नीतीश जी आखिर क्यों बोलने लगे इतनी झूठ !
"फिर से सत्ता में आया तो नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण देंगे : नीतीश"
किंतु चुनाव जीतने के लिए नितीश कुमार जी इतना झूठ पहले तो कभी नहीं बोलते थे क्या ऐसी झूठी घोषणाओं को अन्ना शिष्य की कुसंगति का दुष्परिणाम माना जाए !नीतीश जी पहले जब भाजपा के साथ थे तब झूठे वायदे करने में हिचक थी किंतु अब झूठों के सरदार का साथ मिलते ही नितीश जी की शर्म छूट गई !अन्यथा 35% आरक्षण हो या पचास प्रतिशत ये पहले भी तो दे सकते थे इतने लम्बे समय से मुख्यमंत्री तो वही थे !आखिर अब तक उन्हें किसने रोका था !
"फिर से सत्ता में आया तो नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण देंगे : नीतीश"
किंतु चुनाव जीतने के लिए नितीश कुमार जी इतना झूठ पहले तो कभी नहीं बोलते थे क्या ऐसी झूठी घोषणाओं को अन्ना शिष्य की कुसंगति का दुष्परिणाम माना जाए !नीतीश जी पहले जब भाजपा के साथ थे तब झूठे वायदे करने में हिचक थी किंतु अब झूठों के सरदार का साथ मिलते ही नितीश जी की शर्म छूट गई !अन्यथा 35% आरक्षण हो या पचास प्रतिशत ये पहले भी तो दे सकते थे इतने लम्बे समय से मुख्यमंत्री तो वही थे !आखिर अब तक उन्हें किसने रोका था !
मोदी से भयभीत केजरीवाल जी चिपक रहे हैं नीतीश के साथ !नीतीश जी को मिला डूबते को तिनके का सहारा !
बंधुओ ! मोदी भय से एक दूसरे के पीछे छिपने की मजबूरी ने दोनों को इकठ्ठा कर दिया, दूसरी बात केजरीवाल जी को अभी तक न कोई नेता मानने को तैयार है और न ही मुख्यमंत्री और न ही वो बेचारे जनहित में ऐसा कुछ कर ही पा रहे हैं जो नेता या मुख्यमंत्री टाइप लगें ही !उनका प्रसिद्ध स्लोगन भ्रष्टाचार तो समाप्त हुआ नहीं हाँ उन्होंने भ्रष्टाचार समाप्त करने का नारा लगाना जरूर बंद कर दिया है बारे अरविन्द जी ! अब उन्होंने सोचा होगा कि घूम टहल कर लोगों को स्वयं ही बताया जाए कि भाई मैं भी मुख्यमंत्री टाइप ही हूँ कोई काम करने के लिए जरूर केंद्र की खड़ाऊँ आगे रख कर चलना पड़ता है !इसलिए हम कोई काम नहीं कर पा रहे हैं और न ही हमसे किसी काम की आशा रखना !
बंधुओ ! मोदी भय से एक दूसरे के पीछे छिपने की मजबूरी ने दोनों को इकठ्ठा कर दिया, दूसरी बात केजरीवाल जी को अभी तक न कोई नेता मानने को तैयार है और न ही मुख्यमंत्री और न ही वो बेचारे जनहित में ऐसा कुछ कर ही पा रहे हैं जो नेता या मुख्यमंत्री टाइप लगें ही !उनका प्रसिद्ध स्लोगन भ्रष्टाचार तो समाप्त हुआ नहीं हाँ उन्होंने भ्रष्टाचार समाप्त करने का नारा लगाना जरूर बंद कर दिया है बारे अरविन्द जी ! अब उन्होंने सोचा होगा कि घूम टहल कर लोगों को स्वयं ही बताया जाए कि भाई मैं भी मुख्यमंत्री टाइप ही हूँ कोई काम करने के लिए जरूर केंद्र की खड़ाऊँ आगे रख कर चलना पड़ता है !इसलिए हम कोई काम नहीं कर पा रहे हैं और न ही हमसे किसी काम की आशा रखना !
नीतीश जी !आप अपने शासन की उपलब्धियों के बलपर क्यों नहीं लड़ पा रहे हैं चुनाव !
लालू जी वा केजरीवाल जी के पल्लू के पीछे मुख छिपाकर आखिर क्यों घूम रहे हैं आप ! गंभीर राजनेता के रूप में आपकी प्रतिष्ठा है किन्तु ये आचरण आपकी छवि के अनुरूप नहीं है !आखिर आपको भय किस बात का है ?पूर्व सरकारों और उनके नेताओं को भ्रष्टाचारी और उनके राज को जंगलराज बताने
वाले नीतीश जी अब उन्हीं जंगलराजाओं की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते क्यों फिर रहे हैं आखिर ये घबराहट
क्यों ? जीतन राम माँझी को अच्छा बताकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर
बैठाया और फिर उन्हें बुरा बताकर कुर्सी से उतार देने के जरूरी कारण क्या थे ?नीतीश जी ! जनता को अभी तक इन बातों के जवाब नहीं दिए जा सके हैं कि तब माँझी में ऐसी अच्छाइयाँ क्या दिखी थीं
और बाद में किन बुराइयों के कारण उन्हें हटाना अपरिहार्य हो गया था! जिन नरेंद्र मोदी को सांप्रदायिक बताकर छोड़ा था NDA , आज उनकी सरकार चलते चलते एक वर्ष से अधिक हो गया आखिर क्या साम्प्रदायिकता दिखी उनके शासन में ! और यदि नहीं तो क्या सार्वजनिक रूप से आपको गलती नहीं स्वीकार करनी चाहिए कि आपने नरेंद्र मोदी की छवि बिगाड़ने की अकारण कोशिश की थी !क्या यही वो भय हैं जिनसे बचने के लिए केजरीवाल जी से स्वच्छ राजनेता होने का ठप्पा लगवाने के लिए परेशान हैं आप ! बारे नितीश जी !
ईमानदारी के घोषित आचार्य केजरीवाल जी के शक्तिपात से नितीश जी का उद्धार हो पाएगा क्या ?
नितीश जी का सबसे बड़ा संकट ये है कि वे पिछले नौ दस वर्षों में कुछ खास कर नहीं सके तो अब राजनीति में ईमानदारी के अवतार को आमंत्रित करके उनका पादुका पूजन करने से ही शायद लोग उन्हें ईमानदार समझने लगें और ईमानदारी का केजरीबाली ठप्पा लगते ही जीत जाएं चुनाव ! किंतु केजरीवाल जी अन्ना जी के अप्रकट आक्रोश से शापित हैं जिससे कि स्वयं 'आप' की ही साख दिनों दिन धूमिल होती जा रही है ऐसे में वो अपनी छवि कितने दिन सुधार कर रख पाएँगे यही कह पाना कठिन है तो नितीश जी की उनकी ईमानदार छवि की आड़ में छिपकर चुनाव जीतने की आशा रखना ठीक नहीं है आखिर वो अभी से क्यों से आशा तब नहीं कर सके तो अब कर सकेंगे इसकी क्या गारंटी ! इसलिए किसी अन्य पार्टी को बिहार में मौका क्यों न दिया जाए जो सत्ता में अभी तक न रही हो आखिर उसे भी देख लिया जाए कि वो बिहार की सेवा कैसे करना चाहते हैं उन्हें भी कर लेने दी जाए !
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