सर्व शक्तिमान समय का मूल स्वरूप तो एक ही है जिससे संपूर्ण सृष्टि का संचालन होता है प्रकृति उसी समय के अनुशार समय समय पर अपने आकार प्रकार स्वभाव स्वरूप आदि में विभिन्न प्रकार के बदलाव धारण करती रहती है जो ऋतुओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार के मौसम के रूप में दिखाई पड़ता है !समय किसी की परवाह किए बिना आगे बढ़ता जाता है प्रकृति और जीवन में बदलाब होते जाते हैं जो पेड़ आज छोटा है कल बड़ा हो गया इसमें पेड़ ने कुछ न नहीं किया केवल समय बीता है! उस समय पर समय ही ऐसा था कि उस समय वो पेड़ छोटा ही हो सकता था बाद में जब उस पेड़ के बड़े होने का समय आया तो पेड़ को बड़ा होना ही था इन दोनों परिस्थितियों में पेड़ तो वैसा ही बना रहा केवल समय बदलता गया तो पेड़ का स्वरूप भी बदलता चला गया !पेड़ में पड़े खाद पानी आदि का भी सहयोग रहा किंतु केवल खाद पानी के प्रभाव से यदि पेड़ का बड़ा होना संभव होता तो एक दिन बहुत सारा खाद पानी देकर पेड़ को एक ही दिन में बड़ा नहीं किया जा सकता है !यही स्थिति संसार के समस्त चराचर जगत की है !मनुष्य भी समय के साथ बढ़ते हैं !
इसी प्रकार से जो समय जिसके अस्वस्थ रहने का होता है वो समय आते ही वो व्यक्ति अवस्थ हो जाता है और जो समय उसके स्वस्थ होने का आता है वो समय आते ही वो स्वस्थ होने लगता है यही कारन है कई लोग स्वदेश से विदेश तक चिकित्सा करवाते हैं किन्तु कोई लाभ नहीं मिलता किंतु कुछ दिन बाद वे अपने आप से ही स्वस्थ होने लगते हैं क्योंकि उस समय उनके स्वस्थ होने का समय आ चुका होता है !ऐसे ही जब जिसके जन्म होने का समय आता है तब उसका जन्म हो जाता है और जब मृत्यु का समय आता है तब उसकी मृत्यु हो जाती है ! कुछ रोगी अत्यंत सक्षम सभी सुख सुविधाओं से संपन्न होते हैं ऐसे रोगी रोग प्रारंभ होते ही अत्यंत सुयोग्य चिकित्सकों के तत्वावधान में उत्तम चिकित्सा का लाभ लेने लगते हैं किंतु यदि समय उनके स्वस्थ होने का नहीं अपितु मृत्यु का चल रहा होता है तो चिकित्सा का असर नहीं होता और समय का असर होता है इसीलिए सघन चिकित्सा सुविधा पा रहे रोगियों को भी मरते जाता है !कई बार सुदूर गाँवों जंगलों में रहने वाले चिकित्सा सुविधा से बंचित रोगियों को भी स्वस्थ होते देखा जाता है उनके बड़े बड़े घाव भर जाते हैं चिकित्सक उन्हें औषधि देकर भी बताता है कि ये दवा इतनी मात्रा में इतने दिन लेनी होगी तब स्वस्थ होगे!समय का महत्त्व न होता तब तो उस औषधि की अधिक मात्रा लेकर तुरंत भी स्वस्थ हुआ जा सकता था !इसलिए जब जिसके स्वस्थ होने का समय आता है तभी वो स्वस्थ हो पाता है!
इसी प्रकार से जो समय जिसके अस्वस्थ रहने का होता है वो समय आते ही वो व्यक्ति अवस्थ हो जाता है और जो समय उसके स्वस्थ होने का आता है वो समय आते ही वो स्वस्थ होने लगता है यही कारन है कई लोग स्वदेश से विदेश तक चिकित्सा करवाते हैं किन्तु कोई लाभ नहीं मिलता किंतु कुछ दिन बाद वे अपने आप से ही स्वस्थ होने लगते हैं क्योंकि उस समय उनके स्वस्थ होने का समय आ चुका होता है !ऐसे ही जब जिसके जन्म होने का समय आता है तब उसका जन्म हो जाता है और जब मृत्यु का समय आता है तब उसकी मृत्यु हो जाती है ! कुछ रोगी अत्यंत सक्षम सभी सुख सुविधाओं से संपन्न होते हैं ऐसे रोगी रोग प्रारंभ होते ही अत्यंत सुयोग्य चिकित्सकों के तत्वावधान में उत्तम चिकित्सा का लाभ लेने लगते हैं किंतु यदि समय उनके स्वस्थ होने का नहीं अपितु मृत्यु का चल रहा होता है तो चिकित्सा का असर नहीं होता और समय का असर होता है इसीलिए सघन चिकित्सा सुविधा पा रहे रोगियों को भी मरते जाता है !कई बार सुदूर गाँवों जंगलों में रहने वाले चिकित्सा सुविधा से बंचित रोगियों को भी स्वस्थ होते देखा जाता है उनके बड़े बड़े घाव भर जाते हैं चिकित्सक उन्हें औषधि देकर भी बताता है कि ये दवा इतनी मात्रा में इतने दिन लेनी होगी तब स्वस्थ होगे!समय का महत्त्व न होता तब तो उस औषधि की अधिक मात्रा लेकर तुरंत भी स्वस्थ हुआ जा सकता था !इसलिए जब जिसके स्वस्थ होने का समय आता है तभी वो स्वस्थ हो पाता है!
