Sunday, 30 April 2017

VIP यों की ही सुरक्षा क्यों ! नेता ही VIP क्यों ! जनता VIP क्यों नहीं ?

   नेताओं की बातें सादगी की आचरण राजों रजवाड़ों जैसे ! सुरक्षा हर नेता को चाहिए किंतु  सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा कौन करेगा ! वे अपने अपने घरों से इफरात हैं क्या ?आजादी में उनके भी पूर्वजों का योगदान है !  
    नेता भी एक एकदिन के लिए निकलें बिना सिक्योरिटी के आम बाजारों में घूमें आम लोगों की तरह वे भी करें बाजार और घर के काम काज करते हुए अपनी तस्वीरें सोशल साईट पर शेयर करें !तब पता लगेगा कि कौन कितना VIP कल्चर के खिलाफ है !और तब उन्हें समझ में  आएँगी जनता की परेशानियाँ !नेताओं ने यदि किसी का बुरा नहीं किया है तो वो मरने को इतना डरते क्यों हैं अपने नश्वर शरीर की सुरक्षा के लिए क्यों करोड़ों रूपए महीने फुँकवा डालते हैं देश के !जब तक आयु है तब तक कोई मार नहीं सकता इस बात पर भरोसा क्यों नहीं करते !किसान मजदूर गरीब ग्रामीण इसी भरोसे के सहारे जंगलों में जीवन काट देते हैं !नेता इससे डरते क्यों हैं !जब तक नेता लोग अपनी कुर्बानियां देने को नहीं तैयार होंगे जब तक अधिकारी आफिसों से बाहर निकलकर आम जनता के जीवन को सरल बनाने में मदद नहीं करेंगे तब तक डरपोक नेता केवल भाषणों में ही वीरता दिखाते रहेंगे कुर्बानी के  नाम पर अपनी जगह मौत के मुख में सुरक्षा कर्मियों को ही झोंकते रहेंगे !ये सुरक्षाकर्मी भी तो अन्य VIP यों की तरह ही VIP हैं  सुरक्षाकर्मियों के अपने जीवन से खिलवाड़ क्यों ?अपने बीबी बच्चों के लिए तो वो भी किसी  VIP से कम नहीं होते हैं फिर रेवड़ियों की तरह क्यों बाँटी जा रही है सुरक्षा ! उनकी अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों को भी जान का खतरा होता है उसे सुरक्षा क्यों नहीं ?       
आखिर VIP यों का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों है उन्होंने देश और समाज के लिए ऐसा क्या योगदान किया है जिसके लिए देश उन्हें खतरों से बचाने के लिए अपने बहुमूल्य जवानों की जान जोखिम में डाल दे  !देश ऐसे लोगों की सुरक्षा पर अपने खून पसीने की कमाई क्यों खर्च करे जिन्होंने देश को देने के नाम पर केवल मल मूत्र को छोड़कर कुछ दिया ही न हो !इसलिए किसी को सिक्योरिटी देते समय इस बात का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए कि किसी को कहीं झाम बनाने के लिए तो नहीं कुछ जीवंत लोगों के स्वाभिमान को दाँव पर लगाया जा रहा है या उन पर आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है !इसे रोका जाना चाहिए सुरक्षा का वातावरण बनाना ही है तो सबकी चिंता करे सरकार !सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न पर भी भेदभाव !किसकी सुरक्षा करनी है और किसकी नहीं ये भावना ही क्यों ?
    

VIP नेताओं की सुरक्षा में बंदूखें ताने खड़े लोग VIP यों की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा देंगे क्या ?



       VIP लोगों की सुरक्षा ही क्यों ?जनता मरने को तैयार है तो नेता क्यों डरते हैं मरने से !सुरक्षा में भी भेदभाव ! आश्चर्य !!डरपोक और ईश्वर पर भरोसा न करने वाले नेता लोगों को सुरक्षा क्यों दी जाए ! 
     जो लोग जनता को फूटी आँखों नहीं सोहाते उन्हें VIP क्यों और कैसे मान लिया जाए !किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से ज्यादा परिश्रम देश के लिए उन्होंने किया है क्या ?उन्होंने आखिर मलमूत्र छोड़कर देश को और ऐसा क्या दे दिया है जिसे कि उन्हें VIP मान लिया जाए और उन्हें ज़िंदा रखने के लिए कुछ अच्छे लोगों को उनकी सिक्योरिटी में लगाकर उन्हें नेता जी की मौत के बदले मरने पर क्यों मजबूर कर  दिया जाए !
     वैसे तो अपने अपने बीबी बच्चों के लिए हर कोई VIP ही होता है !अपनों के लिए हर किसी का जिंदा रहना उतना ही जरूरी होता है जितना किसी VIP का |,इसलिए सुरक्षा तो सबकी सुनिश्चित की जानी चाहिए !सबकी सुरक्षा के प्रयास किए जाएँ उसी में VIPलोग भी सुरक्षित अपने आप ही हो जाएँगे !बड़े बड़े नेता लोग खुद तो सुरक्षा ले लेते हैं और बाक़ी सारे देश वासियों को छोड़ देते हैं मरने के लिए !यही शासन है यही सरकार है इसीलिए टैक्स लेते हैं बेचारे !
     कुछ लोगों को सैलरी का लालच देकर नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है क्यों ?क्या उनके पेट स्टील के लगे हुए हैं क्या ? आखिर मारे जाने का खतरा जितना नेता जी को है उतना ही तो सुरक्षा में लगे लोगों को भी है किंतु उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए अपनी जान पर खेलना उनकी मजबूरी है जबकि VIP लोगों के खाना पाखाना का सारा बोझ जनता उठाती है इसलिए न उन्हें कमाने की चिंता और न कहीं जाने की चिंता !ऊपर से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी जनता के कन्धों पर आखिर क्यों ?
      पढ़ने में लापरवाही करने वाले लोग जैसे परीक्षा देने से डरते हैं ऐसे ही पाप और कपट पूर्ण जीवन जीने वाले लोग मौत से डरते हैं किंतु याद रखिए सैकड़ों गायों के झुंड में घुस कर भी जैसे गाय का छोटा सा बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार से मौत जिस दिन आएगी उस दिन कोई सिक्योरिटी वाला क्या कर लेगा दो चार दस लोग नेता जी के साथ शहीद हो जाएँगे यही न !किंतु वे सुरक्षाकर्मी नेता जी की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा नहीं सकते !फिर काहे के VIP!मृत्यु तो कहीं से भी खोज लेगी !मृत्यु जब जहाँ निश्चित हैं वहाँ होगी ही इसलिए नैतिक और ईश्वर पर भरोसा रखने वाले VIPयों को चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा में लगे लोगों से कहें कि मुझे तो हमारे कर्मों और आयु के सहारे जीने दो तुम देश और समाज की सेवा करो !तुम उस जनता की सेवा करो जिसकी खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स से तुम्हें सैलरी दी जाती है !तुम उसके सहारा बनो यही तुम्हारा नैतिक कर्तव्य है | 
       सुरक्षा हो तो सबकी हो अन्यथा किसी की न हो !रही बात VIP की तो VIPकेवल नेता ही क्यों होते हैं किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों में आजतक कोई VIP हुआ ही नहीं क्या ?गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है क्यों ?जान से मारने की धमकियाँ तो उन्हें भी दी जाती हैं बहुत लोग मार भी दिए जाते हैं किन्तु उन्हें तो सिक्योरिटी नहीं दी जाती है उनकी जान की कीमत कम क्यों आँकी जाती है ?और ये लोग किसी के जीवन की कीमत आँकने वाले होते कौन हैं या फिर इनका मानना होता है कि जनता को तो कोई खतरा है नहीं इसलिए उसे सुरक्षा क्यों तो फिर इन्होंने अपने लिए खतरा तैयार किया ही क्यों ?ईमानदार और चरित्रबली नेताओं को मरने से नहीं लगता है डर !वो चरित्र बलपर ही तो मृत्यु को हमेंशा ललकारा करते हैं !
         सरकारी काम काज में बढ़े भयंकर भ्रष्टाचार ने VIP नेताओं के शत्रु तैयार कर दिए हैं !देश में अयोग्य लोगों को योग्य बता दिया और योग्य को अयोग्य !सरकार के हर विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार ! जिसकी कीमत चुकानी पड़ रही है जनता को !उदाहरण के लिए हमने चार विषय से MA उसके बाद Ph.D.की किंतु हमने घूस नहीं दी तो  नौकरी देने वाले सरकारी ठेकेदारों ने हमें नौकरी नहीं दी !और उन्होंने जिन्हें नौकरी दी है वो जिस विषय में जितने योग्य हैं उनसे खुली बहस करवाकर या उन्हें उन परीक्षाओं में बैठा दिया जाए जिनकी योग्यता के बलपर उन्हें नौकरियाँ दी गई हैं जितने प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी पास हो जाएँ उतने प्रतिशत को दी जाने वाली सैलरी सार्थक मानी जाए बाकी को दिया जा रहा है अनुदान !शिक्षक लोग कक्षाओं में गाइड लेकर पढ़ा रहे हैं  मोबाईल में देखकर शब्दों की मीनिंग बता रहे हैं सरकार फिर भी उन पर मेहरबान है न जाने क्यों ?ये सब इन्हीं VIPयों की कृपा से ही तो संभव हो पाया है !फिर भी वे VIP!
       सारा देश नेताओं की दी हुई दुर्दशा ही तो भोग रहा है !नेता जब चुनाव लड़ते हैं तब जिनकी जेब में किराए के पैसे तक नहीं होते चुनाव जीतते ही वो करोड़ो अरबपति हो जाते हैं निगम पार्षद जैसा चुनाव जीतकर दिल्ली जैसी जगहों पर दो चार मकान तो बना ही लेते हैं समझदार नेता लोग !विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री जैसे लोगों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है !दो दो चार चार गाड़ियाँ कोठियाँ जहाजों की यात्राएँ इसके बाद भी करोड़ों अरबों की संपत्तियाँ आखिर हुईं कैसे ?व्यापार करते किसी ने देखा नहीं नौकरी किसी की की नहीं !अपनी पैतृक संपत्तियाँ थीं नहीं !खर्चों में कंजूसी करते देखे नहीं गए ये लोकतंत्र को लूट कर बनाई हुई संपत्तियाँ नहीं हैं तो इन नेताओं की अनाप शनाप बढ़ी सम्पत्तियों के स्रोत आखिर हैं क्या ?इस देश को कभी कोई ऐसा ईमानदार नेता मिलने की उमींद की जाए क्या कि जो इन नेताओं की संपत्तियों के स्रोत सार्वजनिक करने का साहस कर सके !
        सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरियाँ लगी थीं तब उनकी सम्पत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं बीच में बढ़ी संपत्तियों के स्रोत सार्वजानिक किए जाएँ !
    बाबा लोग जब बाबा बने तब से आजतक उन्होंने ऐसे कौन से प्रयास किए जिससे संपत्तियाँ एकत्रित हुईं और यदि संपत्तियाँ ही इकट्ठी करनी थीं व्यापार ही करने थे तो बाबा बने क्यों ?इन शंकाओं के समाधान यदि ईमानदारी से खोजे जाएँ तो संभव है कि कई बड़े अपराधों और अपराधियों के संपर्क सूत्र यहाँ से जुड़े मिलें जिनके द्वारा आश्रमों में लगाए जाते हैं सम्पत्तियों के अंबार और बाबा लोग उन्हें अपने यहाँ शरण देकर अपने राजनैतिक संपर्कों के बल पर बचाते रहते हैं !
    परिश्रम के मामले में किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से कोई नेता अफसर या बाबा बराबरी नहीं कर सकता फिर भी दिन रात परिश्रम करने वाले वे बेचारे गरीब और कभी कुछ न करते देखे जाने वाले नेता बाबा और सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग रईस !आखिर ये चमत्कार होता कैसे है भ्रष्टाचार नहीं है तो !सरकार का हर विभाग जनता को रुला रहा है फिर भी बेतन आयोग उनकी सैलारियाँ बढ़ावा रहा है आखिर क्यों ?सरकारी स्कूलों अस्पतालों को जिन्होंने बर्बाद किया सैलरियाँ  उनकी भी बढ़ा दी जाती हैं !अरे काम नहीं तो पैसे क्यों ?अपने पिता जी की कमाई का पैसा खर्च हो रहा होता तो भी ऐसे लुटाने की हिम्मत की जा सकती थी क्या ?
     

Saturday, 29 April 2017

सरकारी आफिसों में काम के स्थानों पर आराम के इंतजाम क्यों ?किसान छाया में रहने के आदी हो जाएँ तो क्या काम होगा ?

   सरकारी आफिसों में AC गाड़ियों में AC और चाहत काम करवाने की !काम के स्थानों पर आराम के  इंतजाम बड़ों बड़ों को आलसी बना देते हैं !
     दूसरों को योग सिखाने की शौक़ीन सरकार को चाहिए कि वो पहले अपने अधिकारियों पदाधिकारियों को बिना AC में रहने का सादगी भरा योग सिखावे योगी लोग जंगलों में क्या AC में योग किया करते थे  !
  सुख सुविधा पसंद आलसी लोग कभी जनता के बीच नहीं जाएंगे !आफिसों में बैठे कलम घिसते रहेंगे !और जब तक वो जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तब तक उनके नीचे वाले ख़ाक जिम्मेदारी निभाएंगे आखिए वे भी तो कर्मचारी ही होते हैं उनके  मन में भी तो बिना काम किए सैलरी उठाने की भावना होती है ! सरकार जनता से टैक्स लेती है जिन्हें सैलरी देने के लिए वही लोग काम करने के लिए जनता से माँगते हैं घूस !जनता सरकार को टैक्स दे या उन्हें घूस !इसी लिए जनता थोड़ा सा टैक्स बचाकर काम करवाने के लिए देती है उन्हें घूस !सरकार कहती है वे टैक्स चोर हैं सरकार  अपनी ओर झाँक कर देखे कि वो क्या है ?
     
