Monday, 21 October 2019

भाजपा सारे देश में चुनाव जीतकर भी हार जाती है दिल्ली विधानसभा चुनाव !जानिए क्यों ?

निगमपार्षदों के  भ्रष्टाचार और निगम के भ्रष्टाचारी अफसरों की भ्रष्ट कार्यशैली पर दिल्ली के निगम पार्षदों की भूमिका क्या है ?बस यही न ..... 
                                       मोदी मोदी जपना |
                                      पराया माल अपना || 
       भाजपा की सरकार दिल्ली में कभी नहीं बनने देंगे भाजपा के कुछ निगम पार्षद !उन्हें पता है कि सरकार बनते ही यदि पार्टी का कोई ईमानदार व्यक्ति मुख्यमंत्री बन गया तो उनकी दलाली बंद हो जाएगी !
     दिल्ली में कुछ निगमपार्षद  पार्षदी भूलकर EDMC के दलालों की तरह काम करते देखे जा रहे हैं ! जनता से हफ़्ता वसूलते हैं लोगों के पास पैसे माँगने के लिए पहले अपने गुर्गे भेजते हैं यदि वो व्यक्ति पैसे नहीं देता है तो बाद में उसके यहाँ ऊटपटाँग नोटिश बनवाकर निगम के जेई एई आदि पिट्ठुओं को भेज देते हैं !जो वहाँ जाकर उन्हें अपराधियों की तरह खूब डराते धमकाते हैं उसके खून पसीने की गाढ़ी कमाई से एक एक पाई जोड़कर बनाए गए मकान दूकान आदि की कभी ये दीवाल तोड़ देने को कहते हैं कभी वो दीवार तोड़ देने की धमकी देते हैं ये निरंकुश निगमपार्षदों से प्रोत्साहित सरकारी भ्रष्ट एवं समाज शत्रु लोग कभी कभी तो घर गिरा देने तक की धमकियाँ देने लगते हैं इनके आतंकवाद से परेशान  होकर वो बेचारा घबड़ाकर निगम पार्षद के पास जाता है तब पार्षद अपनी दलाली सेट करना शुरू करता है कहता है कि कानून के अनुशार तो यही होगा फिर भी मैं बात कर लेता हूँ | सारा जाल तो उसी पार्षद का बना हुआ होता है जो उसने फिरौती माँगने के लिए रचा होता है इसलिए वो यहीं दलाली शुरू कर देता है | खुद भी पैसे लेता है उनको भी दिलवाता है |सरकारों की नाक के नीचे खुले आम ये खेल चलाया जा रहा है |इनके अत्याचारों से पीड़ित कोई व्यक्ति इन्हें घूस देकर भी मुख नहीं खोलता है वो जानता है कि लुटेरे कल ही कोई नोटिश बनवाकर फिर वही नाटक शुरू कर देंगे !        
       ये बिल्कुल उस प्रकार की घटना होती है जैसे किसी बलात्कारी की गलत इच्छाओं को न मानने वाली स्त्री के सामने कोई बदमाश उसी स्त्री के बच्चे को लाकर उसे मार देने की धमकी देने लगता हो कि यदि तुम मेरे साथ संसर्ग नहीं करोगे तो मैं तुम्हारे बच्चे को मार दूँगा !बच्चे के मोह में पड़कर वो स्त्री उस अपराधी की गलत बात भी मानने के लिए विवश हो जाती है और वह अपराधी बलात्कार करने में सफल हो जाता है उस तरह से निगम के अधिकारी कर्मचारी डरा धमका कर लोगों से पैसे वसूलते देखे जाते हैं इसके बाद भी लोग उनके विरुद्ध आवाज इसलिए नहीं उठाते हैं कि ये हमारा घर न गिरा दें ये खुली गुंडागर्दी सरकारी कामकाज के नाम पर करते घूम रहे हैं निगम के कुछ अधिकारी कर्मचारी एवं पार्षद लोग !दिल्ली में अभी तक किए गए सभी प्रकार के अवैधनिर्माण एवं लगाए गए अवैधमोबाईल टॉवर इस बात के  ज्वलंत प्रमाण हैं अन्यथा जो निगमकर्मी अवैधकाम काज रोकने के लिए सरकार से सैलरी लेते रहे उन्होंने ही घूसलेकर अवैधकाम काज होने दिए ऐसे गैरकानूनी कामकाज के लिए संपूर्ण रूप से दोषी वे लोग ही हैं ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही न करने के लिए सरकारें दोषी हैं |

       जनता जिननिगमपार्षदों को अपने प्रतिनिधि के रूप में अपने सेवाकार्यों के लिए चुनकर भेजती है कि ये हमारा काम करेंगे वे  निगम पार्षद लोग भी कमीशन के लालच में उन्हीं लोगों के सामने दुम हिलाने लगते हैं जिनके अत्याचारों से बचाने के लिए जनता उन्हें चुनकर भेजती है ऐसे भ्रष्टलोग पार्षद कम अपितु दलाल अधिक होते जा रहे हैं |
    सरकारों एवं राजनैतिक दलों के लिए यह देखने वाली बात है कि निगमपार्षद अधिकारियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाते हैं या उन्हीं भ्रष्ट अफसरों  के साथ मिलकर दिल्ली की जनता का आर्थिक शोषण करते और होने देते हैं ?
     नरेंद्रमोदी सरकार
दिल्ली के विकास के लिए एवं दिल्ली वासियों का विश्वास जीतने के लिए ईमानदारी पूर्वक बहुत अच्छे अच्छे कार्य करती है भ्रष्टाचारी अफसरों पर अंकुश लगाती है तो दिल्ली की जनता भी उनकी सेवा से प्रसन्न होकर दिल्ली की सात में से सातों सीटें भाजपा को देती है !वहीँ निगम पार्षद भ्रष्टाचारी अफसरों को गले लगाते हैं दिल्ली की जनता का शोषण करने में उनका साथ देते हैं  इसलिए दिल्ली के विधान सभा चुनावों में दिल्ली की जनता 70 में से तीन सीटें देती है|इसलिए दिल्ली भाजपा चाहे तो अपने ही केंद्रीय नेतृत्व से बहुत कुछ सीख सकती है |आम आदमी पार्टी की निंदा में जो ऊर्जा लगाई जाती है उतनी ऊर्जा में यदि अपने पार्षदों के काम काज की ईमानदारी से देखरेख की जाती तो दिल्ली में भी सत्ता के शिखर पर पहुँच सकती थी भाजपा !किंतु वर्तमान निगमपार्षदों के कामकाज की शैली देखकर भाजपा के लिए अभी भी कठिन दिखता है दिल्ली विधान सभा का आगामी चुनाव !
    भाजपा सारे देश की विधान सभाओं के चुनाव जीतते हुए अत्यंत उत्साह में दिल्ली पहुँचती है विजय के उत्साह में भाजपा का चेहरा दमक रहा होता है ऐसे समय में दिल्ली भाजपा अपने अच्छे कामों एवं विधान सभा चुनावों में विजय दिलाकर अपनी पार्टी में देदीप्यमान मस्तक में मुकुट बाँधने का काम कर सकती है किंतु दिल्ली भाजपा के पार्षदों के व्यक्तिगत स्वार्थ एवं भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण मुकुट बाँधना तो दूर अपितु दिल्ली के विधान सभा चुनावों में कालिखपोत कर भेज दिया जाता है|जनता की सेवा में ईमानदारी और परिश्रम पूर्वक दिनरात लगे रहने वाले केंद्रीय नेतृत्व को दिल्ली विधान सभा के चुनावों के बाद निरुत्तर होना पड़ता है जो  उनकी कर्मठता एवं ईमानदारी के साथ अन्याय है ये उनकी कर्मनिष्ठा का अपमान है | पार्षद ईमानदार आचरण अपनाते नहीं हैं जनता हर बार सबक सिखाकर भेज देती है | कर्मों का फल तो हर किसी को भोगना पड़ता है | ये पब्लिक है सब कुछ जानती है ये भ्रष्टाचारियों को माफ नहीं करती है और ईमानदार नेतृत्व का सम्मान करती है |
       इनमें से सारी  बातें सुनी सुनाई नहीं हैं कुछ जनता के अनुभव से जुड़ी हुई  हैं ऐसा ही एक अनुभव पूर्वी दिल्ली का है एक फ्लोर सन 2009 से सील्ड पड़ा हुआ था सन 2017 में उसकी सील तोड़कर किराए पर उठा दिया गया फिर जून 2018 में सील तोड़ने की एफआईआर करने के बजाए उसे 24 घंटे के अंदर दोबारा सील करने के लिए नोटिश जारी किया गया किंतु 4 महीने बाद भी सील नहीं किया गया |उसमें रहने वाले किराएदार से व्यक्तिगत वार्तालाप में उसने कहा कि सील तोड़कर रहने के लिए ढाई लाख में सौदा तय हुआ था दो लाख तो तभी दे दिए गए थे पचास हजार रह गए थे उसके लिए नोटिश निकाला गया था किंतु अब पैसे पहुँचा दिए गए हैं इसलिए अब सील नहीं होगा और ऐसा हुआ भी !उसने जून के महीने में दिया गया नोटिश दिखाया भी जिसमें रिसील करने के लिए 24 घंटे के अंदर खाली करने का आदेश दिया गया है किंतु चार महीने बाद भी सील नहीं किया गया तो उसकी बताई हुई बात हमें भी सही लगने लगी !
