योगपर्व (2016) के फरीदाबाद में आयोजित सरकारी मंच से अति विशाल समुदाय के बीच बाबारामदेव जी ने ज्योतिषशास्त्र को पाखंड और ज्योतिष विद्वानों के लिए 'पाखंडी' 'लुटेरा' जैसे शब्दों का प्रयोग एक नहीं अपितु कई बार किया है जो कई सारे टीवी चैनलों अखवारों में प्रकाशित भी हुआ है कुछ ने तो इस पर पैनल बैठाकर बहस
भी करवाई है किंतु किसी भी पत्रकार रामदेव जी से यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि ज्योतिष पाखण्ड है या विज्ञान ये तो उसे पता होगा जिसने ज्योतिष पढ़ी होगी रामदेव ने यदि ज्योतिष पढ़ी ही नहीं तो उन्होंने ज्योतिष के विरुद्ध टिप्पणी की क्यों ?रामदेव ने यदि आयुर्वेद ही पढ़ा होता तो उन्हें जरूर पता होता आयुर्वेद में प्रयुक्त ज्योतिष ,वास्तु, रत्नों ,सामुद्रिकलक्षणों , शकुनों ,सपनों के फल का महत्त्व !यदि हमारी शास्त्रार्थ संबंधी चुनौती बाबा रामदेव स्वीकार करें और ज्योतिष को पाखंड सिद्ध करने का थोड़ा भी साहस करते हैं तो उन्हें ज्योतिष की सारी विधाएँ आयुर्वेद में दिखाऊँगा !वो शास्त्रार्थ के लिए तैयार तो हों !
कुल मिलाकर ज्योतिषशास्त्र को पाखंड और ज्योतिष विद्वानों के लिए 'पाखंडी' 'लुटेरा'जैसे रामदेव के कहे हुए निंदनीय शब्दों का प्रचार पसार में तो मीडिया ने रामदेव का साथ खूब दिया किंतु ज्योतिषशास्त्र और ज्योतिषविद्वानों का पक्ष रखने के लिए मीडिया मौन हो गया !
मैंने बहुत सारे टीवी चैनलों एवं अखवारआफिसों में फोन किए पत्र भेजे किंतु किसी टीवी चैनल या अखवार ने हमारा पक्ष सुनने की जरूरत नहीं समझी जबकि मैंने सबको ये लिखा कि मैंने ज्योतिष सब्जेक्ट से आचार्य अर्थात (MA)और PhD 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी' से की है चूँकि मैंने अपने जीवन के बहुमूल्य दस वर्ष लगाकर विश्व प्रसिद्ध संस्थान (BHU) से ही हिंदी (ज्योतिष) के क्षेत्र में Ph. D. की डिग्री हासिल की है इसलिए रामदेव का सीधा प्रहार हम जैसे लोगों पर ही था इसलिए जवाब हमारा भी तो जनता तक पहुँचाया जाना चाहिए था किंतु रामदेव के हाथों बिके हुए मीडिया ने किसी भी क्वालीफाइड ज्योतिषी का पक्ष ही नहीं सुना जबकि ज्योतिष के पक्ष या विपक्ष की कोई खबर चलाते समय हम लोगों का पक्ष जानना जरूरी था किंतु मीडिया ने ज्योतिष सब्जेक्ट में क्वालीफाइड ज्योतिष विद्वानों की उपेक्षा करते हुए ज्योतिष की निंदा करने में बाबारामदेव का साथ दिया ।
रामदेव ने ज्योतिष की निंदा करने के लिए जिस मंच का उपयोग किया वो मंच सरकारी था इस मंच को उपयोग ज्योतिष की निंदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी'जैसे उन बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिष के पठन - पाठन की व्यवस्था है जिन पर करोड़ों रूपए महीने ज्योतिष शिक्षा के लिए भारत सरकार खर्च करती है फिर भारत सरकर के किसी मंच का दुरुपयोग ज्योतिष निंदा करने के लिए रामदेव ने क्यों किया क्या इस काम के लिए उन्हें सरकार से अनुमति मिली थी क्या ?और यदि नहीं तो उन्होंने ऐसा किया क्यों ? ये तो रामदेव जी से पूछा जाना चाहिए कि इतने महत्त्वपूर्ण सरकारी मंच पर सरकारी अनुमति लिए बिना ज्योतिषशास्त्र की निंदा करने संबंधी खुराफात उन्हें सूझा क्यों ? उधर सरकार का कर्तव्य था कि वो रामदेव की ऐसी ज्योतिष निंदा संबंधी ऊटपटाँग बातों पर लगाम लगाती अन्यथा बाबा रामदेव से उसी प्रकार के मंच से माफी मँगवाती या फिर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करती !
