Monday, 17 August 2015

kavita

मैं भी गीत सुना सकता हूँ
शबनम के अभिनन्दन के
मै भी ताज पहन सकता हूँ
नंदन वन के चन्दन के
लेकिन जब तक पगडण्डी से
संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत पढूंगा
जन-गण-मन के क्रंदन के 🇮🇳जब पंछी के पंखों पर हों
पहरे बम के, गोली के
जब पिंजरे में कैद पड़े हों
सुर कोयल की बोली के
जब धरती के दामन पार हों
दाग लहू की होली के
कैसे कोई गीत सुना दे
बिंदिया, कुमकुम, रोली के
🇮🇳मैं झोपड़ियों का चारण हूँ
आँसू गाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳कहाँ बनेगें मंदिर-मस्जिद
कहाँ बनेगी रजधानी
मण्डल और कमण्डल ने
पी डाला आँखों का पानी
प्यार सिखाने वाले बस्ते
मजहब के स्कूल गये
इस दुर्घटना में हम अपना
देश बनाना भूल गये
🇮🇳कहीं बमों की गर्म हवा है
और कहीं त्रिशूल चलें
सोन -चिरैया सूली पर है
पंछी गाना भूल चले
आँख खुली तो माँ का दामन
नाखूनों से त्रस्त मिला
जिसको जिम्मेदारी सौंपी
घर भरने में व्यस्त मिला
🇮🇳क्या ये ही सपना देखा था
भगतसिंह की फाँसी ने
जागो राजघाट के गाँधी
तुम्हे जगाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳एक नया मजहब जन्मा है
पूजाघर बदनाम हुए
दंगे कत्लेआम हुए जितने
मजहब के नाम हुए
मोक्ष-कामना झांक रही है
सिंहासन के दर्पण में
सन्यासी के चिमटे हैं
अब संसद के आलिंगन में
🇮🇳तूफानी बदल छाये हैं
नारों के बहकावों के
हमने अपने इष्ट बना डाले हैं
चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी
सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली
राजमहल में जाने की
🇮🇳जो पूजा के फूल बेच दें
खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के
नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳कोई कलमकार के सर पर
तलवारें लटकाता है
कोई बन्दे मातरम के गाने
पर नाक चढ़ाता है
कोई-कोई ताजमहल का
सौदा करने लगता है
🇮🇳कोई गंगा-यमुना अपने
घर में भरने लगता है
कोई तिरंगे झण्डे को
फाड़े-फूंके आजादी है
कोई गाँधी जी को
गाली देने का अपराधी है
कोई चाकू घोंप रहा है
संविधान के सीने में
कोई चुगली भेज रहा है
मक्का और मदीने में
कोई ढाँचे का गिरना
यू. एन. ओ. में ले जाता है
कोई भारत माँ को
डायन की गाली दे जाता है
लेकिन सौ गाली होते ही
शिशुपाल कट जाते हैं
तुम भी गाली गिनते रहना
जोड़ सिखाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳जब कोयल की डोली
गिद्धों के घर में आ जाती है
तो बगुला भगतों की टोली
हंसों को खा जाती है
इनको कोई सजा नहीं है
दिल्ली के कानूनों में
न जाने कितनी ताकत है
हर्षद के नाखूनों में
🇮🇳जब फूलों को तितली भी
हत्यारी लगने लगती है
तब माँ की अर्थी बेटों को
भारी लगने लगती है
जब-जब भी जयचंदों का
अभिनंदन होने लगता है
तब-तब साँपों के बंधन
में चन्दन रोने लगता है
🇮🇳जब जुगनू के घर
सूरज के घोड़े सोने लगते हैं
तो केवल चुल्लू भर
पानी सागर होने लगते हैं
सिंहों को 'म्याऊं' कह दे
क्या ये ताकत बिल्ली में है
बिल्ली में क्या ताकत होती
कायरता दिल्ली में है
🇮🇳कहते हैं यदि सच बोलो तो
प्राण गँवाने पड़ते हैं
मैं भी सच्चाई गा-गाकर
शीश कटाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
'भय बिन होय न प्रीत गुसांई'
- रामायण सिखलाती है
राम-धनुष के बल पर ही
सीता लंका से आती है
जब सिंहों की राजसभा में
गीदड़ गाने लगते हैं
तो हाथी के मुँह गन्ने के
चूहे खाने लगते हैं
🇮🇳केवल रावलपिंडी पर मत
थोपो अपने पापों को
दूध पिलाना बंद करो
अब आस्तीन के साँपों को
अपने सिक्के खोटे हों
तो गैरों की बन आती है
और कला की नगरी
मुंबई लहू में सन जाती है
🇮🇳राजमहल के सारे दर्पण
मैले-मैले लगते हैं
 इनके ख़ूनी पंजे दरबारों
तक फैले लगते हैं
इन सब षड्यंत्रों से परदा
उठना बहुत जरुरी है
पहले घर के गद्दारों का
मिटना बहुत जरुरी है
🇮🇳पकड़ गर्दनें उनको खींचों
बाहर खुले उजाले में
चाहे कातिल सात समंदर
पार छुपा हो ताले में
ऊधम सिंह अब भी जीवित है
ये समझाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ

No comments: