एक चम्मच शहद नियमित तौर पर लेते रहें। यह आपको अस्थि भंगुरता से बचाने का बेहद उपयोगी नुस्खा है।
४) वसा रहित पावडर का दूध केल्सियम की आपूर्ति के लिये श्रेष्ठ है। इससे
हड्डिया ताकतवर बनती हैं। गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है।
५) विटामिन "डी " अस्थि मृदुता में परम उपकारी माना गया है। विटामिन डी
की प्राप्ति सुबह के समय धूपमें बैठने से हो सकती है। विटामिन ’डी" शरीर
में केल्सियम संश्लेशित करने में सहायक होता है।शरीर का २५
प्रतिशत भाग खुला रखकर २० मिनिट धूपमें बैठने की आदत डालें।
६) अधिक दूध वाली चाय पीना हितकर है। दिन में एक बार पीयें।
७)
सोयाबीन के उत्पाद अस्थि मृदुता निवारण में महत्वपूर्ण हैं। इससे औरतों
में एस्ट्रोजिन हार्मोन का संतुलन बना रहता है। एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी
महिलाओं में अस्थि मृदुता पैदा करती है।सोयाबीन का दूध पीना उत्तम फ़लकारक
होता है।
८) केफ़िन तत्व की अधिकता वाले पदार्थ के उपयोग में सावधानी बरतें।
चाय और काफ़ी में अधिक केफ़िन तत्व होता है। दिन में बस एक या दो बार चाय
या काफ़ी ले सकते हैं।
९) बादाम अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है। ११ बादाम रात को पानी में
गलादें। छिलके उतारकर गाय के २५० मिलि दूध के साथ मिक्सर या ब्लेन्डर में
चलावें। नियमित उपयोग से हड्डियों को भरपूर केल्शियम मिलेगा और
अस्थि भंगुरता का निवारण करने में मदद मिलेगी।
१०)
बन्द गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम
योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढता है जो महिलाओं मे
अस्थियों की मजबूती बढाता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुरता से
इस्तेमाल करें।
११) नये अनुसंधान में जानकारी मिली है कि मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में
अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं,पालक,अनानास,और सूखे मेवों में पाया
जाता है। इन्हें भोजन में शामिल करें।
१२) विटामिन "के" रोजाना ५० मायक्रोग्राम की मात्रा में लेना हितकर है। यह अस्थि भंगुरता में लाभकारी है।
१३) सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हड्डियों की मजबूती के लिये नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाये रखें।
१४) भोजन में नमक की मात्रा कम कर दें। भोजन में नमक ज्यादा होने से
सोडियम अधिक मात्रा मे उत्सर्जित होगा और इसके साथ ही केल्शियम भी बाहर
निकलेगा।
१५) २० ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें।
रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।
१६) टमाटर का जूस आधा लिटर प्रतिदिन पीने से दो तीन माह में हड्डियां बलवान बनती है और अस्थि भंगुरता में आशातीत लाभ होता है।
१७) केवल एक मुट्ठी मूंगफली से आप हड्डियों से सम्बन्धित सभी परेशानियों
से मुक्ति पा सकते हैं| मूंगफली आयरन, नियासीन,फोलेट,केल्सियम और जिंक का
अच्छा स्रोत है| इसमें विटामिन ई , के और बी ६ प्रचुर मात्रा में होते हैं|
केल्सियम और विटामिन डी अधिक मात्रा में होने से यह हड्डियों की कमजोरी
दूर करती है| इससे दांत भी मजबूत होते हैं| इसमें पाया जाने वाला विटामिन
बी-३ हमारे दिमाग को तेज करने में मदद करता है| मूंगफली में मौजूद फोलेट
तत्त्व गर्भा में पल रहे बच्चे के लिए लाभकारी होता है|
उम्र भर बनाए रखें हड्डियां मजबूत
हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन के अलावा कई तरह के
मिनरल से मिल कर बनी होती हैं। अनियमित जीवनशैली की वजह से ये मिनरल खत्म
होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और धीरे- धीरे वे
घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार यह कमजोरी इतनी होती है कि मामूली
चोट पर भी फ्रैक्चर हो जाता है। उम्र के अनुसार हड्डियों की जरूरत और उनकी
देखभाल के बारे में बता रहे हैं मूलचंद मेडसिटी के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.
