Thursday, 6 April 2017

पार्षदों और निगमकर्मियों की संपत्तियों की जाँच करवाई जाए ! इधर घूस उधर सैलरी बीच में पिस रही है बेचारी जनता क्यों ?

जो पार्षद जब चुनाव लड़े थे और जब तक पार्षद रहे तब तक उन्होंने जो संपत्तियाँ तैयार कीं उनके स्रोत सार्वजनिक करें राजनैतिक पार्टियाँ अन्यथा जाँच कराए सरकार और निकाल बाहर करे भ्रष्टाचार !ईमानदारों को सम्मानित किया जाए ! अन्यथा पार्षदों के किए हुए घपलों घोटालों में पार्टियों और सरकारों को भी जिम्मेदार माना जाए !
   निगम प्रायः अवैध वसूली के अड्डे बने हुए हैं एक ओर जिन कामों को करने के लिए निगम परमीशन नहीं देते हैं उन्हीं कामों को उन्हीं जगहों पर उन्हीं लोगों के द्वारा वही लोग घूस लेकर करवाते देखे जाते हैं देखो अवैध मोबाईल टावर वो भी सैकड़ों वो भी राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में तो बाकि देश में क्या हो रहा होगा !सरकारी जमीनों सम्पात्तियों पर काम काज !रिहायसी क्षेत्रों में व्यवसाय !निगम वालों को जब पैसों की जरूरत होती है फंड जुटाना होता है तब ले ले गाड़ियाँ निकल पड़ते हैं तोड़ आते हैं कुछ दुकानों के काउंटर थड़े छज्जे आदि !लोग समझ जाते हैं कि निगम अधिकारियों कर्मचारियों को पैसों की जरूरत है और बेचारे दे आते हैं उन्हें !फिर वो सब वहाँ वैसे ही बना लिए जाते हैं जैसे पहले थे फिर उन्हें कोई नहीं रोकता !
    अब तो निगम वालों की ऐसी हरकतें सब समझ चुके हैं इसलिए उन्होंने भी सोच लिया है कि जैसे माफियाओं का सप्ताह उन्हें जाता है ऐसे ही इनका भी बाँध देते हैं जो नहीं देते वे भुगतते हैं कितने भी अच्छे और ईमानदार क्यों न हों !कैसे भी कागज बने हों !किसी से वसूली करने का मन बन ही गया है तो कुछ न कुछ तो कमियां निकाल ही ली आएंगी !नियम कानून बनाए ही इसी दृष्टिकोण को रखकर जाते हैं कि किसी को यदि सबक सिखाना या फँसाना हो तो उसे अपने बुने हुए कानूनों के मक़ड़ जाल में किसी न किसी तरह फँसाया जा सके और उसपर कार्यवाही करते समय उसके घर से खाली हाथ न लौटना पड़े ! 
     इस खुले भ्रष्टाचार के खेल को क्या फ्री में देखा करती है सरकार !इसके पैसे उन्हें भी मिलते होंगे क्योंकि पाप का पैसा पकड़ते समय पापी लोग कहा करते हैं कि ये केवल हम्हीं नहीं लेते हैं ये तो ऊपर तक जाता है !यदि वो झूठ बोलते हों तो सरकार इन पर कार्यवाही क्यों न करे !कुछ तो सच्चाई होती ही होगी !बारे भ्रष्टाचार बारे लोकतंत्र !
    अवैध कब्जों कार्यों गतिविधियों मोबाईल टावरों को देखकर भी निगम वाले कुछ बोलते नहीं हैं बिना घूस लिए ऐसा संभव है क्या !और यदि ऐसा हो भी तो जिस काम के लिए वो सैलरी लेते हैं अपने उस कर्तव्य का पालन करते क्यों नहीं हैं सर्कार ईमानदार हो तो उनसे उनकी लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के लिए सैलरी रिफंड करवाए !यदि सरकार ने उन्हें घूस लेने के लिए नहीं रखा है तो !
    ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध पार्षदों ने आवाज क्यों नहीं उठाई ये उनका कर्तव्य था !क्या बिना घूस लिए उन्होंने ऐसा  किया होगा !तरह तरह के रोगों से जूझ रही दिल्ली में रेडिएशन फैलाने वाले सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर लगे हुए हैं जिनके मालिकों ने कोर्ट से स्टे ले रखा है निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से निगम उनके विरुद्ध पैरवी की केवल खाना पूर्ति करता है और तारीखें बढ़ती चली जाती हैं पैसा ऊपर तक पहुंचता है अन्यथा बिना पैसा लिए ऐसा होना संभव है क्या ? ऐसे तो मोबाईल टावर कभी नहीं हटेंगे और यदि नहीं ही हटेंगे तो ये अवैध किस बात के !
