता तो देश की जनता जानना चाहती है कि आप जब राजनीति में आए थे तब कितने पैसे थे आपके पास और अब कितनी संपत्तियाँ हैं !ये कहाँ से आईं आपकी संपत्तियों के स्रोत क्या हैं वो संपत्तियाँ कमा कर बनाईं या  गरीबों पिछड़ों दलितों का  हिस्सा हड़प करके जुटाईं और यदि कमाकर बनाईं तो  कमाया कैसे ? उसके लिए किया क्या ?पैतृक  संपत्ति थी तो प्रमाण दिखाओ और  नौकरी करके कमाया तो किसकी और कब ? यदि व्यापार किया तो कब और किस चीज का ?व्यापार करने के लिए धन कहाँ से  लाए !अपने घर का था या उधार लाए !उधार लिया तो किससे और कितना !व्यापार के कागज़ दिखाइए !        
   हे मेकर आफ बिहार सरकार ! दलितों पिछड़ों गरीबों को क्या किसी लायक नहीं समझते हैं आप !इतना मूर्ख गंदा अनुभव विहीन उन्हें मानते हैं आप और अपने हाई स्कूल फेलोंं को बड़ा काबिल समझते हैं !
       हे नेता जी !  बाबाओं की संपत्तियों के विरोध में आप बोले फिर बाबा जी के गुण गाने लगे !इतना डर कैसे गए !ऐसा क्या कहकर धमका दिया उन्होंने उस दिन से तो बाबाओं की संपत्तियों के विषय में बोलना ही भूल गए आप!आखिर उस दिन हुआ क्या था सार्वजनिक तो कीजिए !
     हे ग़रीबों के रक्षक !आप जैसे जन सेवक मसीहा को चुनावों से बहिष्कृत क्यों कर दिया गया है ?
   महोदय !इस प्रकार से अपनी सारी विशेषताएँ मीडिया में जारी कीजिए इंटरनेट पर डालिए लोग पढ़ेंगे नाम लेंगे आपका दलितों पिछड़ों गरीबों के लिए किया गया आपका बलिदान आखिर उन तक पहुँचे तो सही !            लोकतांत्रिक देश की मालिक जनता भी समझे कि दलितों पिछड़ों का शोषण करने वाले वास्तव में हैं कौन ?और उन ग़रीबों का धन है किसके घर ! ब्राह्मणों ठाकुरों बनियों को  बदनाम करने के पीछे साजिश क्यों रची जा रही है ?
  हे बिहार कुलभूषण !आपने अपनी पार्टी में गरीबदलित ऐसे व्यक्ति क्यों नहीं जोड़े जो ऐसे समझदार होते कि उन्हें आप अपनी पार्टी का अध्यक्ष बना सकते !मुख्यमंत्री बना सकते उपमुख्यमंत्री बना सकते ! राज्यसभा भेज सकते !
    हे बिहार के गौरव लालू जी !दलितों के  हाथ में आरक्षण का कटोरा पकड़वाकर उनसे भीख मँगवाना अब तो बंद कर दीजिए !अब दलित और पिछड़े लोग भी टेलीविजन देखते हैं अखवार पढ़ते हैं वो भी समझने लगें हैं कि दलितों पिछड़ों का सबसे ज्यादा शोषण उन्हीं लोगों ने किया है जो उनका हिस्सा दिलाने के लिए ढोंग करते और शोर मचाते हैं !


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