संजय गुप्ता
भारत मे हड्डियों से जुड़ी समस्या बहुत आम बात है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती
जाती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर
दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी
कोई न कोई समस्या घेरे रहती है। पर ध्यान रहे, हड्डियां रातों-रात कमजोर
नहीं होतीं। यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। डॉक्टरों का मानना है कि
15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास यानी द्रव्यमान पूर्ण रूप से
विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण,
जीवनशैली और व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले
कारक बनते हैं।
बचपन से ही रखें ख्याल
बिगड़ती जीवनशैली, जंक फूड, बढ़ता वजन, घटती आउट डोर एक्टिविटी का असर
बच्चों में भी देखने को मिल रहा है। बच्चों में हड्डी की कमजोरी को रिकेट्स
कहते हैं, जबकि बड़ों में इसे ऑस्टियोमैलेशिया व ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता
है। बच्चों में रिकेट्स विटामिन डी, कैल्शियम की कमी तथा पूर्ण रूप से
सूर्य की किरणें न मिल पाने के कारण होता है। इसके अलावा आंतों द्वारा भोजन
का अपर्याप्त अवशोषण, फॉस्फोरस की कमी तथा गुर्दो व जिगर के रोग भी
रिकेट्स का कारण हो सकते हैं। प्राय: छह माह से दो वर्ष की उम्र में यह रोग
अधिक होता है। इससे बच्चों की लम्बाई भी कम हो जाती है। क्या करें..
- अगर माता-पिता में से किसी को ऑस्टियोपोरोसिस है तो वे अपने बच्चों के
पर्याप्त खान-पान और स्वस्थ दिनचर्या पर शुरुआत से ध्यान दें।
- बच्चों को उचित मात्रा में कैल्शियम एवं प्रोटीनयुक्त आहार दें। बढ़ती
उम्र में बच्चों को कम से कम 1300 मि.ग्रा. कैल्शियम अवश्य दें।
9 बच्चों को घर से बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें।
युवाओं में बढ़ती हड्डी से जुड़ी समस्याएं
आधुनिक जीवनशैली और कंप्यूटर पर लगातार निर्भरता के कारण युवाओं में हड्डी
से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। व्यायाम न करने से शरीर कैल्शियम
ग्रहण नहीं कर पाता और हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे
फ्रैक्चर, जांघ की हड्डियों में फासला बढ़ने, जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने
और स्लिप डिस्क की समस्याएं घेरने लगती हैं।
क्या करें
- व्यायाम घर में करें या जिम में, अच्छे जानकार की सलाह से ही करें।
व्यायाम करना ही काफी नहीं है, सही तरीके से करना अधिक जरूरी है। शारीरिक
क्षमताओं को ध्यान में रख कर व्यायाम करें। व्यायाम के साथ सही खान-पान पर
ध्यान देना भी जरूरी है।
- एक वयस्क शरीर को कम से कम 1000 मि.ग्रा. कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
इसके लिए रोज 600 मि.ली. दूध या दूध से बने उत्पादों का सेवन करें। सतुलित
आहार लें।
- धूम्रपान, अल्कोहल, काबरेनेटेड ड्रिंक, चाय व कॉफी का कम से कम सेवन
करें। ये शरीर की कैल्शियम ग्रहण करने की क्षमता को कम करते हैं।
ड्राइव करते हुए
- सीट पर बैठते समय घुटने हिप्स के बराबर या थोड़े ऊंचे हों। सीट को स्टेयरिंग के पास रखें, ताकि कमर के लचीलेपन को सपोर्ट मिल सके।
- कमर के निचले हिस्से में सपोर्ट के लिए छोटा तौलिया या लंबर रोल रखें।
इतना लेग-बूट स्पेस जरूर हो, जिसमें आराम से घुटने मुड़ सकें और पैर पैडल
पर आराम से पहुंच सकें।
कंप्यूटर-लैपटॉप पर काम करते हुए
- स्क्रीन पर देखने के लिए झुकना न पड़े और न ही गर्दन को जबरन ऊपर उठाना
पड़े। कुहनी और हाथ कुर्सी पर रखें। इससे कंधे रिलैक्स्ड रहेंगे।
- कुर्सी लोअर बैक को सपोर्ट करने वाली हो। पैरों के नीचे सपोर्ट के लिए
छोटा स्टूल या चौकी रखें। किसी भी मुद्रा में 30 मिनट से ज्यादा लगातार न
बैठें। दो घंटे के बाद सीट से अवश्य उठें।
- कुर्सी के पीछे तक बैठें। शरीर का भार दोनों कूल्हों पर बना कर रखें। रोजाना गर्दन की एक्सरसाइज करें।
गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भवती महिलाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन के कारण उनकी हड्डियां भी
प्रभावित होती हैं। गर्भावस्था एवं स्तनपान के दौरान महिलाओ में 3 से 5 %
हड्डियों का घनत्व कम होता है, इसीलिए इस समय भरपूर मात्रा में कैल्शियम
लेने की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान किसी भी महिला को 25 % और
स्तनपान के दौरान 40 % अधिक कैल्शियम की जरूरत पड़ती है, ताकि हड्डियों का
सही रूप से विकास हो। कैल्शियम ग्रहण करने के लिए विटामिन डी जरूरी होता
है। विटामिन डी के लिए शरीर के 20-25 फीसदी हिस्से को ढंके बिना 15-20 मिनट
धूप में बैठना चाहिए।
मेनोपॉज के बाद खतरा
स्त्रियों में मेनोपॉज के बाद बोन डेंसिटी को बनाए रखने के लिए जरूरी
हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आती है। मेनोपॉज के दौरान शारीरिक और
मानसिक स्तर पर बदलाव आने के साथ हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती
हैं। साथ ही नई हड्डियों के निर्माण की दर भी कम होने लगती है, जिससे
ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि 35 की उम्र के बाद से
महिलाओं को नियमित कैल्शियम और विटामिन ‘डी’ के सेवन की सलाह दी जाती है।
फूड एंड न्यूट्रिशन बोर्ड के अनुसार, मेनोपॉज के बाद स्त्रियों को रोजाना
1200 एम.जी. कैल्शियम लेना चाहिए।
कैल्शियम व विटमिन डी की कमी ऑस्टियोपोरोसिस का प्रमुख कारण है। शुरुआत में
दर्द के अलावा इसके कुछ खास लक्षण नजर नहीं आते, पर जब बार-बार फ्रैक्चर
होने लगते हैं, तब पता चलता है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो चुकी है।
मेनोपॉज के बाद 5 से 10 वर्षों में स्त्रियों की बोन डेंसिटी में हर साल 2
से 4 % तक कमी आती है। यानी 55-60 वर्ष की आयु तक बोन डेंसिटी 25-30% तक
कम हो जाती है। इसी कारण कुछ स्त्रियां हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी
लेती हैं, लेकिन इसका असर भी मेनोपॉज के पांच-छह वर्ष तक ही दिखता है।
कौन से टेस्ट हैं जरूरी
डॉक्टरों के अनुसार 30 साल की उम्र के बाद हर पांच वर्ष में एक बार विटामिन
डी, कैल्शियम फॉस्फोटेज, व एल्कलाइन फास्फोटेज का टेस्ट कराना चाहिए।
हाल में हुए शोध की मानें तो दिन में दो बार दस दफा
कूदने को अगर कसरत के तौर पर नियमित किया जाए तो इससे हड्डियां काफी मजबूत
होंगी।
पढ़ें - हड्डियों में दर्द को हल्के में न लें, हो सकता है यह रोगअमेरिकन
जर्नल ऑफ हेल्थ प्रमोशन में प्रकाशित शोध की मानें तो सुबह और शाम लगातार
दस-दस बार कूदने की प्रक्रिया में हड्डियों को मजबूती मिलती है और इससे