   ऐसे ही सैकड़ों सरकारी जमीनों पार्कों आदि में घूस ले लेकर कब्ज़ा करवा रखा है इन्हीं निगम प्रतिनिधियों ने इधर घूस उधर सैलरी !क्या घूस के लेन  देन  का खेल मात्र है सरकारी कामकाज !इनके विरुद्ध आवाज क्यों नहीं उठाते हैं जनप्रतिनिधि ?पार्टियाँ उनसे पूछती क्यों नहीं हैं पार्षद बनने का मतलब क्या चल अचल संपत्तियाँ इकठ्ठा करना मात्र होता है या कुछ जनसेवा भी !बड़े बड़े अधिकारियों कर्मचारियों जन प्रतिनिधियों के होते हुए भी भ्रष्टाचार फिर कर क्या रही है सरकार !क्या यही है लोकतंत्र जहाँ केवल एक दूसरे को धोखा देना और झूठ बोलना सिखाया जाता हो एक दूसरे को बदनाम किया जाता है !
   इसीलिए तो राजनैतिक पार्टियों का टिकट वितरण विश्वसनीय नहीं होता जो जितने पैसे देकर चुनावी टिकट खरीदतें हैं वो उससे तो ज्यादा ही कमाएँगे !वैसे भी जिन जन प्रतिनिधियों को सैलरी ही न मिलती हो वो कमाएँगे कैसे सीधी सी बात घूस लेंगे !
   इसलिए समाज संकल्प करे कि बड़े बड़े नेताओं के नाते रिस्तेदार होने के नाते टिकट पाने वाले या पैसे के बल पर टिकट खरीदने वाले प्रत्याशियों को न अपना वोट देंगे और न ही औरों को ही देने देंगे ! अपराधियों और अयोग्य नेताओं को संसद और विधान सभा जैसे पवित्र सदनों में बिलकुल न पहुँचने दो !ऐसे नेताओं को चुनावों में हराने का हर संभव प्रयासकर पुण्य के भागी बनें !आपका गुप्त मतदान कोई नहीं देखता है इसलिए बिना किसी डर के योग्य और ईमानदार लोगों को ही वोट दें वो किसी भी दल के क्यों न हों !
     चुनावों में पापी प्रत्याशियों को वोट न खुद दो न औरों को देने दो अन्यथा चुनाव जीतकर ऐसे प्रत्याशी जो भी पाप करेंगे उसका दोष आपको भी लगेगा क्योंकि उन्हें आपने ही इस योग्य बनाया है अन्यथा चाहकर भी वे ऐसा न कर पाते !इसलिए दोष पूर्ण प्रत्याशियों को हरवाने का हर संभव प्रयास करके पुण्य कमाने का सुनहरा अवसर !
     जिन राजनैतिक पार्टियों का मालिक एक ही परिवार का बना रहता हो ये लोकतंत्र के लिए घातक है जिन राजनैतिक दलों में पार्टी को चलाने की योग्यता केवल एक व्यक्ति या एक ही परिवार में मानी जाती हो बाकी कार्यकर्ताओं को भेड़ बक़डियों की तरह भर लिया जाता हो जिन्हें पार्टियों के मालिक दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपनी इच्छाओं का गुलाम बनाकर सेवाएँ लेते हों !राजनीति से ऐसी ठेकेदारी पृथा समाप्त करने के लिए ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों को बिलकुल वोट न दिए जाएँ !ऐसे प्रत्याशी जनता का पक्ष न लेकर अपनी पार्टी के मालिक की इच्छा के अनुशार ही आचरण करेंगे इस लिए ऐसे सभी प्रत्याशियों का चुनावों में बहिष्कार किया जाए !
 राजनैतिक पार्टियों पर भरोसा करके किसी प्रत्याशी को वोट क्यों दे दिया जाए ?
        राजनैतिक पार्टियाँ देश को केवल एक आँख से देखती हैं वो आँख है चुनावों  में अपनी एवं अपनी पार्टी की विजय !वो कैसे भी मिले उसके लिए अपने सिद्धांतों से कितने भी बड़े समझौते क्यों न करने पड़ें !प्रत्याशी बहुत बुरा हो किंतु वो यदि अपनी आपराधिक प्रवृत्ति के कारण समाज को डरा धमका कर भी वोट हासिल करके चुनाव जीतने की ताकत रखता है तो भी वो राजनैतिक दलों की पहली पसंद बन सकता है !किंतु वो अपराधी चुनाव जीतने के बाद अपनी अपराध करने की प्रवृत्ति छोड़  देगा क्या ?अपने पुराने अपराधी मित्रों को छोड़ देगा क्या ?ऐसे आपराधिक पृष्ठ भूमि वाले नेताओं को वोट देकर उनके समर्थन का पाप हम क्यों करें !
