Monday, 20 June 2016

योग का मतलब केवल कसरत व्यायाम ही नहीं है अपितु योग में छिपे हैं अनन्त रहस्य !

     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का संस्कृत ,धर्मऔर योग के लिए किया गया योगदान अतुलनीय है !उन्होंने अपना काम कर दिया है अब बारी है योग जगत से जुड़े असली योगियों की वो आगे आएँ और बचाएँ योग का गौरव !          
     योग मनुष्य शरीरों से सम्बंधित ब्रह्माण्ड  के रहस्यों को अंतर्जगत में ही सुलझा लेने वाला सबसे बड़ा विज्ञान है । योगसिद्ध व्यक्ति को भूत भविष्य की घटनाएँ अपनी हथेली पर रखे हुए आँवले के समान साफ साफ दिखने लग जाती हैं ।
            प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीने संस्कृत और धर्म से जुड़े लोगों की हमेंशा से चली आ रही वो शिकायत दूर कर दी है कि सरकारें हमारी सुनती नहीं हैं और प्राचीन ज्ञान विज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए सरकारें कुछ करती नहीं हैं मोदी जी इस विषय में इतना अधिक काम कर रहे हैं जितनी संस्कृत समाज को कभी आशा और अपेक्षा थी ही नहीं और न ही इसके पहले की सरकारों ने  प्राचीन ज्ञान विज्ञान के विषय ऐसा कभी सोचा ! अब गेंद प्राचीन ज्ञान विज्ञान से जुड़े हुए लोगों के पाले में है वो चाहें तो अपने अपने विषयों से जुड़ी उपलब्धियाँ परिश्रम पूर्वक खोजें और समाज के सामने प्रस्तुत करें मोदी  सरकार उसे मंच देने को तैयार है !प्राचीन ज्ञान विज्ञान से जुड़े लोगों को अपनी प्रतिभाओं को प्रकट करने का अवसर इतनी आत्मीयता पूर्वक निकट भविष्य में मिलना कठिन ही नहीं असम्भव भी होगा !
        प्रधानमंत्री जी की योग के विषय में जो भूमिका होनी चाहिए थी उन्होंने सम्पूर्ण ताकत लगाई है उसे निभाने में एक झटके में सारे विश्व को योग का मुरीद बना दिया है अब परीक्षा उन लोगों की है जो योग से जुड़े हैं या अपने को योगी कहते हैं वो योग की इज्जत बचाने के लिए जी जान से जुट जाएँ  !खुद अकल न हो तो जंगलों की ओर कूच करें और साधक योगियों की खोज करके  उनसे योगाभ्यास सीखें और विश्व समाज के सामने योग  के नाम पर कुछ तो ऐसा प्रस्तुत करने का प्रयास करें जो लगे भी कि योग है !क्योंकि योगियों की कथा कहानियाँ सुनते रहने वाले समाज को योग से अनंत अपेक्षाएँ हैं जिन्हें हम केवल कसरत व्यायामों से पूर नहीं कर सकते प्रधानमन्त्री जी ने कहा भी था कि 'योग हमारा है ऐसा मैं दावा नहीं करता ' किंतु उनके प्रयास से योग यदि आज जन जन तक पहुँचा कर उन्होंने योग से जुड़े लोगों को ये  अवसर उपलब्ध करवाया है कि वो भारतीय प्राचीन योग की शक्ति सामर्थ्य का  परिचय दें  यदि वो इसमें सफल हो जाते  हैं तो दुनियाँ वैसे ही मान लेगी कि योग वास्तव में भारत की ही प्राचीन विद्या है और इसमें वो अनन्त शक्तियाँ हैं जिनसे हम लोग अनभिज्ञ थे जो भारतीय लोगों ने हमें सिखाया है !इसलिए अब परीक्षा और मौका योग से जुड़े लोगों और योगियों का  है वो चाहें तो प्रधानमंत्री जी के इस प्रयास को उस लक्ष्य तक पहुँचा सकते हैं जिसका हकदार है योग ! 
भूकंप जैसी घटनाओं को पहले से ही देख सकता है योगी !
      भूकंपों का पूर्वानुमान लगा पाना आज विश्व के लिए चुनौती बना हुआ है किंतु यदि असली कोई योगी चाह ले तो पूर्वानुमान लगाना तो दूर रोक सकता है भूकम्प जैसी बड़ी से बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ !ऐसे असली योगी आज भी जंगलों कन्दराओं में रह करके  कर रहे हैं तपस्या !