 इसलिए सादगी पूर्ण कोई कोई निर्णय लेना ही है तो किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों एवं सामान्यवर्ग के लोगों के समान जीवन जीने का पवित्र व्रत लीजिए !क्योंकि सरकारी आफिस काम करने के लिए हैं आराम करने के लिए नहीं फिर AC आदि सुख सुविधाएँ क्यों ?
        VIP कल्चर हटाना ही है तो सरकारी आफिसों और गाड़ियों से हटवाइए AC आदि सुख सुविधा के सारे साजो सामान !कार्यस्थलों को जितना सुख सुविधा पूर्ण बनाया जाएगा काम करने में उतना ही अधिक मन नहीं लगेगा !कार्यस्थल काम करने के लिए होते हैं घर आराम करने के लिए होते हैं आराम करने की जगह होनी चाही सुख सुविधाएँ किंतु काम करने की जगह ही यदि सुख सुविधाओं के सामान उपलब्ध करवा दिए जाएँगे तो लोग काम क्यों करेंगे आराम ही करेंगे जैसा कि हो रहा है आजकल सरकारी विभागों में !
        एक खेत में गेहूं की मड़ाई अर्थात दँवरी का काम चल रहा था अप्रैल का महीना खुले आसमान के नीचे धूप और लू के थपेड़ों के बीच काम चलता था किसान और उसके मजदूर लगे हुए थे | सभी लोग अपने अपने कामों में चुपचाप लगे रहते थे एक दो बार पानी घर से कोई ले आता था तो लोग पी लिया करते थे !खेत के आस पास छाया दूर दूर तक नहीं थी !एक दिन किसान ने सोचा कि धूप से बचने का कुछ प्रबंध किया जाए उसने एक मड़ई बना ली इसके बाद पानी का एक घड़ा रख लिया !अब तो हर किसी को आधे आधे घंटे में प्यास लगने लगी लोग बहाने बना बनाकर मड़ई में चले जाते और आराम करने लगते धीरे धीरे वर्तमान सरकारी विभागों की तरह आराम करने की प्रवृत्ति मजदूरों में बढ़ती चली गई कामकाज चौपट होने लगा !अब आलसियों से कोई काम कहा जाए तो काम करने से खुद तो  कतराने लगे और किसान को ही काम में फँसाए रखने लगे उससे नास्ता मँगावें बीड़ी का बण्डल तंबाकू आदि मँगाकर उसी में फँसाए रखने लगे अब वो बेचारा किसान सामान लेकर दे और ये आराम करें !हद तो तब हो गई जब उसे गाँव भेजकर पानी मँगाने के लिए घड़े का पानी छिपकर फैला दिया करते और प्यास का बहाना बताकर किसान को पानी लेने के लिए भेज दिया करते !बिलकुल अपने देश के सरकारी कार्यालयों की तरह !सरकार यदि इनपर थोड़ी भी शक्ति करना चाहे तो ये सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ही सरकार को अपने काम बताने लग जाते हैं अपने कार्यालयों का कंप्यूटर प्रिंटर AC कुर्सी जैसा जरूरी सामान खराब करके बैठ जाया करते हैं सरकार की ओर से जैसे ही अंकुश लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तो ये अपने इतने काम गिनाने लग जाते हैं कि सरकार इन्हीं के कामों में उलझी रहती है फिर इनसे काम करने को कहे किस मुख से !इसीलिए ये बेचारे काम करने से बच जाते हैं सरकार उसी किसान की तरह उलझी रहती है इन्हीं की सेवा सुश्रूषा सैलरी आदि सारे संसाधन जुटाने में !
    किसानों मजदूरों की आमदनी से कई कई गुना ज्यादा सैलरी लुटा रही है अपने कर्मचारियों को और काम बिलकुल न के बराबर ले पाती है इन्हें यदि ऐसी ही परिस्थिति में सरकार प्राइवेट विभागों में भेजना चाहे तो इन्हें सरकार जितनी सैलरी आज दे रही है वे प्राइवेट वाले कंपनी मालिक इनके काम काज के हिसाब से इसकी पाँच प्रतिशत से अधिक नहीं देंगे सैलरी !इनका काम काज इतनी घटिहा  क्वालिटी का है कोई जिम्मेदारी नहीं होती !
      किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों को भी यदि सुख सुविधाएँ  उपलब्ध करवा दी जाएँ तो वो लोग भी सरकारी कर्मचारियों की तरह आलसी ,अकर्मण्य और बीमार होने लगेंगे उन्हें भी शुगर, BP,हार्ड अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ! इसके साथ ही खेती किसानी के कामों से आमदनी तो छोड़िए लागत निकालना कठिन हो जाएगा सरकार एकबार सुविधाएँ देकर देखे तो सही सरकारी विभागों की तरह ही खेत खलिहान भी चौपट हो जाएँगे !
     कुल मिलाकर आम आदमी की अपेक्षा कई कई गुना अधिक सैलरी लेने एवं सुख सुविधाओं के कारण बर्बाद हो चुके हैं सरकारी विभागों के लोग !बिलकुल अकर्मण्य और आलसी हो चुके हैं अधिकारी कर्मचारी !काम करने वाले लोगों को जितनी अधिक सुख सुविधाएँ दी जाएँगी काम करने की भावनाएँ उतनी अधिक मरती चली जाती है AC लगाकर रिक्से नहीं खींचे जा सकते !ये भी बात सच है कि सुख सुविधाएँ दी ही भोगने के लिए जाती हैं भोगी न जाएँ तो बेकार !इसीलिए तो सरकार के द्वारा सरकारी कार्यालयों में प्रदत्त सरकारी सुख सुविधाएँ अधिक से अधिक भोगने में बिजी हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !चलो सरकार का पैसा बिलकुल बर्बाद नहीं जाने दे रहे हैं !
      टेलीफोन का कम्प्लेन कई बार करने पर भी ठीक नहीं हुआ तो GM के यहाँ जाकर कंप्लेन उन्होंने किसी को फोन किया उसने लाइनमैन पार्क में लेटा  था उसने जवाब दिया कि मैं कंप्लेन पर हूँ और जो नंबर आप दे रहे हैं वो ठीक नहीं हो सकता क्योंकि वो अंडर ग्राउंड केबल ही ख़राब हो गई है !ये सूचना तुरंत GM दे दी गई है GM ने कस्टमर को बता दिया उधर GM के सूचित करने से पहले ही लाइन मैन से कस्टमर की मुलाकात हो गई तो उसने वही फोन ठीक करने के लिए 100 रूपए माँगे उसने दे दिए तो तुरंत ठीक कर दिया गया फोन !क्या 100 के बराबर भी नहीं होनी चाहिए अधिकारियों की औकात !फिर सरकार उन्हें क्यों देती है इतनी सैलरी !
      सुख सुविधा भोगने की भावना ने अधिकारियों को आफिसों के कोप भवनों में कैद कर  रखा है अधिकारियों के आलसी स्वभाव को जानने लगे हैं उनके नीचे के कर्मचारी गण इसीलिए कर्मचारी काम नहीं करते अपने सीनियर को देख देख कर वे भी वैसे ही हो गए हैं !
      दिल्ली के प्रतिभा जैसे सरकारी स्कूलों की ये स्थिति है कि शिक्षकों को उनके अपने विषयों की जानकारी छात्रों से भी कम है वो छोटी छोटी चीजें गाइड देखकर पढ़ाते हैं बच्चे कोई मीनिंग पूछ दें तो मोबाईल पर देखकर बताते हैं ऐसे लोगों से सरकार बच्चों का भविष्य ठीक करवाना चाहती है जिन्हें प्राइवेट स्कूल वाले अपने स्कूलों फ्री में भी नहीं रखते उन्हें सरकार लुटा रही है सैलरी !
     इसलिए सरकार सबसे पहले अपने कर्मचारियों को योग की जगह कर्मयोग सिखावे !तब रुकेगा भ्रष्टाचार ! जो ईमानदारी पूर्वक परिश्रम से कमाई हुई संपत्ति का भोग करेंगे वही स्वस्थ रहेंगे ! कामचोर आलसी अकर्मण्य घूसखोर भ्रष्टाचारी लोग कितना भी योग कर लें बीमार ही रहेंगे उनके बच्चे बिगड़ेंगे ही मुशीबतें आएंगी ही !दूसरों का हिस्सा पचाना इतना आसान होता है क्या ?स्वच्छता अभियान तभी सफल है जब भ्रष्टाचारियों घूसखोरों आलसियों अकर्मण्य लोगों से मुक्त करवाए जाएँ सरकारी विभाग !इसके अलावा लाल बत्तियाँ हटा कर समय पास करना या मुद्दों से ध्यान भटकाना ठीक नहीं है |
  

PM मोदी जी को जन्म दिन के उपलक्ष्य में बहुत बहुत बधाई !किंतु अब राजनैतिक शुद्धिकरण के लिए भी कुछ करें !

    प्रधानमंत्री जी !योग्य ईमानदार अनुभवी कर्मठ देश भक्त एवं ज़िंदा विचार वाले उच्चशिक्षित लोगों को राजनीति में लाने का प्रयास कीजिए ताकि देश की सर्वोत्तम प्रतिभा का उपयोग देश के लिए किया जा सके !हे प्रधानमंत्री जी !राजनैतिक उद्योगपतियों की चमचागिरी करके राजनैतिक दलों में घुसपैठ कर लेने वाले अयोग्य एवं भ्रष्ट नेताओं से भारतीय राजनीति को मुक्त करवाने के लिए कुछ कठोर कदम उठाइए !               राजनीति रूपी गंगा मैया का भी निर्मलीकरण किया जा सके !जिस राजनीति की हर किसी को हर जगह जरूरत  पड़ती है वो इतनी गन्दी है कि उसका जल तो आचमन करने लायक भी नहीं बचा है !चोरों छिनारों बेइमानों लुच्चों लुटेरों का आशियाना बन चुकी वर्तमान राजनीति के दरवाजे अब भले लोगों के लिए भी खुले तौर पर खोले जाएँ और पार्टी पदाधिकारियों का चयन उनकी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर किया जाए ताकि पढ़े लिखे आम लोगों के लिए भी राजनीति में आना आसान हो ! 
     वर्तमान समय में नेताओं की अयोग्यता जग जाहिर है किसी को अयोग्य कहना हो तो उसे चाहें अयोग्य कह लो या फिर नेता कहकर भी काम चलाया जा सकता है दोनों की एक ही बात है !संसद में अक्सर होने वाला गतिरोध या हुल्लड़ नेताओं की अयोग्यता के कारण ही तो होता है टीवी चैनलों की बहस में एक से एक मुचंड लोगों को पकड़ पकड़ कर ले आते हैं टीवी चैनलों वाले चैनलों पर वो कब क्या बोल देंगे इस पर किसी को भरोसा नहीं होता है !सब अपना अपना टेलेंट दिखा रहे होते हैं जिसमें सुनने और सहने लायक कुछ भी नहीं होता है केवल बकते रहना होता है किसी को सुनाई पड़े या न पड़े !
भाजपा की पहल -
      राजनीति को सजीव बनाने की दिशा में मजबूत कदम ! सुना है कि बीजेपी टैलंट हंट आयोजित करेगी।
पहले भी प्रधानमंत्री जी कई कार्यक्रमों में युवाओं को मौका देने की बात करते रहे हैं।बीजेपी की संसदीय दल की बैठक में भी उन्होंने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है।प्रधानमंत्री इस बात के इच्छुक है कि देशभर से ऐसे युवा चेहरे ढूंढे जाएं जिससे लोगों तक बीजेपी का संदेश पहुंच सके और भारत की नई पीढ़ी के बीच पार्टी का आधार मजबूत किया जाए। इसको लेकर कई तरह के सुझाव भी मिल रहे हैं- जैसे मॉक संसद का आयोजन, चर्चा, विमर्श करना है। पार्टी ऐसे प्रवक्ता चाहती है ताकि युवा खुद को उनसे जोड़कर देख सकें।
      प्रधानमंत्री जी का प्रयास है कि नए चेहरे आम जनता के मुद्दे पर बेहतर रिसर्च करने में सक्षम हों और उनकी पृष्ठभूमि साफ-सुथरी हो। अब तक पार्टी द्वारा बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान चलाया गया है। अब अगला कदम पार्टी में अच्छे प्रवक्ताओं को जोड़ना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में पार्टी सहयोगियों से कहा था कि अगला लोकसभा चुनाव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लड़ा जाएगा !
     अरे भाजपा वालो ! कृपया मेरे विषय में भी विचार करके देखना see more .....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/drshesh-narayan-vajpayee-drsnvajpayee.html

Friday, 28 April 2017

महापुरुषों के नाम पर छुट्टियाँ नहीं तो तिथि त्योहारों पर छुट्टियाँ क्यों ?सरकारी छुट्टियों का महत्त्व !

   हिंदुओं के त्यौहार मुस्लिम नहीं मनाते और मुस्लिमों के त्यौहार हिंदू नहीं मनाते किंतु दोनों के त्योहारों में छुट्टियाँ दोनों भोगते हैं क्यों ? जिन त्यौहारों को जो मनाते ही नहीं हैं उन्हें उन त्योहारों पर छुट्टी क्यों दी जाए !
   सरकार चाहे तो त्यौहारों के दिन भी सरकारी आफिस खुले रह सकते हैं और जनता के काम किए जा सकते हैं जिस धर्म का जो त्यौहार हो उन्हें छोड़कर बाकी लोग तो आवें आफिस ! कितने त्योहारों पर सभी दुकानदार दुकानें  बंद कर देते हैं किसान लोग किसानी बंद कर देते हैं मजदूर लोग मजदूरी करना छोड़ देते हैं मैकेनिक या रिपेयरिंग जैसे काम करने वाले या जॉबवर्क करने वाले अपना अपना काम बंद कर देते हैं !किंतु उन सबका वो काम अपना होता है जबकि सरकारी कर्मचारी जनता के काम को कभी अपना समझते ही नहीं हैं समझें तो करें !आफिस आकर साइन करने की सैलरी मिलती है तो वो आफिस आकर साइन कर जाते हैं और साइन करने की सैलरी सरकार को देनी होती है तो सरकार सैलरी दे देती है काम करवाने के लिए जनता को घूस देनी होती है तो घूस देकर जनता अपना काम करवा लेती है !बस !!सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है !
    मुख्यमंत्री जन समस्याएँ सुनने के लिए अपने यहाँ भीड़ लगाते हैं किंतु जनसमस्याएँ जब अपने को ही सुननी हैं तो उन जिलों के अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी किस बात की दी जाती है !वैसे भी मुख्यमंत्री के समस्याएँ सुनने से और वहाँ आने वाली भीड़ की संख्या देखकर ये तो पता !लग ही जाता है कि सरकारी विभागों के काम काज की गैर जिम्मेदारी अकर्मण्यता से जनता तंग है !मुख्यमंत्री को उनसे काम करवाना चाहिए वे खुद बैठ जाते हैं जन समस्याएँ सुनने !ऊपर से कहते हैं सरकार अच्छा काम कर रही है !
   सरकारी विभागों के कर्मचारियों को बात बात में छुट्टी इसलिए चाहिए कि वे आफिस आकर ही क्या करते हैं वैसे ही घर रह जाते हैं ठेके पर काम होता हो तो घर वाले भी धक्का देकर सुबह ही भगा देते कितना भी बड़ा त्यौहार क्यों न होता  टिपिन में गुझिया रख देते और कह दिया  करते कि जाओ त्यौहार हम लोग शाम को मना लेंगे किन्तु आफिस जाएँ न जाएँ काम करें न करें सैलरी तो मिलती ही है तो घर वाले भी निश्चिन्त होते हैं
    सरकारी कर्मचारियों की यूनियन क्यों बनी हैं इसका मतलब क्या  नहीं है कि सरकार अपने विरुद्ध हड़ताल करने की उन्हें सुविधा मुहैया करवा रही है !वो यूनियन वाले ड्यूटी टाइम में मीटिंग करते हैं पार्टियां करते हैं सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोल देने की धमकी देकर हड़ताल कर देते हैं सर्कार ईमानदार हो तो उन्हें सस्पेंड करके नई नियुक्तियाँ कर दे किंतु सरकार का भ्रष्टाचार में जब अपना पैर फँसा होता है तो शक्त एक्शन लें कैसे !वो भी तो सरकार की पोल खोल देंगे !इसी लिए सरकार अपने अधिकारी कर्मचारियों को पटाए रखती है भारी भरकम सैलरी उसके ऊपर बाकी सारी सुख सुविधाएँ !समाज में ऐसी खातिर दारी तो लोग दामादों की नहीं कर पाते हैं जैसी सरकार अपने कर्मचारियों की करती है !सरकार ईमानदार हो तो उनके आगे दुम हिलाने की क्या जरूरत !

    अधिकारी यदि ईमानदारी पूर्वक काम ही करते होते तो अपराधी पैदा ही नहीं होते !जो हो चुके थे वे मैदान छोड़कर अब तक न जाने कब भाग गए होते चूँकि अपराधी लोग अपने अपने कामों को बखूभी अंजाम दे रहे हैं इसका मतलब अधिकारी अकर्मण्य हैं डरपोक हैं या फिर घूस खोर !
    जिन अधिकारियों का तबादला किया जाता है वे काम बहुत अच्छा करते हैं उनकी कार्य कुशलता से यहाँ रामराज्य आ चुका है इसलिए अब इन 'मेकरऑफरामराज्यों'  को कहीं और 'मेकिंगऑफरामराज्य' के लिए तबादला किया जा रहा होता है या कुछ और !
   ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों को छोड़कर कभी कभी ऐसा भी होते देखा जाता है कि कुछ अधिकारियों ने कुछ जिलों के कुछ विभागों का बेड़ा गर्क कर रखा होता है कुछ करना या कुछ अच्छा करना उनकी नियत में होता ही नहीं है सरकार उनसे पीछा छोड़ाने के लिए तबादले कर करके पाँच वर्ष पार कर लेती है | ऐसे अधिकारी जिस सरकार के कार्यकाल में जहाँ कहीं भी अपनी सेवाएँ देते हैं वहाँ के लोगों को इतना अधिक तंग कर देते हैं कि स्थापित सरकारों की कब्र खोदने में कमी नहीं छोड़ते ऐसा घटिहा काम करते हैं !ऐसे यमदूतों से सरकारें अपना अपना पीछा छोड़ाया करती हैं और ऐसे तेजाबी लोगों को कहीं एक जगह अधिक दिन तक टिकने नहीं देती हैं तबादले पर तबादले !बस !!समय पार कर लेती हैं !
      सैलरी देनी सरकारों की मजबूरी है नहीं देंगे तो वो कोर्ट जाकर ले लेंगे !इसके अलावा सरकार और उनका बिगाड़ ही क्या सकती है !समय से आफिस जाने को बोलेगी तो पहुँच जाएँगे !नहीं पहुँचेंगे तो नहीं सही एक दिन की सैलरी ही तो काट लेगी सरकार !तो काट ले !देने वाले और बहुत मिल जाएँगे !
     बहुत लोगों को आज भी गलत फहमी है कि बड़े बड़े अधिकारी लोग बहुत पढ़े लिखे बहुत योग्य होते होंगे इसलिए वे हमारा काम अच्छे ढंग से करेंगे !किंतु वे इतना दिमाग नहीं लगाते हैं कि उनकी पढाई ने उन्हें नौकरी दिला दी उसमें आपका तो कुछ लगा नहीं फिर वे अपनी शिक्षा को सरकार और जनता के काम क्यों आने दें !इसीलिए अपनी उच्च शिक्षा का गरूर पाले आफिसों में AC चलाकर बैठे रहते हैं अधिकारी !वहीँ बैठे बैठे घंटी बजा बजाकर चाय दूध समोसा जूस मँगा मँगाकर खाया पिया करते हैं !शाम को अपनी योग्यता अपने दिमाग में समेटे अपने घर चले जाते हैं !
    वस्तुतः यदि वे इतने ही योग्य और ईमानदार होते तो भगवान ने उन्हें उनका दायित्व निर्वाह करने का दिमाग भी तो दिया ही होता किंतु अपने विभागों से संबंधित जनता के काम करने लायक उनके पास दिमाग की कमी होने के कारण ही तो वो अपनी सेवाओं से जनता को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं बेचारे !तभी तो जनता उन्हें डंडा दिलाने के लिए ही विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ मारी मारी फिरा करती है यदि इनमें काम करने की अकल ही होती तो जनता मुख्यमंत्री से मिलने सुबह पाँच बजे क्यों पहुँच जाती उसे कोई शौक तो होती नहीं है अधिकारी अपना काम करने में फेल हुए तभी तो जनता को इधर उधर भटकना पड़ता है !
     अधिकारियों की योग्यता का जनता को लाभ क्या मिला जब उन्हें काम करने के लिए सिफारिशी लेटर नेताओं से ही लिखवाकर ले जाने पड़ते हैं !वैसे जो सैलरी लेते हैं इतनी लज्जा तो उन्हें भी लगनी ही चाहिए कि बिना किसी सिफारिस के उन्हें जनता के काम स्वयं  करने चाहिए !
   सरकार के सारे स्कूल बर्बाद अस्पताल बर्बाद टेलीफोन बर्बाद हैं यही तो उपलब्धि है भारत में सरकारी काम काज की | आखिर क्यों ?सारी लापरवाही की जाँच हो तो जड़ में कोई न कोई लापरवाह या घूस खोर अधिकारी कर्मचारी ही निकलेगा !यहाँ तक कि सरकार के अधिकाँश विभागों में लोग अधिकारियों के रवैए से तंग हैं सरकार उनके बलपर बड़ी बड़ी योजनाओं का बखान किया करती है किंतु जो अधिकारी अभीतक जनता के छोटे छोटे कामों की गारंटी नहीं दे सके वे बड़े बड़े काम क्या करेंगे !ऐसे लोगों से तंग सरकारें उनके तबादले कर कर के अपना मन बहलाया और काम चलाया करती हैं !
           दिल्ली में एक अवैध काम चल रहा था मैं कुछ लोगों के साथ SDM साहब के पास शिकायत लेकर गया उन्होंने सात महीने दौड़ाया बाद में कहा लग रहा है अवैध काम करने वालों ने उन्हें घूस दे दी है इसीलिए वो लोग मेरी बात ही नहीं सुनते हैं !
       पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग जिसमें सोलह फ्लैट हैं उन फ्लैट वालों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति ने स्थानीय प्रशासन का आर्थिक पूजन करके EDMC से बिना परमीशन लिए बिल्डिंग में रहने वालों से बिना NOC लिए बिल्डिंग की छत पर मोबाईल टॉवर लगवा दिया गया और पिछले 10-12 वर्षों से किराया ले रहा है वो अवैध टावर मालिक उसमें से कुछ EDMC वालों को भी दे रहा होगा अन्यथा उस अवैध टावर को EDMC बेचारे अब तक हटवा चुके होते !
   जो चीज अवैध है वो हटनी चाहिए इसीलिए तो हैं अधिकारी कर्मचारी किन्तु वे अपने कर्तव्य का पालन ही न करें तो उन बीमारू लोगों को अधिकारी कहने और मानने में शर्म लगती है !ऐसे मनहूस लोग कमिश्नर हों या अन्य अधिकारी ऐसे लोगों को न जाने किस ख़ुशी में सरकार सैलरी बाँटे जा रही है उनसे काम लेना सरकार के बश का नहीं है !
        इसी अवैध मोबाईल टावर को हटवाने के लिए EDMCके एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हम लोगों ने सामने वाली पार्टी को स्टे दिला दिया है अब वो स्टे तब तक बढ़ता जाएगा जब तक तुम लोग लाख दो लाख खर्च नहीं करोगे क्योंकि मोबाईल कंपनियाँ करोड़ दो करोड़ तो ऐसे ही जजों को दे देती हैं इसलिए वे क्यों सुनेंगे आपकी बात !ऐसे ही घूस निगम अधिकारी कर्मचारियों को देती हैं इसलिए उनके अवैध टॉवर हटाने के लिए हम पैरवी ही क्यों करेंगे !इसीलिए इस अवैध मोबाईल टॉवर को हटवाने के लिए तुम कितने लाख खर्च करोगे !ये बताओ !ऐसे होता है सरकारी काम काज !ईमानदारी पसंद प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री दोनों हैं तब भी अधिकारियों कर्मचारियों का यदि वही रवैया है तो काँग्रेस क्या बुरी थी जिसे बेईमान बताकर ये ईमानदार लोग सत्ता में आए थे !
   हर गैर कानूनी काम को करने की अधिकारी अनुमति तो नहीं देते किंतु वो हो कैसे उसका इंतजाम पूरा कर देते हैं उसके अलग अलग चार्जेज होते हैं जो अवैधकर्मियों को पे करने होते हैं | भ्रष्ट सरकारों की इतनी हिम्मत नहीं होती है कि जहाँ जो अवैध काम चल रहे हैं उन्हें रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को सस्पेंड करके उन्हें आज तक दी गई सैलरी उनसे वापस ले जब उन्होंने अपना काम ही नहीं किया तो सैलरी किस बात की ! किन्तु सरकार अपने अधिकारियों कर्मचारियों का बचाव हमेंशा किया करती है ! उनके विरुद्ध जनता में बहुत आक्रोश दिखेगा तो ट्रांसफर करके ठंडा कर देती है समाज को !
         गाँवों में सारे अवैध कब्जे करवाने का सारा जुगाड़ लेखपाल बताता है वही पैसे लेकर झूठ साँच नाम चढ़ा देता है बड़ा काम हुआ तो बड़े अधिकारियों से सेटिंग करवाकर उसकी दलाली खुद ले लेता है और अधिकारी को अधिकारी का हिस्सा दिला देता है  !
   कुल मिलाकर सरकारी काम काज में आज अधिकारियों कर्मचारियों की भूमिका क्या है !सरकारी आफिसों में अधिकारियों के कमरे आरामगाह बनाए ही क्यों जाते हैं यदि सरकार उनसे वास्तव में काम लेना चाहती है  तो !आफिसें यदि इतनी सुख दायिनी हों तो काम करने का मन किसका होगा वो भी तब जब उनसे कोई हिसाब किताब पूछने वाला ही न हो !वो बेचारे काम क्यों करेंगे !अधिकारी काम नहीं करेंगे तो उनके जूनियर लोग क्या उनसे इतना भी नहीं सीखेंगे कि सरकारी नौकरी काम करने के लिए होती ही नहीं है !ये बात सरकार को भी समझ लेनी चाहिए और तबादलों का दिखावा बंद कर देना चाहिए करनी है तो कुछ ठोस कारवाही करे ताकि जनता का भी भरोसा उनके प्रति बड़े !अवैध बूचड़ खाने रोकने का दायित्व किसका था उन अधिकारियों कर्मचारियों पर होनी चाहिए थी कठोर कार्यवाही किंतु ऐसे काम अचानक रोकने पर उनकी घूस भले बंद हो जाती है किन्तु अवैध काम करने वालों की तो रोजी रोटी ही मर जाती है !गलती अधिकारियों की भुगते समाज !क्यों ?