    एक पत्रकार से बात हुई तो उसने बताया कि पार्षद लोग नोटिश निकलवाते ही डरा धमका कर पैसे वसूलने के लिए हैं अन्यथा जिसने सील तोड़ी है उसके विरुद्ध FIR की जाती है किंतु ये लोग घूस लेकर वो नोटिश फाड़कर फेंक देते हैं इनसे कोई पूछने वाला नहीं होता है कि आप जनता पर ऐसा अत्याचार क्यों करते हो तुम उस संघ के स्वयं सेवक रहे हो जिसकी ईमानदारी पारदर्शिता आदि गुणों से विश्व का बौद्धिक समुदाय प्रभावित होता है जो प्राकृतिक आपदाओं के समय अपने जेब से पैसे खर्च करके भी समाज की मदद करने में लग जाते हैं यह सुन कर पार्षद कहते हैं ऐसा तब तक होता है जब तक हम राजनीति में नहीं आए होते हैं किंतु राजनीति  में आने के बाद तो हमारा मुकाबला दूसरी पार्टियों के भ्रष्टाचारियों से होता है कि पिछले पाँचवर्षों में उस निगम पार्षद ने  कितने दर्जन मकान बनाए हैं हमारे कहीं कम न रह जाएँ !वैसे भी कुछ प्रापर्टियाँ पहले ये विवादित बनवाते  हैं बाद में कम  दामों में खुद खरीद लेते हैं | 
      जिन लोगों के भी मकान दूकान आदि सील पड़े हुए हैं उनके भी सील तोड़कर उपयोग करने के लिए चुनावों में जीते हुए महामहिम लोग उनसे भी अपना आर्थिक पूजन करवाने के लिए उतावले घूम रहे हैं |इस प्रकार से भ्रष्टाचार करने वाले लोग भी फेसबुक पर मोदी मोदी कर रहे हैं इसीलिए दिल्ली विधान सभा में होती है हर बार पराजय |           
      केंद्र सरकार जिस प्रकार से पी.  चिदंबरं टाइप के लोगों को शुद्ध करके कांग्रेस की छवि सुधारने में लगी हुई है यदि वैसा ध्यान वो अपने दिल्ली के निगम पार्षदों की ओर डाल दे तो संभव है कि दिल्ली भाजपा पर भी जनता भरोसा करने लगती |विधान सभा चुनावों में अभी भी समय है केवल केजरीवाल की निंदा करने से कुछ नहीं होगा यदि वो अपने कामों से जनता के बीच में अपना स्थान बना रहे हैं तो उनकी निंदा करने वालों को बकवासी मानकर दिल्ली की जनता केजरी वाल के अच्छे कामों पर  ध्यान देती है न कि किसी दूसरे के द्वारा उनके विरुद्ध लगाए जा रहे आरोपों पर !नेताओं को परखना दिल्ली की प्रबुद्ध जनता को आता है | 
      भाजपा के जो लोग सोचते हैं कि हम भी मोदी जी की तरह बड़ी बड़ी बातें करेंगे फेसबुक पर हँसते हुए रोज फोटो डाल देंगे इससे जीत लेंगे दिल्ली विधान सभा चुनाव !ये भ्रम है क्योंकि मोदी जी यदि अच्छे भाषण देते हैं तो अच्छे काम भी करते हैं भ्रष्टाचार पर प्रहार भी करते हैं अपने काम काज में पारदर्शिता बरतते हैं अपनी सरकार के सही कामों के द्वारा दिल्ली की जनता का विश्वास जीतते हैं तब देश और दिल्ली की जनता उन्हें देती है वोट और केंद्र में बनती है उनकी सरकार !
