Friday, 14 August 2015

बाबाओं !

 धर्म को व्यापार बनने से रोकना होगा और मिलजुलकर बंद करनी होगी धार्मिक धोखा धड़ी !
     भ्रष्टाचार एवं सभी प्रकार के अपराध रोकने के लिए आज शास्त्रीय संतों एवं शास्त्रीय  विद्वानों की शास्त्रीय बात मानना ही एकमात्र विकल्प है !
    यह माना जा सकता है कि धार्मिक जगत में शास्त्रीय मान्यताओं का सम्यक पालन करने see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_29.html

तभी तो घट गए थे कुंभ में कंडोम ! धर्म को बेशर्म मत बनाओ !
साधू बनने का लक्ष्य व्यापार ,ब्यभिचार या भीख माँगना था क्या ?
  चोरों छिनारों जुँवारियों की बेशर्म हरकतों ने धर्म को  अक्सर शर्मसार किया है !! आज  साधू संतोंsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/08/blog-post_6.html



कुंभ में कंडोम की चर्चा क्यों ? जिसने धन इकठ्ठा किया है वो भोगेगा तो इंद्रियों से ही !जिसे भोगना न होता तो इकठ्ठा क्यों करता ?
    आश्रम नाम की बिल्डिंग बनेगी उसमें सभी सुख सुविधाओं से युक्त बेडरूम बनेंगे फिर उसमें बेड भी डाला जाएगा फिर उसपर सुंदर सुन्दर बिछौने भी बिछाए जाएँगे ! जो इतने सारी सुख सुविधाओं को भोगने की भावना नहीं रोक सका वो सेक्स सुख भोगने संबंधी इच्छाओं पर लगाम लगा लेगा क्या ! किंतु बिल्डिंग बेडरूम और बेड की बातें छिपाई नहीं जा सकतीं और छिपाना जरूरी भी नहीं समझा गया तो बता दी गईं किंतु सेक्स सुख की चर्चा कैसे की जाए ! चाणक्य ने कहाsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/07/blog-post_7.html



ऐसे बाबाओं के ब्यभिचार और ब्यापार में साथ देने वाला समाज कितना निर्दोष है ?
    जो बाबा ब्यभिचारी हैं वो समाज के सहयोग से ऐसे हुए हैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने के लिए धन देने वालों ने धन दिया,मन देने वालों ने मन दिया तन देने वालों ने तन दिया कुछ लोगों ने तोsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/10/blog-post_10.html


बनावटी साधू संतों महंतों महामण्डलेश्वरों के पाखंडों से आखिर निपटा कैसे जाए ?
    धर्म ,ज्योतिष  एवं वास्तु से जुड़े पाखंडों को समाज के सहयोग के बिना रोकना संभव ही नहीं है किसीsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/08/blog-post_10.html


 साधू संत तो सनातन धर्मियों के माथे के मुकुट हैं किंतु बाबाओं के षड्यंत्रों में फँसने से बचो !
  संत लोग शास्त्रों को आगे करके चलते हैं जबकि बाबा लोग स्वार्थ को आगे करके चलते हैं स्वार्थी लोग बहुत विश्वसनीय नहीं होते इसलिए बाबाओं में मत फँसो  केवल संतों की शरण में जाओ see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_54.html


 'मैगी' बाबा जी की -'जहाँ बाबा वहाँ भरोस । बाकी सब जहरीला सबमें दोष ॥ " see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_61.html 


 आध्यात्मिक अनाथों की आस्था को भोग रहे हैं निरंकुश बाबा लोग !
     कंचन कामिनी और कीर्ति की कामना से सामाजिक कार्य करना भी संतों का काम नहीं हैं !क्योंकि ये काम वो गृहस्थी में रहकर भी कर सकते थे फिर यही काम करने के लिए साधू और संत बनने का दिखावा क्यों करना ?
       संतों का काम समाजहित के कार्यों को सुसंस्कार देकर समाज से कराना है न कि see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/11/blog-post_16.html

 शास्त्रीय नियम धर्म ढीले पड़ते ही कभी साईं घुस आए !तो कभी अन्य पाखंडी बाबा लोग !!
    पहले जब सब कुछ त्यागने का नाम संन्यास था तब साईं की हिम्मत नहीं पड़ी किन्तु जबसे सब कुछ  भोगने का भाव हाईटेक संन्यासियों का बनने लगा तब से साईं घुस आए !
    साईं संकट तैयार ही आखिर क्यों हुआ ? जब किसी ऐरे गैरे बाबा को पकड़कर सनातन धर्मियों का भगवान बनाने की कोशिश की गई हो इसके इतने वर्षों बाद भी हमारे धर्माचार्यों का एक बहुत see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_88.html
  