सरकार के पास अभी भी ज्योतिष शास्त्र के लिए एक सम्मानजनक रास्ता है कि सरकार अभी भी बाबा रामदेव से सिद्ध करवावे कि उन्होंने ज्योतिष को पाखंड और ज्योतिषविद्वानों को 'पाखंडी' 'लुटेरे' आदि किस आधार पर कहा है । दिल्ली में खुले मंच पर मीडिया और जनता के सामने रामदेव से सिद्ध करवाया जाए ज्योतिषशास्त्र को पाखंड !जबकि ज्योतिषशास्त्र विज्ञान है मैं ये बात सौ प्रतिशत सही सिद्ध करूँगा !न केवल इतना अपितु मैं ये भी सिद्ध करूँगा कि केवल आयुर्वेद ही नहीं अपितु विश्व की समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ 'ज्योतिषशास्त्र ' के बिना अधूरी हैं अपूर्ण हैं ।
रामदेव जी ने इसी संदर्भ में 'सत्यार्थप्रकाश' को भी सम्मिलित करते हुए ये भी सिद्ध कर दिया है कि वे अंधविश्वास की नहीं अपितु ज्योतिषशास्त्र की निंदा कर रहे हैं ।
मैंने बहुत सारे टीवी चैनलों एवं अखवारआफिसों में फोन किए पत्र भेजे किंतु किसी टीवी चैनल या अखवार ने हमारा पक्ष सुनने की जरूरत नहीं समझी जबकि मैंने सबको ये लिखा कि मैंने ज्योतिष सब्जेक्ट से आचार्य अर्थात (MA)और PhD 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी' से की है चूँकि मैंने अपने जीवन के बहुमूल्य दस वर्ष लगाकर विश्व प्रसिद्ध संस्थान (BHU) से ही हिंदी (ज्योतिष) के क्षेत्र में Ph. D. की डिग्री हासिल की है इसलिए रामदेव का सीधा प्रहार हम जैसे लोगों पर ही था इसलिए जवाब हमारा भी तो जनता तक पहुँचाया जाना चाहिए था किंतु रामदेव के हाथों बिके हुए मीडिया ने किसी भी क्वालीफाइड ज्योतिषी का पक्ष ही नहीं सुना जबकि ज्योतिष के पक्ष या विपक्ष की कोई खबर चलाते समय हम लोगों का पक्ष जानना जरूरी था किंतु मीडिया ने ज्योतिष सब्जेक्ट में क्वालीफाइड ज्योतिष विद्वानों की उपेक्षा करते हुए ज्योतिष की निंदा करने में बाबारामदेव का साथ दिया ।
रामदेव ने ज्योतिष की निंदा करने के लिए जिस मंच का उपयोग किया वो मंच सरकारी था इस मंच को उपयोग ज्योतिष की निंदा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि 'बनारसहिन्दूयूनिवर्सिटी'जैसे उन बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिष के पठन - पाठन की व्यवस्था है जिन पर करोड़ों रूपए महीने ज्योतिष शिक्षा के लिए भारत सरकार खर्च करती है फिर भारत सरकर के किसी मंच का दुरुपयोग ज्योतिष निंदा करने के लिए रामदेव ने क्यों किया क्या इस काम के लिए उन्हें सरकार से अनुमति मिली थी क्या ?और यदि नहीं तो उन्होंने ऐसा किया क्यों ? ये तो रामदेव जी से पूछा जाना चाहिए कि इतने महत्त्वपूर्ण सरकारी मंच पर सरकारी अनुमति लिए बिना ज्योतिषशास्त्र की निंदा करने संबंधी खुराफात उन्हें सूझा क्यों ? उधर सरकार का कर्तव्य था कि वो रामदेव की ऐसी ज्योतिष निंदा संबंधी ऊटपटाँग बातों पर लगाम लगाती अन्यथा बाबा रामदेव से उसी प्रकार के मंच से माफी मँगवाती या फिर उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करती !
