हिन्दुस्तान -हमारे देश का नाम यदि हिन्दुस्तान न पड़ा होता तो यह देश न इतने दिन परतंत्र रहता और न ही टुकड़े होते !सनातन धर्मियों को हिंदू ,भारत को हिंदुस्तान ,रत्नाकर समुद्र को हिन्द महासागर तथा पारियात्र पर्वत को हिंदूकुश एवं 'संस्कृतजा' को हिंदी नाम से पुकारने वाले अपने उद्देश्य में सफल होगए यदि ऐसा न हुआ होता तो भारत कभी परतंत्र हो ही नहीं सकता था और न हिन्दू डरपोक होता न हिंदी उपेक्षित रही होती !तथा भारत टुकड़ों में विभाजित न हुआ होता !भारतीय शास्त्रों को पढ़कर अलबरूनी जैसे लोगों के द्वारा रचा गया यह खेल सफल हो गया !
इंडिया - डा॰ एडवर्ड सी॰ सखाउ जैसे लोगों के हाथ भारतीय विद्याएँ लग जाने के दुष्परिणाम से हमारे देश इण्डिया और हम इंडियन कहलाते हुए शौक से परतंत्र हो गए ! इंडिया बनकर हमें उनके सामने झुकना पड़ा भारत रह कर हम जिन्हें अपने कदमों पर झुकाया करते थे !
सर और मैडम - शिक्षक शिक्षिकाओं को सर और मैडम कहने समाप्त हो गया शिक्षकों का सम्मान !ऐसे और भी बहुत सारे रहस्य समेटे हुए है हमारीपुस्तक'वर्णविज्ञान'! विशेष बात-किस अक्षर से नाम वाला कौन स्त्री या पुरुष किस नाम वाले स्त्री या पुरुष के सामने पड़ेगा तो उसके प्रति उसका चिंतन व्यवहार आदि किस प्रकार से बदलने लगता है इसका अध्ययन ही हमारी वर्ण विज्ञान में है ! किस नाम वाला व्यक्ति किस नाम के देश या शहर में रहेगा तो उसे कैसा अनुभव होगा ?
किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्ति से मिलेगा तो उन दोनों की एक दूसरे के प्रति सोच कैसी बनेगी ?
फीस जमा करवा कर हमारे साथ अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं
फीस प्रत्येक वर्ण पर RS . 1100 Note... फ़ीस जमा करने के बाद हमें अपना प्रश्न हमारे जीमेल पर डाल सकते हैं जैसे किन्हीं दो लोगों के आपस में संबंध कैसे रहेंगे ये जानना है तो 1100 +1100 = 2200 RS जमा करना होगा ऐसे ही अधिक के लिए अधिक अर्थात प्रत्येक के लिए अलग अलग फीस जमा करनी होगी !
MO . 9811226973 ,9811226983
वर्ण वैज्ञानिक और समय वैज्ञानिक के रूप में मेरी अपनी पहचान है मैंने भी काशी हिंदू विश्व विद्यालय से इसी विषय में Ph.D.की है इसलिए ये प्रश्न हमसे भी पूछा जाने लगा कि 2019 के चुनावों में किस गठबंधन की विजय होगी और अगला प्रधान मंत्री बनेगा कौन ?इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए हमारे पास दो रास्ते ही थे या तो सभी नेताओं का जन्म समय लिया जाता और उस पर मंथन करके रिसर्च पूर्वक अगला प्रधानमन्त्री कौन बनेगा इसका पूर्वानुमान लगाया जाता !किंतु ये काम बहुत कठिन था क्योंकि दिन भर झूठ बोलने वाले नेता लोग हमें अपना समय सही कैसे बता देते !और किसी एक का भी जन्म समय गड़बड़ाते ही हमारा सारा रिसर्च बेकार हो जाता तो मैंने जन्म समय का सहारा ही नहीं लिया ! दूसरा रास्ता हमारे पास था नेताओं के नाम के पहले अक्षर का इसके आधार पर भी हम भावी प्रधानमंत्री के नाम का पूर्वानुमान लगा सकते थे मैंने इसी पर अपना रिसर्च प्रारंभ कर दिया वो रिसर्च इतना बड़ा हुआ कि मुझे इस प्रश्न का उत्तर खोजते खोजते एक पुस्तक तैयार कर देनी पड़ी जिसका नाम रखा 'वर्णविज्ञान' !