भगवान् परशुराम जी के अवतरण दिवस पर बहुत बहुत बधाई !

शौर्य शांति एवं ज्ञान विज्ञान के साक्षात प्रतीक भगवान् परशुराम जी की जय हो!
   परशुराम जी से प्रेरणा लेकर लोग चरित्रवान बनें ! बलात्कारी भावनाओं को जड़ से उखाड़ फेंके !पराक्रम शील बनें और अपराधियों,आतंकवादियों एवं घूसखोर अधिकारियों कर्मचारियों तथा केवल सपने दिखाने वाले अशिक्षित मूर्ख घपले घोटालेवाज ऐय्यास नेताओं से देश और समाज को मुक्ति दिलाने के लिए अब सम्पूर्ण समाज ही शस्त्र और शास्त्र धारण करे !   बुद्धि विहीन अशिक्षित एवं अयोग्य लोगों को आरक्षण जैसी पक्षपाती बीमारू दुर्व्यवस्थाओं के द्वारा योग्य पदों पर प्रतिष्ठित होने के लालच में दर दर भटकने के दैन्य से मुक्ति दिलाकर ऐसी दुर्भावनाओं को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्प लीजिए और शिक्षित एवं गुणवान बनाकर देश की मुख्यधारा में अपने पराक्रम से जोड़ने का निश्चय कीजिए !
   महिलाएँ शालीन वेष भूषा में रहते हुए अपना पराक्रम प्रदर्शित करें और चरित्रवती बनें अपने पति बच्चों भाइयों नाते रिश्तेदारों के बीच चारित्रिक पवित्रता बढ़ाने के विषय में संवाद करें एवं इनके इन्हीं गुणों को महत्व दें इन्हीं पर आकर्षित होने की बातें करें और ऐसी पवित्रता को ही अपनी पहली पसंद बनावें !महिलाओं के ऐसा व्रत लेने मात्र से बलात्कार मुक्त समाज का निर्माण होगा !
   परशुराम जी के आशीर्वाद से सीता जी राक्षसों की नगरी में जाकर भी अपना शील सुरक्षित रख पाती हैं !ब्यूटी पार्लर की शौकीन सूर्पनखा श्री राम के पास जाकर भी नाक कटा लेती है !इसलिए सुरक्षा और असुरक्षा अपने ऊपर आधारित है महिलाओं के आधीन चलने वाला पुरुष समाज तो महिलाएँ जैसा चाहेंगी वैसा बन जाएगा !किंतु महिलाओं की वेषभूषा रहन सहन श्रृंगार परिधानों बात व्यवहारों से जिस दिन  लगने लगेगा कि महिलाएँ बलात्कार मुक्त समाज बनाना चाहती हैं उसी दिन से बंद हो जाएंगे बलात्कार !पुरुष बेचारे तो महिलाओं की पसंद पर कुर्वान होने को तैयार हैं किंतु दुर्भाग्य से महिलाओं की पहली पसंद बन ही नहीं पाया बलात्कार मुक्त  समाज !
      उनके उत्कट श्रृंगारों को देखकर लगता है कि मानों वो किसी को खोज रही हैं इसलिए उनकी ही पहली पसंद बनने के लिए पुरुषों ने भी तरह तरह की वेषभूषा धारण कर रखी है !स्त्रियों का अधिक से अधिक पुरुषों की पसंद बनने का प्रयास करना ही तो फैशन है यही पुरुषों का स्त्रियों के प्रति जानना चाहिए !जिनके जीवन में वेकेंसी ही न हो वो ऐसी वेषभूषा ही क्यों धारण करें !

Thursday, 27 April 2017

अधिकारियों के तबादलों का मतलब क्या निकाला जाए ?वो अच्छे हैं या बुरे !सरकार उनसे खुश है या नाराज !

    जिन अधिकारियों का तबादला किया जाता है वे काम बहुत अच्छा करते हैं उनकी कार्य कुशलता से यहाँ रामराज्य आ चुका है इसलिए अब इन 'मेकरऑफरामराज्यों'  को कहीं और 'मेकिंगऑफरामराज्य' के लिए तबादला किया जा रहा होता है या कुछ और !
   ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों को छोड़कर कभी कभी ऐसा भी होते देखा जाता है कि कुछ अधिकारियों ने कुछ जिलों के कुछ विभागों का बेड़ा गर्क कर रखा होता है कुछ करना या कुछ अच्छा करना उनकी नियत में होता ही नहीं है सरकार उनसे पीछा छोड़ाने के लिए तबादले कर करके पाँच वर्ष पार कर लेती है | ऐसे अधिकारी जिस सरकार के कार्यकाल में जहाँ कहीं भी अपनी सेवाएँ देते हैं वहाँ के लोगों को इतना अधिक तंग कर देते हैं कि स्थापित सरकारों की कब्र खोदने में कमी नहीं छोड़ते ऐसा घटिहा काम करते हैं !ऐसे यमदूतों से सरकारें अपना अपना पीछा छोड़ाया करती हैं और ऐसे तेजाबी लोगों को कहीं एक जगह अधिक दिन तक टिकने नहीं देती हैं तबादले पर तबादले !बस !!समय पार कर लेती हैं !
      सैलरी देनी सरकारों की मजबूरी है नहीं देंगे तो वो कोर्ट जाकर ले लेंगे !इसके अलावा सरकार और उनका बिगाड़ ही क्या सकती है !समय से आफिस जाने को बोलेगी तो पहुँच जाएँगे !नहीं पहुँचेंगे तो नहीं सही एक दिन की सैलरी ही तो काट लेगी सरकार !तो काट ले !देने वाले और बहुत मिल जाएँगे !
     बहुत लोगों को आज भी गलत फहमी है कि बड़े बड़े अधिकारी लोग बहुत पढ़े लिखे बहुत योग्य होते होंगे इसलिए वे हमारा काम अच्छे ढंग से करेंगे !किंतु वे इतना दिमाग नहीं लगाते हैं कि उनकी पढाई ने उन्हें नौकरी दिला दी उसमें आपका तो कुछ लगा नहीं फिर वे अपनी शिक्षा को सरकार और जनता के काम क्यों आने दें !इसीलिए अपनी उच्च शिक्षा का गरूर पाले आफिसों में AC चलाकर बैठे रहते हैं अधिकारी !वहीँ बैठे बैठे घंटी बजा बजाकर चाय दूध समोसा जूस मँगा मँगाकर खाया पिया करते हैं !शाम को अपनी योग्यता अपने दिमाग में समेटे अपने घर चले जाते हैं !
    वस्तुतः यदि वे इतने ही योग्य और ईमानदार होते तो भगवान ने उन्हें उनका दायित्व निर्वाह करने का दिमाग भी तो दिया ही होता किंतु अपने विभागों से संबंधित जनता के काम करने लायक उनके पास दिमाग की कमी होने के कारण ही तो वो अपनी सेवाओं से जनता को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं बेचारे !तभी तो जनता उन्हें डंडा दिलाने के लिए ही विधायकों सांसदों मंत्रियों मुख्यमंत्रियों के यहाँ मारी मारी फिरा करती है यदि इनमें काम करने की अकल ही होती तो जनता मुख्यमंत्री से मिलने सुबह पाँच बजे क्यों पहुँच जाती उसे कोई शौक तो होती नहीं है अधिकारी अपना काम करने में फेल हुए तभी तो जनता को इधर उधर भटकना पड़ता है !
     अधिकारियों की योग्यता का जनता को लाभ क्या मिला जब उन्हें काम करने के लिए सिफारिशी लेटर नेताओं से ही लिखवाकर ले जाने पड़ते हैं !वैसे जो सैलरी लेते हैं इतनी लज्जा तो उन्हें भी लगनी ही चाहिए कि बिना किसी सिफारिस के उन्हें जनता के काम स्वयं  करने चाहिए !
   सरकार के सारे स्कूल बर्बाद अस्पताल बर्बाद टेलीफोन बर्बाद हैं यही तो उपलब्धि है भारत में सरकारी काम काज की | आखिर क्यों ?सारी लापरवाही की जाँच हो तो जड़ में कोई न कोई लापरवाह या घूस खोर अधिकारी कर्मचारी ही निकलेगा !यहाँ तक कि सरकार के अधिकाँश विभागों में लोग अधिकारियों के रवैए से तंग हैं सरकार उनके बलपर बड़ी बड़ी योजनाओं का बखान किया करती है किंतु जो अधिकारी अभीतक जनता के छोटे छोटे कामों की गारंटी नहीं दे सके वे बड़े बड़े काम क्या करेंगे !ऐसे लोगों से तंग सरकारें उनके तबादले कर कर के अपना मन बहलाया और काम चलाया करती हैं !
    अधिकारी यदि ईमानदारी पूर्वक काम ही करते होते तो अपराधी मैदान छोड़कर अब तक न जाने कब भाग गए होते चूँकि अपराधी लोग अपने अपने कामों को बखूभी अंजाम दे रहे हैं इसका मतलब अधिकारी अकर्मण्य हैं डरपोक हैं या फिर घूस खोर !
       दिल्ली में एक अवैध काम चल रहा था मैं कुछ लोगों के साथ SDM साहब के पास शिकायत लेकर गया उन्होंने सात महीने दौड़ाया बाद में कहा लग रहा है अवैध काम करने वालों ने उन्हें घूस दे दी है इसीलिए वो लोग मेरी बात ही नहीं सुनते हैं !
       पूर्वी दिल्ली में एक बिल्डिंग जिसमें सोलह फ्लैट हैं उन फ्लैट वालों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति ने स्थानीय प्रशासन का आर्थिक पूजन करके EDMC से बिना परमीशन लिए बिल्डिंग में रहने वालों से बिना NOC लिए बिल्डिंग की छत पर मोबाईल टॉवर लगवा दिया गया और पिछले 10-12 वर्षों से किराया ले रहा है वो अवैध टावर मालिक उसमें से कुछ EDMC वालों को भी दे रहा होगा अन्यथा उस अवैध टावर को EDMC बेचारे अब तक हटवा चुके होते !
   जो चीज अवैध है वो हटनी चाहिए इसीलिए तो हैं अधिकारी कर्मचारी किन्तु वे अपने कर्तव्य का पालन ही न करें तो उन बीमारू लोगों को अधिकारी कहने और मानने में शर्म लगती है !ऐसे मनहूस लोग कमिश्नर हों या अन्य अधिकारी ऐसे लोगों को न जाने किस ख़ुशी में सरकार सैलरी बाँटे जा रही है उनसे काम लेना सरकार के बश का नहीं है !
        इसी अवैध मोबाईल टावर को हटवाने के लिए EDMCके एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हम लोगों ने सामने वाली पार्टी को स्टे दिला दिया है अब वो स्टे तब तक बढ़ता जाएगा जब तक तुम लोग लाख दो लाख खर्च नहीं करोगे क्योंकि मोबाईल कंपनियाँ करोड़ दो करोड़ तो ऐसे ही जजों को दे देती हैं इसलिए वे क्यों सुनेंगे आपकी बात !ऐसे ही घूस निगम अधिकारी कर्मचारियों को देती हैं इसलिए उनके अवैध टॉवर हटाने के लिए हम पैरवी ही क्यों करेंगे !इसीलिए इस अवैध मोबाईल टॉवर को हटवाने के लिए तुम कितने लाख खर्च करोगे !ये बताओ !ऐसे होता है सरकारी काम काज !ईमानदारी पसंद प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री दोनों हैं तब भी अधिकारियों कर्मचारियों का यदि वही रवैया है तो काँग्रेस क्या बुरी थी जिसे बेईमान बताकर ये ईमानदार लोग सत्ता में आए थे !
   हर गैर कानूनी काम को करने की अधिकारी अनुमति तो नहीं देते किंतु वो हो कैसे उसका इंतजाम पूरा कर देते हैं उसके अलग अलग चार्जेज होते हैं जो अवैधकर्मियों को पे करने होते हैं | भ्रष्ट सरकारों की इतनी हिम्मत नहीं होती है कि जहाँ जो अवैध काम चल रहे हैं उन्हें रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को सस्पेंड करके उन्हें आज तक दी गई सैलरी उनसे वापस ले जब उन्होंने अपना काम ही नहीं किया तो सैलरी किस बात की ! किन्तु सरकार अपने अधिकारियों कर्मचारियों का बचाव हमेंशा किया करती है ! उनके विरुद्ध जनता में बहुत आक्रोश दिखेगा तो ट्रांसफर करके ठंडा कर देती है समाज को !
         गाँवों में सारे अवैध कब्जे करवाने का सारा जुगाड़ लेखपाल बताता है वही पैसे लेकर झूठ साँच नाम चढ़ा देता है बड़ा काम हुआ तो बड़े अधिकारियों से सेटिंग करवाकर उसकी दलाली खुद ले लेता है और अधिकारी को अधिकारी का हिस्सा दिला देता है  !
   कुल मिलाकर सरकारी काम काज में आज अधिकारियों कर्मचारियों की भूमिका क्या है !सरकारी आफिसों में अधिकारियों के कमरे आरामगाह बनाए ही क्यों जाते हैं यदि सरकार उनसे वास्तव में काम लेना चाहती है  तो !आफिसें यदि इतनी सुख दायिनी हों तो काम करने का मन किसका होगा वो भी तब जब उनसे कोई हिसाब किताब पूछने वाला ही न हो !वो बेचारे काम क्यों करेंगे !अधिकारी काम नहीं करेंगे तो उनके जूनियर लोग क्या उनसे इतना भी नहीं सीखेंगे कि सरकारी नौकरी काम करने के लिए होती ही नहीं है !ये बात सरकार को भी समझ लेनी चाहिए और तबादलों का दिखावा बंद कर देना चाहिए करनी है तो कुछ ठोस कारवाही करे ताकि जनता का भी भरोसा उनके प्रति बड़े !अवैध बूचड़ खाने रोकने का दायित्व किसका था उन अधिकारियों कर्मचारियों पर होनी चाहिए थी कठोर कार्यवाही किंतु ऐसे काम अचानक रोकने पर उनकी घूस भले बंद हो जाती है किन्तु अवैध काम करने वालों की तो रोजी रोटी ही मर जाती है !गलती अधिकारियों की भुगते समाज !क्यों ?