इसी प्रकार से जो समय जिसके तनाव का आता है उस समय ही उसे तनाव होता है परिस्थितियाँ कुछ भी क्यों न हों !कई बार बहुत अच्छी परिस्थतियों में भी तनाव होते देखा जाता है !जो लड़का जिस लड़की से विवाह करना चाहता है और जो लड़की जिस लड़के से विवाह करना चाहता है यदि वे दोनों जैसा चाहते हैं बिलकुल वैसा ही हो जाए तो भी जब उन दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति तनाव का समय आता है तब उन्हें एक दूसरे से तनाव होने ही लगता है दोनों एक दूसरे से ऊभ जाते हैं एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते हैं एक दूसरे से तलाक ले लेते हैं !ऐसे में एक दूसरे से जब मिलने का समय हुआ तो एक दूसरे से मिलने के लिए तड़पने लगे जब बिछुड़ने का समय हुआ तब एक दूसरे से बिछुड़ने लगे !
इस प्रकार से जितने समय तक जिसे तनाव रहना होता है उतने समय तक ही रहता है उसके बाद ठीक हो जाता है !पहले जिन व्यक्तियों वस्तुओं या परिस्थितियों के न होने पर होने के लिए तनाव हुआ करता था बाद में उन्हीं के न होने के लिए तनाव होने लगता है ! जिस मकान गाड़ी आदि को प्राप्त करने के लिए पहले कभी तनाव हुआ करता था बाद में उन्हें छोड़ने या बेचने का तनाव हुआ करता है !ऐसी सभी परिस्थितियों में व्यक्ति वास्तु परिस्थितियाँ एक रहने पर भी दोनों का समय अलग अलग होता है जो समय जिससे मिलकर रहने का था उसमें उससे मिलकर खुश होने की इच्छा होती थी और जो समय जिससे अलग रहने का था उसमें उससे अलग होकर खुश रहने का मन करने लगता है !
एक समय आदमी जिस तरह का व्यापार करने का या नौकरी पाने के लिए बहुत प्रयास करता है किंतु सफल नहीं होता है तो दूसरे समय वही व्यापार या वही नौकरी आसानी से मिल जाती है और सफल हो जाते हैं !
एक समय पति पत्नी स्वस्थ और सहज होते हैं तो भी उन्हें संतान नहीं हो रही होती है तो दूसरे समय केवल समय बदल जाता है और उन्हें संतान हो जाती है !
जब वर्षा का समय आता है तो पानी से वर्षा ऋतु आती है
कभी अत्यंत को अत्यंत जिन व्यक्तियों वस्तुओं एक समय !
है परिस्थितियाँ कुछ भी क्यों न रही हों !
दवा तो इतने समय में स्वस्थ होंगे वो समय की बिना टीका लगे हुए भी उनके बच्चे स्वस्थ रहते हैं
के साथ पेड़ के छोटेपन का संबंध था !इसी मौसम का जन जीवन पर पड़ने वाला विभिन्न प्रकार का प्रभाव समाज में विभिन्न प्रकार के बदलावों के रूप में दिखता है !इसके अलावा भी समय समय पर बदलते रहने वाले मनुष्यादि सभी प्राणियों के स्वास्थ स्वभाव आदि पर भी अनेकों रूपों में देखने सुनने को मिलता है !कई बार किसी क्षेत्र विशेष का बहुत बड़ा वर्ग एक साथ एक जैसे रोग से पीड़ित होने लगता है तो कई बार सभी स्वस्थ हो जाते हैं इसी प्रकार से कई बार मनुष्यों का कोई बड़ा वर्ग स्वभाव के बिषैले बदलाव का शिकार होकर उन्माद ग्रस्त हो जाता है और आपस में एक दूसरे से लड़ने झगड़ने लग जाता है और कुछ समय बाद वही लोग वैसी ही परिस्थितियों में भी आपस में प्रेम पूर्वक रहने लगते हैं ऐसे सामूहिक सभी प्रकार के अच्छे बुरे बदलाव समय के मूल स्वरूप से प्रेरित ही तो होते हैं !
के साथ पेड़ के छोटेपन का संबंध था !इसी मौसम का जन जीवन पर पड़ने वाला विभिन्न प्रकार का प्रभाव समाज में विभिन्न प्रकार के बदलावों के रूप में दिखता है !इसके अलावा भी समय समय पर बदलते रहने वाले मनुष्यादि सभी प्राणियों के स्वास्थ स्वभाव आदि पर भी अनेकों रूपों में देखने सुनने को मिलता है !कई बार किसी क्षेत्र विशेष का बहुत बड़ा वर्ग एक साथ एक जैसे रोग से पीड़ित होने लगता है तो कई बार सभी स्वस्थ हो जाते हैं इसी प्रकार से कई बार मनुष्यों का कोई बड़ा वर्ग स्वभाव के बिषैले बदलाव का शिकार होकर उन्माद ग्रस्त हो जाता है और आपस में एक दूसरे से लड़ने झगड़ने लग जाता है और कुछ समय बाद वही लोग वैसी ही परिस्थितियों में भी आपस में प्रेम पूर्वक रहने लगते हैं ऐसे सामूहिक सभी प्रकार के अच्छे बुरे बदलाव समय के मूल स्वरूप से प्रेरित ही तो होते हैं !
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