अपराधियों बलात्कारियों और घपले घोटालेबाजों का कोई दोष नहीं है उन्होंने तो अपराध जगत में कदम रखे ही हुए हैं ही वास्तव में दोषी तो वे हैं जो अपराधियों को रोकने के नाम पर सैलरी लेते हैं फिर उन्हें रोक नहीं पाते हैं !इसके साथ साथ जनता को भय उस सरकार है जो अपने अधिकारियों के कामकाज की क्वालिटी देखे बिना उन्हें सैलरी देती जाती है!यदि अधिकारी भ्रष्टाचारी हैं तो वो तो भ्रष्टाचार करेंगे ही उन्हें रोकने का काम सरकार का है वो क्यों नहीं रोक पाई !दोषी जनता है जो ऐसे भ्रष्ट जन प्रतिनिधियों को चुनकर भेजती है !
जनता को अपराधियों से उतना भय नहीं है जितना उन अधिकारियों कर्मचारियों से है जो सरकार से सैलरी लेकर अपराधियों का साथ देते हैं ! नोटबंदी के समय भोली भाली जनता लाइनों में खड़ी दम तोड़ रही थी और जिम्मेदार लोग ब्लैक मनी वालों के काले धन के बोरे उनके उनके गोदामों में जा जाकर सफेद करने में लगे हुए थे सरकार जब उन पर अंकुश नहीं लगा पाई तो विजय माल्या नीरव मोदी जैसे लोगों पर कार्यवाही करने के सपने देखना ही छोड़ दे सरकार !
जो जिन पदों के लायक नहीं होते उन्हें वो पद देने वाली घूसखोर अकलभ्रष्ट सरकारें उनसे चाहती हैं कि वे भ्रष्टाचार से लड़ें भ्रष्टाचारियों से भ्रष्टाचार भागने की आशा !जिन नेताओं को एप्लिकेशन पढ़ने समझने की अकल नहीं होती है या जो भयंकर लापरवाह तथा स्वयं भ्रष्ट हैं उन्हें राजनैतिक दलों एवं सरकारों में पद प्रतिष्ठित किया जाएगा तो ऐसे मनोविकलाँग लोग यही करेंगे जो आज हो रहा है वो इससे ज्यादा कुछ कर ही नहीं सकते !
अपराधियों बलात्कारियों और घपले घोटाले बाजों को जन्म देती हैं भ्रष्ट एवं गैर जिम्मेदार सरकारें और इनका पालन पोषण करते हैं सरकार के अपने वे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी जो सरकारी सैलरी खाकर जिन्दा रहते हैं जो ऍम जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से देती है सरकार !सरकार को उन पर अंकुश लगाने या उनसे काम लेने की अकल ही नहीं है तो अपने अपने पद छोड़कर घर बैठ जाना चाहिए !बकवास कर कर के जनता का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए !
"सरकारों ,अधिकारियों कर्मचारियों एवं राजनैतिक दलों ने तोड़ा जनविश्वास !"देश वासियों के साथ गद्दारी अर्थात कब तक सहे देश !
जनता को अपराधियों से उतना भय नहीं है जितना उन अधिकारियों कर्मचारियों से है जो सरकार से सैलरी लेकर अपराधियों का साथ देते हैं ! नोटबंदी के समय भोली भाली जनता लाइनों में खड़ी दम तोड़ रही थी और जिम्मेदार लोग ब्लैक मनी वालों के काले धन के बोरे उनके उनके गोदामों में जा जाकर सफेद करने में लगे हुए थे सरकार जब उन पर अंकुश नहीं लगा पाई तो विजय माल्या नीरव मोदी जैसे लोगों पर कार्यवाही करने के सपने देखना ही छोड़ दे सरकार !