वर्ण का अर्थ होता है अक्षर इसलिए इसे 'अक्षर विज्ञान' भी कह सकते हैं लेकिन मैंने नाम 'वर्णविज्ञान' ही रखा है !अक्षरों में इतना बड़ा विज्ञान छिपा है मुझे इसका अनुभव इस रिसर्च काल में हुआ !यह रिसर्च मैंने तो भावी प्रधान मंत्री का नाम खोजने के लिए किया था किंतु इसमें बहुत सारे रहस्य खुले जिन्हें मैं क्रमशः यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ !आप भी पढ़ते रहिए बहुत काम की बात है !राजनीति तो दूसरी बात है जब मुझे पता लगा कि नाम के पहले अक्षर के कारण घरों में कलह होता है पति पत्नी में तनाव बढ़ता है बड़ी बड़ी नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं ! दो मित्रों में टकराव हो जाता है दो साझीदारों में मनमोटाव होजाता है लोग एक देश छोड़कर दूसरे देश में प्रान्त में या शहर में बसने के लिए मजबूर हो जाते हैं !बड़े बड़े उद्योग संस्थाएँ संगठन राजनैतिक दल सरकारें सरकारी कार्यालय और नेता लोग अपने अपने नाम के पहले अक्षर के कारण बन बिगड़ जाते हैं !कुल मिलाकर बहुत नई चीजें इस खोज से सामने निकल कर आईं !
हिंदू हिंदी हिंदुस्तान जैसे शब्दों का क्या रहस्य है !
दशवीं सदी में जिनकी साजिश से योजना बद्ध ढंग से हिंदी हिंदू हिंदुस्तान हिंदमहासागर और हिन्दुकुश जैसे नाम गढ़े गए !सनातन धर्मी इस चाल को समझ नहीं पाए और देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ता चला गया देश के टुकड़े होते चले गए ! योजना बद्ध ढंग से रत्नाकर समुद्र को हिंदमहासागर बना दिया गया पारियात्र पर्वत को हिन्दुकुश बता दिया गया !और भारत को हिंदुस्तान कह दिया गया !बाहत लोग आज तक इस गफलत में हैं कि सिंध शब्द से हिंद बना है क्योंकि ईरानी लोग स नहीं बोल पाते थे !किंतु यदि ऐसा होता तो वो संस्कृत को हंस्कृत तो नहीं कहते थे और सिंधी सिंध और सिंधु नदी का नाम तो आज भी वही चलता आ रहा है उसे तो नहीं बदला !यदि स अक्षर की समस्या होती तब तो उसे भी बदल डालते !इसका रहस्य जिस दिन खोला जाएगा उस दिन सच्चाई को बहुत लोग सह नहीं पाएँगे !जो बड़े गर्व से हिंदुत्व कहते हैं उन्हें उस दिन घोर पछतावा होगा !जो लोग कहते हैं गर्व से कहो हम हिंदू हैं !किंतु ये नहीं सोचते कि जब हम अपने को हिंदू कहने ही लगे तब गर्व करने लायक हमारे पास कुछ बचा ही कहाँ !अन्यथा सनातन धर्मियों और भारत की ओर आँख उठाकर देखने हिम्मत किसी की नहीं हुई !हम यदि हिंदी हिंदू हिंदुस्तान न बने होते तो अपना प्यारा भारत आज भी अखंड होता !
हमें हस्तिनापुर से सबक लेना चाहिए था !आसंदीवत राज्य में हाथियों की संख्या बढ़ गई तो उसे हस्तिना पुर कहा जाने लगा किंतु हस्तिनापुर बनने के बाद ये कई बार प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हुआ सात बार तो गंगा जी बहा ले गेन एक बार बलराम जीने हल से कहीं लिया था डुबाते डुबाते छोड़ा था! यही दुर्दशा आर्यावर्त को हिन्दुस्तान बना देने से हुई है !ऐसे बड़े सारे उदाहरण हैं !मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्द विदेशियों के द्वारा हमें पहनाए गए हैं हम इतने दीन हीन हैं कि भारतीय भाषाओँ में हम अपना नाम नहीं रख सके !हम क्या हैं ये हमें वे हमलावर सिखा कर चले गए और हम अपने उन्नत इतिहास को भूल गए !भारत सरकार चाहे तो इस भूलसुधार के लिए हम अपनी वर्ण वैज्ञानिक सेवाएँ उपलब्ध करवाने को तैयार हैं!
कुलमिलाकर जिस व्यक्ति के नाम का जो पहला अक्षर होता है वही उसका अपना अक्षर होता है इस दृष्टि से अ अक्षर वाले किसी व्यक्ति के सामने जब कोई दूसरा अ अक्षर वाला व्यक्ति पहुँचता है बात व्यवहार करता है या एक दूसरे के साथ काम करता है तो उन दोनों पर इसका असर पारस्परिक अच्छा बुरा दोनों होता है !उसके आधार पर उन दोनों के आपसी संबंध बन बिगड़ जाते हैं !इसी प्रकार से अन्य अक्षर वाले लोगों के सामने अन्य अक्षर वाले लोगों के सामने किसी दूसरे अक्षर वाले व्यक्ति के आ जाने से एक दूसरे पर बहुत तेजी से असर पड़ता है !
अ अक्षर वाले व्यक्ति के सामने अ अक्षर वाले व्यक्ति के जाने से क्या होता है आप स्वयं देखिए -
अब पढ़िए वर्ण विज्ञान के और अनगिनत चमत्कार -
अब पढ़िए वर्ण विज्ञान के और अनगिनत चमत्कार -
संस्कृतसुता हिंदी भाषा होने के साथ साथ विज्ञान भी है इसके वर्णों का भगवान शंकर की डमरू के स्वरों से प्रादुर्भाव हुआ था इसलिए प्रत्येकवर्ण प्राण प्रतिष्ठित एवं सजीव है !
विज्ञान में प्रत्येक अक्षर का अलग अलग स्वभाव एवं प्रभाव होता है ! जिस व्यक्ति आदि का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है उस व्यक्ति का स्वभाव उस अक्षर की तरह ही बन जाता है !ऐसी परिस्थिति में जिस व्यक्ति से भी जिस स्त्री पुरुष का कोई भी कैसा भी संबंध बन चुका हो या बनना हो वो निभ पाएगा या नहीं और नहीं तो क्यों ? कोई संबंध निर्वाह करना आवश्यक ही हो तो इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे संबंधों को चलने के लिए किसको किसका क्या क्या सहना पड़ेगा ! इसके बाद उन संबंधों को प्रयास पूर्व आराम से चलाया जा सकता है !
भारत में प्राचीन काल में इसी वर्ण वैज्ञानक प्रक्रिया का परिपालन करते हुए लोग बड़े बड़े संयुक्त परिवार बनाते चले जाया करते थे किसी का किसी से कोई द्वेष वैमनस्य नहीं होता था !अब तो सब सबसे असंतुष्ट हैं इसलिए संयुक्त परिवार की बात क्या करें अब तो पति पत्नी की नहीं पट रही है प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को मार डालने पर उतारू हैं नाते रिस्तेदारी के संबंध निभाना तो दूर माँ बात से संबंधों का निर्वाह होना कठिन होता जा रहा है ऐसी परिस्थिति में वर्ण विज्ञान विषम से विषम परिस्थितियों में मानवता को जोड़ने और तनाव मुक्त करने में सहायक हो सकती है !
प्रत्येक अक्षर के परस्पर एक दूसरे अक्षर के साथ शत्रु मित्र सम आदि संबंध होते हैं ! अक्षरों में ऐसी आश्चर्यजनक सजीवता होते हुए भी वो अक्षरों में भले न दिखाई दे किंतु जब यही अक्षर किसी नाम में प्रयुक्त होते हैं तो नाम का जो पहला अक्षर होता है वो उस नाम वाले व्यक्ति का स्वभाव बदलकर अपने अनुशार कर लेता है ! ये अक्षर इतने अधिक सजीव संवेदनशील एवं प्रभावी होते हैं कि मनुष्यों की तो छोड़िए ये अक्षर देशों प्रदेशों जिलों ग्रंथों पंथों काव्यों फिल्मों संगठनों संस्थानों सरकारों एवं राजनैतिक दलों आदि के नाम के पहले अक्षर के कारण उनका भविष्य बना या बिगाड़ देते हैं !इन अक्षरों के कारण सरकारें गिर जाती हैं महा गठबंधन टूट जाते हैं राजनेताओं का भविष्य बन बिगड़ जाता है !घरों में कलह हो जाता है परिवार बिखर जाते हैं लोग मनोरोगी या तनाव ग्रस्त हो जाते हैं तलाक हो जाते हैं !कुछ नेता पार्टियों पर बोझ बन जाते हैं कुछ पर पार्टियाँ बोझ बन जाती हैं !प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को धोखा देते हैं !भाई भाई के संबंध बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
नाम का पहला अक्षर किसी को प्रभाववान तथा किसी को प्रभावशून्य बना देता है !अद्भुत चमत्कार है अक्षरों में बहुत शक्तिवान होता है नाम का पहला अक्षर !
इंडिया - डा॰ एडवर्ड सी॰ सखाउ जैसे लोगों के हाथ भारतीय विद्याएँ लग जाने के दुष्परिणाम से हमारे देश इण्डिया और हम इंडियन कहलाते हुए शौक से परतंत्र हो गए ! इंडिया बनकर हमें उनके सामने झुकना पड़ा भारत रह कर हम जिन्हें अपने कदमों पर झुकाया करते थे !
सर और मैडम - शिक्षक शिक्षिकाओं को सर और मैडम कहने समाप्त हो गया शिक्षकों का सम्मान !ऐसे और भी बहुत सारे रहस्य समेटे हुए है हमारीपुस्तक'वर्णविज्ञान'! विशेष बात-किस अक्षर से नाम वाला कौन स्त्री या पुरुष किस नाम वाले स्त्री या पुरुष के सामने पड़ेगा तो उसके प्रति उसका चिंतन व्यवहार आदि किस प्रकार से बदलने लगता है इसका अध्ययन ही हमारी वर्ण विज्ञान में है ! किस नाम वाला व्यक्ति किस नाम के देश या शहर में रहेगा तो उसे कैसा अनुभव होगा ?
किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्ति से मिलेगा तो उन दोनों की एक दूसरे के प्रति सोच कैसी बनेगी ?
फीस जमा करवा कर हमारे साथ अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं
फीस प्रत्येक वर्ण पर RS . 1100 Note... फ़ीस जमा करने के बाद हमें अपना प्रश्न हमारे जीमेल पर डाल सकते हैं जैसे किन्हीं दो लोगों के आपस में संबंध कैसे रहेंगे ये जानना है तो 1100 +1100 = 2200 RS जमा करना होगा ऐसे ही अधिक के लिए अधिक अर्थात प्रत्येक के लिए अलग अलग फीस जमा करनी होगी !
MO . 9811226973 ,9811226983
वर्ण वैज्ञानिक और समय वैज्ञानिक के रूप में मेरी अपनी पहचान है मैंने भी काशी हिंदू विश्व विद्यालय से इसी विषय में Ph.D.की है इसलिए ये प्रश्न हमसे भी पूछा जाने लगा कि 2019 के चुनावों में किस गठबंधन की विजय होगी और अगला प्रधान मंत्री बनेगा कौन ?इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए हमारे पास दो रास्ते ही थे या तो सभी नेताओं का जन्म समय लिया जाता और उस पर मंथन करके रिसर्च पूर्वक अगला प्रधानमन्त्री कौन बनेगा इसका पूर्वानुमान लगाया जाता !किंतु ये काम बहुत कठिन था क्योंकि दिन भर झूठ बोलने वाले नेता लोग हमें अपना समय सही कैसे बता देते !और किसी एक का भी जन्म समय गड़बड़ाते ही हमारा सारा रिसर्च बेकार हो जाता तो मैंने जन्म समय का सहारा ही नहीं लिया ! दूसरा रास्ता हमारे पास था नेताओं के नाम के पहले अक्षर का इसके आधार पर भी हम भावी प्रधानमंत्री के नाम का पूर्वानुमान लगा सकते थे मैंने इसी पर अपना रिसर्च प्रारंभ कर दिया वो रिसर्च इतना बड़ा हुआ कि मुझे इस प्रश्न का उत्तर खोजते खोजते एक पुस्तक तैयार कर देनी पड़ी जिसका नाम रखा 'वर्णविज्ञान' !
वर्ण का अर्थ होता है अक्षर इसलिए इसे 'अक्षर विज्ञान' भी कह सकते हैं लेकिन मैंने नाम 'वर्णविज्ञान' ही रखा है !अक्षरों में इतना बड़ा विज्ञान छिपा है मुझे इसका अनुभव इस रिसर्च काल में हुआ !यह रिसर्च मैंने तो भावी प्रधान मंत्री का नाम खोजने के लिए किया था किंतु इसमें बहुत सारे रहस्य खुले जिन्हें मैं क्रमशः यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ !आप भी पढ़ते रहिए बहुत काम की बात है !राजनीति तो दूसरी बात है जब मुझे पता लगा कि नाम के पहले अक्षर के कारण घरों में कलह होता है पति पत्नी में तनाव बढ़ता है बड़ी बड़ी नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं ! दो मित्रों में टकराव हो जाता है दो साझीदारों में मनमोटाव होजाता है लोग एक देश छोड़कर दूसरे देश में प्रान्त में या शहर में बसने के लिए मजबूर हो जाते हैं !बड़े बड़े उद्योग संस्थाएँ संगठन राजनैतिक दल सरकारें सरकारी कार्यालय और नेता लोग अपने अपने नाम के पहले अक्षर के कारण बन बिगड़ जाते हैं !कुल मिलाकर बहुत नई चीजें इस खोज से सामने निकल कर आईं !
हिंदू हिंदी हिंदुस्तान जैसे शब्दों का क्या रहस्य है !
दशवीं सदी में जिनकी साजिश से योजना बद्ध ढंग से हिंदी हिंदू हिंदुस्तान हिंदमहासागर और हिन्दुकुश जैसे नाम गढ़े गए !सनातन धर्मी इस चाल को समझ नहीं पाए और देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ता चला गया देश के टुकड़े होते चले गए ! योजना बद्ध ढंग से रत्नाकर समुद्र को हिंदमहासागर बना दिया गया पारियात्र पर्वत को हिन्दुकुश बता दिया गया !और भारत को हिंदुस्तान कह दिया गया !बाहत लोग आज तक इस गफलत में हैं कि सिंध शब्द से हिंद बना है क्योंकि ईरानी लोग स नहीं बोल पाते थे !किंतु यदि ऐसा होता तो वो संस्कृत को हंस्कृत तो नहीं कहते थे और सिंधी सिंध और सिंधु नदी का नाम तो आज भी वही चलता आ रहा है उसे तो नहीं बदला !यदि स अक्षर की समस्या होती तब तो उसे भी बदल डालते !इसका रहस्य जिस दिन खोला जाएगा उस दिन सच्चाई को बहुत लोग सह नहीं पाएँगे !जो बड़े गर्व से हिंदुत्व कहते हैं उन्हें उस दिन घोर पछतावा होगा !जो लोग कहते हैं गर्व से कहो हम हिंदू हैं !किंतु ये नहीं सोचते कि जब हम अपने को हिंदू कहने ही लगे तब गर्व करने लायक हमारे पास कुछ बचा ही कहाँ !अन्यथा सनातन धर्मियों और भारत की ओर आँख उठाकर देखने हिम्मत किसी की नहीं हुई !हम यदि हिंदी हिंदू हिंदुस्तान न बने होते तो अपना प्यारा भारत आज भी अखंड होता !
हमें हस्तिनापुर से सबक लेना चाहिए था !आसंदीवत राज्य में हाथियों की संख्या बढ़ गई तो उसे हस्तिना पुर कहा जाने लगा किंतु हस्तिनापुर बनने के बाद ये कई बार प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हुआ सात बार तो गंगा जी बहा ले गेन एक बार बलराम जीने हल से कहीं लिया था डुबाते डुबाते छोड़ा था! यही दुर्दशा आर्यावर्त को हिन्दुस्तान बना देने से हुई है !ऐसे बड़े सारे उदाहरण हैं !मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि हिंदी हिंदू हिंदुस्तान जैसे शब्द विदेशियों के द्वारा हमें पहनाए गए हैं हम इतने दीन हीन हैं कि भारतीय भाषाओँ में हम अपना नाम नहीं रख सके !हम क्या हैं ये हमें वे हमलावर सिखा कर चले गए और हम अपने उन्नत इतिहास को भूल गए !भारत सरकार चाहे तो इस भूलसुधार के लिए हम अपनी वर्ण वैज्ञानिक सेवाएँ उपलब्ध करवाने को तैयार हैं!
कुलमिलाकर जिस व्यक्ति के नाम का जो पहला अक्षर होता है वही उसका अपना अक्षर होता है इस दृष्टि से अ अक्षर वाले किसी व्यक्ति के सामने जब कोई दूसरा अ अक्षर वाला व्यक्ति पहुँचता है बात व्यवहार करता है या एक दूसरे के साथ काम करता है तो उन दोनों पर इसका असर पारस्परिक अच्छा बुरा दोनों होता है !उसके आधार पर उन दोनों के आपसी संबंध बन बिगड़ जाते हैं !इसी प्रकार से अन्य अक्षर वाले लोगों के सामने अन्य अक्षर वाले लोगों के सामने किसी दूसरे अक्षर वाले व्यक्ति के आ जाने से एक दूसरे पर बहुत तेजी से असर पड़ता है !
अ अक्षर वाले व्यक्ति के सामने अ अक्षर वाले व्यक्ति के जाने से क्या होता है आप स्वयं देखिए -
अब पढ़िए वर्ण विज्ञान के और अनगिनत चमत्कार -
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संस्कृतसुता हिंदी भाषा होने के साथ साथ विज्ञान भी है इसके वर्णों का भगवान शंकर की डमरू के स्वरों से प्रादुर्भाव हुआ था इसलिए प्रत्येकवर्ण प्राण प्रतिष्ठित एवं सजीव है !
विज्ञान में प्रत्येक अक्षर का अलग अलग स्वभाव एवं प्रभाव होता है ! जिस व्यक्ति आदि का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है उस व्यक्ति का स्वभाव उस अक्षर की तरह ही बन जाता है !ऐसी परिस्थिति में जिस व्यक्ति से भी जिस स्त्री पुरुष का कोई भी कैसा भी संबंध बन चुका हो या बनना हो वो निभ पाएगा या नहीं और नहीं तो क्यों ? कोई संबंध निर्वाह करना आवश्यक ही हो तो इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे संबंधों को चलने के लिए किसको किसका क्या क्या सहना पड़ेगा ! इसके बाद उन संबंधों को प्रयास पूर्व आराम से चलाया जा सकता है !
भारत में प्राचीन काल में इसी वर्ण वैज्ञानक प्रक्रिया का परिपालन करते हुए लोग बड़े बड़े संयुक्त परिवार बनाते चले जाया करते थे किसी का किसी से कोई द्वेष वैमनस्य नहीं होता था !अब तो सब सबसे असंतुष्ट हैं इसलिए संयुक्त परिवार की बात क्या करें अब तो पति पत्नी की नहीं पट रही है प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को मार डालने पर उतारू हैं नाते रिस्तेदारी के संबंध निभाना तो दूर माँ बात से संबंधों का निर्वाह होना कठिन होता जा रहा है ऐसी परिस्थिति में वर्ण विज्ञान विषम से विषम परिस्थितियों में मानवता को जोड़ने और तनाव मुक्त करने में सहायक हो सकती है !
प्रत्येक अक्षर के परस्पर एक दूसरे अक्षर के साथ शत्रु मित्र सम आदि संबंध होते हैं ! अक्षरों में ऐसी आश्चर्यजनक सजीवता होते हुए भी वो अक्षरों में भले न दिखाई दे किंतु जब यही अक्षर किसी नाम में प्रयुक्त होते हैं तो नाम का जो पहला अक्षर होता है वो उस नाम वाले व्यक्ति का स्वभाव बदलकर अपने अनुशार कर लेता है ! ये अक्षर इतने अधिक सजीव संवेदनशील एवं प्रभावी होते हैं कि मनुष्यों की तो छोड़िए ये अक्षर देशों प्रदेशों जिलों ग्रंथों पंथों काव्यों फिल्मों संगठनों संस्थानों सरकारों एवं राजनैतिक दलों आदि के नाम के पहले अक्षर के कारण उनका भविष्य बना या बिगाड़ देते हैं !इन अक्षरों के कारण सरकारें गिर जाती हैं महा गठबंधन टूट जाते हैं राजनेताओं का भविष्य बन बिगड़ जाता है !घरों में कलह हो जाता है परिवार बिखर जाते हैं लोग मनोरोगी या तनाव ग्रस्त हो जाते हैं तलाक हो जाते हैं !कुछ नेता पार्टियों पर बोझ बन जाते हैं कुछ पर पार्टियाँ बोझ बन जाती हैं !प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को धोखा देते हैं !भाई भाई के संबंध बिगड़ जाते हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
नाम का पहला अक्षर किसी को प्रभाववान तथा किसी को प्रभावशून्य बना देता है !अद्भुत चमत्कार है अक्षरों में बहुत शक्तिवान होता है नाम का पहला अक्षर !
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