सरकार के पास अभी भी ज्योतिष शास्त्र के लिए एक सम्मानजनक रास्ता है कि सरकार अभी भी बाबा रामदेव से सिद्ध करवावे कि उन्होंने ज्योतिष को पाखंड और ज्योतिषविद्वानों को 'पाखंडी' 'लुटेरे' आदि किस आधार पर कहा है । दिल्ली में खुले मंच पर मीडिया और जनता के सामने रामदेव से सिद्ध करवाया जाए ज्योतिषशास्त्र को पाखंड !जबकि ज्योतिषशास्त्र विज्ञान है मैं ये बात सौ प्रतिशत सही सिद्ध करूँगा !न केवल इतना अपितु मैं ये भी सिद्ध करूँगा कि केवल आयुर्वेद ही नहीं अपितु विश्व की समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ 'ज्योतिषशास्त्र ' के बिना अधूरी हैं अपूर्ण हैं ।
रामदेव जी ने इसी संदर्भ में 'सत्यार्थप्रकाश' को भी सम्मिलित करते हुए ये भी सिद्ध कर दिया है कि वे अंधविश्वास की नहीं अपितु ज्योतिषशास्त्र की निंदा कर रहे हैं ।
महोदय !बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे कई बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिषविभाग है वहाँ से अन्य विषयों की तरह ही ज्योतिषशास्त्र के पठन पाठन की भी व्यवस्था है कक्षाएँ चलती हैं डिग्रियाँ मिलती हैं आदि आदि !जिस ज्योतिषशास्त्र की शिक्षा व्यवस्था करने में सरकार का करोड़ों रूपए महीने खर्च हो जाता होगा उसी ज्योतिषशास्त्र की निंदा उसी भारत सरकार के योग मंच से की है किंतु इसके लिए न तो रामदेव जी ने ही माफी माँगी है और न ही सरकार ने सफाई देना तक जरूरी समझा है ।
मान्यवर !भारत सरकार के ज्योतिष पाठ्यक्रम को 10-15 वर्षों में परिश्रम पूर्वक पढ़कर ज्योतिषविषय में M.A.,Ph.D.(समकक्ष)डिग्रियाँ हासिल करने वाले विद्वानों के लिए 'पाखंडी' और 'लुटेरा' जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले बाबा रामदेव के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए ! बाबा रामदेव से पूछा जाए कि उन्होंने एक सरकारी कार्यक्रम में टीवी चैनलों के सामने ज्योतिषियों का ऐसा अपमान क्यों किया !
ज्योतिष को पाखंड बताने वाले बाबा रामदेव ने ज्योतिष पढ़ी कितनी है और किस विश्व विद्यालय से किस कक्षा तक पढ़ी है और यदि बाबा रामदेव ने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है तो ज्योतिष को पाखंड कहने का अधिकार उन्हें कैसे है
जो विषय वे जानते ही नहीं हैं
ज्योतिष को पाखंड और ज्योतिषियों को पाखंडी कहने के लिए
के पास आधारभूतप्रमाण क्याहैं ।
वे सिद्ध करें कि साथ ही उनसे इस बात के लिए माफी मँगवाई जाए कि उन्होंने ज्योतिष जैसी दिव्य विद्या के लिए अपशब्दों का प्रयोग क्यों किया ?
सरकारी के बाबारामदेव ने सरकारी मंच से ज्योतिष की निंदा करके किया है अक्षम्य
अपराध ! ज्योतिष पाखंड है ज्योतिषी पाखंडी हैं या फिर पाखंडी हैं स्वयं
बाबा रामदेव ! इसके निर्णय के लिए शास्त्रीय बहस में हिस्सा लें बाबा
रामदेव ! शास्त्रार्थ के लिए व्यवस्था करे सरकार !आखिर ज्योतिष को गालियाँ
देने के लिए बाबा रामदेव ने जिस मंच का उपयोग किया था वो भी तो सरकारी
खर्चे से ही बना था !