      यहाँ तो जनसेवा कार्यों को भी लूट का धंधा बना लिया गया है पैसे न देने के कारण किसी के छज्जे किसी के फुटपात आदि तोड़ दिए जाते हैं किसी की दूकान से समान उठा लिया जाता है कोई फ्री में सब्जी या फल न दे तो उसकी दूकान का सामान उठा लिया जाता है | कोई फ्री में छोला भटूरा न खिलाए तो उसकी रेड़ी उठा ली जाती है |ऐसे जुल्म सहने वाली जनता दिल्ली के विधान सभा चुनावों में ऐसी पार्टी के प्रत्याशियों को कैसे दे वोट !            जिस प्रकार से किसी के यहाँ बच्चा हो या शादी विवाह हो तो किन्नर बिना बुलाए ही बधाई गाने पहुँच जाते हैं उसी प्रकार से कई निगम पार्षदों के गुर्गे गली गली में गिद्धों की तरह भटका करते हैं किसी का  मकान बनता दिखाई दिया तो उसको डरा धमका कर पैसे माँगते हैं ऐसे लोगों को लिंटर पड़ने पर अलग से पैसे चाहिए नहीं दे तो लिंटर नहीं पड़ने देंगे ! मकान बनकर तैयार हो तो पैसे चाहिए नहीं तो बुक कर दिया जाएगा अन्यथा सील कर दिया जाएगा |इन्हें घूस देने के लिए पैसों का इंतजाम करने में देर हो जाए इसलिए सील होने के बाद पैसे पहुँचा पावें तो कह दिया जाता है कि जाओ सील तोड़कर रहो या अपना काम करो  तुम्हारे यहाँ MCD से कोई नहीं आएगा !यदि  कोई पूछ देता है कि भाई साहब अपने क्षेत्र में तो दस या पाँच मकान और भी सील हैं आपने जैसे उनकी सील तोड़वा दी है वैसे ही उन लोगों को भी तोड़ लेने दो वे भी बेचारे गरीब हैं रहेंगे काम काज करेंगे उनकी बड़ी मदद होगी !तो कह देते हैं ऐसा कैसे हो सकता है ये तो कानून के खिलाफ है और गैर कानूनी काम हम होने नहीं देंगे !यदि किसी ने कहा कि फिर उनका क्यों खुल गया तो कहते हैं वो तो आरएसएस के एक स्वयं सेवक के जीजा का मकान या फ्लोर है या हमारे मंडल अध्यक्ष के रिस्तेदार का मकान है इसलिए वो यदि गैर क़ानूनी भी बना है तो भी उसकी सील तो तोड़नी ही पड़ेगी |
     इस प्रकार का भ्रष्टाचार पूर्ण आचरण करते हुए ऐसे महामहिम लोगों के गुर्गे गली गली में केवल इतने के लिए ही चक्कर लगाया करते हैं कि कहीं कुछ मिल जाए भले उसे संघ के स्वयं  सेवक के जीजा का ही मकान दूकान आदि क्यों न बताना पड़े !ऐसे लोगों के लिए न पार्टी न कार्यकर्ता अपितु जो घूस दे सो अपना ! जिससे घूस न मिले उसे पाकिस्तानी की तरह दुश्मन मानकर उसके साथ शत्रुओं जैसा वर्ताव करना ये कहाँ का न्याय है | ये पब्लिक है सब जानती है इसीलिए तो सत्तर में से 3 सीटें देती है !घूसखोरी के माध्यम से जनता को लूट रहे निगमकर्मियों की लूट में सम्मिलित पार्षदों के प्रति जनता का आक्रोश ऐसे ही निकलता है निगम कर्मचारियों या चुनकर आए निगम पदाधिकारियों के आचरण में और लुटेरों के आचरण में कुछ तो अंतर होना ही चाहिए |
