Sunday, 2 August 2015

राजनैतिक महापुरुषों को बेतन की भी परवाह होती है क्या ?

नेताओं को काम करने पर ही मिले वेतन!- एक खबर
     किंतु ये बात ऐसे कही जा रही है जैसे नेताओं के घर के चूल्हे इसी छोटे से बेतन के भरोसे जलते हैं और बेतन नहीं मिलेगा तो ये भूखों मरने लगेंगे ! अरे ! लोकतान्त्रिक कल्पवृक्ष की छाँव में बैठे राजनेताओं  को बेतन लेने की याद कब रहती होगी ! राजनीति में प्रवेश करते समय कौड़ी कौड़ी के लिए मोहताज लोग आज करोड़ों अरबोंपति बने बैठे हैं क्या केवल बेतन के बल पर है वर्तमान वैभव ! और यदि हाँ तो राजनीति में प्रवेश करते समय से लेकर आज तक की आमदनी की जाँच कराकर  तौल ली जाए उनकी वर्तमान आर्थिक हैसियत !सारा दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ! इनके अनाप शनाप खर्चे और  इनकी अकूत संपत्तियाँ ऊपर से आराम पसंद जीवन और फुलटाइम की राजनीति में धंधा व्यापार संभव ही नहीं होता है फिर भी धन दिन दूना रात चौगुना बढ़ता चला जा रहा  हो ! ऐसे महापुरुषों के लिए काम करने पर वेतन मिलने की बात कहना कितना न्यायोचित है !

इसी विषय में पढ़िए मेरा ये लेख -

लोकतंत्र या नेता नेतातंत्र ? भारत में आज सारे अधिकार नेताओं के पास हैं यदि लोकतंत्र होता तो अधिकार जनता के पास होते !see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_15.html

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