बड़ीसे बड़ी बीमारियों को बिना दवा के भी ठीककर सकता है असलीयोगी ! 
    बड़ी से बड़ी लाइलाज बीमारियाँ महामारियाँ वो बिना किसी दवा के इच्छा मात्र से ही रोक देते हैं वो !दवा खिलाकर बीमारियाँ ठीक करने में सच्चा योगी तो अपने योग का अपमान समझता है !असलीयोगी लोग बीमारियों से समाज को डरवाते नहीं हैं अपितु योगशक्ति के बलपर जीवन से बीमारियों का भय भगाना सिखाते हैं
   असली योगी खाने पीने की चीजों में प्रदूषण का भय नहीं पैदा करता है !
    योग के बल पर ही तो भगवान शंकर ने जहर पिया था ! योग खाने पीने सम्बन्धी प्रदूषण को कंट्रोल करने अर्थात पचा लेने की सामर्थ्य पैदा करता है !  असली योगी कभी नहीं कहते ये 'आटा खाओ'  ये 'तेल पियो" वो तो कहते हैं कुछ भी खाओ कुछ भी पियो यदि आप असली योगाभ्यासी हैं तो जहर भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता !
असली योगी लोग समाज को डरपोक नहीं बनाते हैं !
    शेर भालू जैसे हिंसक जीव जंतु भी असली योगाभ्यासियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते !सर्प बिच्छु आदि भयानक से भयानक  बिषैले जीव जंतु भी योगियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते !उसी शक्ति के बलपर तो आज भी जंगलों में निर्भीक बिचरण करते हैं असली योगी लोग!सिक्योरिटी आदि तो नकली योगियों को चाहिए होती है असली योगियों में तो वो सामर्थ्य होती है कि वे सारे ब्रह्मांड की रक्षा वो अकेले कर सकते हैं इसीलिए तो बड़े बड़े राजा  लोग अपनी सुरक्षा की भीख योगियों के आश्रमों में जा जाकर माँगा  करते थे  । असली योगियों को भय किस बात का !
समाज सुधार के लिए असली योगी सरकारें नहीं बदलता अपितु समाज का स्वभाव बदल देता है !
    भय मुक्त जीवन और अपराध मुक्त समाज बनाता है अन्यथा केवल साधन करता है अन्य सारे प्रपंचों से दूर रहता है । योगी उद्योगी हो ही नहीं सकता !ये तो असम्भव है । बीमारियों का डर और मृत्यु का भय दिखा दिखाकर दवादारू या खाने पीने वाली चीजें बेचने खर्चने वाले लोग योगी कैसे हो सकते हैं !योगी तोनिडर बनाता है प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है !भयमुक्त जीवन बनाता है ।
योगी लोग कुछ ऐसा करें ताकि विदेशियों को भी  लगे कि योग वास्तव में बहुत बड़ा विज्ञान है !  
     भारतीय प्राचीन ऋषियों मुनियों का युगों युगों तक किया हुआ यह महान अनुसंधान है !अन्यथा योग के नाम पर प्रचारित किए जा रहे कसरत व्यायामों को तो हर देश और हर समाज किसी न किसी रूप में हमेंशा से करता चला आ रहा है उसे ही योग कहने बताने लगने में कहाँ की बुद्धिमानी नहीं है इसमें  कुछ तो योग मिलाया जाए जो योग लगे !
योग सभी प्रकार के अपराधों पर लगाम लगा सकता है!
    सभी प्रकार के अपराध मन से किए जाते हैं और मन पर संयम करना सिखाता है योग !मन पर नियंत्रण होते ही हो सकता है अपराध मुक्त समाज !एक दिन में ऐसी आशा नहीं की जानी चाहिए किंतु उस दिशा का ही सबसे सशक्त माध्यम है योग !
 योग आत्मा को परमात्मा  से मिला सकता है !
    यह केवल कसरत व्यायाम तक ही सीमित नहीं है अपितु यह मन को सभी विकारों से मुक्त करने का सबसे बड़ा साधन है मन के विकार मुक्त होते ही आत्मा और परमात्मा के मिलन का रास्ता प्रशस्त  है योग ! आत्मा और परमात्मा के मिलन को ही 'योग' कहते हैं क्योंकि योग का अर्थ ही होता है 'जुड़ना' है अर्थात आत्मा का परमात्मा से जुड़ना !यह  भारत का अत्यंत प्राचीन विज्ञान है
 टूटते समाज एवं बिखरते परिवारों को जोड़ सकता है योग !
     चूँकि योग का अर्थ ही होता है 'जुड़ना' !इसलिए समाज के सभी प्राणियों के मन में एक दूसरे के प्रति आपस में अपनापन पैदा करता है योग !कई योगियों के आश्रम ऐसे देखे जा सकते हैं जहाँ योग के प्रभाव से उन आश्रमों में रहने वाले या उनके आस पास रहने वाले परस्पर विरोधी स्वभाव वाले हिंसक जीव जंतुओं का भी स्वभाव बदल जाता है और वो एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रहने लगते हैं !ये है असली योगियों का प्रभाव !ये सारा योग से ही संभव है । 
योग करने के लिए आसन कौन सा हो ?
  इसके लिए महर्षि पतंजलि ने लिखा कि "स्थिर सुखमासनम् " अर्थात एक आसन पर स्थिर होकर सुख पूर्वक बैठे !
योग क्या है ?
   इसके लिए महर्षि पतंजलि कहते हैं कि "योगश्चित्तवृत्ति निरोधः "मन को संयमित करना या मन पर कन्ट्रोल करना ही योग है ! 
शरीरस्वस्थ रखने के लिए महर्षि पतंजलि कहते हैं-
  'कायेंद्रिय सिद्धिरशुद्धि क्षयात्तपसः' 
    अर्थात 'अर्थात तपस्या से शरीर के मलों का नाश  हो जाता है और मलों का नाश होते ही शरीर स्वस्थ एवं इन्द्रियाँ प्रसन्न हो जाती हैं ! इसीलिए योगी को तो रोग होते ही नहीं हैं यदि कोई रोगी भी उनके पास आ जाए तो वे उसे भी योग के द्वारा  स्वस्थ कर देते हैं !दवा खिलाकर रोग ठीक करने में तो असली योगी अपनी बेइज्जती समझते हैं क्योंकि ये तो वैद्यों हकीमों का काम है कोई योगी वैद्यों हकीमोंवाले काम क्यों करेगा !अपने को योगी कहने वाला यदि कोई ऐसा करता है तो वो योगी नहीं हो सकता या फिर उसे योग  पर  भरोसा नहीं है । 
      योगी लोग मृत्यु को भी जीत लेते हैं -
    सच्चे योगी लोगों पर रोग की बात तो छोड़िए मृत्यु भी आक्रमण नहीं कर पाती वे जितने लंबे समय तक चाहते हैं उतने लम्बे समय तक इस दुनियाँ में जीवित रहते हैं ।इसीलिए योगियों की आयु हजारों वर्ष भी होती देखी जाती है । 
योगबल सबसे बड़ा बल है !
     योग में इतनी शक्ति होती है कि योगी लोग कुछ भी बना बिगाड़ सकते हैं इसीलिए राजा महाराजा लोग इन्हें हमेंशा प्रसन्न रखते थे । योगी निडर होते हैं पुलिस के डंडों से डर कर भागते नहीं हैं वो तो अपना शरीर बज्र बना सकते हैं वो दोचार दिन भूखे रहने से लाद कर अस्पताल नहीं ले जाने पड़ते हैं वो तो महीनों वर्षों की समाधि ले जाया करते हैं उन्हें भोजन की चिंता कहाँ होती है वो तो सारी  सृष्टि के सम्राट होते हैं !
योगी लोग तो समाज के मन पर शासन करते हैं !
    किसी राजा महाराजा या मंत्री प्रधानमंत्री को अपनी बात मनवाने के लिए योगियों को अनशन नहीं करना पड़ता वो तो जंगलों में बैठे बैठे इच्छा मात्र से ही उनका मन बदल दिया करते हैं ।
योगी चाह ले तो भ्रष्टाचारमुक्त बना सकता है समाज !