       निगमपार्षदों का चुनाव जाति क्षेत्रवाद के आधार पर होता है  इसलिए इसमें लोग व्यक्तिगत परिचय , पहचान और जातिक्षेत्र आदि के आधार पर वोट दिया करते हैं इसलिए निगम चुनावों में विजय मिल जाती है | दूसरी बात जिन पार्षदों के भ्रष्टाचार के कारण उनकी छवि बिगड़ जाती है अगले चुनाव में वे चेहरे बदल दिए जाते हैं | इसलिए निगम के चुनावों में लोगों का गुस्सा कुछ कम हो जाता है इसलिए पार्षद तो जीत जाते हैं किंतु इसके बाद जब तक विधान सभा चुनाव आता है तब तक पार्षदों की वसूली से तंग दिल्लीवासी उन भ्रष्टाचारियों से क्रोधित होकर मतदान करते हैं जितने प्रतिशत निगमपार्षदों  का कामकाज ईमानदारी पूर्ण लगता है विधान सभा चुनावों में उतने प्रतिशत भाजपा प्रत्याशियों को विधान सभा चुनावों में जिता दिया जाता है ऐसी परिस्थिति में पिछले विधान सभा चुनावों में तो 70 में से मात्र तीन सीटों के ही निगमपार्षदों के काम काज को जनता ने ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त माना था ! इसका सीधा सा मतलब है कि दिल्ली की जागरूक जनता ईमानदारी और कर्मठता के आधार पर वोट देती है भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाती है |
       केंद्र में बैठी मोदी सरकार के द्वारा  इतने बड़े बड़े ऐतिहासिक फैसले लिए  जा रहे हैं जिनका देश ही नहीं अपितु विदेश भी लोहा मान  रहे हैं उन तपस्वियों की तपस्या पर कालिख पोतने वाले दिल्ली के पार्षदों की पहचान होनी चाहिए |सोचने वाली बात है कि मोदी सरकार बनाने के लिए जो दिल्ली की जनता सात की सातों सीटें दे देती है उसी दिल्ली के  निवासी लोग दिल्ली भाजपा को वोट नहीं देना चाहते आखिर क्यों ?
      पिछले विधान सभा के चुनावों में 70 में से मात्र 3 थे इतनी पुरानी  पार्टी पर दिल्ली की जनता का ऐसा क्रोध !वो भी तब जबकि कुछ दिन पहले ही दिल्ली की सातों सीटें दिल्ली वालों ने भाजपा को दी थीं | मोदी जी की एक ओर तो पूरे देश में जय जय कार होती है तो दिल्ली विधानसभा चुनावों में मात्र तीन सीटें !आखिर क्या चाहते हैं दिल्ली वाले ?जिसके लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से तो खुश हैं किंतु दिल्ली भाजपा से नहीं हैं |ऐसा पिछले चुनावों में देखा ही गया था !वर्तमान निगम पार्षदों की भ्रष्टाचार प्रियता के कारण आगामी चुनावों में भी दिल्ली भाजपा कुछ कर पाएगी ! इसके लिए केवल शुभकामनाएँ ही दी जा सकती हैं बाकी फल तो हमेंशा कर्मों के आधार पर ही मिलता है !