Wednesday, 26 April 2017

आमआदमीपार्टी हारी क्यों और भाजपा जीती क्यों ?काम तो किसी ने नहीं किए !

केजरीवाल जी ! अपने घर बेटा न हो तो जिम्मेदार पड़ोसी ! चुनावों में जनता वोट न दे तो  दोषी EVM !कुछ अपनी भी जिम्मेदारी तो मानो !आखिर दिल्ली के दुर्भाग्य पूर्ण मुख्यमंत्री तो तुम्हीं हो !
 अरविन्द जी !आप बैंग्लोर जाकर यदि अपनी खाँसी ठीक करवा सकते थे तो दिल्ली की स्थिति क्यों नहीं सुधार सकते थे !अपनी खाँसी के लिए बैंग्लोर और दिल्ली वालों के लिए मोहल्ला क्लीनिक !जनता तुम्हें वोट क्यों दे ?
      केजरीवाल जी ! अपना चेहरा चमका लिया और दिल्ली वालों को बताते हो मोदी जी खराब हैं LG खराब हैं EVM खराब हैं !
     अरे यदि ये ख़राब ही होते तो तुम्हारी खाँसी ठीक होने में ये रोड़ा क्यों नहीं बने दिल्ली के विकास की बाते आते ही तुम क्यों रोने लगते हो मोदी जी का नाम ले लेकर ?
     सरकारी स्कूलों में आम आदमी पार्टी के दो चार बैनर पोस्टर लगवाने के अलावा और किया ही क्या है ?
शिक्षक गाइड से नक़ल मरवाते हैं और मोबाईल में सर्च करके मीनिंग बताते हैं सरकार कह रही है पढाई बहुत अच्छी हो रही है ऐसे कब तक बेवकूफ बनाया जाएगा समाज को !ऐसे अयोग्य शिक्षकों को सस्पेंड क्यों नहीं किया जाता !
   प्रतिभा स्कूल जो पहले बहुत अच्छे हुआ करते थे उनकी भी दुर्दशा अब 'आप'की तरह ही हो रही है |इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?रोड टूटे पड़े हैं स्कूलों के दरवाजों पर गन्दगी का अम्बार लगा है सरकार अपनी पीठ ठोंके जा रही है !
     अगर गंदे पानी की ही सप्लाई देनी हो तो कोई भी मुफ़्त दे देगा !फ्री पानी के चक्कर में कोई कहीं पाइप में  छेद कर देता है कोई कहीं और !जब मन आता है तब उसे छोड़ देता है दूसरी जगह नया छेद कर देता है पुराने छेद  से नालियों का पानी भरा करता है उसी पाइप में !जो लोग पानी के पैसे दे रहे हैं वो गंदा पानी पीने को मजबूर हैं !इसके लिए जिम्मेदार कौन है !पाइपों में अनधिकृत छेद करवाने वालों पर भारी पेनाल्टी क्यों नहीं लगवाती है सरकार !फ्री पानी का मतलब नालियों के पानी की सप्लाई नहीं होता है !
     आप के नेता जनविश्वास तोड़ चुके हैं जबकि मोदी जी आश्वासन दे देकर चुनाव जीतने में अभी तक तो कामयाब हैं किंतु आगे क्या होगा पता नहीं इतना जरूर कहा जा सकता है कि स्थिति यदि ऐसे ही केवल भाषणों तक ही सीमित रही तो भारी पड़ सकते हैं 2019 के चुनाव !इसलिए मोदी की के आश्वासनों पर जनता जबतक भरोसा करती है उसके पहले ही उन्हें भी अपने काम काज की शैली सुधारनी होगी !
      सांसदों के यहाँ जनता के काम काज के लिए मिलने वाले सिफारिशी लेटर केवल धोखा धड़ी हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं !न कोई उन्हें पढ़ता है न मानता है फिर उनका अर्थ ही क्या है ?
    उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री जी अधिकारियों कर्मचारियों को सुधारने में लगे हैं अधिकारी कर्मचारी ठीक करने में लगे हैं मुख्य मंत्री को !घोषणाएँ रोज नई नई हो रही हैं किंतु जमीन पर काम वही पहले की तरह ही हो रहे हैं तिल भर भी सुधार नहीं है जो पहले लेट आते थे वे अब भी  उन्हें सस्पेंड होना चाहिए था तिनका एक एक दिन का बेतन काटकर उन्हें गैर हाजिर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है क्या ?अशिक्षित और अयोग्य शिक्षक खेल रहे हैं बच्चों के भविष्य के साथ !ऐसे लोगों को सस्पेंड करके नई नियुक्तियाँ किए बिना कैसे सँभाल लेगी सरकार !
    सरकार लेखपालों से लेगी अवैध जमीनों की सूचना !किंतु अवैध जमीनों पर कब्ज़ा करवाता ही लेख पाल है !जिसके पैसे ले चुका है वो उसे अवैध लिखकर दे देगा क्या ?
    इसी प्रकार से दिल्ली नगर निगम सबसे ज्यादा भ्रष्ट है ये सच है इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए दस वर्षों में भाजपा ने कुछ भी नहीं किया है फिर भी जीत गई क्यों ?
    रिहायशी बिल्डिंगों में व्यापारिक काम हो रहे हैं जबकि व्यापारिक कामों की परमीशन नहीं है फिर चल वो कैसे रहे हैं निगम के अधिकारियों कर्मचारयों को पैसे खिलाकर !
     ब्यूटी पार्लरों के नाम पर रिहायशी बिल्डिंगों में वेश्यावृत्ति करवाई जा रही है किंतु उसे रोका कैसे जाइए निगम और पुलिस को पैसे मिलते हैं !
    दूसरों की छतों पर अवैध मोबाईल टॉवर लगवा देने वाला दिल्ली का भ्रष्ट नगर निगम किराया खुद खाता है भले वो घूस के रूप में ही क्यों न हो !इसे रोकने की जिम्मेदारी भाजपा की है किन्तु वो शांत रहती है !
        निगम के बेशर्म अधिकारी कर्मचारी लोग अवैध मोबाईल टावरों को हटाने के लिए भी घूस माँगते हैं जबकि जो अवैध है उसे हटाना इनका नैतिक दायित्व है !वो कहते हैं अवैध है तो क्या हुआ उससे कोर्ट केस करवाकर स्टे दिलवा देंगे उसकी तारीख़ बढ़वाते चले जाएँगे और हम पैरवी नहीं करेंगे तो कैसे हटवा लोगे अवैध मोबाईल टॉवर !उनका कहना यहाँ तक होता है कि जजों को मोबाईल कंपनियाँ करोड़ों में देती हैं इसलिए अवैध टावरों को भी बचाए रखने के लिए जज भी एड़ी से चोटी तक का जोर लगाए रहते हैं !
     यदि ऐसी स्थिति में थोड़ी भी सच्चाई है तो इसके लिए जिम्मेदार भाजपा नहीं तो और दूसरा कौन है !निगम प्रायः अवैध वसूली के अड्डे बने हुए हैं एक ओर जिन कामों को करने के लिए निगम परमीशन नहीं देते हैं उन्हीं कामों को उन्हीं जगहों पर उन्हीं लोगों के द्वारा वही लोग घूस लेकर करवाते देखे जाते हैं देखो अवैध मोबाईल टावर वो भी सैकड़ों वो भी राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में तो बाकी  देश में क्या हो रहा होगा !सरकारी जमीनों सम्पात्तियों पर काम काज !रिहायसी क्षेत्रों में व्यवसाय !निगम वालों को जब पैसों की जरूरत होती है फंड जुटाना होता है तब ले ले गाड़ियाँ निकल पड़ते हैं तोड़ आते हैं कुछ दुकानों के काउंटर थड़े छज्जे आदि !लोग समझ जाते हैं कि निगम अधिकारियों कर्मचारियों को घूस के पैसों की जरूरत है और बेचारे दे आते हैं उन्हें !फिर वो सब वहाँ वैसे ही बना लिए जाते हैं जैसे पहले थे फिर उन्हें कोई नहीं रोकता !
    अब तो निगम वालों की ऐसी हरकतें सब समझ चुके हैं इसलिए उन्होंने भी सोच लिया है कि जैसे गुंडों माफियाओं का सप्ताह उन्हें जाता है ऐसे ही इनका भी बाँध देते हैं जो नहीं देते वे भुगतते हैं !
     इस खुले भ्रष्टाचार के खेल को क्या फ्री में देखा करती है सरकार !इसके पैसे उन्हें भी मिलते होंगे क्योंकि पाप का पैसा पकड़ते समय पापी लोग कहा करते हैं कि ये केवल हम्हीं नहीं लेते हैं ये तो ऊपर तक जाता है !यदि वो झूठ बोलते हों तो सरकार इन पर कार्यवाही क्यों न करे !कुछ तो सच्चाई होती ही होगी !बारे भ्रष्टाचार बारे लोकतंत्र !
    अवैध कब्जों कार्यों गतिविधियों मोबाईल टावरों को देखकर भी निगम वाले कुछ बोलते नहीं हैं बिना घूस लिए ऐसा संभव है क्या !और यदि ऐसा हो भी तो जिस काम के लिए वो सैलरी लेते हैं अपने उस कर्तव्य का पालन करते क्यों नहीं हैं सरकार ईमानदार हो तो उनसे उनकी लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के लिए सैलरी रिफंड करवाए !यदि सरकार ने उन्हें घूस लेने के लिए नहीं रखा है तो !
    ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध पार्षदों ने आवाज क्यों नहीं उठाई ये उनका कर्तव्य था !क्या बिना घूस लिए उन्होंने ऐसा  किया होगा !तरह तरह के रोगों से जूझ रही दिल्ली में रेडिएशन फैलाने वाले सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर लगे हुए हैं जिनके मालिकों ने कोर्ट से स्टे ले रखा है निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से निगम उनके विरुद्ध पैरवी की केवल खाना पूर्ति करता है और तारीखें बढ़ती चली जाती हैं पैसा ऊपर तक पहुंचता है अन्यथा बिना पैसा लिए ऐसा होना संभव है क्या ? ऐसे तो मोबाईल टावर कभी नहीं हटेंगे और यदि नहीं ही हटेंगे तो ये अवैध किस बात के !
   ऐसे ही सैकड़ों सरकारी जमीनों पार्कों आदि में घूस ले लेकर कब्ज़ा करवा रखा है इन्हीं निगम प्रतिनिधियों ने इधर घूस उधर सैलरी !क्या घूस के लेन  देन  का खेल मात्र है सरकारी कामकाज !इनके विरुद्ध आवाज क्यों नहीं उठाते हैं जनप्रतिनिधि ?पार्टियाँ उनसे पूछती क्यों नहीं हैं पार्षद बनने का मतलब क्या चल अचल संपत्तियाँ इकठ्ठा करना मात्र होता है या कुछ जनसेवा भी !बड़े बड़े अधिकारियों कर्मचारियों जन प्रतिनिधियों के होते हुए भी भ्रष्टाचार फिर कर क्या रही है सरकार !क्या यही है लोकतंत्र जहाँ केवल एक दूसरे को धोखा देना और झूठ बोलना सिखाया जाता हो एक दूसरे को बदनाम किया जाता है !
   इसीलिए तो राजनैतिक पार्टियों का टिकट वितरण विश्वसनीय नहीं होता जो जितने पैसे देकर चुनावी टिकट खरीदतें हैं वो उससे तो ज्यादा ही कमाएँगे !वैसे भी जिन जन प्रतिनिधियों को सैलरी ही न मिलती हो वो कमाएँगे कैसे सीधी सी बात घूस लेंगे !  सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ दिए  गंभीर अपराध मानकर कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए !
      यदि दिल्ली जैसी राष्ट्रीय राजधानी की किसी बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक  मोबाईल टॉवर बाहरी लोगों के द्वारा यह कह कर लगा दिया जाता है कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न लगाया गया हो और न ही बिल्डिंग में रहने वाले लोगों को ही घोषित रूप से दिया गया हो बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही हो मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा हो !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हों कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
       इस रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने  अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि  बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
      इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
      बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है  बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है । 

       महोदय ! MCD के अधिकारियों की मिली भगत से ये पूरा गिरोह फल फूल रहा है अवैध होने के बाब्जूद पिछले 12 वर्षों से ये टॉवर लगा होना आश्चर्य की बात नहीं है क्या ! इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जब कुछ कर ही नहीं पा रहे हैं ऊपर से गैर कानूनी कार्यों के समर्थन में दबंग लोगों की मदद करते जा रहे हैं ऐसे लोगों को सैलरी आखिर दी किस काम के लिए जा रही है !इस अवैध मोबाईल टावर को कानूनी संरक्षण दिलवाने के लिए इसी गिरोह के कुछ लोगों ने मोबाइलटावर हटाने के विरुद्ध  स्टे ले लिया जिनसे पैसे लेकर MCD वाले ठीक से पैरवी नहीं करते इसी प्रकार से इसे पिछले 12 वर्षों से खींचे जा रहे हैं वो किराया खाते जा रहे हैं उन्हें घूस देते जा रहे हैं । ऐसे तो ये अवैध होने के बाद भी कभी तक चलाया जा सकता है ये सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है !
     आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और से तब तक रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12  वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !
       इस बिल्डिंग संबंधी भ्रष्टाचार से स्थानीय पार्षद से लेकर सांसद जी का कामकाजी कार्यालय न केवल सुपरिचित है अपितु 6 महीनों से वे भी बड़ी मेहनत कर रहे हैं किंतु बेचारे दबंगों के विरुद्ध कुछ कर पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं SDM साहब भी बेचारे आकर देख सुन कर लौट गए पुलिस विभाग तो सुनते ही मौन है !और EDMC के इस स्टे वाले दाँव से सब चकित हैं!