जुड़ी समस्याओं से बचाव होता है।
शोध के दौरान 25 से 50 वर्ष की आयु
वाली 60 महिलाओं को कूदने की कसरत का अभ्यास दिन में दो बार नियमित तौर पर
करवाया गया और पाया गया कि इससे उनकी हड्डियों में पांच प्रतिशत का सुधार
देखा गया।
शोधकर्ता डॉ. लैरी टकर के अनुसार, यह कसरत चलने या जॉगिंग
करने की अपेक्षा अधिक फायदेमंद है और इससे हड्डियों के घनत्व में 1.3
प्रतिशत सुधार देखा गया है।
मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
विटामिन डी वसा-घुलनशील प्रो-हार्मोन का एक समूह होता है। इसके दो प्रमुख रूप हैं:विटामिन डी२ (या अर्गोकेलसीफेरोल) एवं विटामिन डी३ (या कोलेकेलसीफेरोल).[1]
सूर्य के प्रकाश, खाद्य एवं अन्य पूरकों से प्राप्त विटामिन डी निष्क्रीय
होता है। इसे शरीर में सक्रिय होने के लिये कम से कम दो हाईड्रॉक्सिलेशन
अभिक्रियाएं वांछित होती हैं। शरीर में मिलने वाला कैल्सीट्राईऑल (१,२५-डाईहाईड्रॉक्सीकॉलेकैल्सिफेरॉल)
विटामिन डी का सक्रिय रूप होता है। त्वचा जब धूप के संपर्क में आती है तो
शरीर में विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया आरंभ होती है। यह मछलियों में भी
पाया जाता है। विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में
मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। इसके अभाव
में हड्डी कमजोर होती हैं व टूट भी सकती हैं। छोटे बच्चों में यह स्थिति रिकेट्स कहलाती है और व्यस्कों में हड्डी के मुलायम होने को ओस्टीयोमलेशिया कहते हैं। इसके अलावा, हड्डी के पतला और कमजोर होने को ओस्टीयोपोरोसिस कहते हैं।[2] इसके अलावा विटामिन डी कैंसर, क्षय रोग जैसे रोगों से भी बचाव करता है।[3]
विटामिन डी के रक्त में स्तरों पर विभिन्न हड्डी-रोगों का चित्रण
[4]
डेनमार्क
के शोधकर्ताओं के अनुसार विटामिन डी शरीर की टी-कोशिकाओं की क्रियाविधि
में वृद्धि करता है, जो किसी भी बाहरी संक्रमण से शरीर की रक्षा करती हैं।
इसकी मानव प्रतिरक्षा प्रणाली
को मजबूत करने में मुख्य भूमिका होती है और इसकी पर्याप्त मात्रा के बिना
प्रतिरक्षा प्रणालीकी टी-कोशिकाएं बाहरी संक्रमण पर प्रतिक्रिया देने में
असमर्थ रहती हैं।[5] टी-कोशिकाएं सक्रिय होने के लिए विटामिन डी पर निर्भर रहती हैं।[6]
जब भी किसी टी-कोशिका का किसी बाहरी संक्रमण से सामना होता है, यह विटामिन
डी की उपलब्धता के लिए एक संकेत भेजती है। इसलिये टी-कोशिकाओं को सक्रिय
होने के लिए भी विटामिन डी आवश्यक होता है। यदि इन कोशिकाओं को रक्त में
पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता, तो वे चलना भी शुरू नहीं करतीं हैं।
अधिकता: विटामिन डी की अधिकता से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे गुर्दों में, हृदय में, रक्त रक्त वाहिकाओं में और अन्य स्थानों पर, एक प्रकार की पथरी उत्पन्न हो सकती है। ये विटामिन कैल्शियम का बना होता है, अतः इसके द्वारा पथरी भी बन सकती है। इससे रक्तचाप बढ सकता है, रक्त में कोलेस्टेरॉल बढ़ सकता है और हृदय पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द, आदि भी हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकता है।[2]
स्रोत
इसके मुख्य स्रोतों में अंडे का पीला भाग, मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध और मक्खन होते हैं। इनके अलावा मुख्य स्रोत धूप सेंकना होता है।