    दिल्ली की जनता के उत्पीड़न संबंधी EDMC के भ्रष्टाचार में दिल्ली की जनता के द्वारा चुने गए पार्षदों की भूमिका क्या है ?यह पारदर्शिता पूर्ण ढंग से स्पष्ट किया जाना चाहिए जिससे जनता का विश्वास जीता जा सके ! दिल्ली की जनता सबसे अधिक नगरनिगम की ढुलमुल नीतियों से त्रस्त है निगमकर्मियों का मन उतना काम में नहीं लगता जितना कि दिल्ली वालों की मकान दूकान आदि प्रापर्टियाँ गिद्धों की तरह तकते घूमा करते हैं | एक एक छज्जे चबूतरे आदि की कीमत लगाए बैठे हैं कि किसे तोड़ने का नोटिश दे देंगे तो कितने पैसे मिल जाएँगे !स्थिति यहाँ तक दयनीय है कि किसी का मकान बना तो तो बनते समय उसे रोका नहीं गया बनने के बाद उसे जाकर बुक या सील कर आते हैं !इसके बाद उस बुकिंग या सीलिंग का दोहन ऐसे करते हैं जैसे कोई बलात्कारी किसी स्त्री के साथ किए गए बलात्कार का वीडियो बनाकर उसे सार्वजानिक कर देने का डर दिखाकर बहुत दिनों  तक उसका बलात्कार किया करता है |
    मैं चूँकि पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर में रहता हूँ इसलिए हमारे पास अपने आसपास के ही अनुभव होना स्वाभाविक है | 

इसलिए इसका अनुभव कुछ अधिक है सामाजिक कार्यों से जुड़े होने के नाते जो जानकारी सामने आयी है उस अनुमान के आधार पर संपूर्ण दिल्ली की कमोवेश स्थिति यही है अन्यथा सरकार जाँच कराकर देख ले कि नगर निगमों ने जितनी प्रापर्टियाँ सील की थीं उनमें कितने प्रतिशत अभी भी सील हैं और कितने प्रतिशत की सील तोड़ दी गई है और उसे तोड़ने के लिए किसको कितने पैसे देने पड़े हैं !यदि ऐसा नहीं है और सरकार ईमानदार वर्ताव करते दिखना चाहती है तो उन उन क्षेत्रों के निगम कर्मियों को दण्डित करना प्रारंभ करे जहाँ जहाँ ऐसा हुआ है |
    निगम पार्षदों उनके आश्रितों की चुनाव पूर्व और पाँच साल पूरे होने के बाद संचित संपत्तियों की जाँच हो जिनका उनके आयस्रोतों से मिलान किया जाए !ऐसा करते ही वे चेहरे दूर से चमकने लगेंगे जो दिल्ली विधान सभा चुनावों में पार्टी को पराजित करवाने के लिए जिम्मेदार हैं |
     यद्यपि यह कहना भी अनुचित होगा कि दिल्लीभाजपा के सारे पार्षद ही भ्रष्ट हैं क्योंकि बहुत पार्षदों से मैं परिचित हूँ जो ईमानदारी पूर्वक अपनी जीवंतता बचाए हुए हैं और अपने पवित्र आचरणों से जनता में अपना विश्वास बनाए हुए हैं उनसे जनता प्रसन्न भी है किंतु उनकी संख्या इतनी कम है कि उनके काम काज का मूल्यांकन करके जनता को 70 में से 3 सीटें देने के लिए मजबूर होना पड़ता है | ऐसे लोगों की संख्या कम होने के कारण इनके ईमानदारी पूर्ण व्यवहार को उस समाज में लोग अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं और न ही उनकी कोई सुनता और मानता ही है | 

    कुल मिलाकर सजीवपार्षदों से अपेक्षा है कि वे अवैध निर्माण होने ही न दें जो करे उसके विरुद्ध कार्यवाही करके उसे तुरंत रोकें और यदि बनाते समय उसे रोका नहीं गया है तो बनाने के बाद उसके विरुद्ध बुक या सील करने जैसी हफ़्ता वसूली वाली कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए और इसके लिए  निर्माणकर्ता को बिल्कुल दोषी नहीं माना जाना चाहिए अपितु इसके लिए संपूर्ण रूप से उस निगम के व्यक्ति को दण्डित किया जाना चाहिए सरकार जिन्हें ऐसे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए सैलरी देती है उन्हें आज तक दी गई सैलरी वापस लेकर सरकारी सेवा से तुरंत बाहर कर दिया जाना चाहिए |इसके बाद उनकी संपत्तियों की जाँच करवाई जानी  चाहिए !
