Wednesday, 19 August 2015

सरकारी प्राथमिक स्कूलों

सरकारी स्कूलों ,सरकारी शिक्षकों,सरकारी कर्मचारियों ,सरकारी शिक्षा ,शिक्षा



अधिकारी अधिकारी होते हैं वो बड़ों बड़ों को लगा लेते हैं लाइन में !भले वो मंत्री ही क्यों न हों !!
पढ़े लिखे अधिकारियों की विद्या का सम्मान करते हुए से पढ़े लिखे नेता ही करा पाते हैं अपने काम !
   बिना पढ़े लिखे नेता तो अक्सर रौब दिखाने के लिए आते हैं राजनीति में तो रौब देखना अधिकारियों की लोकतांत्रिक मजबूरीsee…http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_16.html

केवल किसानों की सहायता में कंजूसी ? वीआईपियों की सुरक्षा हो या कर्मचारियों की सैलरी इसमें कितना भी खर्च हो आखिर अपनों के लिए क्यों सोचना ! 
  देश के संसाधनों में अब किसानों को भी मिलना चाहिए उनका अधिकार !अब आजादी को सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों को अकेले  नहीं भोगने दिया जाएगा !see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_13.html

सैलरी बढ़ी हजारों में  और  किसानों को चेक दिए गए दस बीस रूपए के ! 
 किसान आत्म हत्या न करे तो क्या करे उनके बलिदान का इतना बड़ा उपहासकर रही हैं सरकारें ! ऐसी आजादी को लेकर वो चाटें क्या ?जिसे केवल सरकार और सरकारी कर्मचारी ही भोग रहे हों बाकी देश तो पहले गोरे  अंग्रेजों का गुलाम था अब काले अंग्रेजों का गुलाम है  see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/04/blog-post_8.html      

 स्वच्छ भारत या पवित्र भारत या स्वच्छ और पवित्र दोनों ?पवित्रता की आज बहुत आवश्यकता है !
     केवल स्वच्छता ही क्यों पवित्रता भी चाहिए !
     पहले से फैली हुई गन्दगी को साफ करना स्वच्छता एवं गंदगी को फैलाने से ही बचने की भावना पवित्रता है गंदगी से अभिप्राय सभी प्रकार की गंदगी से है भले  वो भ्रष्टाचार की ही see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post.html 

 धिक्कार है ऐसे तुच्छ कन्या पूजन को जिसमें कन्याओं के प्रति कोई संवेदना ही न हो !
   हम कन्याएँ भी पूजते हैं गौएँ भी पूजते हैं दोनों पर अत्याचार होते रहते हैं फिर भी हम सहते  रहते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं। बंधुओ !हमारी इस कायरता पर हमें धिक्कार है !हमारे जितना प्राणलोलुप और कौन हो सकता है !क्या हमें इतना कायर होना चाहिए ?
   हम कन्याएँ भी पूजते हैं गौएँ भी पूजते हैं दोनों से अपने सुख शांति समृद्धि के वरदान और see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/10/blog-post_3.html 

 ऐसे सरकारी कर्मचारियों को आखिर कैसे सुधारेगी सरकार ?
    जिन कर्मचारियों के भरण पोषण की सारी जिम्मेदारी जनता के पैसे से सरकार उठाती है क्या उस जनता के प्रति इनका कोई कर्तव्य नहीं है !कहीं तो वो लापरवाह होते हैं कहीं वो भ्रष्टाचार में सम्मिलित होते हैं कहीं कहीं तो वो स्वयं अपराध में सम्मिलित पाए जाते हैं आखिर इन्हें कैसे ठीक see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/06/24-6-6-see-more.html 


आरक्षण है या हथियार ?जातियों के नाम पर विकास की योजनाओं  से सवर्णों का बहिष्कार क्यों ?
    सवर्णों ने किसका शोषण कब किस प्रकार से किया था आखिर उन बहुसंख्य लोगों ने शोषण सहा क्यों होगा !इसलिए शोषण आरोप ही गलत है ! आखिर सवर्ण मिट्टी खाएँ क्या या चोरी करें ? आखिर उन्हें किस अपराध का दंड दिया जा रहा है ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/04/blog-post_5788.html 

