Saturday, 10 March 2018

प्रधानमंत्री जी !कर्तव्यभ्रष्ट सांसदों विधायकों ने ही बढ़ा रखा है भ्रष्टाचार !

जनता आफिसों में पहले भी धक्के खाती थी आज भी खाती है घूस देकर पहले भी काम कराती थी आज भी करवाती है !जनप्रतिनिधि चाह लें तो आज रुक सकता है भ्रष्टाचार !किंतु वे चाहें क्यों?
जो जनप्रतिनिधि ईमानदार हैं उनके यहाँ भ्रष्टाचार और अकर्मण्य अफसरों की शिकायत करने जनता को जाना भी नहीं पड़ता है सब काम वे स्वयं ही कर दिया करते हैं !
अधिकाँश जनप्रतिनिधि प्रायः स्वयं तो जनता से मिलने में अपनी तौहीन समझते हैं जनता उन्हें तो टी.वी.पर ही देख पाती है बाक़ी उन्होंने जनता को बेवकूप बनाने के लिए अपनी अपनी आफिसों में जो गुर्गे बैठा रखे होते हैं वे अपने अपने हिसाब से निपटते रहते हैं जनता से !
जनप्रतिनिधियों के यहाँ जनता की समस्याएँ सुनने के लिए बैठे उनके गुर्गे भ्रष्टाचार की शिकायतें बड़े प्रेम से सुनते हैं और अफसरों कर्मचारियों को तबियत से धमका देते हैं इसके बाद वही अफसर कर्मचारी घबड़ाकर उनसे मिलने जाते हैं और उनका हिस्सा उनकी जेबों में डाल आते हैं ! अगले दिन वही जनप्रतिनिधियों के गुर्गे भी उन्हीं अफसरों की भाषा बोलने लगते हैं और सारा दोष सिस्टम पर मढ़ देते हैं ! PM साहब ! क्या ऐसा संभव है कि सांसद विधायक चाह लें तो अधिकारी कर्मचारी जनता के काम क्यों न करें !जब ऐसे बिकलांगों के बश कुछ होता ही नहीं है तो ये जन शिकायतें सुनने का नाटक करते ही क्यों हैं ! महोदय !जब सांसदों विधायकों के लिखे सिफारिसी लेटरों को सरकारी अधिकारी कर्मचारी मानते ही नहीं हैं तो ये लोग अपनी बेइज्जती कराने और जनता को बेकार में धक्के खिलाने के लिए लिखते ही क्यों हैं और जनता को पहले क्यों देते हैं आश्वासन !
प्रधानमंत्री जी !काम नहीं तो पैसे किस बात के !
     जनता की गाढ़ी कमाई से कठोरता पूर्वक टैक्स वसूलकर सरकार जिन्हें सैलरी  आदि सारी सुविधाएँ  देती है उनसे काम लेने में हिचकती क्यों है ?उनसे काम करवाने के लिए जनता को दर दर की ठोकरें क्यों खानी पड़ती हैं विधायकों सांसदों के यहाँ क्यों लगनी पड़ती हैं लाइनें क्यों लिखवाने पड़ते है सिफारिसी लेटर !आखिर उन अधिकारियों कर्मचारियों को सरकार आज तक क्यों नहीं समझा पाई कि उन्हें सैलरी काम करने के लिए मिलती है !ये कमी सरकार की नहीं तो किसकी है !    
       प्रधानमंत्री जी !सीलिंग को न्याय सम्मत क्यों न बनाया जाए जो जनता को भी बुरा न लगे !
         सीलिंग प्रकरण में दिल्ली की जनता को संतोष तो तब होता जब  पहले उन अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही होती जिनके कार्यकाल में अवैध निर्माण ,अवैध कब्जे अवैध काम काज शुरू हुए !दूसरी कार्यवाही उस समय की सरकार पर होनी चाहिए जिसने उस समय ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी दी !तीसरी कार्यवाही वर्तमान सरकार पर होनी चाहिए जो उस समय की भ्रष्ट सरकार एवं भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही करने में हिचकती है और उन्हें आज तक दी गई सैलरी उनसे वापस नहीं लेती है क्यों ?काम नहीं तो पैसे किस बात के !  

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