सरकारी मंच से बाबारामदेव ने उस ज्योतिषशास्त्र की निंदा की है जिस ज्योतिष
की शिक्षा व्यवस्था पर करोड़ों रूपए महीने खर्च करती है भारत सरकार !सरकार
ने आखिर सह कैसे ली ज्योतिष शास्त्र की निंदा!सरकारी कार्यक्रम के मंच पर
ज्योतिषशास्त्र की निंदा की कोई आवश्यकता ही नहीं थी !सरकार की ऐसी कोई
योजना नहीं थी । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में ज्योतिषशास्त्र की निंदाकरने
करवाने का कोई कार्यक्रम नहीं था फिर बाबा बहके क्यों ?
बाबा रामदेव ने जब ज्योतिष पढ़ी ही नहीं हैं उन्हें ज्योतिष के विषय में कुछ अता पता ही नहीं है फिर ज्योतिष सच है या पाखंड इसका पता उन्हें कैसे लगा !और बिना पता के उन्होंने ज्योतिष को पाखंड बोला क्यों ?और यदि उन्होंने ज्योतिष पढ़ी है तो किस विश्व विद्यालय से किस कक्षा तक ?और यदि नहीं पढ़ी है तो बकवास करने की जरूरत क्या थी और पढ़ी है तो शास्त्रार्थ का सामना क्यों नहीं करते !
सरकारी कार्यक्रम की मर्यादापालन में चूक कहाँ हुई !सरकारी मंच पर अचानक क्यों बहक गए बाबा रामदेव !अगर उनकी बकवास का उत्तर उसी भाषा में उसी समय देने लगते ज्योतिष को मानने वाले लोग तो क्या हालत होती योगपर्व की !आखिर करोड़ों लोग ज्योतिष पर भरोसा करने वाले भी हैं ज्योतिष की निंदा वो मौन रहकर सुन और सह लेंगे इतना गिरा हुआ समझ लिया गया उन्हें !इसके लिए जिम्मेदार कौन बाबा रामदेव या सरकार !
बाबारामदेव पाखंडी हैं या ज्योतिष के विद्वान ! खुलीबहस हो समाज फैसला करे कि देश का सबसे बड़ा पाखंडी कौन !!
हे ज्योतिषशास्त्र द्रोही बाबारामदेव जी !ज्योतिष को गलत सिद्ध कीजिए या फिर माफी माँगिए जनता से और खुले मंच से स्वीकार कीजिए कि ज्योतिष की निंदा करते हुए आपने जो कुछ बोला है वो निंदनीय है !
को सरकारी कार्यक्रम का मंच उपलब्ध करवाया गया था या मंच पर पहुँचकर सोर्सफुल होने के गुरूर में बाबा रामदेव बहक गए और बयाने लगे बिना शिर पैर की वे बातें जिनके विषय में उनके पास कोई प्रमाण ही नहीं थे और यदि ऐसा था तो सरकार की ओर से बाबा को रोका क्यों नहीं गया !आजतक ज्योतिष शास्त्र विरोधी बाबा रामदेव के बयान की निंदा क्यों नहीं की गई !
बाबा रामदेव ने जब ज्योतिष पढ़ी ही नहीं हैं उन्हें ज्योतिष के विषय में कुछ अता पता ही नहीं है फिर ज्योतिष सच है या पाखंड इसका पता उन्हें कैसे लगा !और बिना पता के उन्होंने ज्योतिष को पाखंड बोला क्यों ?और यदि उन्होंने ज्योतिष पढ़ी है तो किस विश्व विद्यालय से किस कक्षा तक ?और यदि नहीं पढ़ी है तो बकवास करने की जरूरत क्या थी और पढ़ी है तो शास्त्रार्थ का सामना क्यों नहीं करते !
