Monday, 14 January 2019


दिल्ली के प्रदूषण के लिए दिल्ली की भौगोलिक कारण जिम्मेदार !

- दीपांकर साहा 

      केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अपर निदेशक दीपाकर साहा का मानना है कि यह स्मॉग नहीं फॉग है। उन्होंने पराली को भी इसके लिए जिम्मेदार मानने से इन्कार किया है। साहा सोमवार को दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में एनसीआर में वायु प्रदूषण से बने हालात व समाधान विषय पर आयोजित जागरण विमर्श में बतौर अतिथि वक्ता पहुंचे थे। 
         दिल्ली की भौगोलिक स्थिति भी इसके लिए जिम्मेदार है। इस मौसम में यहा हवा उत्तर व दक्षिण दिशा से आती है। दक्षिण की ओर से आने वाली हवा हिमालय के कारण दिल्ली से बाहर नहीं जा पाती है, इससे उत्तर की ओर से आने वाली हवा भी घूमकर यहीं लौट आती है। वाहनों-जेनरेटर का धुआ, औद्योगिक गतिविधियों और निर्माण कार्य आदि से उठने वाली धूल हवा में मिल रही है। यह प्रदूषित हवा बाहर नहीं निकल पा रही है, जिससे यह स्थिति बन गई है।
सिर्फ पराली ही नहीं है कारण
         दीपाकर साहा ने स्पष्ट किया कि जब दिल्ली में हवा आने की ही जगह नहीं है तो यहां की हवा को जहरीला बनाने के लिए पराली का धुआ कैसे दोषी है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से सल्फर डाइआक्साइड नहीं निकलती इसलिए इसे स्मॉग के लिए जिम्मेदार बिल्कुल नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने बताया कि पराली साल में दो बार जलाई जाती है, लेकिन समस्या सिर्फ इसी मौसम में होती है।
ऑड-इवेन व कृत्रिम बारिश नहीं है समाधान
ऑड-इवेन व कृत्रिम बारिश क्षणिक समाधान हैं। साहा के मुताबिक जैसे ही यह प्रयोग बंद किया जाएगा, स्थिति जस की तस हो जाएगी। क्योंकि 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच मौसम दिल्ली-एनसीआर का साथ नहीं देता तो हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि हमारी तरफ से बिल्कुल भी प्रदूषण न फैले। हमें इस वक्त औद्योगिक गतिविधियां, निर्माण कार्य, थर्मल पावर प्लाट व जेनसेट आदि को बंद रखना चाहिए। कूड़ा न जलाएं, वाहन कम इस्तेमाल करें, तभी हालात पर काबू पाया जा सकेगा।

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