Sunday, 23 April 2017

VIP यों की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों के अपने पेट स्टील के लगे होते हैं क्या ?

   सुरक्षाकर्मियों के अपने जीवन से खिलवाड़ क्यों ?अपने बीबी बच्चों के लिए तो वो भी किसी  VIP से कम नहीं होते हैं फिर रेवड़ियों की तरह क्यों बाँटी जा रही है सुरक्षा ! उनकी अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ क्यों 
आखिर VIP यों का जीवन इतना बहुमूल्य क्यों है उन्होंने देश और समाज के लिए ऐसा क्या योगदान किया है जिसके लिए देश उन्हें खतरों से बचाने के लिए अपने बहुमूल्य जवानों की जान जोखिम में डाल दे  !देश ऐसे लोगों की सुरक्षा पर अपने खून पसीने की कमाई क्यों खर्च करे जिन्होंने देश को देने के नाम पर केवल मल मूत्र को छोड़कर कुछ दिया ही न हो !इसलिए किसी को सिक्योरिटी देते समय इस बात का मूल्यांकन जरूर किया जाना चाहिए कि किसी को कहीं झाम बनाने के लिए तो नहीं कुछ जीवंत लोगों के स्वाभिमान को दाँव पर लगाया जा रहा है या उन पर आर्थिक अत्याचार किया जा रहा है !इसे रोका जाना चाहिए सुरक्षा का वातावरण बनाना ही है तो सबकी चिंता करे सरकार !सुरक्षा जैसे गंभीर प्रश्न पर भी भेदभाव !किसकी सुरक्षा करनी है और किसकी नहीं ये भावना ही क्यों ?
    

VIP नेताओं की सुरक्षा में बंदूखें ताने खड़े लोग VIP यों की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा देंगे क्या ?


       VIP लोगों की सुरक्षा ही क्यों ?जनता मरने को तैयार है तो नेता क्यों डरते हैं मरने से !सुरक्षा में भी भेदभाव ! आश्चर्य !!डरपोक और ईश्वर पर भरोसा न करने वाले नेता लोगों को सुरक्षा क्यों दी जाए ! 
     जो लोग जनता को फूटी आँखों नहीं सोहाते उन्हें VIP क्यों और कैसे मान लिया जाए !किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से ज्यादा परिश्रम देश के लिए उन्होंने किया है क्या ?उन्होंने आखिर मलमूत्र छोड़कर देश को और ऐसा क्या दे दिया है जिसे कि उन्हें VIP मान लिया जाए और उन्हें ज़िंदा रखने के लिए कुछ अच्छे लोगों को उनकी सिक्योरिटी में लगाकर उन्हें नेता जी की मौत के बदले मरने पर क्यों मजबूर कर  दिया जाए !
     वैसे तो अपने अपने बीबी बच्चों के लिए हर कोई VIP ही होता है !अपनों के लिए हर किसी का जिंदा रहना उतना ही जरूरी होता है जितना किसी VIP का |,इसलिए सुरक्षा तो सबकी सुनिश्चित की जानी चाहिए !सबकी सुरक्षा के प्रयास किए जाएँ उसी में VIPलोग भी सुरक्षित अपने आप ही हो जाएँगे !बड़े बड़े नेता लोग खुद तो सुरक्षा ले लेते हैं और बाक़ी सारे देश वासियों को छोड़ देते हैं मरने के लिए !यही शासन है यही सरकार है इसीलिए टैक्स लेते हैं बेचारे !
     कुछ लोगों को सैलरी का लालच देकर नेताओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाती है क्यों ?क्या उनके पेट स्टील के लगे हुए हैं क्या ? आखिर मारे जाने का खतरा जितना नेता जी को है उतना ही तो सुरक्षा में लगे लोगों को भी है किंतु उन्हें अपने बच्चे पालने के लिए अपनी जान पर खेलना उनकी मजबूरी है जबकि VIP लोगों के खाना पाखाना का सारा बोझ जनता उठाती है इसलिए न उन्हें कमाने की चिंता और न कहीं जाने की चिंता !ऊपर से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी जनता के कन्धों पर आखिर क्यों ?
      पढ़ने में लापरवाही करने वाले लोग जैसे परीक्षा देने से डरते हैं ऐसे ही पाप और कपट पूर्ण जीवन जीने वाले लोग मौत से डरते हैं किंतु याद रखिए सैकड़ों गायों के झुंड में घुस कर भी जैसे गाय का छोटा सा बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है उसे भ्रमित नहीं किया जा सकता उसी प्रकार से मौत जिस दिन आएगी उस दिन कोई सिक्योरिटी वाला क्या कर लेगा दो चार दस लोग नेता जी के साथ शहीद हो जाएँगे यही न !किंतु वे सुरक्षाकर्मी नेता जी की आई हुई मौत को बंदूखें दिखाकर लौटा नहीं सकते !फिर काहे के VIP!मृत्यु तो कहीं से भी खोज लेगी !मृत्यु जब जहाँ निश्चित हैं वहाँ होगी ही इसलिए नैतिक और ईश्वर पर भरोसा रखने वाले VIPयों को चाहिए कि वे अपनी सुरक्षा में लगे लोगों से कहें कि मुझे तो हमारे कर्मों और आयु के सहारे जीने दो तुम देश और समाज की सेवा करो !तुम उस जनता की सेवा करो जिसकी खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स से तुम्हें सैलरी दी जाती है !तुम उसके सहारा बनो यही तुम्हारा नैतिक कर्तव्य है | 
       सुरक्षा हो तो सबकी हो अन्यथा किसी की न हो !रही बात VIP की तो VIPकेवल नेता ही क्यों होते हैं किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों में आजतक कोई VIP हुआ ही नहीं क्या ?गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है क्यों ?जान से मारने की धमकियाँ तो उन्हें भी दी जाती हैं बहुत लोग मार भी दिए जाते हैं किन्तु उन्हें तो सिक्योरिटी नहीं दी जाती है उनकी जान की कीमत कम क्यों आँकी जाती है ?और ये लोग किसी के जीवन की कीमत आँकने वाले होते कौन हैं या फिर इनका मानना होता है कि जनता को तो कोई खतरा है नहीं इसलिए उसे सुरक्षा क्यों तो फिर इन्होंने अपने लिए खतरा तैयार किया ही क्यों ?ईमानदार और चरित्रबली नेताओं को मरने से नहीं लगता है डर !वो चरित्र बलपर ही तो मृत्यु को हमेंशा ललकारा करते हैं !
         सरकारी काम काज में बढ़े भयंकर भ्रष्टाचार ने VIP नेताओं के शत्रु तैयार कर दिए हैं !देश में अयोग्य लोगों को योग्य बता दिया और योग्य को अयोग्य !सरकार के हर विभाग में व्याप्त है भ्रष्टाचार ! जिसकी कीमत चुकानी पड़ रही है जनता को !उदाहरण के लिए हमने चार विषय से MA उसके बाद Ph.D.की किंतु हमने घूस नहीं दी तो  नौकरी देने वाले सरकारी ठेकेदारों ने हमें नौकरी नहीं दी !और उन्होंने जिन्हें नौकरी दी है वो जिस विषय में जितने योग्य हैं उनसे खुली बहस करवाकर या उन्हें उन परीक्षाओं में बैठा दिया जाए जिनकी योग्यता के बलपर उन्हें नौकरियाँ दी गई हैं जितने प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी पास हो जाएँ उतने प्रतिशत को दी जाने वाली सैलरी सार्थक मानी जाए बाकी को दिया जा रहा है अनुदान !शिक्षक लोग कक्षाओं में गाइड लेकर पढ़ा रहे हैं  मोबाईल में देखकर शब्दों की मीनिंग बता रहे हैं सरकार फिर भी उन पर मेहरबान है न जाने क्यों ?ये सब इन्हीं VIPयों की कृपा से ही तो संभव हो पाया है !फिर भी वे VIP!
       सारा देश नेताओं की दी हुई दुर्दशा ही तो भोग रहा है !नेता जब चुनाव लड़ते हैं तब जिनकी जेब में किराए के पैसे तक नहीं होते चुनाव जीतते ही वो करोड़ो अरबपति हो जाते हैं निगम पार्षद जैसा चुनाव जीतकर दिल्ली जैसी जगहों पर दो चार मकान तो बना ही लेते हैं समझदार नेता लोग !विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री जैसे लोगों की कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है !दो दो चार चार गाड़ियाँ कोठियाँ जहाजों की यात्राएँ इसके बाद भी करोड़ों अरबों की संपत्तियाँ आखिर हुईं कैसे ?व्यापार करते किसी ने देखा नहीं नौकरी किसी की की नहीं !अपनी पैतृक संपत्तियाँ थीं नहीं !खर्चों में कंजूसी करते देखे नहीं गए ये लोकतंत्र को लूट कर बनाई हुई संपत्तियाँ नहीं हैं तो इन नेताओं की अनाप शनाप बढ़ी सम्पत्तियों के स्रोत आखिर हैं क्या ?इस देश को कभी कोई ऐसा ईमानदार नेता मिलने की उमींद की जाए क्या कि जो इन नेताओं की संपत्तियों के स्रोत सार्वजनिक करने का साहस कर सके !
        सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की जब नौकरियाँ लगी थीं तब उनकी सम्पत्तियाँ कितनी थीं और आज कितनी हैं बीच में बढ़ी संपत्तियों के स्रोत सार्वजानिक किए जाएँ !
    बाबा लोग जब बाबा बने तब से आजतक उन्होंने ऐसे कौन से प्रयास किए जिससे संपत्तियाँ एकत्रित हुईं और यदि संपत्तियाँ ही इकट्ठी करनी थीं व्यापार ही करने थे तो बाबा बने क्यों ?इन शंकाओं के समाधान यदि ईमानदारी से खोजे जाएँ तो संभव है कि कई बड़े अपराधों और अपराधियों के संपर्क सूत्र यहाँ से जुड़े मिलें जिनके द्वारा आश्रमों में लगाए जाते हैं सम्पत्तियों के अंबार और बाबा लोग उन्हें अपने यहाँ शरण देकर अपने राजनैतिक संपर्कों के बल पर बचाते रहते हैं !
    परिश्रम के मामले में किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों से कोई नेता अफसर या बाबा बराबरी नहीं कर सकता फिर भी दिन रात परिश्रम करने वाले वे बेचारे गरीब और कभी कुछ न करते देखे जाने वाले नेता बाबा और सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग रईस !आखिर ये चमत्कार होता कैसे है भ्रष्टाचार नहीं है तो !सरकार का हर विभाग जनता को रुला रहा है फिर भी बेतन आयोग उनकी सैलारियाँ बढ़ावा रहा है आखिर क्यों ?सरकारी स्कूलों अस्पतालों को जिन्होंने बर्बाद किया सैलरियाँ  उनकी भी बढ़ा दी जाती हैं !अरे काम नहीं तो पैसे क्यों ?अपने पिता जी की कमाई का पैसा खर्च हो रहा होता तो भी ऐसे लुटाने की हिम्मत की जा सकती थी क्या ?
     

Friday, 14 April 2017

 मुख्यमंत्री जनता से मिलते हैं जनता वहाँ शिकायत करने आती है भगदड़ हो जाती है लोग घायल हो जाते हैं क्यों ?आखिर शिकायतें यदि मुख्य मंत्री को ही सुन्नी  हैं तो

Thursday, 6 April 2017

पार्षदों और निगमकर्मियों की संपत्तियों की जाँच करवाई जाए ! इधर घूस उधर सैलरी बीच में पिस रही है बेचारी जनता क्यों ?