जो जिन पदों के लायक नहीं होते उन्हें वो पद देने वाली घूसखोर अकलभ्रष्ट सरकारें उनसे चाहती हैं कि वे भ्रष्टाचार से लड़ें भ्रष्टाचारियों से भ्रष्टाचार भागने की आशा !जिन नेताओं को एप्लिकेशन पढ़ने समझने की अकल नहीं होती है या जो भयंकर लापरवाह तथा स्वयं भ्रष्ट हैं उन्हें राजनैतिक दलों एवं सरकारों में पद प्रतिष्ठित किया जाएगा तो ऐसे मनोविकलाँग लोग यही करेंगे जो आज हो रहा है वो इससे ज्यादा कुछ कर ही नहीं सकते !
अपराधियों बलात्कारियों और घपले घोटाले बाजों को जन्म देती हैं भ्रष्ट एवं गैर जिम्मेदार सरकारें और इनका पालन पोषण करते हैं सरकार के अपने वे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी जो सरकारी सैलरी खाकर जिन्दा रहते हैं जो ऍम जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से देती है सरकार !सरकार को उन पर अंकुश लगाने या उनसे काम लेने की अकल ही नहीं है तो अपने अपने पद छोड़कर घर बैठ जाना चाहिए !बकवास कर कर के जनता का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए !
"सरकारों ,अधिकारियों कर्मचारियों एवं राजनैतिक दलों ने तोड़ा जनविश्वास !"देश वासियों के साथ गद्दारी अर्थात कब तक सहे देश !
इसमें कोई संशय नहीं कि इस देश को बनाने सजाने सुरक्षित रखने में सेना की तरह ही अधिकारियों का बहुत बड़ा वर्ग जी जान से समर्पित है किंतु उतना ही सच ये भी है कि घूस का लालची अधिकारियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश एवं देशवासियों के जनहितों के विरुद्ध तमाम समझौते करने को तैयार घूम रहा है सरकार का ऐसे लोगों पर अभी तक कोई अंकुश नहीं लग पाया है !
अपराधियों का जन्म पालन पोषण एवं संरक्षण या तो किसी भ्रष्ट नेता की गोद में होता है या फिर किसी भ्रष्ट अधिकारी की गोद में !नेताओं और अधिकारियों के संरक्षण के बिना कोई अपराधी बन ही नहीं सकता है!क्योंकि अपराध जैसा बड़ा काम कोई सामान्य व्यक्ति अकेले अपने बल पर कैसे कर सकता है!यही कारण है कि जिन अपराधियों पर बड़ी बड़ी लूट के आरोप लगाए जाते हैं वे यदि वास्तव में अपराधी या लुटेरे होते तो लूट के पैसे की चमक उनके अपने शरीर या चेहरे पर दिखाई पड़ती उनके परिवारों के सदस्य सुखी होते एवं उनके पास सुख सुविधाओं के साधन अच्छे होते !किंतु लुटेरों के नाम से प्रसिद्ध लोगों के यहाँ से उतना लूट का धन क्यों नहीं मिलता ! वो जिनके लिए या जिनके कहने से दिहाड़ी पर लूट करते हैं अपराधों में अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित ऐसे सरकारीनेताओं एवं अधिकारियों की आय से अधिक संपत्तियों की जाँच इस दृष्टि से क्यों नहीं की जाती है !नेताओं ने जब पहला चुनाव लड़ा था या अधिकारियों को जिस तारीख को नौकरी मिली थी तब उनके पास जो संपत्तियाँ थीं और आज उनके पास जो संपत्तियाँ हैं उनके स्रोतों की जाँच करके उन सम्पत्तियों और संपत्ति स्रोतों को डिजिटल अर्थात सार्वजानिक किया जाए !
अपराधियों का जन्म पालन पोषण एवं संरक्षण या तो किसी भ्रष्ट नेता की गोद में होता है या फिर किसी भ्रष्ट अधिकारी की गोद में !नेताओं और अधिकारियों के संरक्षण के बिना कोई अपराधी बन ही नहीं सकता है!क्योंकि अपराध जैसा बड़ा काम कोई सामान्य व्यक्ति अकेले अपने बल पर कैसे कर सकता है!यही कारण है कि जिन अपराधियों पर बड़ी बड़ी लूट के आरोप लगाए जाते हैं वे यदि वास्तव में अपराधी या लुटेरे होते तो लूट के पैसे की चमक उनके अपने शरीर या चेहरे पर दिखाई पड़ती उनके परिवारों के सदस्य सुखी होते एवं उनके पास सुख सुविधाओं के साधन अच्छे होते !किंतु लुटेरों के नाम से प्रसिद्ध लोगों के यहाँ से उतना लूट का धन क्यों नहीं मिलता ! वो जिनके लिए या जिनके कहने से दिहाड़ी पर लूट करते हैं अपराधों में अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित ऐसे सरकारीनेताओं एवं अधिकारियों की आय से अधिक संपत्तियों की जाँच इस दृष्टि से क्यों नहीं की जाती है !नेताओं ने जब पहला चुनाव लड़ा था या अधिकारियों को जिस तारीख को नौकरी मिली थी तब उनके पास जो संपत्तियाँ थीं और आज उनके पास जो संपत्तियाँ हैं उनके स्रोतों की जाँच करके उन सम्पत्तियों और संपत्ति स्रोतों को डिजिटल अर्थात सार्वजानिक किया जाए !
नीरवमोदी हों या विजयमाल्या जैसे लोगों के संबंध सभी राजनैतिक दलों से होते हैं इन्हें लोन दिलवाने वाले एवं इन्हें फँसने से बचाने वाले नेता प्रायः सभी राजनैतिक दलों में विद्यमान हैं !सभी राजनैतिक दल एवं प्रायः सभी रईस नेता लोग ऐसे लोगों से चंदा लेते हैं फिर उन्हें देश से बाहर भगा देते हैं! यही कारण है कि प्रायः अनपढ़ या कम पढ़े लिखे निठल्ले बेरोजगार नेता लोग राजनैतिक पार्टियों में पहुँचते और चुनाव लड़ते ही कई कई गाड़ियों कोठियों बँगलों के मालिक हो जाते हैं जबकि उनकी आय के प्रत्यक्ष स्रोत विश्वसनीय होते ही नहीं हैं !नेताओं की आय स्रोतों से उनकी सम्पत्तियों का मेल न खाना अर्थात बहुत अधिक होना निराश करने वाला एवं अत्यंत चिंताजनक है क्योंकि ऐसी कमाई प्रायः सभी प्रकार के अपराधों से अर्जित की जाती है !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरी लगती है तब उनके पास जितनी भी संपत्ति होती है उसके बाद उन्हें जो सैलरी मिलती है उतनी ही संपत्ति होनी चाहिए उनके पास जबकि प्रायः अधिकांश अधिकारियों के पास उससे अधिक संपत्ति को होना उनकी उस अपराधी प्रवृत्ति को प्रकट करता है जिसके तहत उन्होंने अपराधियों को मदद पहुँचाकर उसके बदले में घूस या उपहारों के रूप में ली है !
सीलिंग में व्यापारियों को गलत परेशान किया जा रहा है ये समस्याएँ वस्तुतः निगमों के या संबंधित सरकार के विभागों ने तैयार की हैं वहाँ के अधिकारियों कर्मचारियों ने ही इतनी बड़ी समस्या को जन्म दिया है गलत और गैरकानूनी काम करवाने वाले उन अफसरों पर कार्यवाही करने से सरकार को अपने भ्रष्टाचार के खुलने का यदि भय है तो व्यापारियों को तंग क्यों किए जा रही है सरकार ?
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरी लगती है तब उनके पास जितनी भी संपत्ति होती है उसके बाद उन्हें जो सैलरी मिलती है उतनी ही संपत्ति होनी चाहिए उनके पास जबकि प्रायः अधिकांश अधिकारियों के पास उससे अधिक संपत्ति को होना उनकी उस अपराधी प्रवृत्ति को प्रकट करता है जिसके तहत उन्होंने अपराधियों को मदद पहुँचाकर उसके बदले में घूस या उपहारों के रूप में ली है !
सीलिंग में व्यापारियों को गलत परेशान किया जा रहा है ये समस्याएँ वस्तुतः निगमों के या संबंधित सरकार के विभागों ने तैयार की हैं वहाँ के अधिकारियों कर्मचारियों ने ही इतनी बड़ी समस्या को जन्म दिया है गलत और गैरकानूनी काम करवाने वाले उन अफसरों पर कार्यवाही करने से सरकार को अपने भ्रष्टाचार के खुलने का यदि भय है तो व्यापारियों को तंग क्यों किए जा रही है सरकार ?
दिल्ली के कृष्णानगर मार्केट में एक बिल्डिंग है जिसके नीचे बना अवैध बेसमेंट जिसमें पानी भरे रहने के कारण 55 फिट ऊँची बिल्डिंग दिनोंदिन कमजोर होती जा रही है उसके ऊपर अवैध रूप से लगाए गए 30 फिट ऊँचे मोबाईल टॉवर समेत अब वो 87 फिट ऊँची बिल्डिंग है !क़ानूनी दृष्टि से ये सभी प्रकार से अवैध गतिविधियों में संलिप्त है फिर भी अधिकारियों को घूस मिलती है बोले कौन ! निगम के जिन अधिकारियों को सैलरी सरकार देती है वे सरकार की योजनाओं के अनुरूप कार्य नहीं करते हैं !ये अधिकारियों की लापरवाही ही है!फिर भी सरकार ऐसे लोगों पर मेहरबान है !
यदि अधिकारी ईमानदार और कर्तव्य परायण होते तो ऐसे अवैध बेसमेंट को बनने से पहले ही रोका जा सकता था अथवा बाद में उसमें मिट्टी भरवाई जा सकती थी या फिर बेसमेंट को सील किया जा सकता था किंतु इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने तीनों काम नहीं किए !इसीप्रकार से सुना जाता है कि सामान्य तौर पर बिल्डिंगों की ऊँचाई नियमानुसार 12 मीटर (36)फिट तक रखी जा सकती है इतने में तीन मंजिलें ही बनाई जा सकती हैं जबकि इसमें 57 फिट ऊँची 5 मंजिलें बनी हुई हैं उसके ऊपर तीस फिट ऊँचा मोबाईल टॉवर भी लगा हुआ है !
इस अवैध निर्माण एवं अवैध मोबाईल टॉवर को देखकर बिना किसी जाँच के ये प्रमाणित हो जाता है कि अधिकारी या तो गैर जिम्मेदार हैं या फिर घूस लेकर ऐसे सभी प्रकार के अवैधकार्य होने देते हैं !इनका कहना होता है कि घूस का पैसा ऊपर तक जाता है !
किंतु सरकार में सम्मिलत नेता और अफसर लोग यदि घूस के ऐसे घिनौने खेल में सम्मिलित नहीं होते हैं तो काम न करने वाले अफसरों को या फिर घूसलेकर गलत काम करवाने वाले अफसरों को सैलरी ही क्यों देते हैं और उन्हें नौकरी पर क्यों रखे हुए हैं !ऐसे अकर्मण्य अफसरों को दी गई आज तक की सैलरी उनसे वापस क्यों नहीं ली जाती है या उनकी संपत्तियाँ जप्त क्यों नहीं की जाती हैं ?
