Thursday, 10 January 2019

सिद्धांत

   भारतीयमौसमविभाग की स्थापना के उद्देश्यों की पूर्ति ऐसे कैसे होगी ?

   "1864 में कलकत्ते में आए भीषण चक्रवात से बड़ी जनधन हानि हुई थी !इसके बाद 1866 और 1871 ईस्वी में भीषण अकाल पड़ा जिनमें भयंकर जनधन हानि हुई थी !"
      ऐसी प्राकृतिक घटनाओं से भयभीत होकर ही प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान लगाने के लिए 1875 ईस्वी में भारतीय मौसम विभाग की स्थापना की गई थी !इसके सञ्चालन पर एवं इससे संबंधित अनुसंधानों के लिए बहुत बड़ी धनराशि खर्च की गई जो जनता के खून पसीने के टैक्स से वसूली गई थी !भारतीय मौसम विभाग की स्थापना हुए आज 143 वर्ष बीत चुके हैं ! भारतीय मौसम विभाग अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कितना सफल हो पाया है ?  
1. 16 जून 2013 को उत्‍तराखंड बाढ़ में हजारों लोग मारे गए जिसका पूर्वानुमान नहीं बताया गया था !
 
2. 2016 के अप्रैल मई में इतनी अधिक गर्मी पड़ी सूखा पड़ा कि ट्रेनों से पानी पहुँचाया गया !इस समय अकारण आग लगने की बीसों हजार घटनाएँ घटीं जब बिहार सरकार को दिन में चूल्हा न जलाने और हवन  न करने की अपील करनी पड़ी !ऐसा इसी वर्ष क्यों हुआ इसपर मौसम विभाग ने कहा कि रिसर्च करेंगे !आज तक नहीं पता लगा कि क्या हुआ उस रिसर्च से निकले निष्कर्ष का ?
 
3. 2018 के मई जून में भीषण आँधी तूफानों से भारी जन धन की हानि हुई ऐसा इसवर्ष क्यों हुआ और इसके बिषय में मौसम विभाग के द्वारा दिए गए सभी पूर्वानुमान गलत क्यों होते रहे !मौसम विभाग की चेतावनी पर 8 मई को तो आँधी तूफ़ान की आशंका के कारण स्कूल कालेज भी बंद करवा दिए गए थे किंतु कोई तूफान नहीं आया था ! इसके अलावा भी आँधी तूफानों से संबंधित लगभग सभी भविष्यवाणियाँ गलत सिद्ध होती रहीं !बाद में मौसम विभाग के DG ने स्वीकार  किया कि चक्रवात आँधी तूफान आदि चुपके चुपके से आते रहे जिनका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका !
 
4. 3 अगस्त को मौसम विभाग ने तृतीय चरण अर्थात अगस्त और सितंबर के पूर्वानुमान घोषित करते हुए अगस्त और सितंबर में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई थी किंतु 7 अगस्त से केरल में भीषण बारिश होनी शुरू हो गई जिसमें केरल में बाढ़ का संकट खड़ा हो गया था!इस पर केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि मौसम विभाग के द्वारा पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सके !
5. दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के वास्तविक कारणों की खोज अभी तक नहीं की जा सकी है !
6. वायु प्रदूषण के विषय में  पूर्वानुमान लगाने की व्यवस्था अभी तक नहीं की जा सकी है !
7. भूकंप आने के बिषय में कुछ काल्पनिक कारणों के अलावा अभी तक निश्चित और विश्वसनीय कारण नहीं खोजे जा सके हैं पूर्वानुमान की कसौटी पर जिनका परीक्षण किया जा सके ! 
 
जलवायु परिवर्तन -
     आधुनिक मौसम वैज्ञानिक लोग जब जिस प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने की भविष्यवाणियाँ करते हैं यदि वैसा हो तब तो वो भविष्यवक्ता बन जाते हैं और यदि वैसा न हो उसके विरुद्ध कुछ हो जाए तो वो पानी बरसने को या तूफ़ान आने की भविष्यवाणी करें और वो गलत हो जाए तो सारा दोष ग्लोबलवार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी मनगढंत अवधारणाओं पर मढ़कर अपनी साख को बचा लिया जाता है !
     अक्सर मौसम संबंधी जब जैसी घटनाएँ घटनाएँ घट जाती मौसम विभाग कुछ सप्ताह बाद तक उसी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ और अधिक घटित होने की भविष्यवाणियाँ करते रहता है !जिनका कोई आधार नहीं होता है !वायु प्रदूषण हो या बर्षा 24 ,48 और 72 घंटे की अवधि दे देकर मौसम विभाग अपनी भविष्यवाणियों को आगे खिसकाता चला जाता है !ये पूर्वानुमान नहीं कहे जा सकते !पूर्वानुमान तो तब माने जाते जब घटना घटित होने से पूर्व एक बार भविष्यवाणी करके चुप बैठ जाए इसके बाद वो भविष्यवाणियाँ सही घटित होते चली जाएँ !
 2 मई 2018 को भीषण तूफान आया जिसमें बड़ी जनधन हानि हुई इसके बाद मौसम विभाग ने 5 मई एवं 8 मई को भी भीषण तूफ़ान आने की भविष्यवाणी की 8 मई की तो इसी आशंका से स्कूल कालेज तक बंद करवा दिए गए किंतु कोई तूफ़ान नहीं आया !यही ट्रिक मौसम विभाग के द्वारा सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अपनाई जाती है !जनता के द्वारा प्रतीकार या FIR करने पर या मीडिया के द्वारा घेरे जाने पर मौसम वैज्ञानिक अपनी साख बचाने के लिए ग्लोबलवार्मिंग और जलवायुपरिवर्तन जैसे निराधार मनगढंत ब्रह्मास्त्रों के पीछे छिप जाते हैं !प्राकृतिक घटनाओं के ऐसे सभी प्रकरणों में देखा जा सकता है !
 
इसमें अगस्त की भविष्यवाणी और चुपके चुपके तूफ़ान लगाने हैं !
 


 
 

पूर्वानुमान तभी चक्रवात का पूर्वानुमान लगाने के लिए    मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए कोई ठोस आधार चाहिए जो आधुनिक विज्ञान के पास अभी तक ऐसा कुछ नहीं है सुपर कंप्यूटर की भी मौसम के बिषय में कोई सीधी भूमिका नहीं है !उसका काम डाटा कलेक्ट करना और उसके आधार पर तालमेल बैठाना होता है किंतु मौसम के पूर्वानुमान की प्रक्रिया यदि वही रहेगी जिसके आधार पर लगाया गया मौसम पूर्वानुमान अभी तक गलत होता रहा है तो सुपर कंप्यूटर उसे सही कैसे कर देगा !पिछले तेरह वर्षों में लगाए गए दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमानों  में 8 वर्ष के पूर्वानुमान गलत निकल गए मात्र 5 वर्ष के ही सही निकले !ऐसे पूर्वानुमानों से सरकार एवं समाज का क्या लाभ !ऐसे पूर्वानुमानों से कृषि को क्या सहयोग मिल सकता है !इसी प्रकार से वर्षा के और पूर्वानुमान भी आधे से अधिक गलत निकल जाते हैं !
     
   

इसलिए एवं 2018 के मई जून में लगाए गए आँधी तूफान संबंधी पूर्वानुमान लगभग गलत ही निकल जाते रहे !मौसम विभाग की चेतावनी पर 8 मई को तो आँधी तूफ़ान की आशंका के कारण स्कूल कालेज भी बंद करवा दिए गए थे किंतु कोई तूफान नहीं आया था इसके अलावा भी आँधी तूफानों से संबंधित लगभग सभी भविष्यवाणियाँ गलत सिद्ध होती रहीं !बाद में मौसम विभाग के DG ने स्वीकार  किया कि चक्रवात आँधी तूफान आदि चुपके चुपके से आते रहे जिनका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका !
     3 अगस्त को मौसम विभाग ने अगस्त और सितंबर के पूर्वानुमान घोषित करते हुए अगस्त और सितंबर में सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की थी किंतु 7 अगस्त से केरल में भीषण बारिश होनी शुरू हो गई और केरल में बाढ़ का संकट खड़ा हो गया !
      भूकंपों के विषय में सरकारों के द्वारा कराए जा रहे इतने लम्बे

  7 मई को आँधी तूफान की भविष्यवाणी गलत हुई स्कूल कालेज भी बंद
अनुमान यदि इतना कमजोर है

अभी तक होता रहा है अंतर इतना होगा कि पहले की अपेक्षा कुछ जल्दी हो जाएगा एक कुछ अधिक डाटा !

