Monday, 26 March 2018

jt

आदरणीय  प्रधानमंत्री जी 
                                   आपको  सादर नमस्कार !

 विषय : 'समयविज्ञान' पर रिसर्च के विषय में आपसे मिलने के लिए समय लेने हेतु !
     महोदय ,
      निवेदन यह है कि प्रकृति और जीवन दोनों साथ साथ चलते हैं और दोनों ही समय के आधीन हैं जैसा जिसका समय वैसी उसकी परिस्थितियाँ ! बुरे समय के प्रभाव से प्रकृति में प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं तो मनुष्यों का स्वास्थ्य बिगड़ता है! इसप्रकार से समय का असर प्रकृति पर ,शरीरों पर एवं लोगों के स्वभावों पर एक  समान  ही होता है !
     समाज में बढ़ती असहिष्णुता, कलह, क्रोध तनाव अवसाद आदि का कारण संस्कार तो हैं इसके साथ ही इसमें समय की बहुत बड़ी भूमिका है !टूटते विवाह और बिखरते परिवारों का कारण समय ही तो है लोगों में बढ़ती आपराधिक  प्रवृत्ति का कारण  समय ही तो है !इस प्रकार से प्रकृति में या जीवन में जो भी अच्छी बुरी घटनाएँ घटित होती हैं उसमें समय की बहुत बड़ी भूमिका मानी गई है !क्योंकि  भारत के प्राचीन वैदिक विज्ञान के अनुसार समय को सबसे अधिक बलवान माना गया है !
       कोई व्यक्ति प्रयास (कर्म) कितने भी क्यों न कर ले किंतु उसे फल उसके कर्म के अनुशार नहीं अपितु उसके अपने समय के अनुशार मिलता है !जिसका जब तक समय बुरा रहता है उतने समय तक उसे शारीरिक रोग मानसिक तनाव एवं मानसिक तनाव से जूझना ही पड़ता है !बुरे समय के प्रभाव से पीड़ित रोगियों पर अच्छे से अच्छे चिकित्सक ,चिकित्सा पद्धतियाँ ,औषधियाँ आदि निष्फल होती चली जाती हैं !ऐसी परिस्थिति में सघन चिकित्सा काल में भी कई रोगियों को मरते तक देखा जाता है !
     वैसे भी देखा जाता है कि कोई एक चिकित्सक या कोई एक औषधि एक जैसे रोग से पीड़ित कुछ रोगियों को दी जाती है तो उसके परिणाम सब पर अलग अलग होते देखे जाते हैं !कुछ स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ रहते हैं और कुछ मर जाते हैं!इसका कारण उन सबका अपना अपना समय होता है !
        चिकित्सा शास्त्र में कहे गए असाध्य रोग समय से ही प्रेरित होते हैं इसीलिए उनपर चिकित्सा का कोई विशेष असर नहीं होता है ! वैसे भी जिन रोगों के होने का कारण समय होता है वे ठीक भी  समय से ही होते हैं !
       इसीप्रकार से समय यदि अच्छा होता है तो जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित साधन और सहयोगी भी मिल जाते हैं और समय ही अच्छा न हो तो बड़े बड़े साधन निरर्थक होकर बार बार असफलता ही मिलती रहती है !जिसका जब समय अच्छा होता है सफलता तभी मिलती है !
   ऐसे ही जब किन्हीं दो सम्बन्धियों का बुरा समय एक साथ आ जाता है तो उतने समय के लिए उन दोनों के आपसी संबंध बिगड़ने की विशेष सम्भावना रहती है समय बीतते ही ठीक हो जाते हैं किंतु समय विज्ञान को न जानने के कारण घबड़ाहट औ उतावलेपन में संबंध टूट जाते हैंपरिवार बिखर जाते हैं विवाह विच्छेद हो जाता है !
    इसी प्रकार से भूकंप जैसी बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ भी समय से  प्रेरित होती हैं जो निकट भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाओं ,स्वास्थ्य, समाज एवं सरकार से संबंधित समस्याओं के विषय में कुछ सूचनाएँ दे रही होती हैं !
     इसलिए मेरे निवेदन का अभिप्राय मात्र इतना है कि ऐसी जितनी भी प्राकृतिक सामाजिक या व्यक्तिगत 
 समस्याएँ हैं जिनका पूर्वानुमान समयविज्ञान के द्वारा लगाया जा सकता है ऐसी समस्याओं के दुष्प्रभाव से बचने हेतु यथा सम्भव बचाव के लिए प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते हैं !
     इस विषय पर मैं व्यक्तिगत रूप से लगभग बीस वर्षों से अनुसंधान में लगा हूँ किंतु इसे और अधिक विस्तार देने हेतु सरकार से सहयोग की अपेक्षा है !
    महोदय !अतएव आपसे निवेदन है कि हमारे शोधकार्य के विषय में कृपा पूर्वक आप हमारी मदद करें  एवं मिलने हेतु हमें समय दें !

                             
                 :प्रार्थी :  डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                      व्याकरणाचार्य ,ज्योतिषाचार्य,MA हिंदी,PGD पत्रकारिता,Ph. D.  By BHU

                                  संस्थापक : राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान

                              फ्लैट नं 3 , K-71,दुग्गल बिल्डिंग,छाछी बिल्डिंगचौक ,कृष्णा नगर दिल्ली 110051

                                  मो नं -9811226973 \9811226983

No comments: