Tuesday, 27 March 2018

snvaj

 आदरणीय आलोक कुमार जी
                                  आपको  सादर नमस्कार !
विषय -  "समयविज्ञान" से संबंधित अनुसंधान के विषय में -
         महोदय ,
     "समयविज्ञान"
 यह भारतवर्ष का अत्यंत प्राचीन विज्ञान है प्राचीन काल में इतने अधिक साधन न होने पर भी उस युग में बड़े बड़े अनुसंधान किए जाते रहे !उन महापुरुषों ने समय के सिद्धांत को गणित के सूत्रों में गूँथ कर उस युग में सूर्य चंद्र और पृथ्वी के मंडल नाप लिए थे और एक जगह बैठे बैठे सूर्य और चंद्र ग्रहण की खोज की थी और हमारों वर्ष पहले के ग्रहणों का एक एक मिनट सटीक पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !
    सूर्य चंद्र और पृथ्वी की गति और मार्ग का अनुसंधान करना बहुत बड़ा काम था फिर भी उन्होंने किया और आज भी सही एवं सटीक घटित होता है !उसी गणित के द्वारा उन्होंने वायु एवं बादलों की गति और प्रवृत्ति अर्थात स्वभाव का अनुसंधान किया और वर्षा तथा भीषणवर्षा एवं आँधी तूफानों से संबंधित पूर्वानुमान लगा  लिया करते थे !      
     भूकंप जैसी बड़ी घटनाओं का पूर्वानुमान एवं ऐसी घटनाओं के कारण घटित होने वाली संभावित प्राकृतिक सामाजिक शारीरिक मानसिक एवं स्वास्थ्य संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !
     उस युग में  चिकित्सा के क्षेत्र में केवल नाड़ी देखकर किसको क्या रोग है वैद्य लोग समझ लिया करते थे और चिकित्सा कर दिया करते थे लोग स्वस्थ भी हो जाया करते थे !
       प्राचीन काल में लोगों में इतनी मानसिक तनाव की प्रवृत्ति नहीं होती थी !वे इतने असहिष्णु नहीं होते थे !वे इतने ब्यभिचार समर्थक या ब्याभिचारी नहीं हुआ करते थे !इतने अपराधी नहीं होते थे !
       उस समय में विवाह विच्छेद अर्थात तलाक की घटनाएँ सुनने को नहीं मिला करती थीं !महिलाओं वृद्धों आदि के प्रति सम्मान और सेवा का भाव था जीवों पर दया की भावना थी एवं नदियों तालाबों कुओं वृक्षों आदि के पूजन की परंपरा संस्कार एवं पर्यावरण बचने में महत्त्वपूर्ण  सहयोगी हुआ करती थी !
       सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि तब जो हो पा रहा था आज वो क्यों नहीं हो पा रहा है आज वो क्यों नहीं हो पा रहा है इसके लिए कौन कितना दोषी है !सरकारी स्तर पर सबसे बड़ा अनुसंधान इस विषय पर किया जाना चाहिए अन्यथा स्थिति यदि यही बनी रही तो बहुत शीघ्र ये समाज भले स्त्री पुरुषों के रहने लायक नहीं रह जाएगा !
     महोदय !इस विषय पर अपनी भी जिम्मेदारी समझते हुए मैंने इन सभी विषयों से सम्बंधित विकृतियों के समाधान 'समयविज्ञान' के माध्यम से खोजे हैं लंबे समय से चल रहे हमारे इस अनुसंधान कार्य से मुझे प्राप्त हुए परिणामों से लगने लगा है कि मनुष्य स्वतंत्र न होकर अपितु समय के आधीन है समय जिसका जब जैसा होता है तब उसे वैसा जीवन जीना पड़ता है भले वो अपराध ही क्यों न हो !प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक दिखाई पड़ने वाली सभी विकृतियाँ ,रोग प्राकृतिक आपदाएँ और तनाव आदि समय की ही देन हैं इसलिए समय पर अनुसंधान पूर्वक अमल करके इस समाज को फिर से रहने लायक अर्थात अपराधमुक्त रोगमुक्त तनावमुक्त  आदि बनाने में विशेष मदद मिल सकती है !
       अतएव समय विज्ञान से संबंधित अनुसंधान के विषय में सरकार से मदद की अपेक्षा है !
                                         निवेदक -
  
                                 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                      व्याकरणाचार्य ,ज्योतिषाचार्य,MA हिंदी,PGD पत्रकारिता,Ph. D.  By BHU

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