 अब भ्रष्ट सरकारों और सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध जनता को लड़ना होगा एक बड़ा युद्ध !
  सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों के व्यवहार से बहुत निराश हैं देशवासी ! 
     पुलिस तो बदनाम है ही किन्तु हर विभाग बिक रहा है !किसी कवि ने कितना आहत होकर लिखा होगा कि
 "हर चेहरे पर दाम लिखे हैं हर कुर्सी उपजाऊ है"
        अर्थात पैसे लिए बिना लोग काम ही नहीं करना चाह रहे हैं एक साधारण सा पोस्टमैन see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/02/blog-post_8.html

 जातिगत आरक्षण को प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए ।
  जाति  क्षेत्र  सम्प्रदाय देखकर गरीबत नहीं आती है तो इनके आधार पर आरक्षण या अन्य सुविधाएँ क्यों दी जाती हैं ?
     योग्य लोगों को अयोग्य एवं अयोग्य लोगों को योग्य स्थान देना ही आरक्षण है। इससे काम की गुणवत्ता में कमी आना स्वाभाविक है।गधों को घोड़े बताने से तो उन्हें घोड़ा सिद्ध नहीं किया see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/01/blog-post_19.html


 सरकारी प्राथमिक स्कूलों की शिक्षा में भारी भ्रष्टाचार! आखिर क्या कर रही है सरकार ?
आखिरप्राइवेटविद्यालयोंकीओरक्यों भाग रहे हैं लोग?
     हमारा संस्थान शिक्षा एवं धर्म के क्षेत्र में प्रदूषण समाप्त करके दोनों ही क्षेत्रों की पवित्रता के लिए काम करने का पक्षधर है इसी क्रम में मैं अक्सर प्रयास और संपर्क किया करता हूँ शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती रुकावटों के विषय में जो कुछ हमारे अनुभव में आया वो आपके साथ सम्मिलित see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/01/blog-post_10.html

                                                                                                                                                                                                                                                                                 
 आखिरप्राइवेटविद्यालयोंकीओरक्यों भाग रहे हैं लोग?
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 सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही ने बिगाड़ा सार खेल !
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http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/09/bhrashtachar-mukt-rajniti-kaise-sambhav.html

 

Monday, 17 August 2015

kavita

मैं भी गीत सुना सकता हूँ
शबनम के अभिनन्दन के
मै भी ताज पहन सकता हूँ
नंदन वन के चन्दन के
लेकिन जब तक पगडण्डी से
संसद तक कोलाहल है
तब तक केवल गीत पढूंगा
जन-गण-मन के क्रंदन के 🇮🇳जब पंछी के पंखों पर हों
पहरे बम के, गोली के
जब पिंजरे में कैद पड़े हों
सुर कोयल की बोली के
जब धरती के दामन पार हों
दाग लहू की होली के
कैसे कोई गीत सुना दे
बिंदिया, कुमकुम, रोली के
🇮🇳मैं झोपड़ियों का चारण हूँ
आँसू गाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳कहाँ बनेगें मंदिर-मस्जिद
कहाँ बनेगी रजधानी
मण्डल और कमण्डल ने
पी डाला आँखों का पानी
प्यार सिखाने वाले बस्ते
मजहब के स्कूल गये
इस दुर्घटना में हम अपना
देश बनाना भूल गये
🇮🇳कहीं बमों की गर्म हवा है
और कहीं त्रिशूल चलें
सोन -चिरैया सूली पर है
पंछी गाना भूल चले
आँख खुली तो माँ का दामन
नाखूनों से त्रस्त मिला
जिसको जिम्मेदारी सौंपी
घर भरने में व्यस्त मिला
🇮🇳क्या ये ही सपना देखा था
भगतसिंह की फाँसी ने
जागो राजघाट के गाँधी
तुम्हे जगाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳एक नया मजहब जन्मा है
पूजाघर बदनाम हुए
दंगे कत्लेआम हुए जितने
मजहब के नाम हुए
मोक्ष-कामना झांक रही है
सिंहासन के दर्पण में
सन्यासी के चिमटे हैं
अब संसद के आलिंगन में
🇮🇳तूफानी बदल छाये हैं
नारों के बहकावों के
हमने अपने इष्ट बना डाले हैं
चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी
सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली
राजमहल में जाने की
🇮🇳जो पूजा के फूल बेच दें
खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के
नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳कोई कलमकार के सर पर
तलवारें लटकाता है
कोई बन्दे मातरम के गाने
पर नाक चढ़ाता है
कोई-कोई ताजमहल का
सौदा करने लगता है
🇮🇳कोई गंगा-यमुना अपने
घर में भरने लगता है
कोई तिरंगे झण्डे को
फाड़े-फूंके आजादी है
कोई गाँधी जी को
गाली देने का अपराधी है
कोई चाकू घोंप रहा है
संविधान के सीने में
कोई चुगली भेज रहा है
मक्का और मदीने में
कोई ढाँचे का गिरना
यू. एन. ओ. में ले जाता है
कोई भारत माँ को
डायन की गाली दे जाता है
लेकिन सौ गाली होते ही
शिशुपाल कट जाते हैं
तुम भी गाली गिनते रहना
जोड़ सिखाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
🇮🇳जब कोयल की डोली
गिद्धों के घर में आ जाती है
तो बगुला भगतों की टोली
हंसों को खा जाती है
इनको कोई सजा नहीं है
दिल्ली के कानूनों में
न जाने कितनी ताकत है
हर्षद के नाखूनों में
🇮🇳जब फूलों को तितली भी
हत्यारी लगने लगती है
तब माँ की अर्थी बेटों को
भारी लगने लगती है
जब-जब भी जयचंदों का
अभिनंदन होने लगता है
तब-तब साँपों के बंधन
में चन्दन रोने लगता है
🇮🇳जब जुगनू के घर
सूरज के घोड़े सोने लगते हैं
तो केवल चुल्लू भर
पानी सागर होने लगते हैं
सिंहों को 'म्याऊं' कह दे
क्या ये ताकत बिल्ली में है
बिल्ली में क्या ताकत होती
कायरता दिल्ली में है
🇮🇳कहते हैं यदि सच बोलो तो
प्राण गँवाने पड़ते हैं
मैं भी सच्चाई गा-गाकर
शीश कटाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||
'भय बिन होय न प्रीत गुसांई'
- रामायण सिखलाती है
राम-धनुष के बल पर ही
सीता लंका से आती है
जब सिंहों की राजसभा में
गीदड़ गाने लगते हैं
तो हाथी के मुँह गन्ने के
चूहे खाने लगते हैं
🇮🇳केवल रावलपिंडी पर मत
थोपो अपने पापों को
दूध पिलाना बंद करो
अब आस्तीन के साँपों को
अपने सिक्के खोटे हों
तो गैरों की बन आती है
और कला की नगरी
मुंबई लहू में सन जाती है
🇮🇳राजमहल के सारे दर्पण
मैले-मैले लगते हैं
 इनके ख़ूनी पंजे दरबारों
तक फैले लगते हैं
इन सब षड्यंत्रों से परदा
उठना बहुत जरुरी है
पहले घर के गद्दारों का
मिटना बहुत जरुरी है
🇮🇳पकड़ गर्दनें उनको खींचों
बाहर खुले उजाले में
चाहे कातिल सात समंदर
पार छुपा हो ताले में
ऊधम सिंह अब भी जीवित है
ये समझाने आया हूँ |
घायल भारत माता की
तस्वीर दिखाने लाया हूँ

Friday, 14 August 2015

बाबाओं !

 धर्म को व्यापार बनने से रोकना होगा और मिलजुलकर बंद करनी होगी धार्मिक धोखा धड़ी !
     भ्रष्टाचार एवं सभी प्रकार के अपराध रोकने के लिए आज शास्त्रीय संतों एवं शास्त्रीय  विद्वानों की शास्त्रीय बात मानना ही एकमात्र विकल्प है !
    यह माना जा सकता है कि धार्मिक जगत में शास्त्रीय मान्यताओं का सम्यक पालन करने see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_29.html

तभी तो घट गए थे कुंभ में कंडोम ! धर्म को बेशर्म मत बनाओ !
साधू बनने का लक्ष्य व्यापार ,ब्यभिचार या भीख माँगना था क्या ?
  चोरों छिनारों जुँवारियों की बेशर्म हरकतों ने धर्म को  अक्सर शर्मसार किया है !! आज  साधू संतोंsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/08/blog-post_6.html



कुंभ में कंडोम की चर्चा क्यों ? जिसने धन इकठ्ठा किया है वो भोगेगा तो इंद्रियों से ही !जिसे भोगना न होता तो इकठ्ठा क्यों करता ?
    आश्रम नाम की बिल्डिंग बनेगी उसमें सभी सुख सुविधाओं से युक्त बेडरूम बनेंगे फिर उसमें बेड भी डाला जाएगा फिर उसपर सुंदर सुन्दर बिछौने भी बिछाए जाएँगे ! जो इतने सारी सुख सुविधाओं को भोगने की भावना नहीं रोक सका वो सेक्स सुख भोगने संबंधी इच्छाओं पर लगाम लगा लेगा क्या ! किंतु बिल्डिंग बेडरूम और बेड की बातें छिपाई नहीं जा सकतीं और छिपाना जरूरी भी नहीं समझा गया तो बता दी गईं किंतु सेक्स सुख की चर्चा कैसे की जाए ! चाणक्य ने कहाsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/07/blog-post_7.html



ऐसे बाबाओं के ब्यभिचार और ब्यापार में साथ देने वाला समाज कितना निर्दोष है ?
    जो बाबा ब्यभिचारी हैं वो समाज के सहयोग से ऐसे हुए हैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने के लिए धन देने वालों ने धन दिया,मन देने वालों ने मन दिया तन देने वालों ने तन दिया कुछ लोगों ने तोsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/10/blog-post_10.html


बनावटी साधू संतों महंतों महामण्डलेश्वरों के पाखंडों से आखिर निपटा कैसे जाए ?
    धर्म ,ज्योतिष  एवं वास्तु से जुड़े पाखंडों को समाज के सहयोग के बिना रोकना संभव ही नहीं है किसीsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/08/blog-post_10.html


 साधू संत तो सनातन धर्मियों के माथे के मुकुट हैं किंतु बाबाओं के षड्यंत्रों में फँसने से बचो !
  संत लोग शास्त्रों को आगे करके चलते हैं जबकि बाबा लोग स्वार्थ को आगे करके चलते हैं स्वार्थी लोग बहुत विश्वसनीय नहीं होते इसलिए बाबाओं में मत फँसो  केवल संतों की शरण में जाओ see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_54.html


 'मैगी' बाबा जी की -'जहाँ बाबा वहाँ भरोस । बाकी सब जहरीला सबमें दोष ॥ " see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_61.html 


 आध्यात्मिक अनाथों की आस्था को भोग रहे हैं निरंकुश बाबा लोग !
     कंचन कामिनी और कीर्ति की कामना से सामाजिक कार्य करना भी संतों का काम नहीं हैं !क्योंकि ये काम वो गृहस्थी में रहकर भी कर सकते थे फिर यही काम करने के लिए साधू और संत बनने का दिखावा क्यों करना ?
       संतों का काम समाजहित के कार्यों को सुसंस्कार देकर समाज से कराना है न कि see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/11/blog-post_16.html

 शास्त्रीय नियम धर्म ढीले पड़ते ही कभी साईं घुस आए !तो कभी अन्य पाखंडी बाबा लोग !!
    पहले जब सब कुछ त्यागने का नाम संन्यास था तब साईं की हिम्मत नहीं पड़ी किन्तु जबसे सब कुछ  भोगने का भाव हाईटेक संन्यासियों का बनने लगा तब से साईं घुस आए !
    साईं संकट तैयार ही आखिर क्यों हुआ ? जब किसी ऐरे गैरे बाबा को पकड़कर सनातन धर्मियों का भगवान बनाने की कोशिश की गई हो इसके इतने वर्षों बाद भी हमारे धर्माचार्यों का एक बहुत see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_88.html
  
 हमें यदि ऐसे बुड्ढे और बुढ़ियाँ ही पूजनी होंगी तो साईं और राधे माँ जैसे ही क्यों ? हम तो अपने माता पिता तथा पूर्वजों एवं पितरों को पूजेंगे !!
     हिन्दुओं के यहाँ भगवानों की कोई वैकेंसी खाली नहीं है !फिर साईं हों या अराधे माँ ,या कोई और तमाशा राम, किंतु किसी को क्या लेना देना !
    जहाँ साईं को भर्ती कर लिया जाए !भगवान बनाकर पूजने की लिस्ट में साईं का कहीं नंबर ही नहीं है !
और राधे माँ सबसे अधिक देवी देवता हिन्दुओं में ही हैं, इसलिए  साईं को कृपा करके उन धर्मों पर थोपा see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/07/blog-post_20.html


 साधू संत तो शांत हैं किन्तु अब बाबाओं में हड़कम्प मचा है !
बाबाओं बबाइनों पर कानूनी शिकंजा कसते ही पाखंडियों में खलभली मची है !
 धनवान योगी,व्यापार करने वाला  साधू तथा संतानवाले  ब्रह्मचारी का कितना विश्वास !
    जहाँ  माया मोह छोड़ने की कसम खाने वाले बाबा हजारों करोड़ के मालिक हों फिर भी वो ये न मानते हों कि वो काले धन से धनी हैं साधू के पास अच्छा धन तो हो ही नहीं सकता क्योंकि साधू के लिए व्यापार वर्जित है और बिना व्यापार धन आएगा कहाँ से !वैसे भी साधुओं के लिए धन संग्रह का निषेध है फिर भी जो लोग इस  शास्त्रीय संविधान को नहीं मानते उन साधुओं का सारा धन  ही काला धन होता है और ऐसे काले धन से धनी बाबा लोग धन की धमक के बल पर see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/05/blog-post_27.html


 पैसे और प्रभाव के बल पर शास्त्रीय साधू संतों को पछाड़ देने की होड़ अशास्त्रीय साधुओं में !
बिगड़ता वैराग्य एवं शिथिल पड़ती धर्मशास्त्रीय  परम्पराएँ  
    आश्रमों में रहने की परंपरा भारत वर्ष में युगों युगों पुरानी है।पहले लोग भगवान का भजन करने के लिए समस्त विषय बसनाओं एवं भोग सामग्रियों से  दूर रहकर वैराग्य पूर्ण जीवन जीते थे।किसी भी व्यक्ति का श्रृंगार उसके मन की बासना के स्तर को प्रकट करता है। सामान्य  श्रृंगार का मतलब सामान्य बासना,विशेष श्रृंगार का  मतलब विशेष बासना एवं अत्यधिक श्रृंगार का मतलब अत्यधिक बासना होता है।ब्यूटीपार्लरों में स्त्री पुरुषों की  होने वाली पेंट पोताई इसी see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/06/blog-post_6671.html


 टेलीवेजनी बाबाओं,ज्योतिषियों ,तांत्रिकों की अशास्त्रीय बकवास का टीवी चैनलों पर महिमा मंडन बंद करे मीडिया ! see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_14.html 

 हिंदू धर्म केवल वेषभूषा ही नहीं है अपितु आचार व्यवहार भी है!
सीता हरण हमारी संत स्वरूप निष्ठा का ही दुखद परिणाम था !अन्यथा सीता जी कुटिया के बाहर नहीं भी आ सकती थीं !
     जिसने अपने को जो कुछ घोषित किया है और यदि वो नहीं हैं उसके अलावा बहुत कुछ है तो वो बेकार है किसान तक जो फसल बोते हैं वही पौधे खेत में रहने देते हैं बाकी अच्छे पौधे भी निराई कराकर हटा देते हैं भले वो बहुमूल्य ही क्यों न see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/04/blog-post_22.html

 ऐसे बाबाओं के ब्यभिचार और ब्यापार में साथ देने वाला समाज कितना निर्दोष है ?
    जो बाबा ब्यभिचारी हैं वो समाज के सहयोग से ऐसे हुए हैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने के लिए धन देने वालों ने धन दिया,मन देने वालों ने मन दिया तन देने वालों ने तन दिया कुछ लोगों ने तो जीवन ही दे दिया है ये सच्चाई है फिर भी  दोष केवल बाबाओं का ही है क्या?
    माना कि योग बहुत अच्छी एवं भारत की अत्यंत प्राचीन विद्या है किंतु कलियुग में कुछ see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2013/10/blog-post_10.html

साधू संतों को यदि सामाजिक कार्य या व्यापार ही करने थे तो घर गृहस्थी क्या बुरी थी ! वहाँ भी तो किए जा सकते थे सामाजिक कार्य !
     साधू संतों का सम्मान सनातन धर्म में सबसे ऊपर है भगवन श्री राम, श्री कृष्ण आदि ने भी संतों की अमित महिमा बताई है अतएव साधू संतों के गौरव को घटने का मतलब है धर्म का गौरव घटना इसलिए साधू संतों केsee more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/04/blog-post_12.html 

Tuesday, 11 August 2015

योगेंद्र यादव की मदद करने के लिए मचल रहा है केजरीवाल का मन !

 योगेंद्र से ज्यादती का केजरीवाल ने भी किया विरोध -एक खबर
केजरीवालजी की स्थिति-"नाच न आवे आँगन टेढ़ा !"

   बंधुओ !योगेंद्र जी से केजरीवाल जी को अब इतनी सहानुभूति क्यों हो रही है उन्हें समाज को भ्रमित नहीं करना चाहिए !

बंधुओ ! अरविन्द जी का लक्ष्य तो योगेंद्र जी का पक्ष लेना नहीं अपितु पुलिस का विरोध करना है उसका बहाना  केंद्र बने या महिला सुरक्षा या गजेंद्र जी की दुखद मौत या और कुछ हो !उन्हें तो पुलिस के बहाने केंद्र सरकार को ही बदनाम करने में मजा आता है और वही वो कर रहे हैं !जनता उनकी इस प्रवृत्ति से तंग आ चुकी है उनके किसी भी आचार  व्यवहार से आम आदमियत दूर दूर तक नहीं झलक रही है और न ही कानून व्यवस्था में ही कोई बदलाव आया है ऑटो वाले तक मीटर से जाने को तैयार नहीं होते हैं
      फिर भी केजरीवाल जी का नारा है "वो हमें परेशान करते रहे ,हम काम करते रहे "किंतु पता ये नहीं चल पा रहा है कि केंद्र सरकार को बदनाम करने के अलावा केजरीवाल जी काम क्या करते रहे ! पानी शुद्ध नहीं हैं सरकारी आफिस हों या स्कूल पहले के जैसे ही चल रहे हैं परिवर्तन आखिर हुआ कहाँ है अगर किसी एक आदमी की बचपन से आने वाली खाँसी ठीक हो गई तो इसका मतलब ये तो कतई नहीं है कि दिल्ली ठीक हो गई ! स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट कितना भी बढ़ा लिया गया हो किन्तु खाँसी दिल्ली में नहीं ठीक हो सकी इसका मतलब दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाएँ विश्वसनीय नहीं थीं तब तो बहार जाकर कराया गया इलाज !
  इसलिए उनका अब ये नारा होना चाहिए था कि देश विदेश में घूम घूम कर"मोदी जी काम करते रहे फिर भी हम उन्हें बदनाम करते रहे !"
     केंद्र सरकार को बदनाम करने के लिए बाकायदा बजट पास किया गया ! आखिर इससे जनता का क्या लाभ हुआ क्या इससे जनहित के जरूरी काम नहीं किए जा सकते थे ! 

Sunday, 2 August 2015

राजनैतिक महापुरुषों को बेतन की भी परवाह होती है क्या ?

नेताओं को काम करने पर ही मिले वेतन!- एक खबर
     किंतु ये बात ऐसे कही जा रही है जैसे नेताओं के घर के चूल्हे इसी छोटे से बेतन के भरोसे जलते हैं और बेतन नहीं मिलेगा तो ये भूखों मरने लगेंगे ! अरे ! लोकतान्त्रिक कल्पवृक्ष की छाँव में बैठे राजनेताओं  को बेतन लेने की याद कब रहती होगी ! राजनीति में प्रवेश करते समय कौड़ी कौड़ी के लिए मोहताज लोग आज करोड़ों अरबोंपति बने बैठे हैं क्या केवल बेतन के बल पर है वर्तमान वैभव ! और यदि हाँ तो राजनीति में प्रवेश करते समय से लेकर आज तक की आमदनी की जाँच कराकर  तौल ली जाए उनकी वर्तमान आर्थिक हैसियत !सारा दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ! इनके अनाप शनाप खर्चे और  इनकी अकूत संपत्तियाँ ऊपर से आराम पसंद जीवन और फुलटाइम की राजनीति में धंधा व्यापार संभव ही नहीं होता है फिर भी धन दिन दूना रात चौगुना बढ़ता चला जा रहा  हो ! ऐसे महापुरुषों के लिए काम करने पर वेतन मिलने की बात कहना कितना न्यायोचित है !

इसी विषय में पढ़िए मेरा ये लेख -

लोकतंत्र या नेता नेतातंत्र ? भारत में आज सारे अधिकार नेताओं के पास हैं यदि लोकतंत्र होता तो अधिकार जनता के पास होते !see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2015/07/blog-post_15.html

  • धर्म :-
धर्मशास्त्र , जातिविज्ञान, रामायण  ,भागवत ,वेद ,पुराण ,योग , पूजाविधि ,तंत्र मंत्र यंत्र ,शिष्टाचार ,परंपराएँ
  • धर्म और पाखंड
  • ज्योतिष विज्ञान :-
जन्मपत्री विज्ञान
रोग विज्ञान
विवाह मिलान
प्रेम वा प्रेम विवाह विज्ञान
संतान विज्ञान
व्यापार विज्ञान
नाम विज्ञान
उपाय विज्ञान
स्वप्न विज्ञान
शकुन विज्ञान
समाज विज्ञान
बाजार भाव विज्ञान
राजनीति विज्ञान
सामुद्रिकविज्ञान
आकृति विज्ञान
  • वास्तु विज्ञान 
भूमिभवन सुख योग
दिशा विज्ञान
देश विज्ञान
भूखंड विज्ञान
वृक्ष विज्ञान
जल विज्ञान

  • मौसम विज्ञान,
भूकंप विज्ञान
वर्षा विज्ञान
तूफान विज्ञान
कृषि विज्ञान
  
  • राजनीति और समाज

Monday, 27 July 2015

मोदी से सत्ता छीनने पर उतारू है विपक्ष !अन्यथा चर्चा में चिंतन क्यों नहीं झलकता !

     काँग्रेस और केजरीवाल केंद्र सरकार को बदनाम करने की हठ पकड़े हुए हैं फिर भी मोदी जी जितना काम कर ले रहे हैं वो हिम्मत की बात है !
        मोदी जी और कुछ करते हों न करते हों किंतु चैन से बैठे तो नहीं हैं कुछ करते दिख तो रहे हैं !
  पहले की सरकारों में आम जनता को तो पता ही नहीं लगता था कि मालिक लोग देश के विषय में क्या फैसला ले रहे हैं !केवल सोनियाँ जी राहुल जी को बताया जाता था देश की जनता तो केवल सुनने और सहने के लिए थी अब देशवासियों को भी पता लग रहा है !
    मोदी जी कहाँ जा रहे हैं   किस काम के लिए जा रहे हैं किससे किससे मिलना है क्या क्या बात करनी है इसके बाद किस किस से मिलकर क्या बात हुई उससे क्या लाभ हानि होने की संभावना है आदि बातों का हिसाब किताब वो जनता तक पहुँचाते हैं जनता की भावनाओं से इतना जुड़ते हैं कि जनता के सुख दुःख में जनता के साथ इतना घुलमिलकर रहते हैं कि तुरंत न केवल जनभावनाओं के अनुशार एक्टिव हो जाते हैं अपितु इतनी शीघ्र प्रतिक्रिया देकर समाज को बता देते हैं देशवासियो ! तुम घबड़ाना नहीं हम तुम्हारे साथ हैं तुम्हारी पीड़ा हम तक पहुँच चुकी है तुम जैसा चाह रहे हो वैसा ही होगा तुम्हारा मोदी see more...http://sahjchintan.blogspot.in/2015/05/blog-post_21.html