 टिकट खरीदकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
      जो व्यापारी राजनैतिक पार्टियों से पैसे देकर टिकट खरीदेगा वो यदि चुनाव जीत जाएगा तो उसे टिकट लेने में लगा अपना पैसा इसी राजनीति से निकालना चाहिए या नहीं !और नहीं तो क्यों और हाँ तो कैसे !भ्रष्टाचार भी न करे और वो करोड़ों रूपया निकाल भी ले ऐसा हो ही नहीं सकता इसके लिए वो भ्रष्टाचार करेगा ही और उसे करना भी चाहिए क्योंकि उसकी पार्टी ने टिकट देने के बदले उससे पैसे लिए हैं इसलिए उसे भी क्यों नहीं लेना चाहिए ?ऐसी टिकट व्यापारी पार्टी के  ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
 संसद जैसे सदन उच्चस्तरीय चर्चा के मंच होते हैं जो नेता कम पढ़े लिखे होने के कारण चर्चा करने और समझने योग्य न हों उन्हें वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
    अशिक्षा अल्पशिक्षा  अयोग्यता या अनुभव हीनता के कारण जो सदस्य लोग संसद और विधान सभाओं की चर्चा में भाग ले पाने लायक न हों जो बोलने और समझने की योग्यता न रखते हों वे सदन में शांत बैठे रहते हों !चर्चा के समय कुर्सी छोड़कर समय पास करने बाहर निकल जाते हों या सदनों के अंदर ही कुर्सी पर बैठे सोने लगते हों या मोबाईल फोन में वीडियो देखने लगते हों या अपनी पार्टी के मालिक का इशारा पाकर हुल्लड़ मचाने लगते हों !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
  नेताओं के नाते रिश्तेदार या घर परिवार वाला होने के नाते किसी को प्रत्याशी बनाया गया हो तो ऐसे नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
   राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग चरित्रवान सदाचारी ईमानदार लोगों को अपनी पार्टियों में सम्मिलित करने में इसीलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये बेईमानी न करेगा न करने देगा !इसलिए भले लोगों को तो राजनैतिक पार्टियों में नेता लोग घुसने ही नहीं देते ! योग्यता ईमानदारी ,जन सेवा और सदाचरण के बल पर चुनाव जीतने की हिम्मत रखने वाले नेताओं की उपेक्षा करके उन बड़े बड़े नेताओं के घर वालों या सगे  सम्बन्धियों को चुनावी टिकट दे दिए गए हों !किसी नेता पर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप लगें तो उसके बीबी बच्चों को प्रत्याशी बना दिया गया हो !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?राजनैतिक दलों के ऐसे पापों में जनता सम्मिलित क्यों हो ?
  राजनीति में सबसे बड़ा दान किसी भी पार्टी के पापी प्रत्याशियों को वोट न देना है !ऐसे लोगों को टिकट देने वाले दलों का बहिष्कार किया जाए !
     मकरसंक्रांति  के पवित्र अवसर पर हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लीजिए कसम खाइए कि इस देश में पाप अब और नहीं होने देंगे और विश्व गुरु भारत को एक बार फिर से विश्व गुरुत्व के पद पर प्रतिष्ठित करेंगे !अपने घरों के मंदिर या तीर्थ क्षेत्र में जाकर कसम खाएँ कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए चुनाव लड़ने वाले पापी प्रत्याशियों को पराजित करके पुण्य कमाएँगे  !ऐसे दलों का बहिष्कार करेंगे !
      चुनाव लड़ाए जाने वाले प्रत्याशियों के चरित्र ,शिक्षा,संस्कार और व्यवहार पर क्यों न ध्यान दिया जाए !जो पार्टियाँ ऐसा नहीं करती हैं इसका सीधा सा मतलब है कि वो या तो चुनावी टिकटें बेंच रही हैं या अपने नाते रिश्तेदारों परिचितों को दे रही हैं जो दल ऐसे अलोक तांत्रिक कार्यों में लगे हुए हैं ऐसे दलों के कार्यकर्ता लोगों से निवेदन है कि वे ऐसे लोगों के बहकावे में न आएँ और पैसे एवं परिचय के बल पर चुनावी टिकट पाने वालों का बहिष्कार करें ! उन्हें चुनावों में पराजित करके पुण्य लाभ कमाएँ करें का उन्हीं पार्टियों कार्यकर्ता यदि ऐसा नहीं किया see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2017/01/blog-post_8.html


 

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