ज्योतिष शास्त्र समय संबंधी पूर्वानुमान का सबसे बड़ा विज्ञान है !कोई योगगुरु ऐसे दिव्य ज्योतिषशास्त्र की निंदा कैसे कर सकता है !वो महामूर्ख ही होगा जो ज्योतिष के रहस्य को समझे बिना ही उसकी निंदा करने लगा हो !
वेदों का नेत्र है ज्योतिषशास्त्र शास्त्रों की निंदा करने वाले पाखंडियों को मुख लगाने का नुक्सान भोगना पड़ेगा सरकार को !मैं तो कहता हूँ कि ज्योतिष के विषय में बेकार की बकवास करने से अच्छा है वो सीधे कहें कि ज्योतिष शास्त्र मुझे समझ में नहीं आता तो मैं समझाने का प्रयास करूँगा !वो कहें कि ज्योतिष शास्त्र में मुझे एलर्जी है इसलिए मैं घृणा करता हूँ तो मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूँ कि मैं आयुर्वेद के बड़े और प्रमाणित ग्रंथों में अनेकों जगह दिखा दूँगा जहाँ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ज्योतिष, ग्रहनक्षत्र, वास्तु, सामुद्रिक, स्वप्न और शकुनों का प्रयोग न केवल किया गया है अपितु इनके प्रभाव प्रभावों के विषय में भी बताया गया है यदि कोई कि मैंने आयुर्वेद पढ़ा है तो उसे ये पता होना चाहिए और यदि आयुर्वेद को मानता है तो इसे भी मानना चाहिए एक और बड़ी बात आयुर्वेद के ही एक बड़े ग्रंथ में मिलती है कि जो लोग केवल आयुर्वेद पढ़कर आयुर्वेद समझना चाहते हैं वो ठीक नहीं है आयुर्वेद समझने के लिए उन्हें हर शास्त्र का अध्ययन करना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद की जड़ें हर शास्त्र तक फैली हैं !इतना सब होने के बाद भी कोई कहे कि मैं आयुर्वेद को तो जनता हूँ किंतु ज्योतिष पाखंड है ये कहाँ तक उचित है !
जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है ।
आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं !केवल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"
जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "
वेदों का नेत्र है ज्योतिषशास्त्र शास्त्रों की निंदा करने वाले पाखंडियों को मुख लगाने का नुक्सान भोगना पड़ेगा सरकार को !मैं तो कहता हूँ कि ज्योतिष के विषय में बेकार की बकवास करने से अच्छा है वो सीधे कहें कि ज्योतिष शास्त्र मुझे समझ में नहीं आता तो मैं समझाने का प्रयास करूँगा !वो कहें कि ज्योतिष शास्त्र में मुझे एलर्जी है इसलिए मैं घृणा करता हूँ तो मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूँ कि मैं आयुर्वेद के बड़े और प्रमाणित ग्रंथों में अनेकों जगह दिखा दूँगा जहाँ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ज्योतिष, ग्रहनक्षत्र, वास्तु, सामुद्रिक, स्वप्न और शकुनों का प्रयोग न केवल किया गया है अपितु इनके प्रभाव प्रभावों के विषय में भी बताया गया है यदि कोई कि मैंने आयुर्वेद पढ़ा है तो उसे ये पता होना चाहिए और यदि आयुर्वेद को मानता है तो इसे भी मानना चाहिए एक और बड़ी बात आयुर्वेद के ही एक बड़े ग्रंथ में मिलती है कि जो लोग केवल आयुर्वेद पढ़कर आयुर्वेद समझना चाहते हैं वो ठीक नहीं है आयुर्वेद समझने के लिए उन्हें हर शास्त्र का अध्ययन करना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद की जड़ें हर शास्त्र तक फैली हैं !इतना सब होने के बाद भी कोई कहे कि मैं आयुर्वेद को तो जनता हूँ किंतु ज्योतिष पाखंड है ये कहाँ तक उचित है !
जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है ।
आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं !केवल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"
जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "
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