        निगम पदाधिकारी निरंकुश न हो जाएँ और जनता का काम करने से विमुख न हो जाएँ या यूँ कह लिया जाए कि क्षेत्र की जनता से उतना परिचित नहीं होते इसलिए जनहित के कार्यों को करवाने के लिए जनता से सुपरिचित निगमपार्षदों की अपनी भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है उसका निर्वाह कर पाने में निगम पार्षद जनता की दृष्टि में कितना सफल हैं ये सोचने की बात है !पिछले कई वर्षों से पूर्वीदिल्ली नगरनिगम में भारतीय जनतापार्टी है इतने वर्षों तक उनके द्वारा ईमानदारी पूर्वक जनसेवा का इनाम दिल्ली वालों ने पिछले चुनावों में 70 में से 3 सीटें देकर दिया था इसका मतलब है कि दिल्लीवासी इतने प्रतिशत पार्षदों को ही ईमानदार समझते हैं !
    इसलिए अच्छे पार्षदों को ऐसा पारदर्शी व्यवहार करना चाहिए कि जनता उन पर विशवास कर सके !कोई प्रापर्टी यदि सील करने लायक नहीं है तो उसे सील ही क्यों किया जाता है ऐसी प्रापर्टी को सील करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए और सील होने के बाद भी यदि उसे खोल लेने दिया जाता है तो कागजों में भी उसे सीलमुक्त घोषित क्यों नहीं कर दिया जाता है | वैसे भी यदि किसी सील्ड प्रापर्टी की सील खोली जानी है तो उसमें किसी मानक का तो पालन किया ही जाना चाहिए | जिस नियम से एक की खोली जा सकती है तो दूसरे की भी खोल देनी चाहिए या एक बुक प्रापर्टी को तोड़ा जाता है तो जितनी भी प्रापर्टियाँ बुक हों सब पर  एक साथ ही कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि जनता के मन में पक्षपात का वहम न हो !

    किसी होटल में घुस के खाना खा आवें किसी बैंकटहाल में पार्टी करें कोई पैसे माँग दे तो नोटिश भेजवा देते हैं |पार्कों के आस पास सब्जी  वाले खड़े होते हैं बेचारे किसी तरह अपना पेट भर रहे होते हैं उनसे भी रोड पर खड़े होने के लिए पैसे माँगते हैं उसके लिए भी गुर्गे फिट कर रखे हैं !सफाई कर्मी अक्सर होली दीवाली आदि त्योहारों के नाम पर घर घर से पैसे माँगते हैं कोई पूछता है इतना लेकर क्या करोगे वो कह देती है कि आधा तो पार्षद साहब को देना होता है आधा ही हमें बचता है !कूड़ा लेने के लिए गलियों में गाड़ियाँ भेजी जाती हैं जो पैसे देता है उसके दरवाजे तो गाडी खड़ी होती हैं बाकी टेप बजाते गाड़ी दौड़ाते चले जाते हैं कूड़ा नीचे गिर जाए तो चालान वाले आ जाते हैं !उनसे पूछो कि हमारे दरवाजे गाडी आप रोकते क्यों नहीं हैं तो वो पैसे माँगते हैं अगर कह दो कि गाड़ियाँ तो फ्री चलती हैं तो वो कह देते हैं कि पार्षद जी को देना होता है यदि आप से न लें तो कहाँ से लावें !आदि आदि !
      इस प्रकार के जितने भी घूस खोरी के काम हैं उनका सीधा संबंध जनता से होता है जिससे जनता स्वयं प्रभावित हो रही होती है अब उसका अपना अनुभव इस प्रकार का होता है उधर केंद्रीय नेतृत्व ईमानदारी का भाषण उड़ेल रहा होता है !अब जनता भाषण सुन कर व्यवहार करे या फिर जो भोग रही है उसे सच माने इसी लिए जनता अपने अनुभव को सच मानकर दिल्लीविधान सभा चुनावों में देती है 70 में से 3 सीटें !
    दिल्लीनगरनिगम के लोग अक्सर ऐसे लोगों के बनते मकानों में सील लगा देते हैं जो उन्हें घूस नहीं देते हैं और जब खर्चे की जरूरत होती है तो नोटिश लेकर उनके घर घुस जाते हैं और लूट लाते हैं|इससे तो अच्छा है कि सीलिंग सिस्टम ही बंद कर दिया जाए और सबके सील पड़े मकानों दुकानों आदि को सील मुक्त किया जाए !जो घूस न दें केवल उसी का उत्पीड़न क्यों ? निगम के लोग कहते हैं मैं ऐसा नहीं करता निगमपार्षद दबाव देकर हमसे गलत  करवाते हैं वो जैसा कहते हैं हम तो वैसा करते जाते हैं और पार्षद कहते हैं कि हम तो दूध के धुले हैं पाप तो वही करते हैं हमें तो केवल दाल में नमक की तरह बस थोड़ा सा .....! ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार का पाप तो होता है इसके लिए आखिर किसको जिम्मेदार माना जाए !