भी नहीं क्योंकि उसका मौसम से सीधा कोई केवल गणना करता सकता है जबकि मौसम की गणना करने लायक जिस प्रकार से कोई ग्रहण कब पड़ेगा इसके कारण सूर्य चंद्र या पृथ्वी आदि तीन में से किसी एक में या इन तीनों में ही विद्यमान नहीं होते हैं अपितु इन तीनों के ही एक विशेष परिस्थिति में आ जाने से ग्रहण की घटना घटित हो जाती है !
      सूर्य चंद्र और पृथ्वी ये तीनों ऐसी परिस्थिति में कब आएँगे  जिसमें ग्रहण होता है इसके लिए सूर्य चंद्र और पृथ्वी का अलग अलग कितना भी अनुसंधान कर लिया जाए किंतु उससे ग्रहण के विषय में पता नहीं लगाया जा सकता है कि ग्रहण कब पड़ेगा !
     वस्तुतः ग्रहण सूर्य चंद्र और पृथ्वी तीनों के संयुक्त प्रभाव से घटित होता है ये तीनों कब किधर कितना किस गति(स्पीड)  से चलेंगे इसके लिए ये तीनों स्वतंत्र नहीं होते क्योंकि इन तीनों की गति पथ इनके अपने बश में नहीं होता है इसीलिए ये उसमें तिल भर भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं!इनके गति और पथ का निर्णय समय के अनुसार है जब जैसा समय आता है इन्हें तब तैसे चलना पड़ता है! उनके अपने अपने स्वभाव के अनुसार विचरण करने से यदि कोई ग्रहण घटित हो ही जाता है तो उस ग्रहण के घटित होने में इन तीनों की मुख्य भूमिका होने के बाद भी ग्रहण इन तीन में से किसी का उद्देश्य नहीं होता है !ग्रहण की घटना लगभग उसी प्रकार घटित होती है जिस प्रकार से आकाश में उड़ रहे बादलों की छाया पृथ्वी पर पड़ रही होती है !
      इसमें सूर्य बादल हवा और पृथ्वी का इस घटना के विषय में आपस में कोई संबंध भले न रहा हो और  इनका उद्देश्य भी ऐसा न रहा हो जिसकी पूर्ति के लिए ये गमन करते रहते हों फिर भी छाया  के घटित होने में इन चारों की ही मुख्यभूमिका होती है !सूर्य अपने स्वभाव के अनुसार हमेंशा की तरह अपना तेज प्रकट कर रहा होता है !हवा अपने स्वभाव के अनुसार उड़ रही होती है बादल अपने स्वभाव के अनुसार हवा की गति के साथ उड़ रहे होते हैं !पृथ्वी अपने स्वभाव के अनुसार बादलों की छाया भी उसी भाव से सह रही होती है जैसे जैसे आकाश की ओर से आ रही सर्दी गर्मी प्रकाश अंधकार धूप धूल छाया आदि सब कुछ सहा करती है !सूर्य चंद्र ग्रहण भी इसी  प्रकार का एक संयोग मात्र होता है!
    प्रकृति में या जीवन में जितनी भी घटनाएँ घटित होती हैं उनके कारण सूर्य चंद्र और हवा ही ! समय के प्रभाव से सूर्य चंद्र पृथ्वी हवा आदि के विचरण करते रहते हैं घटनाएँ घटित होती चली जाती हैं !इनका गति पथ कब कैसा होगा ये केवल समय को समझने वाले लोग ही जान सकते हैं !सिद्धांत गणित के सूत्रों के द्वारा सूर्य चंद्र पृथ्वी हवा आदि के गति पथ एवं स्वभाव को समझा जा सकता है इनकी संभावित परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !इनके विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है!
     सिद्धांत गणित के इसी विज्ञान के द्वारा भारतीय ऋषियों ने सृष्टि के आरम्भ में ही सूर्य चंद्र ग्रहणों से लेकर मौसम के सभी प्रकारों का पूर्वानुमान लगाने की खोज कर ली !इसी के बल पर वे सैकड़ों वर्ष पहले सूर्य चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !वर्षा  बाढ़ सूखा आँधी तूफान वायु प्रदूषण बढ़ने आदि का पूर्वानुमान लगा लिया जाता था !उसी पद्धति से आज भी हमारे यहाँ ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !

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