दूध और अनाज प्रायः विटामिन डी के भरपूर स्रोत होते हैं।
वसा-पूर्ण मछली, जैसे साल्मन विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोतों में से एक हैं।
मानव शरीर में
कैल्शियल नियमन।
[7] विटामिन डी की भूमिका नारंगी रंग में दर्शित
धूप सेंकना विटामिन डी का प्रमुख प्राकृतिक स्रोत होता है।
विटामिन |
क्षेष्ठ स्रोत |
भूमिका |
आर. डी. ए. |
विटामिन ए |
दूध, मक्खन, गहरे हरे रंग की सब्जियां। शरीर पीले और हरे रंग के फल व सब्जियों में मौजूद पिग्मैंट कैरोटीन को भी विटामिन ‘ए’ में बदल देता है। |
यह आंख के रेटिना, सरीखी शरीर की झिल्लियों, फ़ेफ़डों के अस्तर और पाचक-तंत्र प्रणाली के लिए आवश्यक है। |
1 मि, ग्राम. |
थायामिन बी |
साबुत अनाज, आटा और दालें, मेवा, मटर फ़लियां |
यह कार्बोहाइड्रेट के ज्वलन को सुनिशचित करता है। |
1.0-1.4 मि. ग्राम1.0-1.4 मि. ग्राम |
राइबोफ़्लैविन बी |
दूध, पनीर |
यह ऊर्जा रिलीज और रख–रखाव के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्यक है। |
1.2- 1.7 |
नियासीन |
साबुत अनाज, आटा और एनरिच्ड अन्न |
यह ऊर्जा रिलीज और रख रखाव, के लिए सभी कोशिकाओं के लिए आवश्कता होती है। |
13-19 मि. ग्रा |
पिरीडांक्सिन बी |
साबुत अनाज, दूध |
रक्त कोशिकाओं और तंत्रिकाओं को समुचित रुप से काम करने के लिए इसकी जरुरत होती है। |
लगभग 2 मि. ग्रा |
पेण्टोथेनिक अम्ल |
गिरीदार फ़ल और साबुत अनाज |
ऊर्जा पैदा करने के लिए सभी कोशिकाओं को इसकी जरुरत पडती है। |
4-7 मि. ग्रा |
बायोटीन |
गिरीदार फ़ल और ताजा सब्जियां |
त्वचा और परिसंचरण-तंत्र के लिए आवश्यक है। |
100-200 मि. ग्रा |
विटामिन बी |
दूग्धशाला उत्पाद |
लाल रक्त कोशिकाओं, अस्थि मज्जा-उत्पादन के साथ-साथ तंत्रिका-तंत्र के लिए आवश्यक है। |
3 मि.ग्रा |
फ़ोलिक अम्ल |
ताजी सब्जियां |
लाल कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक है। |
400 मि. ग्रा |
विटामिन ‘सी’ |
सभी रसदार फ़ल. टमाटर कच्ची बंदगोभी, आलू, स्ट्रॉबेरी |
हडिडयों, दांत, और ऊतकों के रख-रखाव के लिए आवश्यक है। |
60 मि, ग्रा |
विटामिन ‘डी’ |
दुग्धशाला उत्पाद। बदन में धूप सेकने से कुछ एक विटामिन त्वचा में भी पैदा हो सकते है। |
रक्त में कैल्सियम का स्तर बनाए रखने और हडिडयों के संवर्द्ध के लिए आवश्यक है। |
5-10 मि. ग्रा |
विटामिन ‘ई’ |
वनस्पति तेल और अनेक दूसरे खाघ पदार्थ |
वसीय तत्त्वों से निपटने |
वाले ऊतकों तथा कोशिका झिल्ली की रचना के लिए जरुरी है। |
8-10 मि. ग्रा |
कैल्शियम और हड्डियों की कमजोरी
कैल्शियम
एक आवश्यक खनिज शरीर द्वारा मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए और उन्हें
अपने जीवन भर में मजबूत रखने के लिए आवश्यक है। कैल्शियम भी ऐसे
मांसपेशियों में संकुचन के रूप में अन्य उद्देश्यों के लिए आवश्यक है।
लगभग
सभी कैल्शियम (99 प्रतिशत) हड्डियों में संग्रहीत किया जाता है। शेष एक
प्रतिशत के शरीर में circulates. अगर शरीर पर्याप्त कैल्शियम तुम खून में
सही राशि परिसंचारी रखने के लिए खाना खाने से नहीं मिलता है, तुम शरीर
हड्डियों से होने वाले कैल्शियम ले जाएगा। वैज्ञानिक अध्ययन के सैकड़ों कि
समय के साथ, हड्डियों से होने वाले कैल्शियम के नुकसान "कभी कभी बुलाया"जो
पतले हड्डियों और अस्थि भंग के अधिक से अधिक जोखिम बढ़ सकता है भंगुर
हड्डियों,"हड्डी रोग ऑस्टियोपोरोसिस", के लिए नेतृत्व कर सकते हैं दिखा।
हर
किसी की जरूरत है कैल्शियम का निर्माण और मजबूत हड्डियाँ रखें और सामान्य
शरीर कार्य के लिए। लेकिन कुछ लोगों को अधिक से अधिक जोखिम पर
ऑस्टियोपोरोसिस हो रही के रूप में वे बड़े हो रहे हैं। खतरे को पुरुषों की
तुलना, विशेष रूप से महिलाओं को जो छोटे हड्डियों है महिलाओं के लिए अधिक
है। ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करने के लिए, आपको पर्याप्त कैल्शियम बचपन
और युवा वयस्कता, के दौरान खाना होगा जब हड्डी द्रव्यमान का गठन किया है।
एक वयस्क के रूप में, तुम खा कैल्शियम तुम जब तुम बढ़ रहे थे तुम विकसित
हड्डियों रखने के लिए मदद मिलती है।
खाद्य पदार्थ है कि कैल्शियम का
अच्छा स्रोत हैं डेयरी उत्पाद, दूध, दही और पनीर और हरी पत्तेदार सब्जियां,
जैसे कि गोभी और शलजम साग जैसे शामिल हैं। वहाँ भी कुछ खाद्य पदार्थ है कि
कैल्शियम, जैसे संतरे का रस कैल्शियम दृढ़ और अंगूर का रस के रूप में जोड़
रहे हैं।
कई वर्षों के वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित है, पोषण
विशेषज्ञ के रूप में वे बड़े हो बारे में कितना कैल्शियम लोगों को जरूरत
मजबूत हड्डियों के निर्माण और बनाए रखने के अपने हड्डी के लिए हर रोज खाने
के लिए बड़े पैमाने पर सीखा है। राशि है तुम खाने की जरूरत है तुम्हारी
उम्र की तरह बातों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए:
18 साल पुराने करने के लिए बच्चों के 9 - 1300 मिलीग्राम (एमजी)
से 50 साल पुराने वयस्कों 19 - 1000 मिलीग्राम (एमजी)
वयस्कों के 50 से अधिक - 1200 मिलीग्राम (एमजी)
हालांकि
यह बहुत अधिक कैल्शियम (अधिक से अधिक 2500 मिलीग्राम प्रतिदिन) खाने के
लिए हो सकता है, कि ज्यादातर अमेरिकियों कैल्शियम की जरूरत है वे प्रत्येक
दिन की सिफारिश की राशि नहीं खाती अध्ययनों से पता चला है।
यदि आप
लैक्टोज असहिष्णु हैं, इसे पर्याप्त कैल्शियम मिलना बहुत मुश्किल हो सकता
है। लैक्टोज असहिष्णुता का अर्थ है शरीर को आसानी से पचा फूड्स कि लैक्टोज
या चीनी कि दूध जैसे डेयरी उत्पादों में पाया जाता है शामिल करने में सक्षम
नहीं है। गैस, सूजन, पेट में ऐंठन, दस्त, और मतली लक्षणों तुम हो सकता है
कर रहे हैं। यह किसी भी उम्र में शुरू कर सकते हैं, लेकिन अक्सर के रूप में
हम बड़े होने शुरू होता है।
लैक्टोज-कम और लैक्टोज मुक्त उत्पादों
खाद्य दुकानों में बेचा जाता है। वहाँ एक महान विविधता, दूध, पनीर, और आइस
क्रीम शामिल है। किराने की दुकान या दवा की दुकान पर पाया, तुम भी विशेष की
गोलियाँ या तरल पदार्थ के मदद से आप पचाने में डेयरी खाद्य पदार्थ खाने से
पहले ले जा सकते हैं।
तुम भी खाद्य पदार्थ है कि कैल्शियम जोड़ा है
खा सकते हैं (गढ़वाले), कुछ अनाज और संतरे का रस की तरह। इसके अलावा
कैल्शियम गोलियां लेने के बारे में सोचो। लेकिन अपने डॉक्टर या नर्स पहली
बार देखने के लिए जो एक तुम्हारे लिए सबसे अच्छा है के लिए बात करते हैं।
कृपया ध्यान दें: यदि आप लैक्टोज असहिष्णुता के लक्षण है, अपने डॉक्टर या
नर्स देखें। ये लक्षण भी एक अलग है, या और अधिक गंभीर बीमारी से हो सकता
है।
आ