 हमें यदि ऐसे बुड्ढे और बुढ़ियाँ ही पूजनी होंगी तो साईं और राधे माँ जैसे ही क्यों ? हम तो अपने माता पिता तथा पूर्वजों एवं पितरों को पूजेंगे !!
     हिन्दुओं के यहाँ भगवानों की कोई वैकेंसी खाली नहीं है !फिर साईं हों या अराधे माँ ,या कोई और तमाशा राम, किंतु किसी को क्या लेना देना !
    जहाँ साईं को भर्ती कर लिया जाए !भगवान बनाकर पूजने की लिस्ट में साईं का कहीं नंबर ही नहीं है !
और राधे माँ सबसे अधिक देवी देवता हिन्दुओं में ही हैं, इसलिए  साईं को कृपा करके उन धर्मों पर थोपा see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html


 साधू संत तो शांत हैं किन्तु अब बाबाओं में हड़कम्प मचा है !
बाबाओं बबाइनों पर कानूनी शिकंजा कसते ही पाखंडियों में खलभली मची है !
 धनवान योगी,व्यापार करने वाला  साधू तथा संतानवाले  ब्रह्मचारी का कितना विश्वास !
    जहाँ  माया मोह छोड़ने की कसम खाने वाले बाबा हजारों करोड़ के मालिक हों फिर भी वो ये न मानते हों कि वो काले धन से धनी हैं साधू के पास अच्छा धन तो हो ही नहीं सकता क्योंकि साधू के लिए व्यापार वर्जित है और बिना व्यापार धन आएगा कहाँ से !वैसे भी साधुओं के लिए धन संग्रह का निषेध है फिर भी जो लोग इस  शास्त्रीय संविधान को नहीं मानते उन साधुओं का सारा धन  ही काला धन होता है और ऐसे काले धन से धनी बाबा लोग धन की धमक के बल पर see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/05/blog-post_27.html


 पैसे और प्रभाव के बल पर शास्त्रीय साधू संतों को पछाड़ देने की होड़ अशास्त्रीय साधुओं में !
बिगड़ता वैराग्य एवं शिथिल पड़ती धर्मशास्त्रीय  परम्पराएँ  
    आश्रमों में रहने की परंपरा भारत वर्ष में युगों युगों पुरानी है।पहले लोग भगवान का भजन करने के लिए समस्त विषय बसनाओं एवं भोग सामग्रियों से  दूर रहकर वैराग्य पूर्ण जीवन जीते थे।किसी भी व्यक्ति का श्रृंगार उसके मन की बासना के स्तर को प्रकट करता है। सामान्य  श्रृंगार का मतलब सामान्य बासना,विशेष श्रृंगार का  मतलब विशेष बासना एवं अत्यधिक श्रृंगार का मतलब अत्यधिक बासना होता है।ब्यूटीपार्लरों में स्त्री पुरुषों की  होने वाली पेंट पोताई इसी see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/06/blog-post_6671.html


 टेलीवेजनी बाबाओं,ज्योतिषियों ,तांत्रिकों की अशास्त्रीय बकवास का टीवी चैनलों पर महिमा मंडन बंद करे मीडिया ! see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html 

 हिंदू धर्म केवल वेषभूषा ही नहीं है अपितु आचार व्यवहार भी है!
सीता हरण हमारी संत स्वरूप निष्ठा का ही दुखद परिणाम था !अन्यथा सीता जी कुटिया के बाहर नहीं भी आ सकती थीं !
     जिसने अपने को जो कुछ घोषित किया है और यदि वो नहीं हैं उसके अलावा बहुत कुछ है तो वो बेकार है किसान तक जो फसल बोते हैं वही पौधे खेत में रहने देते हैं बाकी अच्छे पौधे भी निराई कराकर हटा देते हैं भले वो बहुमूल्य ही क्यों न see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/04/blog-post_22.html

 ऐसे बाबाओं के ब्यभिचार और ब्यापार में साथ देने वाला समाज कितना निर्दोष है ?
    जो बाबा ब्यभिचारी हैं वो समाज के सहयोग से ऐसे हुए हैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने के लिए धन देने वालों ने धन दिया,मन देने वालों ने मन दिया तन देने वालों ने तन दिया कुछ लोगों ने तो जीवन ही दे दिया है ये सच्चाई है फिर भी  दोष केवल बाबाओं का ही है क्या?
    माना कि योग बहुत अच्छी एवं भारत की अत्यंत प्राचीन विद्या है किंतु कलियुग में कुछ see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/10/blog-post_10.html

साधू संतों को यदि सामाजिक कार्य या व्यापार ही करने थे तो घर गृहस्थी क्या बुरी थी ! वहाँ भी तो किए जा सकते थे सामाजिक कार्य !
     साधू संतों का सम्मान सनातन धर्म में सबसे ऊपर है भगवन श्री राम, श्री कृष्ण आदि ने भी संतों की अमित महिमा बताई है अतएव साधू संतों के गौरव को घटने का मतलब है धर्म का गौरव घटना इसलिए साधू संतों केsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/04/blog-post_12.html 

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