     निगम पार्षद चाहें तो ईमानदारी का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं कुछ पार्षद ऐसा कर भी रहे हैं उन्हीं के प्रयास से विधानसभा में तीन सीटें मिल भी गई थीं अन्यथा काँग्रेस की तरह ही.... !ऐसे ईमानदार परिश्रमी एवं जनसेवाव्रती पार्षदों से क्षमायाचना के साथ मैं ये लेख लिख रहा हूँ ऐसे पवित्र पार्षदों के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है | मैं पिछले लगभग तीस वर्षों से जिस विचारधारा से प्रभावित रहा हूँ उस संगठन के विविध आयामों मैं अपनी योग्यता और क्षमता  के अनुशार समर्पित भावना से यथा संभव अपनी सेवाएँ देता रहा हूँ | पद लालषा कभी रही नहीं आज उसी संगठन से संबंधित दल जब दिल्ली विधान सभा चुनावों में इतनी बुरी तरह पराजित होता है तो जिस प्रकार से प्रत्येक उस व्यक्ति को कष्ट होता है जो निर्लोभ भावना से केवल विचारधारा के आधार पर ऐसे संगठनों से जुड़ा है उसी प्रकार से हमें भी कष्ट होता है | इसका कारण संघ परिवार के सदाचरण पूर्ण शास्त्रीय शालीनता  एवं सभ्यभाषा आचरण में पारदर्शिता आदि संस्कार हैं| इस संगठन परिवार से जुड़ने का यही एक मात्र उद्देश्य है किंतु जब इन्हीं सद्गुणों में खरोंच लगती है तो ठेस लगना स्वाभाविक ही है|
ऐसी परिस्थिति में विचारों को यह समझकर अधिक समय तक कैद नहीं रखा जा सकता है कि वो लोग भी उसी संगठन से जुड़े हुए हैं जिसके लिए मैं समर्पित हूँ अपितु अपनी भावना प्रकट करनी ही होती है | 

      केंद्रीय स्तर पर आज भी ईमानदारी पारदर्शिता आदि के लिए जो पहचान पार्टी ने बना रखी है उसके लिए विपक्ष क्या विदेशों तक में हनक बनी हुई है यह केंद्रीय नेतृत्व की पवित्र पारदर्शिता पूर्ण जनसेवा का ही परिणाम है |
     दिल्ली आते आते इस पवित्र पहचान पर कालिखपोत  दी जाती है जिसके लिए केंद्रीय नेतृत्व को भी लज्जित होना पड़ता है !पिछले कई विधानसभा चुनावों से पार्टी दिल्ली की सत्ता को छू तक नहीं सकी है |पंद्रह वर्ष बाद भी सीटें मिलीं सत्तर में से सिर्फ तीन ! लगातार दिल्ली नगर निगम में रहने के बाद भी दिल्ली की जनता का विश्वास जीतने में हम इस स्तर तक नाकाम रहे हैं हमारा सीटों का अनुपात इतना अधिक कम है |
     पिछले दिल्लीविधान सभा चुनावों के समय में हमारी पवित्रपहचान को हमसे छीनकर एक नई पार्टी ले गई जिससे हम बुरी तरह से पराजित हुए थे|इसका सीधा मतलब है कि दिल्ली की जनता ने हमारी ईमानदारी जनसेवा आदि नारों को नकारा है वो हमारी खोखली बातों पर विश्वास नहीं करती है जबकि हमारे केंद्रीय नेतृत्व पर विश्वास करती है |
      ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठता है कि जिस ईमानदारी और पवित्रता के लिए संघ परिवार के सभी आयाम जाने जाते हैं और यही हमारी पवित्र पहचान है |यदि हमारे पार्षद उस भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ते नहीं हैं तो क्या मान लिया जाए कि ये भी उसी में सम्मिलित हो गए हैं यदि ऐसा है तो अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है |


     


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