सरकारी कार्यक्रम की मर्यादापालन में चूक कहाँ हुई !सरकारी मंच पर अचानक क्यों बहक गए बाबा रामदेव !अगर उनकी बकवास का उत्तर उसी भाषा में उसी समय देने लगते ज्योतिष को मानने वाले लोग तो क्या हालत होती योगपर्व की !आखिर करोड़ों लोग ज्योतिष पर भरोसा करने वाले भी हैं ज्योतिष की निंदा वो मौन रहकर सुन और सह लेंगे इतना गिरा हुआ समझ लिया गया उन्हें !इसके लिए जिम्मेदार कौन बाबा रामदेव या सरकार !
बाबारामदेव पाखंडी हैं या ज्योतिष के विद्वान ! खुलीबहस हो समाज फैसला करे कि देश का सबसे बड़ा पाखंडी कौन !!
हे ज्योतिषशास्त्र द्रोही बाबारामदेव जी !ज्योतिष को गलत सिद्ध कीजिए या फिर माफी माँगिए जनता से और खुले मंच से स्वीकार कीजिए कि ज्योतिष की निंदा करते हुए आपने जो कुछ बोला है वो निंदनीय है !
को सरकारी कार्यक्रम का मंच उपलब्ध करवाया गया था या मंच पर पहुँचकर सोर्सफुल होने के गुरूर में बाबा रामदेव बहक गए और बयाने लगे बिना शिर पैर की वे बातें जिनके विषय में उनके पास कोई प्रमाण ही नहीं थे और यदि ऐसा था तो सरकार की ओर से बाबा को रोका क्यों नहीं गया !आजतक ज्योतिष शास्त्र विरोधी बाबा रामदेव के बयान की निंदा क्यों नहीं की गई !
'योग'
भी 'ज्योतिष' के बिना ढोंग है ! जिसका समय ख़राब हो उसे कैसे ठीक कर देगा
योग और आयुर्वेद !'योग' दिव्य विद्या है किंतु योग के नाम पर नाचने कूदने
वाले नट नागर क्या समझेंगे ज्योतिष का महत्त्व !पंसारियों को तो अपना माल
बेचने से मतलब !वो बाबा बन के बिके तो बाबा बन कर बेच लेंगे !
ज्योतिषियों
को पाखंडी कहने वाले बाबा रामदेव जी! आप तो चैरिटी चैरिटी के गीत दिन भर
गाते हो किंतु चैरिटी में कमाई नहीं होती!चैरिटी वाले इतने महँगे महँगे
विज्ञापन नहीं देते !फिर आप कैसे हो गए अरबोपति !ये जनता को भी पता है जहाँ
कमाई वहाँ चैरिटी कैसी ! ये धोखा है ये झूठ है ये पाखंड है !अपनी संपत्ति
को आप पात्रता से प्राप्त बताते हैं और गरीबों की गरीबत उनकी कुपात्रता है
क्या !इतनी गिरी सोच !हो सकता है कि वो ईमानदार हों इसलिए गरीब हों ऐसा भी
तो हो सकता है ।
योग आयुर्वेद समेत समस्त चिकित्सा पद्धतियों
का मनना है कि साध्य रोगी ही ठीक हो सकता है कष्ट साध्य रोगी मुश्किल से
ठीक होता है और असाध्य रोगी बिलकुल नहीं ठीक होता किंतु साध्य रोगी कौन
!जिसका समय ठीक होता है वो !किंतु समय किसका ठीक इसका निर्णयतोज्योतिषशास्त्र ही
करेगा !
जो निरक्षर बाबा लोग ज्योतिष को गालियाँ देने लगे हैं इसका सीधा सा
मतलब है कि ऐसे पाखंडियों ने न कुछ पढ़ा है और न ही इन्हें कुछ पता है जबकि
सारा संसार जनता है कि जिसका समय सही है वही स्वस्थ हो सकता है जिसकी जब तक
आयु है और वही बचाया जासकता है ! ज्योतिष शास्त्र समय संबंधी
पूर्वानुमान का सबसे बड़ा विज्ञान है !ये अगर पेट पिचका कर पैसे कमाने वाले
नट नागरों को न समझ में आए तो इसके लिए ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वान
क्या करें !कैसे घुसाएँ उन दिमागी अपाहिजों की घमंडी खोपड़ी में!
जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है ।
आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं !केवल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"
जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "
जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है ।
आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं !केवल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"
जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "
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