जो पार्षद जब चुनाव लड़े थे और जब तक पार्षद रहे तब तक उन्होंने जो संपत्तियाँ तैयार कीं उनके स्रोत सार्वजनिक करें राजनैतिक पार्टियाँ अन्यथा जाँच कराए सरकार और निकाल बाहर करे भ्रष्टाचार !ईमानदारों को सम्मानित किया जाए ! अन्यथा पार्षदों के किए हुए घपलों घोटालों में पार्टियों और सरकारों को भी जिम्मेदार माना जाए !
   निगम प्रायः अवैध वसूली के अड्डे बने हुए हैं एक ओर जिन कामों को करने के लिए निगम परमीशन नहीं देते हैं उन्हीं कामों को उन्हीं जगहों पर उन्हीं लोगों के द्वारा वही लोग घूस लेकर करवाते देखे जाते हैं देखो अवैध मोबाईल टावर वो भी सैकड़ों वो भी राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में तो बाकि देश में क्या हो रहा होगा !सरकारी जमीनों सम्पात्तियों पर काम काज !रिहायसी क्षेत्रों में व्यवसाय !निगम वालों को जब पैसों की जरूरत होती है फंड जुटाना होता है तब ले ले गाड़ियाँ निकल पड़ते हैं तोड़ आते हैं कुछ दुकानों के काउंटर थड़े छज्जे आदि !लोग समझ जाते हैं कि निगम अधिकारियों कर्मचारियों को पैसों की जरूरत है और बेचारे दे आते हैं उन्हें !फिर वो सब वहाँ वैसे ही बना लिए जाते हैं जैसे पहले थे फिर उन्हें कोई नहीं रोकता !
    अब तो निगम वालों की ऐसी हरकतें सब समझ चुके हैं इसलिए उन्होंने भी सोच लिया है कि जैसे माफियाओं का सप्ताह उन्हें जाता है ऐसे ही इनका भी बाँध देते हैं जो नहीं देते वे भुगतते हैं कितने भी अच्छे और ईमानदार क्यों न हों !कैसे भी कागज बने हों !किसी से वसूली करने का मन बन ही गया है तो कुछ न कुछ तो कमियां निकाल ही ली आएंगी !नियम कानून बनाए ही इसी दृष्टिकोण को रखकर जाते हैं कि किसी को यदि सबक सिखाना या फँसाना हो तो उसे अपने बुने हुए कानूनों के मक़ड़ जाल में किसी न किसी तरह फँसाया जा सके और उसपर कार्यवाही करते समय उसके घर से खाली हाथ न लौटना पड़े ! 
     इस खुले भ्रष्टाचार के खेल को क्या फ्री में देखा करती है सरकार !इसके पैसे उन्हें भी मिलते होंगे क्योंकि पाप का पैसा पकड़ते समय पापी लोग कहा करते हैं कि ये केवल हम्हीं नहीं लेते हैं ये तो ऊपर तक जाता है !यदि वो झूठ बोलते हों तो सरकार इन पर कार्यवाही क्यों न करे !कुछ तो सच्चाई होती ही होगी !बारे भ्रष्टाचार बारे लोकतंत्र !
    अवैध कब्जों कार्यों गतिविधियों मोबाईल टावरों को देखकर भी निगम वाले कुछ बोलते नहीं हैं बिना घूस लिए ऐसा संभव है क्या !और यदि ऐसा हो भी तो जिस काम के लिए वो सैलरी लेते हैं अपने उस कर्तव्य का पालन करते क्यों नहीं हैं सर्कार ईमानदार हो तो उनसे उनकी लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के लिए सैलरी रिफंड करवाए !यदि सरकार ने उन्हें घूस लेने के लिए नहीं रखा है तो !
    ऐसे भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध पार्षदों ने आवाज क्यों नहीं उठाई ये उनका कर्तव्य था !क्या बिना घूस लिए उन्होंने ऐसा  किया होगा !तरह तरह के रोगों से जूझ रही दिल्ली में रेडिएशन फैलाने वाले सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर लगे हुए हैं जिनके मालिकों ने कोर्ट से स्टे ले रखा है निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से निगम उनके विरुद्ध पैरवी की केवल खाना पूर्ति करता है और तारीखें बढ़ती चली जाती हैं पैसा ऊपर तक पहुंचता है अन्यथा बिना पैसा लिए ऐसा होना संभव है क्या ? ऐसे तो मोबाईल टावर कभी नहीं हटेंगे और यदि नहीं ही हटेंगे तो ये अवैध किस बात के !
   ऐसे ही सैकड़ों सरकारी जमीनों पार्कों आदि में घूस ले लेकर कब्ज़ा करवा रखा है इन्हीं निगम प्रतिनिधियों ने इधर घूस उधर सैलरी !क्या घूस के लेन  देन  का खेल मात्र है सरकारी कामकाज !इनके विरुद्ध आवाज क्यों नहीं उठाते हैं जनप्रतिनिधि ?पार्टियाँ उनसे पूछती क्यों नहीं हैं पार्षद बनने का मतलब क्या चल अचल संपत्तियाँ इकठ्ठा करना मात्र होता है या कुछ जनसेवा भी !बड़े बड़े अधिकारियों कर्मचारियों जन प्रतिनिधियों के होते हुए भी भ्रष्टाचार फिर कर क्या रही है सरकार !क्या यही है लोकतंत्र जहाँ केवल एक दूसरे को धोखा देना और झूठ बोलना सिखाया जाता हो एक दूसरे को बदनाम किया जाता है !
   इसीलिए तो राजनैतिक पार्टियों का टिकट वितरण विश्वसनीय नहीं होता जो जितने पैसे देकर चुनावी टिकट खरीदतें हैं वो उससे तो ज्यादा ही कमाएँगे !वैसे भी जिन जन प्रतिनिधियों को सैलरी ही न मिलती हो वो कमाएँगे कैसे सीधी सी बात घूस लेंगे !
   इसलिए समाज संकल्प करे कि बड़े बड़े नेताओं के नाते रिस्तेदार होने के नाते टिकट पाने वाले या पैसे के बल पर टिकट खरीदने वाले प्रत्याशियों को न अपना वोट देंगे और न ही औरों को ही देने देंगे ! अपराधियों और अयोग्य नेताओं को संसद और विधान सभा जैसे पवित्र सदनों में बिलकुल न पहुँचने दो !ऐसे नेताओं को चुनावों में हराने का हर संभव प्रयासकर पुण्य के भागी बनें !आपका गुप्त मतदान कोई नहीं देखता है इसलिए बिना किसी डर के योग्य और ईमानदार लोगों को ही वोट दें वो किसी भी दल के क्यों न हों !
     चुनावों में पापी प्रत्याशियों को वोट न खुद दो न औरों को देने दो अन्यथा चुनाव जीतकर ऐसे प्रत्याशी जो भी पाप करेंगे उसका दोष आपको भी लगेगा क्योंकि उन्हें आपने ही इस योग्य बनाया है अन्यथा चाहकर भी वे ऐसा न कर पाते !इसलिए दोष पूर्ण प्रत्याशियों को हरवाने का हर संभव प्रयास करके पुण्य कमाने का सुनहरा अवसर !
     जिन राजनैतिक पार्टियों का मालिक एक ही परिवार का बना रहता हो ये लोकतंत्र के लिए घातक है जिन राजनैतिक दलों में पार्टी को चलाने की योग्यता केवल एक व्यक्ति या एक ही परिवार में मानी जाती हो बाकी कार्यकर्ताओं को भेड़ बक़डियों की तरह भर लिया जाता हो जिन्हें पार्टियों के मालिक दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपनी इच्छाओं का गुलाम बनाकर सेवाएँ लेते हों !राजनीति से ऐसी ठेकेदारी पृथा समाप्त करने के लिए ऐसी पार्टियों के प्रत्याशियों को बिलकुल वोट न दिए जाएँ !ऐसे प्रत्याशी जनता का पक्ष न लेकर अपनी पार्टी के मालिक की इच्छा के अनुशार ही आचरण करेंगे इस लिए ऐसे सभी प्रत्याशियों का चुनावों में बहिष्कार किया जाए !
 राजनैतिक पार्टियों पर भरोसा करके किसी प्रत्याशी को वोट क्यों दे दिया जाए ?
        राजनैतिक पार्टियाँ देश को केवल एक आँख से देखती हैं वो आँख है चुनावों  में अपनी एवं अपनी पार्टी की विजय !वो कैसे भी मिले उसके लिए अपने सिद्धांतों से कितने भी बड़े समझौते क्यों न करने पड़ें !प्रत्याशी बहुत बुरा हो किंतु वो यदि अपनी आपराधिक प्रवृत्ति के कारण समाज को डरा धमका कर भी वोट हासिल करके चुनाव जीतने की ताकत रखता है तो भी वो राजनैतिक दलों की पहली पसंद बन सकता है !किंतु वो अपराधी चुनाव जीतने के बाद अपनी अपराध करने की प्रवृत्ति छोड़  देगा क्या ?अपने पुराने अपराधी मित्रों को छोड़ देगा क्या ?ऐसे आपराधिक पृष्ठ भूमि वाले नेताओं को वोट देकर उनके समर्थन का पाप हम क्यों करें !
 टिकट खरीदकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
      जो व्यापारी राजनैतिक पार्टियों से पैसे देकर टिकट खरीदेगा वो यदि चुनाव जीत जाएगा तो उसे टिकट लेने में लगा अपना पैसा इसी राजनीति से निकालना चाहिए या नहीं !और नहीं तो क्यों और हाँ तो कैसे !भ्रष्टाचार भी न करे और वो करोड़ों रूपया निकाल भी ले ऐसा हो ही नहीं सकता इसके लिए वो भ्रष्टाचार करेगा ही और उसे करना भी चाहिए क्योंकि उसकी पार्टी ने टिकट देने के बदले उससे पैसे लिए हैं इसलिए उसे भी क्यों नहीं लेना चाहिए ?ऐसी टिकट व्यापारी पार्टी के  ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
 संसद जैसे सदन उच्चस्तरीय चर्चा के मंच होते हैं जो नेता कम पढ़े लिखे होने के कारण चर्चा करने और समझने योग्य न हों उन्हें वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
    अशिक्षा अल्पशिक्षा  अयोग्यता या अनुभव हीनता के कारण जो सदस्य लोग संसद और विधान सभाओं की चर्चा में भाग ले पाने लायक न हों जो बोलने और समझने की योग्यता न रखते हों वे सदन में शांत बैठे रहते हों !चर्चा के समय कुर्सी छोड़कर समय पास करने बाहर निकल जाते हों या सदनों के अंदर ही कुर्सी पर बैठे सोने लगते हों या मोबाईल फोन में वीडियो देखने लगते हों या अपनी पार्टी के मालिक का इशारा पाकर हुल्लड़ मचाने लगते हों !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?
  नेताओं के नाते रिश्तेदार या घर परिवार वाला होने के नाते किसी को प्रत्याशी बनाया गया हो तो ऐसे नेताओं को वोट देकर पाप क्यों किया जाए ?
   राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग चरित्रवान सदाचारी ईमानदार लोगों को अपनी पार्टियों में सम्मिलित करने में इसीलिए डरते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि ये बेईमानी न करेगा न करने देगा !इसलिए भले लोगों को तो राजनैतिक पार्टियों में नेता लोग घुसने ही नहीं देते ! योग्यता ईमानदारी ,जन सेवा और सदाचरण के बल पर चुनाव जीतने की हिम्मत रखने वाले नेताओं की उपेक्षा करके उन बड़े बड़े नेताओं के घर वालों या सगे  सम्बन्धियों को चुनावी टिकट दे दिए गए हों !किसी नेता पर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप लगें तो उसके बीबी बच्चों को प्रत्याशी बना दिया गया हो !ऐसे अयोग्य प्रत्याशियों को वोट देकर हम लोग पाप क्यों करें ?राजनैतिक दलों के ऐसे पापों में जनता सम्मिलित क्यों हो ?
  राजनीति में सबसे बड़ा दान किसी भी पार्टी के पापी प्रत्याशियों को वोट न देना है !ऐसे लोगों को टिकट देने वाले दलों का बहिष्कार किया जाए !
     मकरसंक्रांति  के पवित्र अवसर पर हाथ में गंगाजल लेकर संकल्प लीजिए कसम खाइए कि इस देश में पाप अब और नहीं होने देंगे और विश्व गुरु भारत को एक बार फिर से विश्व गुरुत्व के पद पर प्रतिष्ठित करेंगे !अपने घरों के मंदिर या तीर्थ क्षेत्र में जाकर कसम खाएँ कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए चुनाव लड़ने वाले पापी प्रत्याशियों को पराजित करके पुण्य कमाएँगे  !ऐसे दलों का बहिष्कार करेंगे !
      चुनाव लड़ाए जाने वाले प्रत्याशियों के चरित्र ,शिक्षा,संस्कार और व्यवहार पर क्यों न ध्यान दिया जाए !जो पार्टियाँ ऐसा नहीं करती हैं इसका सीधा सा मतलब है कि वो या तो चुनावी टिकटें बेंच रही हैं या अपने नाते रिश्तेदारों परिचितों को दे रही हैं जो दल ऐसे अलोक तांत्रिक कार्यों में लगे हुए हैं ऐसे दलों के कार्यकर्ता लोगों से निवेदन है कि वे ऐसे लोगों के बहकावे में न आएँ और पैसे एवं परिचय के बल पर चुनावी टिकट पाने वालों का बहिष्कार करें ! उन्हें चुनावों में पराजित करके पुण्य लाभ कमाएँ करें का उन्हीं पार्टियों कार्यकर्ता यदि ऐसा नहीं किया see more....http://sahjchintan.blogspot.in/2017/01/blog-post_8.html


 

Sunday, 2 April 2017

रोमियो को पहचानो !इनसे बचाओ अपना देश समाज संस्कार और परिवार !


बढ़ चढ़ कर भाग लेती लड़कियाँ भी कैसे की जाए इनकी सुरक्षा !


