केजरीवाल जी ! अपने घर बेटा न हो तो जिम्मेदार पड़ोसी ! चुनावों में जनता वोट न दे तो दोषी EVM !कुछ अपनी भी जिम्मेदारी तो मानो !आखिर दिल्ली के दुर्भाग्य पूर्ण मुख्यमंत्री तो तुम्हीं हो !
अरविन्द जी !आप बैंग्लोर जाकर यदि अपनी खाँसी ठीक करवा सकते थे तो दिल्ली की स्थिति क्यों नहीं सुधार सकते थे !अपनी खाँसी के लिए बैंग्लोर और दिल्ली वालों के लिए मोहल्ला क्लीनिक !जनता तुम्हें वोट क्यों दे ?
केजरीवाल जी ! अपना चेहरा चमका लिया और दिल्ली वालों को बताते हो मोदी जी खराब हैं LG खराब हैं EVM खराब हैं !
अरे यदि ये ख़राब ही होते तो तुम्हारी खाँसी ठीक होने में ये रोड़ा क्यों नहीं बने दिल्ली के विकास की बाते आते ही तुम क्यों रोने लगते हो मोदी जी का नाम ले लेकर ?
सरकारी स्कूलों में आम आदमी पार्टी के दो चार बैनर पोस्टर लगवाने के अलावा और किया ही क्या है ?
शिक्षक गाइड से नक़ल मरवाते हैं और मोबाईल में सर्च करके मीनिंग बताते हैं सरकार कह रही है पढाई बहुत अच्छी हो रही है ऐसे कब तक बेवकूफ बनाया जाएगा समाज को !ऐसे अयोग्य शिक्षकों को सस्पेंड क्यों नहीं किया जाता !
प्रतिभा स्कूल जो पहले बहुत अच्छे हुआ करते थे उनकी भी दुर्दशा अब 'आप'की तरह ही हो रही है |इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?रोड टूटे पड़े हैं स्कूलों के दरवाजों पर गन्दगी का अम्बार लगा है सरकार अपनी पीठ ठोंके जा रही है !
अगर गंदे पानी की ही सप्लाई देनी हो तो कोई भी मुफ़्त दे देगा !फ्री पानी के चक्कर में कोई कहीं पाइप में छेद कर देता है कोई कहीं और !जब मन आता है तब उसे छोड़ देता है दूसरी जगह नया छेद कर देता है पुराने छेद से नालियों का पानी भरा करता है उसी पाइप में !जो लोग पानी के पैसे दे रहे हैं वो गंदा पानी पीने को मजबूर हैं !इसके लिए जिम्मेदार कौन है !पाइपों में अनधिकृत छेद करवाने वालों पर भारी पेनाल्टी क्यों नहीं लगवाती है सरकार !फ्री पानी का मतलब नालियों के पानी की सप्लाई नहीं होता है !
आप के नेता जनविश्वास तोड़ चुके हैं जबकि मोदी जी आश्वासन दे देकर चुनाव जीतने में अभी तक तो कामयाब हैं किंतु आगे क्या होगा पता नहीं इतना जरूर कहा जा सकता है कि स्थिति यदि ऐसे ही केवल भाषणों तक ही सीमित रही तो भारी पड़ सकते हैं 2019 के चुनाव !इसलिए मोदी की के आश्वासनों पर जनता जबतक भरोसा करती है उसके पहले ही उन्हें भी अपने काम काज की शैली सुधारनी होगी !
सांसदों के यहाँ जनता के काम काज के लिए मिलने वाले सिफारिशी लेटर केवल धोखा धड़ी हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं !न कोई उन्हें पढ़ता है न मानता है फिर उनका अर्थ ही क्या है ?
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री जी अधिकारियों कर्मचारियों को सुधारने में लगे हैं अधिकारी कर्मचारी ठीक करने में लगे हैं मुख्य मंत्री को !घोषणाएँ रोज नई नई हो रही हैं किंतु जमीन पर काम वही पहले की तरह ही हो रहे हैं तिल भर भी सुधार नहीं है जो पहले लेट आते थे वे अब भी उन्हें सस्पेंड होना चाहिए था तिनका एक एक दिन का बेतन काटकर उन्हें गैर हाजिर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है क्या ?अशिक्षित और अयोग्य शिक्षक खेल रहे हैं बच्चों के भविष्य के साथ !ऐसे लोगों को सस्पेंड करके नई नियुक्तियाँ किए बिना कैसे सँभाल लेगी सरकार !
सरकार लेखपालों से लेगी अवैध जमीनों की सूचना !किंतु अवैध जमीनों पर कब्ज़ा करवाता ही लेख पाल है !जिसके पैसे ले चुका है वो उसे अवैध लिखकर दे देगा क्या ?