    आज समाज में जितने प्रकार के भ्रष्टाचार पापाचार बलात्कार अपहरण लूट खसोट हत्या आत्महत्या जैसी विकृतियाँ हैं उन्हें मिटाने के लिए यदि कोई योगी चाह ले तो  इच्छा मात्र से नष्ट कर सकता है किंतु ऐसे असली योगी आज हैं कहाँ जो हैं भी वो जंगलों पर्वतों कन्दराओं में कहीं तपस्या का ले रहे होंगे आनंद !
योगी लोग सांसारिक प्रपंचों में  नहीं फँसते!
   जिन घर गृहस्थियों व्यवहारों व्यापारों को भूलने के लिए उन्होंने योग की राह पकड़ी वो फिर उसी में क्यों फँसना चाहेंगे !उनके लिए ऐसा करना तो पतन कारक होगा !जैसे कोई उलटी (वमन) या वोमिटिंग पहले करे और फिर उसे ही चाटने  लगे !इसी प्रकार से जो परिवार व्यापार आदि छोड़ कर योग की शरण में आओ लगो फिर वाही चाटने लगना कोई असली योगी कैसे पसंद करेगा !उसने तो ऐसे सारे प्रपंचों को एक बार भूला  तो बस भूल ही गया !तपस्या का आनंद एक बार जिसे मिल चुका हो उसका कहीं और मन ही नहीं लगता है !
 योगी कभी उद्योगी अर्थात व्यापारी नहीं हो सकता !
    कई बार कुछ लोगों को कहते सुना जाता है कि मैं योगी  भी हूँ व्यापार भी कर लेता हूँ किंतु ऐसे लोग झूठ बोल रहे होते  हैं वो अपने को और दूसरों को भी धोखा दे रहे होते हैं ऐसे लोग गृहस्थी में जाकर धन के अभाव में जो इच्छाएँ पूरी नहीं कर सकते थे ऐसे सारे भोग भोगने के लिए ही तो वे सांसारिक प्रपंचों में फँसते हैं अन्यथा गृहस्थियों व्यवहारों व्यापारों आदि सांसारिक प्रपंचों को भूल कर ईश्वर का चिंतन करने वाला कोई योगाभ्यासी  व्यापार आदि सांसारिक प्रपंचों में क्यों फँसेगा ।परस्पर विपरीत दिशा में जाने वाली दोनों नावों पर पैर रखकर नहीं चला जा सकता !
   केवल  कसरत व्यायाम को  योग नहीं कहा जा  सकता !
   शरीर मोड़ना मरोड़ना तो स्टंट दिखाने वाले या सर्कस वाले लोग भी बहुत अच्छा कर लेते हैं या जिम सेंटरों में शरीर भाँजने वाले लोग प्रतिदिन करते हैं फिल्मी जगत से जुड़े लोग ऐसी ही प्रक्रियाओं के तहत अपना शरीर हल्का और भारी कर लिया करते हैं किंतु ऐसे किसी भी सांसारिक प्रपंचों में फँसे व्यक्ति को या नट नागरों को योगी नहीं कहा जा सकता क्योंकि योग की खेती तो मन पर होती है ।इसीलिए ऐसी शारीरिक गतिविधियाँ योग हो भी नहीं सकती हैं और न ही हैं । 
योग करने के लिए शरीर स्वस्थ होना भी आवश्यक है !
   किसान मजदूर या अन्य परिश्रमी वर्ग को खाने की चिंता होती है किंतु पचाने की नहीं लेकिन जो वर्ग शरीरिक श्रम नहीं करता है उसे पचवाने के लिए व्यायाम का सहारा लेना पड़ता है जैसे शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो पानी चढ़ाना पड़ता है खून की कमी हो जाती है तो खून चढ़ाना पड़ता है इसी प्रकार से शरीर में यदि परिश्रम की कमी हो तो परिश्रम करवाना पड़ता है । इसी परिश्रम कराने की प्रक्रिया को आज कल फैशनेबल लोग योग कहने लगे हैं । 
हाथ पैर हिला लेने वाले लोग अपने को योगी मानलेते हैं !
  व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत आवश्यक है और स्वस्थ शरीर से ही योग किया जा सकता है इसलिए योग करने के लिए व्यायाम आदि किसी भी प्रकार से शरीर स्वस्थ रखा  जाना चाहिए !किसानों मजदूरों या अन्य प्रकार से परिश्रम करने वालों को ऐसी कसरतों की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है !

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