आतंकवाद से 6 गुना ज्यादा जानें ले चुका है प्यार का पाखंड!see more....http://navbharattimes.indiatimes.com/india/love-kills-six-times-more-indians-than-terror-attacks/articleshow/57968366.cms


महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर अब  बड़ी बड़ी बातें की जाने लगी हैं किन्तु सुरक्षा किससे करनी है?जब इस बात पर विचार करना होता है तो सोचना पड़ता है कि जो नपुंसक नहीं है ऐसे किसी भी व्यक्ति के हृदय समुद्र में कब किस लड़की या स्त्री को देख कर तरंगे उठने लगें कब किस सुंदरी को देखकर संयम के तट बंध टूट जाएँ और तरंगें ज्वार भाटा का रूप ले लें किसी को क्या पता ?इन विषयों में किसी और पर कैसे विश्वास किया जाए?जब अपने मन का ही विश्वास नहीं है।इसीलिए ऋषियों के द्वारा हजारों वर्ष तक ब्रह्मचर्य का अभ्यास करने के बाद भी थोड़ी सी चूक में कब किसका  मन किस पर आकृष्ट हो जाए कहना बहुत कठिन है।कई बार किसी महिला का शील भंग करने वाले व्यक्ति को निजी तौर बहुत आत्म ग्लानि होती है किन्तु अब वह अपने हृदय का भरोसा किसी को कैसे कराए ?
     महिलाओं का सम्मान एवं विश्वास सुरक्षित रखने के लिए ही शास्त्रकारों ने अपने मनों पर लगाम लगाने का प्रयास किया और कहा कि युवा पुरुषों के लिए आवश्यक है कि  माता मौसी बहन तथा बेटी रूपी स्त्री के साथ भी एकांत में न बैठे।
                 माता स्वस्रा दुहित्रा वा 
भगवान शंकराचार्य ने कहा है इस दुनियाँ में वीरों में सबसे बड़ा वीर वही है जो स्त्रियों के चंचल नेत्रों को देखकर भी जिसका  मन मोहित न हो ।
           प्राप्तो न मोहं ललना कटाक्षैः
इसी प्रकार महिलाओं के विषय में लिखा गया कि कोई स्त्री यदि किसी की सुन्दरता पर मोहित हो जाए तो वह भाई ,पिता, पुत्र भी क्यों न हो यह सब भूलकर स्त्रियाँ केवल सुन्दरता पर समर्पित हो जाती हैं---
                  भ्राता   पिता   पुत्र   उरगारी ।
                  पुरुष मनोहर  निरखत नारी।।
     और भी इसीप्रकार की बातें योगवाशिष्ठ  रामायण में भी लिखी गई हैं ।
      महिलाओं के विषय में कहा गया है कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा बासना अर्थात  सेक्स आठ गुणा अधिक होता है किंतु उस बासना को सहने के लिए ईश्वर ने महिलाओं में धैर्य भी बहुत अधिक मात्रा में दिया है। लिखा गया है कि
        तत्रा शक्या निवर्तन्ते नराः धैर्येण योषितः।।
     बात अलग है कि जहाँ  ये धैर्य के तटबंध टूटते हैं वहाँ  अक्सर बड़ी बड़ी दुर्घटनाएँ  घटते देखी जाती हैं।
इसी प्रकार पुराने ऋषियों ने ही अपनी खोज में बताया कि  पुरुष  जब तक  अतिवृद्ध नहीं होता है तब तक बासना कि दृष्टि से उसका मन कभी भी  किसी भी स्त्री पर आकृष्ट हो सकता है इसलिए किसी स्त्री के लिए वह पुरुष मन  विश्वसनीय नहीं  हो सकता ।
      चूँकि बासना अर्थात सेक्स का सारा खेल इसलिए मन के आधीन होता है -
                   मनो हि मूलं हर दग्ध मूर्तेः
   इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि जिसका मन जब जितना अधिक प्रसन्न होता है उस समय उसके मन में  बासना उतनी अधिक होती है इसीलिए राजा, महाराजा, धनी,मंत्री आदि सफल संपन्न लोग अक्सर औरों की अपेक्षा सुरा सुंदरी के अधिक शौकीन होते हैं।
 जब बासना घटती है तो लोग उदास हो जाते हैं  घूमने टहलने आदि कार्यों से बासना को बढ़ाकर मन को प्रसन्न करते  हैं अर्थात मनोरंजन करने के लिए या यूँ कह लें कि बासना बढ़ाने या मन को रिचार्ज करने जाते हैं । जो लोग मनोरंजन के लिए जाते समय किसी लड़की या लड़कियाँ किसी लड़के को साथ लेकर घूमने टहलने  जाते हैं ।वह भी कई तो आधे अधूरे कपड़े पहनकर कर जाते हैं। कई तो फ़िल्म आदि देखने जाते हैं ऐसे समय वहाँ सब कुछ होना संभव होता है ।ऐसी परिस्थितियों से बचा जाना चाहिए।लव मैरिज प्रतिबंधित होते ही युवक युवतियों
में प्रेम विवाह सम्बंधित आशा ही नहीं रहेगी। जिससे पटने पटाने का चक्कर समाप्त होगा और महिलाओं का अपना सम्मान पुनः प्रतिष्ठित होगा ।
   पुराने समय में मान्यता थी कि सुंदरी स्त्री पति के प्राणों पर कभी भी भारी पड़ सकती है अर्थात या तो वो किसी पर मोहित होकर उस  प्रेमी के साथ मिलकर पति को नष्ट करती हैं या फिर वो प्रेमी स्वयं ही अपने प्रेम में  बाधक समझकर उस सुंदरी स्त्री के पति को नष्ट कर देते हैं ।इसीलिए महर्षि चाणक्य ने लिखा है कि      भार्या रूपवती शत्रुः    !!!
      प्रेम विवाह के सन्दर्भ में ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि जीवन में जो सुख किसी को नहीं मिलने होते हैं उनके प्रति बचपन से ही उसके मन में असुरक्षा की भावना बनी रहती है।इसी लिए उस व्यक्ति का ध्यान उधर ही अधिक होता है और वो उस दिशा  में बचपन से ही प्रयास रत होता है।
          सामान्य जीवन में ऐसा माना जाता  है कि जीवन में आपको जिस चीज की आवश्यकता हो वह इच्छा होते ही जैसा चाहते हो वैसा या उससे भी अच्छा मिल जाए। इसका मतलब होता है कि यह सुख आपके भाग्य में बहुत है अर्थात यह उस विषय का उत्तम सुख योग है, किंतु जिस चीज की इच्छा होने पर किसी से कहना या मॉंगना पड़े तब मिले  ये मध्यम सुख योग है, और यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े  लोगों के गाली गलौच या मारपीट या और प्रकार के अपमान या तनाव का सामना करना पड़े तब मिले या तब भी न मिले तो इसे  संबंधित विषय का सबसे निकृष्ट  सुख योग  समझना चाहिए।
       अब बात विवाह की सच्चाई यह है कि शास्त्रों में आठ प्रकार के विवाहों का वर्णन है,जिसमें आज प्रचलन विवाह या प्रेम विवाह दो ही हैं।विवाह चाहें जितने प्रकार के जो भी हों किन्तु विवाह का अभिप्राय पत्नी या पति से मिलने वाला सुख है। यह सुख जिसे जितनी आसानी से जैसा चाहता है  वैसा या उससे भी अच्छा मिल जाता है तो वह विवाह के विषय में  उतना  अधिक भाग्यशाली होता है, किंतु जो  समय से पहले विवाह  की इच्छा होने से परेशान रहने लगे पढ़ाई छोड़कर  या काम छोड़ कर माता पिता आदि स्वजनों की ईच्छा के विरुद्ध  लुक छिप कर वैवाहिक सुख के लिए किसी से कहना या माँगना पड़े तब मिले  ये मध्यम सुख योग है, और यदि तब भी न मिले तो ये उस बिषय का अधम या निम्न सुख योग मानना चाहिए।और यदि वह सुख पाने के लिए पागलों की तरह गली गली भटकना पड़े  लोगों के गाली गलौच या मारपीट या और प्रकार के अपमान या तनाव का सामना करना पड़े तब मिले या तब भी न मिले तो इसे  संबंधित विषय का सबसे निकृष्ट विवाह योग  समझना चाहिए।इस प्रकार जिसमें सब तरफ से तनाव,अपमान,परेशानियाँ,या हानि ही हानि हो  वह प्रेम विवाह कैसे हो सकता है क्योंकि पवित्र प्रेम तो परमात्मा का स्वरूप होता है और जो परमात्मा का स्वरूप  है उससे तनाव कैसा ?सच यह है कि ज्योतिष की दृष्टि से यह   बीमार विवाह योग है विवाह पूर्व इसका पता लगा लगने पर इसकी शांति कर लेनी चाहिए जिससे सारा जीवन बर्बाद होने से बच जाता है।ऐसे विषयों में सही जाँच एवं जानकारी करके बिना  किसी बहम के सही मार्गनिर्देशन के लिए हमारे संस्थान की ओर से भी विशेष व्यवस्था की गई है।
       उत्तम विवाह योग में प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लड़का अभी कह रहा होता है  कि अभी हमें शादी नहीं करनी है अभी पढ़ना या अपने पैरों पर खड़ा होना है  किंतु माता पिता अपनी जिम्मेदारी समझकर विवाह कर रहे होते हैं ऐसे विवाह में यदि उनका पति पत्नी में आपसी स्नेह भी उत्तम हो जाए, तो ये सर्वोत्तम विवाह योग होता है। इसमें उस लड़के को अपनी बासना अर्थात सेक्स की इच्छा प्रकट नहीं करनी पड़ी, इसलिए माता पिता के लिए वो हमेंशा शिष्ट,शालीन,सदाचारी आदि बना रहता है। ऐसे माता पिता अपने बच्चे का नाम बड़े गर्व से हमेंशा  लिया करते हैं कि उसने कभी किसी की ओर आँख उठाकर देखा भी नहीं है। ऐसा उत्तम विवाह योग किसी किसी लड़के या लड़की को बड़े भाग्य से मिलता है। बाकी जितना जिसे तड़प कर,बदनाम होकर या जलालत सहकर पति या पत्नी का सुख मिलता या नहीं भी मिलता है उतना उसे इस बिषय में भाग्यहीन या अभागा समझना चाहिए।
   ऐसे ही वैवाहिक भाग्यहीन लोग प्रेम का धंधा करना शुरू कर देते हैं एक को छोड़ते दूसरे को पकड़ते दूसरे से तीसरा आदि ।ऐसे लोग इस विषय में कई बार हिंसक हो जाते हैं।बलात्कार,छेड़छाड़,हत्याएँ ऐसे ही बीमार विवाह योगों के लक्षण हैं।जिनके भाग्य में कम बीमार विवाह योग होता है उनका नुकसान कम होते देखा जाता है।ऐसे समझदार लोग संयम और शालीनता  पूर्वक ये सब करते हैं, कुछ ऐसा  नहीं भी करते हैं सहनशीलता के साथ संयमपूर्वक अच्छा बुरा कैसा भी हो एक जीवन साथी चुन लेते हैं और उसी के साथ अपना भाग्य समझ कर निर्वाह भी करते हैं  ।
    सामान्य रूप से असहन शील असंयमी  बीमार विवाह योग वाले लोग ऐसा करते करते थक कर  कहीं संतोष  करके मन या बेमन किसी के साथ जीवन बिताने लगते हैं जिसे देखकर लोग कहते हैं कि उनकी तो बहुत अच्छी निभ रही है।सच्चाई तो उन्हें ही पता होती है।ऐसे ही निराश  हताश लोग कई बार अपनी जिंदगी को तमाशा ही बना लेते हैं कई बार हत्या या आत्महत्या तक गुजर जाते हैं वो ऐसा समझते हैं कि वे प्रेम पथ पर मर रहे हैं जब सामने वाला या वाली को उससे अच्छा कोई और दूसरा मिल गया होता है तो वो पहले वाले से पीछा छुड़ाने के लिए उसे कैसे भी छोड़ना या मार देना चाहता है।ऐसे लोगों का एक दूसरे के प्रति कोई समर्पण नहीं होता है जबकि प्रेम तो पूर्ण समर्पण पर चलता है कोई भी प्रेमी अपने प्रेमास्पद को कभी दुखी नहीं देखना चाहता।
  कई ने तो एक साथ कई कई पाल रखे होते हैं।ऐसे लोग कई बार सार्वजनिक जगहों पर एक दूसरे के साथ शिथिल आसनों में बैठे होते हैं या एक दूसरे के मुख में चम्मच घुसेड़ घुसेड़  कर खा खिला रहे होते हैं। इसी बीच तीसरी या तीसरा आ गया उसने ज्योंही किसी और के साथ देखा तो पागल हो गया या हो गई जब पोल खुल गई तो लड़ाई हुई कोई कहीं झूल गया कोई कहीं झूल गई।भाई ये कैसा प्रेम? ये तो बीमार विवाह योग है।यहॉ विशेष  बात ये है कि इस पथ पर बढ़ने वाले हर किसी लड़के या लड़की की जिंदगी बीमार विवाह योग से पीड़ित होती है।इसी लिए ऐसे लोग अपने जैसे बीमार विवाह वाले साथी ढूँढ़ ढूँढ़कर उन्हें ही धोखा दे देकर अपनी और अपने जैसे अपने साथियों की जिंदगी बरबाद किया करते हैं।जैसे आतंकवादियों को लगता है कि वे धर्म के लिए मर रहे हैं इसीप्रकार ऐसे तथाकथित प्रेमी भी अपनी गलत फहमी में प्राण गॅंवाया करते हैं।ऐसे लोगों की जन्मपत्रियॉं यदि बचपन में ही किसी सुयोग्य ज्योतिष विद्वान से दिखा ली जाएँ तो ऐसे योग पड़े होने पर भी ऐसे लोगों को  अच्छे ढंग से प्रेरित करके जीवन की इस त्रासदी से बचाया जा सकता है।
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान की सेवाएँ
     यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी, बनावटी ब्रह्मज्ञानी, ढोंगी,बनावटी तान्त्रिक,बनावटी ज्योतिषी, योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा  चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
       कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको  बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता, वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क  के रूप में  देनी होगी, जो शास्त्र  से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपनेपन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना,बाँटना  और सही जानकारी देना।