इसी प्रकार से दिल्ली नगर निगम सबसे ज्यादा भ्रष्ट है ये सच है इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए दस वर्षों में भाजपा ने कुछ भी नहीं किया है फिर भी जीत गई क्यों ?
रिहायशी बिल्डिंगों में व्यापारिक काम हो रहे हैं जबकि व्यापारिक कामों की परमीशन नहीं है फिर चल वो कैसे रहे हैं निगम के अधिकारियों कर्मचारयों को पैसे खिलाकर !
ब्यूटी पार्लरों के नाम पर रिहायशी बिल्डिंगों में वेश्यावृत्ति करवाई जा रही है किंतु उसे रोका कैसे जाइए निगम और पुलिस को पैसे मिलते हैं !
दूसरों की छतों पर अवैध मोबाईल टॉवर लगवा देने वाला दिल्ली का भ्रष्ट नगर निगम किराया खुद खाता है भले वो घूस के रूप में ही क्यों न हो !इसे रोकने की जिम्मेदारी भाजपा की है किन्तु वो शांत रहती है !
निगम के बेशर्म अधिकारी कर्मचारी लोग अवैध मोबाईल टावरों को हटाने के लिए भी घूस माँगते हैं जबकि जो अवैध है उसे हटाना इनका नैतिक दायित्व है !वो कहते हैं अवैध है तो क्या हुआ उससे कोर्ट केस करवाकर स्टे दिलवा देंगे उसकी तारीख़ बढ़वाते चले जाएँगे और हम पैरवी नहीं करेंगे तो कैसे हटवा लोगे अवैध मोबाईल टॉवर !उनका कहना यहाँ तक होता है कि जजों को मोबाईल कंपनियाँ करोड़ों में देती हैं इसलिए अवैध टावरों को भी बचाए रखने के लिए जज भी एड़ी से चोटी तक का जोर लगाए रहते हैं !
यदि ऐसी स्थिति में थोड़ी भी सच्चाई है तो इसके लिए जिम्मेदार भाजपा नहीं तो और दूसरा कौन है !निगम प्रायः अवैध वसूली के अड्डे बने हुए हैं एक ओर जिन कामों को करने के
लिए निगम परमीशन नहीं देते हैं उन्हीं कामों को उन्हीं जगहों पर उन्हीं
लोगों के द्वारा वही लोग घूस लेकर करवाते देखे जाते हैं देखो अवैध मोबाईल
टावर वो भी सैकड़ों वो भी राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में तो बाकी देश में
क्या हो रहा होगा !सरकारी जमीनों सम्पात्तियों पर काम काज !रिहायसी
क्षेत्रों में व्यवसाय !निगम वालों को जब पैसों की जरूरत होती है फंड
जुटाना होता है तब ले ले गाड़ियाँ निकल पड़ते हैं तोड़ आते हैं कुछ दुकानों के
काउंटर थड़े छज्जे आदि !लोग समझ जाते हैं कि निगम अधिकारियों कर्मचारियों
को घूस के पैसों की जरूरत है और बेचारे दे आते हैं उन्हें !फिर वो सब वहाँ वैसे ही बना लिए जाते हैं जैसे पहले थे फिर उन्हें कोई नहीं रोकता !
अब तो निगम वालों की ऐसी हरकतें सब समझ चुके हैं इसलिए उन्होंने भी सोच
लिया है कि जैसे गुंडों माफियाओं का सप्ताह उन्हें जाता है ऐसे ही इनका भी बाँध
देते हैं जो नहीं देते वे भुगतते हैं !
इस खुले भ्रष्टाचार के खेल को क्या फ्री में देखा करती है सरकार !इसके
पैसे उन्हें भी मिलते होंगे क्योंकि पाप का पैसा पकड़ते समय पापी लोग कहा
करते हैं कि ये केवल हम्हीं नहीं लेते हैं ये तो ऊपर तक जाता है !यदि वो
झूठ बोलते हों तो सरकार इन पर कार्यवाही क्यों न करे !कुछ तो सच्चाई होती
ही होगी !बारे भ्रष्टाचार बारे लोकतंत्र !
अवैध कब्जों कार्यों गतिविधियों मोबाईल टावरों को देखकर भी निगम वाले कुछ
बोलते नहीं हैं बिना घूस लिए ऐसा संभव है क्या !और यदि ऐसा हो भी तो जिस
काम के लिए वो सैलरी लेते हैं अपने उस कर्तव्य का पालन करते क्यों नहीं हैं सरकार ईमानदार हो तो उनसे उनकी लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के लिए सैलरी
रिफंड करवाए !यदि सरकार ने उन्हें घूस लेने के लिए नहीं रखा है तो !
ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध पार्षदों ने आवाज क्यों
नहीं उठाई ये उनका कर्तव्य था !क्या बिना घूस लिए उन्होंने ऐसा किया होगा
!तरह तरह के रोगों से जूझ रही दिल्ली में रेडिएशन फैलाने वाले सैकड़ों अवैध
मोबाईल टावर लगे हुए हैं जिनके मालिकों ने कोर्ट से स्टे ले रखा है निगम के
अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से निगम उनके विरुद्ध पैरवी की केवल
खाना पूर्ति करता है और तारीखें बढ़ती चली जाती हैं पैसा ऊपर तक पहुंचता है
अन्यथा बिना पैसा लिए ऐसा होना संभव है क्या ? ऐसे तो मोबाईल टावर कभी
नहीं हटेंगे और यदि नहीं ही हटेंगे तो ये अवैध किस बात के !
ऐसे ही सैकड़ों सरकारी जमीनों पार्कों आदि में घूस ले लेकर कब्ज़ा करवा रखा
है इन्हीं निगम प्रतिनिधियों ने इधर घूस उधर सैलरी !क्या घूस के लेन देन
का खेल मात्र है सरकारी कामकाज !इनके विरुद्ध आवाज क्यों नहीं उठाते हैं
जनप्रतिनिधि ?पार्टियाँ उनसे पूछती क्यों नहीं हैं पार्षद बनने का मतलब
क्या चल अचल संपत्तियाँ इकठ्ठा करना मात्र होता है या कुछ जनसेवा भी !बड़े
बड़े अधिकारियों कर्मचारियों जन प्रतिनिधियों के होते हुए भी भ्रष्टाचार फिर
कर क्या रही है सरकार !क्या यही है लोकतंत्र जहाँ केवल एक दूसरे को धोखा
देना और झूठ बोलना सिखाया जाता हो एक दूसरे को बदनाम किया जाता है !
इसीलिए तो राजनैतिक पार्टियों का टिकट वितरण विश्वसनीय नहीं होता जो जितने
पैसे देकर चुनावी टिकट खरीदतें हैं वो उससे तो ज्यादा ही कमाएँगे !वैसे भी
जिन जन प्रतिनिधियों को सैलरी ही न मिलती हो वो कमाएँगे कैसे सीधी सी बात
घूस लेंगे ! सरकारी
लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों
और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों
करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए
गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ दिए
गंभीर अपराध मानकर कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
यदि दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी की किसी बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर बाहरी लोगों के द्वारा यह कह कर लगा दिया जाता है कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न लगाया गया हो और न ही बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को ही घोषित रूप से दिया गया हो बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही हो मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा हो !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हों कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इस रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है ।
यदि दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी की किसी बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक मोबाईल टॉवर बाहरी लोगों के द्वारा यह कह कर लगा दिया जाता है कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न लगाया गया हो और न ही बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को ही घोषित रूप से दिया गया हो बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही हो मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा हो !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हों कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
इस रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है ।
महोदय ! MCD के अधिकारियों की मिली भगत से ये पूरा गिरोह फल फूल रहा है
अवैध होने के बाब्जूद पिछले 12 वर्षों से ये टॉवर लगा होना आश्चर्य की बात
नहीं है क्या ! इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जब कुछ कर ही नहीं पा
रहे हैं ऊपर से गैर कानूनी कार्यों के समर्थन में दबंग लोगों की मदद करते
जा रहे हैं ऐसे लोगों को सैलरी आखिर दी किस काम के लिए जा रही है !इस अवैध
मोबाईल टावर को कानूनी संरक्षण दिलवाने के लिए इसी गिरोह के कुछ लोगों ने
मोबाइलटावर हटाने के विरुद्ध स्टे ले लिया जिनसे पैसे लेकर MCD वाले ठीक
से पैरवी नहीं करते इसी प्रकार से इसे पिछले 12 वर्षों से खींचे जा रहे हैं
वो किराया खाते जा रहे हैं उन्हें घूस देते जा रहे हैं । ऐसे तो ये अवैध
होने के बाद भी कभी तक चलाया जा सकता है ये सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार
को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है !
आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और से तब तक रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12 वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और से तब तक रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12 वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
इस बिल्डिंग संबंधी भ्रष्टाचार से स्थानीय पार्षद से लेकर सांसद जी का
कामकाजी कार्यालय न केवल सुपरिचित है अपितु 6 महीनों से वे भी बड़ी मेहनत कर
रहे हैं किंतु बेचारे दबंगों के विरुद्ध कुछ कर पाने की हिम्मत नहीं जुटा
पा रहे हैं SDM साहब भी बेचारे आकर देख सुन कर लौट गए पुलिस विभाग तो सुनते ही मौन है !और EDMC के इस स्टे वाले दाँव से सब चकित हैं!
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