ऐसी सुनसान रिहायसी बिल्डिंगें देहव्यापार का अड्डा बनती जा रही हैं ऐसे लोगों से घूसलेकर निगम के लोग इनमें ब्यूटीपॉर्लर के साइनबोर्ड लगाने की सलाह दे देते हैं क्योंकि ब्यूटीपॉर्लर रिहायसी बिल्डिंगों में भी बनाए जा सकते हैं !इसलिए उन्हें ब्यूटीपॉर्लर का नाम दे देने से कोई वेश्यावृत्ति की शिकायत नहीं कर सकता है !ऐसी रिहायसी बिल्डिंगों में इसप्रकार के धंधे बड़ी आसानी से चलाए जा सकते हैं चूँकि इनमें कई कई फ्लैट बने होते हैं ऐसे फ्लैटों में जब जोड़े घुसते हैं तो लोग सोचते हैं कि किसी के घर जा रहे होंगे किंतु वे उस गंदे धंधे वाले फ्लैट में जा रहे होते हैं कोई उन्हें कैसे रोक सकता है निगम से शिकायत की जाए तो वो कहते हैं कि यदि ऐसा होता है तो पुलिस में कम्प्लेन करो !पुलिस कहती है कि वहाँ ऐसा होता है इसके प्रमाण वीडियो आदि लेकर दिखाओ किंतु आम आदमी ऐसी जगहों पर रहना भले छोड़ दे वहाँ वीडियो बनाने क्यों जाएगा उसे मरना है क्या !क्योंकि ऐसे रंडीखानों में कोई भले लोग तो आते नहीं हैं वीडियो बनाने वालों को वो बक्स देंगे क्या ? उचित तो ये है कि रिहायशी बिल्डिंगों में ब्यूटीपॉर्लर बनाने की अनुमति ही नहीं दी जानी चाहिए !
कुलमिलाकर ऐसे सभी प्रकार के अवैध निर्माणों एवं अवैध मोबाईल टावरों अवैध गतिविधियों के होने देने की जड़ में तो सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही हैं !ये अपने कर्तव्य का पालन करें या न करें सरकार उन्हें सैलरी समय से देती चली जाती है तो वो कर्तव्य पालन करें ही क्यों ?
ऐसे अवैध निर्माणों कार्यों आदि को हटाने के लिए जनता जब निगम वालों से कंप्लेन करती है तो निगम के लोग विरोधियों से घूस लेकर उनसे केस करवाकर उन्हें स्टे दिलवा देते हैं फिर घूस लेते जाते हैं स्टे बढ़ाते जाते हैं खुद पैरवी नहीं करते या करने लायक हैं नहीं तो ऐसे अयोग्य लोगों को नौकरी पर क्यों रखे हुए है सरकार और उन्हें सैलरी क्यों देती है ?
ऐसे अवैध निर्माणों कार्यों आदि को हटाने के लिए जनता जब निगम वालों से कंप्लेन करती है तो निगम के लोग विरोधियों से घूस लेकर उनसे केस करवाकर उन्हें स्टे दिलवा देते हैं फिर घूस लेते जाते हैं स्टे बढ़ाते जाते हैं खुद पैरवी नहीं करते या करने लायक हैं नहीं तो ऐसे अयोग्य लोगों को नौकरी पर क्यों रखे हुए है सरकार और उन्हें सैलरी क्यों देती है ?
सरकार के द्वारा प्रायोजित ऐसा भ्रष्टाचार इसीप्रकार से सरकार के हर विभाग में करवाया जा रहा है यदि नहीं तो इसमें लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही है ऐसे भ्रष्ट अफसरों की कंप्लेन जिस पार्षद विधायक सांसद मंत्री आदि के यहाँ की जाती है तो वो कार्यवाही शुरू करते हैं जिससे घबड़ाकर अधिकारी लोग ये कच्ची बात उन गैर कानूनी काम करने वालों को बता देते हैं तो वो लोग मिठाई का डिब्बा और पैसों का लिफाफा लेकर जनप्रतिनिधियों के पास पहुँच जाते हैं अगले दिन से वे जनप्रतिनिधि भी उन्हीं भ्रष्टाचारियों की भाषा बोलने लग जाते हैं !
ऐसी परिस्थिति में देश की जनता किस अधिकारी कर्मचारी पर भरोसा करे किस राजनैतिक दल पर भरोसा करे किस नेता पर भरोसा करे ?और यदि किसी पर भरोसा न करे तो ऐसे लोगों को सैलरी देने के लिए टैक्स क्यों दे और इनकी बातें क्यों माने ?लोकतंत्र के नाम पर ऐसे गैर ईमानदार गैर जिम्मेदार घूसखोर अकर्मण्य लोगों का समर्थन करने के लिए मतदान में भाग क्यों ले ?
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